श्रीमती राघवेंद्र राजूजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
बच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाती हूं ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके शशि सोनी उज्जैन
बच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाती हूं ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके
बच्चे को अच्छा सीखने का अवसर प्रदान करते हैं। ... सामाजिक परिवर्तन के बारे में होते हैं, बच्चों में सहानुभूति और समुदाय के प्रति कर्तव्य की भावना को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं प्रेम सिंह यादव
बच्चों को अपने परिवेश से वातावरण में चोट वस्तुएं हैं तथा ब्लॉक और चार्ट आदि की सहायता से उनसे बात करके उनकी जिज्ञासा को दूर करके तथा गतिविधियां करवा के सामूहिक खेल के द्वारा सीखने की प्रक्रिया पर काम करेंगे
कमलेश कुशवाहा शासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा जिला पन्ना बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सृजित कर खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं तभी बच्चे खेल खेल में सीख भी जाएंगे और थाकेंगे भी नहीं
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।
बच्चों को अपने परिवेश से वातावरण में चोट वस्तुएं हैं तथा ब्लॉक और चार्ट आदि की सहायता से उनसे बात करके उनकी जिज्ञासा को दूर करके तथा गतिविधियां करवा के सामूहिक खेल के द्वारा सीखने की प्रक्रिया पर काम करेंगे. जलालअंसारी प्राथमिक शिक्षक
बच्चो को उनके स्वयं के परिवेश के मुताबिक और उनकी जिज्ञासा के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाएंगे जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो और वो आसानी से समझ पाए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाए जायेंगे
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सृजित कर खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं तभी बच्चे खेल खेल में सीख भी जाएंगे और थाकेंगे भी नहीं
बच्चों को अपने परिवेश से वातावरण में चोट वस्तुएं हैं तथा ब्लॉक और चार्ट आदि की सहायता से उनसे बात करके उनकी जिज्ञासा को दूर करके तथा गतिविधियां करवा के सामूहिक खेल के द्वारा सीखने की प्रक्रिया पर काम करेंगे
Bachcho ko ham bibhinna prakar ke khelon evam samoohik gatividhiyon ke dwara sikhate hai. Bachcho jyadatar unhi ke ruchi ke anusar gatividhi ko karakar sikhate hai jisase bachche jaldi seekhate hai.
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
Bachcho ke sikhane ke liye kaksha ka vatavaran bhaymukt hona jaruri hai sath hi ek anandit vatavarn ho jisme bachche bejhijak hokar apni bat kah sake taki shikshk bachche ki ruchi aruchi jankar gatividhi taiyar kar khel khel me bachcho ko sikh sake.
दिलीप कुमार शर्मा शा.प्रा.वि.मोहनपुरा का पुरा जन शिक्षा केंद्र शा.उ.मा.वि.करनवास वि.ख .राजगढ़ (म. प्र.) सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके इस प्रकार है - बच्चों को उन्हीं की रूचि के अनुसार खेल सृजित कर शिक्षक खेलकूद गतिविधियाँ करवाएं एवं बच्चों के परिवेश घर एवं स्कूल का परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनकी स्वयं की रूचि के अनुसार गतिविधियांँ करवाना चाहिए |क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है| अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधियांँ करवाना चाहिए |शिक्षक को बच्चों से उनके आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए| एवं बच्चों से सामूहिक खेलकूद गतिविधियांँ करवाना चाहिए| शिक्षक को प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाना चाहिए | Date 18-11-2021 Time 8:43 AM
बच्चों के सीखने के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियों का होना आवश्यक होता है। अतः उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, क्षेत्रीय भाषा एवं उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से सिखाया जाना उचित होगा।
सीखने के तरीकों का सृजन करने के लिए मैं बच्चों के परिवेश में उपस्थित वस्तुओं को पहले इकट्ठा कर लूंगा| तथा उनको गतिविधियों के अनुसार वितरित करूंगा कि कौन- सी वस्तु कौन-सी गतिविधि के लिए उपयोगी है |मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि मेरी गतिविधियां ऐसी हो जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना पहुंचे| बच्चे आनंद से गतिविधियां कर सकें| बच्चे उत्साह में रहे तथा बच्चों को ऐसा ना लगे कि उन पर कोई गतिविधि जबरदस्ती थोपी जा रही है |मैं बच्चों को खेल-खेल में आनंददायक शिक्षा देना चाहता हूं| मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि हर बच्चा आनंद में रहे |जब बच्चे आनंद में कोई गतिविधि सीखते हैं तो उनका ज्ञान सुदृढ़ होता है |तथा उनकी समझ भी मजबूत होती है |अतः मैं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए आसपास से संबंधित गतिविधियों को करूंगा| जिससे उनका अपने परिवेश में समायोजन आसानी से हो सके| मैं- रघुवीर गुप्ता,( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव, जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम , विकासखंड -विजयपुर ,जिला -श्योपुर (मध्य प्रदेश)
सबसे पहले हमें अपनी गतिविधि का चयन करना होगा गतिविधि का चयन करने के बाद हमें उस गतिविधि के लिए आवश्यक सहायक सामग्री एकत्र करनी होगी यह भी ध्यान रखना होगा कि यह सहायक सामग्री बच्चों के परिवेश से जुड़ी हुई हों ताकि बच्चों ने बेझिझक उपयोग कर सकें एवं अन्य उपायों में कक्षा में विभिन्न मैप, पोस्टर, आवश्यक पुस्तकें तथा बाला कक्ष व अन्य उपायों के द्वारा हम सीखने की प्रक्रिया को आसान कर सकते हैं
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए स्वयं के तरीके अपनाएं। बच्चों को सिखाने में ये सहयोगी हुई और बच्चे सीखने के प्रति आकर्षित होकर रुचि से सीखने के लिए तैयार होते हैं जिसमें 1 घर जैसा परिवेश सृजन के लिए बच्चों को कुछ दिनों तक खेल द्वारा एवं टीएलएन द्वारा कार्य में व्यस्त रखा गया। 2 बच्चे की रुचि किसमें है यह कुछ दिनों तक देखा परखा गया। 3 बच्चे की प्रकृति को जानकर उसी अनुरूप कार्ययोजना बनाई। 4 जो बच्चे कम बोलते हैं और जो शांत रहते हैं उनसे व्यवहारिक वार्तालाप कर बच्चों की झिझक दूर किया गया और स्वच्छ परिवेश निर्मित कर एक ऐसा वातावरण बनाया जिससे वे भी बात कर सकें। 5 बच्चों की रुचि अनुसार गतिविधियों का उपयोग किया गया। 6 बच्चों के माता-पिता से संपर्क बनाए रखकर उनकी व्यवहारिक और सभी जानकारी एकत्रित की गई उसी अनुरूप बच्चों के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायता प्राप्त हुई। स्वाभाविक रूप में बच्चे के अनुसार परिवेश निर्मित करने के लिए बालक पालक और शिक्षक का समन्वय बहुत आवश्यक है । जो बच्चो के सीखने के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायक होता है। धन्यवाद।
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
बच्चों की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है जिसमे कुछ बच्चे जल्दी से सीख जाते हैं कुछ धीरे धीरे सीखते हैं बच्चे अंजान बिल्कुल नहीं होते हैं बो घर से बहुत कुछ सीख कर आते हैं और उन बच्चों को अच्छी तरह से बात करना आवश्यक है उन्हें उनकी भाषा मे उनके परिवेश मे ही पढ़ना सिखाना जरुरी है और फिर उनकी भाषा में बच्चे जल्दी से सीखते हैं
सभी को विदित है कि स्कूल आने वाला हर बच्चा अपने साथ अपने आसपास और परिवेश से बहुत कुछ ले कर आता है उन्ही का उपयोग करके गतिविधियों का निर्माण करना चाहिए जो बच्चों के लिए बहुत प्रभावी सिद्ध होगी।
हमको बच्चों की रुचि और भावनाओं को समझकर खेल एवं गतिविधि करवानी होगी। तभी बच्चे खेल-खेल में सीख भी जायेंगे और थकेंगे भी नहीं। श्री मति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका, शासकीय कन्या प्राथमिक शाला, ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।
श्रीमती अलका बैस शासकीय प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिंदवाड़ा बच्चों के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाएंगे छात्र जल्दी सीख पाएंगे। बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सृजित कर खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं तभी बच्चे खेल खेल में सीख भी जाएंगे और थकेंगे भी नहीं। बच्चों के सीखने के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियों का होना आवश्यक होता है। अतः उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, क्षेत्रीय भाषा एवं उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से सिखाया जाना उचित होगा।
बच्चों को सिखाने के लिए सर्वप्रथम उनके परिवेश में होने वाले खेलों को जानते हैं और फिर उन्हें खेलों के आधार पर हम अपने विषय को सिखाने की कोशिश करते हैं गतिविधि आधारित जैसे गिनती सिखाने के लिए बीजों को गिन वाना लकड़ियों को इकट्ठा करना 10 -10 के समूह में गटठर तैयार करना और बीजों को समूह में रखवाना तथा सभी को मिलाकर उन्हें अलग-अलग करवाना और फिर गिनती गिनना और गोला बनवा कर गतिविधि करवाना और फिर एक साथ किसी भी एक संख्या जैसे सात समूह में बनवाना आदि
बच्चों के परिवेश से ही खिलौने, ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाता हूँ ,ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके।
सीखने के परिवेश का सृजन करने लिए विभिन्न गतिविधि बच्चों के साथ मिलकर कराई जा सकती है जैसे बच्चों को आयताकार आकृतियों की लंबाई, चौड़ाई , क्षेत्रफल तथा आयतन की अवधारणा समझाने के लिए बच्चों को चौकोर बाक्स की लंबाई ,चौड़ाई और ऊंचाई नापना सिखाना बाक्स की सतह का क्षेत्रफल निकालने के लिए लंबाई और चौड़ाई का गुणा कर क्षेत्रफल की समझ विकसित करना एवं लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई का गुणा कर आयतन की की समझ विकसित करना ।बाक्स के कोणों की माप करना ।बाक्स के कोणों को दबाकर कम या ज्यादा कर कोणों की माप करना आदि गतिविधि के माध्यम से सिखाया जा सकता है ।
शिक्षक के रूप में, मे चाहता हूँ की मेरे विद्यार्थी अपनी कक्षा में यथासंभव सर्वश्रेष्ठ परिणामों को हासिल करें। इससे उन्हें अपने जीवन में मौकों और अनुभवों को हासिल करने के लिए अंतदृर्ष्टि और अवसर प्राप्त होंगे। हो सकता है कई परिवार के बच्चे पहली बार स्कूल जाते हैं, जो कि उनके लिए रोमांचक और चुनौतीपूर्ण दोनों होता है। कक्षा का वातारण रूचिपूर्ण और रचनात्मक होना चाहिए। इससे बच्चे जाने के लिए और उद्धेश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्सहित होंगे। उनकी रुचि और रचनात्मकता को संवेग प्रदान करता है, उन्हें स्कूल जाते रहने और सार्थक शिक्षा को हासिल करने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक) शा.एकीकृत मा.वि अमरोद विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
सीखने के प्रवेश का सृजन करने के लिए हम बच्चों के लिए कई प्रकार की पेड़ पौधों की पत्तियां लकड़ियां फल आदि को अगर उनके बीच में रखें तो वह वर्गीकरण के आधार पर कुछ उसमें भिन्नता है देखेंगे और स्वयं कुछ ना कुछ उसमें अलग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे इस प्रकार का वातावरण का सृजन करने के लिए हम प्रवेश का निर्माण कर सकते हैं।
सीखने के प्रवेश का सर्जन करने के लिए हम बच्चों के लिए कई प्रकार के पेड़ पौधे की पत्तियां लकड़ियां फल आदि के आधार पर एवं कुछ प्रवेश के अनुसार खिलौने चार्ट क्या जी से बच्चों को प्रोत्साहित करेंगे एवं अध्यापन कार्य का भाषण आनंद में बनाएंगे इससे बच्चे बहुत जल्दी सीखने लगते हैं राम कुमार सोनी प्राथमिक शाला चरगांव
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है l और शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचि और परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल सृजन करना। बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएंगे। क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों का, उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए। बच्चों की झिझक दूर करना, जिससे बच्चे बेझिझक बात कर सकें। अभिभावकों से सम्पर्क कर, जानकारी एकत्रित कर, आनंददायक वातावरण बनाना।
बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल सृजन करना। बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएंगे। क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है। अतः कक्षा के बच्चों की रुचियों का, उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना।
Sabse pahle Ham kaksha mein Bhai Mukt aur Anand Dhai vatavaran ka Nirman Karenge bacchon ko Vishay Vastu se jo Denge aur khel Khel main sikhane ka Prayas Karenge Vishay Vastu per bacchon ke Vichar sunenge Mera Anubhav Hai Ki Is Tarah Se bacche jaldi sikhate Hain
सीखना के परिवेश को सृजित करने के लिए , सबसे अच्छा तरीका यह हो सकता है कि बच्चा जिस भी परिवेश में हो,उस परिवेश की गतिविधियों में बच्चों को शामिल करने के भरपूर अवसर दिए जाएं,ताकि वे स्वयं उनकी रूचि, आवश्यकता और क्षमता की गतिविधियों में संलग्न होकर ,गल्तियां होने पर सुधार करके सीखें और धीरे-धीरे बगैर गल्तियों या बहुत कम गल्तियां करके अपने अनुभव को समृद्ध करते हुए सीखें, अपनी कक्षा के साथियों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद करने में संकोच नहीं करें, सीखने का आनंद उठाएं न कि सीखने को बोझ बनाए।
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए स्वयं के तरीके अपनाएं। बच्चों को सिखाने में ये सहयोगी हुई और बच्चे सीखने के प्रति आकर्षित होकर रुचि से सीखने के लिए तैयार होते हैं जिसमें 1 घर जैसा परिवेश सृजन के लिए बच्चों को कुछ दिनों तक खेल द्वारा एवं टीएलएन द्वारा कार्य में व्यस्त रखा गया। 2 बच्चे की रुचि किसमें है यह कुछ दिनों तक देखा परखा गया। 3 बच्चे की प्रकृति को जानकर उसी अनुरूप कार्ययोजना बनाई। 4 जो बच्चे कम बोलते हैं और जो शांत रहते हैं उनसे व्यवहारिक वार्तालाप कर बच्चों की झिझक दूर किया गया और स्वच्छ परिवेश निर्मित कर एक ऐसा वातावरण बनाया जिससे वे भी बात कर सकें। 5 बच्चों की रुचि अनुसार गतिविधियों का उपयोग किया गया। 6 बच्चों के माता-पिता से संपर्क बनाए रखकर उनकी व्यवहारिक और सभी जानकारी एकत्रित की गई उसी अनुरूप बच्चों के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायता प्राप्त हुई। स्वाभाविक रूप में बच्चे के अनुसार परिवेश निर्मित करने के लिए बालक पालक और शिक्षक का समन्वय बहुत आवश्यक है । जो बच्चो के सीखने के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायक होता है।
बच्चे हमेशा अपने परिवेश में सहज रूप से रहते हैं और उस परिवेश में वे अपने आप को सुरक्षित पाते हैं अतः हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए की परिवेश दत्त विभिन्न सामग्रियों के द्वारा बच्चे सीखने में रुचि ले। उदाहरण के तौर पर विभिन्न फलों के बीज गिनती सिखाने में उपयोगी हो सकते हैं । विभिन्न प्रकार के फलों के रंग आकार द्वारा आवश्यक जानकारी दी जा सकती है छोटे पौधे एवं बड़े पेड़ में अंतर बताया जा सकता है खेल खेलने हेतु उनके द्वारा बनाई जाने वाली सामग्री को आधार बनाया जा सकता है। इस प्रकार परिवेश में पाई जाने वाली अनेक विभिन्न वस्तुओं द्वारा सीखने की प्रक्रिया सरल हो सकती है।
बच्चों को परिवेश से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। बच्चा अपने परिवेश में लगभग हर प्रकार की वस्तु आदि से परिचित रहता है। जैसे कि बच्चे ने घर पर लकड़ी कंडे चूल्हा देख रखा है उनकी आकृति बनाकर भी हम बच्चों को अक्षर ज्ञान की ओर आकर्षित कर सकते है।
सीखने के तरीकों का सृजन करने के लिए मैं बच्चों के परिवेश में उपस्थित वस्तुओं को पहले इकट्ठा कर लूंगा| तथा उनको गतिविधियों के अनुसार वितरित करूंगा कि कौन- सी वस्तु कौन-सी गतिविधि के लिए उपयोगी है |मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि मेरी गतिविधियां ऐसी हो जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना पहुंचे| बच्चे आनंद से गतिविधियां कर सकें| बच्चे उत्साह में रहे तथा बच्चों को ऐसा ना लगे कि उन पर कोई गतिविधि जबरदस्ती थोपी जा रही है |मैं बच्चों को खेल-खेल में आनंददायक शिक्षा देना चाहता हूं| मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि हर बच्चा आनंद में रहे |जब बच्चे आनंद में कोई गतिविधि सीखते हैं तो उनका ज्ञान सुदृढ़ होता है |तथा उनकी समझ भी मजबूत होती है |अतः मैं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए आसपास से संबंधित गतिविधियों को करूंगा| जिससे उनका अपने परिवेश में समायोजन आसानी से हो सके| दयाराम टनवे,। प्राथमिक शिक्षक शा.प्रा.वि.सीतापुरी तहसील मनावर जिला धार मध्य प्रदेश
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है । बच्चों को उन्हीं की रुचि अनुसार खेल का चयन करके खेल खिलवाए । इससे बच्चे खेल-खेल में और अधिक सीखते जाएंगे । प्रत्येक बच्चे की भावनाओं को जानकर ही गतिविधियां करवानी चाहिए ।
Shikshak swayam ek Gyan ke Bhandar ke roop mein hi apni kshamta ke anusar vah har sambhav prayas Karen nai nai tarike ka ijjat Karen aur bacchon Ko Khel Khel mein Shiksha day
इतनी जानकारी बच्चों को सुनने से मिलती है उससे ज्यादा जानकारी बच्चों को देखने से मिलती है बच्चे देखने से थोड़ा सीखने का प्रयास करते हैं और उससे ज्यादा सीखने का प्रयास बच्चे स्वयं करते हैं तो बहुत तीव्र गति से सीखते हैं इसी में अभिनय शामिल है जब बच्चे फ्रॉम अभिनय करते हैं तो उनकी सुरजन करने की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है
बच्चे अपने आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे और उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है। बाबूराम परस्ते प्राथमिक शाला दियाबार बरवरा
हम बच्चो को उनकी मत्रभाशा में आसपास के इलाकों में कुछ वस्तुएं और सहरों के नाम और शहपाथियों और माता पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम लिख लिए जाए बताए मेला दिखाने मेले में बस्तुयो से परिचय करा सकते हैं
Bacho ko unke parivesh se sambandhit gatividhiyan krakr,sthaniye sansadhano k prayog se,sahayk shikshan samagri se,khelo k madhyam se tatha unki ruchi k anurup khilono se, ghr ki vastuo se gatividhiyon ka srijan kr sikhya ja skta h.
बच्चो को उनके स्वयं के परिवेश के मुताबिक और उनकी जिज्ञासा के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाएंगे जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो और वो आसानी से समझ पाए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाए जायें
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं , बच्चें खेल खेल में सीखते हैं, तथा उन्हें केवल सहयोगी बनानें में हम अपना समय दें तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है तथा शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
बच्चों को सीखने के परिवेश को तैयार करने के लिए सबसे पहले हमें बच्चों की रुचि जाना होता है उसके बाद बच्चों की रुचि अनुसार खेल और गतिविधियों का चयन करते हैं तथा बच्चों को भयमुक्त वातावरण देकर सिखाया जा सकता है।
अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके इस प्रकार है - बच्चों को उन्हीं की रूचि के अनुसार खेल सृजित कर शिक्षक खेलकूद गतिविधियाँ करवाएं एवं बच्चों के परिवेश घर एवं स्कूल का परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनकी स्वयं की रूचि के अनुसार गतिविधियांँ करवाना चाहिए |क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है| अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधियांँ करवाना चाहिए |शिक्षक को बच्चों से उनके आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए| एवं बच्चों से सामूहिक खेलकूद गतिविधियांँ करवाना चाहिए| शिक्षक को प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाना चाहिए | purushottam prasad sharma GPS chikli udaipura raisen MP
बच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाती हूं ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके (Shashikala Mishra)
Har bachcha alag parivesh se aate he es liye bachcho ke parivesh se Jude khel, khilone ,rityrivaj or samsjik vatavarn se Judy gatividhiya karvayi jani Chahiye.bachcho ko savtantra vatavarn dena Chahiye.
मैं अनुराधा सक्सेना सहायक शिक्षिका एकीकृत शासकीय माध्यमिक विद्यालय माधवगंज क्रमांक 2 प्राथमिक खंड विदिशा मध्य प्रदेश प्रश्न अनुसार सीखने की परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके निम्न है बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल खेल में गतिविधि करवाना चाहिए क्योंकि बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए पूरी कक्षा के बच्चों की रूचि के अनुसार उनके वातावरण उनके परिवेश को ध्यान में रखकर ही उनकी क्षमता अनुसार गतिविधि कराना चाहिए प्रत्येक बच्चे के बुद्धि लब्धि स्तर को ध्यान में रखकर ही सिखाना हमारा कर्तव्य है कमजोर बच्चों को अच्छे बच्चों के साथ समूह में जोड़कर सिखाने से कमजोर बच्चे भी सीख जाते हैं और अच्छे बच्चे और भी खुश होते हैं कि हमने इन बच्चों को सिखा दिया चार्ट पत्थर माचिस की तीली स्ट्रा कंचे आदि से बच्चे समूह में अधिक सीखते हैं अतः शिक्षक को बच्चे के परिवेश उसके वातावरण उसकी पारिवारिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक सोच अनुसार उसकी रुचि अनुसार बच्चे के बौद्धिक स्तर अनुसार ही सिखा ना चाहिए ताकि वह पढ़ाई को धार ना समझे और खेल खेल में सीख जाए ताकि उनकी क्षमता अनुसार सिखाने में हम सफल हो सकते हैं धन्यवाद सहित
बच्चों को उनके परिवेश के अनुसार एवं रुचि के अनुसार गतिविधियों कराऐगे तो उनके लिए सीखना बहुत ही सरल होगा और हमें भी सिखाने में आसानी होगी PURNIMA DHURVEY, M/S PISUA(MATKULI) MP
सीखने के तरीकों का सृजन करने के लिए बच्चों के परिवेश में उपस्थित वस्तुओं को पहले इकट्ठा कर तथा उनको गतिविधियों के अनुसार वितरित करूंगा ,कि कौन- सी वस्तु कौन-सी गतिविधि के लिए उपयोगी है | और यह भी सुनिश्चित करूंगा कि मेरी गतिविधियां ऐसी हो जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना पहुंचे| बच्चे आनंद से गतिविधियां कर सकें तथा बच्चे उत्साह में रहे तथा बच्चों को ऐसा ना लगे कि उन पर कोई गतिविधि जबरदस्ती थोपी जा रही है | बच्चों को खेल-खेल में आनंददायक शिक्षा देना चाहता हूं| मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि हर बच्चा आनंद में रहे |जब बच्चे आनंद में कोई गतिविधि सीखते हैं तो उनका ज्ञान सुदृढ़ होता है |तथा उनकी समझ भी मजबूत होती है |अतः मैं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए आसपास से संबंधित गतिविधियों को करूंगा| जिससे उनका अपने परिवेश में समायोजन आसानी से हो सके|
Bachcho ko unke paarivesh ke hisab se unki jigyasa ko sant krne ki aavshyakta anusar sikhaya jaye. Unki ruchi ka bhi dhyan rakha jana chahiye.usi ke anuroop karya krane me bachche utsah se bhag lete ha.Archna shrivastava ps sinawal
बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए
बबच्चे, परिवेश में सहज रूप से रहते हैं और उस परिवेश में वे अपने आप को सुरक्षित पाते हैं अतः हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए की परिवेश दत्त विभिन्न सामग्रियों के द्वारा बच्चे सीखने में रुचि ले। उदाहरण के तौर पर विभिन्न फलों के बीज गिनती सिखाने में उपयोगी हो सकते हैं । विभिन्न प्रकार के फलों के रंग आकार द्वारा आवश्यक जानकारी दी जा सकती है छोटे पौधे एवं बड़े पेड़ में अंतर बताया जा सकता है खेल खेलने हेतु उनके द्वारा बनाई जाने वाली सामग्री को आधार बनाया जा सकता है
बच्चों की सीखने की गति के आधार पर ही कक्षा शिक्षण कराएंगे प्रत्येक बच्चे की रुचि को ध्यान में रखते हुए बच्चों के परिवेश सही खिलौने वस्तुएं आदि एकत्रित कर खेल खेल में ऐसा वातावरण निर्मित करेंगे कि बच्चा आसानी से सीख सकें
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए हम कुछ तरीके अपना सकते हैं जैसे यदि हम किसी फसल के बारे में बता रहे हैं तो हम उस मौसमी फसल की बोने की विधि उसको रोकने की विधि और फसल बढ़कर तैयार होने की विधि को किसी कृषक के खेत में परिभ्रमण कार्यक्रम तैयार कर बच्चों को उक्त गतिविधि से परिचित करा कर हम बच्चों को उनको उन से अवगत कराकर सिखाने का प्रयास कर सकते हैं
बच्चों को आनंद पूर्वक सीखने के पूर्ण अवसर प्रदान करना चाहिए । उनको खेल-खेल में नई गतिविधियों के माध्यम से, चार्ट, चित्र ,कविता, कहानियों के माध्यम से, रुचि जगाने वाले सरल परियोजना कार्य द्वारा आसानी से तथा प्रगतिशील तरीके से सिखाया जा सकता है। बच्चों को सीखने ,पढ़ने, आगे बढ़ने के लिए एक सहज व खुला माहौल प्रदान करना चाहिए।
मैं बच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों के अलग अलग उनके स्तर अनुरूप समूह में खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाता हूं ताकि कमजोर बच्चे भी गतिविधि में सक्रियता से भाग लेकर जल्दी सीख सकें।और ऐसा करने से पहले उन्हें प्राणायाम ध्यान आदि भी करवाता हूं। ताकि उनकी याददाश्त बढ़ सके। दिनेश चाकणकर सहायक शिक्षक शाप्रावि मोतीमहल ग्वालियर
सीखने के परिवेश सृजन हेतु पाठ्यक्रम आधारित गतिविधियों के साथ साथ बच्चों की वर्तमान एवम् संभावित रुचियों पर आधारित गतिविधियां का प्रतिपादन बहुत आवश्यक है ।तभी अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता हैं।
सिखने के लिए सबसे पहले शाला के बाहर पेड़ पौधे हरियाली स्कूल गार्डन में ले जाकर खूब सारी बातें करे पौधो पत्तियों पंछियों की, बच्चों से सुने कुछ समय बिताए फिर वही धीरे धीरे शुरुवात करे
सीखने के परिवेश के सृजन करने के लिए हमे बच्चों की रुचि व बुद्धिमता स्तर के अनुसार पाठ्य सहगामी गतिविधियों का प्रतिपादन करके वांछित अधिगम स्तर को प्राप्त किया जा सकता हैं।
वर्तमान समय में बच्चों को खेल खेल में एवं अवलोकन करके देना एवं प्रशिक्षण में बताए गए विभिन्न प्रकार के कौशल विकसित करने हेतु शिक्षण सामग्री बच्चों के लिए बहुत रुचिकर है इससे बच्चों में स्थाई ज्ञान विकसित होगा। लेकिन यह तब होगा जब हम इसे कक्षा में लागू करेंगे। धन्यवाद
Google बच्चो को उनके स्वयं के परिवेश के मुताबिक और उनकी जिज्ञासा के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाएंगे जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो और वो आसानी से समझ पाए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाए जायेंगे
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए तथा उसके साथ ही साथ कनेक्ट करते हुए अपने बौद्धिक क्षमता को बड़ाना चाहिए । रश्मि वर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला बोरदा भोपाल मध्य प्रदेश
बच्चों की रुचियों, उनके परिवेश और उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में जानकारी करके बच्चों के बौद्धिक स्तर के अनुरुप शिक्षण गतिविधियों का निर्माण करना चाहिए। जिससे बच्चे जल्दी सीखेंगे।
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए। shobha sher P.S.Gangakhedi
नमस्कार साथियों, मैं प्रीति श्रीवास्तव शासकीय प्राथमिक शाला उमरिया ली टी पनागर जिला जबलपुर
सीखने के स्थानीय परिवेश निर्मित करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता है घर एवं कक्षा के आस पास उपलब्ध वस्तुओं के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाना चाहिए जो इस प्रकार हैं __ 1. जैसे गिनती सिखाने के लिए बीजों को गिन कर लकड़ियों को इकट्ठा कर 10 10 के समूह में बंडल तैयार करना बीजों को समूह में रखना इस प्रकार की गतिविधि के माध्यम से खेल खेल में सिखाया जा सकता है | 2. बच्चों को आयताकार आकृतियों की लंबाई ,चौड़ाई, क्षेत्रफल तथा आयतन की अवधारणा समझाने के लिए चौकोर बॉक्स की लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई नापने सिखाया जा सकता है एवं बॉक्स के द्वारा कोणों की माप करना भी सिखाया जा सकता है | 3. बच्चों को कई प्रकार की पेड़ पौधों की पत्तियां, लकड़ियां और फल आदि को वर्गीकरण के आधार पर एवं भिन्नता देखेंगे इस प्रकार उन्हें खेल के माध्यम से कुछ ना कुछ अलग करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए इस प्रकार हम परिवेश का निर्माण कर सकते हैं अंततः यह कह सकते हैं परिवेश में पाई जाने वाली अनेक विभिन्न वस्तुओं द्वारा सीखने की प्रक्रिया सरल हो सकती है ...धन्यवाद
Bacchon ko sikhane ke liye uski roj ke anusar Shiksha hona chahie uske roop ke anusar padhaanaa chahie bacchon ko umra ke anusar bhi padhaanaa chahie walon Ko Dhyan Mera kar use Kiya kalap karna chahie
सीखने के परिवेश का सर्जन करने के लिए सबसे पहले सीखने के तरीकों के बारे में जानना आवश्यक होगा यदि हम बात करें 3 से 8 वर्ष के बच्चों की तो मान्यता यह है कि इस आयु वर्ग के बच्चे सबसे अधिक तेज गति से इस उम्र में सीखते हैं। तब जबकि इसी उम्र में बच्चों के मस्तिष्क का विकास सबसे तेज गति से होता है। सबसे पहले हम उनसे बातचीत में सहज होते हुए उनके अपने घर परिवार,परिवेश,खेलकूद आदि की गतिविधियों,पहनावा और घर में मनाए जाने वाले त्योहारों पर बात करेंगे। और इन्हीं मुद्दों पर हम उनके लिए वह सहायक शिक्षण सामग्री का निर्माण करेंगे जिससे वह भली भांति परिचित हो। उनके परिवार के सदस्यों के बारे में बातचीत कर पहले हम उन्हें हमारी बात अच्छे से सुनना सिखाएंगे। उनकी पसंद के खेल खिलौना के माध्यम से उन्हें संख्या ज्ञान करवाएंगे। बुनियादी साक्षरता के विकास के लिए परिवार के सदस्यों के नामों का सहारा लेते हुए उन्हें पढ़ना सिखाएंगे। और फिर धीरे-धीरे उन्हें संख्याओं पर संक्रियाएं करना और अपने आसपास की समस्याओं का निराकरण खोजना सिखाएंगे। जिससे भविष्य में उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से चलती रहे।
मातृभाषा में बच्चे बहुत ही सहजता से सीखते हैं । जिस भाषा भाषी क्षेत्र में शिक्षक कार्य करें वहां के बच्चों की स्थानीय भाषा में सहायक शिक्षण सामग्री तयार करना चाहिए ब प्रिंट रिच वातावरण भी उसी भाषा में तयार करना व। शिक्षण कार्य मातृभाषा का उपयोग करना श्रेयस्कर होगा।
प्रत्येक बच्चे की सीखने की भाषा अलग अलग होती है अतः उसे उसकी स्थानीय भाषा में ही समझाना चाहिए सहायक सामग्री भी उसकी स्थानीय भाषा में तैयार करना चाहिए जिसकी वह जल्दी से पहचान कर सके और उसमें सीखने की योग्यता आ सके
बच्चों के सीखने के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियों का होना आवश्यक होता है। अतः उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, क्षेत्रीय भाषा एवं उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से सिखाया जाना उचित होगा।
बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा, संस्कृति, स्थानीय परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं, उनके सामाजिक व्यवहार पर चर्चा तथा उनके अभिभावकों को जोड़कर सिखाया जा सकता है।🙏
बच्चों को उनके सीखने के लिए स्थानीय परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं के साथ बड़ों और शिक्षकों को शामिल करके स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हुए सृजनात्मक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।🙏
प्रत्येक बच्चे की रुचि को ध्यान में रखते हुए बच्चों के परिवेश सही खिलौने वस्तुएं आदि एकत्रित कर खेल खेल में ऐसा वातावरण निर्मित करेंगे कि बच्चा आसानी से सीख सकें|
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए सिखाने के तरीकों के बारे में जानना है प्राथमिक स्तर के बच्चे रुचिकर अध्ययन सामग्री को सीखने के लिए आतुर व जिज्ञासु होते हैं परिवेश में उपलब्ध सामग्री का रोचक एवं मनोरंजक तरीकों से सिखाने से सभी बच्चे जल्दी सीखते हैं बच्चों के अनुरूप सहायक सामग्री का निर्माण कर समस्स्याओं का निराकरण करने खिलौने खेलकूद के माध्यम से पठन सामग्री को सरल बनाया जा सकता है
बच्चों को सिखाने के लिए सर्वप्रथम उनके परिवेश में होने वाले खेलों को जानते हैं और फिर उन्हें खेलों के आधार पर हम अपने विषय को सिखाने की कोशिश करते हैं गतिविधि आधारित जैसे गिनती सिखाने के लिए बीजों को गिन वाना लकड़ियों को इकट्ठा करना 10 -10 के समूह में गटठर तैयार करना और बीजों को समूह में रखवाना तथा सभी को मिलाकर उन्हें अलग-अलग करवाना और फिर गिनती गिनना और गोला बनवा कर गतिविधि करवाना और फिर एक साथ किसी भी एक संख्या जैसे सात समूह में बनवाना आदि
सीखने के परिवेश का सर्जन करने के लिए सबसे पहले सीखने के तरीकों के बारे में जानना आवश्यक होगा यदि हम बात करें 3 से 8 वर्ष के बच्चों की तो मान्यता यह है कि इस आयु वर्ग के बच्चे सबसे अधिक तेज गति से इस उम्र में सीखते हैं। तब जबकि इसी उम्र में बच्चों के मस्तिष्क का विकास सबसे तेज गति से होता है। सबसे पहले हम उनसे बातचीत में सहज होते हुए उनके अपने घर परिवार,परिवेश,खेलकूद आदि की गतिविधियों,पहनावा और घर में मनाए जाने वाले त्योहारों पर बात करेंगे। और इन्हीं मुद्दों पर हम उनके लिए वह सहायक शिक्षण सामग्री का निर्माण करेंगे जिससे वह भली भांति परिचित हो। उनके परिवार के सदस्यों के बारे में बातचीत कर पहले हम उन्हें हमारी बात अच्छे से सुनना सिखाएंगे। उनकी पसंद के खेल खिलौना के माध्यम से उन्हें संख्या ज्ञान करवाएंगे। बुनियादी साक्षरता के विकास के लिए परिवार के सदस्यों के नामों का सहारा लेते हुए उन्हें पढ़ना सिखाएंगे। और फिर धीरे-धीरे उन्हें संख्याओं पर संक्रियाएं करना और अपने आसपास की समस्याओं का निराकरण खोजना सिखाएंगे। जिससे भविष्य में उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से चलती रहे।
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।बच्चों उनके आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे ओर उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है।
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके इस प्रकार है - बच्चों को उन्हीं की रूचि के अनुसार खेल सृजित कर शिक्षक खेलकूद गतिविधियाँ करवाएं एवं बच्चों के परिवेश घर एवं स्कूल का परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनकी स्वयं की रूचि के अनुसार गतिविधियांँ करवाना चाहिए |क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है| अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधियांँ करवाना चाहिए |शिक्षक को बच्चों से उनके आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए| एवं बच्चों से सामूहिक खेलकूद गतिविधियांँ करवाना चाहिए| शिक्षक को प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाना चाहिए |
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
बच्चो को उनकी रुचि के अनुसार कार्य द्वारा सिखाएंगे और शिक्षक को बच्चो को सभी माध्यम से सिखाना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चो का मनोरंजन भी हो और बच्चे कर कर सीखे।
समाज मे होने वाली कार्यक्रम को बच्चों के बीच नाटकीय रूप में पयोग करा सकते है।स्थानीय परिवेश में उपलब्ध शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करके सीखने के परिवेश के सृजन करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता हैं
बच्चों को उनकी रुचि, आदतों और क्षमताओं के आधार पर विद्यालय और विद्यालय के बाहर परिवेश में सीखने के अवसर प्रदान किए जाएं।सीखने के विभिन्न माध्यमों से बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति जागृत की जावे।विना किसी लिंगभेद, आयुभेद के सीखने के समान अवसर प्रदान किए जाना चाहिए। दयालाल शाक्य प्र.अ. HSSखमतला जिला विदिशा
Epes निवारि,शिक्षक रजनीश शुक्ला,जिला नर्मदापुरम,23370501001 देस कोड से छात्रों को मनोयोग से कार्य करवाये,उनपर कुछ थोपे न,धीमी या तेज गति भी न देखे,निश्चय ही छात्रों की तरक्की होगी। जय हिंद जय भारत।
1.विद्यार्थियों को कक्षा में विषय वस्तु पर अपने विचार प्रकट करने का मौका दिया जाना चाहिये. २ किसी कार्य को स्वयं करके सीखना विषय मैं रूचि उत्पन्न करता है. 3. वस्तु से सम्बंधित सामग्री को देखना ,अनुभव करना एवम अपने शब्दों मैं उसे लिखना. 4 .कक्षा में विषय वास्तु पर वाद विवाद या सामूहिक चर्चा करना. यह विद्द्यार्थियों में वाद - संवाद की गुणवत्ता को बढ़ाता है.
यह निश्चित करने के लिए बच्चे स्वच्छता संबंधी आदतों का पालन कर रहे हैँ, प्रतिदिन के आधार पर आप किन क्षेत्रों की निगरानी रखने का प्रस्ताव रखेंगे? अपने विचार साझा करें।
शिक्षक/शिक्षिका के रूप में उन परेशानियों के बारे में विचार कीजिए , जिनका सामना आप अक्सर विद्यालय में करते हैं! यह सोचने की कोशिश करें कि विद्यालय प्रबंधन और माता-पिता के माध्यम से किन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा किस प्रकार इन लोगों से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई जाए ताकि बेहतर स्थिति प्राप्त हो सकें। अपने विचार साझा करें।
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ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजूजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
Deleteस्थानीय परिवेश में उपलब्ध शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करके सीखने के परिवेश के सृजन करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता हैं
Deleteबच्चे स्वयं के अनुभव से अच्छे से सीखते हैं
Deleteबच्चों के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाएंगे छात्र जल्दी सीख पाएंगे
ReplyDeleteHa bachcho ko apane svayam ke parivesh se sambandhit gatividhi karwate he to achcha bahut hi jaldi chijo ki dikhane ka prayash karta he
Deleteसही बात है
Deleteबच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाती हूं ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके शशि सोनी उज्जैन
ReplyDeleteबच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाती हूं ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके
ReplyDeleteबच्चे को अच्छा सीखने का अवसर प्रदान करते हैं। ... सामाजिक परिवर्तन के बारे में होते हैं, बच्चों में सहानुभूति और समुदाय के प्रति कर्तव्य की भावना को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं प्रेम सिंह यादव
ReplyDeleteबच्चों को अपने परिवेश से वातावरण में चोट वस्तुएं हैं तथा ब्लॉक और चार्ट आदि की सहायता से उनसे बात करके उनकी जिज्ञासा को दूर करके तथा गतिविधियां करवा के सामूहिक खेल के द्वारा सीखने की प्रक्रिया पर काम करेंगे
ReplyDeleteकमलेश कुशवाहा शासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा जिला पन्ना
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सृजित कर खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं तभी बच्चे खेल खेल में सीख भी जाएंगे और थाकेंगे भी नहीं
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को अपने परिवेश से वातावरण में चोट वस्तुएं हैं तथा ब्लॉक और चार्ट आदि की सहायता से उनसे बात करके उनकी जिज्ञासा को दूर करके तथा गतिविधियां करवा के सामूहिक खेल के द्वारा सीखने की प्रक्रिया पर काम करेंगे.
ReplyDeleteजलालअंसारी प्राथमिक शिक्षक
बच्चो को उनके स्वयं के परिवेश के मुताबिक और उनकी जिज्ञासा के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाएंगे जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो और वो आसानी से समझ पाए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाए जायेंगे
ReplyDeleteबच्चों उनके आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे ओर उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सृजित कर खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं तभी बच्चे खेल खेल में सीख भी जाएंगे और थाकेंगे भी नहीं
ReplyDeleteबच्चों के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाएंगे छात्र जल्दी सीख पाएंगे प्रेम सिंह यादव
ReplyDeleteबच्चों को अपने परिवेश से वातावरण में चोट वस्तुएं हैं तथा ब्लॉक और चार्ट आदि की सहायता से उनसे बात करके उनकी जिज्ञासा को दूर करके तथा गतिविधियां करवा के सामूहिक खेल के द्वारा सीखने की प्रक्रिया पर काम करेंगे
DeleteBachcho ko ham bibhinna prakar ke khelon evam samoohik gatividhiyon ke dwara sikhate hai. Bachcho jyadatar unhi ke ruchi ke anusar gatividhi ko karakar sikhate hai jisase bachche jaldi seekhate hai.
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
ReplyDeleteBachcho ke sikhane ke liye kaksha ka vatavaran bhaymukt hona jaruri hai sath hi ek anandit vatavarn ho jisme bachche bejhijak hokar apni bat kah sake taki shikshk bachche ki ruchi aruchi jankar gatividhi taiyar kar khel khel me bachcho ko sikh sake.
ReplyDeleteबच्चो को उन्ही के रूचि के अनुसार हि खेल खिलाना चाहिए।
ReplyDeleteदिलीप कुमार शर्मा शा.प्रा.वि.मोहनपुरा का पुरा जन शिक्षा केंद्र शा.उ.मा.वि.करनवास वि.ख .राजगढ़ (म. प्र.)
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके इस प्रकार है -
बच्चों को उन्हीं की रूचि के अनुसार खेल सृजित कर शिक्षक खेलकूद गतिविधियाँ करवाएं एवं बच्चों के परिवेश घर एवं स्कूल का परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनकी स्वयं की रूचि के अनुसार गतिविधियांँ करवाना चाहिए |क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है| अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधियांँ करवाना चाहिए |शिक्षक को बच्चों से उनके आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए| एवं बच्चों से सामूहिक खेलकूद गतिविधियांँ करवाना चाहिए| शिक्षक को प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाना चाहिए |
Date 18-11-2021
Time 8:43 AM
Baccho ko ounki ruchi anusar sikhane ke avsar pradan karna ouchit hai
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियों का होना आवश्यक होता है। अतः उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, क्षेत्रीय भाषा एवं उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से सिखाया जाना उचित होगा।
ReplyDeleteबच्चों को उनके परिवेश उनके वातावरण के अनुसार गतिविधि कराई जानी चाहिए जिससे कि बच्चे और जल्दी सीख पाएंगे
ReplyDeleteअच्छा
ReplyDeleteसीखने के तरीकों का सृजन करने के लिए मैं बच्चों के परिवेश में उपस्थित वस्तुओं को पहले इकट्ठा कर लूंगा| तथा उनको गतिविधियों के अनुसार वितरित करूंगा कि कौन- सी वस्तु कौन-सी गतिविधि के लिए उपयोगी है |मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि मेरी गतिविधियां ऐसी हो जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना पहुंचे| बच्चे आनंद से गतिविधियां कर सकें| बच्चे उत्साह में रहे तथा बच्चों को ऐसा ना लगे कि उन पर कोई गतिविधि जबरदस्ती थोपी जा रही है |मैं बच्चों को खेल-खेल में आनंददायक शिक्षा देना चाहता हूं| मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि हर बच्चा आनंद में रहे |जब बच्चे आनंद में कोई गतिविधि सीखते हैं तो उनका ज्ञान सुदृढ़ होता है |तथा उनकी समझ भी मजबूत होती है |अतः मैं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए आसपास से संबंधित गतिविधियों को करूंगा| जिससे उनका अपने परिवेश में समायोजन आसानी से हो सके|
ReplyDeleteमैं- रघुवीर गुप्ता,( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव, जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम , विकासखंड -विजयपुर ,जिला -श्योपुर (मध्य प्रदेश)
बच्चें अपने अनुभवों से भी सीखते हैं,
ReplyDeleteबच्चें खल खेल में भी सीखते हैं, तथा उन्हें केवल सहयोगी बनानें में हम अपना समय दें
ReplyDeleteसबसे पहले हमें अपनी गतिविधि का चयन करना होगा गतिविधि का चयन करने के बाद हमें उस गतिविधि के लिए आवश्यक सहायक सामग्री एकत्र करनी होगी यह भी ध्यान रखना होगा कि यह सहायक सामग्री बच्चों के परिवेश से जुड़ी हुई हों ताकि बच्चों ने बेझिझक उपयोग कर सकें एवं अन्य उपायों में कक्षा में विभिन्न मैप, पोस्टर, आवश्यक पुस्तकें तथा बाला कक्ष व अन्य उपायों के द्वारा हम सीखने की प्रक्रिया को आसान कर सकते हैं
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए स्वयं के तरीके अपनाएं। बच्चों को सिखाने में ये सहयोगी हुई और बच्चे सीखने के प्रति आकर्षित होकर रुचि से सीखने के लिए तैयार होते हैं जिसमें
ReplyDelete1 घर जैसा परिवेश सृजन के लिए बच्चों को कुछ दिनों तक खेल द्वारा एवं टीएलएन द्वारा कार्य में व्यस्त रखा गया।
2 बच्चे की रुचि किसमें है यह कुछ दिनों तक देखा परखा गया।
3 बच्चे की प्रकृति को जानकर उसी अनुरूप कार्ययोजना बनाई।
4 जो बच्चे कम बोलते हैं और जो शांत रहते हैं उनसे व्यवहारिक वार्तालाप कर बच्चों की झिझक दूर किया गया और स्वच्छ परिवेश निर्मित कर एक ऐसा वातावरण बनाया जिससे वे भी बात कर सकें।
5 बच्चों की रुचि अनुसार गतिविधियों का उपयोग किया गया।
6 बच्चों के माता-पिता से संपर्क बनाए रखकर उनकी व्यवहारिक और सभी जानकारी एकत्रित की गई उसी अनुरूप बच्चों के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायता प्राप्त हुई।
स्वाभाविक रूप में बच्चे के अनुसार परिवेश निर्मित करने के लिए बालक पालक और शिक्षक का समन्वय बहुत आवश्यक है । जो बच्चो के सीखने के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायक होता है।
धन्यवाद।
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है जिसमे कुछ बच्चे जल्दी से सीख जाते हैं कुछ धीरे धीरे सीखते हैं बच्चे अंजान बिल्कुल नहीं होते हैं बो घर से बहुत कुछ सीख कर आते हैं और उन बच्चों को अच्छी तरह से बात करना आवश्यक है उन्हें उनकी भाषा मे उनके परिवेश मे ही पढ़ना सिखाना जरुरी है और फिर उनकी भाषा में बच्चे जल्दी से सीखते हैं
ReplyDeleteसभी को विदित है कि स्कूल आने वाला हर बच्चा अपने साथ अपने आसपास और परिवेश से बहुत कुछ ले कर आता है उन्ही का उपयोग करके गतिविधियों का निर्माण करना चाहिए जो बच्चों के लिए बहुत प्रभावी सिद्ध होगी।
ReplyDeleteहमको बच्चों की रुचि और भावनाओं को समझकर खेल एवं गतिविधि करवानी होगी।
ReplyDeleteतभी बच्चे खेल-खेल में सीख भी जायेंगे और थकेंगे भी नहीं।
श्री मति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
Bhachcho ke sikhane ke liye kaksha ka vatavaran bhaymukt hona jaruri hai.
ReplyDeleteBaccho ko jisme Ruchi hai chhai vo khel ho yeh khilonye unhi ke madhyam se unko padhya jaye aur unki shikhna ki Ruchi badye
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।
ReplyDeleteश्रीमती अलका बैस शासकीय प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिंदवाड़ा
ReplyDeleteबच्चों के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाएंगे छात्र जल्दी सीख पाएंगे।
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सृजित कर खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं तभी बच्चे खेल खेल में सीख भी जाएंगे और थकेंगे भी नहीं।
बच्चों के सीखने के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियों का होना आवश्यक होता है। अतः उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, क्षेत्रीय भाषा एवं उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से सिखाया जाना उचित होगा।
बच्चों को अपनी रूची के अनुसार खेल के माध्यम से गतिविधियाँ करवा कर सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों को सिखाने के लिए सर्वप्रथम उनके परिवेश में होने वाले खेलों को जानते हैं और फिर उन्हें खेलों के आधार पर हम अपने विषय को सिखाने की कोशिश करते हैं गतिविधि आधारित जैसे गिनती सिखाने के लिए बीजों को गिन वाना लकड़ियों को इकट्ठा करना 10 -10 के समूह में गटठर तैयार करना और बीजों को समूह में रखवाना तथा सभी को मिलाकर उन्हें अलग-अलग करवाना और फिर गिनती गिनना और गोला बनवा कर गतिविधि करवाना और फिर एक साथ किसी भी एक संख्या जैसे सात समूह में बनवाना आदि
ReplyDeleteबच्चों के परिवेश से ही खिलौने, ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाता हूँ ,ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके।
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने लिए विभिन्न गतिविधि बच्चों के साथ मिलकर कराई जा सकती है जैसे बच्चों को आयताकार आकृतियों की लंबाई, चौड़ाई , क्षेत्रफल तथा आयतन की अवधारणा समझाने के लिए बच्चों को चौकोर बाक्स की लंबाई ,चौड़ाई और ऊंचाई नापना सिखाना बाक्स की सतह का क्षेत्रफल निकालने के लिए लंबाई और चौड़ाई का गुणा कर क्षेत्रफल की समझ विकसित करना एवं लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई का गुणा कर आयतन की की समझ विकसित करना ।बाक्स के कोणों की माप करना ।बाक्स के कोणों को दबाकर कम या ज्यादा कर कोणों की माप करना आदि गतिविधि के माध्यम से सिखाया जा सकता है ।
ReplyDeleteBACHON KO KHEL VIDHI SE SIKHANA UCHIT HAI
ReplyDeleteशिक्षक के रूप में, मे चाहता हूँ की मेरे विद्यार्थी अपनी कक्षा में यथासंभव सर्वश्रेष्ठ परिणामों को हासिल करें। इससे उन्हें अपने जीवन में मौकों और अनुभवों को हासिल करने के लिए अंतदृर्ष्टि और अवसर प्राप्त होंगे। हो सकता है कई परिवार के बच्चे पहली बार स्कूल जाते हैं, जो कि उनके लिए रोमांचक और चुनौतीपूर्ण दोनों होता है। कक्षा का वातारण रूचिपूर्ण और रचनात्मक होना चाहिए। इससे बच्चे जाने के लिए और उद्धेश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्सहित होंगे। उनकी रुचि और रचनात्मकता को संवेग प्रदान करता है, उन्हें स्कूल जाते रहने और सार्थक शिक्षा को हासिल करने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
ReplyDeleteअमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शा.एकीकृत मा.वि अमरोद
विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
सीखने के प्रवेश का सृजन करने के लिए हम बच्चों के लिए कई प्रकार की पेड़ पौधों की पत्तियां लकड़ियां फल आदि को अगर उनके बीच में रखें तो वह वर्गीकरण के आधार पर कुछ उसमें भिन्नता है देखेंगे और स्वयं कुछ ना कुछ उसमें अलग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे इस प्रकार का वातावरण का सृजन करने के लिए हम प्रवेश का निर्माण कर सकते हैं।
ReplyDeleteसीखने के प्रवेश का सर्जन करने के लिए हम बच्चों के लिए कई प्रकार के पेड़ पौधे की पत्तियां लकड़ियां फल आदि के आधार पर एवं कुछ प्रवेश के अनुसार खिलौने चार्ट क्या जी से बच्चों को प्रोत्साहित करेंगे एवं अध्यापन कार्य का भाषण आनंद में बनाएंगे इससे बच्चे बहुत जल्दी सीखने लगते हैं राम कुमार सोनी प्राथमिक शाला चरगांव
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है l और शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचि और परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल सृजन करना। बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएंगे। क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों का, उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए। बच्चों की झिझक दूर करना, जिससे बच्चे बेझिझक बात कर सकें। अभिभावकों से सम्पर्क कर, जानकारी एकत्रित कर, आनंददायक वातावरण बनाना।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल सृजन करना। बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएंगे। क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है। अतः कक्षा के बच्चों की रुचियों का, उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना।
ReplyDeleteSabse pahle Ham kaksha mein Bhai Mukt aur Anand Dhai vatavaran ka Nirman Karenge bacchon ko Vishay Vastu se jo Denge aur khel Khel main sikhane ka Prayas Karenge Vishay Vastu per bacchon ke Vichar sunenge Mera Anubhav Hai Ki Is Tarah Se bacche jaldi sikhate Hain
ReplyDeleteसीखना के परिवेश को सृजित करने के लिए , सबसे अच्छा तरीका यह हो सकता है कि बच्चा जिस भी परिवेश में हो,उस परिवेश की गतिविधियों में बच्चों को शामिल करने के भरपूर अवसर दिए जाएं,ताकि वे स्वयं उनकी रूचि, आवश्यकता और क्षमता की गतिविधियों में संलग्न होकर ,गल्तियां होने पर सुधार करके सीखें और धीरे-धीरे बगैर गल्तियों या बहुत कम गल्तियां करके अपने अनुभव को समृद्ध करते हुए सीखें, अपनी कक्षा के साथियों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद करने में संकोच नहीं करें, सीखने का आनंद उठाएं न कि सीखने को बोझ बनाए।
ReplyDeleteबच्चो के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाये । छात्र जल्दी सीख जाएंगे।
ReplyDeleteबच्चों को अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधि एवं उदाहरण लेकर अधिगम करवाना चाहिए।
ReplyDeleteजिससे छात्र जल्दी सीख सकते हैं।
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए स्वयं के तरीके अपनाएं। बच्चों को सिखाने में ये सहयोगी हुई और बच्चे सीखने के प्रति आकर्षित होकर रुचि से सीखने के लिए तैयार होते हैं जिसमें
ReplyDelete1 घर जैसा परिवेश सृजन के लिए बच्चों को कुछ दिनों तक खेल द्वारा एवं टीएलएन द्वारा कार्य में व्यस्त रखा गया।
2 बच्चे की रुचि किसमें है यह कुछ दिनों तक देखा परखा गया।
3 बच्चे की प्रकृति को जानकर उसी अनुरूप कार्ययोजना बनाई।
4 जो बच्चे कम बोलते हैं और जो शांत रहते हैं उनसे व्यवहारिक वार्तालाप कर बच्चों की झिझक दूर किया गया और स्वच्छ परिवेश निर्मित कर एक ऐसा वातावरण बनाया जिससे वे भी बात कर सकें।
5 बच्चों की रुचि अनुसार गतिविधियों का उपयोग किया गया।
6 बच्चों के माता-पिता से संपर्क बनाए रखकर उनकी व्यवहारिक और सभी जानकारी एकत्रित की गई उसी अनुरूप बच्चों के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायता प्राप्त हुई।
स्वाभाविक रूप में बच्चे के अनुसार परिवेश निर्मित करने के लिए बालक पालक और शिक्षक का समन्वय बहुत आवश्यक है । जो बच्चो के सीखने के लिए परिवेश निर्मित करने में सहायक होता है।
Baccho ko kahaniya sunakar,ya practically kuch sikha kar sikhaya ja sakta hai..
ReplyDeleteबच्चे स्वयं के परिवेश से बहुत सीखते हैं उनको ऐसी गतिविधियां कराकर हम सिखा सकते हैं
ReplyDeleteBacche apne parivesh se bahut sikhte hai
ReplyDeleteबच्चे हमेशा अपने परिवेश में सहज रूप से रहते हैं और उस परिवेश में वे अपने आप को सुरक्षित पाते हैं अतः हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए की परिवेश दत्त विभिन्न सामग्रियों के द्वारा बच्चे सीखने में रुचि ले। उदाहरण के तौर पर विभिन्न फलों के बीज गिनती सिखाने में उपयोगी हो सकते हैं । विभिन्न प्रकार के फलों के रंग आकार द्वारा आवश्यक जानकारी दी जा सकती है छोटे पौधे एवं बड़े पेड़ में अंतर बताया जा सकता है खेल खेलने हेतु उनके द्वारा बनाई जाने वाली सामग्री को आधार बनाया जा सकता है। इस प्रकार परिवेश में पाई जाने वाली अनेक विभिन्न वस्तुओं द्वारा सीखने की प्रक्रिया सरल हो सकती है।
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश से va gatiVidhiyo se bahut सीखते h
ReplyDeleteबच्चों को परिवेश से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। बच्चा अपने परिवेश में लगभग हर प्रकार की वस्तु आदि से परिचित रहता है। जैसे कि बच्चे ने घर पर लकड़ी कंडे चूल्हा देख रखा है उनकी आकृति बनाकर भी हम बच्चों को अक्षर ज्ञान की ओर आकर्षित कर सकते है।
ReplyDelete
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे और उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है।
Bacche Apne parivesh se bahut ko sikhate hain aur unko unke parivesh ke anusar gatividhi kara kar sakte hain
ReplyDeleteBacchon se aas pass ke sadhan kankad pattiyon dwara khilono dwara unse activities kra kr unhe sikha skte h
ReplyDeleteसीखने के तरीकों का सृजन करने के लिए मैं बच्चों के परिवेश में उपस्थित वस्तुओं को पहले इकट्ठा कर लूंगा| तथा उनको गतिविधियों के अनुसार वितरित करूंगा कि कौन- सी वस्तु कौन-सी गतिविधि के लिए उपयोगी है |मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि मेरी गतिविधियां ऐसी हो जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना पहुंचे| बच्चे आनंद से गतिविधियां कर सकें| बच्चे उत्साह में रहे तथा बच्चों को ऐसा ना लगे कि उन पर कोई गतिविधि जबरदस्ती थोपी जा रही है |मैं बच्चों को खेल-खेल में आनंददायक शिक्षा देना चाहता हूं| मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि हर बच्चा आनंद में रहे |जब बच्चे आनंद में कोई गतिविधि सीखते हैं तो उनका ज्ञान सुदृढ़ होता है |तथा उनकी समझ भी मजबूत होती है |अतः मैं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए आसपास से संबंधित गतिविधियों को करूंगा| जिससे उनका अपने परिवेश में समायोजन आसानी से हो सके|
ReplyDeleteदयाराम टनवे,।
प्राथमिक शिक्षक
शा.प्रा.वि.सीतापुरी
तहसील मनावर जिला धार मध्य प्रदेश
बच्चों को अधिक से अधिक खेल गतिविधियों को कराकर अधिक तथा सुगमता पूर्वक सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है । बच्चों को उन्हीं की रुचि अनुसार खेल का चयन करके खेल खिलवाए । इससे बच्चे खेल-खेल में और अधिक सीखते जाएंगे । प्रत्येक बच्चे की भावनाओं को जानकर ही गतिविधियां करवानी चाहिए ।
ReplyDeleteShikshak swayam ek Gyan ke Bhandar ke roop mein hi apni kshamta ke anusar vah har sambhav prayas Karen nai nai tarike ka ijjat Karen aur bacchon Ko Khel Khel mein Shiksha day
ReplyDeleteइतनी जानकारी बच्चों को सुनने से मिलती है उससे ज्यादा जानकारी बच्चों को देखने से मिलती है बच्चे देखने से थोड़ा सीखने का प्रयास करते हैं और उससे ज्यादा सीखने का प्रयास बच्चे स्वयं करते हैं तो बहुत तीव्र गति से सीखते हैं इसी में अभिनय शामिल है जब बच्चे फ्रॉम अभिनय करते हैं तो उनकी सुरजन करने की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है
ReplyDeleteBachche apne parivesh. Ke anusar gatividhi karke sikh sakte hai.
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे और उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है।
ReplyDeleteबाबूराम परस्ते
प्राथमिक शाला दियाबार बरवरा
शैक्षिक गतिविधियों के साथ रोचक गतिविधियों का समावेश होना चाहिए।
ReplyDeleteहम बच्चो को उनकी मत्रभाशा में आसपास के इलाकों में कुछ वस्तुएं और सहरों के नाम और शहपाथियों और माता पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम लिख लिए जाए बताए
ReplyDeleteमेला दिखाने मेले में बस्तुयो से परिचय करा सकते हैं
Bacchon ke Khud Ruchi Jaan Kar unke anusar sikhane se bacche jaldi sikhate Hain
ReplyDeleteBacho ko unke parivesh se sambandhit gatividhiyan krakr,sthaniye sansadhano k prayog se,sahayk shikshan samagri se,khelo k madhyam se tatha unki ruchi k anurup khilono se, ghr ki vastuo se gatividhiyon ka srijan kr sikhya ja skta h.
ReplyDeleteBacchon ko unke Ruchi ke anusar Samjhana chahie
ReplyDeleteबच्चो को उनके स्वयं के परिवेश के मुताबिक और उनकी जिज्ञासा के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाएंगे जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो और वो आसानी से समझ पाए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाए जायें
ReplyDeleteबच्चों के स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण देकर उनकी स्थानीय बोली के द्वारा अधिगम कराएंगे।
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं , बच्चें खेल खेल में सीखते हैं, तथा उन्हें केवल सहयोगी बनानें में हम अपना समय दें तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है तथा शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
ReplyDeleteबच्चों को सीखने के परिवेश को तैयार करने के लिए सबसे पहले हमें बच्चों की रुचि जाना होता है उसके बाद बच्चों की रुचि अनुसार खेल और गतिविधियों का चयन करते हैं तथा बच्चों को भयमुक्त वातावरण देकर सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षक बच्चों को उनके मानसिक स्तर से सिखाने का प्रयास करे
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल करवाएं एवं बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं ।
ReplyDeleteBachcho ko unke sikhne ke star anusar gatividhi krvana chahiye group me kam Krna bachchon ko acha lagta h
ReplyDeletesabhi bachcho ko khel vidhi se sikhae..apni aas pas ki bastuo se parichay krae
ReplyDeleteसभी बच्चों को उनके परिवेशीय वस्तुओं के साथ खेल खेल में उनकी रुचि के अनुसार सिखाई जाए तब बच्चे अच्छी तरह सीख और समझ सकते हैं।
ReplyDeleteअतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके इस प्रकार है -
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं की रूचि के अनुसार खेल सृजित कर शिक्षक खेलकूद गतिविधियाँ करवाएं एवं बच्चों के परिवेश घर एवं स्कूल का परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनकी स्वयं की रूचि के अनुसार गतिविधियांँ करवाना चाहिए |क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है| अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधियांँ करवाना चाहिए |शिक्षक को बच्चों से उनके आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए| एवं बच्चों से सामूहिक खेलकूद गतिविधियांँ करवाना चाहिए| शिक्षक को प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाना चाहिए |
purushottam prasad sharma
GPS chikli udaipura raisen MP
बच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों समूह खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाती हूं ताकि कमजोर बच्चे भी जल्दी सीख सके और सभी बच्चे शामिल हो सके (Shashikala Mishra)
ReplyDeleteHar bachcha alag parivesh se aate he es liye bachcho ke parivesh se Jude khel, khilone ,rityrivaj or samsjik vatavarn se Judy gatividhiya karvayi jani Chahiye.bachcho ko savtantra vatavarn dena Chahiye.
ReplyDeleteमैं अनुराधा सक्सेना सहायक शिक्षिका एकीकृत शासकीय माध्यमिक विद्यालय माधवगंज क्रमांक 2 प्राथमिक खंड विदिशा मध्य प्रदेश प्रश्न अनुसार सीखने की परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके निम्न है बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल खेल में गतिविधि करवाना चाहिए क्योंकि बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए पूरी कक्षा के बच्चों की रूचि के अनुसार उनके वातावरण उनके परिवेश को ध्यान में रखकर ही उनकी क्षमता अनुसार गतिविधि कराना चाहिए प्रत्येक बच्चे के बुद्धि लब्धि स्तर को ध्यान में रखकर ही सिखाना हमारा कर्तव्य है कमजोर बच्चों को अच्छे बच्चों के साथ समूह में जोड़कर सिखाने से कमजोर बच्चे भी सीख जाते हैं और अच्छे बच्चे और भी खुश होते हैं कि हमने इन बच्चों को सिखा दिया चार्ट पत्थर माचिस की तीली स्ट्रा कंचे आदि से बच्चे समूह में अधिक सीखते हैं अतः शिक्षक को बच्चे के परिवेश उसके वातावरण उसकी पारिवारिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक सोच अनुसार उसकी रुचि अनुसार बच्चे के बौद्धिक स्तर अनुसार ही सिखा ना चाहिए ताकि वह पढ़ाई को धार ना समझे और खेल खेल में सीख जाए ताकि उनकी क्षमता अनुसार सिखाने में हम सफल हो सकते हैं धन्यवाद सहित
ReplyDeleteबच्चो की सृजनात्मक, व्यवहारिक और रुचि के अनुसार खेलकर गतिविधियों के माध्यम से सिखाया जाना चाहिए |RRP
ReplyDeleteBacchon ko Khel aadharit gatividhi kara kar ham acchi prakar se kha sakte hain
ReplyDeleteBcchon ko ghar par uplabh cheejon se bhi bahut kuchh sikhte hain parivesh se sikhne ke av ser dena chahiye
ReplyDeleteबच्चों की रूचि के अनुरूप गतिविधियां कराकर और खेल-खेल में सिखाया जाना चाहिए। ताकि हम उनकी क्षमता अनुसार सिखाने में सफल हो सकते हैं। धन्यवाद
ReplyDeleteबच्चे को अगर अपने आसपास के परिवेश से जोड़कर सिखाएंगे तो वह आसानी से सीखेगा
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रुचि अनुसार शैक्षिक खेल का आयोजन कर सीखने की प्रक्रिया को सरल बना सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों को उनकी उम्र के अनुसार
ReplyDeleteएवं उनकी रुचि के अनुसार
खेल के द्वारा शिक्षक बच्चों को
सिखाने के लिए तैयार है जिससे
बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं।
बच्चों को उनके परिवेश के अनुसार एवं रुचि के अनुसार गतिविधियों कराऐगे तो उनके लिए सीखना बहुत ही सरल होगा और हमें भी सिखाने में आसानी होगी PURNIMA DHURVEY, M/S PISUA(MATKULI) MP
ReplyDeleteTo show pictures of story on display board for telling a new story.
ReplyDeleteBy dice we can make different games to learn Hindi, English and Maths for kids.
सीखने के तरीकों का सृजन करने के लिए बच्चों के परिवेश में उपस्थित वस्तुओं को पहले इकट्ठा कर तथा उनको गतिविधियों के अनुसार वितरित करूंगा ,कि कौन- सी वस्तु कौन-सी गतिविधि के लिए उपयोगी है | और यह भी सुनिश्चित करूंगा कि मेरी गतिविधियां ऐसी हो जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना पहुंचे| बच्चे आनंद से गतिविधियां कर सकें तथा बच्चे उत्साह में रहे तथा बच्चों को ऐसा ना लगे कि उन पर कोई गतिविधि जबरदस्ती थोपी जा रही है | बच्चों को खेल-खेल में आनंददायक शिक्षा देना चाहता हूं| मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि हर बच्चा आनंद में रहे |जब बच्चे आनंद में कोई गतिविधि सीखते हैं तो उनका ज्ञान सुदृढ़ होता है |तथा उनकी समझ भी मजबूत होती है |अतः मैं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए आसपास से संबंधित गतिविधियों को करूंगा| जिससे उनका अपने परिवेश में समायोजन आसानी से हो सके|
ReplyDeleteBacchon ko unke parivesh aur Unki bhasha mein Khel Khel Mein sikhana uska rahata hai
ReplyDeleteBachcho ko unke paarivesh ke hisab se unki jigyasa ko sant krne ki aavshyakta anusar sikhaya jaye. Unki ruchi ka bhi dhyan rakha jana chahiye.usi ke anuroop karya krane me bachche utsah se bhag lete ha.Archna shrivastava ps sinawal
ReplyDeleteबच्चे स्वयं गतिविधि कर अधिक सीखते हैं
ReplyDeleteBachcho ko apne aas paas or ghar parivaar ke parivesh ke madhyam se sikhane ka prayas sabse sulabh upay hai
ReplyDeleteबच्चे स्वयं के परिवेश और गतिविधियों के द्वारा जल्दी सीखते हैं
ReplyDeleteबच्घो को खेल खेल मे शिक्षा देनी चाहिए बच्चो को आनन्ददायिनी वातावरण मे मनोरंजन पूर्ण तरिके से पढ़ाना चाहिए कुछ वस्तुए चित्र दिखाकर पढ्ाना चाहिए।
ReplyDeleteपरिवेश में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके बच्चों को खेल के द्वारा एवं गतिविधि के द्वारा सिखाई जा सकता है
ReplyDeleteBachho ki aayu ke anusar unke liye paryavaran me uplabdh vastuon ko ikhatta karke unke saath roachak gatividhi karwai ja sakti hai
ReplyDeleteबच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए
ReplyDeleteKoshish kar skte he k baccho ko khelo k madhyam se sikhae,,.. Ve ruchi se or jaldi sikhenge
ReplyDeleteBachcho ko unki buniyadi shiksha unki ruchi ke anusar shiksha dena chahie. Bachcho ko jyadatar khel madhyan se di janu chahie.
ReplyDeleteबबच्चे, परिवेश में सहज रूप से रहते हैं और उस परिवेश में वे अपने आप को सुरक्षित पाते हैं अतः हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए की परिवेश दत्त विभिन्न सामग्रियों के द्वारा बच्चे सीखने में रुचि ले। उदाहरण के तौर पर विभिन्न फलों के बीज गिनती सिखाने में उपयोगी हो सकते हैं । विभिन्न प्रकार के फलों के रंग आकार द्वारा आवश्यक जानकारी दी जा सकती है छोटे पौधे एवं बड़े पेड़ में अंतर बताया जा सकता है खेल खेलने हेतु उनके द्वारा बनाई जाने वाली सामग्री को आधार बनाया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की गति के आधार पर ही कक्षा शिक्षण कराएंगे प्रत्येक बच्चे की रुचि को ध्यान में रखते हुए बच्चों के परिवेश सही खिलौने वस्तुएं आदि एकत्रित कर खेल खेल में ऐसा वातावरण निर्मित करेंगे कि बच्चा आसानी से सीख सकें
ReplyDeleteBachon k apne parivesh se udahran dekar samjhaye ge.
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए हम कुछ तरीके अपना सकते हैं जैसे यदि हम किसी फसल के बारे में बता रहे हैं तो हम उस मौसमी फसल की बोने की विधि उसको रोकने की विधि और फसल बढ़कर तैयार होने की विधि को किसी कृषक के खेत में परिभ्रमण कार्यक्रम तैयार कर बच्चों को उक्त गतिविधि से परिचित करा कर हम बच्चों को उनको उन से अवगत कराकर सिखाने का प्रयास कर सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों को आनंद पूर्वक सीखने के पूर्ण अवसर प्रदान करना चाहिए ।
ReplyDeleteउनको खेल-खेल में नई गतिविधियों के माध्यम से, चार्ट, चित्र ,कविता, कहानियों के माध्यम से, रुचि जगाने वाले सरल परियोजना कार्य द्वारा आसानी से तथा प्रगतिशील तरीके से सिखाया जा सकता है। बच्चों को सीखने ,पढ़ने, आगे बढ़ने के लिए एक सहज व खुला माहौल प्रदान करना चाहिए।
मैं बच्चों के परिवेश से ही खिलौने ठोस वस्तुएं और बच्चों के अलग अलग उनके स्तर अनुरूप समूह में खेल गतिविधियों का उपयोग अत्यधिक करवाता हूं ताकि कमजोर बच्चे भी
ReplyDeleteगतिविधि में सक्रियता से भाग लेकर जल्दी सीख सकें।और ऐसा करने से पहले उन्हें प्राणायाम ध्यान आदि भी करवाता हूं। ताकि उनकी याददाश्त बढ़ सके। दिनेश चाकणकर सहायक शिक्षक शाप्रावि मोतीमहल ग्वालियर
Bachho k mata pita se bat kr k unki ruchi k bare mai janne ki kosis aur usi k adhr pr jaise khel music k madhyam se sikhane ki kosis kre
ReplyDeleteबच्चो के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाये । छात्र जल्दी सीख जाएंगे
ReplyDeleteBacchon ko Khel Khel ke unke Ruchi ke anusar samjhaya Jaaye yahi uchit hai
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय
ReplyDeleteसीखने के परिवेश सृजन हेतु पाठ्यक्रम आधारित गतिविधियों के साथ साथ बच्चों की वर्तमान एवम् संभावित रुचियों पर आधारित गतिविधियां का प्रतिपादन बहुत आवश्यक है ।तभी अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteसिखने के लिए सबसे पहले शाला के बाहर पेड़ पौधे हरियाली स्कूल गार्डन में ले जाकर खूब सारी बातें करे पौधो पत्तियों पंछियों की, बच्चों से सुने कुछ समय बिताए फिर वही धीरे धीरे शुरुवात करे
ReplyDeleteसीखने के परिवेश के सृजन करने के लिए हमे बच्चों की रुचि व बुद्धिमता स्तर के अनुसार पाठ्य सहगामी गतिविधियों का प्रतिपादन करके वांछित अधिगम स्तर को प्राप्त किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteवर्तमान समय में बच्चों को खेल खेल में एवं अवलोकन करके देना एवं प्रशिक्षण में बताए गए विभिन्न प्रकार के कौशल विकसित करने हेतु शिक्षण सामग्री बच्चों के लिए बहुत रुचिकर है इससे बच्चों में स्थाई ज्ञान विकसित होगा। लेकिन यह तब होगा जब हम इसे कक्षा में लागू करेंगे। धन्यवाद
ReplyDeleteGoogle
ReplyDeleteबच्चो को उनके स्वयं के परिवेश के मुताबिक और उनकी जिज्ञासा के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाएंगे जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो और वो आसानी से समझ पाए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हे क्रियाकलाप करवाए जायेंगे
प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए तथा उसके साथ ही साथ कनेक्ट करते हुए अपने बौद्धिक क्षमता को बड़ाना चाहिए ।
ReplyDeleteरश्मि वर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला बोरदा भोपाल मध्य प्रदेश
Baccho ko unki Ruchi ke anusar sikayenge to bacche bor bhi nahi honge or kisi bi cheej ko baut aasani se khel khel me seek jayenge
ReplyDeleteChote baccho ka jo dimak hota h bo baut hi creative hota unhe invocation ka moka dena chahiye
ReplyDeleteBhut achha tarika h
ReplyDeleteBacchon ko Apne Swayam parivesh se gatividhiyan aur udaharan dekar adhigamn karvayen.
ReplyDeleteस्थानीय परिवेश की सामग्री के अनुसार गतिविधि करवा कर
ReplyDeleteबच्चों की रुचियों, उनके परिवेश और उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में जानकारी करके बच्चों के बौद्धिक स्तर के अनुरुप शिक्षण गतिविधियों का निर्माण करना चाहिए। जिससे बच्चे जल्दी सीखेंगे।
ReplyDeleteबच्चा गतिविधियों के माध्यम से जल्दी सीखेंगे एवं विषय के प्रति रुचि बढ़ेगी।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए। shobha sher P.S.Gangakhedi
ReplyDeleteनमस्कार साथियों, मैं प्रीति श्रीवास्तव शासकीय प्राथमिक शाला उमरिया ली टी पनागर जिला जबलपुर
ReplyDeleteसीखने के स्थानीय परिवेश निर्मित करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता है घर एवं कक्षा के आस पास उपलब्ध वस्तुओं के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाना चाहिए जो इस प्रकार हैं __
1. जैसे गिनती सिखाने के लिए बीजों को गिन कर लकड़ियों को इकट्ठा कर 10 10 के समूह में बंडल तैयार करना बीजों को समूह में रखना इस प्रकार की गतिविधि के माध्यम से खेल खेल में सिखाया जा सकता है |
2. बच्चों को आयताकार आकृतियों की लंबाई ,चौड़ाई, क्षेत्रफल तथा आयतन की अवधारणा समझाने के लिए चौकोर बॉक्स की लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई नापने सिखाया जा सकता है एवं बॉक्स के द्वारा कोणों की माप करना भी सिखाया जा सकता है |
3. बच्चों को कई प्रकार की पेड़ पौधों की पत्तियां, लकड़ियां और फल आदि को वर्गीकरण के आधार पर एवं भिन्नता देखेंगे इस प्रकार उन्हें खेल के माध्यम से कुछ ना कुछ अलग करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए इस प्रकार हम परिवेश का निर्माण कर सकते हैं
अंततः यह कह सकते हैं परिवेश में पाई जाने वाली अनेक विभिन्न वस्तुओं द्वारा सीखने की प्रक्रिया सरल हो सकती है ...धन्यवाद
Bacchon ko sikhane ke liye uski roj ke anusar Shiksha hona chahie uske roop ke anusar padhaanaa chahie bacchon ko umra ke anusar bhi padhaanaa chahie walon Ko Dhyan Mera kar use Kiya kalap karna chahie
Deleteसीखने के परिवेश का सर्जन करने के लिए सबसे पहले सीखने के तरीकों के बारे में जानना आवश्यक होगा यदि हम बात करें 3 से 8 वर्ष के बच्चों की तो मान्यता यह है कि इस आयु वर्ग के बच्चे सबसे अधिक तेज गति से इस उम्र में सीखते हैं। तब जबकि इसी उम्र में बच्चों के मस्तिष्क का विकास सबसे तेज गति से होता है। सबसे पहले हम उनसे बातचीत में सहज होते हुए उनके अपने घर परिवार,परिवेश,खेलकूद आदि की गतिविधियों,पहनावा और घर में मनाए जाने वाले त्योहारों पर बात करेंगे। और इन्हीं मुद्दों पर हम उनके लिए वह सहायक शिक्षण सामग्री का निर्माण करेंगे जिससे वह भली भांति परिचित हो। उनके परिवार के सदस्यों के बारे में बातचीत कर पहले हम उन्हें हमारी बात अच्छे से सुनना सिखाएंगे। उनकी पसंद के खेल खिलौना के माध्यम से उन्हें संख्या ज्ञान करवाएंगे। बुनियादी साक्षरता के विकास के लिए परिवार के सदस्यों के नामों का सहारा लेते हुए उन्हें पढ़ना सिखाएंगे। और फिर धीरे-धीरे उन्हें संख्याओं पर संक्रियाएं करना और अपने आसपास की समस्याओं का निराकरण खोजना सिखाएंगे।
ReplyDeleteजिससे भविष्य में उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से चलती रहे।
प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग २ आवश्यकताए होती है क्योकि हर बच्चे का परिवेश अलग होता ह् उसकी मानसिक एवं परिवेश के अनुसार सिखाना चाहिए
ReplyDeleteमातृभाषा में बच्चे बहुत ही सहजता से सीखते हैं । जिस भाषा भाषी क्षेत्र में शिक्षक कार्य करें वहां के बच्चों की स्थानीय भाषा में सहायक शिक्षण सामग्री तयार करना चाहिए ब प्रिंट रिच वातावरण भी उसी भाषा में तयार करना व। शिक्षण कार्य मातृभाषा का उपयोग करना श्रेयस्कर होगा।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की भाषा अलग अलग होती है अतः उसे उसकी स्थानीय भाषा में ही समझाना चाहिए सहायक सामग्री भी उसकी स्थानीय भाषा में तैयार करना चाहिए जिसकी वह जल्दी से पहचान कर सके और उसमें सीखने की योग्यता आ सके
ReplyDeleteBaccho ko rhythm me ya gaano k madhyam se v bahut kuch sikhaya ja sakta hai jo sabke lie ek jesi hai...
ReplyDeleteस्थानीय परिवेश में उपलब्ध शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करके सीखने के परिवेश के सृजन करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता हैं|
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियों का होना आवश्यक होता है। अतः उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, क्षेत्रीय भाषा एवं उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से सिखाया जाना उचित होगा।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी स्थानीय भाषा, संस्कृति, स्थानीय परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं, उनके सामाजिक व्यवहार पर चर्चा तथा उनके अभिभावकों को जोड़कर सिखाया जा सकता है।🙏
ReplyDeleteबच्चों को उनके सीखने के लिए स्थानीय परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं के साथ बड़ों और शिक्षकों को शामिल करके स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हुए सृजनात्मक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।🙏
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की रुचि को ध्यान में रखते हुए बच्चों के परिवेश सही खिलौने वस्तुएं आदि एकत्रित कर खेल खेल में ऐसा वातावरण निर्मित करेंगे कि बच्चा आसानी से सीख सकें|
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए सिखाने के तरीकों के बारे में जानना है प्राथमिक स्तर के बच्चे रुचिकर अध्ययन सामग्री को सीखने के लिए आतुर व जिज्ञासु होते हैं परिवेश में उपलब्ध सामग्री का रोचक एवं मनोरंजक तरीकों से सिखाने से सभी बच्चे जल्दी सीखते हैं बच्चों के अनुरूप सहायक सामग्री का निर्माण कर समस्स्याओं का निराकरण करने खिलौने खेलकूद के माध्यम से पठन सामग्री को सरल बनाया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों को सिखाने के लिए सर्वप्रथम उनके परिवेश में होने वाले खेलों को जानते हैं और फिर उन्हें खेलों के आधार पर हम अपने विषय को सिखाने की कोशिश करते हैं गतिविधि आधारित जैसे गिनती सिखाने के लिए बीजों को गिन वाना लकड़ियों को इकट्ठा करना 10 -10 के समूह में गटठर तैयार करना और बीजों को समूह में रखवाना तथा सभी को मिलाकर उन्हें अलग-अलग करवाना और फिर गिनती गिनना और गोला बनवा कर गतिविधि करवाना और फिर एक साथ किसी भी एक संख्या जैसे सात समूह में बनवाना आदि
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सर्जन करने के लिए सबसे पहले सीखने के तरीकों के बारे में जानना आवश्यक होगा यदि हम बात करें 3 से 8 वर्ष के बच्चों की तो मान्यता यह है कि इस आयु वर्ग के बच्चे सबसे अधिक तेज गति से इस उम्र में सीखते हैं। तब जबकि इसी उम्र में बच्चों के मस्तिष्क का विकास सबसे तेज गति से होता है। सबसे पहले हम उनसे बातचीत में सहज होते हुए उनके अपने घर परिवार,परिवेश,खेलकूद आदि की गतिविधियों,पहनावा और घर में मनाए जाने वाले त्योहारों पर बात करेंगे। और इन्हीं मुद्दों पर हम उनके लिए वह सहायक शिक्षण सामग्री का निर्माण करेंगे जिससे वह भली भांति परिचित हो। उनके परिवार के सदस्यों के बारे में बातचीत कर पहले हम उन्हें हमारी बात अच्छे से सुनना सिखाएंगे। उनकी पसंद के खेल खिलौना के माध्यम से उन्हें संख्या ज्ञान करवाएंगे। बुनियादी साक्षरता के विकास के लिए परिवार के सदस्यों के नामों का सहारा लेते हुए उन्हें पढ़ना सिखाएंगे। और फिर धीरे-धीरे उन्हें संख्याओं पर संक्रियाएं करना और अपने आसपास की समस्याओं का निराकरण खोजना सिखाएंगे।
ReplyDeleteजिससे भविष्य में उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से चलती रहे।
बच्चों को उन्हीं के रूचि के अनुसार खेल सुजित कर शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
ReplyDeleteबच्चों के अपने स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण लेकर अधिगम करवाएंगे छात्र जल्दी सीख पाएंगे
ReplyDeleteबच्चों उनके आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे ओर उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।बच्चों उनके आसपास उपलब्ध बस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे ओर उन्ही से बच्चों के अधिगम में वृद्धि कर सकते है।
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके इस प्रकार है -
ReplyDeleteबच्चों को उन्हीं की रूचि के अनुसार खेल सृजित कर शिक्षक खेलकूद गतिविधियाँ करवाएं एवं बच्चों के परिवेश घर एवं स्कूल का परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनकी स्वयं की रूचि के अनुसार गतिविधियांँ करवाना चाहिए |क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है| अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधियांँ करवाना चाहिए |शिक्षक को बच्चों से उनके आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए| एवं बच्चों से सामूहिक खेलकूद गतिविधियांँ करवाना चाहिए| शिक्षक को प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाना चाहिए |
दैनिक उपयोग के उत्पादों के उपयोग से बच्चों को स्थिति और ज्ञान को समझने में मदद मिलती है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।अतः शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियों,उनके परिवेश, उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में मालुम होना चाहिए।बच्चो के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।शिक्षक खेल करवाएं तथा बच्चों की भावनाओं को समझ कर गतिविधियां करवाएं क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है अता शिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए तथा प्रत्येक बच्चे के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों का निर्माण करना चाहिए।।
ReplyDeleteBache experience se acha sikhte h
ReplyDeleteशिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए
ReplyDeleteशिक्षक को पूरी कक्षा के बच्चों की रुचियो उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि कराना चाहिए
ReplyDeleteDevki chouhan
बच्चो को उनकी रुचि के अनुसार कार्य द्वारा सिखाएंगे और शिक्षक को बच्चो को सभी माध्यम से सिखाना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चो का मनोरंजन भी हो और बच्चे कर कर सीखे।
ReplyDeleteस्थानीय परिवेश में उपलब्ध शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करके सीखने के परिवेश के सृजन करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता हैं
ReplyDeleteबच्चे स्थानीय परिवेश में खेल खेल में गतिविधियों के माध्यम से पढना और समझ विकसित करते हैं
ReplyDeleteIn local environment they learn by fun all physics and useful materials can be toys for children
ReplyDeleteThis is a first task for the children they full of interest and play full and also they copied their parents companionsand others
ReplyDeleteA child should be teach with his/her experience and play materials
ReplyDeleteसमाज मे होने वाली कार्यक्रम को बच्चों के बीच नाटकीय रूप में पयोग करा सकते है।स्थानीय परिवेश में उपलब्ध शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करके सीखने के परिवेश के सृजन करना और बच्चों को सिखाने में उनका क्रियान्वयन करना होता हैं
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रुचि, आदतों और क्षमताओं के आधार पर विद्यालय और विद्यालय के बाहर परिवेश में सीखने के अवसर प्रदान किए जाएं।सीखने के विभिन्न माध्यमों से बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति जागृत की जावे।विना किसी लिंगभेद, आयुभेद के सीखने के समान अवसर प्रदान किए जाना चाहिए।
ReplyDeleteदयालाल शाक्य प्र.अ. HSSखमतला जिला विदिशा
Epes निवारि,शिक्षक रजनीश शुक्ला,जिला नर्मदापुरम,23370501001 देस कोड से
ReplyDeleteछात्रों को मनोयोग से कार्य करवाये,उनपर कुछ थोपे न,धीमी या तेज गति भी न देखे,निश्चय ही छात्रों की तरक्की होगी।
जय हिंद जय भारत।
बच्चों को अपनी रूची के अनुसार खेल के माध्यम से गतिविधियाँ करवा कर सिखाया जा सकता है।
ReplyDelete1.विद्यार्थियों को कक्षा में विषय वस्तु पर अपने विचार प्रकट करने का मौका दिया जाना चाहिये.
ReplyDelete२ किसी कार्य को स्वयं करके सीखना विषय मैं रूचि उत्पन्न करता है.
3. वस्तु से सम्बंधित सामग्री को देखना ,अनुभव करना एवम अपने शब्दों मैं उसे लिखना.
4 .कक्षा में विषय वास्तु पर वाद विवाद या सामूहिक चर्चा करना. यह विद्द्यार्थियों में वाद - संवाद की गुणवत्ता को बढ़ाता है.
बच्चों के स्वयं के परिवेश से गतिविधियां और उदाहरण देकर उनकी स्थानीय बोली के द्वारा अधिगम कराएंगे।
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