कोर्स 2 - गतिविधि 1 - अपने विचार साझा करें
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें।
क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारिणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित
पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/ सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
मैं हर बच्चे के पूर्व ज्ञान को ध्यान में रख कर ही अपनी कार्य सारणी बनाती हूँ ।
ReplyDeleteसभी बच्चों का स्तर पहचानकर ही अपनी कार्ययोजना को क्रमबद्ध तरीके से बनाती हूं।
DeleteChild centered learning is not only necessity but fullfill competency within. Limitation is... unwillingly time boundation makes one in hurry.
Deleteसभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है।
Deleteसभी बच्चो को दक्षता आधारित शिक्षा देना और सभी क्रियाकलापों पर ध्यान से पढ़ना लिखना उद्देश्य है
Deleteसमावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे।
DeleteJitna possible ho sakta h bachacha apne aap karne ki kossish kar sikhne per jor deti hu
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा में सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जाती है किन्तु सभी बच्चे उसे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते। यहां आवश्यक यह हो जाता है कि हमें समूह आधारित रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना होगा।
Deleteअर्चना राऊत
एकीकृत शास.माध्य.शाला-नंदोरा
संकुल-सिगोंडी
विकासखण्ड-अमरवाड़ा
हाँ सभी बालकों को समान रूप से समावेशी शिक्षा देने का प्रयास हर शिक्षक का दायित्व है किन्तु बाधा यह आ रही हैं कि अभिभावकों का अपने बालकों के प्रति सजग न रहना जिससे बालकों में नियमितता नहीं होती हैं
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर जोर देना चाहिए
Deleteहम सभी बालकों को समान रूप से शिक्षा देने का प्रयास कर रहे है किन्तु बाधा यह आ रही हैं कि अभिभावकों का अपने बालकों के प्रति सजग न रहना।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को परखते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए। शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चों में जल्दी से शिक्षा गृहण करने का संचार उत्पन्न होता हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है !
ReplyDeleteMera name Rajesh Kumar shahi Mai apne school me aapne student ko acchi se acchi shiksha Dene ki koisis krta hu taki unka likhe ,aur unke pradhne ki skills ko bradha saku yahi mere is mission ka target h.
ReplyDeletePukharajसभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है !
ReplyDeleteसभी बच्चों को एक समान शिक्षा देना कानूनन सही है लेकिन सामान्यतया कुछ बच्चे सीखने में कम और कुछ अधिक होते हैं इसलिए हमें दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ने के लिए बच्चों को अलग-अलग उनके शिक्षण स्तर को ध्यान में रखकर ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए और सभी बच्चों को समान शैक्षिक स्तर पर लाने का प्रयास करना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को एक समान शिक्षा दें ना हर शिक्षक कर्तव्य है, लेकिन परिस्थिति के अनुरूप कार्य करना पड़ता है फिर भी जहाँ तक कोशिश ये रहे की कमजोर और कम बोलने वाले बच्चें को ज्यादा ध्यान देना चहिये जिससे की सभी बच्चें समान रूप से ज्ञान ग्रहण कर सके |
Deleteप्रत्येक शिक्षार्थी का शिक्षण उसके पूर्वज्ञान के आधार पर ही होना चाहिए.
Deleteकक्षा के समस्त बच्चों के लिये एक समान शिक्षण पद्धति कदापि उपयुक्त नही है ।प्रत्येक बच्चे की समझ या क्षमता भिन्न भिन्न होती है इसलिये अवधारणा में भी अंतर होना चाहिए ।
ReplyDeleteमैं हर बच्चे के पूर्व ज्ञान को ध्यान में रख कर ही अपना आगे का शिक्षण कार्य शुरू करता हूं
ReplyDeleteईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों कोउनके स्तर के हिसाव से पढातें लेकिन पालक का रवैया शून्य होने से परिणाम पर असर पडता है
ReplyDeleteYes, sabhi bacchon ko samaveshi Shiksha Pradhan ki jati hai. sabhi bacchon ko ek sath padhaayaa jata hai.
ReplyDeleteमै बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रख कर शि क्षण कार्य करवाती हूं।
ReplyDeleteHr bchcho pr alg dhyan jruri he hr bchcho ka mansik star alg hota he or jb us bchcho ko uske star pr Jake smjhaya jata he to wh jyada shi trike se smjh pata he sath hmare dvara pdaya hr lesson bchcho ke Anusar hi hona chahiae
ReplyDeleteHam sabhi balkon ko Saman Roop se Shiksha Dene Ka Prayas kar rahe hain Kintu Badha yah a rahi hai ki abhibhawcon ka Apne balkon ke Prati sajag na rahana.
ReplyDeleteबच्चों के शै क्षिक स्तर को ध्यान में रख कर शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए। प्रतियेक बच्चे की सीखने को क्षमता अलग अलग होती है।
ReplyDeleteहम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं। बच्चे भी उसी समान रूप से समझने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी बच्चे का कौशल कम विकसित होता है, वह समझ लेना कुछ ज्यादा समय लेता है ।पालक यदि शिक्षक का साथ दें तो बच्चे जल्द ही समझ पाएंगें।
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे।
ReplyDeleteBacche ko Swatantra Roop se sikhane Dena chahie Aur sikhane Ke Adhik se Adhik avsar uplabdh karane chahie
ReplyDelete2, 2021 at 6:16 PM
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे
सभी बच्चों को समान रूप से समावेशी शिक्षा देने का प्रयास हर शिक्षक का दायित्व है किन्तु अवरोध यह आ रहा हैं कि पालकों/अभिभावकों का अपने बच्चों के प्रति सजग न रहना जिससे बच्चों में नियमितता नहीं होती हैं। और लक्ष्य पूरा होते होते, अधूरा रह जाता है।
ReplyDeleteबच्चे भी उसी समान रूप से समझने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी बच्चे का कौशल कम विकसित होता है, वह समझ लेना कुछ ज्यादा समय लेता है ।पालक यदि शिक्षक का साथ दें तो बच्चे जल्द ही समझ पाएंगें।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चे आसानी से सीखते है और सीख एक स्थाई होती है
ReplyDeleteSabhi bacchon ko shiksha dena aur aur dakshata hasil karana pratyek shikshak ka prayas hota hai lekin sikhane ke istar mein Anter hota hai kuchh jaldi Sikh jaate Hain kuchh adhik samay mein sikhate hain prarambh varshon mein khel,geet aur kahaniyon ke madhyam se siksha dena chahiye
ReplyDeleteशाला के बच्चों में पढने लिखने की समझ पैदा हो सके अक्षर ज्ञान शब्द ज्ञान व् वाक्य ज्ञान जोड़ घटाना गुणा भाग आदि की समझ प्रारम्भिक स्तर पर हो सके जिससे पूर्ण दक्षता अर्जित हो सके यही उद्देश्य FLN मिशन का है ! और प्रत्येक बच्चे को दक्ष करने का दायित्व शिक्षक का है ! परिस्थितिया कुछ भी बने इसे पूर्ण करना ही होगा !
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है |
ReplyDeleteबच्चों की प्राम्भिक शिक्षा को जहाँ तक हो सके शिक्ष्क हर बच्चे को उसके स्तर से सिखाने का प्रयास वर्षो से कर रहे हे । आवश्यकता उचित संसाधनो की एवम् बच्चों के अभिभावको के सहयोग की भी हे तब ही बच्चों को प्राम्भिक शिक्षा में पूर्ण दक्ष् किया जा सकता हे एफ एल एन का जो उद्देश्य हे की हर बच्चा प्रारम्भिक शिक्षा में दक्ष हो यह होना ही चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चा खेल- खेल में ही सीखना अधिक पसंद करता है। इस खेल खेल की गतिविधि आधारित शिक्षण के द्वारा ही उनका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
ReplyDeleteECCE बच्चों के जीवन में अत्यंत योगदान देता है।
ReplyDeleteसभी बच्चों के साथ समान रुप से शिक्षण किया जाता है ।बच्चों के स्तरों की जाँच हेतु एक निश्चित परीक्षण सारिणी है।हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।बच्चों के शैक्षणिक स्तर की जाँच कर, स्तर को ध्यान मे रखकर शैक्षणिक कार्य किया जाता हैं।शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चे भयमुक्त वातावरण मे सीखते है गतिविधियाँ ,कहानियाँ , खेल गतिविधियाँ,पहेली बूझना, कहानी बनाना ।इन माध्यमों से बच्चों के दक्षता कौशल बढ़ाऐ जाते है
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षण अत्यंत लाभकारी है, इससे बच्चों में सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति का विकास और कौशलों के विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास भी होता है
ReplyDeleteईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा !
ECCE बच्चों के विकास की नींव है ।
ReplyDeleteभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की गति अलग अलग होती है, हम पढ़ाते तो सभी को एक साथ ही हैं, लेकिन सभी के सीखने की गति पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
ReplyDeleteदक्षता आधारित अध्ययन कार्य के लिए कोर्स 2 बहुत ही उपयोगी है इसमें शिक्षकों के ज्ञान में वर्द्धि होगी
ReplyDeleteओर कक्षा शिक्षण में बच्चों के लिए कुछ नई गतिविधियों का समावेश कर सकेगे
NCERT टीम ओर भारत सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद
सभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है l और दूसरे बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता हैl
ReplyDeleteClass ke samast bachcho ke liye ek sman shikshan paddti upyuct nhi hai pratek bachche ki samajh ya captivity bhinn bhinn hoti hai isliye avdharna me bhi anter hona chahiye
ReplyDeleteBahut achchha hai
ReplyDeleteShiksha to sabhi bacchon ko ek Saman Di Jaati Hai Kintu Kuchh abhibhavak ke udasin ravaiya ki vajah se bacchon ke sikhane ki gati Kuchh dheemi per Jaati Hai
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा देने का अधिकार का प्रावधान है लेकिन हम सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं तो किसी के सीखने की स्त्री गति तेज होती है किसी के सीखने की गति धीमी होती है उस आधार पर फिर बच्चों को दक्षता पूर्ण कराने का प्रयास किया जा रहा है
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में हम उन्हें अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं| लेकिन हर बच्चे की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं |तो उन आवश्यकताओं के अनुरूप हम कई बार ढल नहीं पाते हैं| अपने आपको उन आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल नहीं पाते हैं| जिसके कारण बच्चों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं |और हमेशा प्रयास करने की गुंजाइश बनी रहती है |लेकिन इस प्रशिक्षण को लेने के बाद बच्चों की क्या-क्या प्रारंभिक आवश्यकताएं हैं| इनको समझ कर हम उनके साथ कार्य करेंगे| और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे |जैसे बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार, उसके अनुभव के आधार पर ,गतिविधियां देंगे| जिससे वह बड़ी सहजता के साथ उन गतिविधियों में भागीदारी कर सके| बच्चों को अवलोकन करने के, बच्चों को प्रयास करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेंगे |जिससे बच्चे की दक्षता परिपक्व हो सके| और उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण हो सके|
ReplyDeleteमैं- रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव ,संकुल केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम ,विकासखंड -विजयपुर ,जिला -श्योपुर (मध्य प्रदेश)
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ReplyDeleteShikshak dwara har sambhav koshika ki jaati hai ki sabhi bacchon ko saman Shiksha Mili lekin jab baccha nimitt taur per school nahin aata hai to ismein kuchh bacche progree karta ha or kuch children pichar jaate Hain .
ReplyDeleteसमान अवसर दिए जाते है परंतु बुद्धि का स्टारहर बच्चे का अलग होता है और हर बच्चा अपनी गति से ही सीखता है यहां जरूरी यह है कि शिक्षक भी धैर्यवान हो और धीमी गति से चल रहे बच्चे पर विशेष ध्यान दे उसके परिवार की भी मदद ले समस्या यही आती है कि पलको का सहयोग नहीं मिलता है जो बालक की गति को औऱ धीमा कर देता है।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा में छात्रों को उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भिन्नता बौद्धिक स्तर के आधार पर समान अवसर उपलब्ध कराना उद्देश्य है परंतु कुछ परिवार में छात्र का सहयोग करने की क्षमता नहीं होती है वह उनकी समस्या होती परंतु उन कारणों का प्रभाव छात्र पर पड़ता है उस परिस्थिति में शिक्षक का दायित्व बनता है कि वह उन परिस्थितियों से बाहर निकाले किंतु शिक्षक का भी एक सीमित दायरा होता है इसमें समुदाय की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारिणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/ सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा में छात्रों को उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भिन्नता बौद्धिक स्तर के आधार पर समान अवसर उपलब्ध कराना उद्देश्य है परंतु कुछ परिवार में छात्र का सहयोग करने की क्षमता नहीं होती है वह उनकी समस्या होती परंतु उन कारणों का प्रभाव छात्र पर पड़ता है उस परिस्थिति में शिक्षक का दायित्व बनता है कि वह उन परिस्थितियों से बाहर निकाले किंतु शिक्षक का भी एक सीमित दायरा होता है इसमें समुदाय की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए
Deleteकक्षा के समस्त बच्चों के लिये एक समान शिक्षण पद्धति कदापि उपयुक्त नही है ।प्रत्येक बच्चे की समझ या क्षमता भिन्न भिन्न होती है इसलिये अवधारणा में भी अंतर होना चाहिए
ReplyDeleteGopal Singh Rajput,Ms kolwa,kpl,SJP
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा हेतु शिक्षक को छात्र के परिवेश की जानकारी लेना होती है वह किस परिवेश से आता है और उसे किन चीजों में कठिनाई होगी।तब ही समान शिक्षा की सारणी तैयार करनी होगी।
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा शा नांदखेड़ा रैय्यत विकास खंड पुनासा जिला खंडवा
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से यह लाभ है कि बच्चे को उसके स्तर सेप्रारंभ किया जाकर उसी के अनुसार शिक्षण दिया जाता है जिससे बच्चा अपनी क्षमता के अनुरूप सीखने का प्रयास करता है।
सभी बच्चों के सीखने की गति अलग अलग होती है और सब का स्तर ध्यान में रखते हुए उनको शिक्षा देने और सिखाने की कोशिश करती हूँ। बच्चों की जांच हेतु एक निश्चित समय सरणी बना कर बच्चों को सीखने के अवसर प्रदान करती हूँ।
ReplyDeleteSehba khan Nirmal meera boys bhopal
हां, सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जाता है ।शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों की बुद्धि लब्धि के आधार पर ज्ञानार्जन किया जाता है ।जिससे बच्चा जल्दी सीख पाता और अपने शैक्षिक स्तर पर आ जाता है।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की गति अलग-अलग होती है लेकिन उनके सीखने के अनुसार ध्यान रखते हुए उन्हें सिखाया जाता है एवं उनके पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य कराया जाता है प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है अतः सभी बच्चों को सिखाने के लिए समान तरीका नहीं अपनाना चाहिए उन्हें विभिन्न तरीकों के माध्यम से सिखाना चाहिए
ReplyDeleteहां प्रारंभिक वर्षों में समान शिक्षण पद्धति को अपनाया जा रहा है तथा परीक्षण सारणी भी समान है परंतु इस तरह शिक्षण कार्य करने से एक समस्या यही है कि सभी बच्चे अपने अलग-अलग शैली से सीखते हैं अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं और कुछ बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं कुछ गतिविधि करके सीखते हैं कुछ जल्दी सीख जाते हैं कुछ धीरे सीखते हैं बतो उनके लिए एक ही तरह की शिक्षण प्रणाली अपनाया जाना गलत है। इससे उनके सीखने की क्षमता में कमी आती है।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ने के लिए बच्चों को अलग-अलग उनके शिक्षण स्तर को ध्यान में रखकर ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए और सभी बच्चों को समान शैक्षिक स्तर पर लाने का प्रयास करना चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों को पढ़ना लिखना समझना संख्या का पूर्ण ज्ञान और जोड़ घटाना गुणा भाग तथा संख्याओं को विस्तारित रूप में लिखने का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है
ReplyDeleteबच्चे जब घर से विद्यालय आते है तो उनके पूर्वज्ञान को परखा जाता है एवम उनके स्तर को ध्यान में रखकर सारणी बद्ध किया जाता है और शासन की मंशानुसार समावेशित शिक्षा प्रदान की जाती है।
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा खेल खेल में हो बच्चे खेल खेल में बहुत कुछ सिखते है एवं खेल में अपनी बात एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से कह पाते हैं शिक्षक बच्चों के रूचि नुसार मूल्यांकन कर मनोरंजनात्मक गतिविधियां करा कर् बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकता है
ReplyDeleteसभी बच्चों को स्वतंत्रता रूप से अपनी बात रखने का एक सटीक उपाय है।
ReplyDeleteअच्छा तरीका हैं
ReplyDeleteMe Bachhe ke Star ke Anusar Siksha Kary Karati hu.
ReplyDeleteबच्चों के स्तर के अनुसार ही शिक्षण कार्य कराते है।
ReplyDeleteबच्चों को अभी तक हमने पढ़ाया तब हमने यह अनुभव किया कि सभी बच्चे एक समय में एक साथ नहीं सीख पाते हैं क्योंकि हमारे बच्चे विभिन्न परिस्थितियों एवं विविध भाषाओं,आयु स्तरों व अन्य विषमताओं को परिभाषित करते हैं इसलिए हमारा प्रयास होता है कि हम सभी बच्चों को उनके सीखने की गति के अनुसार उन्हें समय दें और प्रयास जारी रखें । धन्यवाद
ReplyDelete
ReplyDeleteलोकेश कुमार विश्वकर्मा
प्रारंभिक वर्षों में सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जाता है सामान शिक्षण प्रदान किया जाता है किंतु परिस्थितियां सामान ना होने तथा उनके पालकों तथा व्यस्को का सहयोग ना मिलने के कारण वे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते हैं।
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए हमें बच्चों को मूर्त वस्तुओं और दिन चर्या से संबंधित कियाकलाप कराना चाहिए बच्चे गिनती अच्छा कर लेते हैं पर संख्या से अपरिचित होते हैं।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षण अत्यंत लाभकारी है, इससे बच्चों में सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति का विकास और कौशलों के विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास भी होता है
ReplyDeleteईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! क्योंकि बच्चे यहां स्वतंत्रत सीखते हैं।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है।सीखने के अवसरों में समानता से ,सीखने की गति व अन्य समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए भी,बच्चों में सीखने के परिणामों के लक्ष्य को अधिकतम रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों के स्तर क़े अनुसार ही शिक्षण कार्य कराते हैं
ReplyDeleteHemlata Mohite ' Khula Aakash 'film mein 3 se 6 varsh ki avastha wale bacchon Ko vibhinn gatividhiyon, khel tatha shaikshik Khilaune Aadi ke Madhyam se prashikshit shikshakon dwara bacchon ke samagra Vikas ka Prayas Kiya gaya hai is film mein bacche Swatantrata purvak Shiksha grahan kar rahe hain
ReplyDeleteE CCE ( satat evam vyapak mulyankan ) School aur Jivan Mein sikhane ka Aadhar pradan karta hai Kyunki ki satat mulyankan ke Madhyam se hi ham bacchon ki Pragati aur Unki mulbhut shaikshik avashyaktao ke bare mein jaan sakte hain tatha usi Aadhar per unhen Shiksha pradan kar sakte hain
सभी बच्चे अलग अलग परिवेश आते हैं सभी के सीखने का स्तर भी भिन्न होता है बाल केंद्रित शिक्षा द्वारा बच्चों के पूर्वज्ञान के आधार पर उन्हें मूलभूत दक्षताओ से जोड़ना है l
ReplyDeleteबाल केन्द्रित शिक्षा छोटे बच्चों के लिये जरूरी है। तभी हम बच्चे की रग-रग से परिचित होते है और उसे उसके स्तर के अनुसार पढ़ा पायेंगे।
ReplyDeleteMain her bacche ke prarambhik gyan ko Dhyan mein rakh kar hi apni karya Yojana banati hun.
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा में सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जाती है किन्तु सभी बच्चे उसे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते। यहां आवश्यक यह हो जाता है कि हमें समूह आधारित रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना होगा।
ReplyDeleteसभी छात्र ,छात्राओं को उनके स्तर के अनुसार विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं सहायक शिक्षण सामग्रियों के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है l
ReplyDeleteबच्चों को हम खेल खेल में ही सीखाने की ओर ले जा सकते हैं। क्योंकि बच्चों को खेलने में मजा आता है। खेल को पढ़ाई से जोड़ने का कर्त्तव्य हमारा होता है।
ReplyDeleteGopal Singh Rajput Ms kolwa
ReplyDeleteKpl,SJP
जैसा कि शाला में अलग- अलग प्रृष्ठभूमि से छात्र आते हैं,उनके पूर्व अनुभव भी अलग होते हैं।ऐसे में विकर्षक का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है,कि वह समाज के बीच जाकर बच्चों की पृष्ठभूमि को समझें पालकों से बात कर जानने की कोशिश करें।उनका उनके घर मोहल्ला,पड़ोस का माहोल कैसा है।फिर बच्चे को शाला के माहौल से यूस-टू होने दें।ताकि छात्रहित में सारणी तैयार की जा सके।
सत्र के प्रारंभ में कक्षा शिक्षक द्वारा बच्चों के समूह का निर्धारण के आधार पर किया जाता है कि बच्चा किस स्तर पर है एवं शिक्षक का प्रयास क्यों होता है कि वह किस तरह इसकी कमियों एवं इसकी अपेक्षाओं को समझते हुए से अन्य बच्चों के साथ कड़ी से कड़ी जोड़ते हैं आगे लेकर जाएगा
ReplyDeleteशाला में अलग अलग पृष्टभूमि के बच्चे आते हैं उनके पूर्व अनुभव भी अलग होते हैं उनके पूर्व अनुभव के आधार पर ही उनके समूह का निर्माण कर उन्हें खेल खेल में सीखने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके स्तर अनुसार उनकी दक्षताएं पूर्ण करते हैं
ReplyDeleteबच्चे की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है यह बच्चे के सर्वांगं विकास के लिए महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteहम सभी बच्चो को समान अवसर देते है पर सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते कोई बोलना जल्दी सीखता है कोई लिखना कोई पढ़ना बच्चो की समझ ओर उनकी कार्य क्षमता के अनुसार हमें उन्हें पढ़ाना चाहिए
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों को उनके स्तर के अनुसार विभिन्न गतिविधियां और सहायक शिक्षण सामग्री के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है!
ReplyDeleteशाला में अलग अलग पृष्टभूमि के बच्चे आते हैं उनके पूर्व अनुभव भी अलग होते हैं उनके पूर्व अनुभव के आधार पर ही उनके समूह का निर्माण कर उन्हें खेल खेल में सीखने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके स्तर अनुसार उनकी दक्षताएं पूर्ण करते हैं Dinesh chouhan
ReplyDeleteसभी बच्चों का स्तर पहचानकर ही अपनी कार्ययोजना को क्रमबद्ध तरीके से बनाती हूं।
Deleteप्रत्येक बच्चे के पूर्व ज्ञान एवं उनकी वैयक्तिक भिन्नताओ को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्ययोजना को बनाकर कार्य करता हूं
ReplyDeleteECCE बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अति महत्वपूर्ण प्रक्रिया है I 3 से 6 वर्ष के बीच के बच्चों का शासकीय शाला में प्रवेश होने से उनमे पहले की अपेक्षा ज्यादा विकास होगा I तभी सभी बच्चें समान शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे I
ReplyDeleteसभी बच्चो के सीखने की गति अलग अलग होती है,उसी गति से बच्चे सीखते है।हम सभी बच्चो को समान शिक्षा तो देते है पर उसकी सीखने की गति पर ध्यान केंद्रीत नही कर पाते है।बच्चे के सीखने की गति उसके सामाजिक,शारिरीक,पालको की जागरूकता,जैसे बिंदुओ से प्रभावित होती है।
ReplyDeleteसभी की सीखने की गाति अलग अलग होती है
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की गति अलग-अलग होती है लेकिन उनके सीखने के अनुसार ध्यान रखते हुए उन्हें सिखाया जाता है एवं उनके पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य कराया जाता है प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है अतः सभी बच्चों को सिखाने के लिए समान तरीका नहीं अपनाना चाहिए उन्हें विभिन्न त
ReplyDeleteरीकों केमाध्यम से सिखाना चाहिए shivvanti Bamne Badadhana
October 5, 2021 at 8:45PM
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है
गिरबर सिंह लोधी
मैं बच्चे के पूर्व ज्ञान के आधार पर शिक्षण कार्य करवाता हूं।
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की गति भिन्न भिन्न होती है। कोई बच्चा तीव्र गति से कोई बच्चा धीमी गति से सीखता है।धीमी गति से सीखने वाले बच्चों के लिए पालकों का सहयोग लेना आवश्यक है, साथ ही शिक्षक को धैर्य के साथ सिखाना चाहिय। कक्षाओं में शिक्षण कार्य समान रूप से कराया जाता है इसमें धीमी गति से सीखने वाले बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है
ReplyDeleteBachchon ko khel khel me seekhne k avsar dena chahiye kyonki chote bachchon ki ruchi khel me zyada hoti hai.
ReplyDeleteWe can classify and recognize student-centered learning by our students’ increased opportunity to decide two things: what material they learn and how they learn it. (Some educators refer to this same basic idea as personalized learning.) This learning approach differs from traditional classroom instruction, known as teacher-centered learning, because student-centered learning puts a firm focus on student decision-making as a guiding force in the learning process.
ReplyDeleteThe shift toward increased student
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में हम उन्हें अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं| लेकिन हर बच्चे की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं |तो उन आवश्यकताओं के अनुरूप हम कई बार ढल नहीं पाते हैं| अपने आपको उन आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल नहीं पाते हैं| जिसके कारण बच्चों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं |और हमेशा प्रयास करने की गुंजाइश बनी रहती है |लेकिन इस प्रशिक्षण को लेने के बाद बच्चों की क्या-क्या प्रारंभिक आवश्यकताएं हैं| इनको समझ कर हम उनके साथ कार्य करेंगे| और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे |जैसे बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार, उसके अनुभव के आधार पर ,गतिविधियां देंगे| जिससे वह बड़ी सहजता के साथ उन गतिविधियों में भागीदारी कर सके| बच्चों को अवलोकन करने के, बच्चों को प्रयास करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेंगे |जिससे बच्चे की दक्षता परिपक्व हो सके| और उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण हो सके|
ReplyDeleteमैं Naresh Sahu Prathmik Shikshak P/S Rajpalchouk Pipariya Lalu
Block -Chhindwarw
District -Chhindwara
Dise Code-23430109203
सभी बच्चों के सीखने की गति अलग अलग होती है और सब के स्तर को ध्यान में रखते हुए उनको शिक्षा देने और सिखाने का प्रयास किया जाता है । बच्चों की जाँच हेतु एक निश्चित समय सारणी बनाकर सीखने के अवसर प्रदान किए जाते हैं । हर बच्चे की सीखने की गति अलग अलग होती है बच्चों के सीखने के स्तर की जाँच कर सिखाने का कार्य किया जाता है । शिक्षा केंद्रित पद्धति से बच्चे भय मुक्त वातावरण में सीखते हैं ।
ReplyDeleteहम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं। बच्चे भी उसी समान रूप से समझने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी बच्चे का कौशल कम विकसित होता है, वह समझ लेना कुछ ज्यादा समय लेता है ।पालक यदि शिक्षक का साथ दें तो बच्चे जल्द ही समझ पाएंगें।साथ ही केन्द्रीत पद्धतिया बहुत ही लाभदायक होती है पर वह बच्चों की दक्षता के आधार पर गतिविधियां हो तो उन्हें नया सीखने के अवसर मिलेंगे।
ReplyDeleteसभी बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें खेलों के माध्यम से गानों के माध्यम से तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं।
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में हम उन्हें अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं| लेकिन हर बच्चे की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं |तो उन आवश्यकताओं के अनुरूप हम कई बार ढल नहीं पाते हैं| अपने आपको उन आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल नहीं पाते हैं| जिसके कारण बच्चों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं |और हमेशा प्रयास करने की गुंजाइश बनी रहती है |लेकिन इस प्रशिक्षण को लेने के बाद बच्चों की क्या-क्या प्रारंभिक आवश्यकताएं हैं| इनको समझ कर हम उनके साथ कार्य करेंगे| और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे |जैसे बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार, उसके अनुभव के आधार पर ,गतिविधियां देंगे| बच्चों की जाँच हेतु एक निश्चित समय सारणी बनाकर सीखने के अवसर प्रदान किए जाते हैं । हर बच्चे की सीखने की गति अलग अलग होती है बच्चों के सीखने के स्तर की जाँच कर सिखाने का कार्य किया जाता है । शिक्षा केंद्रित पद्धति से बच्चे भय मुक्त वातावरण में सीखते हैं ।
ReplyDeleteDakshta aadharit sikhsha teachers le liye bohot adhik useful hai
ReplyDeleteJisse bachche ki avsaktaon ko dhyan mein rakhkar padhaya ja sake
बच्चों को खेल-खेल में सिखाना , व्यवहारिकता के समीप है ।
ReplyDeleteखेल खेल में ही बच्चों को शिक्षा ग्रहण करना
ReplyDeleteतथा ECCE के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही लाभदायक है
सभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग अलग होता है हमे इस बात को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाकर बच्चों को पढ़ना चाहिए।
ReplyDeleteईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteआशा जोशी
दक्षता आधारित शिक्षा में सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जाती है किन्तु सभी बच्चे उसे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते। यहां आवश्यक यह हो जाता है कि हमें समूह आधारित रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना होगा।
ReplyDeleteलेकिन सभी बच्चे अपनी रुचि और गति के साथ सीखते हैं।
सभी बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें खेलों के माध्यम से गानों, संग्गीत के माध्यम से तथा अन्य गतिविधियों और खेलों के माध्यम से समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं।
ताकि सभी बच्चों में समान रूप से दक्षताओं का संवर्धन हो सके।
सादर।
सुनीत कुमार पांडेय
हीरापुर कौड़िया
जिला - कटनी (मप्र)
प्रारंभिक वर्षों में हम बच्चों को अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं किन्तु सभी बच्चों के सीखने का स्तर और गति अलग-अलग होती है इसलिए उनके स्तर और गति के अनुसार बाल केंद्रित शिक्षा होना चाहिए उन्हें समूह में विभाजित करके सिखाया जा सकता है रुचि अनुसार खेल खेल में व अन्य रचनात्मकरचनात्मक गतिविधियों के द्वारा सिखाया जा सकता है। बच्चों को समान अवसर और समय सारणी अनुसार ही सिखाया जाता है शिक्षार्थी केंद्रित पढ़ाई से अनेक लाभ है इसमें सभी बच्चों को पर्याप्त अवसर उनकी रुचि गति और स्तर के अनुसार सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षो में शिक्षा हेतु आवश्यक है कि बच्चो को समान रूप से शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए जो सही भी है लेकिन बच्चो की शिक्षण सहभागिता को भी नजरअंदाज नही किया जाना चाहिये। उनका पूर्व ज्ञान व उनके घर का परिवेश तथा बच्चे का मानसिक विकास व् उनके सीखने की क्षमता को देखते हुये शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए ताकि वे भाषा ज्ञान व संख्या ज्ञान की समझ सकते हैं।उनके समझ का स्तर क्या है उनके पारिवारिक स्थिति भौतिक संसाधनों की जानकारी प्राप्त कर ही उनके अनुसार गतिविधियों का चयन कर शिक्षण कार्य किया जा सकता हैं और लक्ष्य को पाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteSabhi baccho ke sikhne ki gati alag alag hoti hai. Teacher ka yeh dayitva hai ki woh her bacche ko uski sikhne ki gati ke anusar sikhte.
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे
ReplyDeleteUnknownOctober 1, 2021 at 8:38 AM
ReplyDeleteहम सभी बालकों को समान रूप से शिक्षा देने का प्रयास कर रहे है किन्तु बाधा यह आ रही हैं कि अभिभावकों का अपने बालकों के प्रति सजग न रहना।
समावेशी शिक्षा में पालकों का सहयोग से बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे।
ReplyDeletegarmin ke bachho ko aasan bhasha me samjana saral hai kintu sshatniya bhasha me hi shikhaya jana jayda saral hai
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा में पलको के सहयोग से
ReplyDeleteबहुत अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे ।
दक्षता आधारित शिक्षण में बच्चे के सीखने के अनुरूप ही सिखाने का प्रयास करना चाहिए।सभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है।
ReplyDeleteवंदना मोहनिया
ReplyDeleteप्राथमिक विद्यालय नरसिहदेवला
प्रारंभिक शिक्षा विधार्थियो के जीवन में नींव की भाती कार्य करती हैं इसलिए बच्चों के शिक्षा स्तर का ध्यान रखते हुए उनकी समझ के स्तर में वृद्धि पर ध्यान देना चाहिए ।।
Bacchon ki neav majboot karne ke liye hi prarambhik shiksha pr jor diya jana jruri hai. Bacchon ke star ko dhyan me rk kar hi pdana chahiye.
ReplyDeleteवर्तमान में लगभग डेढ़ वर्ष से बच्चों से सिधे सम्पर्क ना हो पाने के कारण बच्चों के पुर्व ज्ञान में बहुत कमी आ चुकी है लेकिन हमें बच्चों के स्तर को पुनः सुधारकर ,उनका सही मार्ग दर्शन करना होगा।
ReplyDeleteसमावेशीशिक्षामे पालको के सहयोग से बहुत अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे सत्यनारायण गुप्ता स शि एकीकृत शा मा वि पाडलिया मारू मन्दसोर मध्य प्रदेश
ReplyDeleteमैं हर बच्चे के पूर्व ज्ञान के आधार पर अपनी कार्य प्रणाली बनाती हूं जिससे कि सभी बच्चे दक्षताओ को सीख सकें
ReplyDeleteप्रशिक्षण से यह जाना इस सभी बच्चों में समझ के साथ पढ़ना या लिखना चाहिए केवल शिक्षक द्वारा पढा दें लेकिन बच्चे ना समझें तो इस तरह की पढ़ाई बच्चों के हित में कम आ पाती है
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा स्तर को ध्यान में रखकर और बच्चों के वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखकर अगली रणनीति बनाई जानी चाहिए। जिससे बच्चो को अच्छे से समझाया जा सके।
ReplyDeleteबच्चों को दक्षता आधारित शिक्षण कराया जाना उचित होगा
ReplyDeleteसभी बच्चों का स्तर समान नही होता, अतः बच्चों का स्तर व उनके सीखने की गति को ध्यान मे रखकर ही अध्यापन कार्य पूर्ण करना चाहिए।इसमे समय की बाध्यता नहीं होनी चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा बच्चों की शिक्षा के लिए उसकी नी व होती है, साला में आने वाले प्रत्येक बच्चे का स्तर अलग-अलग होता है अतः बच्चों को इस तरह उनके स्तर के अनुसार ही, दक्षता आधारित शिक्षा प्रदान करना चाहिए ताकि बच्चे समझ के साथ पढ़ सके तथा गणित की चारों संक्रियाएं जोड़ घटाव गुणा भाग भलीभांति सीख सकें अतः बच्चों को दक्षता आधारित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए
ReplyDeleteBacchon ki samaz k sthar ko pehchankr karya yojna banani chahiye jisse bacche achi trh se sikh saje
ReplyDeleteबच्चे के स्तर पहचान कर उन्हें दक्ष करने हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है
ReplyDeleteसभी बच्चों का स्तर समान नहीं होता अतः बच्चों को दक्षता आधारित शिक्षण कराया जाना उचित होगा
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चो को उनके स्तर के अनुसार समझाने का प्रयास करना जिससे छात्र बहुत कम समय मे मानसिक एव बौद्धिक विकास कर पाता है।
ReplyDeleteSabhi bachchon ka star saman nahi hota ath bachchon ko dakshata adharit shikshan karaya jana uchit hoga
ReplyDeleteHam shikshakon ko dakshta adharit seekhane ke koshalon par dhyan dena hai
ReplyDeleteहर बच्चे कि सिखने कि क्षमता अलग अलग होती है अगर हम सभी बच्चों को एक ही तरह से सीखाते है तो कुछ बच्चे पीछड सकते हैं इसलिए हमें बच्चों कि क्षमता के अनुरूप कार्य योजना बनानी चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चो सरवांगीन विकास व पढ़ने लिखने की समझ विकसित कर स्थायी ज्ञान देश इसका मुख्य लक्षय है।
ReplyDeleteशुरुआती दौर में समान शिक्षण और निश्चित परीक्षण सारणी रही,परंतु समय समय पर शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न नवीन तरीके प्रयोग में लाए जाने से और शिक्षा के क्षेत्र में अभी
ReplyDeleteअभिनव प्रयोगों के द्वारा मिले कई प्रशिक्षणों के दौरान मैंने यही अनुभव किया कि सीखने में विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षण योजना बनाने से और शिक्षण कार्य करने से ,यथा - गतिविधियों ,खेल माध्यम आदि से कार्य करने से बच्चों के उपलब्धि स्तर में मनोवांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से शिक्षण कार्य उत्तम रहेगा।इसमें सफलता की असीम उम्मीदें हैं।
बस कक्षा में शिक्षक ,शिक्षार्थी का अनुपात सही होना चाहिए क्योंकि एक बड़े समूह में अध्यापन अर्थात 50 से अधिक बच्चो के समूह का अध्यापन कार्य कभी कभी थोड़ा कठिन हो जाता है। बाल केंद्रित शिक्षण में प्रयोग के लिए यही एक सीमा के अंतर्गत कठिनाई मेरा अपना अनुभव है।
बच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षा योजना का निर्धारण करती हूं
ReplyDeleteबच्चों के स्तरों की जाँच हेतु एक निश्चित परीक्षण सारिणी है।हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।बच्चों के शैक्षणिक स्तर की जाँच कर, स्तर को ध्यान मे रखकर शैक्षणिक कार्य किया जाता हैं।शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चे भयमुक्त वातावरण मे सीखते है गतिविधियाँ ,कहानियाँ , खेल गतिविधियाँ,पहेली बूझना, कहानी बनाना ।इन माध्यमों से बच्चों के दक्षता कौशल बढ़ाऐ जाते है
ReplyDeleteशा. प्रा. वि. जतौली - - - - - - - - - - बच्चों की सीखने की विविधता को ध्यान में रखते हुए,शिक्षण योजना बनाने सेऔर शिक्षण कार्य में यथा - गतिविधियों, खेल, कहानी आदि के माध्यम से बच्चों के उपलब्धि स्तर मे मनोवांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को जचते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षा योजना का निर्धारण करती हू और बच्चो को हर आयामों के माध्यम से सभी बच्चो को समान रूप से निर्धारण करती हू
ReplyDeleteबच्चे भिन्न भिन्न परिस्थितियों से विद्यालय पहुंचे हैं उनके पूर्व ज्ञान में भी अन्तर होता है। उनके पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करने में समस्त बच्चों का विकास सम्भव है।
ReplyDeleteबच्चों के पूर्व ज्ञान के आधार पर समूहा त्मक रूपसे उनकी दक्षता के आधार पर स्वयं सीखने में अवसर प्रदान करना चाहिए ,जो दैनिक जीवन मे प्रयोग करसकें।बुनियादी साक्षरता ,संख्या ज्ञान का उनमे समझ आएं ,जिससे समझ कर पढ़ लिख कर अपनेविचार व्यक्त कर सकें।लखनलाल पटेल, शिक्षक शा उत्कृष्ट माध्यमिक विद्यालय भैंसवाही विजयराघवगढ़ कटनी मध्यप्रदेश पिन 483501
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को परखते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए। शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चों में जल्दी से शिक्षा गृहण करने का संचार उत्पन्न होता हैं। और इससे बच्चों को सीखने में मदद मिलेगी।
ReplyDeleteमैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूंप्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को जचते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है और यह उनका अधिकार भी है किंतु सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है कुछ बच्चे आसानी से सीख जाते हैं और कुछ बच्चे सीखने में समय लेतें हैं। हमें ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है ।
ReplyDeleteSabhi bacchon ko dakshita aadharit Shiksha Daya aur aur prathmik Shiksha mein baccha Khel Khel mein sikhana adhik pasand karta hai isliye dakshata aadharit Shiksha ki or badhane ke liye hamen bacchon ki prarambhik Shiksha par Dena chahie
ReplyDeleteसीखने के अवसरों में समानता से ,सीखने की गति व अन्य समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए भी,बच्चों में सीखने के परिणामों के लक्ष्य को अधिकतम रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteसभी शिक्षक बच्चों को समान रूप से शिक्षा देना चाहते हैं। परंतु प्रत्येक बच्चा का स्तर अलग होता है बच्चों के स्तर को पहचान कर हमें उनको शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक अध्यापक होता है वह उन्हें अच्छी तरह समझता है
ReplyDeleteमेरे विचार से प्रत्येक बच्चे में सीखने की योग्यता होती है बस उसके पूर्व ज्ञान को पहचान कर नवीन अनुभव प्रदान किया जाए।
ReplyDeleteशिक्षक सभी बच्चों को समान रूप से पढाते है किंतु सभी बच्चों का स्तर समान नहीं होता अतः हमें बच्चों के स्तर को ध्यान में रखते हुए पढाना चाहिए
ReplyDeleteOmbati Raghuwanshi. सभी बच्चों की मानसिकता और सीखने की गति अलग -अलग होती है और दक्षता आधारित शिक्षण को बच्चों की गति और आवश्यकता के अनुसार देना चाहिए
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारिणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/ सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
ReplyDeleteइस प्रश्न के संदर्भ में मेरी समझ इस प्रकार है_
बच्चों को अभी तक हमने पढ़ाया तब हमने यह अनुभव किया कि सभी बच्चे एक समय में एक साथ नहीं सीख पाते हैं क्योंकि हमारे बच्चे विभिन्न परिस्थितियों एवं विविध भाषाओं,आयु स्तरों व अन्य विषमताओं को परिभाषित करते हैं इसलिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति से सभी बच्चों को उनके सीखने की गति के अनुसार उन्हें समय देते हुए अपने प्रयास जारी रखें तो बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
किंतु वर्तमान में समान शिक्षण पद्धति को अपनाया जा रहा है तथा परीक्षण सारणी भी समान है परंतु इस तरह शिक्षण कार्य करने से एक समस्या यही है कि सभी बच्चे अलग-अलग शैली से सीखते हैं अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं और कुछ बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं कुछ गतिविधि करके सीखते हैं कुछ जल्दी सीख जाते हैं कुछ धीरे सीखते हैं तो उनके लिए एक ही तरह की शिक्षण प्रणाली अपनाया जाना गलत है। इससे उनके सीखने की क्षमता में कमी आती है क्योंकि कक्षा के समस्त बच्चों के लिये एक समान शिक्षण पद्धति और जांच के लिए समान समय सारणी उपयुक्त नही है । प्रत्येक बच्चे की समझ या क्षमता भिन्न भिन्न होती है इसलिये शिक्षण और परिक्षण में भी अंतर होना चाहिए ।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों की बुद्धिलब्धि के आधार पर निर्बाध रूप से सिखाया जा सकता है जिससे बच्चा जल्दी सीख पाता है।
मैं- शफीक मोहम्मद काजी (Ba5323), शासकीय प्राथमिक विद्यालय- बड़िया का खेड़ा यूइजीएस, संकुल केंद्र- शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल सुसनेर, विकासखंड-
सुसनेर, जिला- आगर मालवा (मध्य प्रदेश)
ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है। बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा
ReplyDeleteही शिक्षा की नींव है। जब नींव मजबूत होगी तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए।
नमस्कार में रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं
ReplyDeleteईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है। बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा
ही शिक्षा की नींव है। जब नींव मजबूत होगी तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए।
धन्यवाद
मैं संजीव श्रीवास सहायक शिक्षक प्राथमिक शाला मलारा से मेरे विचार से सभी शिक्षक अपनी शाला के सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन बच्चों की शाला में अनियमितता के कारण उनके सीखने की प्रक्रिया में अंतर आ जाता है । प्राथमिक शिक्षा जीवन रूपी महल की नींव होती है अतः यह मजबूत होना ही चाहिए , मेरा सरकार से करबद्ध निवेदन है शाला में बच्चों की दर्ज संख्या को आधार ना मानकर बल्कि कक्षा के हिसाब से प्रति शिक्षक एक शिक्षक होना चाहिए । जिससे शिक्षक बच्चों को कक्षा एक से पांचवीं तक स्वंय लेकर जाएं और संपूर्ण दक्षता का जिम्मेदार वह स्वंय हो ।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा के अनेक लाभ हैं जिससे छात्र छात्रा को उनके सीखने के स्तर से ही सिखाया जाता है उनकी रूचि आदि का ध्यान रखा जाता है और वह किस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देते हैं उस पर बल दिया जाता है जिससे छात्र की शिक्षा में व संपूर्ण विकास हो
ReplyDeleteछात्रो के पूर्व ज्ञान को पहचान कर नवीन ज्ञान को विकसित किया जावे।
ReplyDeleteईसीसीई यह व्यवस्था लागू होने से हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदल जाएगा यह हमारे शिक्षा व्यवस्था के लिए एक वरदान साबित होगा यदि यह व्यवस्था लागू हो जाए तो बच्चे स्वतंत्र रूप से सीखेंगे और उनका झुकाव पढ़ाई की ओर अग्रसर होगा । धन्यवाद । मैं प्राथमिक शिक्षक चम्पकलता धुर्वे प्राथमिक शाला किकरझर ।
ReplyDeleteBacchon ko saman prashikshan pradan Kiya jata hai Lekin bacche apni apni samaj ke hisab se sikhate Hain kuchh bacche jaldi Sikh jaate Hain to kuchh samay lekar sakte hain
ReplyDeleteविद्यार्थियों के शिक्षण का स्तर अलग अलग होता है अतः कुछ विद्यार्थी तो जल्दी सीख जाते हैं, पर कुछ विद्यार्थियों को समय लगता है और उनके सीखने का तरीका भी भिन्न होता है शिक्षार्थी आधारित शिक्षा पद्धति में हम विद्यार्थी को उसके स्तर के अनुसार परख कर अपनी शैक्षणिक गतिविधियों में परिवर्तन कर सकते हैं एवं उन्हें बेहतर सिखा सकते हैं। इस पद्धति में हमें लाभ के साथ हनिया भी है क्योंकि सभी विद्यार्थियों का स्तर एक सा नहीं होता इसलिए कुछ विद्यार्थी जल्दी सीख कर आगे निकल जाते हैं और कुछ विद्यार्थी पीछे रह जाते हैं जो विद्यार्थी पीछे रह जाते हैं उनमें हीन भावना पनपने लगती है और वह अपने आप को उन विद्यार्थियों की अपेक्षा अपेक्षित महसूस करने लगते हैं और हमारे शिक्षण में सक्रिय रुप से भाग नहीं लेते हैं अतः हमको इस बात का ध्यान रखना है की सभी बच्चे एक समान विभिन्न गतिविधियों के द्वारा एक साथ सीखें और एक साथ विकास कर सकें। धन्यवाद,
ReplyDeleteमहावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिंदौरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
Baccho k istar k hisab se praarambhik shikha ki yojana banana chahiye aur din pratidin ki gatividhi se un yojanao ko jodna chahiye
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा देने के साथ-साथ कमजोर व पिछड़े हुए बच्चों पर भी ध्यान देना चाहिए।
ReplyDeleteवाकई छोटे बच्चे के सीखने के लिए खुला आकाश होना चाहिए। बच्चों को आनंदमयी, भयमुक्त, रोचक, आकर्षक एवं स्वतन्त्र रूप से सीखने के अवसर प्राप्त हो।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति से बच्चे के सीखने की आवश्यकता का पता लगा कर उसे उपचारात्मक शिक्षण दिया जाता है जबकि सामान्य शिक्षा पद्धति में ऐसा नहीं होता बाल केंद्र शिक्षा पद्धति में सामान्य शिक्षण पद्धति की अपेक्षा समय एवं शक्ति अधिक खर्च होती है किंतु फिर भी शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति ज्यादा लाभदायक है
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबच्चो के स्तर के हिसाब से प्रारंभिक शिक्षा की योजना बनाना चाहिए। और दिन प्रतिदिन की गति से उन योजनाओं को जोड़ना चाहिए।
DeleteECCE पूरी तरह सेपूर्ण विकास में सहायक है। नीव की शुरुआत ही शिक्षा की नीव है। जब बेहतरीन गुणवत्ता होगी तो बच्चो का सर्वांगीण विकास होगा।
ReplyDeleteKoshish karte h hamara sikhane ka tarika itna saral va rochak ho jis se sabhi chatra use sikhne mein ruchi le. Taki be jyada se jyada seekh sake
ReplyDeleteहम जानते है कि हर एक बच्चा अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से होता है सबका सीखने समझने का स्तर,आवश्यकताएं और पूर्व ज्ञान भी अलग-अलग होता हैं इन सभी स्थितियों से तालमेल बैठाकर,उनको आवश्यक दक्षताएं प्रदान करने के लिए TLM या खेलों की सहायता से या अन्य कई विधियों से सभी को समान रूप से कक्षानुसार दक्ष बनाना है जिसमे कमजोर बच्चों को विशेष सहयोग शामिल है
ReplyDeleteईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! सतत रूप से किया गया कार्य हमेशा से ही लाभदायक सिद्ध होता हैं । क्योंकि यह कार्य एक योजना बध्द तरीके से किया जाएगा ।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा में हम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा देने का प्रयास करते हैं lक किन्तु सभी बच्चे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते हैं lअत:हमें बेसलाइन टेस्ट के आधार पर समूह निर्धारण कर यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए और रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करते हैं l
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षण के तहत एक टाइम टेबिल निर्धारित करके शिक्षण कार्य किया जाता है। सबको समान अवसर प्रदान किया जाता है।
ReplyDeleteसमान रूप से सतत मूल्यांकन किया जाता है।
कमजोर बच्चों को निदानात्मक कक्षाओं में तैयारी करायी जाती है।
ReplyDeleteहम जानते है कि हर एक बच्चा अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से होता है सबका सीखने समझने का स्तर भी भिन्न होता है एवम् आवश्यकताएं और पूर्व ज्ञान भी अलग-अलग होता हैं इन सभी स्थितियों से तालमेल बैठाते हुए हमे उनको आवश्यक दक्षताएं प्रदान करने के लिए TLM या खेलों की सहायता से या अन्य कई विधियों से सभी बच्चों को समान दक्षता प्रदान की जा सकती है जिसमे कमजोर बच्चों को विशेष सहयोग शामिल है
ecce bachcho ke vikas ki neev hai
ReplyDeleteSanjeev Kumar Tiwari
ReplyDeleteBaccho ke purb Gyan Ko adhar Maan kar hi sikshin Ko PRATHMIKTHA se sikshin karate Hain
Sabhi bachho ko unk sikhane k star k anusaar hi sikhaya jata hai gatividhiyon k dawara khel khel me bachho ko ruchipurn shiksha dena hi huamara karya hai jisasae bachhe utsah kasath pade aur shikhe
ReplyDeleteअभिभावक अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है
ReplyDeleteअधिकांश अभिभावक अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है
ReplyDeleteHar bacche ke purv Gyan or sikhane ke star ko Dhyan mein rakhkar hi s.gatividhiyan hona chahie
ReplyDeleteरत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केन्द्र तेवर जबलपुर ग्रामीण
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में विद्यार्थियों को एक समान शिक्षा देना उचित नहीं है। हमारे पास विशेष आवश्यकता , विभिन्न परिवेश और विभिन्न परिस्थिति से विद्यार्थी आते हैं । अतः विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता के अनुसार शिक्षण किया जाना उचित होगा। शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में शिक्षक सुविधादाता की भूमिका का निर्वाहन करता है । विद्यार्थियों को स्वयं करके सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह उपयोगी शिक्षण पद्धति है ।
मेरे द्वारा रचनात्मक तरीके से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
ReplyDeletehamare dwara sabhi chhatron ko saman roop se Shiksha pradan ki ja rahi hai.. parantu hamare samne hi pareshani a rahi hai ki ab babat Apne bacchon ki Shiksha ke prati sajag nahin hai
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा दी जाती है पर सबका स्तर समान नही होने के कारण प्रमुख उद्देश्यों की प्राप्ति नही हो पाती
ReplyDeleteबच्चों को उनकी योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान करना
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा दी जाती है। बच्चों के स्तर की जांच हेतु परीक्षण करके उन्हें सीखने के स्तरों के अनुसार सिखाया जाता है।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा ही आधार है
ReplyDeleteखेल खेल में शिक्षा
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है । परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है ।
ReplyDeleteसभी बच्चों की शिक्षा के लिए उनके परिवेश उनकी आवश्यकता तथा उनके सीखने का स्तर समझ कर शिक्षण कार्य करना मेरे लिए बहुत ही बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है कार्य है पर फिर भी मैं कोशिश करता हूं कि प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले और वह है अच्छे से हर अवधारणा को सीख सकें
ReplyDeletesabhi bachcho ko saman shiksha dena ek shikshak ka adhikaar bhi hai aur kartawya bhi .lekin kuchh bachche jaldi seekhate hai aur kuchh dheere dheere aur shikshak ko unahi kamjor bachcho per adhik dhayan dene ki aawashyakata hoti hai lekin kai bar shikshak wah nahi kar pata jo jo vastav me karna chahata hai .
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