कोर्स 1- गतिविधि 1- अपनी समझ साझा करें
निम्न लिंक से 'खलुा आकाश' 2004 वीडियो फिल्म देखें और इस पर अपने विचार साझा करें : https://www.youtube.com/watch?v=1XjDHOrcJyw
ईसीसीई के बारे में सोचें? क्या यह आवश्यक है? ईसीसीई कैसे स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान
करता है? अपनी
समझ साझा करें।
बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र रूप से सीखने की हो! वो जो कर रहा है उसे करने देना चाहिए। हमें उसका मार्गदर्शन करना चाहिए! खेल खेल में सीखना सबसे उत्तम तरीका है
ReplyDeleteबच्चों को सरल तरीके से सिखाने के लिए शिक्षक को खेल के माध्यम से कहानी के माध्यम से खिलोने के जरिए बहुत सरल तरीके से सिखाया जा सकता है
Deleteबच्चों के सम्मपूर्ण विकास के लिए सबसे जरूरी चीज है कि उन्हें खेल खेल मे बिना किसी भय के सिखाया जाए।
Deleteबच्चों को सीखने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि सीखने का वातावरण प्रेरणादायक हो, शिक्षक बच्चे के मन के भाव को समझकर शिक्षा का वातावरण निर्मित करें।
DeleteBachcho ko khel khel me mulbhut dakshtaye sikhayi jaye bachcho ki sikhane ke jyada se jyada avsar diye jaye
Deleteबच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए
Deleteप्राइमरी टीचर रो को ग़ैर शैक्षिक कार्य से मुक्त रखना चाहिए क्योंकि वहीं उनकी नीव बनाता है किन्तु ऐसा नहीं होता है लेकिन पिरायवेट वाले टीचरों को केवल पढ़ाना ही होता है इसलिए वो जल्दी सीखतें हैं अतः हमको भी केवल पढ़ाने का काम दिया जावे ,धन्यवाद
Deleteखुला आकाश
Deleteबच्चे जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं।
बाल मनोविज्ञान के अनुसार हम स्वतंत्र रूप से जब उन्हें क्रिया कलाप करते हुए देखते हैं तो बड़ी ही सरलता से हम उन्हें सही मार्गदर्शन व सहयोग कर सकते हैं।
बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है इसलिए बच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए ।।
Deleteशानदार बच्चों ने बहुत ही सुन्दर ढंग से एक्टिविटी किये हैं यह प्रेरणा दायक है
Deleteबच्चों को प्रारंभिक ज्ञान खेल-खेल के माध्यम से ही सिखाना चाहिए। चूँकि उस समय वह बहुत छोटा होता है, बच्चा जैसा चाहता है उसे उसी प्रकार के खेलों को खिलाना चाहिए। जब उन्हें सीखने के पर्याप्त साधन मिलेंगे तभी वे अपनी अभिव्यक्ति स्वतंत्र रूप से कर पाएंगे। इसमें शिक्षक एक मार्गदशक के रूप में कार्य करेंगे।
DeleteSanjay Kumar Rajak GPS BHIRA JSK SHIKARA Block Ghansore Distt. SEONI MP
गीली मिट्टी के समान बच्चों के हित के लिए ई सी सी ई जरूरी है
ReplyDeleteBachho ko azadi ke saath sikhne ke avsar de.
ReplyDeleteबचचो की प्रारंभिक शिक्षा. शिक्षा की नींव है इसलिए बच्चो को स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर देना चाहिए!
ReplyDeleteबच्चों को सीखने के लिए बहुत से खेल खेल में गतिविधियां कराना चाहिए जैसे रेत में लिखना घर बनाना गीली मिट्टी के खिलौने बनाना लकड़ी के खिलौने बनाना पत्थरों को गिनना आदि गतिविधियों से बच्चे जल्दी सीखते हैं।
ReplyDeleteबच्चो की शिक्षा स्वतंत्र रूप से होना चाहिए l उसका समय समय पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिए l और जितना हो सके खेल खेल में ही शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए l
ReplyDeleteबच्चों को सीखने के लिए बहुत से खेल खेल में गतिविधियां कराना चाहिए जैसे रेत में लिखना घर बनाना गीली मिट्टी के खिलौने बनाना लकड़ी के खिलौने बनाना पत्थरों को गिनना आदि गतिविधियों से बच्चे जल्दी सीखते हैं।
Deleteप्रत्येक शिक्षक को पहले यह वीडियो पूरा देखना चाहिए, इससे आपकी समझ बढेगी और बच्चों को खेल-खेल में बहुत ही सुंदर ढंग से पढ़ा पाएंगे
ReplyDeleteइस तरह के खुले वातावरण में ,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ , निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी और शिक्षा की नींव मजबूत होगी ।
प्रत्येक शिक्षक एवं पालकों को पहले यह वीडियो देखना चाहिए, इससे उनकी समझ बढेगी और बच्चों को खेल-खेल में बहुत ही सुंदर खुले परिवेश के माध्यम से पढ़ा पाएंगे,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ ,निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी और शिक्षा की नींव मजबूत होगी ।
ReplyDeleteगिली मिट्टी से जिस प्रकार कैसी भी मूर्ति तैयार की जा सकती है उसी प्रकारन्हे नन्हे बच्चों का भी बहुआयामी व सर्वांगीण विकास शिक्षा के लिये उचित वातावरण निर्मित करके किया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए ।।गिली मिट्टी से जिस प्रकार कैसी भी मूर्ति तैयार की जा सकती है उसी प्रकारन्हे नन्हे बच्चों का भी बहुआयामी व सर्वांगीण विकास शिक्षा के लिये उचित वातावरण निर्मित करके किया जा सकता है
ReplyDeleteBachhe ko shala me ghar ka maahol feel ho
ReplyDeleteRaghubir soni
घर से शाला में आना बच्चे का प्रथम अवसर होता है ,अंत: उसे बहुत स्नेह और स्वतंत्रता की जरुरत होती है ऐसे में यदि उसे खेल के माध्यम से सिखाया जाए तो उसकी रुचि जाग्रत हो जाती है ,तब सिखाना आसान हो जाता है I
ReplyDeleteShivvanti Bamne
ReplyDeleteगिली मिट्टी से जिस प्रकार कैसी भी मूर्ति तैयार की जा सकती है उसी प्रकारन्हे नन्हे बच्चों का भी बहुआयामी व सर्वांगीण विकास शिक्षा के लिये उचित वातावरण निर्मित करके किया जा सकता है
, बच्चे जब अपनी साला से जुड़ता है तो उसके मन को आकर्षित करने हेतु साला का वातावरण मन मोहक हो उसको अधिक से अधिक खेल किराने का अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चे की प्रारंभिक शिक्षा उसके घर से शुरू होती हैं वह घर के सदस्यों को देखकर बहुत कुछ सीखता हैं इसलिए हमें शाला में बच्चो को घर जैसा माहौल देना होगा ताकि बच्चे बिना जिझक के अपनी बात बता सके ।और अपनी जिज्ञासा तथा अपने प्रश्नों को पूछ कर अपने सीखने की गति में वृद्धि कर पाए।
ReplyDelete, बच्चे जब अपनी साला से जुड़ता है तो उसके मन को आकर्षित करने हेतु साला का वातावरण मन मोहक हो उसको अधिक से अधिक खेल कराने का अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteई सी सी ई पूर्व बाल्यावास्था सुरक्षा एवं शिक्षा बच्चों को सीखने एवं विकास के अच्छे अवसर प्रदान करता है। वर्तमान में यह आंगनवाड़ी केंद्र के जरिए संचालित है। भारत जैसे विकासशील देशों में इस प्रकार के संसाधन प्रत्येक परिवार या पालक के पास उपलब्ध नहीं है। आपाधापी के इस समय में आज यह और ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि पालक व परिवारिक सदस्य भी विशेषकर ग्रामीण परिवेश में बच्चों के विकास पर ध्यान नहीं दे पाते। शहरी क्षेत्रों में की व्यवस्था के लिएस्थान की उपलब्धता प्रत्येक परिवार के पास नहीं है अतः शहरी क्षेत्र में भी यह महत्वपूर्ण है। अतः विषय विशेषज्ञों के द्वारा पुनर्विलोकन पश्चात व्यवस्था जारी रहना चाहिए ।
ReplyDeleteप्रारम्भिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है शाला पूर्व बच्चों को खेल खेल में आनन्ददायी गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को स्कूल के लिए पूर्णरूप से तैयार किया जाता है
ReplyDeleteईसीसीई 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं स्कूल पूर्व बच्चों को सीखने हेतु सम्पूर्ण रूप से तैयार किया जाता है ।
ReplyDeleteबच्चों को खेल खेल में आनंद दायक वातावरण में सिखाया जाता है।
ECCE bachchon ke samagra vikas ke liye ek bahu ayami shiksha pranali hai jise Nai shiksha neeti me uchch prathmikta dee gayee hai.
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियों देख कर मन प्रसन्न हो गया बच्चों को प्रकृति और अपने आस पास के स्वतंत्र वातावरण से जोड़ कर कर बच्चों खेल खेल मे बहूत कुछ सिखाया जा सक्ता है। स्कूल मे ये सभी संसाधन होने भी जरूरी है शाला प्रभारी का सहयोग व्यवस्था से क्रियान्वन हो सक्ता है हर टीचर को ecce की समझ होनी चाहिये।
ReplyDeleteबच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने देना चाहिए लेकिन जब वो अटक जाएँ तो हमे उनकी मदद करनी चाहिए उनपर सतत नजर रखनी होगी उनका लक्ष्य क्या हो यह हमको निर्धारित करना है.सतत मूल्यांकन व् सतत मार्गदर्शन आवश्यक है.
ReplyDeleteप्रारंभिक वाल्यावस्था बच्चे के जीवन की नींव है इसीलिए बच्चे जिस माहौल से निकलकर हमारे पास विद्यालय में आते हैं तो हमारा पहला प्रयास यह होना चाहिए कि हमारे विद्यालय का वातावरण
ReplyDeleteखेलकूद भरा हो जिससे बच्चों का मन विद्यालय में लगा रहे और वो खेलकूद एवं स्वतंत्र वातावरण के साथ अपना शारीरिक एवं मानसिक विकास कर सकें
जगदीश प्रसाद यादव
प्राथ. शिक्षक
Gps पुरा शेड
वि. ख. गोटेगाँव
जिला नरसिंहपुर म.प्र.
प्रारम्भिक शिक्षा बच्चें के जीवन की नींव है बच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने देना चाहिए उन्हें खेल खेल में सीखने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए ताकि वे स्वतंत्र वातावरण के साथ अपना शारीरिक एवम् मानसिक विकास कर सकें
ReplyDeleteइस तरह के खुले वातावरण में ,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ , निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी और शिक्षा की नींव मजबूत होगी ।
ReplyDeleteBalvir Singh Kaurav
Gwalior
Bacche jab apne parivaar se shala me judta he toh uske mnn ko akarshit karne hetu shala ka vatavaran manmohak ho use adhik se adhik khel khilate huye sikhane ke avsar dena chahiye D.P Malviya H.M. EPES kohadi
ReplyDeletePrarambhik shiksha hi har vidhyarthi ki neev hoti he. Khel-khel me shikne se bachche jaldi seekh jaate he. Isliye hme bachcho ko swatantra roop se seekhne ka avsar dena chahiye.
ReplyDeleteहां ECCE आवश्यक है। एवं इसकी सहायता से हम बच्चों में सरलता से सामाजिक विकास और सहयोगी अधिगम का विकास कर सकते है। यह बच्चों की स्कूल लर्निंग को खेल खेल में सरल , सहज बनाने के साथ साथ उसको वास्तविक जीवन से जोड़ने का काम करता है।
ReplyDeleteYes ECCE is necessary beacuse it helps in developing social learning and collaborative learning in children. It also connects school learning to real life in a playful and joyful manner.
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteबच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने के अवसर दिए जाने चाहिए और समय समय पर मार्ग दर्शन करते रहना चाहिए।
खुला आकाश वीडियों देख कर मन प्रसन्न हो गया बच्चों को प्रकृति और अपने आस पास के स्वतंत्र वातावरण से जोड़ कर कर बच्चों खेल खेल मे बहूत कुछ सिखाया जा सक्ता है। स्कूल मे ये सभी संसाधन होने भी जरूरी है शाला प्रभारी का सहयोग व्यवस्था से क्रियान्वन हो सक्ता है हर टीचर को ecce की समझ होनी चाहिये।EPES MS Narola hirapur.
ReplyDeleteEccE प्रारंभिक शिक्षा के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा, शिक्षा की नींव है ...इसलिए बच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर देना चाहिए...इसी बात पर ECCE में जोर दिया गया है ..
ReplyDeleteKhula Aakash video dekhkar man prasann Ho Gaya bacchon ko prakriti aur apne aaspaas vatavaran se jodkar bacchon ko bahut kuchh Khel Khel mein sikhe ja sakta hai.
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा स्वतंत्र रूप से होना चाहिए उसका समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिए एवं खेल खेल में शिक्षा दी जाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के लिए पूर्व प्राथमिक शिक्षा और देखभाल बहुत आवश्यक है| प्रारंभिक शिक्षा में बच्चों की क्या आवश्यकताएं हैं? वह कैसा महसूस करते हैं? तथा उनके अनुरूप कौन-कौन सी गतिविधियां की जा सकती है ?इसका ज्ञान पूर्व प्राथमिक शिक्षक को होना चाहिए जिससे वह बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार उनके व्यवहार को समझते हुए, उनकी उम्र के अनुसार कार्य करवाएगा| अगर बच्चों की पूर्व प्राथमिक शिक्षा अच्छे तरीके से हो जाती है तो वह बच्चा अपने पूरे जीवन में अपना समग्र विकास कर पाता है |लेकिन अगर किन्ही कारणों से बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण नहीं हो पाती है तो आगे की पढ़ाई पर भी उसका प्रभाव पड़ता है| और बच्चा मूलभूत दक्षता ओं को जो उसके समग्र विकास के लिए आवश्यक है उनको ग्रहण नहीं कर पाता है , जिससे उसका समग्र विकास नहीं हो पाता है| अतः पूर्व प्राथमिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत जरूरी है| इसके लिए एक ऐसे शिक्षक की आवश्यकता है जो बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार खेल- खेल में शिक्षा प्रदान कर सके| बच्चों के साथ बच्चा बन सके| तथा बच्चों की जरूरतों के अनुसार उनके साथ में हिल मिलकर काम कर सके|
ReplyDeleteमैं- रघुवीर गुप्ता -शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव, विकासखंड- विजयपुर ,जिला- श्योपुर, मध्य प्रदेश
बच्चो की शिक्षा स्वतंत्रत रूप से होनी चाहिए उसका समय समय पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिए एवं खेल खेल में शिक्षा दी जानी चाहिए
ReplyDeleteShuruati samay ati mahatavpurn hai or har bachche ko uski shamta ko
ReplyDeletePora viksit krne k liye
Bachcho ka sahi upyog krna boht jrori hai
Bachcho ko ek parinde ki tarah shala mei swatantra hona chahiye taki wo apne vichar khul kr rkhe or shikshak k sath wo apna sampurna nirman kr sake .
VIJAYA TRIPATHI
PRATHMIK SHALA -DHANKHER KHURD BLOCK - SOHAWAL
SATNA MP
प्रारम्भिक शिक्षा में बच्चों की क्या जरूरतें हैं वह कैसा अहसास करते हैं ! इसका ज्ञान पूर्व प्राथमिक शिक्षक को होना चाहिए ! जिससे वह उनके स्वभाव और व्यव्हार को समझते हुए उनकी आयु के अनुसार काम करवाएगा ! लेकिन अगर किन्ही कारणों से बच्चों की शुरूआती शिक्षा First Education पूर्ण नहीं हो पति है तो आगे की पढाई पर उसका प्रभाव पढ़ सकता है ! बच्चें मूलभूत दक्षताओ को उनके समग्र शिक्षा विकास के लिए आवश्यक है ! जो उनको ग्रहण नहीं कर पाता है ! पूर्व प्राथमिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत जरूरी है ! इसके लिए ऐसे अध्यापको की महती आवश्यकता है ! जो बोचाल मनोरंजन पूर्वक खेल खेल में शिक्षा प्रदान कर सके ! शिक्षक में अहम् का भाव नहीं होना चाहिए कि मैं बड़ा हूँ कोई क्या कहेगा ! बच्चों के साथ गतिविधि में बच्चों के माहौल में वार्तालाप व् गतिविधि करना चाहिए !
ReplyDeleteबच्चों के मन की भावनाओ को समझना और उनके विचारों को व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteशा. प्रा. वि. जतौली - - - - - - - - - - - - बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र रूप से सीखने की हो क्योंकि सीखना सत्त चलने वाली प्रक्रिया है बच्चा जो कर रहा है उसे करने देना चाहिए । शिक्षक को मार्ग दर्शक की भूमिका में रहना चाहिए। शाला का वातावरण आर्कषक एवं मनमोहक होना चाहिए
ReplyDeleteइस तरह के खुले वातावरण में ,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ , निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी और शिक्षा की नींव मजबूत होगी ।
ReplyDeleteईसीसीई में 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को लिया जाता है इस उम्र में बच्चों को सीखने की क्षमता 86 % होती है कहा जाता है इस उम्र में बच्चा गीली मिट्टी जैसा होता है उसे जैसा आकार देंगे वह वैसा ही बनेगा इस तरह हम कह सकते हैं कि एसईसी स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है
ReplyDeleteबच्चों के मन में उठने वाले विचारों को साझा करना।
ReplyDeleteLokesh Kumar Vishwakarma prathmik Shiksha mein bacchon ko Swatantra root se Bina dar ke UN ki kshamta anusar Khel aur gatividhiyan Ko karana chahie tatha bacchon ko sikhane wale bacchon Jaise Khel sake kud sake tatha gatividhiyan kar sake tatha Khel aur gatividhiyan aisi hona chahie jisse nanhe nanhe bacchon ka Vikas Ho sach Vikas ho aur Shiksha ka vatavaran nirmit Ho.
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा में बच्चों को खेलने की अधिक से अधिक अवसर देने चाहिए क्योंकि बच्चे खेल खेल में अपने विभीन अनुभव को प्राप्त करते हैं
ReplyDeleteबच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने के अवसर दिए जाने चाहिए और समय समय पर मार्ग दर्शन करते रहना चाहिए।बच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए ।शिक्षक को मार्ग दर्शक की भूमिका में रहना चाहिए। शाला का वातावरणआर्कषक एवं मनमोहक होना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देते समय खेल खेल के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए जैसा खेल वह चाहते हैं वैसे ही खेलने देना चाहिए उसमें हम शिक्षक की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है कि वह अपनी भूमिका किस प्रकार खेल के माध्यम से निभाता है उसकी भूमिका ही बच्चे को सीखने में मदद करती है
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा खेल के माध्यम से ही देना चाहिए
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियो शिक्षकों को प्रारंभिक शिक्षा देने में बहुत मदद करता है
ReplyDeleteप्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा 3 से 6 वर्ष की आयु से शुरू होती है जिसमें बच्चों को उपयुक्त वातावरण में खेल खेल में शिक्षा प्रदान की जाए ।बच्चों को भरपूर सीखने, तर्क करने, सोचने समझने अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति प्रदान कर सकें । उनमें उपयुक्त क्षमता का विकास हो अपने मनपसंद खिलौनों से खेल सके। अपने मनपसंद चित्र बना सके। बाल्यावस्था शिक्षा में शिक्षकों को उपयुक्त ट्रेनिंग प्रदान की जाए और शिक्षक भी ऐसे होना चाहिए जो बच्चों के साथ खेल सके उनके स्तर पर जाकर उनके साथ गतिविधि कर सकें साथ ही साथ उनके साथ एक सहायक भी होना चाहिए जो उनकी मदद करें
ReplyDeleteबच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए बच्चों के लिए खेल का मैदान भी होना चाहिए ताकि वह दौड़ सके भाग सके खेल सके तथा सुरक्षित वातावरण भी होना चाहिए ताकि बच्चे सुरक्षित रह सके।
इसमें एक बात आवश्यक यह भी है कि एक शिक्षक पर 10 बच्चे हैं और यदि ज्यादा से ज्यादा माना जाए तो 20 से ज्यादा तो होना ही नहीं चाहिए ताकि शिक्षक को अपने हर एक बच्चे से जुड़ने, उनके साथ गतिविधि करने का तथा उन्हें संभालने का अच्छा अवसर मिले। इस प्रकार प्रारंभिक शिक्षा का बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
श्रीमती कमलेश यदुवंशी
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला जय हिंद नगर,
संकुल केंद्र- शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बाणगंगा ,
जिला -इंदौर (मध्य प्रदेश)।
3 से 6 वर्ष के बच्चों के समग्र विकास के लिए उन्हें अनौपचारिक तरीकों से खेल,विविध गतिविधि आधारित दृष्टिकोण का उपयोग कर अनुभव प्रदान कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश से नई नई चीजो के बारे मे जानने के लिए उत्सुक होते है और वे खोज बीन मे लग जाते है हरेक वस्तुओ बारे मे जानने की जिज्ञासा होती है।
ReplyDeleteबच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देने चाहिए खुला आकाश वीडियो देखकर मन प्रसन्न हो गया टीचर को ecce की समझ होनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चो की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है।
ReplyDeleteइस लिए बच्चो को स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर देना चाहिए।
बच्चो को खेल खेल मे सीखने हेतु प्रेरित करना चाहिए।
बच्चो को खेल खेल मे सिखने के अधीक अवसर देने चाहिए 3 से6 वर्ष के बच्चो को बहुत आनंद की अनुभूति होती है सत्यनारायण गुप्ता स शि एकीकृत शा मा वि पाडलिया मारू मन्दसोर मध्य प्रदेश
ReplyDeleteप्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा अर्थात पूर्व प्राथमिक शिक्षा में ईसीसीई बच्चों के लिए बहुत आवश्यक है।जिसमें बच्चे स्वयं खेल-खेल में स्थायी समझ के साथ सीखते हैं। और बच्चों में देखकर स्वयं खेल-खेल में स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर मिलता है। जिसमें बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके यही बाल केंद्रित शिक्षा है। जिसमें शिक्षक की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
ReplyDeleteबच्चों को खेल- खेल में सीखने के लिऐ प्रेरित करते रहना चाहिऐ जिससे कि वे गतिविधिआधारित शिक्षणके द्वारा उनका सर्वांगीण विकास होसके।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा में खेल खेल में सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteChild lucchi mitti ki trh hote h.islie teacher ko ek khel uktmahila bnaker sikcha pradan kerni chaiye.unki aajadi nhi Cheena chaiye.unhe freedom dena chahiye
ReplyDeleteबच्चा जब शाला में आता है तो वह स्वतंत्रता महसूस करे उसे स्नेह प्यार के साथ बातचीत करना चाहिए। खेल खेल में गतिविधि आधारित और आनंद दायी शिक्षा हो, बच्चे मनोरंजक तरीके से सीख सकें। कक्षा में बच्चों के रूचि अनुसार गतिविधियां होना चाहिये।
ReplyDeleteघर से शाला में आना बच्चे का प्रथम अवसर होता है ,अत: उसे बहुत स्नेह और स्वतंत्रता की जरुरत होती है ऐसे में यदि उसे खेल के माध्यम से सिखाया जाए तो उसकी रुचि जाग्रत हो जाती है ,तब सिखाना आसान हो जाता है I
ReplyDeleteSala ka vatavaran manmohak Prakriti Se Juda Hona chahie AVN bacchon ko Khel Khel Mein sikhana chahie
ReplyDeleteबच्चे की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र रुप से सीखने की हो। बच्चों को उनकी एवं मनोवृत्ति के अनुसार खेलने के पर्याप्त अवसर दिये जावे। शाला में खेलने हेतु पर्याप्त एवं सुरक्षित स्थान तथा खेलने हेतु पर्याप्त सामग्री हो। शाला का वातावरण आकर्षक हो और प्रशिक्षित शिक्षक हो।
ReplyDeleteकु. शमीम नाज़ हाई स्कूल आरिफ नगर भोपाल
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है,इसका मूल आधार सीखने के लिए स्वतंत्र,प्रेरणादाई अनुकूल वातावरण और अवसर प्रदान करना है।इससे बच्चों में आपसी समझ व सहयोग की भावना पनपेगी।बच्चे खेल खेलने जल्दी सीखते है
बचचो को हमेशा खेलना पसंद होता है
ReplyDeleteईसलिए उन्हें खेल खेल में गतिविधि कराना चाहिए!
बच्चे को स्वतंत्र अभिव्यक्ति जो चाहे वह कर पाए स्कूल में कोई बंदिश ना हो क्योंकि यह भी आई है जब बच्चा अपने परिवार से निकल कर एक नए परिवेश में खुद को एडजस्ट करना है
ReplyDeleteबच्चों को ऐसा माहौल देना चाहिए, जिसमे वो भयमुक्त हो, निर्भीक हो, स्वच्छंद हो, बलात उन पर कोई चीज आरोपित नहीं की जाए। उन्हें स्वतः सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान किये जायें। शिक्षक और अभिभावकों को बस चाहिए कि उन्हें आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराएं और उनके पथप्रदर्शक बने।
ReplyDeleteश्याम मनोहर दुबे(प्रा.शि.)
GPS बेरखेड़ी राजाराम
बेगमगंज, रायसेन
बच्चे को किसी बन्धन मे नही बांधना चाहिये उन्हे खुली सवतनतरता देनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को हमेशा खुला वातावरण मिलना, चाहिए खेल खेल में उन्हें शिक्षा देना चाहिए जिससे कि उन्हें ना लगे कि उन्हें पढ़ाया जा रहा है या उन पर किसी प्रकार का प्रेशर दिया जा रहा है।बच्चों को हमेशा उनकी उम्र के अनुसार गतिविधि कराना चाहिए,बच्चे कच्ची मिट्टी के समान है।हम उन्हें जैसा बनाना चाहेंगे वह वैसा बनते हैं।
ReplyDeleteसंतोष जगरवाल शासकीय प्राथमिक शाला खैरी नंदलाल विकासखंड बाबई जिला होशंगाबाद मध्य प्रदेश
बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं उनके भावों को समझ कर उन्हें शाला में घर जैसा माहोल देकर तराशना होता है,उन्हें खेल और अपने आसपास के वातावरण से सीखने हेतु प्रेरित करना होगा।ताकि बच्चे स्वतंत्र रूप से सीखने में मदद करना होगी।
ReplyDeleteबच्चा जब पहली बार स्कूल आता है तो उसे अपने परिवार एवं परिवेश में बहुत कुछ अलग सा महसूस होता है । उसे अपने घर परिवार के परिवेश से जोड़ने के लिए उसे मनमोहक वातावरण की आवश्यकता होगी । उसे अधिकाधिक खेल खेलने एवं सीखने के अवसर प्राप्त करने के अवसर प्राप्त हो, यह तभी संभव है जब ईसीसीई के प्रावधानों के अनुसार शिक्षा दी जाए अतः ईसीसीई आवश्यक है । ईसीसीई खेल- खेल में, सरल तरीके से, स्थानीय भाषा के साथ-साथ स्वयं की समझ के साथ सीखने के अवसर प्रदान करता हैं । स्वयं द्वारा सीखी गई जानकारी स्थायी रूप से व्यवहारिक जीवन में उपयोग करने में सक्षमता प्रदान करती हैं । इस प्रकार ईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है ।
ReplyDeleteबच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु और भविष्य में पढ़ने लिखने की नींव मजबूत करने के लिए तथा सामाजिक व्यवहार को बढ़ाने के लिए ईसीसीई शिक्षा बहुत ही आवश्यक है .
ReplyDeleteयह एक जरूरी शिक्षा का अंग है और इस में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है .
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ReplyDeleteबच्चों को प्रारंभिक और बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान हेतु गतिविधि करके स्वतंत्र रूप से सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा के लिए गावों में कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है
ReplyDeleteईसीसीई बहुत ही आवश्यक है। प्रारंभिक शिक्षा बच्चे को खेल खेल में नृत्य गीत कहानी व अन्य सहायक सामग्री के माध्यम से दी जा सकती है। इससे एक ऐसे वातावरण निर्माण और सुविधाएं प्राप्त होगी जिससे बच्चे को वर्तमान के साथ साथ भविष्य में अपने जीवन को श्रेष्ठ बनानेऔर विकास करने में महत्वपूर्ण आधार मिलेगा। प्रारंभिक शिक्षा बच्चे की नींव होती है जिसमें उसके भविष्य का निर्माण किया जा सकता है इसमें ईसीसीई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा शा नांदखेड़ा रैय्यत विकास खंड पुनासा जिला खंडवा
ReplyDeleteबच्चे के लिए स्कूल का वातावरण आकर्षक हो एवं उसे स्कूल में अधिक से अधिक सीखने के अवसर प्राप्त हो सके
बच्चों को खेल के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी और उसके बाद उसका पूर्ण रूप से विकास हो सकेगा
ReplyDeleteबच्चों को प्रारंभिक ज्ञान खेल-खेल के माध्यम से ही सिखाना चाहिए। चूँकि उस समय वह बहुत छोटा होता है, बच्चा जैसा चाहता है उसे उसी प्रकार के खेलों को खिलाना चाहिए। जब उन्हें सीखने के पर्याप्त साधन मिलेंगे तभी वे अपनी अभिव्यक्ति स्वतंत्र रूप से कर पाएंगे। इसमें शिक्षक एक मार्गदशक के रूप में कार्य करेंगे।
ReplyDeleteP/S Rajpalchouk Pipariya lalu
Naresh Sahu
ECCEबच्च्चों के सर्वांगीण विकास साधन है|
ReplyDeleteबच्चे बहुत कोमल और भावुक होते हैं। वे शालाओं में बहुत ही उत्साह से आते हैं। शाला में उनके लिए ईसीसीई बहुत ही अच्छा आवश्यक व लाभकारी है। शाला में बच्चों को खेल - खेल में व उनकी सीखने की गति व रुचि के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए जिससे बच्चे मन लगाकर सीख सकें।
ReplyDeleteECCI बच्चों के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। छोटे बच्चों को खेल के माध्यम से सिखाना चाहिए क्योंकि वो इस तरह के वातावरण में ही बेहतर तरीके से समझ विकसित करते हैं। प्राथमिक शिक्षा को इस कारण हमे लिखने और बोलने के अलावा एक बेहतर भविष्य निर्माण के लिए भी अपनाना होगा जिसके लिए ECCI को समझना जरूरी है
ReplyDeleteबिना खेल के सीखना-सीखना असंभव है, बच्चे जो देखते हैं,उसे अपने जीवन में उतारते हैं,अपनाते हैं,आगे चलकर यही एक सीख बन जाती है,यदि वो कुछ स्वयं करते हैं तो वह एक स्थायी सीख बन जाती है
ReplyDeleteMohd RafeeOctober 2, 2021 at 8:44 PM
ReplyDeleteबच्चों को खेल के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी और उसके बाद उसका पूर्ण रूप से विकास हो सकेगा
खुला आकाश वीडियो देखकर मन प्रसन्न हो गया। बच्चों को प्रारंभिक ज्ञान आनंददाई ,प्राकृतिक, वातावरण में स्वतंत्र अभिव्यक्ति बिना किसी दबाव के सर्वांगीण विकास में सहयोग हेतु खेल समान हो जिसे बच्चों के खेलने की सामग्री हो ऐसा अवसर प्रदान करें जिससे गुणवत्ता विकास रूचि अनुसार बच्चे प्राप्त कर सके। क्योंकि बच्चे हमारे। देश के भविष्य हैं।
ReplyDeleteछोटे-छोटे बच्चे कच्चे मिट्टी के घड़े समान होते हैं। उन्हें जैसा सिखाया जाता है वह बहुत जल्दी सीख जाते हैं।इस उम्र में बच्चों को सिखाने में ज्यादा समय नहीं लगता है।
ReplyDeleteबच्चो के मन की भावनाओ को समझना और उनके विचारों को व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए ।।
ReplyDeleteमैने खुला आकाश वीडियो देखा, और बुनियादी साक्षरताऔर संख्या ज्ञान मिशन की प्रस्तावना,उद्देश्य से परिचित हुआ।
ReplyDeleteवास्तव में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें स्वतंत्र रूप से,खेल खेल में वा बिना दबाव के उन्हें सीखने के अवसर मिले।जिससे वे भयमुक्त वातावरण के साथ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा अध्यन कर सके। इस कार्य के लिए बच्चों के माता-पिता,शिक्षकों सक्रीय होना अति आवश्यक है।ECCI को सफल बनाने के लिए वे सभी शिष्टाचार सामिल हो जिससे बच्चे भयमुक्त वातावरण के साथ उनका सर्वागीण विकाश हो सके।
स्कूल मे ये सभी संसाधन होने भी जरूरी है शाला प्रभारी का सहयोग व्यवस्था से क्रियान्वन हो सक्ता है हर टीचर को ecce की समझ होनी चाहिये।
ReplyDeleteछोटे बच्चों को शिक्षा का उन्मुक्त वातावरण प्रदान करना खेल खेल गतिविधि आधारित शिक्षण बच्चों में पढ़ने ,सीखने, समझने ,व करने की अवधारणा का विकास किया जा सकता है बच्चों को भयमुक्त वातावरण प्रदान करना ,मनोरंजन पूर्ण शिक्षा प्रदान करना, बच्चों को ज्यादा से ज्यादा स्वयं करने की प्रेरणा देना यही बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की नींव है इसलिए बच्चों को स्वच्छंद व स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia district-Damoh
ReplyDeleteखुला आकाश 2004, वीडियो देख कर बहुत अच्छा लगा, बच्चों के सम्पूर्ण विकास, (शारीरिक, मानसिक तथा शैक्षिक) के लिए ecce बहुत सहायक होगी ।
ReplyDeleteआशा है हमारी नई शिक्षा नीति 2020 की 5+3+3+4 क्रियान्वयन के साथ ही हम ECCE को बहुत अच्छे से क्रियान्वित कर पाएंगे।
क्योंकि सही निरीक्षण के अभाव में आज आगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति कुछ ठीक नहीं है।
प्रारंभिक शिक्षा में , शिक्षा प्रारंभिक न होकर खेल प्रारंभिक होना चाहिए।
शिक्षक वातावरण आधारित बाल केन्द्रित शिक्षा प्रदान करते हैं! किंतु पालक भी उनकी तुलना किसी अन्य बच्चों से करें उन्हें स्वतंत्र रूप से सीखने दैं! यही नयी शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य भी है!
ReplyDeleteई सीसी ई 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है ।बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं अतः उनको खेल-खेल में आनंददायक वरुचि पूर्ण वातावरण में सिखाया जाएगा तो वह बहुत अच्छे से सीख पाएंगे व भय मुक्त शिक्षा प्राप्त करेंगे।
ReplyDeleteबाल अवस्था में प्रारंभिक स्तर पर छात्रों को संख्या का ज्ञान होना चाहिए यह बहुत अच्छी पहल है कक्षा तीन तक बच्चों में संख्यात्मक ज्ञान तर्क क्षमता का विकास हो सके ताकि भविष्य में उनकी बुनियादी सांख्यिकी क्षमताओं से भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सकें
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियो बहुत ही सुन्दर ढंग से बताया गया हैशाला में किस तरह से शिक्षक को अपनी शाला में बच्चों के साथ कनेक्ट होने में सहायता मिलेगी
ReplyDelete््व््वी््व््व््व््वी््व््व््वी््व््व््व््वी
Rachna gautam
ReplyDeletePs kulhda misrod
0 se 8 warsh tak k bacche khel khel me sikhne me ruchi purnd sikhte h jisme khel gatividhi kahani aadi ko le sakte h
राम नरेश पटेल जीपीएस डोड टोला खैरा विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियो बहुत ही रोचक लगा इसमें बच्चे स्वतंत्र रूप से पेंटिंग खेल खेल में शिक्षा टायर चलाना झूला झूलना इत्यादि गतिविधियां बहुत ही रोचक लगी इसमें शिक्षिकाओं का सहयोग हमें सराहनीय लगा बच्चे खुशी से खेल खेल में सीख रहे हैं कंचों से तीलियों से टायरों से झूला झूल कर इत्यादि इत्यादि तरीके से बाल्यावस्था प्रारंभिक शिक्षा इतनी अच्छी लगी कि मैं इनको बार-बार देखूं और बच्चों को समझाऊं मेरे शब्दों में यह नहीं है कि कितना इसका बखान करूं प्रारंभिक शिक्षा बच्चों के खेल खेल में पढ़ने लिखने की एक अच्छी शुरुआत है इससे बचा प्राथमिक स्तर के लिए तैयार हो जाता है इस वीडियो में बहुत कुछ है इसमें बच्चे बड़े ही सुंदर ढंग से कर रहे हैं करके सीख रहे हैं करके सीखना बहुत ही कारगर होता है ।
जय हिंद
प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चे जब स्कूल में आते हैं उस समय वह बहुत ही छोटे होते हैं उनसे घुल मिलकर ही खेल खेल में उन्हें शिक्षा दी जा सकती है
ReplyDeleteBacchon ko paramparik Shiksha dene ke liye school ka vatavaran saral avam sahaj banaen tatha bacchon ke liye ye Khel ke madhyam se sikhana prarambh Karen
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा के लिए बच्चों को खेल खेल के साथ सामाजिक परिवेश का भी एहसास होना चाहिए जिससे वह निडर होकर के खेल-खेल में सीखते हैं,और उनकी झिझक समाप्त होती है एवं अपने मन के विचारों का आसानी से साझा करते हैं
ReplyDeleteबच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए ।
ReplyDeleteKhula Aakash video dekha han mujhe a bahut it
ReplyDeleteKhula Aakash video dekha mujhe a bahut achcha yah laga
ReplyDeleteIske dwara bacchon ka samajik baudhik abam tark Shakti badhane mein main khula Aakash pathsaala sahayak hai
ReplyDeleteबच्चो का85 प्रतिशत तक मस्तिष्क का विकास 6 वर्ष की आयु में हो जाता है इसलिए उन्हें खेल खेल में शिक्षा प्रदान कर उनका सर्वांगीण विकास करना है
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा और संख्यात्मक ज्ञान होना छात्रों को वह जरूरी है कक्षा नर्सरी से कक्षा तीन तक इस पर विशेष लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करना होगा तभी 2025 तक राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य पूरा होगा इसके लिए बुनियादी स्तर यानी शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण और आंगनबाड़ी से प्राथमिक शालों तक एक ऐसी लिंक तैयार करनी होगी जो ग्रामीण स्तर पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान का छात्रों में विकास निर्बाध गति से हो सके इसके लिए प्राथमिक शिक्षकों से लक्ष्य के संबंध में उनके विचार और कार्य की सफलता के लिए समुदाय से किस प्रकार जोड़ना है यह कार्य योजना निचले स्तर से बनानी होगी तभी लक्ष्य प्राप्त हो सकेगा वर्ष 2025 तक
ReplyDeleteबच्चा खेल- खेल में ही सीखना अधिक पसंद करता है। इस खेल खेल की गतिविधि आधारित शिक्षण के द्वारा ही उनका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
ReplyDeleteबच्चो की शिक्षा स्वतंत्र रूप से होना चाहिए l उसका समय समय पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिए l और जितना हो सके खेल खेल में ही शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए
ReplyDeleteBacchon ki prarambhik shiksha shiksha ki neev hai isliye bacchon ko ko swatantra roop se sikhane Ke Saman avsar Dena chahie.
ReplyDeleteECCE बच्चों के जीवन में अत्यंत योगदान देता है।
ReplyDeleteबच्चों को सरल तरीके से सिखाने के लिए शिक्षक को खेल के माध्यम से कहानी के माध्यम से खिलोने के जरिए बहुत सरल तरीके से सिखाया जा सकता है, बच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने के मौके उपलब्ध कराना चाहिए
ReplyDeleteECCIbachcho ke liye bahut hi mahatwpoorn ho sakta hai yadi aanganbadi krndro ko sarv suvidha yukt banaya jaye because ECCI 6 sal tak ke bachcho ke liya vardaan sabit ho sakta hai.
ReplyDeleteBacchon ke Khel khilaune sikhane se yah hota hai ki bacche ke dimag aur Dil mein vah baat baith jaati aur bacchon se bahut acche se yad rakhta hai Pariksha ke samay vah bolata nahin hai agar ham use aise hi bata de to baccha rahata hai aur rakhne ke bad se hamesha yah hota hai ki bacche jarurat ke samay chijen bhul jaate Hain
ReplyDeleteKhula Akash yah ek bhaut he creative video hai.or me puri tarah se sahmat hu ki baccho ko khel khel me sikhne sikhane ke avsar dena chiye or ye ECCE har bacche ke liye bhaut jaruri hai.Baccha is method me khel khel me sab sikh leta hai or teacher usey guidence karke sikhne me aane wali problem ko solved kar saktey hai .
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ReplyDeleteBachcho ko prarambhik shiksha dete samay unahe khel khel me va chitr , akrati rang as pas dikhne vali vastuo adi ka upayog kar ka padhana chahie
ReplyDeleteबच्चों को खेल-खेल में सिखाना चाहिए। कहानी-कविता के माध्यम से पढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे में विश्वास पैदा कर स्वतंत्रता से सीखने के अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteECCE aadharit video Hamen bacchon ke sharirik aur mansik Vikas ko prarambhik star per samajhne aur unhen viksit karne mein madad karta hai
ReplyDeleteबहुत अच्छी वीडियो इस वीडियो में बहुत अच्छा बताया गया है छोटे बच्चों को सीखने के लिए खुला हुआ माहौल बच्चों के अनुरूप खेल खेल में सिखाना ऐसी गतिविधि कराना है जिससे बच्चे सीखें भी और आनंद भी प्राप्त हो और है पता भी न पड़े कि बच्चे सीख रहे हैं अगर स्कूल का वातावरण बाल केंद्रित होगा तो बच्ची खुशी से स्कूल आएंगे
ReplyDeleteबच्चों को प्रारंभिक ज्ञान खेल-खेल के माध्यम से ही सिखाना चाहिए। चूँकि उस समय वह बहुत छोटा होता है, बच्चा जैसा चाहता है उसे उसी प्रकार के खेलों को खिलाना चाहिए। जब उन्हें सीखने के पर्याप्त साधन मिलेंगे तभी वे अपनी अभिव्यक्ति स्वतंत्र रूप से कर पाएंगे। इसमें शिक्षक एक मार्गदशक के रूप में कार्य करेंगे।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा बाल केंद्रित हो बच्चा खेल खेल में स्वतंत्र रुप से सहयोग और सहभागिता सीखे। लिखने पढ़ने की बात ना करते हुए 6 साल तक की उम्र के बच्चों को खेल खेल में ही सीखने दें उन पर लिखने पढ़ने का जबरदस्ती दबाव ना डाला जाए। बच्चे की रचनात्मकता का विकास किया जाए। पूर्व प्राथमिक शाला में खेलने कूदने का स्थान हो और संसाधन Ho takne per Aaram karne ki ki Peene Ke Pani Ki ki aur saaf Sutra shauchalay Ki vyavastha Ho
ReplyDeletePul purv Prathmik Shiksha Bal kendrit Ho jismein baccha Khel Khel Mein Swatantra Roop se a Sahyog aur Seva Geeta sikhen 6 Sal Tak ke bacchon ko likhane padhne ka ka jabardasti dabav na Banaya Jaaye balki Uske rachnatmak tar ka Vikas kiya jaaye purv Prathmik Shala mein bacchon Ke Khel Kud ka sthan Sansadhan Peene Ke Pani Ki vyavastha takne per Aaram ki vyavastha aur saaf Sutra shauchalay avashyak hai
ReplyDeleteबच्चे खेल खेले मेे जल्दी सिखते हैं और बच्चों को पढ़ाई बोज़िल नहीं लगती। और शाला आने हेतू बच्चे प्रेरित होते हैं।
ReplyDelete6 साल तक के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र रूप से सीखने की हो,बच्चा जो कर रहा है उसे करने देना चाहिए। हमें उसका मार्गदर्शन करना चाहिए।खेल खेल में सीखना सबसे उत्तम तरीका है।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा बाल केंद्रित हो बच्चा खेल खेल में स्वतंत्र रुप से सहयोग और सहभागिता सीखे। लिखने पढ़ने की बात ना करते हुए 6 साल तक की उम्र के बच्चों को खेल खेल में ही सीखने दें उन पर लिखने पढ़ने का जबरदस्ती दबाव ना डाला जाए। बच्चे की रचनात्मकता का विकास किया जाए। पूर्व प्राथमिक शाला में खेलने कूदने का स्थान हो और संसाधन Ho takne per Aaram karne ki ki Peene Ke Pani Ki ki aur saaf Sutra shauchalay Ki vyavastha Ho
Deleteखुला आकाश वीडियो पूरा देखने पर यह मत ओर पुष्ट हो जाताहै कि खेल बच्चों का स्वभाव होता है। हर बच्चे में सीखने की ललक होती है।बच्चों को साथियों के साथ मिलकर किसी भी गतिविधि को करने में बहुत आनंद आता है।यदि बच्चों को पर्याप्त अवसर दिए जाएं तो वे अपनी समझ व सोच का भरपूर उपयोग करते हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बच्चों को अपनी रुचि के कार्य करने के अवसर दिए जाए।इसके लिये मूलभूत सुविधाएं होना बहुत आवश्यक है। प्रारम्भिक शिक्षा के बेहतर विकास के लिए पर्याप्त शिक्षको की व्यवस्था की जाना नितांत आवश्यक है। किसी भी मिशन की सफलता दृढ़ इच्छाशक्ति ,संसाधनों की उपलब्धता, कुशल मार्गदर्शन ,सबके सहयोग पर निर्भर करती है। एक शिक्षक होनेके नाते मैं पूर्ण निष्ठा से इस पुनीत मिशन में सहभागी होने के लिए दृढ़ संकल्पित हूँ।
ReplyDeleteबच्चों को गतिविधि और t.l.m. के माध्यम से सिखाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को प्रारंभिक ज्ञान खेल-खेल के माध्यम से सिखाना है।गतिविधि आवश्यक है उसे खुद करके सीखने के अवसर प्रदान करना है।बच्चों की रुचि एवं मन के अनुरूप हो जहां बच्चे बिना भय के खिलखिलाकर हंसते हुए सीखेंगे।इसमें हम मार्ग दर्शक के रूप में कार्य करेंगे। यादवेंद्र सिंह सहायक शिक्षक। शास.माध्यमिक विद्यालय कोठरा
ReplyDeleteबच्चों की बुनियादी शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए ई सीसीई शैक्षणिक व्यवस्था का होना अत्यंत आवश्यक है।जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बच्चे के मस्तिष्क का85% विकास 5वर्ष के पूर्व ही हो जाता है, अतः बच्चे के सार्थक समझ,सोच, अवलोकन, तर्क,वितर्क, गणितीय गणनाएं, पहेलियां आदि कीसम्मप्राप्तियो की पूर्ति अधिकतर लोगों के द्वारा अपने बच्चों को उपलब्ध नहीं करा पाते उनके बहुत से कारण हो सकते हैं।पर हम इसीसीई व्यवस्था के माध्यम से बच्चे जो अपने परिवार और समाज से सीखते हैं उसका आउटपुट निकालना सीखने का महत्व पूर्ण प्रतिफल होता है।सुखचैन सिंह पेण्ड्रो प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला रजरवारा नं1
ReplyDeleteECCE प्रारंभिक शिक्षा के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा, शिक्षा की नींव है इसलिए बच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर देना चाहिए । इसी बात पर ECCE में जोर दिया गया है । बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा खेल खेल में दी जानी चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र, सहज, भयमुक्त वातावरण में और खेल खेल में होना चाहिए।
ReplyDeleteReena varma
GPS Boondra
Harda (M. P.)
बच्चो को प्रारभिक शिक्षा घर जैसा माहौल देकर करना चाहिए उन्हें भय ना हो वे अपनी बात खुलकर करे ।
ReplyDeleteमें
ReplyDeleteबच्चों कि प्रारंभिक शिक्षा उनके अनुरूप होना चाहिए जिजसे वे खेल खेल मे स्वतंत्र रूप से सिख सके
ReplyDeletePre primary school bacchon ke liye nitant avashyak hai.is samay bachchon ka vikash teevra gati se hota hai .isliye hume Pre primary siksha ko bachon ke liye manorajan dayak or khel khel me gatibidhi adharit karna hoga,aur har bachche ko isse jodna hoga jisse is samay uska mansik aur bhavnatmak sampurn vikas ho sake aur wo bhavisya me behter ban sake . Hume aur humari sarkar ko Pre primary siksha ko behatar tareeke se yojna banakar kriyanvit karna hoga aur behter parinam ke liye us par focus karna hoga .
ReplyDeleteThanking you,
Mahaveer prasad sharma
Primary teacher
P.s.Gindora ,block -Badarwas
Dist.-Shivpuri (M.P.)
बच्चों के लिए पूर्व प्राथमिक शिक्षा और देखभाल बहुत आवश्यक है| प्रारंभिक शिक्षा में बच्चों की क्या आवश्यकताएं हैं? वह कैसा महसूस करते हैं? तथा उनके अनुरूप कौन-कौन सी गतिविधियां की जा सकती है ?इसका ज्ञान पूर्व प्राथमिक शिक्षक को होना चाहिए जिससे वह बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार उनके व्यवहार को समझते हुए, उनकी उम्र के अनुसार कार्य करवाएगा| अगर बच्चों की पूर्व प्राथमिक शिक्षा अच्छे तरीके से हो जाती है तो वह बच्चा अपने पूरे जीवन में अपना समग्र विकास कर पाता है |लेकिन अगर किन्ही कारणों से बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण नहीं हो पाती है तो आगे की पढ़ाई पर भी उसका प्रभाव पड़ता है| और बच्चा मूलभूत दक्षता ओं को जो उसके समग्र विकास के लिए आवश्यक है उनको ग्रहण नहीं कर पाता है , जिससे उसका समग्र विकास नहीं हो पाता है| अतः पूर्व प्राथमिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत जरूरी है| इसके लिए एक ऐसे शिक्षक की आवश्यकता है जो बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार खेल- खेल में शिक्षा प्रदान कर सके| बच्चों के साथ बच्चा बन सके| तथा बच्चों की जरूरतों के अनुसार उनके साथ में हिल मिलकर काम कर सके|
ReplyDeleteBacchon ki prarambhik shiksha shiksha ki Neev hai isliye bacchon ko Swatantra Roop se sikhane ka avsar Dena chahiye
ReplyDeleteगिली मिट्टी से जिस प्रकार कैसी भी मूर्ति तैयार की जा सकती है उसी प्रकारन्हे नन्हे बच्चों का भी बहुआयामी व सर्वांगीण विकास शिक्षा के लिये उचित वातावरण निर्मित करके किया जा
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र रूप से सीखने की हो! वो जो कर रहा है उसे करने देना चाहिए। हमें उसका मार्गदर्शन करना चाहिए! खेल खेल में सीखना सबसे उत्तम तरीका है,
ReplyDeleteबच्चों को स्वच्छ वातावरण व स्वतंत्र क्रिया कलाप करने से बहुत ही अच्छा सीखते हैं,
उनकी हर जिज्ञासा हो हम समझे ं
Khula Aakash video bacchon ko Khel Khel Mein sikhane ka bahut Achcha Aadhar hai yah Bal kendrit Shiksha ka ek accha example hai.es video ko dekhkar ye abhas hua.ki ek shikshak
ReplyDeleteKi bhumika kitni important hai.E.C.C.E
Bhut hi jaruri hai .eske dwara baccha
Apne parivaar or samaaz se jo sikhta hai use swatanter roop se abhivyact karne ka ek madham hai.yaha bacche par baste ka bozah nahi hota.khal, sangeet,or unmuket vatavarn hi khass
Hai.
Bacchon ko Khel Khel mein Bina kisi bhai ke badhana chahie bacchon ki ke anusar bacchon ko Bina kisi bhai ke aana chahie unki Ruchi per jarur Dhyan Dena chahie isase baccha jarur sikhega hamen bhi uske sath khelna hansna bolna chahie isase baccha darega nahin aur gatividhiyan mein Swatantra roop se nidar hokar bhag le sakega vah.
ReplyDeleteIsse bacho ko khel khel mein basic lessons teachers padhate hai aur
ReplyDeleteE C CE bohot zaruri hai iss mein bache khel se hi padhte hai aur khush bhi rahate hai
विपिन कुमार पाण्डेय शा0प्रा0शाला संपागढ़
ReplyDeleteप्रारंभिक बाल शिक्षा यानी पूर्व प्राथमिक शिक्षा अति आवश्यक है जैसे किसी मकान की नींव यानी बुनियाद मजबूत होती है तो मकान भी मजबूत बनेगा अतः पूर्व प्राथमिक बाल केंद्रित शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार होना चाहिए यह बाल केंद्रित शिक्षा स्वतंत्र रूप से खेल द्वारा दी जानी चाहिए जिससे बच्चे खेल-खेल में गिनती अक्षर यानी प्रारंभिक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान से परिचय प्राप्त कर सकें
बच्चे खिलते हुए फूलों के सदृश होते हैं जैसे खिलते हुए फूलों को उचित देखभाल एवं खाद पानी की आवश्यकता होती है उसी प्रकार बच्चों को भी उचित देखभाल और सुरक्षित वातावरण मिलना आवश्यक है
Khel khel me bacche sikhte he unhe swatantra rup se sikhne or kahaniyo ke Madhyam se gatividhya krva kr shiksha di jae tabhi baccho ka sarvangin vikas hoga
ReplyDeleteउचित देखभाल के साथ बच्चो की आवश्यकता अनुसार स्वतंत्र व भयमुक्त वातावरण निर्मित कर उनका सर्वांगीण विकास करना चाहिए ।बच्चो की 6 वर्ष की आयु तक सीखने की पृवत्ति सबसे अधिक होती है अत: शिक्षको को मार्गदर्शक की भुमिका मे रहते हुए उन्हे स्वयं करके सीखने मे मदद् करना चाहिए ।
ReplyDeleteमैं शबाना आज़मी प्राथमिक शिक्षक शासकीय एकल माध्यमिक शाला बहादुरपुर जन शिक्षा केंद्र बमनौरा कला विकासखंड बड़ा मलहरा जिला छतरपुर मध्य प्रदेश:-प्रारंभिक बाल शिक्षा यानी पूर्व प्राथमिक शिक्षा अति आवश्यक है जैसे किसी मकान की नींव यानी बुनियाद मजबूत होती है तो मकान भी मजबूत बनेगा अतः पूर्व प्राथमिक बाल केंद्रित शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार होना चाहिए यह बाल केंद्रित शिक्षा स्वतंत्र रूप से खेल द्वारा दी जानी चाहिए जिससे बच्चे खेल-खेल में गिनती अक्षर यानी प्रारंभिक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान से परिचय प्राप्त कर सकें।गिली मिट्टी से जिस प्रकार कैसी भी मूर्ति तैयार की जा सकती है उसी प्रकारन्हे नन्हे बच्चों का भी बहुआयामी व सर्वांगीण विकास शिक्षा के लिये उचित वातावरण निर्मित करके किया जा।
ReplyDeleteसभी बच्चों के पुर्व ज्ञान को समझ शिक्षा का विस्तार किया जाएगा।
ReplyDeleteBacche bahut chhote hote Hain isliye ye yah khel khel mein jaldi sikhate Hain aur unhen maja abhi aata hai isliye unhen gatividhi aadharit aana chahie
ReplyDeleteHan ECCE bacchon ke sarvangeen Vikas ke liye Ati avashyak Hai isase bacchon ko sikhane khelne padhne ke paryapt avsar Milte Hain
ReplyDeleteजो बच्चे पहली बार शाला में आते हैं उन्हें भय मुक्त वातावरण में खेल खेल में शिक्षा देकर एक शिक्षक हमेशा के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर सकता है साथ ही उसके जीवन की दशा औऱ दिशा दोनों निर्धारित कर एक आदर्श छात्र औऱ जिम्मेदार नागरिक का निर्माण करता हैऔर यही तो शिक्षा का उद्देश्य भी है।
ReplyDeleteकहते है कि कच्ची मिट्टी को जो आकार दे वह उह आकार ले लती है ,वेसी ही छोटे बच्चे जो 3 से 6 वर्ष के है उन्हें जेसा बनायेगे वेसे बन जायेगे क्योकि कि यह ठोस पत्थर नही मुलायम है इन्हे आज जेसा बना पाओगे व् कल वेसे ही बनेगे
ReplyDeleteबच्चों को स्वतंत्रता पूर्वक खेलने दिया जाए यही उनके सर्वांगीण विकास का सबसे बड़ा आधार है
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा बच्चों की नींव हैं। बच्चो को खेल- खेल मे सीखने के अवसर देने चाहिए। बच्चो के साथ बच्चा बनकर काम करना चाहिए जिससे उसकी झिझक दुर हो सकें और वह गतिविधि में भाग ले सके।
ReplyDeleteखेलना एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। बच्चों का स्वतंत्र रूप से खेल -खेल में सर्वागिण विकास करना। जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है।
ReplyDeleteBachcho ko khel khel me mulbhut dakshtaye sikhayi jaye bachcho ki sikhane ke jyada se jyada avsar diye jaye
ReplyDeleteबच्चों सीखने लेवल के हिसाब से बच्चे को सिखाया जा सकता है! बच्चों को स्वतंत्र सीखने पर भी ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चो को खेल खेल में शिक्षा देना शिक्षक के लिए सरल और कठिन दोनों प्रकार का कार्य है अगर शिक्षक बच्चों के साथ बच्चों जैसा व्यवहार करे तो सरल और शिक्षक एक शिक्षक के रूप में व्यवहार करे तो कठिन हो जाता हैं
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र रूप से सीखने की हो, वो जो कर रहा है उसे करने देना चाहिए। हमें उसका मार्गदर्शन करना चाहिए। खेल खेल में सीखना सबसे उत्तम तरीका है।
ReplyDeleteबच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उन्हें खेल कहानी कविता के माध्यम से बिना किसी भय के सिखाय जाना चाहिए एवं बच्चों की शिक्षा स्वतंत्र रूप से होना चाहिए समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चो के सर्वागीण विकास कर लिए उन्हें तैयार करने के लिये उनका मानसिक विकास जरूरी है। उन्हें स्वतंत्र बातावरण ,प्रश्न्नचित मन ,उनके
ReplyDeleteपरिवेश से जोड़ कर खेल-खेल में प्रारंभिक शिक्षा से जुड़ाव सम्भव होगा व भय्य मुक्त वातावरण की आवश्यता भी साथ में है।
.बच्चे जब अपने परिवार से शाला में जुड़ता है तो उसके मन को आकृर्षित करने हेतु शाला का वातावरण मनमोहक हो ।। उसे अधिक से अधिक खेल खिलाते हुए सीखने के अवसर देना चाहिए ।। ता कि बच्चे सरल और सहजता से सिखने लगे....
ReplyDeleteप्रत्येक शिक्षक को पहले यह वीडियो पूरा देखना चाहिए, इससे आपकी समझ बढेगी और बच्चों को खेल-खेल में बहुत ही सुंदर ढंग से पढ़ा पाएंगे
ReplyDeleteइस तरह के खुले वातावरण में ,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ , निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी और शिक्षा की नींव मजबूत होगी । और बच्चे अधिक सिखने में रूचि रखने पाएगे.........
ECCE बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा को मजबूती प्रदान करना होगा। नए स्कूल खोलने के बजाय पूर्व से खुले हुए स्कूल को विकसित करने पर विचार किया जाता हैं।बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर जोर देना चाहिए| बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन बच्चो की प्रारंभिक नीव मजबूत बनाने का आधार है l
ReplyDeleteECCE bachcho ke sarvageen vikash ke liye ati absiyak hai isse bchchon ke sikhane khelane padne main paryapt absar milate hai
ReplyDeleteIt is good
ReplyDeleteआंगनवाड़ेयोको सशक्त बनाना जरूरी है।
ReplyDeleteBacchon ko apni Marji se khel khelne Dena chahie vah Usi mein padhaai se sambandhit Kale Shikshak ko khelne ke liye Kahana chahie Taki Khel Khel Mein Shiksha grahan kar sakte hua unko padhaai ka Bojh Bhi Na Lage
ReplyDeleteईसीसीई का फुल फॉर्म है Early childhood education और हुंदी में इसे बचपन की शिक्षा कहते है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा जैसा नाम से ही स्पष्ट है कि प्राथमिक शिक्षा से पूर्व की शिक्षा। पूर्व प्राथमिक शिक्षा मुख्यतः: ‘शिशु शिक्षा’ से सम्बन्धित है अर्थात् विद्यालय जाने से पहले शिशुओं को दी जाने वाली शिक्षा। शिशु शिक्षा को अंग्रेजी में नर्सरी एजुकेशन कहते हैं। नर्सरी वह स्थान है जहाँ पौधों का रोपण एवं उनकी देखभात की जाती है।
ReplyDeleteजिस प्रकार से नर्सरी के पौधों की देखभात करते हैं ठीक इसी प्रकार नन््हें शिशुओं की भी उचित देखभाल, उचित पोषण, स्वास्थ्य और सीखने के लिये अनुकूल वातावरण की आवश्कता होती है। अनुकूल वातावरण मिलने पर बच्चों का संतुलित विकास सम्भव है।
प्रारम्भ में शिशुओं की शिक्षा को पूर्व प्राथमिक शिक्षा, विद्यालय पूर्व शिक्षा अथवा शालापूर्ण शिक्षा आदि नामों से जाना जाता है क्योंकि नर्सरी विद्यालयों में प्राय 2 से 3 साल से लेकर 6 वर्ष तक के शिशुओं को शिक्षा दी जाती थी।
2 अक्टूबर, 1975 को भारत में एक देशव्यापी शिशु शिक्षा कार्यक्रम आरम्भ किया गया जिसे से धर्भकित बाल विकास सेवाएं के नाम से जाना बाल विकास सेवाएं के नाम से जाना जाता है।
प्रत्येक शिक्षक को पहले यह वीडियो पूरा देखना चाहिए, इससे आपकी समझ बढेगी और बच्चों को खेल-खेल में बहुत ही सुंदर ढंग से पढ़ा पाएंगे
ReplyDeleteइस तरह के खुले वातावरण में ,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ , निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी और शिक्षा की नींव मजबूत होगी । प्रा.शाला भागपुर प्राथमिक शिक्षक तिलोक चंद यादव
Pahli baar shala ane vale bachcho ko school me bhay me bhaymukt vatavaran dekr ek teacher unke bhavishya ko sanwar skta h.
ReplyDeleteबच्चे खेल-खेल में बहुत अच्छी तरह से सीखते हैं मात्र उनका मार्गदर्शन करना चाहिए वह कोरे कागज की तरह होते हैं उस पर जो हम लिखना चाहेंगे वह अच्छे से लिखा जाएगा
ReplyDeleteBachcho ko shala me bhaymukt vatavaran dena hmari netik jimmedaari h.
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा, शिक्षा की नींव है इसलिए बच्चों को स्वतंत्र रूप से सीखने के अवसर देना चाहिए.
ReplyDeleteबच्चों को सरल तरीके से सिखाने के लिए शिक्षक को खेल के माध्यम से कहानी के माध्यम से खिलोने के जरिए बहुत सरल तरीके से सिखाया जा सकता है,
ReplyDeleteShabnoor Ali
बच्चों को स्वतंत्र रूप से खेल खेल में सिखाया जाए एवं गतिविधि आधारित शिक्षा दी जाए एवं बच्चों को बोलने का
ReplyDeleteअवसर दिए जाए
Bachche ke sikhne me khel aur khilono ka mahatvpuran sthan ha ECCE unhe swatantr roop se kary karne ki avsar pradan karta ha.teacher margdarshak ki bhumika me hota ha.
ReplyDeleteबच्चों को खेल-खेल में अच्छी शिक्षा प्राप्त हो और वह अपने समाज को विकसित कर सके समाज में अपने जीवन का चश्मा लगा कर सकें
ReplyDeleteBaccho m bunyadi dakshata or sankhya ka gyan avashyak h. Kyoki yahi siksha ka aadhar h
ReplyDeleteमैने खुला आकाश वीडियो देखा, और बुनियादी साक्षरताऔर संख्या ज्ञान मिशन की प्रस्तावना,उद्देश्य से परिचित हुआ।
ReplyDeleteवास्तव में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें स्वतंत्र रूप से,खेल खेल में वा बिना दबाव के उन्हें सीखने के अवसर मिले।जिससे वे भयमुक्त वातावरण के साथ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा अध्यन कर सके। इस कार्य के लिए बच्चों के माता-पिता,शिक्षकों सक्रीय होना अति आवश्यक है।ECCI को सफल बनाने के लिए वे सभी शिष्टाचार सामिल हो जिससे बच्चे भयमुक्त वातावरण के साथ उनका सर्वागीण विकाश हो
स्कूल मे प्रवेश की आयु के पूर्व से ही आज के समय के बच्चे बहुत कुछ सीख चुके होते है बच्चे स्कूल ओर शिक्षक के भय के साथ स्कूल आते है ऐसे मे एक शिक्षक का कर्तव्य है की वह प्रथम तो बच्चे के मन से उस भय को दूर करें, ओर यह सब शिक्षक के मित्रता पूर्ण व्यवहार से संभव है इसके बाद ही शिक्षक को बच्चे की शिक्षा के लिये आगे बढना चाहिए !!
ReplyDeleteजो बच्चे। पहली बार शाला आते है उन्हें भय मुक्त वातावरण पृदान करना चहिए
ReplyDeleteबच्चों को खेल-खेल मे बिना दबाव के स्वतंत्र एवं प्राकृतिक ढंग से बालकेंद्रित क्रियाओं केअवसर प्रदान किये जाने चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों को सीखने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि सीखने का वातावरण प्रेरणादायक हो, शिक्षक बच्चे के मन के भाव को समझकर शिक्षा का वातावरण निर्मित करें
ReplyDeleteप्रत्येक शिक्षक को पहले यह वीडियो पूरा देखना चाहिए, इससे आपकी समझ बढेगी और बच्चों को खेल-खेल में बहुत ही सुंदर ढंग से पढ़ा पाएंगे
ReplyDeleteइस तरह के खुले वातावरण में ,खेल-खेल में , बातचीत से , चित्र उकेरते हुए ,गाते हुए,नाचते हुए,किसी का रोल प्ले करते हुए, कहानियां सुनते हुए, बिना किसी डर के, कुछ स्वयं बनाते , बिगाड़ते हुए, समाज के सभी लोगों के सहयोग से ,सभी संसाधनों का प्रयोग कर शिक्षक के साथ , निश्चित रूप से बच्चों में सीखने की ललक जगायेगी
इस से बच्चों का विकास होगा
ReplyDeleteOmbati Raghuwanshi. बच्चों को खुले वातावरण में सुरक्षित रूप से तथा देखभाल के साथ सीखने देना चाहिए
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