भाषा सिखाने की शुरुआत दृश्य आत्मक निरूपण का उपयोग करने पढ़ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं इसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
भाषा सीखने की शुरुआत दृश्य यात्मक निरूपण का उपयोग करने पर ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं उसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
Haa,barnamala sikhane se baccho ko sabdo ke bare me jankari milti hai. Jo hum bolte hai uska Swaroop pata chalta hai taaki bacche apne man ki baat likh kar bata sake jisse unhe padne me romanchak lage or wo khusi k sath padai kare .
Haa,barnamala sikhane se baccho ko sabdo ke bare me jankari milti hai. Jo hum bolte hai uska Swaroop pata chalta hai taaki bacche apne man ki baat likh kar bata sake jisse unhe padne me romanchak lage or wo khusi k sath padai kare .
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से उनमें भाषा गृहण करने की क्षमता बढ़ती है, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से उनमें भाषा गृहण करने की क्षमता बढ़ती है, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला। सादर । सुनीत कुमार पाण्डेय कटनी(मप्र) 🙏🙏🙏🙏
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। एवं वाक्यों से अनुच्छेद और अनुच्छेद से साहित्यिक कृतियों का जन्म होता है। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला। सादर । सुनीत कुमार पाण्डेय कटनी(मप्र) 🙏🙏🙏🙏
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है| मैं- रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव, जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहसराम ,विकासखंड- विजयपुर, जिला- श्योपुर (मध्य प्रदेश)
कक्षाओं को इस प्रकार सुसज्जित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे को उस गतिविधि पोस्टर कार्ड है जो भी आप t.l.m. उपयोग कर रहे हैं वह सब बच्चे देख सके उनका उपयोग कर सकें और अपने समझ में जो आए उसके तहत वह कार्य कर सकें और शैक्षणिक गतिविधियों में भाग ले सकें
हमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों की मातृभाषा से करनी चाहिए तत्पश्चात बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित होने पर उन्हें हिन्दी वर्णमाला से परिचित कराते हुए उनका उचित व वैज्ञानिक विकास करना चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने सिखाने के लिए आमतौर पर वर्ण माला से सुरुआत की जाती है परंतु यह आवश्यक नहीं है ।भाषा सिखाने की शुरूआत यदि शब्द से की जाती है तो उसके बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं ।
Hindi bhasha sikhane ki shuruaat varnamala se Hi karna chahie uske bad bacchon ke sath samanya se sthapit hone per unhen Hindi varnamala se parichit karate hue Unka uchit hua vaigyanik Vikas karana chahie
मैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर में प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूंहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
हिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना ही चाहिए , क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से , बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। N.K.AHIRWAR
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नांदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खंडवा वैसे तो बच्चे जब बोलना सीखते हैं तो कई शब्द बोलते हैं जैसे मामा दादा आदि फिर भी व्यवस्थित रूप से भाषा सीखने के लिए वर्णमाला सिखाना आवश्यक है
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए ।
बच्चों को वर्णमाला सिखाने से पूर्व उनके सामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि वर्णमाला की समझ उनमें बनाने में मदद मिल सके तत्पश्चात ही उनको वर्णमाला सिखाएंगे तभी वह रुचि पूर्ण तरीके से सीख पाएंगे
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। एवं वाक्यों से अनुच्छेद और अनुच्छेद से साहित्यिक कृतियों का जन्म होता है। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
यह सही है कि बच्चों को मातृभाषा सीखने की शुरूआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इस का आधार वैज्ञानिक है। श्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका, शासकीय कन्या प्राथमिक शाला, ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
संतोष कुशवाहा शासकीय प्राथमिक विद्यालय कटा पुर ब्लॉक सेवढ़ा जिला दतिया जैसा कि प्रश्न किया गया है कि किसी भी भाषा को सिखाने के लिए बच्चों को पहले वर्णमाला सिखाना जरूरी है। मेरे हिसाब से जो बच्चे आते हैं वह अपने घर परिवार एवं प्रवेश से कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
संतोष कुशवाहा शासकीय प्राथमिक विद्यालय कटा पुर ब्लॉक सेवढ़ा जिला दतिया जैसा कि प्रश्न किया गया है कि किसी भी भाषा को सिखाने के लिए बच्चों को पहले वर्णमाला सिखाना जरूरी है। मेरे हिसाब से जो बच्चे आते हैं वह अपने घर परिवार एवं प्रवेश से कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
हमें भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत करना उचित नहींबच्चों को वर्णमाला सिखाने से पूर्व उनके सामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि वर्णमाला की समझ उनमें बनाने में मदद मिल सके तत्पश्चात ही उनको वर्णमाला सिखाएंगे तभी वह रुचि पूर्ण तरीके से सीख पाएंगे होगा।
Hindi bhasha ki shuruaat varnamala Se Hi Hona chahie .saral varan ko pahle bacchon se parichit Karana chahie, jisse unhen bhasha sikhane mein aasani ho.
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला। सादर ।
हिन्दी भाषा सिखने की शुरूआत अक्षर ज्ञान से ही होनी चाहिए।सीखने का आधार ही अक्षर ज्ञान है।बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही सिखाना चाहिए।हम ओर आप वर्णमाला से ही सिखे है।
भाषा सिखाने का वैज्ञानिक आधार वर्णमाला है ,वर्णों के मेल से ही शब्दों का निर्माण होता है।और शब्दों से वाक्य बनते है।कोई भी भाषा सीखने के लिए उस भाषा के वर्णों का ज्ञान होना आवश्यक है।अतः वर्णमाला का ज्ञान होना आवश्यक है।
किसी भी भाषा सीखने का सबसे पहला क्रम उसकी वर्णमाला है। हिन्दी भाषा सीखने में वर्णमाला का प्रयोग करना चाहिए। वर्णमाला हि किसी भाषा सीखने की जड़ है।हमें भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत करना उचित नहींबच्चों को वर्णमाला सिखाने से पूर्व उनके सामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि वर्णमाला की समझ उनमें बनाने में मदद मिल सके तत्पश्चात ही उनको वर्णमाला सिखाएंगे तभी वह रुचि पूर्ण तरीके से सीख पाएंगे होगा।...Asha joshi
Kisi bhi Bhasha ko sikhane ke liye use Bhasha ki varnamala ka gyan hona swabhavik hai bina varnamala ki Gyan Hue baccha use Bhasha Ko Nahin Sakta aur Tak jaruri hai ki Khushi Bhasha ko sikhane se pahle use ki varnmala ka gyan Hona chahie
किसी भी भाषा को मौखिक या ध्वन्यात्मक भाषा सिखाने हेतु वर्णमाला की आवश्यकता नहीं होती ।हां यदि उस भाषा को पढ़ना एवं लिखना सिखाना है तो वर्णमाला से ही शुरुआत करेंगे ।वर्णमाला क्रमानुसार सिखाएं जरूरी नहीं जरूरी है कि बच्चा उच्चारण कर ध्वनि के माध्यम से वर्ण पहचाने उसके आकार को पहचाने।
भाषा सीखने का पहला क्रम उसकी वर्णमाला होती हैं। भाषा सीखने में उसकी वर्णमाला का प्रयोग करना चाहिए। किसी भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला ही सीखने की जड़ होती है।
सकीना बानो किसी भी भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत की जाती है परंतु यह आवश्यक नहीं है भाषा सिखाने की शुरुआत शब्दों से भी की जा सकती हे इससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
सिखाने के लिए बच्चों को पहले वर्णमाला सिखाना जरूरी है। मेरे हिसाब से जो बच्चे आते हैं वह अपने घर परिवार एवं प्रवेश से कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
सुरेश पेठारी एकीकृत शाला मा वि बुरुट भाषा और साक्षरता के साथ संलग्नता ★☆★★★★★★★◆●●●★ भाषा सीखने का यह पहलू इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भाषा सीखने के विभिन्न दृष्टिकोण शामिल हैं। जैसा कि हम जानते है कि बच्चों में भाषा सीखने और उनका अधिकतम स्तर तक उपयोग करने की स्वाभाविक क्षमता होती है। साक्षरता को एक जटिल विकासात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। साक्षरता के बुनियादी वर्ष सीखने, पढ़ने लिखने और मौखिक भाषा के उचित अवसर प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बच्चों के दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए यह महत्त्वपूर्ण स्तर है, जो उनकी समझ के आधार पर सोचने और विचारों को व्यक्त करने के लिए स्थान देने का आह्वान करता है। इस स्तर पर बच्चे जिज्ञासु होते हैं और अपने आसपास की दुनिया का पता लगाना चाहते हैं। एक विचारशील शिक्षक कक्षा के भीतर और बाहर बहुत सारे निवेश के साथ साक्षरता कक्षाओं की योजना बनाता है। आपन एंडेड मुक्त निर्देश शिक्षार्थी को अपने ज्ञान और अनुभव को विस्तार करने की अनुमति देते हैं। बच्चे अपने संज्ञानात्मक कौशल का उपयोग करके रचनात्मक बनते हैं बशर्ते शिक्षक और माता पिता उन्हें सीखने का सहायक वातावरण प्रदान करें। ★◆सुरेश पेठारी एकीकृत शाला मा वि बुरुट◆★ विद्यालय शिक्षक से यह अपेक्षा की जाती है कि वे उन्हें बोधगम्य परिचित निवेश प्रदान करें ताकि वे उसे समझने में स्वयं को संलग्न कर सकें। बच्चों को बाल साहित्य और प्रामाणिक अनुभवों से सार्थक रूप से जोड़ा जा सकता है। उनके सजीव अनुभव सीखने के लिए एक मजबूत आधार बनाते हैं। सार्थक निवेश उनके लिए स्वतंत्र शिक्षार्थी बनने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। एक कहानी कविता तुकबंदी पहेली आदि उन्हें अर्थ के साथ सीखने के लिए प्रेरित करेंगे बशर्ते कि इसका प्रासंगिक और परिचित संदर्भ हो। अर्थ बनाने के लिए भाषा सीखने की सामग्री से परिचित होना महत्वपूर्ण है।
कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार है • प्रिंट-समृद्ध वातावरण
एक प्रिंट समृद्ध वातावरण बनाना साक्षरता कक्षा की पहली प्राथमिकता मानी जाती है। बाल-केंद्रित प्रिंट के साथ संलग्नता चयनित पाठ से अर्थ बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा। युवा पाठक पढ़ने और लिखने के लिए अत्यधिक प्रेरित होते हैं बशर्ते उनके लिए पुस्तकों, चित्रों संदेशों, खेलों आदि के रूप में प्रिंट उपलब्ध हो। सावधानी से चयनित बाल साहित्य साक्षरता पद्धति के निर्माण की ओर पहला कदम है। पढ़ने के कोने में उपलब्ध साहित्य और स्टेशनरी कागज, रंग, पेंसिल आदि) उपयोग के लिए बच्चों की पहुंच के भीतर होने चाहिए। दीवारों पर प्रिंट उनकी दृष्टि की पहुंच, उपयोग और पसंद को ध्यान में रखते हुए चयनित किया जाना चाहिए: यह उनके द्वारा तैयार किए गए चार्ट या सामग्री भी हो सकती है। प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए सामग्री को नियमित रूप से बदलते रहना चाहिए।
• मौखिक भाषा निवेश
★ अपने बारे में बात करने के अवसर
स्वतंत्रता और अवसर प्राप्त होने पर सभी बच्चे अपने जीवन के बारे में बात करना पसंद करते हैं जो चीजें हुई. हैं और जिन चीजों का वे अनुमान लगाते हैं। शिक्षकों को कक्षा में सीखने और पढ़ाने के दौरान बच्चों के जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है
Han Har bhasha sikhane ke liye uski Ek vanmala hoti hai jo us Bhasha ka ek Aadhar Hoti Hai .atah bacchon Ko kramanusar varnamala ka gyan Karana chahie.
रत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केन्द्र तेवर जबलपुर ग्रामीण
वैसे तो भाषा की शुरुआत वर्णमाला की जाना चाहिए लेकिन क्रमानुसार हो यह उचित बन्धन नहीं है । विद्यार्थी दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले वर्ण को पहचानता है और उच्चारण भी समझता हैं जैसे मां , दें आदि । विद्यार्थियों को शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखाईं जा सकती है। चूंकि बिना वर्णमाला ज्ञान के भी बच्चें अनेक शब्द बहुत छोटी अवस्था से बोलते हैं। इस कारण बच्चों को वर्णमाला का मौखिक ज्ञान रहता है परन्तु समझ नहीं रहतीं ।
किसी भी भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत की जाती है परंतु यह आवश्यक नहीं है भाषा सिखाने की शुरुआत शब्दों से भी की जा सकती हे इससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है।भाषा शिक्षण में पहले सुनना और बोलना आता है इसलिये पहले बच्चे को सुनने और बोलने की गतिविधियां करवाये।
शा. प्रा. वि. जतौली विकास खण्ड मुंगावली जिला अशोक नगर मध्य प्रदेश बच्चे अपनी मातृभाषा के माध्यम से जल्दी सीखते हैं यदि बच्चों को कहानी, कविता के माध्यम से सिखाना प्रारंभ किया जाए तो बच्चे शब्दो के साथ - साथ अक्षर भी सीख सकते है।
जैसा कि प्रश्न किया गया है उसके अनुसार किसी भी भाषा को सीखने के लिए पहले उसकी वर्णमाला का ज्ञान होना अति आवश्यक है परंतु यह कोई बंधन नहीं है कि वर्णमाला का ज्ञान क्रम के अनुसार ही हो बच्चों को हम अक्षर कार्ड की सहायता से वर्णों की समझ विकसित कर सकते हैं परंतु यह जरूरी नहीं की वह क्रम से हो l दूसरा तरीका हम बच्चों को शब्द बनाकर उनके प्रथम अक्षर पर गोला लगाकर भी वर्णों को समझा सकते हैं इससे बच्चों की वरुण के साथ-साथ शब्द को लेकर भी समझ बढ़ेगी इस प्रकार अब कह सकते हैं की बच्चों को वर्णमाला सिखाना आवश्यक है परंतु क्रम से सिखाना जरूरी नहीं है l धन्यवाद,, महावीर प्रसाद शर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन डोरा विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है| मैं- जी.पी.सोलंकी ( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय- माना , जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- जमानी ,विकासखंड- केसला जिला- होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला
िाषा एक संपूर्त सत्ा है और इसे समग्र रूप से सीखा जािा चानहए। छोटे बचचे बहुर शुरुआरी अवसरा में िाषा की सार्तकरा और उसके काय्त को समझिे लगर े हैं। हमिे देखा ही है नक जब बचचे बोलर े हैं रो उिके पास संप्रेनषर करिे के नलए एक संदेश होरा है और वे जािरे हैं नक इसे कै से संप्रेनषर करिा है।
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
Budhlal Maravi P. S. Shivri District -Dindori (MP) बिना किसी वर्ण ज्ञान के भी बच्चे कुछ न कुछ बोलते हैं, वह भी भाषा हो सकता है। लेकिन बच्चों को वर्ण ज्ञान कराना नितांत आवश्यक है । बिना वर्ण ज्ञान के उन बोले गए शब्दों को लिखित रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है ।
मैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर (MP) किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। एवं वाक्यों से अनुच्छेद और अनुच्छेद से साहित्यिक कृतियों का जन्म होता है। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।हमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों को उनकी मातृभाषा से करनी चाहिए क्योंकि बच्चा अपनी मातृभाषा के बाद ही वर्णमाला पर आता है।
हाँ भाषा लिखने के लिए वर्णों की पहचान होना आवश्यक है ।यह क्रमबद्ध हो आवश्यक नहीं ।बच्चा जब भाषा बोलता है ।तो वह सुन कर बोलना सीख जाता है।उस समय वह वर्णो को नहीं जानता ।परन्तु जब वह वर्ण लिखना सीख जाता है ।तो अलग - अलग वर्णो को जोड़कर नए वाक्य बनाना सीख जाता है ।
Han Bhasha sikhane ki shuruaat varnamala se hi Honi chahie handbag Gyan ka Aadhar per Bane hue hain Agar bacchon ko band wala ka gyan kramank Sar Nahin hoga to vah sahi ucharan nahin kar Payenge Kyunki Kafi e Shodh AVN practical ke bad Parmanu sar varnamala ka Chayan Kiya gaya hai bacche Usi hisab se a Kuchh Charan kar paate Hain AVN Shabd banaa paate Hain isliye hai nitant avashyak hai varnamala kram anusar Dikhai Jaaye Iske bad padhna Sahi ucharan likhna Sikh a Jaaye han Ham Kahani Kavita Chitra gatividhi h Di isase pahle a kara sakte hain Iske bad varn wala dikha dhanyvad
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से उनमें भाषा गृहण करने की क्षमता बढ़ती है, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। Nirmala Shivhare
हाँ हमें भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा तो बच्चे घर पर सीखे रहते हैं लेकिन वर्णमाला से अनभिज्ञ रहते हैं इसलिए भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए
हां हमे बच्चों को वर्णमाला केक्रम से प्रारम्भ किया जाना चाहिए। और उन्हें परिचित वर्णों का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिससे बच्चे अच्छे से समझ सकेंगे। और बोल पायेंगे
Sunder lal barman ps kodo.bachcho ko kramanusae varn mala nahi sikhana hai balki bachcha svam dekh kar seekhata hai. Vah apne sahpathiyo ke sath rahkar dekh kar seekhata rahta hai.var var abhayas karane ke bad vah seekh leta hai.
यह आवश्यक नहीं है कि भाषा सीखने की शुरूआत वर्णमाला से ही हो शब्दों aur वाक्यों se शुरूवात करके भी बच्चे शब्दों की ध्वनि se अर्थात शब्द के पहले वर्ण की ध्वनि ke द्वारा भी अच्छी तरह से वर्ण माला सीख सकते हैं l
Shamim. Naz भाषा की सीखने की शुरुआत क्रमानुसार वर्णमाला से ना कराकर बच्चा जो आसानी से सिखेउस वर्ण की पहचान कराने के साथनवीन सब्दों से करानी चाहिए। इसके परिणाम भी सकारात्मक प्राप्त होंगें।
बच्चे सबसे पहले सुनना फिर बोलना सीखते हैं अर्थात वर्णमाला से पहले ही सीखने की शुरुआत होजाती है किंतु जब शब्दों को पहचानने और लिखना सीखने की बारी आती है तो वर्णमाला का ज्ञान कराना ही पड़ेगा।
बच्चे सबसे पहले सुनना फिर बोलना सीखते हैं अर्थात वर्णमाला से पहले ही सीखने की शुरुआत हो जाती है किंतु जब शब्दों को पहचानने और लिखने सीखने की बारी आती है | तो वर्णमाला का ज्ञान कराना ही पड़ता है । हमें भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा तो बच्चे घर पर सीखे रहते हैं लेकिन वर्णमाला से अनभिज्ञ रहते हैं इसलिए भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए
मैं इससे बिलकुल भी सहमत नहीं हूं कि बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला सिखायी जाते। मुझे लगता है कि पहले बच्चों को उस वर्ण से जुड़े फल/पक्षी/वस्तु आदि का चित्र साझा करके उसका नाम पूंछें उसके बाद वह वर्ण सिखाया जाये , बच्चे आसानी से सीख जायेंगे। जैसे -आम का चित्र साझा करें बच्चे तुरंत प्रतिक्रिया देंगे..... उसके बाद बतायें कि यह शब्द आ से बना है। मतलब स्थूल से सूक्ष्म की ओर 😊🙏
Smt prabha rattnel epes dongar jila guna m.p. वर्णमाला से पहले बच्चों को सुनने की समझ फिर बोलने की बिना संकोच के इसके बाद जो सुनते है उसे कैसे बोलते है अब इसके बाद ही लिखने का क्रम अर्थात वर्णमाला प्रारम्भ करना चाहिए तभी बच्चों को सीखने मैं सुबिधा होगी।धन्यवाद।
हमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों की मातृभाषा से करनी चाहिए तत्पश्चात बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित होने पर उन्हें हिन्दी वर्णमाला से परिचित कराते हुए उनका उचित व वैज्ञानिक विकास करना चाहिए। जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो जाए।
भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से नहीं करनी चाहिए क्योंकि वर्णमाला सीखना एक यांत्रिक और उबाऊ प्रक्रिया है। पहले कविता, कहानी, नाटक, चित्रों इत्यादि के माध्यम से बच्चों में सुनने और बोलने की क्षमता का विकास किया जाना चाहिए ताकि बच्चे अपने हाव-भाव अभिव्यक्त कर सके, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता अर्जित कर सकें और अपने परिवेश से संबंधों का निर्माण कर सकें। कविताओं, कहानियों के माध्यम से जीवन की वास्तविक परिस्थितियों में आचरण की रूपरेखा का अनुमान और कल्पना करना सहज, और आकर्षक हो जाता है और बच्चे जिज्ञासु और उत्साही बने रहते हैं। बच्चे शनैः शनैः यह समझने लगेंगे कि जिस प्रकार एक कहानी का अर्थ होता है उसी प्रकार एक वाक्य का भी अर्थ होता है क्योंकि कहानी अनेक वाक्यों से ही तो बनी है। वाक्य अनेक शब्दों से बने होते हैं अतः एक-एक शब्द का भी अर्थ होता होगा।शब्द वर्णों से बने हैं,वह वर्ण का अर्थ ढूढेंगे और वर्णमाला की ध्वनियों का ज्ञान हो जाएगा। वर्णमाला सीखने का संदर्भ, आवश्यकता और उपयोगिता स्पष्ट हो जाएगी। वर्णमाला सीखने की पूरी प्रक्रिया रोचक और आनंददायी हो जाएगी।
Bachho ko bhasha sikhane ki shuruat varnmala se karne se pahle use aaspass ke parivesh ki vastuo,praniyo aadi ke baare me bolne ka avsar Dena chahiye ,get,Kavita,Kahani ke dwara shabdo ko sunne bolne ka abhyas karwana chahiye REENA VARMA P/s Boondra Harda(M.P)
हाँ, हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करना चाहिए |बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराते हुए, अन्य शब्दों के साथ वर्ण के प्रयोग को बताना चाहिए | इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं |
बच्चों में सीखने की क्षमता जन्मजात होती है। वे दो, तीन भाषा आराम से सीख सकते है बस उन्हें थोड़ी से प्रयास की जरूरत है और यह प्रयास की शुरुआत हम अगर वर्णमाला से करे तो उन्हें शब्द ज्ञात होंगे तो इसलिए भाषा सीखने की शुरआत वर्णमाला से होनी चाहिए।
भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों की मातृभाषा से करनी चाहिए । उसके पश्चात बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित करके उन्हे भाषा की वर्णमाला से परिचित कराते हुए उनका उचित व वैज्ञानिक विकास करना चाहिए। जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो जाए।
हां, हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से कराना चाहिए। बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराते हुए अन्य शब्दों के साथ वणऀ के प्रयोग को बताना चाहिए। इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं।
श्रीमती रश्मि बुनकर एकीकृत शाला शासकीय माध्यमिक विद्यालय जालमपुर(मारकी महू) जिला गुना (मध्य प्रदेश)। हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए, ऐसा कई लोग मानते हैं। लेकिन या कोई आवश्यक नहीं है, शब्दों के माध्यम से भी सिखा सकते हैं। शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं। इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है। जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है। कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में अधिक समय बर्बाद हो जाता है। और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है। लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला की शुरुआत करते हैं, तो बच्चा वर्णमाला सीखने की शुरुआत करता है और वर्णमाला के साथ साथ शब्द भी सीखता है।
भाषा सिखाने के लिए बच्चों को चित्र बताना एवं उसकी ध्वनि से पहचान कराना चाहिए भाषा सिखाने के लिए वर्ण आदि के चार्ट छात्रों को दिखाकर बोलकर बताना चाहिए इससे वे शब्द भी सीख सकते हैं और पढ़ भी सकते हैं स्थानीय भाषा उनकी समझ की भाषा में बात करना चाहिए श्रीमती विमलेश शर्मा प्राथमिक शाला बालक खरी फाटक विदिशा विदिशा
भाषा सिखाने के लिए चित्रों के साथ शब्दों को मिलाकर पढ़ाने से बच्चे चित्र व शव्द में तालमेल बिठाते हैं व वर्ण की ध्वनि से परिचित होंगे।तत्पश्चात वर्ण सिखाना चाहिए।
किसी भी भाषा को सिखाने के लिए मौखिक या ध्वन्यात्मक एवं चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्ण पहचान कराना चाहिए यदि भाषा को पढ़ना एवं लिखना सिखाना है तो वर्णमाला से ही करेंगे परन्तु बच्चों को चित्रों को दिखाकर वर्ण पहचान कराना शब्दों को देकर वर्ण पर गोला लगवाना जिससे बच्चें जल्दी सीखते हैं सा ही शब्दों की समझ भी बनती है
किसी भी नई भाषा सीखने के लिये वर्णमाला का ज्ञान होना स्वभाविक ही जरूरी है। हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से कराना चाहिए। बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराते हुए अन्य शब्दों के साथ वणऀ के प्रयोग को बताना चाहिए। इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं।
प्रत्येक बच्चा अपने घर परिवार एवं परिवेश कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है अंगद राम यदुवंशी प्राथमिक शिक्षक शास प्राथमिक शाला पाचनजोत वि.ख. आमला(बैतूल)
किसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णन का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है बिना वर्णमाला के कौन सी भी भाषा नहीं बोल सकते वर्णमाला का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है अशोक बैरागी शासकीय प्राथमिक विद्यालय बिमरोड़ संकुल केंद्र शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ जिला धार
भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला का होना आवश्यक है । वर्णमाला को सिखाने के लिए उसका क्रम अनुसार होना भीआवश्यक है और उनको छोड़ छोड़ कर सिखाना भी आवश्यक है ।छोड़ छोड़कर सिखाने से वर्णों की पहचान सुनिश्चित होती है।
हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है। जलालअंसारी प्राथमिक शिक्षक पी़़एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए, ऐसा कई लोग मानते हैं; लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है | मेरा अनुभव यह रहा है कि - कक्षा 1 के विद्यार्थियों को शब्द- चित्रों के माध्यम से वर्ण पहचानने में आसानी होती है |
बच्चे सबसे पहले सुनना फिर बोलना सीखते हैं अर्थात वर्णमाला से पहले ही सीखने की शुरुआत हो जाती है किंतु जब शब्दों को पहचानने और लिखने सीखने की बारी आती है | तो वर्णमाला का ज्ञान कराना ही पड़ता है । हमें भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा तो बच्चे घर पर सीखे रहते हैं लेकिन वर्णमाला से अनभिज्ञ रहते हैं इसलिए भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए ।
शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है पाता है|
भाषा सिखाने की शरुआत वर्णमाला से ही करनी चाहिए और उन्हें क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित करवाना चाहिए परंतु भाषा के शिक्षण से पूर्व बच्चों को सुनने और बोलने का अभ्यास करवाना बहुत ही जरूरी है।
भाषा के ज्ञान को बच्चों को सिखाने के लिए इसकी शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए बस इस बात का ख्याल रखना आवश्यक है कि बच्चों में रटने की प्रबृत्ति विकसित न हो जाये।अतः बच्चों को गतिविधियों में संलग्न रखना चाहिए।
श्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।। जैसा कि प्रश्न किया गया है कि उसके अनुसार किसी भी भाषा को सीखने के लिए पहले उसकी वर्णमाला का ज्ञान होना अति आवश्यक है परंतु यह कोई बंधन नहीं है की वर्णमाला का ज्ञान क्रम के अनुसार ही हो बच्चों को हम अक्षर कार्ड की सहायता से वर्णों की समझ विकसित कर सकते हैं पर जरूरी नहीं कि वह क्रम से हो दूसरा तरीका हम बच्चों को शब्द बनाकर उनकी प्रथम अक्षर पर गोला लगाकर भी वरणो को समझा सकते है इससे बच्चों वर्णों के साथ-साथ शब्दों की भी समझ बढ़ेगी इस प्रकार कह सकते हैं कि बच्चों को वर्णमाला सिखाना आवश्यक नहीं है
हां भाषा सीखने के लिए अक्षर ज्ञान जरूरी है क्रमानुसार वर्णमाला से बच्चों को परिचित कराना चाहिए उनमें रटने की प्रवृत्ति ना होकर समझने की प्रवृत्ति का विकास जरूरी है अतः इसके लिए हम अनेक एक्टिविटीज भी करवा सकते हैं ताकि बच्चा उन वर्ण को पहचान कर बोल पाए।
हां, हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है,जन्म लेने के बाद बच्चा यदि कुछ सीखने के रूप में शुरू करता है तो वह है उसकी "मातृभाषा" जिसकी वहअपनी प्यारी सी तोतली भाषा में मां के साथ शुरुआत करता है।हमारा अपना निजी तौर पर यह सोचना एवं अनुभव भी है- कि वह बच्चे जो स्कूल में स्कूल की भाषा और घर में घर की भाषा बोलते हैं,उन बच्चों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा कर पाते हैं या बुद्धिमत्ता जांच में उन बच्चों के मुकाबले अच्छे अंक लाते हैं जो - सिर्फ गैर मातृभाषा जानते हैं इस बात का आकलन हमनें अपने दमोह के सिंधी कैंप के बच्चों से किया- सिंधी कैंप के बच्चे घर में सिंधी भाषा बोलते हैं और स्कूल में उस स्कूल की और हमें बचपन से अपने सिंधी कैंप के मित्रों कि अपनी खुद की भी घटनाएं याद हैं हमारे ये मित्र अपने घरों में सिंधी भाषा बोलते थे और स्कूल में हमारे साथ स्कूल की। आज भी हमारे वह सिंधी मित्र भाई बाजार में एक कुशल संपन्न प्रभुत्व व्यवसायी के रूप में मुख्य बाजार में अपना व्यवसायिक वर्चस्व बनाए दिखाई देते हैं। हमारे परिवारों की अपेक्षा इनके परिवारों पर व्यवसाय की पकड़ व संपन्नता कई गुनी अधिक है,अतः हम कह सकते हैं कि- भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति स्वाभाविक प्रवृत्ति है क्योंकि इधर बच्चा जब पूर्णतःएक भाषा अपने साथ ला रहा है और दूसरी भाषा स्कूल में सीख रहा है और 2 भाषाएं और स्कूल में उसके लिए एडिशनल सपोर्ट के रूप में संस्कृत और अंग्रेजी उपलब्ध हैं। तब की स्थिति में उसके मस्तिष्क का विकास अन्य बच्चे की तुलना में चार गुना अधिक गति से विकसित होता है। परिणामतः होता यह है कि,जो बच्चे अपने परिवार या घर के वातावरण से अपनी निजी या पृथक भाषा लाते हैं वे सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक बुद्धिमत्ता वाले होते हैं। धन्यवाद...।
हमें भाषा को सीखने की शुरुआत वर्णमाला क्रमानुसार से करना चाहिए जिससे बच्चों को अक्षर ज्ञान हो जाता है। बच्चों को भाषा पढ़ाने में एवं सीखने में मदद करता है।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला। सादर ।
H. H. S. Beharawal bachche kise bhi tarah se sikhe hamara mul updesya bachche ko padana likhna aur pahchan kar pad le to hamari mehnat safal ho gayi. Balak sikh gaya yane hum nevarmala sikha di. Kulmilakar bachcha kese bhi sikhe to hamara updesya purn ho gya ।
परंपरागत तरीके से बच्चों को जब पढ़ना सिखाया जाता है तो सबसे पहले वर्ण पहचान कराई जाती है परंतु समय के साथ उसमें बदलाव आया है अब बच्चों को अर्थ पूर्ण तरीके से कहानी कविता आदि संदर्भ से जोड़ते हुए बच्चे को वर्ण की पहचान कराई जाती है और यह आवश्यक नहीं कि क्रमानुसार हो बच्चे कभी भी किसी भी वर्ण किसी भी क्रम में सीख सकते हैं। बच्चों से बातचीत करके उनके मनपसंद शब्दों को वोट पर लिखकर उसको संदर्भ के साथ जोड़कर वर्ण पहचान करा सकते हैं , वर्ण पहचान के बाद धीरे-धीरे मात्राओं की कोई जोड़ा जाता है और इस प्रकार बच्चे धीरे धीरे अनुमान के आधार पर सुनना बोलना पढ़ना और लिखना इन चारों प्रक्रियाओं को समग्र रूप से सीखते हैं।
विद्यालय में बच्चों को किसी भी भाषा को सिखाने के लिए भाषा की वर्णमाला से परिचित करवाना आवश्यक है। मौखिक रूप से तो बच्चों से हम किसी भी प्रकार से बात कर सकते हैं परंतु विद्यालय में लिखित रूप से परिचित करवाने के लिए वर्णमाला का क्रम से सिखाना आवश्यक है। क्योंकि वर्णों से शब्द और शब्द से वाक्य कि रचना होती है इसीलिए वर्णमाला का क्रमबद्ध अध्ययन आवश्यक है। शैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश
Varnmala Se bachcho ki pratham padai shru hoti hai Kuch bachche krmanusar varnmala aasani se sikh jate hai to kuch bachcho kram se nahi sikh pate he us karan hame bina kram ke bhi varmala sikhana he yadi balak varn bina kram ke bhi varn likh va pahchankar pad leta he to bhi hamara mul updesya purn ho jata he l
मौखिक भाषा को सांकेतिक रूप में व्यक्त करने के लिए वर्णमाला का ज्ञान कराना आवश्यक है क्योंकि मौखिक भाषा को लिखित रूप से परिचित कराने के लिए एवं प्रसारित करने के लिए वर्णमाला आवश्यक है
Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)-वर्णमाला का ज्ञान विचारों को व्यक्त करने केलिए आवश्यक है ।शब्दों में वर्णों की पहचान के लिए वर्णों को सिखाना आवश्यक है।
भाषा सीखने के लिए L S R W ka अनुसरण करना है यह बच्चे को वर्णमाला सीखने से पहले उसको बच्चो के सामने उसको अच्छे से उच्चारण के ध्यान रखे बच्चे वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर को अच्छे से देख कर बोले उसके बाद उसको पड़ने को बोले सबसे बाद में वर्णमाला को लिखने का अभ्यास करना शुरू करे।
नहीं , बच्चों को भाषा सिखाने की शुरुआत वर्ण माला से सिखाने के बजाए,सुनना,बोलना,पढ़ना और लिखना (LSRW) से करना चाहिए। शुरुआत में क्रमानुसार वर्णमाला से सिखाना आवश्यक नहीं है, लक्ष्य भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला को क्रम से सिखाया जा सकता है,पर यह सदैव आवश्यक नहीं है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए ध्वनि की पहचान होना जरूरी है इस के साथ ही वर्णों की पहचान होना चाहिए परंतु यह जरूरी नहीं कि वर्णमाला क्रमानुसार ही सिखाई जाए ।क्योंकि कोई भी भाषा लिखने और पढ़ने के लिए वर्णों का क्रम अनुसार होना जरूरी नहीं है
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना बहुत ही आवश्यक है। वर्णमाला को क्रम से सिखाना अनिवार्य नहीं है हम बच्चों को शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं
भाषा सिखने की शुरुआत बच्चन को आस पास के वातवरन से परिचय होता है उसी के आधार पर हम बच्चों को भाषा ज्ञान देने में उनकी बोल चल की भाषा के आधार पर वर्णमाला के सीखने का प्रतिफल प्रप्त करते हैं l
शाला में बच्चों को वर्णमाला सीखाने से पूर्व stroks सिखाएं जाने चाहिए ततपश्चात उन्हें प्रत्येक वर्ण का अलग अलग अभ्यास कराया जाना चाहिए, इसके बाद हम वर्णमाला की शुरुआत कर सकते हैं।
क्या हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करनी चाहिए? इसका जवाब है नही क्योंकि बच्चे को अर्थपूर्ण तरीके से कहानी के मफहयँ से वाक्य से अक्षर बोध तक ले जाना है। क्या बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए? इसका जवाब है नही। अपने विचारों को साझा करें।
बाल किशोर सेन शा प्रा शाला घंघरी खुर्द कटनी किसी भी भाषा का ज्ञान बच्चों में में बोलचाल की भाषा के माध्यम से ही होने लगता है जैसे मात्रभाषा का ज्ञान अतः हम बोल चाल कहानी कविता आदि के माध्यम से भी भाषा का ज्ञान बच्चों में विकसित कर सकते हैं ।तथा भाषा ज्ञान के लिए किसी भी तरह से वर्णमाला का ज्ञान कराया जा सकता है ।
जी हां हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए जब शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
उमाशंकर परौहा शासकीय प्राथमिक शाला घघरी खुर्द क़टनी मातृ भाषा सीखने के लिए कविता कहानी बोलचाल की भाषा के द्वारा भी भाषा सिखाने का अभ्यास किया जा सकता है तथा वर्णमाला का ज्ञान किसी भी तरह से कराया जा सकता है जिससे भाषा का ज्ञान विकसित होता है।
Bhasha ki shuruaat To Baccha Apne Ghar Se Parivar se Samaj se Adhik se matrabhasha ke roop mein jo Shabd sikhkar Aata Hai Uske mastishk Mein rahti hai aur Shikshak to matrabhasha ko Uske varnan ko Pratham akshy Keshav dhanyvad Aakar yah Chitra print sambandhit samagri ke Aadhar per De use varnamala sikhai Jaati Hai Jaruri nahin hai kiranmala jo hai kramanusar Hi Ho bacche ko Chitra ke Madhyam se varnamala ka gyan Diya Ja sakta hai
हिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना ही चाहिए , क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से , बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
भाषा सीखने के लिए महत्वपूर्ण घटक है अभ्यास। भाषा सिखाने की शुरुआत दृश्य आत्मक निरूपण का उपयोग करने पढ़ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं इसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
, 2021 at 5:05 AM भाषा सिखाने की शुरुआत दृश्य आत्मक निरूपण का उपयोग करने पढ़ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं इसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
बच्चे को भाषा सिखाने की शुरुआत के लिए वर्णमाला का क्रम से सिखाना जरूरी नहीं है। बच्चा जिस परिवेश से आता है वहां बोली जाने वाली भाषा के शब्दों से बच्चों को वर्णमाला का ज्ञान कराया जाना चाहिए। चू़ंकि बच्चा अपने परिवेश में बोले जाने वाले शब्दों से अच्छी तरह परिचित होता है,उन्हीं शब्दों के माध्यम से बच्चों को वर्णमाला या भाषा का ज्ञान कराना ज्यादा सुगम होगा।
हिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना ही चाहिए , क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से , बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
भाषा सिखाने में सर्वप्रथम शुरुआत वर्णमाला सही करनी चाहिए और वह भी बच्चों को मुक्ता मौखिक रूप से करनी चाहिए बच्चे सुनेंगे उसके पश्चात बोल तो वह जल्दी बोलना सीखे है उसके पश्चात ही उन्हें पढ़ने और लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए
किसी नई भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान होना स्वाभाविक ही जरूरी है ।भाषा सिखने की शुरुआत बच्चन को आस पास के वातवरन से परिचय होता है उसी के आधार पर हम बच्चों को भाषा ज्ञान देने में उनकी बोल चल की भाषा के आधार पर वर्णमाला के सीखने का प्रतिफल प्रप्त करते है ।
हिंदी भाषा सीखने के पूर्व बच्चों को किसी खेल, अथवा मनोरंजक गतिविधियों के द्वारा वर्ण माला संबंधित पूर्व ज्ञान देना चाहिए । जिससे बच्चों को वर्ण माला सीखने मे आसानी हो।
भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से नहीं करनी चाहिए पहले कविता, कहानी, नाटक, चित्रों इत्यादि के माध्यम से बच्चों में सुनने और बोलने की क्षमता का विकास किया जाना चाहिए ताकि बच्चे अपने हाव-भाव अभिव्यक्त कर सके, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता अर्जित कर सकें और अपने परिवेश से संबंधों का निर्माण कर सकें। जिससे बच्चे जिज्ञासु और उत्साही बने रहते हैं। बच्चे शनैः शनैः यह समझने लगेंगे कि जिस प्रकार एक कहानी का अर्थ होता है उसी प्रकार एक वाक्य का भी अर्थ होता है क्योंकि कहानी अनेक वाक्यों से ही तो बनी है। वाक्य अनेक शब्दों से बने होते हैं अतः एक-एक शब्द का भी अर्थ होता होगा।शब्द वर्णों से बने हैं,वह वर्ण का अर्थ ढूढेंगे और वर्णमाला की ध्वनियों का ज्ञान हो जाएगा। इसके पश्चात बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला सीखना चाहिए
भाषा सीखने के लिए क्रम से वर्णमाला सीखाने की आवश्यकता नहीं होती भाषा उसकी मातृ भाषा होती हैं जो बच्चा घर से सीख कर आता है ।बच्चे को पढ़ना लिखना सीखने के लिए क्रम से वर्णमाला सीखाने की जरूरत होती हैं
Bhasha ki suruat to bachcha apane ghar se, parivar se,samaj se matrabhasha ata he.hame bhachche ko photo ,chitron,video, dikhakar karni chahiye. Phir barnmala sikani hogi.
हाँ किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला का ज्ञान, उसकी बुनियाद होती है । बच्चों को वर्णमाला का ज्ञान कराना ही चाहिए । किसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
यह निश्चित करने के लिए बच्चे स्वच्छता संबंधी आदतों का पालन कर रहे हैँ, प्रतिदिन के आधार पर आप किन क्षेत्रों की निगरानी रखने का प्रस्ताव रखेंगे? अपने विचार साझा करें।
शिक्षक/शिक्षिका के रूप में उन परेशानियों के बारे में विचार कीजिए , जिनका सामना आप अक्सर विद्यालय में करते हैं! यह सोचने की कोशिश करें कि विद्यालय प्रबंधन और माता-पिता के माध्यम से किन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा किस प्रकार इन लोगों से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई जाए ताकि बेहतर स्थिति प्राप्त हो सकें। अपने विचार साझा करें।
My comment
ReplyDeleteHa varnamala sikhne se bachho ko padne me sabd samjhne me aasani rahti h
Deleteकिसी भी नई भाषा सीखने के लिये वर्णमाला का ज्ञान होना स्वभाविक ही जरूरी है।
Deleteहा हमें हिन्दी वर्णमाला से शुरु करना चाहिय ।
Deleteभाषा को सीखने में अक्षर ज्ञान होना बहुत आवश्यक हैं तभी भाषा सीख सकते हैं ।
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Deleteभाषा सिखाने की शुरुआत दृश्य आत्मक निरूपण का उपयोग करने पढ़ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं इसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
Deleteभाषा सीखने की शुरुआत दृश्य यात्मक निरूपण का उपयोग करने पर ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं उसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
Deleteभासा सीखने के लिए हमे पूर्व में अक्षय ज्ञान होना जरूरी होता है।
Deleteकिसी नई भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान होना स्वाभाविक ही जरूरी है।
Deleteहां भाषा सीखने बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला को सीखना चाहिए
ReplyDeleteहाँ भाशआ सिखने बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला को सिखना चाहिए ।
Deleteहा भाषा सीखने बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला को सिखना चाहिए।
DeleteHaa,barnamala sikhane se baccho ko sabdo ke bare me jankari milti hai. Jo hum bolte hai uska Swaroop pata chalta hai taaki bacche apne man ki baat likh kar bata sake jisse unhe padne me romanchak lage or wo khusi k sath padai kare .
ReplyDeleteHaa,barnamala sikhane se baccho ko sabdo ke bare me jankari milti hai. Jo hum bolte hai uska Swaroop pata chalta hai taaki bacche apne man ki baat likh kar bata sake jisse unhe padne me romanchak lage or wo khusi k sath padai kare .
DeleteJi Hume bachchhon ko suruat varnmala se kramanushar Karna chahiye jisse bachche achchhi Tarah se seeks saken
ReplyDeleteवर्ण माला का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है
Deleteहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से उनमें भाषा गृहण करने की क्षमता बढ़ती है, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से उनमें भाषा गृहण करने की क्षमता बढ़ती है, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
Deleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
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हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
सादर ।
सुनीत कुमार पाण्डेय
कटनी(मप्र)
🙏🙏🙏🙏
हा
Deleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। एवं वाक्यों से अनुच्छेद और अनुच्छेद से साहित्यिक कृतियों का जन्म होता है।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
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हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
सादर ।
सुनीत कुमार पाण्डेय
कटनी(मप्र)
🙏🙏🙏🙏
हा वर्णमाला से ही शुरु करना चाहिय ।
Deleteहिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
ReplyDeleteमैं- रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव, जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहसराम ,विकासखंड- विजयपुर, जिला- श्योपुर (मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteकक्षाओं को इस प्रकार सुसज्जित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे को उस गतिविधि पोस्टर कार्ड है जो भी आप t.l.m. उपयोग कर रहे हैं वह सब बच्चे देख सके उनका उपयोग कर सकें और अपने समझ में जो आए उसके तहत वह कार्य कर सकें और शैक्षणिक गतिविधियों में भाग ले सकें
किसी भी भाषा सीखने का सबसे पहला क्रम उसकी वर्णमाला है। हिन्दी भाषा सीखने में वर्णमाला का प्रयोग करना चाहिए। वर्णमाला हि किसी भाषा सीखने की जड़ है।
ReplyDeleteJI HA Bachcho KO bhasha sikhane Ke liYE varanmala sikhana jaruri he
ReplyDeleteVarnamala krambhadh hi sikhana chahiye
किसी भी भाषा को लिखना पढ़ना सीखने के लिए ! शुरुआत में उसकी वर्णमाला को सीखना अति आवश्यक है !
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को लिखना पदना सीखने के लिये शुरुआत में उसकी वर्णमाला को सिखना अती आवश्यक हें ।
DeleteMohanSingh Patel MS Bagaspur
Deleteहमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों की मातृभाषा से करनी चाहिए तत्पश्चात बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित होने पर उन्हें हिन्दी वर्णमाला से परिचित कराते हुए उनका उचित व वैज्ञानिक विकास करना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने सिखाने के लिए आमतौर पर वर्ण माला से सुरुआत की जाती है परंतु यह आवश्यक नहीं है ।भाषा सिखाने की शुरूआत यदि शब्द से की जाती है तो उसके बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं ।
ReplyDeleteHindi bhasha sikhane ki shuruaat varnamala se Hi karna chahie uske bad bacchon ke sath samanya se sthapit hone per unhen Hindi varnamala se parichit karate hue Unka uchit hua vaigyanik Vikas karana chahie
ReplyDeleteमैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर में प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूंहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteहम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
ReplyDeleteहिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना ही चाहिए , क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से , बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteN.K.AHIRWAR
किसी भी भाषा सीखने का सबसे पहला क्रम उसकी वर्णमाला ही हैं। हिंदी भाषा सीखने में वर्णमाला का प्रयोग करना चाहिए। वर्णमाला ही किसी भाषा सीखने की जड़ है।
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नांदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खंडवा
ReplyDeleteवैसे तो बच्चे जब बोलना सीखते हैं तो कई शब्द बोलते हैं जैसे मामा दादा आदि फिर भी व्यवस्थित रूप से भाषा सीखने के लिए वर्णमाला सिखाना आवश्यक है
Bese to bachche jab bhasha bolna shikhte hai to kai shabd bolte hai fir bhi vyavasthit roop se bhasha shikhne ke liye varnmala shikhana avashyak hai
ReplyDeleteहिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
ReplyDeleteभाषा सीखने का माध्यम वर्णमाला है
ReplyDeleteयदि बच्चे को पहले वर्णमाला सिखाई जाए तो वह सरलता से शब्द स्वयं ही पढ़ने लग जाता है I
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों को वर्णमाला सिखाने से पूर्व उनके सामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि वर्णमाला की समझ उनमें बनाने में मदद मिल सके तत्पश्चात ही उनको वर्णमाला सिखाएंगे तभी वह रुचि पूर्ण तरीके से सीख पाएंगे
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। एवं वाक्यों से अनुच्छेद और अनुच्छेद से साहित्यिक कृतियों का जन्म होता है।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
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हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
हिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वणमाल से ही करनी चाहिए
ReplyDeleteहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ।
Deleteयह सही है कि बच्चों को मातृभाषा सीखने की शुरूआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इस का आधार वैज्ञानिक है।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
संतोष कुशवाहा शासकीय प्राथमिक विद्यालय कटा पुर ब्लॉक सेवढ़ा जिला दतिया
ReplyDeleteजैसा कि प्रश्न किया गया है कि किसी भी भाषा को सिखाने के लिए बच्चों को पहले वर्णमाला सिखाना जरूरी है।
मेरे हिसाब से जो बच्चे आते हैं वह अपने घर परिवार एवं प्रवेश से कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
संतोष कुशवाहा शासकीय प्राथमिक विद्यालय कटा पुर ब्लॉक सेवढ़ा जिला दतिया
Deleteजैसा कि प्रश्न किया गया है कि किसी भी भाषा को सिखाने के लिए बच्चों को पहले वर्णमाला सिखाना जरूरी है।
मेरे हिसाब से जो बच्चे आते हैं वह अपने घर परिवार एवं प्रवेश से कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान होना महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteभाषा सिखने बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला को नहीं सिखना चाहिए ।सरल वर्ण पहले बताया जाए
ReplyDeleteहमें भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत करना उचित नहींबच्चों को वर्णमाला सिखाने से पूर्व उनके सामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि वर्णमाला की समझ उनमें बनाने में मदद मिल सके तत्पश्चात ही उनको वर्णमाला सिखाएंगे तभी वह रुचि पूर्ण तरीके से सीख पाएंगे होगा।
ReplyDeleteHindi bhasha ki shuruaat varnamala Se Hi Hona chahie .saral varan ko pahle bacchon se parichit Karana chahie, jisse unhen bhasha sikhane mein aasani ho.
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
सादर ।
हिन्दी भाषा सिखने की शुरूआत अक्षर ज्ञान से ही होनी चाहिए।सीखने का आधार ही अक्षर ज्ञान है।बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही सिखाना चाहिए।हम ओर आप वर्णमाला से ही सिखे है।
ReplyDeleteभाषा सिखाने का वैज्ञानिक आधार वर्णमाला है ,वर्णों के मेल से ही शब्दों का निर्माण होता है।और शब्दों से वाक्य बनते है।कोई भी भाषा सीखने के लिए उस भाषा के वर्णों का ज्ञान होना आवश्यक है।अतः वर्णमाला का ज्ञान होना आवश्यक है।
ReplyDeleteHindi Bhasha Seekhne ke Lia Varnmala Se Prarambh Karna Sahi Hai.
ReplyDeleteBasic knowledge ko property development ke liye varnamala ke kram se shuru Hona avashyak ke
ReplyDeleteभाषा शिक्षण में पहले सुनना और बोलना आता है इसलिये पहले बच्चे को सुनने और बोलने की गतिविधियां करवाये।इसके बाद वर्णमाला को क्रम से बताना चाहिए
ReplyDeleteकिसी भी भाषा सीखने का सबसे पहला क्रम उसकी वर्णमाला है। हिन्दी भाषा सीखने में वर्णमाला का प्रयोग करना चाहिए। वर्णमाला हि किसी भाषा सीखने की जड़ है।हमें भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत करना उचित नहींबच्चों को वर्णमाला सिखाने से पूर्व उनके सामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि वर्णमाला की समझ उनमें बनाने में मदद मिल सके तत्पश्चात ही उनको वर्णमाला सिखाएंगे तभी वह रुचि पूर्ण तरीके से सीख पाएंगे होगा।...Asha joshi
ReplyDeleteKisi bhi Bhasha ko sikhane ke liye use Bhasha ki varnamala ka gyan hona swabhavik hai bina varnamala ki Gyan Hue baccha use Bhasha Ko Nahin Sakta aur Tak jaruri hai ki Khushi Bhasha ko sikhane se pahle use ki varnmala ka gyan Hona chahie
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को मौखिक या ध्वन्यात्मक भाषा सिखाने हेतु वर्णमाला की आवश्यकता नहीं होती ।हां यदि उस भाषा को पढ़ना एवं लिखना सिखाना है तो वर्णमाला से ही शुरुआत करेंगे ।वर्णमाला क्रमानुसार सिखाएं जरूरी नहीं जरूरी है कि बच्चा उच्चारण कर ध्वनि के माध्यम से वर्ण पहचाने उसके आकार को पहचाने।
ReplyDeleteभाषा सीखने का पहला क्रम उसकी वर्णमाला होती हैं। भाषा सीखने में उसकी वर्णमाला का प्रयोग करना चाहिए। किसी भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला ही सीखने की जड़ होती है।
ReplyDeleteBhasha ka gyan bachchon ko pahale se hi hota hai .purv gyan ka upyog karate huye varnmala ko bhasha k sath jodate jaye .
ReplyDeleteनहीं, भाषा सिखाने की शुरुआत पहले शब्द और शब्द से अक्षर का ज्ञान कराना चाहिए
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत की जाती है परंतु यह आवश्यक नहीं है भाषा सिखाने की शुरुआत शब्दों से भी की जा सकती हे इससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
सिखाने के लिए बच्चों को पहले वर्णमाला सिखाना जरूरी है।
Deleteमेरे हिसाब से जो बच्चे आते हैं वह अपने घर परिवार एवं प्रवेश से कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
सुरेश पेठारी एकीकृत शाला मा वि बुरुट
ReplyDeleteभाषा और साक्षरता के साथ संलग्नता
★☆★★★★★★★◆●●●★
भाषा सीखने का यह पहलू इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भाषा सीखने के विभिन्न दृष्टिकोण शामिल हैं।
जैसा कि हम जानते है कि बच्चों में भाषा सीखने और उनका अधिकतम स्तर तक उपयोग करने की स्वाभाविक
क्षमता होती है। साक्षरता को एक जटिल विकासात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। साक्षरता के बुनियादी
वर्ष सीखने, पढ़ने लिखने और मौखिक भाषा के उचित अवसर प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बच्चों के
दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए यह महत्त्वपूर्ण स्तर है, जो उनकी समझ के आधार पर सोचने और विचारों
को व्यक्त करने के लिए स्थान देने का आह्वान करता है। इस स्तर पर बच्चे जिज्ञासु होते हैं और अपने आसपास
की दुनिया का पता लगाना चाहते हैं। एक विचारशील शिक्षक कक्षा के भीतर और बाहर बहुत सारे निवेश के
साथ साक्षरता कक्षाओं की योजना बनाता है। आपन एंडेड मुक्त निर्देश शिक्षार्थी को अपने ज्ञान और अनुभव
को विस्तार करने की अनुमति देते हैं। बच्चे अपने संज्ञानात्मक कौशल का उपयोग करके रचनात्मक बनते हैं
बशर्ते शिक्षक और माता पिता उन्हें सीखने का सहायक वातावरण प्रदान करें।
★◆सुरेश पेठारी एकीकृत शाला मा वि बुरुट◆★
विद्यालय शिक्षक से यह अपेक्षा की जाती है कि वे उन्हें बोधगम्य परिचित निवेश प्रदान करें ताकि वे उसे
समझने में स्वयं को संलग्न कर सकें। बच्चों को बाल साहित्य और प्रामाणिक अनुभवों से सार्थक रूप से जोड़ा
जा सकता है। उनके सजीव अनुभव सीखने के लिए एक मजबूत आधार बनाते हैं। सार्थक निवेश उनके लिए
स्वतंत्र शिक्षार्थी बनने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। एक कहानी कविता तुकबंदी पहेली आदि उन्हें अर्थ के साथ
सीखने के लिए प्रेरित करेंगे बशर्ते कि इसका प्रासंगिक और परिचित संदर्भ हो। अर्थ बनाने के लिए भाषा सीखने
की सामग्री से परिचित होना महत्वपूर्ण है।
कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार है
• प्रिंट-समृद्ध वातावरण
एक प्रिंट समृद्ध वातावरण बनाना साक्षरता कक्षा की पहली प्राथमिकता मानी जाती है। बाल-केंद्रित प्रिंट के
साथ संलग्नता चयनित पाठ से अर्थ बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा। युवा पाठक पढ़ने और
लिखने के लिए अत्यधिक प्रेरित होते हैं बशर्ते उनके लिए पुस्तकों, चित्रों संदेशों, खेलों आदि के रूप में प्रिंट
उपलब्ध हो। सावधानी से चयनित बाल साहित्य साक्षरता पद्धति के निर्माण की ओर पहला कदम है। पढ़ने के
कोने में उपलब्ध साहित्य और स्टेशनरी कागज, रंग, पेंसिल आदि) उपयोग के लिए बच्चों की पहुंच के भीतर
होने चाहिए। दीवारों पर प्रिंट उनकी दृष्टि की पहुंच, उपयोग और पसंद को ध्यान में रखते हुए चयनित किया
जाना चाहिए: यह उनके द्वारा तैयार किए गए चार्ट या सामग्री भी हो सकती है। प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के
लिए सामग्री को नियमित रूप से बदलते रहना चाहिए।
• मौखिक भाषा निवेश
★ अपने बारे में बात करने के अवसर
स्वतंत्रता और अवसर प्राप्त होने पर सभी बच्चे अपने जीवन के बारे में बात करना पसंद करते हैं जो चीजें हुई.
हैं और जिन चीजों का वे अनुमान लगाते हैं। शिक्षकों को कक्षा में सीखने और पढ़ाने के दौरान बच्चों के जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है
Good
ReplyDeleteHan Har bhasha sikhane ke liye uski Ek vanmala hoti hai jo us Bhasha ka ek Aadhar Hoti Hai .atah bacchon Ko kramanusar varnamala ka gyan Karana chahie.
ReplyDeleteरत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केन्द्र तेवर जबलपुर ग्रामीण
ReplyDeleteवैसे तो भाषा की शुरुआत वर्णमाला की जाना चाहिए लेकिन क्रमानुसार हो यह उचित बन्धन नहीं है । विद्यार्थी दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले वर्ण को पहचानता है और उच्चारण भी समझता हैं जैसे मां , दें आदि ।
विद्यार्थियों को शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखाईं जा सकती है। चूंकि बिना वर्णमाला ज्ञान के भी बच्चें अनेक शब्द बहुत छोटी अवस्था से बोलते हैं। इस कारण बच्चों को वर्णमाला का मौखिक ज्ञान रहता है परन्तु समझ नहीं रहतीं ।
किसी भी भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला से शुरुआत की जाती है परंतु यह आवश्यक नहीं है भाषा सिखाने की शुरुआत शब्दों से भी की जा सकती हे इससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है।भाषा शिक्षण में पहले सुनना और बोलना आता है इसलिये पहले बच्चे को सुनने और बोलने की गतिविधियां करवाये।
ReplyDeleteशा. प्रा. वि. जतौली विकास खण्ड मुंगावली जिला अशोक नगर मध्य प्रदेश बच्चे अपनी मातृभाषा के माध्यम से जल्दी सीखते हैं यदि बच्चों को कहानी, कविता के माध्यम से सिखाना प्रारंभ किया जाए तो बच्चे शब्दो के साथ - साथ अक्षर भी सीख सकते है।
ReplyDeleteजैसा कि प्रश्न किया गया है उसके अनुसार किसी भी भाषा को सीखने के लिए पहले उसकी वर्णमाला का ज्ञान होना अति आवश्यक है परंतु यह कोई बंधन नहीं है कि वर्णमाला का ज्ञान क्रम के अनुसार ही हो बच्चों को हम अक्षर कार्ड की सहायता से वर्णों की समझ विकसित कर सकते हैं परंतु यह जरूरी नहीं की वह क्रम से हो l दूसरा तरीका हम बच्चों को शब्द बनाकर उनके प्रथम अक्षर पर गोला लगाकर भी वर्णों को समझा सकते हैं इससे बच्चों की वरुण के साथ-साथ शब्द को लेकर भी समझ बढ़ेगी इस प्रकार अब कह सकते हैं की बच्चों को वर्णमाला सिखाना आवश्यक है परंतु क्रम से सिखाना जरूरी नहीं है l
ReplyDeleteधन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन डोरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
ReplyDeleteमैं- जी.पी.सोलंकी ( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय- माना , जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- जमानी ,विकासखंड- केसला जिला- होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
Bacho ko bhasha sikhane ke liye kramanusar varnmala sikhana jaruri hai
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला सीखना नितांत आवश्यक है क्योंकि वर्णो से शव्द और शब्दों से वाक्य रचना होती हैं।
ReplyDeleteिाषा एक संपूर्त सत्ा है और इसे समग्र रूप से सीखा जािा चानहए। छोटे बचचे बहुर शुरुआरी अवसरा में िाषा की सार्तकरा और उसके काय्त को समझिे लगर े हैं। हमिे देखा ही है नक जब बचचे बोलर े हैं रो उिके पास संप्रेनषर करिे के नलए एक संदेश होरा है और वे जािरे हैं नक इसे कै से संप्रेनषर करिा है।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को लिखना पदना सीखने के लिये शुरुआत में उसकी वर्णमाला को सिखना अती आवश्यक हें
ReplyDeleteहिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए ऐसा कई लोग मानते हैं| लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है| हम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
DeleteBudhlal Maravi P. S. Shivri District -Dindori (MP) बिना किसी वर्ण ज्ञान के भी बच्चे कुछ न कुछ बोलते हैं, वह भी भाषा हो सकता है। लेकिन बच्चों को वर्ण ज्ञान कराना नितांत आवश्यक है । बिना वर्ण ज्ञान के उन बोले गए शब्दों को लिखित रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है ।
ReplyDeleteहमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों को उनकी मातृभाषा से करनी चाहिए क्योंकि बच्चा अपनी मातृभाषा के बाद ही वर्णमाला पर आता है
ReplyDeleteहॉं ।भाषा सीखने की सुरूआत वर्णमाला से ही आरंभ करनी चाहिए क़्योंकि यह विग्यान सम्मत है ।
ReplyDelete
ReplyDeleteHa varnamala sikhne se bachho ko padne me sabd samjhne me aasani rahti h
मैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर (MP)
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं। एवं वाक्यों से अनुच्छेद और अनुच्छेद से साहित्यिक कृतियों का जन्म होता है।
अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।हमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों को उनकी मातृभाषा से करनी चाहिए क्योंकि बच्चा अपनी मातृभाषा के बाद ही वर्णमाला पर आता है।
हाँ भाषा लिखने के लिए वर्णों की पहचान होना आवश्यक है ।यह क्रमबद्ध हो आवश्यक नहीं ।बच्चा जब भाषा बोलता है ।तो वह सुन कर बोलना सीख जाता है।उस समय वह वर्णो को नहीं जानता ।परन्तु जब वह वर्ण लिखना सीख जाता है ।तो अलग - अलग वर्णो को जोड़कर नए वाक्य बनाना सीख जाता है ।
ReplyDeleteHan Bhasha sikhane ki shuruaat varnamala se hi Honi chahie handbag Gyan ka Aadhar per Bane hue hain Agar bacchon ko band wala ka gyan kramank Sar Nahin hoga to vah sahi ucharan nahin kar Payenge Kyunki Kafi e Shodh AVN practical ke bad Parmanu sar varnamala ka Chayan Kiya gaya hai bacche Usi hisab se a Kuchh Charan kar paate Hain AVN Shabd banaa paate Hain isliye hai nitant avashyak hai varnamala kram anusar Dikhai Jaaye Iske bad padhna Sahi ucharan likhna Sikh a Jaaye han Ham Kahani Kavita Chitra gatividhi h Di isase pahle a kara sakte hain Iske bad varn wala dikha dhanyvad
ReplyDeleteहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से उनमें भाषा गृहण करने की क्षमता बढ़ती है, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteNirmala Shivhare
Deepak meshra
हाँ हमें भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा तो बच्चे घर पर सीखे रहते हैं लेकिन वर्णमाला से अनभिज्ञ रहते हैं इसलिए भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए
ReplyDeleteहां हमे बच्चों को वर्णमाला केक्रम से प्रारम्भ किया जाना चाहिए। और उन्हें परिचित वर्णों का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिससे बच्चे अच्छे से समझ सकेंगे। और बोल पायेंगे
ReplyDeleteSunder lal barman ps kodo.bachcho ko kramanusae varn mala nahi sikhana hai balki bachcha svam dekh kar seekhata hai. Vah apne sahpathiyo ke sath rahkar dekh kar seekhata rahta hai.var var abhayas karane ke bad vah seekh leta hai.
ReplyDeleteयह आवश्यक नहीं है कि भाषा सीखने की शुरूआत वर्णमाला से ही हो शब्दों aur वाक्यों se शुरूवात करके भी बच्चे शब्दों की ध्वनि se अर्थात शब्द के पहले वर्ण की ध्वनि ke द्वारा भी अच्छी तरह से वर्ण माला सीख सकते हैं l
ReplyDeleteHindi singer ki shuruaat se
ReplyDeleteहां ,हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करनी चाहिए ।बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित भी कराना चाहिए। गुलाबराव पाटिल
ReplyDeleteबच्चों को भाषा का ज्ञान करवाने से पूर्व वर्णमाला का ज्ञान करवानकरवाना जरुरी है, क्योंकि मात्र भाषा होने से उसे उसका ज्ञान तो होता ही है ।
ReplyDeleteShamim. Naz
ReplyDeleteभाषा की सीखने की शुरुआत क्रमानुसार वर्णमाला से ना कराकर बच्चा जो आसानी से सिखेउस वर्ण की पहचान कराने के साथनवीन सब्दों से करानी चाहिए। इसके परिणाम भी सकारात्मक प्राप्त होंगें।
बच्चे सबसे पहले सुनना फिर बोलना सीखते हैं अर्थात वर्णमाला से पहले ही सीखने की शुरुआत होजाती है किंतु जब शब्दों को पहचानने और लिखना सीखने की बारी आती है तो वर्णमाला का ज्ञान कराना ही पड़ेगा।
ReplyDeleteवर्णमाला बच्चों के मदरटंग में बोलना सिखायें, क्रमानुसार सिखाया जाना चाहिए.
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्ण माला को क्रमानुसार सीखना अत्यंत जरुरी है।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए अक्षर ज्ञान होना जरूरी है।
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ReplyDeleteबच्चे सबसे पहले सुनना फिर बोलना सीखते हैं अर्थात वर्णमाला से पहले ही सीखने की शुरुआत हो जाती है किंतु जब शब्दों को पहचानने और लिखने सीखने की बारी आती है | तो वर्णमाला का ज्ञान कराना ही पड़ता है । हमें भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा तो बच्चे घर पर सीखे रहते हैं लेकिन वर्णमाला से अनभिज्ञ रहते हैं इसलिए भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए
ReplyDeleteमैं इससे बिलकुल भी सहमत नहीं हूं कि बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला सिखायी जाते। मुझे लगता है कि पहले बच्चों को उस वर्ण से जुड़े फल/पक्षी/वस्तु आदि का चित्र साझा करके उसका नाम पूंछें उसके बाद वह वर्ण सिखाया जाये , बच्चे आसानी से सीख जायेंगे।
ReplyDeleteजैसे -आम का चित्र साझा करें बच्चे तुरंत प्रतिक्रिया देंगे..... उसके बाद बतायें कि यह शब्द आ से बना है।
मतलब स्थूल से सूक्ष्म की ओर 😊🙏
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला को क्रमानुसार सीखना अत्यंत जरूरी है
ReplyDeleteSmt prabha rattnel epes dongar jila guna m.p.
ReplyDeleteवर्णमाला से पहले बच्चों को सुनने की समझ फिर बोलने की बिना संकोच के इसके बाद जो सुनते है उसे कैसे बोलते है अब इसके बाद ही लिखने का क्रम अर्थात वर्णमाला प्रारम्भ करना चाहिए तभी बच्चों को सीखने मैं सुबिधा होगी।धन्यवाद।
Ha hme hindi varnmala se suru krna chahiye.
ReplyDeleteहमें भाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों की मातृभाषा से करनी चाहिए तत्पश्चात बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित होने पर उन्हें हिन्दी वर्णमाला से परिचित कराते हुए उनका उचित व वैज्ञानिक विकास करना चाहिए। जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो जाए।
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से नहीं करनी चाहिए क्योंकि वर्णमाला सीखना एक यांत्रिक और उबाऊ प्रक्रिया है। पहले कविता, कहानी, नाटक, चित्रों इत्यादि के माध्यम से बच्चों में सुनने और बोलने की क्षमता का विकास किया जाना चाहिए ताकि बच्चे अपने हाव-भाव अभिव्यक्त कर सके, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता अर्जित कर सकें और अपने परिवेश से संबंधों का निर्माण कर सकें। कविताओं, कहानियों के माध्यम से जीवन की वास्तविक परिस्थितियों में आचरण की रूपरेखा का अनुमान और कल्पना करना सहज, और आकर्षक हो जाता है और बच्चे जिज्ञासु और उत्साही बने रहते हैं। बच्चे शनैः शनैः यह समझने लगेंगे कि जिस प्रकार एक कहानी का अर्थ होता है उसी प्रकार एक वाक्य का भी अर्थ होता है क्योंकि कहानी अनेक वाक्यों से ही तो बनी है। वाक्य अनेक शब्दों से बने होते हैं अतः एक-एक शब्द का भी अर्थ होता होगा।शब्द वर्णों से बने हैं,वह वर्ण का अर्थ ढूढेंगे और वर्णमाला की ध्वनियों का ज्ञान हो जाएगा। वर्णमाला सीखने का संदर्भ, आवश्यकता और उपयोगिता स्पष्ट हो जाएगी। वर्णमाला सीखने की पूरी प्रक्रिया रोचक और आनंददायी हो जाएगी।
ReplyDeleteBachho ko bhasha sikhane ki shuruat varnmala se karne se pahle use aaspass ke parivesh ki vastuo,praniyo aadi ke baare me bolne ka avsar Dena chahiye ,get,Kavita,Kahani ke dwara shabdo ko sunne bolne ka abhyas karwana chahiye
ReplyDeleteREENA VARMA
P/s Boondra
Harda(M.P)
हाँ, हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करना चाहिए |बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराते हुए, अन्य शब्दों के साथ वर्ण के प्रयोग को बताना चाहिए | इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं |
ReplyDeleteबच्चों में सीखने की क्षमता जन्मजात होती है। वे दो, तीन भाषा आराम से सीख सकते है बस उन्हें थोड़ी से प्रयास की जरूरत है और यह प्रयास की शुरुआत हम अगर वर्णमाला से करे तो उन्हें शब्द ज्ञात होंगे तो इसलिए भाषा सीखने की शुरआत वर्णमाला से होनी चाहिए।
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शुरुआत बच्चों की मातृभाषा से करनी चाहिए । उसके पश्चात बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित करके उन्हे भाषा की वर्णमाला से परिचित कराते हुए उनका उचित व वैज्ञानिक विकास करना चाहिए। जिससे बच्चो को सीखने में आसानी हो जाए।
ReplyDeleteभाषा सीखने के लिए वर्ण ज्ञान तो जरूरी है परन्तु वर्ण को क्रम से सिखाना जरूरी नही समझती हू बच्चे के मात्र भाषा को लेकर आगे बढ़ना चाहीये
ReplyDeleteभाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला को सीखना अत्यंत जरूरी है, वर्णमाला से परिचित कराते हुए, अन्य शब्दों के साथ वर्ण के प्रयोग को बताना चाहिए।
ReplyDeleteहां, हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से कराना चाहिए। बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराते हुए अन्य शब्दों के साथ वणऀ के प्रयोग को बताना चाहिए। इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं।
ReplyDeleteश्रीमती रश्मि बुनकर
ReplyDeleteएकीकृत शाला शासकीय माध्यमिक विद्यालय जालमपुर(मारकी महू) जिला गुना (मध्य प्रदेश)।
हिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए, ऐसा कई लोग मानते हैं। लेकिन या कोई आवश्यक नहीं है, शब्दों के माध्यम से भी सिखा सकते हैं।
शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं। इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है। जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है। कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में अधिक समय बर्बाद हो जाता है। और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है। लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला की शुरुआत करते हैं, तो बच्चा वर्णमाला सीखने की शुरुआत करता है और वर्णमाला के साथ साथ शब्द भी सीखता है।
भाषा सिखाने के लिए बच्चों को चित्र बताना एवं उसकी ध्वनि से पहचान कराना चाहिए भाषा सिखाने के लिए वर्ण आदि के चार्ट छात्रों को दिखाकर बोलकर बताना चाहिए इससे वे शब्द भी सीख सकते हैं और पढ़ भी सकते हैं स्थानीय भाषा उनकी समझ की भाषा में बात करना चाहिए श्रीमती विमलेश शर्मा प्राथमिक शाला बालक खरी फाटक विदिशा विदिशा
ReplyDeleteभाषा सिखाने के लिए चित्रों के साथ शब्दों को मिलाकर पढ़ाने से बच्चे चित्र व शव्द में तालमेल बिठाते हैं व वर्ण की ध्वनि से परिचित होंगे।तत्पश्चात वर्ण सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सिखाने के लिए मौखिक या ध्वन्यात्मक एवं चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्ण पहचान कराना चाहिए यदि भाषा को पढ़ना एवं लिखना सिखाना है तो वर्णमाला से ही करेंगे परन्तु बच्चों को चित्रों को दिखाकर वर्ण पहचान कराना शब्दों को देकर वर्ण पर गोला लगवाना जिससे बच्चें जल्दी सीखते हैं सा ही शब्दों की समझ भी बनती है
ReplyDeleteकिसी भी नई भाषा सीखने के लिये वर्णमाला का ज्ञान होना स्वभाविक ही जरूरी है। हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से कराना चाहिए। बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराते हुए अन्य शब्दों के साथ वणऀ के प्रयोग को बताना चाहिए। इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अपने घर परिवार एवं परिवेश कुछ ना कुछ सीख कर आते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए चित्रों के माध्यम से बच्चों को वर्णों की ध्वनि से परिचित करा कर भी आप उन्हें भाषा सिखा सकते हैं क्योंकि वर्णमाला का क्रम इतना आवश्यक नहीं है की बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से याद रखें बल्कि यह आवश्यक है के बच्चे उन वर्णों की ध्वनि को पहचानने लगे।
ReplyDelete
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
अस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
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हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है
अंगद राम यदुवंशी प्राथमिक शिक्षक शास प्राथमिक शाला पाचनजोत वि.ख. आमला(बैतूल)
Bhasha gyan ke liye sabse pahle varnmala hi pratham sidi he isliye varnmala se hi suru karna chahiye.
ReplyDeletekisi bhi bhasa ko sikhane ke liye usaka bes aana chahiye tbhisikkbachche asani se sikhte h
ReplyDeleteयह आवश्यक नहीं है कि किसी भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला से ही शुरुआत की जाए
ReplyDeleteनिश्चित ही भाषा सीखने के लिए वर्णमाला से शुरुआत करनी चाहिए।
ReplyDeleteभाषा ज्ञान के लिए सबसे पहले वर्तमाला अनीवार्य है
ReplyDeleteभाषा सीखने में वर्णमाला का विशेष महत्व है
ReplyDeleteहाँ किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला का ज्ञान, उसकी बुनियाद होती है! बच्चों को वर्णमाला का ज्ञान कराना ही चाहिए!
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णन का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है बिना वर्णमाला के कौन सी भी भाषा नहीं बोल सकते वर्णमाला का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है अशोक बैरागी शासकीय प्राथमिक विद्यालय बिमरोड़ संकुल केंद्र शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ जिला धार
ReplyDeleteभाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला का होना आवश्यक है । वर्णमाला को सिखाने के लिए उसका क्रम अनुसार होना भीआवश्यक है और उनको छोड़ छोड़ कर सिखाना भी आवश्यक है ।छोड़ छोड़कर सिखाने से वर्णों की पहचान सुनिश्चित होती है।
ReplyDeleteहम शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है |कई बार हम वर्णमाला सिखाने के चक्कर में एक-दो साल यूं ही बर्बाद कर देते हैं और बच्चा शब्द नहीं सीख पाता है| लेकिन जब हम शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है। जलालअंसारी प्राथमिक शिक्षक पी़़एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी
ReplyDeleteहिंदी भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से ही करना चाहिए, ऐसा कई लोग मानते हैं; लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं है |
ReplyDeleteमेरा अनुभव यह रहा है कि - कक्षा 1 के विद्यार्थियों को शब्द- चित्रों के माध्यम से वर्ण पहचानने में आसानी होती है |
बच्चे सबसे पहले सुनना फिर बोलना सीखते हैं अर्थात वर्णमाला से पहले ही सीखने की शुरुआत हो जाती है किंतु जब शब्दों को पहचानने और लिखने सीखने की बारी आती है | तो वर्णमाला का ज्ञान कराना ही पड़ता है । हमें भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा तो बच्चे घर पर सीखे रहते हैं लेकिन वर्णमाला से अनभिज्ञ रहते हैं इसलिए भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए ।
ReplyDeletePremchand Gupta P. S. Guradiya mata भाषा सीखने के लिए अक्षर ज्ञान ज्ञरूरी है
ReplyDeleteहाँ शुरूआत में वर्णमाला का अभ्यास करवाना भी आवश्यक है।
ReplyDeleteभाषा की शुरूवात वर्णमाला से होनी चाहिय और बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचय कराना चाहिए।
ReplyDeleteशब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं| शब्दों के पहले वर्ण पर गोला लगा कर भी हम वर्ण की ध्वनि से परिचय करवा सकते हैं| इसके माध्यम से बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ उस शब्द को भी पहचानना सीख जाता है |जिससे बच्चों का जो भाषा विकास है वह तेजी से होता है पाता है|
ReplyDeleteभाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से होनी चाहिए
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शरुआत वर्णमाला से ही करनी चाहिए और उन्हें क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित करवाना चाहिए परंतु भाषा के शिक्षण से पूर्व बच्चों को सुनने और बोलने का अभ्यास करवाना बहुत ही जरूरी है।
ReplyDeleteभाषा के ज्ञान को बच्चों को सिखाने के लिए इसकी शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए बस इस बात का ख्याल रखना आवश्यक है कि बच्चों में रटने की प्रबृत्ति विकसित न हो जाये।अतः बच्चों को गतिविधियों में संलग्न रखना चाहिए।
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।। जैसा कि प्रश्न किया गया है कि उसके अनुसार किसी भी भाषा को सीखने के लिए पहले उसकी वर्णमाला का ज्ञान होना अति आवश्यक है परंतु यह कोई बंधन नहीं है की वर्णमाला का ज्ञान क्रम के अनुसार ही हो बच्चों को हम अक्षर कार्ड की सहायता से वर्णों की समझ विकसित कर सकते हैं पर जरूरी नहीं कि वह क्रम से हो दूसरा तरीका हम बच्चों को शब्द बनाकर उनकी प्रथम अक्षर पर गोला लगाकर भी वरणो को समझा सकते है इससे बच्चों वर्णों के साथ-साथ शब्दों की भी समझ बढ़ेगी इस प्रकार कह सकते हैं कि बच्चों को वर्णमाला सिखाना आवश्यक नहीं है
ReplyDeleteहां भाषा सीखने के लिए अक्षर ज्ञान जरूरी है क्रमानुसार वर्णमाला से बच्चों को परिचित कराना चाहिए उनमें रटने की प्रवृत्ति ना होकर समझने की प्रवृत्ति का विकास जरूरी है अतः इसके लिए हम अनेक एक्टिविटीज भी करवा सकते हैं ताकि बच्चा उन वर्ण को पहचान कर बोल पाए।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान आवश्यक है।
ReplyDeleteहां, हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है,जन्म लेने के बाद बच्चा यदि कुछ सीखने के रूप में शुरू करता है तो वह है उसकी "मातृभाषा" जिसकी वहअपनी प्यारी सी तोतली भाषा में मां के साथ शुरुआत करता है।हमारा अपना निजी तौर पर यह सोचना एवं अनुभव भी है- कि वह बच्चे जो स्कूल में स्कूल की भाषा और घर में घर की भाषा बोलते हैं,उन बच्चों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा कर पाते हैं या बुद्धिमत्ता जांच में उन बच्चों के मुकाबले अच्छे अंक लाते हैं जो - सिर्फ गैर मातृभाषा जानते हैं इस बात का आकलन हमनें अपने दमोह के सिंधी कैंप के बच्चों से किया-
ReplyDeleteसिंधी कैंप के बच्चे घर में सिंधी भाषा बोलते हैं और स्कूल में उस स्कूल की और हमें बचपन से अपने सिंधी कैंप के मित्रों कि अपनी खुद की भी घटनाएं याद हैं हमारे ये मित्र अपने घरों में सिंधी भाषा बोलते थे और स्कूल में हमारे साथ स्कूल की।
आज भी हमारे वह सिंधी मित्र भाई बाजार में एक कुशल संपन्न प्रभुत्व व्यवसायी के रूप में मुख्य बाजार में अपना व्यवसायिक वर्चस्व बनाए दिखाई देते हैं।
हमारे परिवारों की अपेक्षा इनके परिवारों पर व्यवसाय की पकड़ व संपन्नता कई गुनी अधिक है,अतः हम कह सकते हैं कि- भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति स्वाभाविक प्रवृत्ति है क्योंकि इधर बच्चा जब पूर्णतःएक भाषा अपने साथ ला रहा है और दूसरी भाषा स्कूल में सीख रहा है और 2 भाषाएं और स्कूल में उसके लिए एडिशनल सपोर्ट के रूप में संस्कृत और अंग्रेजी उपलब्ध हैं।
तब की स्थिति में उसके मस्तिष्क का विकास अन्य बच्चे की तुलना में चार गुना अधिक गति से विकसित होता है।
परिणामतः होता यह है कि,जो बच्चे अपने परिवार या घर के वातावरण से अपनी निजी या पृथक भाषा लाते हैं वे सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक बुद्धिमत्ता वाले होते हैं।
धन्यवाद...।
हमें भाषा को सीखने की शुरुआत वर्णमाला क्रमानुसार से करना चाहिए जिससे बच्चों को अक्षर ज्ञान हो जाता है। बच्चों को भाषा पढ़ाने में एवं सीखने में मदद करता है।
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
सादर ।
Varnmala ka gyan hona atiaabshyak h.
ReplyDeleteVarnmala ka gyan hona atiaavshyak h.
ReplyDeleteवर्ण माला का ज्ञान बच्चों को अच्छी तरह से होना चाहिए।
ReplyDeleteऐसा जरूरी नहीं है कि बच्चों को वर्णमाला क्रम से ही सिखाया जावे बच्चों को वर्ण लिखना व वर्ण को पहचान कर पड़ना आ गया तो समझो कि वह वर्णमाला सीख चुका है।
ReplyDeleteH. H. S. Beharawal bachche kise bhi tarah se sikhe hamara mul updesya bachche ko padana likhna aur pahchan kar pad le to hamari mehnat safal ho gayi. Balak sikh gaya yane hum nevarmala sikha di. Kulmilakar bachcha kese bhi sikhe to hamara updesya purn ho gya ।
Deleteपरंपरागत तरीके से बच्चों को जब पढ़ना सिखाया जाता है तो सबसे पहले वर्ण पहचान कराई जाती है परंतु समय के साथ उसमें बदलाव आया है अब बच्चों को अर्थ पूर्ण तरीके से कहानी कविता आदि संदर्भ से जोड़ते हुए बच्चे को वर्ण की पहचान कराई जाती है और यह आवश्यक नहीं कि क्रमानुसार हो बच्चे कभी भी किसी भी वर्ण किसी भी क्रम में सीख सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों से बातचीत करके उनके मनपसंद शब्दों को वोट पर लिखकर उसको संदर्भ के साथ जोड़कर वर्ण पहचान करा सकते हैं , वर्ण पहचान के बाद धीरे-धीरे मात्राओं की कोई जोड़ा जाता है और इस प्रकार बच्चे धीरे धीरे अनुमान के आधार पर सुनना बोलना पढ़ना और लिखना इन चारों प्रक्रियाओं को समग्र रूप से सीखते हैं।
विद्यालय में बच्चों को किसी भी भाषा को सिखाने के लिए भाषा की वर्णमाला से परिचित करवाना आवश्यक है। मौखिक रूप से तो बच्चों से हम किसी भी प्रकार से बात कर सकते हैं परंतु विद्यालय में लिखित रूप से परिचित करवाने के लिए वर्णमाला का क्रम से सिखाना आवश्यक है। क्योंकि वर्णों से शब्द और शब्द से वाक्य कि रचना होती है इसीलिए वर्णमाला का क्रमबद्ध अध्ययन आवश्यक है।
ReplyDeleteशैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक कुरावर मंडी
जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश
Varnmala Se bachcho ki pratham padai shru hoti hai Kuch bachche krmanusar varnmala aasani se sikh jate hai to kuch bachcho kram se nahi sikh pate he us karan hame bina kram ke bhi varmala sikhana he yadi balak varn bina kram ke bhi varn likh va pahchankar pad leta he to bhi hamara mul updesya purn ho jata he l
ReplyDeleteमौखिक भाषा को सांकेतिक रूप में व्यक्त करने के लिए वर्णमाला का ज्ञान कराना आवश्यक है क्योंकि मौखिक भाषा को लिखित रूप से परिचित कराने के लिए एवं प्रसारित करने के लिए वर्णमाला आवश्यक है
ReplyDeleteyes hame varnmala se hi bhasha sikhane ki shurooaat karna chahiye.
ReplyDeleteहां किसी भी भाषा को सिखाने से पहले अक्षर ज्ञान आवश्यक है और अक्षर ज्ञान उस भाषा की वर्णमाला नितांत अनिवार्य है जहां तक मेरा मानना है ।
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)-वर्णमाला का ज्ञान विचारों को व्यक्त करने केलिए आवश्यक है ।शब्दों में वर्णों की पहचान के लिए वर्णों को सिखाना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला से नहीं बल्कि शब्दों से करना चाहिए। बाद में बच्चे वर्णमाला क्रमानुसार सीख ही जाएंगे।
ReplyDeleteभाषा सीखने के लिए L S R W ka अनुसरण करना है यह बच्चे को वर्णमाला सीखने से पहले उसको बच्चो के सामने उसको अच्छे से उच्चारण के ध्यान रखे बच्चे वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर को अच्छे से देख कर बोले उसके बाद उसको पड़ने को बोले सबसे बाद में वर्णमाला को लिखने का अभ्यास करना शुरू करे।
ReplyDeleteभाषा सिखाने के लिए वर्णमाला आवश्यक है, फिर चाहे सुविधा और समझने के लिए, शब्द का इस्तेमाल करे या अक्षर का, क्रम का बाध्यता नहीं होना चाहिये।
ReplyDeleteBhasha ko sikhane mein Main Akshar Gyan hona avashyak hai Tabhi bacche Bhasha Sikh sakte hain
ReplyDeleteनहीं , बच्चों को भाषा सिखाने की शुरुआत वर्ण माला से सिखाने के बजाए,सुनना,बोलना,पढ़ना और लिखना (LSRW) से करना चाहिए। शुरुआत में क्रमानुसार वर्णमाला से सिखाना आवश्यक नहीं है, लक्ष्य भाषा को सिखाने के लिए वर्णमाला को क्रम से सिखाया जा सकता है,पर यह सदैव आवश्यक नहीं है।
ReplyDelete
ReplyDeleteहिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना नितांत आवश्यक होता है। क्योंकि वर्णों के संयोग से ही तो शब्दों का निर्माण होता है। और शब्दों से वाक्य बनते हैं।
ReplyDeleteअस्तु वर्णमाला सीखना अति आवश्यक होता है।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
हिन्दी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना चाहिए, क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से, बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
किसी भी भाषा को सीखने का वैज्ञानिक आधार है वर्णमाला।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए ध्वनि की पहचान होना जरूरी है इस के साथ ही वर्णों की पहचान होना चाहिए परंतु यह जरूरी नहीं कि वर्णमाला क्रमानुसार ही सिखाई जाए ।क्योंकि कोई भी भाषा लिखने और पढ़ने के लिए वर्णों का क्रम अनुसार होना जरूरी नहीं है
ReplyDeleteKisi bhi e nai bhasha sikhane ke liye varnamala ka gyan hona Jaruri vah avashyak Hota Hai
ReplyDeletekisi bhi bhasha ke gyan ki suruat varnmala se hi hona avasyak hai.
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की वर्णमाला को सीखना बहुत ही आवश्यक है। वर्णमाला को क्रम से सिखाना अनिवार्य नहीं है हम बच्चों को शब्दों के माध्यम से भी वर्णमाला सिखा सकते हैं
ReplyDeleteRashmi Tamrakar ha hme bhasha sikhane ki shuruaat varnmala se he karna chahiye
ReplyDeleteभाषा सिखने की शुरुआत बच्चन को आस पास के वातवरन से परिचय होता है उसी के आधार पर हम बच्चों को भाषा ज्ञान देने में उनकी बोल चल की भाषा के आधार पर वर्णमाला के सीखने का प्रतिफल प्रप्त करते हैं l
ReplyDeleteशाला में बच्चों को वर्णमाला सीखाने से पूर्व stroks सिखाएं जाने चाहिए ततपश्चात उन्हें प्रत्येक वर्ण का अलग अलग अभ्यास कराया जाना चाहिए, इसके बाद हम वर्णमाला की शुरुआत कर सकते हैं।
ReplyDeleteक्या हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करनी चाहिए? इसका जवाब है नही क्योंकि बच्चे को अर्थपूर्ण तरीके से कहानी के मफहयँ से वाक्य से अक्षर बोध तक ले जाना है। क्या बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए? इसका जवाब है नही।
ReplyDeleteअपने विचारों को साझा करें।
बाल किशोर सेन शा प्रा शाला घंघरी खुर्द कटनी किसी भी भाषा का ज्ञान बच्चों में में बोलचाल की भाषा के माध्यम से ही होने लगता है जैसे मात्रभाषा का ज्ञान अतः हम बोल चाल कहानी कविता आदि के माध्यम से भी भाषा का ज्ञान बच्चों में विकसित कर सकते हैं ।तथा भाषा ज्ञान के लिए किसी भी तरह से वर्णमाला का ज्ञान कराया जा सकता है ।
ReplyDeleteकिसी नई भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान होना स्वाभाविक ही जरूरी है
ReplyDeleteजी हां हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला से करनी चाहिए जब शब्दों से वर्णमाला ही शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला सिखाने की शुरुआत करते हैं तो बच्चा वर्णमाला के साथ-साथ शब्द भी सीखता है|
ReplyDeleteउमाशंकर परौहा शासकीय प्राथमिक शाला घघरी खुर्द क़टनी
ReplyDeleteमातृ भाषा सीखने के लिए कविता कहानी बोलचाल की भाषा के द्वारा भी भाषा सिखाने का अभ्यास किया जा सकता है तथा वर्णमाला का ज्ञान किसी भी तरह से कराया जा सकता है जिससे भाषा का ज्ञान विकसित होता है।
Bhasha ki shuruaat To Baccha Apne Ghar Se Parivar se Samaj se Adhik se matrabhasha ke roop mein jo Shabd sikhkar Aata Hai Uske mastishk Mein rahti hai aur Shikshak to matrabhasha ko Uske varnan ko Pratham akshy Keshav dhanyvad Aakar yah Chitra print sambandhit samagri ke Aadhar per De use varnamala sikhai Jaati Hai Jaruri nahin hai kiranmala jo hai kramanusar Hi Ho bacche ko Chitra ke Madhyam se varnamala ka gyan Diya Ja sakta hai
ReplyDeleteहिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना ही चाहिए , क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से , बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteभाषा सीखने के लिए महत्वपूर्ण घटक है अभ्यास।
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शुरुआत दृश्य आत्मक निरूपण का उपयोग करने पढ़ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं इसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
, 2021 at 5:05 AM
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शुरुआत दृश्य आत्मक निरूपण का उपयोग करने पढ़ने बोलने सुनने देखने और विचारों के बारे में गंभीरता से विचार करने की क्षमता है बच्चेLSRWमैं अधिक से अधिक संलग्न होते हुए भाषा की बारीकियों को समझने लगते हैं इसके बाद ही उन्हें वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए
किसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्ण माला से ही शुरुआत होती है l
ReplyDeleteकिसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्ण माला की जरूरत होती ही है l
ReplyDeleteबच्चे को भाषा सिखाने की शुरुआत के लिए वर्णमाला का क्रम से सिखाना जरूरी नहीं है। बच्चा जिस परिवेश से आता है वहां बोली जाने वाली भाषा के शब्दों से बच्चों को वर्णमाला का ज्ञान कराया जाना चाहिए। चू़ंकि बच्चा अपने परिवेश में बोले जाने वाले शब्दों से अच्छी तरह परिचित होता है,उन्हीं शब्दों के माध्यम से बच्चों को वर्णमाला या भाषा का ज्ञान कराना ज्यादा सुगम होगा।
ReplyDeleteहिंदी भाषा सीखने की शुरुआत वर्णमाला से ही होना ही चाहिए , क्योंकि इसका आधार वैज्ञानिक तौर पर बना होने से , बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिए।
ReplyDeleteराखी फ़रसोइया
Ha
ReplyDeleteभाषा सिखाने में सर्वप्रथम शुरुआत वर्णमाला सही करनी चाहिए और वह भी बच्चों को मुक्ता मौखिक रूप से करनी चाहिए बच्चे सुनेंगे उसके पश्चात बोल तो वह जल्दी बोलना सीखे है उसके पश्चात ही उन्हें पढ़ने और लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए
ReplyDeleteकिसी नई भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान होना स्वाभाविक ही जरूरी है ।भाषा सिखने की शुरुआत बच्चन को आस पास के वातवरन से परिचय होता है उसी के आधार पर हम बच्चों को भाषा ज्ञान देने में उनकी बोल चल की भाषा के आधार पर वर्णमाला के सीखने का प्रतिफल प्रप्त करते है ।
ReplyDeleteहिंदी भाषा सीखने के पूर्व बच्चों को किसी खेल, अथवा मनोरंजक गतिविधियों के द्वारा वर्ण माला संबंधित पूर्व ज्ञान देना चाहिए ।
ReplyDeleteजिससे बच्चों को वर्ण माला सीखने मे आसानी हो।
भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से नहीं करनी चाहिए पहले कविता, कहानी, नाटक, चित्रों इत्यादि के माध्यम से बच्चों में सुनने और बोलने की क्षमता का विकास किया जाना चाहिए ताकि बच्चे अपने हाव-भाव अभिव्यक्त कर सके, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता अर्जित कर सकें और अपने परिवेश से संबंधों का निर्माण कर सकें।
ReplyDeleteजिससे बच्चे जिज्ञासु और उत्साही बने रहते हैं। बच्चे शनैः शनैः यह समझने लगेंगे कि जिस प्रकार एक कहानी का अर्थ होता है उसी प्रकार एक वाक्य का भी अर्थ होता है क्योंकि कहानी अनेक वाक्यों से ही तो बनी है। वाक्य अनेक शब्दों से बने होते हैं अतः एक-एक शब्द का भी अर्थ होता होगा।शब्द वर्णों से बने हैं,वह वर्ण का अर्थ ढूढेंगे और वर्णमाला की ध्वनियों का ज्ञान हो जाएगा।
इसके पश्चात बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला सीखना चाहिए
Kisi bhi Bhasha ko sikhane ke liye use Bhasha ki varnamala sikhana nitant avashyak hai kyunki varnan se Shabd aur shabdon se vakya Rachna hoti hai
ReplyDeleteभाषा सीखने के लिए क्रम से वर्णमाला सीखाने की आवश्यकता नहीं होती भाषा उसकी मातृ भाषा होती हैं जो बच्चा घर से सीख कर आता है ।बच्चे को पढ़ना लिखना सीखने के लिए क्रम से वर्णमाला सीखाने की जरूरत होती हैं
ReplyDeleteKisi bhi bhasha ko sikhne k liye bacchon ko varnmala sikhana aavashyak h tabhi ve bhasha smjh payenge
ReplyDeleteBhasha ki suruat to bachcha apane ghar se, parivar se,samaj se matrabhasha ata he.hame bhachche ko photo ,chitron,video, dikhakar karni chahiye. Phir barnmala sikani hogi.
ReplyDeleteहाँ किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसकी वर्णमाला का ज्ञान, उसकी बुनियाद होती है । बच्चों को वर्णमाला का ज्ञान कराना ही चाहिए । किसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णमाला का ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
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