कोर्स 4 - गतिविधि 2 - अपने विचार साझा करें
शिक्षक/शिक्षिका के रूप में उन परेशानियों के बारे में
विचार कीजिए, जिनका सामना आप अक्सर
विद्यालय में करते हैं! यह सोचने की कोशिश करें कि विद्यालय प्रबंधन और माता-पिता
के माध्यम से किन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा किस प्रकार इन लोगों से
संपर्क कर अपनी परेशानी बताई जाए ताकि बेहतर स्थिति प्राप्त हो सकें। अपने विचार
साझा करें।
सामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर अभिभावकों से भी उनकी स्थिति साझा पर अतिरिक्त प्रयास करने होंगे पलकों का सहयोग प्राप्त करेंगे ऐसे छात्रों को अतिरिक्त समय और अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होगी
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला की ओर लाना होगा।कुछ अभिभावकों से बातचीत कर रहे है।मजदूरी पर गए लोगों से छात्रों की पढ़ाई बिदित हो रही हैं।
Deleteकोई बच्चा कक्षा में शान्त रहता है और किसी भी ऐक्टिविटी में सहभागिता नहीं करता तो उसके पाल्को से समपर्क कर उसकी इस समस्या का समाधान करने में काफ़ी मदद मिलती है और उसे सिखाना आसान हो जाता है
Deleteसामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर अभिभावकों से भी उनकी स्थिति साझा पर अतिरिक्त प्रयास करने होंगे पलकों का सहयोग प्राप्त करेंगे ऐसे छात्रों को अतिरिक्त समय और अति
Deleteजो बच्चे ज्यादा दिन अनुपस्थित रहते हैं उनके माता-पिता से संपर्क कर बच्चों को नियमित रूप से साला आने के लिए कहेंगे तभी बच्चों का कौशल विकास होगा उन्हें बताएंगे कि रोज स्कूल आने से उनका शारीरिक मानसिक विकास होगा और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा जिससे मैं अपने बारे में निर्णय लेने में सक्षम बनेंगे
DeleteJo bachche niyamit roop se school nhi aa rahe he unke apko se batchit karke is samasa ka koi samarthan nikala ad bahut hi jyada aawasyak he
Deleteबच्चों के स्तर की पहिचान करके उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमे बेहतर कार्योजना तैयार करनी होगी।।
ReplyDeletePalako ke sath lagatar sampark karke samadhan ho sakta h
DeleteBachche nirantar sala ate nai hain unke abhibhavakon se baatcheet ki jaa rahi hai bachche padhai mein dhyan nai dete is per bhi abhibhavak se baatcheet ki jaa rahi hai
ReplyDeleteपालक और से संपर्क कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है
Deleteबच्चों को नियमित रूप से शाला की ओर लाना होगा।
ReplyDeleteसबसे बड़ी समस्या यह हैं कि बच्चें नियमित रूप से स्कूल नहीं आते | हम अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे |साथ ही जो कमजोर बच्चें हैं उनके पालको से चर्चा करेंगे |
DeleteBacchon ko niyamit gatividhi AVN khilkhil se samjhana
ReplyDeleteअभिभावकों से बात करेंगे तो पालकों का भी शाला से रूबरू रूझान होगा शाला भी समय पर बच्चों को भेजेंगे, गतिविधियों में भी भाग लेंगे आनन्द आएगा, कहानी , घटना से सम्बंधित प्रश्न भी बतायेगे, पूछेंगे हमें मदद धीरे-धीरे मिलने लगेंगी, बच्चों में सुधार आएगा, रणनीति बनाकर विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला की ओर लाना होगा।कुछ अभिभावकों से बातचीत कर रहे है।मजदूरी पर गए लोगों से छात्रों की पढ़ाई बिदित हो रही हैं
ReplyDeleteछात्रों के स्तर की जांच कर उनको नियमित आने हेतु कोशिश करने के साथ पालकों से बातचीत कर योजना बनानी होगी
Deleteबच्चो के स्तर की पहचान करके उनको नियमित रूप से शाला लाना ।
ReplyDeleteमाता पिता और अभिभावक बच्चों के सर्वांगीण विकास में विशेष भूमिका रखते हैं क्योंकि प्रथम गुरु माता पिता ही है बच्चा परिवार से ही बहुत कुछ सीखता है बहुत ही भाषा विज्ञान वहीं से अर्जित करता है एवं अपने जीवन में उपयोग करता है इसलिए जो हमें समझाने या बच्चों को याद कराने में कुछ समस्याएं होती है तो उन्हें हम परिवार माता पिता अभिभावक क्यों उनके यहां पर पढ़े लिखे हो उनसे सहयोग लेकर के समस्याओं का समाधान किया जा सकता है इसमें विशेष रूप से बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए कठिनाई का आसानी से हल किया जा सकता है एवं कुछ ऐसे नियम यह कुछ अवधारणाएं बालकों के माध्यम से उन्हें बता कर उन पर चर्चा कर आने वाली कठिनाइयों को आसानी से दूर किया जा सकता है
ReplyDeleteBachche niyamit shala ate nahin hain abibhavak majdoori ke liye bahar chale jate hain
ReplyDeleteBachche niyamit sala nahin aate hain.abibhavak majadoori ke liye bahar chale jate hain. Isake bare main abibhavakon se bat karate hain.
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उनको नियमित विद्यालय में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके हमें बेहतर कार्य योजना बनानी होगी ।
ReplyDeleteJis Tarah Se Vidyalay mein Main bacchon ke a dekhbhal ki jimmedari Shikshak ki hoti hai Usi Tarah ghar mein abhibhavak ki hoti hai Jyoti abhibhavak aur Shikshak Milkar bacche ki Sarvan Vikas Mein Dhyan Den to yah bahut hi hi Aasan ho jata hai Kuchh bacchon ke ghar per Dhyan Diya Jata Hai To vah niyamit homework Kar Ke Aate Hain aur Jin bacchon ke ghar per Dhyan nahin diya Jata vah bilkul homework Karke Nahin Aate aur Piche Chale Jaate Hain Tu yah abhibhavak ki jimmedari hai ki jo Vidyalay Mein padha jata hai Uska Ghar Mein revision karvayen
ReplyDeleteC-4-2
ReplyDeleteएक शिक्षक के तौर पर हम देखते है कि माता-पिता एवं घर परिवार के लोगों के द्वारा बच्चों को समय पर स्कूल न भेजना उनके प्रति उदासीन होना घर के कामों के कारण उनकी घर पर शिक्षा को ध्यान ना देना सबसे प्रमुख कारण है
इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना उनकी साफ सफाई का ध्यान रखना बच्चों की समस्या का समाधान करना आदि बातें हैं
मेरे विचार से इन सब बातों पर ध्यान दिया जाए और घर परिवार के लोगों से नियमित संपर्क करके इस समस्या से निपटा जा सकता है
बच्चों का नियमित शाला न आना, सीखने की गति सामान्य से कम होना, बच्चों का अभिव्यक्ति न दे पाना ऐसी कई समस्याएं हैं जिनका हल अभिभावकों से बात चीत करके, उनके सहयोग से निकाला जा सकता है।
ReplyDeleteरीना वर्मा प्राथमिक शाला बून्दडा हरदा
हमें बच्चों के साथ साथ माता पिता के साथ भी जुड़वा चाहिए और उनके विचारों को जानना चाहिए अभिभावक मिलकर बच्चों के पढ़ाई के अच्छे परिणाम निकाल सकते हैं
ReplyDeleteInspiring students to be more self-directed
ReplyDeleteImproving Learning Outcomes
Differentiating and personalizing teaching
Getting students to do their work outside the classroom
Finding the time to keep up with administrative tasks
Understanding Changing Technology
Parental Involvement
सामान्य से कम गति से सीखने वाले बच्चों की पहचान कर अभिभावकों से उनकी स्थिति पर चर्चा करेंगे पलकों से सहयोग करेंगे yese छात्रों को अतिरिक्त समय और अतिरिक्त प्रयास की जरूरत होगी
ReplyDeleteWe have to go with new teaching methods.
DeleteEk Shikshak Ke Tod Pratham dekhte hain ki abhibhavak bacchon ko Shala Mein niyamit Nahin bhejte Hain Chacha ka unhen is bare mein jo Limited bacchon ko bhejne wale Palak Hain Unse Paraspar samvad karwa kar meeting Mein bulakar unko Samjha De Gai to Fir vah Apne bacchon Ko Nirmit bhejne ke liye taiyar hue
ReplyDeleteशाला में नियमित ना आने वाले छात्रों के अभिभावकों को बुलाकर उनको त्नियमित साला भेजने एवं उनकी परेशानियों के बारे में विचार सांझा करेंगे एवं उन्हें नियमित नियमित शाला बुलाने के लिए प्रेरित करेंगे
ReplyDeleteसबसे बड़ी समस्या यह हैं कि बच्चें नियमित रूप से स्कूल नहीं आते | हम अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे |साथ ही जो कमजोर बच्चें हैं उनके पालको से चर्चा करेंगे |
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला मे बुलाने हेतु उनके पालको को प्रेरित करना चाहिए ।
ReplyDeleteस्कूल में हम कई समस्याओं का सामना करते हैं |जैसे -1.बच्चों की उपस्थिति कम होना|2. बच्चों द्वारा होमवर्क करके ना लाना|3. बच्चों का साफ- स्वच्छ कपड़े पहनकर विद्यालय नहीं आना | तथा4. बच्चों के द्वारा शरारत करना |इन समस्याओं के समाधान के लिए हम अभिभावकों की बैठक रख सकते हैं| तथा पालक शिक्षक संघ की भी मदद ले सकते हैं पालक शिक्षक संघ और अभिभावकों से इस विषय पर हम बातचीत करेंगे |जिससे हमारी इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा और यह समस्या दूर हो जाएगी तथा हमारे बच्चों की पढ़ने की गुणवत्ता में काफी अंतर आएगा| तथा हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय बन जाएगा| अतः हम इस समस्या में अभिभावकों एवं पालक शिक्षक संघ की मदद लेंगे|
ReplyDeleteमैं- रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव, जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहस राम ,विकासखंड -विजयपुर, जिला- श्योपुर (मध्य प्रदेश)
माता पिता और अभिभावक बच्चों के सर्वांगीण विकास में विशेष भूमिका रखते हैं क्योंकि प्रथम गुरु माता पिता ही है बच्चा परिवार से ही बहुत कुछ सीखता है बहुत ही भाषा विज्ञान वहीं से अर्जित करता है एवं अपने जीवन में उपयोग करता है इसलिए जो हमें समझाने या बच्चों को याद कराने में कुछ समस्याएं होती है तो उन्हें हम परिवार माता पिता अभिभावक क्यों उनके यहां पर पढ़े लिखे हो उनसे सहयोग लेकर के समस्याओं का समाधान किया जा सकता है इसमें विशेष रूप से बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए कठिनाई का आसानी से हल किया जा सकता है एवं कुछ ऐसे नियम यह कुछ अवधारणाएं बालकों के माध्यम से उन्हें बता कर उन पर चर्चा कर आने वाली कठिनाइयों को आसानी से दूर किया जा सकता है।
ReplyDeleteएक शिक्षक के तौर पर हम देखते है कि माता-पिता एवं घर परिवार के लोगों के द्वारा बच्चों को समय पर स्कूल न भेजना उनके प्रति उदासीन होना घर के कामों के कारण उनकी घर पर शिक्षा को ध्यान ना देना सबसे प्रमुख कारण है
ReplyDeleteइस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना उनकी साफ सफाई का ध्यान रखना बच्चों की समस्या का समाधान करना आदि बातें हैं
मेरे विचार से इन सब बातों पर ध्यान दिया जाए और घर परिवार के लोगों से नियमित संपर्क करके इस
एक शिक्षक के तौर पर हम देखते है कि माता-पिता एवं घर परिवार के लोगों के द्वारा बच्चों को समय पर स्कूल न भेजना उनके प्रति उदासीन होना घर के कामों के कारण उनकी घर पर शिक्षा को ध्यान ना देना सबसे प्रमुख कारण है
ReplyDeleteइस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना उनकी साफ सफाई का ध्यान रखना बच्चों की समस्या का समाधान करना आदि बातें हैं
मेरे विचार से इन सब बातों पर ध्यान दिया जाए और घर परिवार के लोगों से नियमित संपर्क करके इस समस्या
बच्चों के स्तर की पहिचान करके उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमे बे
ReplyDeleteYe jo forth wala training hai bachcho our abhibhawako ke liye sujhav dene vala bahut hi achha hai.
ReplyDeleteमाता पिता और अभिभावक बच्चों के सर्वांगीण विकास में विशेष भूमिका रखते हैं क्योंकि प्रथम गुरु माता पिता ही है बच्चा परिवार से ही बहुत कुछ सीखता है बहुत ही भाषा विज्ञान वहीं से अर्जित करता है एवं अपने जीवन में उपयोग करता है
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से साला की ओर लाना होगा कुछ अभिभावकों से बातचीत कर रहे हैं मजदूरी पर गए लोगों से छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है कैलाश मालवीय पीएस मुल्तानपुरा
ReplyDeleteबच्चों के माता पिता से कहना की उनके साथ मिलकर उनकों अपने पास बिठाकर पढाई कराना ताकि वे अच्छे से पढ़े क्योंकि बच्चों के सबसे पहले गुरु माता पिता होतें है
ReplyDeleteमाता पिता और अभिभावक बच्चों के सर्वांगीण विकास में विशेष भूमिका रखते हैं बच्चों के स्तर की पहचान कर उन को नियमित रूप से साला लाना बचत लाना बच्चा परिवार से बहुत कुछ सीखता है पारिवारिक जीवन शैली भाषा आदि इसका वह अपने जीवन में उपयोग करता है बच्चों को पढ़ाने समझाने में अगर समस्या आती है तो हम परिवार माता-पिता अभिभावक जो छात्र छात्रा के पढ़े लिखे हो उनसे सहयोग लेकर अध्यापन समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं वह घर परिवार के लोगों से सतत व सार्थक संपर्क करके अनेक समस्याओं का निराकरण आसानी से किया जा सकता है Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उनको नियमित विद्यालय में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके हमें बेहतर कार्य योजना बनानी होगी ।सामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर अभिभावकों से भी उनकी स्थिति साझा पर अतिरिक्त प्रयास करने होंगे पलकों का सहयोग प्राप्त करेंगे ऐसे छात्रों को अतिरिक्त समय और अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होगी
ReplyDeleteMahesh Kumar Kushwaha Prathmik Shikshak district
ReplyDeleteBacchon ko niyamit Roop se sala mein upsthit karne ke liye Mata Pita AVN Anya ka Sahyog avashyak Hota Hai
एक शिक्माषक होने के नाते हमें यह समझना अतिआवश्तायक होगा की माता- पिता और अभिभावक बच्चों के सर्वांगीण विकास में विशेष भूमिका रखते हैं क्योंकि प्रथम गुरु माता पिता ही होते हैं, बच्चा परिवार से ही बहुत कुछ सीखता है, भाषा विज्ञान वहीं से अर्जित करता है एवं अपने जीवन में उपयोग करता है इसलिए जो हमें समझाने या बच्चों को याद कराने में कुछ समस्याएं होती है तो उन्हें हम परिवार /माता पिता /अभिभावक से सहयोग लेकर के समस्याओं का समाधान किया जा सकता है इसमें विशेष रूप से बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए कठिनाई का आसानी से हल किया जा सकता है एवं कुछ ऐसे नियम यह कुछ अवधारणाएं बालकों के माध्यम से उन्हें बताकर उन पर चर्चा कर आने वाली कठिनाइयों को आसानी से दूर किया जा सकता है|
ReplyDeleteहम जानते हैं कि माता पिता बच्चों के लिए हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं ।माता पिता ही बच्चों के प्रथम गुरु होते है उनसे ही बच्चे मातृ भाषा सीखते हैं ।एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास में अहं होते हैं
Deleteबच्चों के बारे में अपनी सही समझ विकसित करने के लिए उनके माता पिता/अभिभावकों से शिक्षकों का संपर्क और आत्मीय संबंध होना आवश्यक है।क्योंकि बच्चों की नकारात्मक और सकारात्मक बातों को तभी शिक्षक उनके साथ साझा कर पाऐंगे।
ReplyDeleteपालकों से नियमित सम्पर्क कर के समस्याओं को सुलझाया जा सकता है।
ReplyDeleteBachcho ko niyamit roop se shala me lane ke liye unke mata pita ko prerit krna aavashk h.
ReplyDeleteBeena Parteti
MS Khapabhaat
बच्चों की नियमित उपस्थिति तथा उनकी पढ़ाई की जानकारी पालकों को देना तथा सुधार हेतु क्या हो सकता है, यह चर्चा कर समस्या का हल निकालना
ReplyDeleteकई बार पालकों से सहयोग नहीं मिल पाता अक्सर वे पालक होते हैं जो निरक्षर होते हैं फिर भी हमारा प्रयास उन्हें सकारात्मक दिशा में लाना होता है जिसमें हमें सफलता मिली और बच्चों के स्तर में सुधार हुआ शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर सुधार के लिए शिक्षक के साथ पालक का सहयोग आवश्यक है
ReplyDeleteपालक और शिक्षकों में परस्पर छात्रों के प्रति सुधारात्मक और सकारात्मक परिणाम हेतु चर्चा और कार्य करने चाहिए
ReplyDeleteअध्यापक को शाला में कई समश्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें छात्रों का नियमित शाला नहीं आना / हम इस समशया का निदान पलकों की सहता से कर सकते हैं ।
ReplyDeleteबच्चों को विद्यालय से जोड़े रखने के लिए विधालय का वातावरण भय मुक्त रखना चाहिए जिससे बच्चे खेल खेल में सीखेंगे और नियमित आएंगे और सीखेंगे। जो गतिविधियां हम सिखाएंगे वो घर पर सांझा करते हैं और नियमित वाला आएंगे।
ReplyDeleteपलकों से प्रतिदिन सजीव संपर्क या मोबाइल के माध्यम से संपर्क कर बच्चे में आने वाली विभिन्न परेशानियों के बारे में उन्हें अवगत कराकर तथा अपने साथी शिक्षकों से बच्चों की परेशानियों को साझा कर इनका निराकरण हम कर सकते हैं और कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान देकर और उनको अतिरिक्त समय देकर हम उनकी परेशानियों को दूर कर सकते हैं
ReplyDeleteविद्यालय में हम अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं जैसे बच्चों का विद्यालय निरंतर ना आना या उनका अध्ययन में रुचि ना लेना आदि अनेक प्रकार की समस्याएं हैं जिनका समाधान हम पालक और शाला प्रबंधन समिति के सहयोग से कर सकते हैं हमें विद्यालय में पालक शिक्षक संघ की बैठकों का नियमित अंतराल पर करना होगा एवं बालकों की सहायता लेनी होगी ताकि वह अपने बच्चों को नियमित स्कूल भेजें एवं घर पर ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चों में पढ़ने लिखने के प्रति रुचि जागृत हो एवं वह बेहतर तरीके से विकास कर सकें और राष्ट्र के निर्माण में सहयोग दे सकें l
ReplyDeleteधन्यवाद,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिनदौरा
विकासखंड बदरवास, जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
पालकों से सतत् संपर्क बनाए रखना चाहिए।उनकी समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त करना। बच्चों की समस्या को समझना जरूरी है और उसका समाधान पालकों से संपर्क कर समाधान ढूंढना।
ReplyDeleteSikshik abhibahak se samprak me rah kar baccho ke grah karya me prosahit kare vidyalaya pravimdhan samiti aamaz Ko gajrukh kare taki har baccha samaya par sala pahuche Sikshik abhibahak se yah kah sakte hain baccho ke grah karya me prosthan aap abhibak ke rup me school se samprak me rahe bidhyalayi pravimdhan sala bikas abam Samaz Ko jagruk kare taki har baccha samaya par sala pahuche
ReplyDeleteकमलेश कुशवाहा
ReplyDeleteशासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा संकुल केंद्र द्वारी विकासखंड गुनौर जिला पन्ना मध्य प्रदेश
अभिभावकों से बच्चों के विषय में बातचीत करते समय इस बात का एहसास अभिभावकों को जरूर दिलाना चाहिए कि बच्चों के प्रति जितनी आपको चिंता है कहीं उससे ज्यादा हम शिक्षकों को है जिस प्रकार से आप लोग उसके खाने-पीने का समय-समय पर ध्यान रखते हैं उसी प्रकार हम भी बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए चिंतनशील रहते हैं इसी वजह से हम समय-समय पर आप से भी संपर्क करते हैं कि बच्चा विद्यालय नहीं पहुंच पाया तो क्यों नहीं पहले हम साथी बच्चों से बात करते हैं फिर आपसे संपर्क करते हैं
मेरा अनुभव है की बच्चे और अभिभावक से निरंतर संपर्क बनाए रखने पर एक दिन अभिभावक स्वता बच्चे पर इतना ध्यान रखने लगता है कि वह अपने काम के साथ-साथ बच्चा स्कूल जा रहा घर से निकलने के बाद स्कूल तक पहुंच पा रहा कि नहीं इसका भी आकस्मिक निरीक्षण अथवा जानकारी लेते हुए कभी-कभी विद्यालय भी आ जाते हैं
सकीना बानो
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करेंगे,उनको नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे एवम् अभिभावकों के साथ निरन्तर संपर्क बनाए रखेंगे।
माता-पिता को अपने बच्चे को साथ रखकर दैनिक जीवन की गुणवत्ता को लेकर काफी चर्चा करते रहना चाहिए ।उसे अपने साथ काम बाजार हाट की यात्रा करवाएं आदि आदि ।
ReplyDeleteसबसे पहले फाल्गुन से संपर्क कर सभी पाठकों एवं अभिभावकों को बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करेंगे और बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में माता-पिता को शामिल करेंगे जिससे बच्चा अपनी मातृभाषा में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन को नियमित रूप से माता-पिता एवं शिक्षकों के आपसी तालमेल के माध्यम से गतिविधि आधारित शिक्षण को बड़ी सहजता से सीख सकें
ReplyDeleteHamen bacchon ki padhaai se sambandhit samasyaen sujhav Aur gatividhiyan Ke sanchalan karne mein abhibhavak ko se Samay Samay par Sampark Karte Rahana chahie jisse ki bacchon ki shakshinikpragati Mein Sudhar ho sake.
ReplyDeleteपालकों से सतत् संपर्क बनाए रखना चाहिए।उनकी समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त करना। बच्चों की समस्या को समझना जरूरी है और उसका समाधान पालकों से संपर्क कर समाधान ढूंढना।।।।
ReplyDeleteशिक्षक अभिभावक से सतत संपर्क मे रहे और बच्चे से संबंधित हर पहलु पर बातचीत करते रहे जिससे बच्चे की प्रगति होगी
ReplyDeleteशिक्षक अभिभावक से सतत संपर्क मे रहे और बच्चे से संबंधित हर पहलु पर बातचीत करते रहे जिससे बच्चे
ReplyDeleteAbhi Bhav kaun se Sampark Karke a bahut sari samasyaon ko Surya Ja Ja sakta hai bacchon ki upsthiti e e unke a sikhane ki prakriya aur Unki ruchiya ke bare mein bhi Jana Ja Sakta hi
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान कर उनको रोज स्कूल लाना होगा।पालको से भी सम्पर्क स्थापित किया जाये।
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहिचान करके उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमे बेहतर कार्योजना तैयार करनी होगी। साथ हीपालकों से सतत् संपर्क बनाए रखना चाहिए।उनकी समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त करना। बच्चों की समस्या को समझना जरूरी है और उसका पालकों से संपर्क कर समाधान ढूंढना।
ReplyDeleteबच्चों के अध्यापन के दौरान हमेशा यह परेशानी महसूस होती है कि जो पढ़ाया जा रहा है वह उसे समझ पा रहा है या नहीं , सीख पा रहा है या नहीं। माता-पिता एवं समुदाय के सहयोग से बच्चे के सर्वांगीण विकास हेतु प्रयास किया जा सकता है एवं विद्यालय के वातावरण को आनंददाई एवं रोचक बनाया जा सकता है इसके लिए अभिभावकों के साथ नियमित बैठकैं एवं समुदाय की सक्रिय सहभागिता जरूरी है।
ReplyDeleteएक शिक्षक के ऱूप में सबसे पहले उन छात्रों को चिन्हित करना होगा जो छात्र शाला नहीं आते इसके लिए उनके माता पिता से संपर्क बनाकर शाला आने हेतु प्रेरित करना होगा तथा पालक शिक्षक संघ की बैठक कर बच्चों की प्रगति को बताना होगा इससे समस्या का निदान किया जा सकता है
ReplyDeleteSabse pahle Vidyalay na aane Wale chhatron ke palko se sampark karne ke bad kamjor bacchon ke prati Dhyan dena Na AVN shant Rahane Wale bacchon Ko prati unke pal ko sampark karke unhen aasani se a padhaai ki samast paida karna hai
ReplyDeleteBchcho ke sarvageen vikas hetu bchcho ke abhibhavak se sampark karenge.
ReplyDeleteहम अभिभावकों से मिलकर उन्हें पढ़ाई का महत्त्व बता सकते है, उन्हें अपने बच्चों को रोजाना विद्यालय भेजने एवं घर पर अध्यापन कार्य के सहयोग एवं डिजिलेप सामग्री को अपने मोबाइल के माध्यम से दिखाने के बारे में बात कर सकते हैं।
ReplyDeleteविद्यालय में हम अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं जैसे बच्चों का विद्यालय निरंतर ना आना या उनका अध्ययन में रुचि ना लेना आदि अनेक प्रकार की समस्याएं हैं जिनका समाधान हम पालक और शाला प्रबंधन समिति के सहयोग से कर सकते हैं हमें विद्यालय में पालक शिक्षक संघ की बैठकों का नियमित अंतराल पर करना होगा एवं बालकों की सहायता लेनी होगी ताकि वह अपने बच्चों को नियमित स्कूल भेजें एवं घर पर ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चों में पढ़ने लिखने के प्रति रुचि जागृत हो एवं वह बेहतर तरीके से विकास कर सकें और राष्ट्र के निर्माण में सहयोग दे सकें l
ReplyDeleteहम अभिभावकों से मिलकर उन्हें पढ़ाई का महत्त्व बता सकते है, उन्हें अपने बच्चों को रोजाना विद्यालय भेजने एवं घर पर अध्यापन कार्य के सहयोग एवं डिजिलेप सामग्री को अपने मोबाइल के माध्यम से दिखाने के बारे में बात कर सकते हैं।इस तरह हम अच्छी शिक्षा देे सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहिचान करके उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमे बेहतर कार्य योजना तैयार करनी होगी।
ReplyDeleteShikshak ko kai pareshaniyo ka samana karna padata hai jaise kuch bachcho ka niyamit shala na aana ,samay se shala na aana , padai me ruchi na dikhana, anya bachcho ke sath marpit karna adi ,in sabhi samasyo ke samadhan ke liye hum phone ke madhyam se palko se sidhe sampark kar skate hai sath hi samay samay par PTM ke madhyam se bhi samasyao ke samadhan me sahyog le sakte hai.
ReplyDeleteमाता पिता व अभिभावक रिश्ते दार व घर का माहोल बच्चों को सीखते में भरपूर सहयोग करतें हैं क्योंकि वातावरण का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता हैं,
ReplyDeleteजब बालक पहली बार विद्यालय में आता है, विशेषकर कक्षा 1 में; तो बच्चे को विद्यालयीन वातावरण में शामिल होने में बड़ी झिझक महसूस होती है | वह उस माहौल में एकदम से रम नहीं पाता | विद्यालयीन गतिविधियों में भाग लेने में वह रुचि नहीं दिखाता, अपने साथियों से सामंजस्य नहीं बिठा पाता और अपने घरेलू वातावरण में लौटना चाहता है |ऐसी स्थिति में शिक्षक के सामने यह समस्या होती है कि वह कैसे उस अबोध बालक या बालिका को विद्यालयीन शिक्षा से जोड़े | कक्षागत वातावरण से उसका सामंजस्य किस प्रकार बिठाए | ऐसी स्थिति में कक्षा शिक्षक को उनके माता पिता अभिभावकों से संपर्क करना चाहिए और अभिभावक भी विद्यालय में आकर अपने बच्चों के साथ विद्यालयीन गतिविधियों में रुचि लेकर सहभागिता करेंगे तो बच्चों का शिक्षा, शिक्षक और सहपाठियों पर विश्वास बढ़ेगा और जल्द ही वे कक्षा की गतिविधियों में रुचि लेने लगेंगे |
ReplyDeleteमाता पिता ,परिवार और समुदाय का बच्चो के प्रति सहयोग की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शिक्षको से अपेक्षा करते है।
ReplyDeleteमाता पिता, परिवार , और समुदाय का बच्चो के प्रति सहयोग की उतनी ही आवश्यकता है। जितनी की शिक्षकों से अपेक्षा करते हैं।
ReplyDeleteमाता-पिता एवं घर परिवार के लोगों के द्वारा बच्चों को समय पर स्कूल न भेजना उनके प्रति उदासीन होना घर के कामों के कारण उनकी घर पर शिक्षा को ध्यान ना देना सबसे प्रमुख कारण है।
ReplyDeleteइस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना उनकी साफ सफाई का ध्यान रखना बच्चों की समस्या का समाधान करना आदि बातें हैं।
मेरे विचार से इन सब बातों पर ध्यान दिया जाए और घर परिवार के लोगों से नियमित संपर्क करके इस समस्या से निपटा जा सकता है
पालकों से नियमित संपर्क करके तथा बच्चों की प्रगति की चर्चा करके उनका सहयोग लेना
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उन्हें नियमित विद्यालय में आने के लिए प्रेरित करने के लिए माता-पिता से संपर्क बनाएं ने के लिए कार्य योजना तैयार करनी होगी।
ReplyDeleteबच्चों की समस्या को समझ कर उनके माता- पिता को भी समझाना कि बच्चे की समस्या आपके सहयोग से ही दूर की जा सकती है क्योंकि बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय अपने माता- पिता के साथ व्यतीत करते हैं!
ReplyDeleteबच्चों की समस्याओं को समझ कर, पलकों के साथ मिलकर, समन्वय व सहयोग के माध्यम से बच्चों के सीखने स्तर के अनुसार, बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए, उचित शिक्षण योजना के द्वारा विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और बेहतर स्थिति प्राप्त की जा सकती है।
ReplyDeleteचूंकि बच्चो की प्रथम पाठशाला उनका घर ही होता है इसलिए बच्चो के प्रारंभिक विकास में अभिवाभक का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है विद्यालय में भी उनके सहयोग से बच्चो को समझने में और उनके विकास काफी मदद मिलती है
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमें बेहतर कार्य योजना तैयार करनी चाहिऐ।
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उन को नियमित रूप से विद्यालय में आने के लिए प्रोत्साहित करना वह कार्य योजना बनाना चाहिए
ReplyDeleteek shikshak ke roop main bachcho ko school lane ka har sambhaw prayas palakon ke sahyog se he se he ho sakta hai .
ReplyDeleteनियमित बच्चों को शाला लाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कि वह बहुत कुछ सीख सकें
ReplyDeleteअभिभावकों से बात करेंगे तो पालकों का भी शाला से रूबरू रूझान होगा शाला भी समय पर बच्चों को भेजेंगे, गतिविधियों में भी भाग लेंगे आनन्द आएगा, कहानी , घटना से सम्बंधित प्रश्न भी बतायेगे, पूछेंगे हमें मदद धीरे-धीरे मिलने लगेंगी, बच्चों में सुधार आएगा, रणनीति बनाकर विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला की ओर लाना होगा।कुछ अभिभावकों से बातचीत कर रहे है।मजदूरी पर गए लोगों से छात्रों की पढ़ाई बिदित हो रही हैl
छात्रों के स्तर की जांच कर उनको नियमित आने हेतु कोशिश करने के साथ पालकों से बातचीत कर योजना बनानी होगी।
बच्चों को विद्यालय से जोड़े रखने के लिये उनके अभिभावकों/माता-पिता से लगातार सम्पर्क बनाए रखना चाहिए।छोटी-छोटी गतिविधि जैसे बच्चों के स्तर की कहानियां सुनाने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।। यादवेंद्र सिंह सहायक शिक्षक शास.माध्यमिक विद्यालय कोठरा
ReplyDeleteपालकोंसे संपर्क कर नियमित रूप से बच्चों कोशालाआने हेतु प्रेरित करना होगा तथा जिन बच्चों का स्तर कमजोर है उनके लिए नई गतिविधियों के द्वारा स्तर मे सुधार करना होगा। इसके लिए पालको से सतत सम्पर्क बनाएं रखना चाहिए।
ReplyDeleteविशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ काम करने में भी शिक्षकों को अक्सर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैंसे उनका कक्षा में अन्य सामान्य बच्चों के साथ हिल मिल कर बैठ कर पढ़ना यानि सामंजस्य स्थापित करने की कठिनाइयां ,उनका अपेक्षाकृत शैक्षिक पिछड़ापन आदि।
ReplyDeleteऐसी स्थिति में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के माता-पिता से शाला में,घर पर या ऐसे अभिभावकों के विशेष उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित कर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की खूबियों के बारे में जानना,तथा उन्हें उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण जानकारियां देना, उन्हें विश्वास दिलाना कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सीखने की गति एवं क्षमताएं सामान्य से भिन्न होती है ,पर वे किसी से कम नहीं होते ,वे भी बहुत कुछ कर सकतें हैं यदि बालक,पालक,शिक्षक और समुदाय अपनी अपनी भूमिका का सही सही निर्वहन करें, यकीनन यह सभी की जिम्मेदारी होती है न कि अकेले शिक्षक की, अकेले अभिभावक या अकेले बच्चे की।
ज्वलंत उदाहरण देकर अभिभावकों का उन्मुखीकरण करना भी बेहतर रणनीति हो सकती है।
माता-पिता एवं पालक शिक्षक संघ से संपर्क बनाए रखें। इनके सम्पर्क में रहने से बच्चों की जानकारी दी जा सकती है ।
ReplyDeletePicture ke sala mein aane wale pratyek vastuon se vyaktigat mile aur sabhi ko Aisa mahsus Ho ki Shikshak Unse bahut pyar aur unke Bhale Ki Baat Karte Hain Netravati vyavhar karte hain tatha unhen School Ghar Parivar Jaisa mahaul Milta Hai To bacche ruchikar hokar School aaenge aur unke Mata Pita Se Jyada Shikshak Milte Hain To Hamesha bacchon ko protsahit karte hue bacchon ki padhaai mein madad karne ke liye kahan Jaaye bacchon ki samasyaon ko Ho aavi Bhagwan ko teacher Milkar solve Karen Samay Samay per abhibhavak kaun se Milte Rahe aur bacchon ki jankari lete aur dete Rahe pratyek baccha Sikh sakta hai aur Sabhi bacchon Mein alag alag sikhane ki pravritti hoti hai koi bacha dhimi Gati se sikhata hai aur Hamesha Yad Rakhta Hai To Koi baccha ki Pragati se sakta hai aur jaldi Bhul jata hai Hamen abhibhav ko batana chahie ki aapke Sahyog se Ham Aapke bacchon ka bhavishya banaa sakte hain
ReplyDeleteBacchon ke sarvangi Vikas ke liye Jitna Shikshak jimmedaar utna Palak bhi Hamen Palkon Ke Sath Milkar bacchon ki Pragati ke Marg ki Raste kholne Honge aur aapas mein Charcha Karke bacchon ki sthiti ko Samajh Kar use sudharna hoga
ReplyDeletePaalak v abhibhavko se sampark kar bachchhe ki ghar par vastvik stithi jaankar uska samaadhan kar sakte h.bachcha ptatidin kitna samay padhai kar raha h ye bhi jaankari lekar suniyojit saarani bana sakte h.avm kamjor bachcho ki kathinaeyo ko dur kar sakte h.
ReplyDeleteयह बहुत आवश्यक है कि छात्र-छात्राएं नियमित शाला उपस्थित होवे। ताकि इस बात का अवलोकन हो कि सभी को गुणवत्ता पूर्ण अध्यापन करवाते हुए उनके सीखने-समझने के स्तर का पता लगाकर आंशिक रूप से होशियार या कमजोर बच्चों के अभिभावकों से उनके स्तर के हिसाब से सम्पर्क कर बच्चों के स्तर में ओर उच्चतम सुधार की मार्गदर्शिका को केंद्र में रखते हुए आपसी अभिव्यक्ति का आदान प्रदान हो सके।साथ ही बच्चों को नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे एवं अभिभावकों के साथ निरन्तर संपर्क बनाए रखेंगे।
ReplyDeleteMata pita ko apne bachho ke sath rkhakar definitely jivan ki gun training ko lekar charcha karte rhna chahie .unke sath hat bajar ki yatra karaen chhote chhote kami me lagaen.
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उनको नियमित शाला में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके हमे बेहतर कार्य योजना बनानी चाहिए।
ReplyDeleteविभिन्न स्तर के विद्यार्थियों की पहचान कर उनके माता-पिता से नियमित संपर्क के द्वारा जानकारी प्राप्त करके स्कूल में विशिष्ट मार्गदर्शन द्वारा विद्यार्थियों के स्तर में सुधार किया जा सकता है
ReplyDeleteस्कूल में हम कई समस्याओं का सामना करते हैं |जैसे -1.बच्चों की उपस्थिति कम होना|2. बच्चों द्वारा होमवर्क करके ना लाना|3. बच्चों का साफ- स्वच्छ कपड़े पहनकर विद्यालय नहीं आना | तथा4. बच्चों के द्वारा शरारत करना |इन समस्याओं के समाधान के लिए हम अभिभावकों की बैठक रख सकते हैं| तथा पालक शिक्षक संघ की भी मदद ले सकते हैं पालक शिक्षक संघ और अभिभावकों से इस विषय पर हम बातचीत करेंगे |जिससे हमारी इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा और यह समस्या दूर हो जाएगी तथा हमारे बच्चों की पढ़ने की गुणवत्ता में काफी अंतर आएगा| तथा हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय बन जाएगा| अतः हम इस समस्या में अभिभावकों एवं पालक शिक्षक संघ की मदद लेंगे|
ReplyDeleteबच्चों की समस्याओं को समझ कर, पलकों के साथ मिलकर, समन्वय व सहयोग के माध्यम से बच्चों के सीखने स्तर के अनुसार, बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए, उचित शिक्षण योजना के द्वारा विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और बेहतर स्थिति प्राप्त की जा सकती
ReplyDeleteBacche niyamit School Nahin Aate yah bahut badi pareshani Hain bacchon ke vatavaran ko sikhane layak Banakar Ham Ko school mein le sakte hain
ReplyDeleteबच्चों का नियमित विद्यालय न आना एक प्रमुख समस्या है। अभिभावकों से चर्चा कर बच्चों को समय पर विद्यालय में भेजने हेतु प्रेरित करेंगे।बच्चों के साथ-साथ अभिभावक एवं पालक भी गतिविघियों में भाग लेकर कहानी आदि सुनायेंगे, जिससे बच्चों के साथ-साथ पालकों की भी रुचि जायेगी इससे बच्चों में भी सुधार आयेगा। इस तरह रणनीति बनाकर हम बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकते है।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
पालकों से सतत् संपर्क बनाए रखना चाहिए।उनकी समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त करना। बच्चों की समस्या को समझना जरूरी है और उसका समाधान पालकों से संपर्क कर समाधान ढूंढना।
ReplyDeleteREPLY
Unknown
बच्चों को नियमित रूप से शाला आने के लिए तथा सामान्य रूप से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर पालकों से संपर्क करना ।
ReplyDeleteसमस्याओं के समाधान के लिए हम अभिभावकों की बैठक रख सकते हैं| तथा पालक शिक्षक संघ की भी मदद ले सकते हैं पालक शिक्षक संघ और अभिभावकों से इस विषय पर हम बातचीत करेंगे |जिससे हमारी इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा और यह समस्या दूर हो जाएगी तथा हमारे बच्चों की पढ़ने की गुणवत्ता में काफी अंतर आएगा| तथा हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय बन जाएगा| अतः हम इस समस्या में अभिभावकों एवं पालक शिक्षक संघ की मदद लेंगे|
ReplyDeleteहमें विद्यालय में कई समस्याओं का सामना करना होता है कई माता-पिता जो अनपढ़ होते हैं और गरीब होते हैं वह शिक्षा के प्रति उदासीन रहते हैं ना तो है बच्चों से होमवर्क करने का बोलते हैं और ना ही नियमित बच्चों को शाला भेजते हैं उनसे बार-बार संपर्क भी करते हैं उनके पास मोबाइल नहीं है तो बार-बार घर जाना पड़ता है बच्चे घर पर नहीं मिलते जब स्कूल का टाइम होता है तब वह लोग या तो मजदूरी पर चले जाते हैं या कहीं बाहर निकल जाते हैं हमारा घर हमारा विद्यालय के दौरान उन लोगों से सतत संपर्क किया उन लोगों से गतिविधियों से जुड़ने के लिए कहा गया लेकिन उसमें सफलता बहुत कम मिली है साला परिवार की अवधारणा बहुत अच्छी है इसके द्वारा उनसे सतत संपर्क करके बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूकता पैदा करना हमारा ध्येय रहा है। गांव के परिवेश के कुछ समाचार शिक्षा के प्रति जागरूक हैं उन्हें हमने अपने से जुड़ा है जिससे बहुत कुछ सहायता मिली है आगे भी बच्चों को सदस्य लाने के लिए एवं पढ़ाई के प्रति जागरूक करने में अच्छी-अच्छी गतिविधियां जो बाल केंद्रित हैं उन पर फोकस किया जाएगा जिससे इस समस्या का हल हो सकता है
ReplyDeleteबच्चो के स्तर की पहचान करके उनको नियमित रूप से शाला लाना
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला में लाना होगा । अभिभावकों या माता पिता से मिलकर बच्चों को नियमित रूप से शाला में भेजने हेतु समझाइस देंगे । कमजोर बच्चों के साथ अधिक मेहनत करके सिखाने का प्रयास करेंगे । पालकों से भी शाला में समय देने ,शाला की गतिविधियों में भाग लेने को कहेंगे ।समय समय पर बच्चों की प्रगति से अवगत कराकर बच्चों के संबंध में बेहतर स्थिति प्राप्त की जा सकती है ।
ReplyDeleteAbhi Bhav ko se baat karke unke bachcho ke prakriya ke sath jankare dekar unka sahayog lena chahiye
ReplyDeleteपलकों से संपर्क कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है
ReplyDeleteविद्यालयों में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो अक्सर विद्यार्थियों पालकों तथा शाला ग्राम से संबंधित होती हैं इस हेतु शिक्षक पालक संघ सशक्त माध्यम है पालकों से चर्चा करने तथा समाधान के उपाय जानने के लिए
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उनकी दक्षता के अनुसार उन्हें सिखाना चाहिए उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमे बेहतर कार्योजना तैयार करनी समस्याओं के समाधान के लिए हम अभिभावकों की बैठक रख सकते हैं| तथा पालक शिक्षक संघ की भी मदद ले सकते हैं पालक शिक्षक संघ और अभिभावकों से इस विषय पर हम बातचीत करेंगे |जिससे हमारी इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा और यह समस्या दूर हो जाएगी तथा हमारे बच्चों की पढ़ने की गुणवत्ता में काफी अंतर आएगा| तथा हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय बन जाएगा| अतः हम इस समस्या में अभिभावकों एवं पालक शिक्षक संघ की मदद लेंगे|
ReplyDeleteएक शिक्षक के तौर पर हम देखते है कि माता-पिता एवं घर परिवार के लोगों के द्वारा बच्चों को समय पर स्कूल न भेजना उनके प्रति उदासीन होना घर के कामों के कारण उनकी घर पर शिक्षा को ध्यान ना देना सबसे प्रमुख कारण है
ReplyDeleteइस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना उनकी साफ सफाई का ध्यान रखना बच्चों की समस्या का समाधान करना आदि बातें हैं
बच्चों के स्तर की पहिचान करके उनको नियमित रूप से विद्यालय में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाने के लिए हमे बेहतर कार्योजना तैयार करनी होगी।।पलकों से संपर्क कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है
ReplyDeleteBachho or sikchhko k bich behtar talmel k liye aavshyak h ki palak bhi apni jimmedari sahi dhang se nibhaye bachho ko ghar pr atirikt karyo ka anawasyak dbav n bnaya jaye unhe ek behtar mahol diya jaye
ReplyDeleteBacchon ko niyamit Roop se Shala ki aur Lana hoga
ReplyDeleteविद्यालय में कक्षा में बच्चे का निरंतर न आना या घर पर रहकर छोटे भाई बहनों की देखभाल करना या उनका अन्य बच्चे की तुलना में सीखने का स्तर कम होना जैसी कई समस्याएं हमारे सामने आती है जिनका समाधान हम सभी की सुविधा अनुसार सर्वसम्मति से पालक अभिभावक शिक्षक बैठक कर के सभी बिंदुओं पर अभिभावकों से चर्चा कर समाधान कर सकते है उनसे निरंतर फोन से व परस्पर मिलकर भी उन्हें समस्या बताकर सहयोग के लिए कहना व बच्चे के लिए सुबह शाम समय देना उन्हें पढ़ने व विद्यालय रोज भेजने के लिए प्रेरित करना ,घर पर आनंदपूर्ण वातावरण बच्चें को देते हुए उनकी समस्या को सुनना व उसका समाधान करने की कोशिश कर ,हम व अभिभावक विद्यालय में हमारे व विद्यार्थी के समक्ष आने वाली समस्याओं का समाधान कर सकते हैं
ReplyDeleteहम
ReplyDeletePalak Shikshak Sangh ki baithak Pratima honi chahie vah balkon ki gatividhiyon per Charcha honi chahie
ReplyDeleteहम पालक से बातचीत करके बच्चो को ििनयमित
ReplyDeleteशाला भेजने के लिए कहे गे व कोशिश करेगे कि बच्चे का सर्वांगी ऩ विकास हो
बच्चों को नियमित विद्यालय नहीं आना उनके सीखने की गति को धीमा कर सकता है तथा उनके विद्यालय न आने के कारण जानकर उनकी परेशानियों के बारे में विचार साझा करेगे तथा हमारे बच्चों की पढ़ने की गुणवत्ता में सुधार आएगा तथा हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय बन जाएगा हम इस समस्या में अभिभावकों एवं पालक शिक्षक संघ की मदद ले लेगे।
ReplyDeleteSajhedari Sarthak
ReplyDeleteRajesh Kumar Patel
बच्चों का नियमित शाला न आना, सीखने की गति सामान्य से कम होना, बच्चों का अभिव्यक्ति न दे पाना ऐसी कई समस्याएं हैं जिनका हल अभिभावकों से बात चीत करके, उनके सहयोग से निकाला जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चे को अधिक क्रियाशील बनाना चाहिए ताकि वह हर काम करने के लिए सदा तैयार रहे।
ReplyDeleteबच्चे स्कूल नहीं आते हम पालको से संपर्क करेंगे और बच्चो को स्कूल आने के लिए प्रेरित करेंगे
ReplyDeleteबच्चे नियमित शाला नही आने से बच्चें का शाला की गतिविधियों में शामिल न होने से समझने में भी परेशानी होने लगती हैं। बच्चे को नियमित शाला लाने के लिए पलको से सम्पर्क कर उनके सामनेअपनी बात रखने की कोशिश करेंगे। बच्चें, पालक और शिक्षकों तीनों मिलकर नौनिहालों के भविष्य को उज्जवल बनाने का प्रयास करेंगे।
ReplyDeleteबच्चे नियमित विद्यालय नहीं आते हैं बच्चों के माता-पिता से संपर्क कर उन्हें नियमित विद्यालय बुलाया जा सकता है तथा उनके माता-पिता के सहयोग से उनके सीखने की गतिविधियों में सुधार लाया जा सकता है।
ReplyDeleteहम अभिभावक से बात करके छात्र को नियमित विद्यालय आने के लिए प्रोत्दहित् करेंगे ।
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला आने के लिए प्रेरित करना तथा सामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्र छात्राओं के अभिभावकों से नियमित संपर्क करते रहना चाहिए ।
ReplyDeleteसमस्याएं तो बहुत आती हैं परंतु खास समस्या बच्चों का नियमित स्कूल नाआना और गृह कार्य पूर्ण ना कर पाना है इन समस्याओं को हल करने के लिए माता-पिता से सतत संपर्क करते हुए उन्हें स्कूल और शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल करना यदि उनकी भागीदारी शैक्षणिक गतिविधियों में रहेगी तो उनको यह ज्ञात रहेगा कि बच्चों की आवश्यकता क्या है बच्चे क्या सीख रहे हैं और बच्चों को क्या सिखाना है, समुदाय के शिक्षित नवयुवक को भी हम शैक्षिक गतिविधियों में भागीदारी हेतु प्रेरित कर सकते हैं जिससे इन समस्याओं के निराकरण में बहुत सहयोग मिल सकता है।
ReplyDeleteबच्चो का नियमित रूप से विद्यालय में आना
ReplyDeleteबच्चा परिवार से ही बहुत कुछ सीखता है बहुत ही भाषा विज्ञान वहीं से अर्जित करता है एवं अपने जीवन में उपयोग करता है इसलिए जो हमें समझाने या बच्चों को याद कराने में कुछ समस्याएं होती है तो उन्हें हम परिवार माता पिता अभिभावक क्यों उनके यहां पर पढ़े लिखे हो उनसे सहयोग लेकर के समस्याओं का समाधान किया जा सकता है इसमें विशेष रूप से बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए कठिनाई का आसानी से हल किया जा सकता है।
ReplyDeleteगिरवर सिंह लोधी पीएस राजपुर
इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना
ReplyDeleteजिन बच्चों का शैक्षणिक स्तर कमजोर है उन बच्चों के माता-पिता से मिलकर उनका शैक्षणिक स्तर बढ़ाने का प्रयास करेंगे गतिविधियों के माध्यम से तथा बालकों को भी घर पर बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से उनका शैक्षणिक स्तर बढ़ाने मैं मदद लेंगे जिससे बच्चे का शैक्षणिक स्तर तेजी से बढ़े तथा बच्चे को प्रतिदिन नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे वह पलकों को भी बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए कहेंगे
ReplyDeleteआने के लिए तथा सामान्य रूप से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर पालकों से संपर्क करना ।
ReplyDeleteछात्रों को आकर्षित करने के लिए खेल या गतिविधियां कराई जा सकती है ।
ReplyDeleteराघवेंद्र राजेश चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी। विद्यालय मैं कक्षा में बच्चे का निरंतर ना आना या घर पर रहकर छोटे भाई बहनों की देखभाल करना या उन काम अन्य बच्चों की तुलना में सीखने का स्तर कम होना जैसी कई समस्याएं हमारे सामने आती हैं जिनका समाधान हम सभी पालक और शिक्षक मिलकर कर सकते हैं तथा हमें यह ज्ञात रहे कि बच्चे की क्या आवश्यकता है बच्चे क्या सीख रहे हैं और बच्चों को क्या सिखाना है आदि बातों को ध्यान में रखकर हम बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteकोई बच्चा कक्षा में शान्त रहता है और किसी भी ऐक्टिविटी में सहभागिता नहीं करता तो उसके पाल्को से समपर्क कर उसकी इस समस्या का समाधान करने में काफ़ी मदद मिलती है और उसे सिखाना आसान हो जाता
ReplyDeleteविद्यालय में अक्सर परेसनिया बनी रहती है जैसे बच्चे स्कूल नियमित रूप से नहीं आते है खुलकर सामने बोल नहीं पाते हैं कुछ बच्चे अटक- अटक के बोलते हैं कुछ तो होमवर्क नहीं करते है जैसे स्कूल से गये वैसे ही दूसरे दिन स्कूल आ जाते हैं इससे अधिक से अधिक अभिभावकों को जोड़ना होगा, लगातार उनसे संपर्क करना होगा बच्चे के बारे में चर्चा करना चाहिए ताकि माता पिता को भी पता चल सके और अपने बच्चो की पढ़ाई की स्तर सुधारने मे सहयोग मिल सके आदि l
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में सबसे महत्वपूर्ण समस्या यहा पर आती हेई कि हर पालक एक साथ बच्चो को प्रतिदिन विद्यालय नही भेजते हर दिन 1 hour देरी से आना व् पालक से सम्पर्क करना उनके द्वारा भी शिक्षा के प्रति जागरूक नही होना ही एक समस्या है /जब पालक से सम्पर्क किया जाता है कुछ समय टॉप छात्र विद्यालय आता है उसके बाद पालक उसको घर के काम में लगा लेते है जिससे जो छात्र पठाना भी क्झाता वह नही पथ पाता है ईएसआई कितनी ही समस्या आती है ,एन समस्या का एक ही हल है सरकारी योजना ओ का लाभ बंद कर देना चाहिए जब तक पालक बच्चो को विद्यालय नही प्रतिदिन भेजने लग जाये \
ReplyDeleteगतिविधियों के माध्यम से तथा बालकों को भी घर पर बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से उनका शैक्षणिक स्तर बढ़ाने मैं मदद लेंगे जिससे बच्चे का शैक्षणिक स्तर तेजी से बढ़े तथा बच्चे को प्रतिदिन नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे वह पलकों को भी बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए कहेंगे
ReplyDelete18, 2021 at 4:27 AM
ReplyDeleteएक शिक्षक के तौर पर हम देखते है कि माता-पिता एवं घर परिवार के लोगों के द्वारा बच्चों को समय पर स्कूल न भेजना उनके प्रति उदासीन होना घर के कामों के कारण उनकी घर पर शिक्षा को ध्यान ना देना सबसे प्रमुख कारण है
इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए विद्यालय प्रबंधन और शिक्षक का यह कर्तव्य है कि घर के बड़े बुजुर्गों से या उनके माता-पिता से संपर्क करके बच्चों को नियमित समय पर स्कूल भेजना उनकी साफ सफाई का ध्यान रखना बच्चों की समस्या का समाधान करना आदि बातें हैं
बच्चों को नियमित रूप से शाला मे बुलाने हेतु उनके पालको को प्रेरित करना चाहिए, बच्चों में सुधार आ सके।
ReplyDeleteJayadatar absent rhne wale bacho ki samsya, parents ka bacho ko school na bhejna,bacho ko sath me kam pr le jana ,palko ka bacho pr dhyan na dena is prakar ki kai samsyao ka samna krna pdta h. Abhibhavak or samuday ko is kam k lie aage ana chahie.inki sehbhagita se hi bacho ka sarvangin vikas or fln ka uddeshya pura ho sakega.
ReplyDeleteBachcho me jo bhi kamiyan hai unki pahchan kar ham palkon se sampark karke unki kami ke bare vibhinna prakar ke sudhav parada karke unki kamiyaon ko dur kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteकई बार बच्चे समय पर एवं नियमित स्कूल नहीं आते हैं। कई बार बच्चे गृह कार्य भी पूरा करके नहीं आते।बच्चों के अभिभावकों से बात कर बच्चों को नियमित स्कूल लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं एवं विद्यालय प्रबंधन की सहायता से विद्यालय में कई गतिविधियां कराकर बच्चों की पढ़ाईमें रुचि बढ़ाई जा सकती है
ReplyDeleteसामान्य se kam Gati se sikhane Wale chhatron Ki pahchan Kar abhibhavak ko se Unki sthiti sajakar atirikt Prayas karne Honge Palkon Ke prayog prapt Karen
ReplyDeleteबच्चों का विकास शाला के साथ साथ परिवार पर भी निर्भर करता है इसलिए विकास को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए परिवार से माता पिता और अभिभावकों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है शाला की प्रमुख समस्या बच्चों का नियमित ना आना है क्योंकि माता पिता रोजगार हेतु बाहर चले जाते है और बच्चों को भी अपने साथ ले जाते है इस विषय पर माता पिता को बुलाकर चर्चा करेंगे उन्हें बच्चों के भविष्य को लेकर हर पहलू पर समझायेंगे । जिससे बच्चों का नियमित शाला में आना प्रारंभ हो सके।
ReplyDeleteबच्चों की नियमित उपस्थिति हेतु अभिभावकों से सम्पर्क कर विद्यालय में उपस्थिति बढ़ाई जा सकती है। बच्चों के साथ खेल गतिविधियों में सहभागिता कर उनकी सीखने समझने की क्षमता में विकास किया जा सकता है। अभिभावकों द्वारा कहानियों के माध्यम से उनकी प्रश्न पूंछने एवं उनकी जिग्यासाओं का समाधान कर सकते हैं।
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में हम जिन समस्याओं का सामना अक्सर करते हैं उनमें है
ReplyDelete1 बच्चों का नियमित रूप से शाला ना आना।
2 माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को अपने साथ काम पर ले जाना।
3 गृह कार्य देने पर दूसरे दिन शाला ना आना। 4 बच्चों के पास शैक्षणिक सामग्री का ना होना।
इन समस्याओं के लिए शाला प्रबंधन एवं शिक्षक पालकों से संपर्क कर समाधान प्राप्त कर सकते हैं। बच्चों की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान कर सुझाव दे सकते हैं।बच्चों के शाला न आने अथवा अन्य समस्याओं से क्या हानि हो सकती है इस पर चर्चा करना ।शाला प्रबंधन मासिक होने वाली बैठकों में ऐसे बच्चों की जानकारी प्रदान करते हुए उनके पालकों से अपने स्तर पर सुझावात्मक बातें करते हुए पालकों को समझाइश देने हेतु सहयोग ले सकते हैं । शाला में पालकों की बैठक आयोजित कर बच्चों की उपलब्धि स्तर एवं अन्य क्रियाकलाप पर चर्चा कर सकते हैं। ऐसे पालक जिनके बच्चे घर के कार्य में भी लगे होते हैं उन्हें यह समाधान देना की अपने बच्चों को एक पाली में अथवा कक्षा प्रारंभ हो जाने पर भी शाला अवश्य भेजें। पालको से संपर्क कर अथवा बैठकों में यह समाधान बताना कि आप प्रतिदिन समय निकाल कर एक घंटा बच्चों के साथ अध्यापन कार्य में सहयोग करें ऐसे पालक जो अध्यापन नहीं करा पाते तो भी वे बच्चों के साथ अवश्य बैठ कर गृह कार्य एवं प्रदान किए जाने वाले कार्य पर चर्चा कर उन्हें कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे ।धन्यवाद।
बच्चो को प्रतिदिन स्कुल भेजना चाहिए एवं अभिभावको को चाहिए कि वह भी अपने बच्चे की उपलब्धि का स्तर समय समय पर शिक्षक से सम्पर्क कर पता करना चाहिए कि बच्चे की सिखने कि प्रक्रिया मे बाधा तो नही है
ReplyDeleteअभिभावकों से संपर्क कर उनसे कहना है कि वह नियमित रूप से बच्चों को शाला भेजने में सहयोग करें और, साथ में है वह क्या पढ़ता है इस बात का ध्यान रखें और उसका सहयोग करें या ध्यान रखें।
ReplyDeleteअभिभावकों से बच्चों के विषय में बातचीत करते समय इस बात का एहसास अभिभावकों को जरूर दिलाना चाहिए कि बच्चों के प्रति जितनी आपको चिंता है कहीं उससे ज्यादा हम शिक्षकों को है जिस प्रकार से आप लोग उसके खाने-पीने का समय-समय पर ध्यान रखते हैं उसी प्रकार हम भी बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए चिंतनशील रहते हैं इसी वजह से हम समय-समय पर आप से भी संपर्क करते हैं कि बच्चा विद्यालय नहीं पहुंच पाया तो क्यों नहीं पहले हम साथी बच्चों से बात करते हैं फिर आपसे संपर्क करते हैं
ReplyDeleteमेरा अनुभव है की बच्चे और अभिभावक से निरंतर संपर्क बनाए रखने पर एक दिन अभिभावक स्वता बच्चे पर इतना ध्यान रखने लगता है कि वह अपने काम के साथ-साथ बच्चा स्कूल जा रहा घर से निकलने के बाद स्कूल तक पहुंच पा रहा कि नहीं इसका भी आकस्मिक निरीक्षण अथवा जानकारी लेते हुए कभी-कभी विद्यालय भी आ जाते हैं
Vidyalay mein Palko ki bhagidari sunishchit karne me ya Sarthak Banane mein Sabse Badi samasya yah Hai Ki ki Palak jyadatar majdur varg Ke Hain ya Kisan hai to un Logon ke pass Itna Samay nahin hai ki vah Vidyalay Aakar bacchon ke sath gatividhi kar sake yah baithak mein sammilit ho sake dusri samasya hai ki jyadatar Palak Anpadh ya kam padhe likhe Hain Is vajah Se vah bacchon ke sath gatividhiyon Mein Shamil Nahin ho paate yah Vidyalay aane mein sankoch prakat Karte Hain Ham unhen Aage laane ka Prayas Bhi Karte Hain To vah nahin karna chahte
ReplyDeleteछात्रों के पालकों को छात्रों की प्रगति बताते हुए उन्हें सहयोग हेतु प्रेरित करना ही smcकी मीटिंग्स का लक्ष्य है, मीटिंग माह मे कम से कम एक बार वा आवश्यक होने पर अधिक बार रखी जाती है,। इसमें शाला के उपलब्ध संसाधनों वा आवश्यकताओं पर भी चर्चा होती है।
ReplyDeleteकोई बच्चा कक्षा में शान्त रहता है और किसी भी ऐक्टिविटी में सहभागिता नहीं करता तो उसके पाल्को से समपर्क कर उसकी इस समस्या का समाधान करने में काफ़ी मदद मिलती है और उसे सिखाना आसान हो जाता है ताकि छात्र सिखने में रुचि पैदा हो.........
ReplyDeleteजो बच्चे ज्यादा दिन अनुपस्थित रहते हैं उनके माता-पिता से संपर्क कर बच्चों को नियमित रूप से शाला आने के लिए कहेंगे तभी बच्चों का कौशल विकास होगा । उन्हें बताएंगे कि रोज स्कूल आने से उनका शारीरिक मानसिक विकास होगा और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा जिससे मैं अपने बारे में निर्णय लेने में सक्षम बनेंगे।
ReplyDeleteभाऊराव धोटे सहायक शिक्षक
ReplyDeleteE PES शा माध्यमिक शाला लिहदा (मुलताई) बैतुल
जो बच्चे किन्ही कारणों से सामान्य रूप से सीखने में पिछड जाते है उनकी वजह का पता लगाकर उनके पालको से सम्पर्क कर उनसे उचित और पर्याप्त सहयोग लेकर उन बच्चों को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता हैं।ऐसे बच्चों के पालको से सतत रूप से सम्पर्क करना जरुरी होता है।
बच्चों के स्तर की पहचान करके उनको नियमित विद्यालय में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके हमें बेहतर कार्य योजना बनानी होगी ।सामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर अभिभावकों से भी उनकी स्थिति साझा पर अतिरिक्त प्रयास करने होंगे पलकों का सहयोग प्राप्त करेंगे ऐसे छात्रों को अतिरिक्त समय और अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होगी ।
ReplyDeleteHamare Vidyalay ke Kshetra Mein Ham dekhte hain ki adhikansh abhibhavak majduri karne Jaate Hain unke bacche Pratidin School Nahin aap paate hain kabhi kabhi bacche sala main let Aate Hain Kuchh Palak Anpadh Hote Hain jisse vah Apne bacchon Ko ghar per Nahin padha paate Hain Aise sthiti Mein unke bacche Shiksha Mein pichad Jaate Hain aur Shikshak ko unke Sath bahut mehnat karni padati hai is samasya Se nipatne Ke Liye ham Palko se bar bar phone karke Sampark karte hain aur unhen bacchon ki sthiti ke bare mein avgat Karate hi Kai bar Hamen Palko se Sampark karne unke Ghar Jana padta hai Is Tarah Ham Hamari sala ki is samasya ka Samadhan kar paate Hain
ReplyDeleteकुछ बच्चे नियमित स्कूल नही आते हैं। कुछ बच्चे समय पर उपस्थित नही होते हैं। कुछ बच्चे बिना पेन, पेन्सिल आदि के बिना आते हैं। SMC/PTM की बैठक मे ऐसे बच्चों के माता पिता से इन परेशानियों पर नम्रतापूर्वक चर्चा कर उनसे इन समस्यओं के निराकरण के लिए सहयोग लेंगे।
ReplyDeleteबच्चों की प्रथम गुरु मां होती है बच्चे नियमित रूप से शाला ना आने से उनके सीखने की गति में बाधा पड़ती है , बच्चे अभिव्यक्ति नहीं कर पाते इस प्रकार की अनेकों समस्या है जिसका उपाय अभिभावकों वालों को से बातचीत करके उनके सहयोग से निकाल सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चा को नियमित - शाला भेजने एवं धीमी गति से सीखने वाले बच्चो . के अभिभावको से बातचीत करना
ReplyDeleteजो बच्चे ं सामन्य रूप से किन्हीं कारणों से पिछड़ जाते है उनकी वजह का पता लगा कर उनके माता- पिता से सहयोग लेकर उन बच्चे को उस स्तर तक पहचाना जा सकता है ऐसे बच्चों के माता- पिता से सतत् सम्पर्क करते रहना चाहिए l
ReplyDeleteजो बच्चे सामान्य रूप से किन्ही कारणों से पिछड़ जाते हैं। उनकी वजह का पता कर उनके माता पिता से सहयोग लेकर उन बच्चे को उस स्तर तक पहचाना जा सकता है। ऐसे बच्चो के माता पिता से सतत् संपर्क करते रहना चाहिए।
Deleteमैं अनुराधा सक्सेना सहायक शिक्षिका एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला माधवगंज क्रमांक 2 प्राथमिक खंड विदिशा मध्य प्रदेश प्रश्न अनुसार परेशानियों के बारे में विचार निम्न है जिनका सामना हम विद्यालय में करते हैं जिससे बेहतर स्थिति प्राप्त हो सके सर्वप्रथम गलती यह है कि कुछ परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं तो वह पढ़ाई का अर्थ ही नहीं समझते कुछ माता-पिता अभिभावक बच्चों को नियमित स्कूल नहीं भेजते हैं घर के कार्यों में लगा लेते हैं मजदूरी में लगा लेते हैं इसलिए बच्चों का शिक्षा पर ध्यान नहीं होता है जैसे तैसे विद्यालय में प्रवेश तो हो जाता है परंतु नियमित स्कूल नहीं आने के कारण उनकी नींव कमजोर हो जाती है ऐसे कमजोर बच्चों की सूची हमें तैयार करना है और उनके पालकों से बार-बार संपर्क करते हुए उन्हें बताना होगा कि पढ़ाई का क्या अर्थ है उन पर हमें अधिक ध्यान देना है और नियमित अभ्यास के लिए उन्हें समय देने के लिए संपर्क करना होगा बच्चों को स्कूल भेजने हेतु अभिभावकों को समझाना होगा जो बच्चे शाला में नियमित आते हैं उनकी स्थिति अच्छी होती है जो बच्चे शाला में लिखते नहीं हैं उनके बारे में भी पालकों से संपर्क कर समझाने हेतु कहा जा सकता हो जो बच्चे ज्यादा शैतान होते हैं उनके बारे में भी पलकों को बताया जाए तो हमें मदद मिलेगी क्योंकि बच्चे माता पिता एवं अभिभावकों का भी कहना ज्यादा मानते हैं जो बच्चे ज्यादा अनुपस्थित रहते हैं उनको माता-पिता से संपर्क कर बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय लाने के लिए कहेंगे तभी बच्चों का कौशल विकास होगा और पढ़ाई पूर्ण कर बच्चा रोज शाला आएगा तो उसका मनोबल बढ़ेगा शारीरिक मानसिक विकास होगा आत्मविश्वास बढ़ेगा हीन भावना नहीं आएगी यह बात अभिभावकों को बताना जरूरी है ताकि बच्चा पढ़ाई पूर्ण कर सके और आगे बढ़े परिवार के लोग माता-पिता अभिभावक के सहयोग से या समुदाय के सहयोग से सब समस्याओं का समाधान हो सकता है हमें बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है तो उन्हें हर तरीके से समझाना होगा तभी हमारा लक्ष्य पूर्ण होगा और बच्चा भी पढ़ सकेगा धन्यवाद सहित
ReplyDeleteKuchh bachche kaksha me shant hote hai,niymit shala nahi aate, unka karan jankar palko se es vishay par charcha kar uska samadhan nikalenge
ReplyDeleteसामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर अभिभावकों से भी उनकी स्थिति साझा करअतिरिक्त प्रयास करने होंगे पलकों का सहयोग प्राप्त करेंगे ऐसे छात्रों को अतिरिक्त समय और अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होगी
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला की ओर लाना होगा। अभिभावकों से बातचीत कर मजदूरी पर गए लोगों से छात्रों की पढ़ाई के बारे में उनकी शैक्षिक कार्य में आरही रुकावट परेशानियों से अवगत हुआ जा सकता है।
कोई बच्चा कक्षा में शान्त रहता है और किसी भी ऐक्टिविटी में सहभागिता नहीं करता तो उसके पलकों से समपर्क कर उसकी इस समस्या का समाधान करने में काफ़ी मदद मिलती है और उसे सिखाना आसान हो जाता है।
कमजोर स्थिति वाले बच्चों की पहचान कर की स्थितियां पालक से साझा करना पड़ेगी और उनके लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होगी पीटीएम मीटिंग आयोजित कर अभिभावकों को गतिविधियों से जोड़ना होगा ताकि अभिभावक गतिविधियों से परिचित होने पर बच्चों को घर पर भी एक्टिविटी करा सकेंगे
ReplyDeleteछात्रों की शाला में उपस्थिति और शाला के शिक्षकों के द्वारा उन्हें दिए गए ग्रहकार्य का समय पर पूर्ण होना और शाला के उपरांत घर पर भी उनकी पढ़ाई की देखरेख जैसी कई समस्याओं का समाधान पालकों से सम्पर्क कर और उन्हें अपनी परेशानी बता कर निकाला जा सकता है।
ReplyDeleteJo bachche niyamit roop se schoo nahi aate he unke palko se Milkar is bare me bat karna ab ati aawasyak ho gaya he
ReplyDeleteकुछ बच्चों की सीखने की प्रक्रिया धीमी(परिस्थिति और वातावरण के कारण) होती है।उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के साथ उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। अतः शिक्षकों द्वारा स्वयं समझकर पालकों को भी उचित मार्गदर्शन करना चाहिए।
ReplyDeletePareshani yah hoti hai ki bacche school nahin aate Hain aakarshak vatavaran badhakar ham bacchon Ko akarshit kar sakte hain
ReplyDeleteअभिभावकों से सम्पर्क कर हम उनसे छात्र की आदतो उसके व्यवहार के बारे में जानकारी लेकर कक्षा में छात्र को सीखाने मे उसका उपयोग कर सकते हैं।
ReplyDeleteअभिभावकों से संपर्क कर हम उनसे छात्र की आदतों उसके व्यवहार के बारे में जानकारी लेकर कक्षा में छात्र को सिखाने में उसका उपयोग कर सकते हैं
ReplyDeleteकम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर पालको कासहयोग लेंगे जो बच्चे अनुपस्थित रहते हैं उनके माता-पिता से नियमित हेतु संपर्क बनाएंगे
ReplyDeleteमाता-पिता से संपर्क कर बच्चों को नियमित रूप से साला आने के लिए कहेंगे
ReplyDeleteकक्षा में जो बच्चे अच्छा पढ़ते हैं और जो बच्चे कम समझ पाते हैं दोनों स्तर के बच्चों के माता-पिता से निरंतर संपर्क बनाते हुए उनसे उस गतिविधि पर चर्चा करें जो हम काश में कराते हैं जिससे वो भी बच्चे को घर पर पढ़ने का वही माहौल दे सके। इससे उसके सीखने में प्रगति होगी।।
ReplyDeleteपालको से बातचीत करके समस्या का समाधान कर सकते हैं
ReplyDeleteविद्यालय में हम कई प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं जैसे बच्चों का विद्यालय निरंतर ना आना या उनका अध्ययन में रुचि ना लेना , घर ऑर ना पढ़ना, होमवर्क ना करना, किसी सब्जेक्ट
ReplyDeleteमे रूची कम लेना आदि अनेक प्रकार की समस्याएं हैं जिनका समाधान हम माता पिता बड़े भाई बहन एवं अभिभावक तथा शाला प्रबंधन समिति के सहयोग से कर सकते हैं हमें विद्यालय में पालक शिक्षक संघ की बैठकों का नियमित अंतराल पर करना होगा एवं पालकों की सहायता लेनी होगी ताकि वह अपने बच्चों को नियमित स्कूल भेजें एवं घर पर ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चों में पढ़ने लिखने के प्रति रुचि जागृत हो एवं वह बेहतर तरीके से सीखे और पाठशाला के प्रति प्रेम और रूची बढ़े।
जगदेव प्रजापत शा प्रा वि थुल्यापानी
विद्यालय की आधी समस्या विद्यार्थियों की अनियमित उपस्थिति है |जो पालकों
ReplyDeleteऔर समुदाय में शिक्षा के प्रति जागरुकता के अभाव को प्रदर्शित करता है |अगर इनका सहयोग मिल जाए तो बच्चों का स्तर सुधरने में देर नहीं लगेगी पलायन भी एक समस्या है |
शिक्षक, पालक और सरकार के सहयोग से ये सभी समस्याएं हल की जा सकती हैं |RRP पिपरियाकला
बच्चों के अस्तर की पहचान करके उनको नियमित विद्यालय में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके हमें बेहतर कार्य योजना बनानी होगी धन्यवाद
ReplyDeleteकोई बच्चा कक्षा में शान्त रहता है और किसी भी ऐक्टिविटी में सहभागिता नहीं करता तो उसके पाल्को से समपर्क कर उसकी इस समस्या का समाधान करने में काफ़ी मदद मिलती है और उसे सिखाना आसान हो जाता है|
ReplyDeleteबच्चों को नियमित रूप से शाला लाना चाहिए जिसके लिए उनके माता पिता को प्रोत्साहित करे
ReplyDeleteशिक्षकों और अभिभावकों के बीच संवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि बच्चे के पूर्ण विकास में मददगार है जैसे की हम विद्यालय में देखते हैं कि अधिकतर बच्चे ज्यादा दिनों तक अनुपस्थित रहते हैं तो हमें करना क्या है कि हमें उन्होंने अभिभावकों से संपर्क करना है और बच्चों को नियमित आने के लिए कहना है और कोशिश करना है कि हम बच्चों को उनके अंदर की जो क्वालिटी है या बच्चों की जो सीखने की क्षमता है उस पर आधारित ही उनको शिक्षा कार्य कराएं और उनमें कौशल का विकास जरूर करें जिसे हो सकता है कोई बच्चा पेंटिंग बहुत अच्छा करता है कोई बच्चा गाने बहुत अच्छे गाता है कोई बहुत अच्छी-अच्छी कविताएं लिखता है और भी कई प्रकार की ऐसी प्रोजेक्ट कार्य जो कि हम बच्चों को देते हैं वह बहुत लगन के साथ करते हैं हमें सिर्फ उनको इस दिशा में और इस दिशा में ले जाने की आवश्यकता है जिससे क्या होगा बच्चे रोज स्कूल में आएंगे और उनका मानसिक शारीरिक विकास होगा साथ में उनमें कौशल का विकास होगा जिससे कि उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा और निर्णय लेने के लिए सक्षम बन सकेंगे और शिक्षण को बेहतर आयाम पर ले सकते हैं इसीलिए अभिभावकों के साथ शिक्षकों का परस्पर संवाद आवश्यक है जिससे कि हम बच्चों के पैरंट्स के साथ उनके परिवेश को भी जान सकें और उनके साथ बातचीत कर कर यह उनके साथ बैठकर हम बच्चों की विभिन्न क्षेत्रों के बारे में चर्चा कर सकते हैं और उन्हें और बेहतर करने का प्रयास कर सकते हैं धन्यवाद
ReplyDeleteमैं वैदेही त्रिपाठी
शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश)🙏🙏
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके उनको नियमित विद्यालय में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके हमें बेहतर कार्य योजना बनानी होगी ।सामान्य से कम गति से सीखने वाले छात्रों की पहचान कर अभिभावकों से भी उनकी स्थिति साझा पर अतिरिक्त प्रयास करने होंगे पलकों का सहयोग प्राप्त करेंगे
कमजोर और कम उपस्थित वाले बच्चों के माता-पिता से संपर्क कर, बच्चों को समान्य ढर्रे पर लाना और उपचारात्मक शिक्षा देना, परिवार की स्थिति व सामाजिक स्थिति के आधार पर शैक्षिक व्यवहार करना आदि।
ReplyDeleteशिक्षक शिक्षिका के रूप में हमें सबसे पहली कठिनाई आती है की बच्चा रोज स्कूल नहीं आ पाता इससे वह अपनी मूलभूत दक्षता हासिल नहीं कर पाता एफ एल एन के माध्यम से हम अभिभावक व शिक्षकों के बीच में आपसी व्यवहार और समाज से बच्चों को नियमित शाला तथा बच्चों की प्रोग्रेस से अवगत करा सकते हैं जिससे हमें बच्चे के एफ एल एन कौशल को आसानी से हासिल कर पायेंगे।
ReplyDeleteजो बच्चे स्कूल कम आते हैं उनके माता-पिता से संपर्क करके स्कूल ना आने का कारण पता लगाते हैं तथा जो बच्चे स्कूल तो आते हैं लेकिन उन्हें कम समझ में आता है उसके बारे में उनके माता-पिता से बात करते हैं जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा तथा बच्चे अपने बारे में स्वयं निर्णय लेने के लिए सक्षम हो सके तथा तथा माता-पिता से बच्चों के गृह कार्य तथा स्कूल का कार्य दोनों का ध्यान देने को कहेंगे
ReplyDeleteअभिभावको को बच्चो नियमित विद्यालय भेजना चाहिए | शिक्षको को बच्चो के अनुरूप उन्हे सिखाना चाहिए |
ReplyDeleteबच्चों के स्तर की पहचान करके अभिभावकों से निरंतर संपर्क करना चाहिए
ReplyDeleteसीखने में कमजोर बच्चे विद्यालय आने में भी कतराते हैं। अतः उनके साथ शिक्षकों के साथ ही साथ परिवार के सदस्यों का सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार होना चाहिए।
ReplyDeleteजो बच्चे कक्षा में कम भागीदारी करते है,हमेशा पीछे रहते है ऐसे बच्चो के माता पिता से चर्चा करके उनको कक्षा में होनेवाली गतिविधियों में उनको सम्मालित करने के प्रयास करने चाहिए।
ReplyDeleteअभिभावक शिक्षा व्यवस्था में बेहतर सुधार हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी है, जो बच्चों के शैक्षणिक विकास में बहुत ही मददगार साबित होते है।
ReplyDeleteफिर वो चाहे बच्चों की नियमितता हो, उपस्थिति हो, शैक्षणिक विकास हो, संसाधन उपलब्ध करवाना, बच्चों के स्वस्थ आदि समस्त गतिविधियों में अभिभावकों की बहुत ही महती भूमिका रहती है।