कोर्स 2 - गतिविधि 1 - अपने विचार साझा करें

प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारिणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/ सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।

Comments

  1. मैं हर बच्चे के पूर्व ज्ञान को ध्यान में रख कर ही अपनी कार्य सारणी बनाती हूँ ।

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    1. सभी बच्चों का स्तर पहचानकर ही अपनी कार्ययोजना को क्रमबद्ध तरीके से बनाती हूं।

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    2. Child centered learning is not only necessity but fullfill competency within. Limitation is... unwillingly time boundation makes one in hurry.

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    3. सभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है।

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    4. सभी बच्चो को दक्षता आधारित शिक्षा देना और सभी क्रियाकलापों पर ध्यान से पढ़ना लिखना उद्देश्य है

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    5. समावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे।

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  2. Jitna possible ho sakta h bachacha apne aap karne ki kossish kar sikhne per jor deti hu

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    1. दक्षता आधारित शिक्षा में सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जाती है किन्तु सभी बच्चे उसे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते। यहां आवश्यक यह हो जाता है कि हमें समूह आधारित रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना होगा।
      अर्चना राऊत
      एकीकृत शास.माध्य.शाला-नंदोरा
      संकुल-सिगोंडी
      विकासखण्ड-अमरवाड़ा

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  3. हाँ सभी बालकों को समान रूप से समावेशी शिक्षा देने का प्रयास हर शिक्षक का दायित्व है किन्तु बाधा यह आ रही हैं कि अभिभावकों का अपने बालकों के प्रति सजग न रहना जिससे बालकों में नियमितता नहीं होती हैं

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    1. बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर जोर देना चाहिए

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  4. हम सभी बालकों को समान रूप से शिक्षा देने का प्रयास कर रहे है किन्तु बाधा यह आ रही हैं कि अभिभावकों का अपने बालकों के प्रति सजग न रहना।

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  5. प्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को परखते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए। शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चों में जल्दी से शिक्षा गृहण करने का संचार उत्पन्न होता हैं।

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  6. सभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है।

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  7. सभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है !

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  8. Mera name Rajesh Kumar shahi Mai apne school me aapne student ko acchi se acchi shiksha Dene ki koisis krta hu taki unka likhe ,aur unke pradhne ki skills ko bradha saku yahi mere is mission ka target h.

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  9. Pukharajसभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है !

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  10. सभी बच्चों को एक समान शिक्षा देना कानूनन सही है लेकिन सामान्यतया कुछ बच्चे सीखने में कम और कुछ अधिक होते हैं इसलिए हमें दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ने के लिए बच्चों को अलग-अलग उनके शिक्षण स्तर को ध्यान में रखकर ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए और सभी बच्चों को समान शैक्षिक स्तर पर लाने का प्रयास करना चाहिए

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    1. बच्चों को एक समान शिक्षा दें ना हर शिक्षक कर्तव्य है, लेकिन परिस्थिति के अनुरूप कार्य करना पड़ता है फिर भी जहाँ तक कोशिश ये रहे की कमजोर और कम बोलने वाले बच्चें को ज्यादा ध्यान देना चहिये जिससे की सभी बच्चें समान रूप से ज्ञान ग्रहण कर सके |

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    2. प्रत्‍येक शिक्षार्थी का शिक्षण उसके पूर्वज्ञान के आधार पर ही होना चाहिए.

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  11. कक्षा के समस्त बच्चों के लिये एक समान शिक्षण पद्धति कदापि उपयुक्त नही है ।प्रत्येक बच्चे की समझ या क्षमता भिन्न भिन्न होती है इसलिये अवधारणा में भी अंतर होना चाहिए ।

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  12. मैं हर बच्चे के पूर्व ज्ञान को ध्यान में रख कर ही अपना आगे का शिक्षण कार्य शुरू करता हूं

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  13. ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए

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  14. बच्चों कोउनके स्तर के हिसाव से पढातें लेकिन पालक का रवैया शून्य होने से परिणाम पर असर पडता है

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  15. Yes, sabhi bacchon ko samaveshi Shiksha Pradhan ki jati hai. sabhi bacchon ko ek sath padhaayaa jata hai.

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  16. मै बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रख कर शि क्षण कार्य करवाती हूं।

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  17. Hr bchcho pr alg dhyan jruri he hr bchcho ka mansik star alg hota he or jb us bchcho ko uske star pr Jake smjhaya jata he to wh jyada shi trike se smjh pata he sath hmare dvara pdaya hr lesson bchcho ke Anusar hi hona chahiae

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  18. Ham sabhi balkon ko Saman Roop se Shiksha Dene Ka Prayas kar rahe hain Kintu Badha yah a rahi hai ki abhibhawcon ka Apne balkon ke Prati sajag na rahana.

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  19. बच्चों के शै क्षिक स्तर को ध्यान में रख कर शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए। प्रतियेक बच्चे की सीखने को क्षमता अलग अलग होती है।

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  20. हम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं। बच्चे भी उसी समान रूप से समझने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी बच्चे का कौशल कम विकसित होता है, वह समझ लेना कुछ ज्यादा समय लेता है ।पालक यदि शिक्षक का साथ दें तो बच्चे जल्द ही समझ पाएंगें।

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  21. समावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे।

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  22. Bacche ko Swatantra Roop se sikhane Dena chahie Aur sikhane Ke Adhik se Adhik avsar uplabdh karane chahie

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  23. 2, 2021 at 6:16 PM
    समावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे

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  24. सभी बच्चों को समान रूप से समावेशी शिक्षा देने का प्रयास हर शिक्षक का दायित्व है किन्तु अवरोध यह आ रहा हैं कि पालकों/अभिभावकों का अपने बच्चों के प्रति सजग न रहना जिससे बच्चों में नियमितता नहीं होती हैं। और लक्ष्य पूरा होते होते, अधूरा रह जाता है।

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  25. बच्चे भी उसी समान रूप से समझने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी बच्चे का कौशल कम विकसित होता है, वह समझ लेना कुछ ज्यादा समय लेता है ।पालक यदि शिक्षक का साथ दें तो बच्चे जल्द ही समझ पाएंगें।

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  26. शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चे आसानी से सीखते है और सीख एक स्थाई होती है

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  27. Sabhi bacchon ko shiksha dena aur aur dakshata hasil karana pratyek shikshak ka prayas hota hai lekin sikhane ke istar mein Anter hota hai kuchh jaldi Sikh jaate Hain kuchh adhik samay mein sikhate hain prarambh varshon mein khel,geet aur kahaniyon ke madhyam se siksha dena chahiye

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  28. शाला के बच्चों में पढने लिखने की समझ पैदा हो सके अक्षर ज्ञान शब्द ज्ञान व् वाक्य ज्ञान जोड़ घटाना गुणा भाग आदि की समझ प्रारम्भिक स्तर पर हो सके जिससे पूर्ण दक्षता अर्जित हो सके यही उद्देश्य FLN मिशन का है ! और प्रत्येक बच्चे को दक्ष करने का दायित्व शिक्षक का है ! परिस्थितिया कुछ भी बने इसे पूर्ण करना ही होगा !

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  29. सभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है |

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  30. बच्चों की प्राम्भिक शिक्षा को जहाँ तक हो सके शिक्ष्क हर बच्चे को उसके स्तर से सिखाने का प्रयास वर्षो से कर रहे हे । आवश्यकता उचित संसाधनो की एवम् बच्चों के अभिभावको के सहयोग की भी हे तब ही बच्चों को प्राम्भिक शिक्षा में पूर्ण दक्ष् किया जा सकता हे एफ एल एन का जो उद्देश्य हे की हर बच्चा प्रारम्भिक शिक्षा में दक्ष हो यह होना ही चाहिए ।

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  31. बच्चा खेल- खेल में ही सीखना अधिक पसंद करता है। इस खेल खेल की गतिविधि आधारित शिक्षण के द्वारा ही उनका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।

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  32. ECCE बच्चों के जीवन में अत्यंत योगदान देता है।

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  33. सभी बच्चों के साथ समान रुप से शिक्षण किया जाता है ।बच्चों के स्तरों की जाँच हेतु एक निश्चित परीक्षण सारिणी है।हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।बच्चों के शैक्षणिक स्तर की जाँच कर, स्तर को ध्यान मे रखकर शैक्षणिक कार्य किया जाता हैं।शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चे भयमुक्त वातावरण मे सीखते है गतिविधियाँ ,कहानियाँ , खेल गतिविधियाँ,पहेली बूझना, कहानी बनाना ।इन माध्यमों से बच्चों के दक्षता कौशल बढ़ाऐ जाते है

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  34. बाल केंद्रित शिक्षण अत्यंत लाभकारी है, इससे बच्चों में सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति का विकास और कौशलों के विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास भी होता है
    ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा !

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  35. ECCE बच्चों के विकास की नींव है ।

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  36. भिन्न आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की गति अलग अलग होती है, हम पढ़ाते तो सभी को एक साथ ही हैं, लेकिन सभी के सीखने की गति पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।

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  37. दक्षता आधारित अध्ययन कार्य के लिए कोर्स 2 बहुत ही उपयोगी है इसमें शिक्षकों के ज्ञान में वर्द्धि होगी
    ओर कक्षा शिक्षण में बच्चों के लिए कुछ नई गतिविधियों का समावेश कर सकेगे
    NCERT टीम ओर भारत सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद

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  38. सभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है l और दूसरे बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता हैl

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  39. Class ke samast bachcho ke liye ek sman shikshan paddti upyuct nhi hai pratek bachche ki samajh ya captivity bhinn bhinn hoti hai isliye avdharna me bhi anter hona chahiye

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  40. Shiksha to sabhi bacchon ko ek Saman Di Jaati Hai Kintu Kuchh abhibhavak ke udasin ravaiya ki vajah se bacchon ke sikhane ki gati Kuchh dheemi per Jaati Hai

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  41. सभी बच्चों को समान शिक्षा देने का अधिकार का प्रावधान है लेकिन हम सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं तो किसी के सीखने की स्त्री गति तेज होती है किसी के सीखने की गति धीमी होती है उस आधार पर फिर बच्चों को दक्षता पूर्ण कराने का प्रयास किया जा रहा है

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  42. बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में हम उन्हें अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं| लेकिन हर बच्चे की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं |तो उन आवश्यकताओं के अनुरूप हम कई बार ढल नहीं पाते हैं| अपने आपको उन आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल नहीं पाते हैं| जिसके कारण बच्चों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं |और हमेशा प्रयास करने की गुंजाइश बनी रहती है |लेकिन इस प्रशिक्षण को लेने के बाद बच्चों की क्या-क्या प्रारंभिक आवश्यकताएं हैं| इनको समझ कर हम उनके साथ कार्य करेंगे| और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे |जैसे बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार, उसके अनुभव के आधार पर ,गतिविधियां देंगे| जिससे वह बड़ी सहजता के साथ उन गतिविधियों में भागीदारी कर सके| बच्चों को अवलोकन करने के, बच्चों को प्रयास करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेंगे |जिससे बच्चे की दक्षता परिपक्व हो सके| और उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण हो सके|
    मैं- रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव ,संकुल केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम ,विकासखंड -विजयपुर ,जिला -श्योपुर (मध्य प्रदेश)

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  43. Shikshak dwara har sambhav koshika ki jaati hai ki sabhi bacchon ko saman Shiksha Mili lekin jab baccha nimitt taur per school nahin aata hai to ismein kuchh bacche progree karta ha or kuch children pichar jaate Hain .

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  44. समान अवसर दिए जाते है परंतु बुद्धि का स्टारहर बच्चे का अलग होता है और हर बच्चा अपनी गति से ही सीखता है यहां जरूरी यह है कि शिक्षक भी धैर्यवान हो और धीमी गति से चल रहे बच्चे पर विशेष ध्यान दे उसके परिवार की भी मदद ले समस्या यही आती है कि पलको का सहयोग नहीं मिलता है जो बालक की गति को औऱ धीमा कर देता है।

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  45. दक्षता आधारित शिक्षा में छात्रों को उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भिन्नता बौद्धिक स्तर के आधार पर समान अवसर उपलब्ध कराना उद्देश्य है परंतु कुछ परिवार में छात्र का सहयोग करने की क्षमता नहीं होती है वह उनकी समस्या होती परंतु उन कारणों का प्रभाव छात्र पर पड़ता है उस परिस्थिति में शिक्षक का दायित्व बनता है कि वह उन परिस्थितियों से बाहर निकाले किंतु शिक्षक का भी एक सीमित दायरा होता है इसमें समुदाय की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए

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  46. प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारिणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/ सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।

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    1. दक्षता आधारित शिक्षा में छात्रों को उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भिन्नता बौद्धिक स्तर के आधार पर समान अवसर उपलब्ध कराना उद्देश्य है परंतु कुछ परिवार में छात्र का सहयोग करने की क्षमता नहीं होती है वह उनकी समस्या होती परंतु उन कारणों का प्रभाव छात्र पर पड़ता है उस परिस्थिति में शिक्षक का दायित्व बनता है कि वह उन परिस्थितियों से बाहर निकाले किंतु शिक्षक का भी एक सीमित दायरा होता है इसमें समुदाय की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए

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  47. कक्षा के समस्त बच्चों के लिये एक समान शिक्षण पद्धति कदापि उपयुक्त नही है ।प्रत्येक बच्चे की समझ या क्षमता भिन्न भिन्न होती है इसलिये अवधारणा में भी अंतर होना चाहिए

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  48. Gopal Singh Rajput,Ms kolwa,kpl,SJP
    समावेशी शिक्षा हेतु शिक्षक को छात्र के परिवेश की जानकारी लेना होती है वह किस परिवेश से आता है और उसे किन चीजों में कठिनाई होगी।तब ही समान शिक्षा की सारणी तैयार करनी होगी।

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  49. ओमप्रकाश पाटीदार प्रा शा नांदखेड़ा रैय्यत विकास खंड पुनासा जिला खंडवा
    शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से यह लाभ है कि बच्चे को उसके स्तर सेप्रारंभ किया जाकर उसी के अनुसार शिक्षण दिया जाता है जिससे बच्चा अपनी क्षमता के अनुरूप सीखने का प्रयास करता है।

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  50. सभी बच्चों के सीखने की गति अलग अलग होती है और सब का स्तर ध्यान में रखते हुए उनको शिक्षा देने और सिखाने की कोशिश करती हूँ। बच्चों की जांच हेतु एक निश्चित समय सरणी बना कर बच्चों को सीखने के अवसर प्रदान करती हूँ।
    Sehba khan Nirmal meera boys bhopal

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  51. हां, सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जाता है ।शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों की बुद्धि लब्धि के आधार पर ज्ञानार्जन किया जाता है ।जिससे बच्चा जल्दी सीख पाता और अपने शैक्षिक स्तर पर आ जाता है।

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  52. सभी बच्चों की सीखने की गति अलग-अलग होती है लेकिन उनके सीखने के अनुसार ध्यान रखते हुए उन्हें सिखाया जाता है एवं उनके पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य कराया जाता है प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है अतः सभी बच्चों को सिखाने के लिए समान तरीका नहीं अपनाना चाहिए उन्हें विभिन्न तरीकों के माध्यम से सिखाना चाहिए

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  53. हां प्रारंभिक वर्षों में समान शिक्षण पद्धति को अपनाया जा रहा है तथा परीक्षण सारणी भी समान है परंतु इस तरह शिक्षण कार्य करने से एक समस्या यही है कि सभी बच्चे अपने अलग-अलग शैली से सीखते हैं अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं और कुछ बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं कुछ गतिविधि करके सीखते हैं कुछ जल्दी सीख जाते हैं कुछ धीरे सीखते हैं बतो उनके लिए एक ही तरह की शिक्षण प्रणाली अपनाया जाना गलत है। इससे उनके सीखने की क्षमता में कमी आती है।

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  54. दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ने के लिए बच्चों को अलग-अलग उनके शिक्षण स्तर को ध्यान में रखकर ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए और सभी बच्चों को समान शैक्षिक स्तर पर लाने का प्रयास करना चाहिए

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  55. सभी बच्चों को पढ़ना लिखना समझना संख्या का पूर्ण ज्ञान और जोड़ घटाना गुणा भाग तथा संख्याओं को विस्तारित रूप में लिखने का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है

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  56. बच्चे जब घर से विद्यालय आते है तो उनके पूर्वज्ञान को परखा जाता है एवम उनके स्तर को ध्यान में रखकर सारणी बद्ध किया जाता है और शासन की मंशानुसार समावेशित शिक्षा प्रदान की जाती है।

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  57. बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा खेल खेल में हो बच्चे खेल खेल में बहुत कुछ सिखते है एवं खेल में अपनी बात एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से कह पाते हैं शिक्षक बच्चों के रूचि नुसार मूल्यांकन कर मनोरंजनात्मक गतिविधियां करा कर् बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकता है

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  58. सभी बच्चों को स्वतंत्रता रूप से अपनी बात रखने का एक सटीक उपाय है।

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  59. अच्छा तरीका हैं

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  60. Me Bachhe ke Star ke Anusar Siksha Kary Karati hu.

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  61. बच्चों के स्तर के अनुसार ही शिक्षण कार्य कराते है।

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  62. बच्चों को अभी तक हमने पढ़ाया तब हमने यह अनुभव किया कि सभी बच्चे एक समय में एक साथ नहीं सीख पाते हैं क्योंकि हमारे बच्चे विभिन्न परिस्थितियों एवं विविध भाषाओं,आयु स्तरों व अन्य विषमताओं को परिभाषित करते हैं इसलिए हमारा प्रयास होता है कि हम सभी बच्चों को उनके सीखने की गति के अनुसार उन्हें समय दें और प्रयास जारी रखें । धन्यवाद

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  63. लोकेश कुमार विश्वकर्मा
    प्रारंभिक वर्षों में सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जाता है सामान शिक्षण प्रदान किया जाता है किंतु परिस्थितियां सामान ना होने तथा उनके पालकों तथा व्यस्को का सहयोग ना मिलने के कारण वे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते हैं।

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  64. बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए हमें बच्चों को मूर्त वस्तुओं और दिन चर्या से संबंधित कियाकलाप कराना चाहिए बच्चे गिनती अच्छा कर लेते हैं पर संख्या से अपरिचित होते हैं।

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  65. बाल केंद्रित शिक्षण अत्यंत लाभकारी है, इससे बच्चों में सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति का विकास और कौशलों के विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास भी होता है
    ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! क्योंकि बच्चे यहां स्वतंत्रत सीखते हैं।

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  66. शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है।सीखने के अवसरों में समानता से ,सीखने की गति व अन्य समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए भी,बच्चों में सीखने के परिणामों के लक्ष्य को अधिकतम रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

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  67. बच्चों के स्तर क़े अनुसार ही शिक्षण कार्य कराते हैं

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  68. Hemlata Mohite ' Khula Aakash 'film mein 3 se 6 varsh ki avastha wale bacchon Ko vibhinn gatividhiyon, khel tatha shaikshik Khilaune Aadi ke Madhyam se prashikshit shikshakon dwara bacchon ke samagra Vikas ka Prayas Kiya gaya hai is film mein bacche Swatantrata purvak Shiksha grahan kar rahe hain
    E CCE ( satat evam vyapak mulyankan ) School aur Jivan Mein sikhane ka Aadhar pradan karta hai Kyunki ki satat mulyankan ke Madhyam se hi ham bacchon ki Pragati aur Unki mulbhut shaikshik avashyaktao ke bare mein jaan sakte hain tatha usi Aadhar per unhen Shiksha pradan kar sakte hain

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  69. सभी बच्चे अलग अलग परिवेश आते हैं सभी के सीखने का स्तर भी भिन्न होता है बाल केंद्रित शिक्षा द्वारा बच्चों के पूर्वज्ञान के आधार पर उन्हें मूलभूत दक्षताओ से जोड़ना है l

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  70. बाल केन्द्रित शिक्षा छोटे बच्चों के लिये जरूरी है। तभी हम बच्चे की रग-रग से परिचित होते है और उसे उसके स्तर के अनुसार पढ़ा पायेंगे।

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  71. Main her bacche ke prarambhik gyan ko Dhyan mein rakh kar hi apni karya Yojana banati hun.

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  72. दक्षता आधारित शिक्षा में सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जाती है किन्तु सभी बच्चे उसे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते। यहां आवश्यक यह हो जाता है कि हमें समूह आधारित रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना होगा।

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  73. सभी छात्र ,छात्राओं को उनके स्तर के अनुसार विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं सहायक शिक्षण सामग्रियों के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है l

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  74. बच्चों को हम खेल खेल में ही सीखाने की ओर ले जा सकते हैं। क्योंकि बच्चों को खेलने में मजा आता है। खेल को पढ़ाई से जोड़ने का कर्त्तव्य हमारा होता है।

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  75. Gopal Singh Rajput Ms kolwa
    Kpl,SJP
    जैसा कि शाला में अलग- अलग प्रृष्ठभूमि से छात्र आते हैं,उनके पूर्व अनुभव भी अलग होते हैं।ऐसे में विकर्षक का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है,कि वह समाज के बीच जाकर बच्चों की पृष्ठभूमि को समझें पालकों से बात कर जानने की कोशिश करें।उनका उनके घर मोहल्ला,पड़ोस का माहोल कैसा है।फिर बच्चे को शाला के माहौल से यूस-टू होने दें।ताकि छात्रहित में सारणी तैयार की जा सके।

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  76. सत्र के प्रारंभ में कक्षा शिक्षक द्वारा बच्चों के समूह का निर्धारण के आधार पर किया जाता है कि बच्चा किस स्तर पर है एवं शिक्षक का प्रयास क्यों होता है कि वह किस तरह इसकी कमियों एवं इसकी अपेक्षाओं को समझते हुए से अन्य बच्चों के साथ कड़ी से कड़ी जोड़ते हैं आगे लेकर जाएगा

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  77. शाला में अलग अलग पृष्टभूमि के बच्चे आते हैं उनके पूर्व अनुभव भी अलग होते हैं उनके पूर्व अनुभव के आधार पर ही उनके समूह का निर्माण कर उन्हें खेल खेल में सीखने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके स्तर अनुसार उनकी दक्षताएं पूर्ण करते हैं

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  78. बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है यह बच्चे के सर्वांगं विकास के लिए महत्वपूर्ण है

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  79. हम सभी बच्चो को समान अवसर देते है पर सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते कोई बोलना जल्दी सीखता है कोई लिखना कोई पढ़ना बच्चो की समझ ओर उनकी कार्य क्षमता के अनुसार हमें उन्हें पढ़ाना चाहिए

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  80. सभी विद्यार्थियों को उनके स्तर के अनुसार विभिन्न गतिविधियां और सहायक शिक्षण सामग्री के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है!

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  81. शाला में अलग अलग पृष्टभूमि के बच्चे आते हैं उनके पूर्व अनुभव भी अलग होते हैं उनके पूर्व अनुभव के आधार पर ही उनके समूह का निर्माण कर उन्हें खेल खेल में सीखने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके स्तर अनुसार उनकी दक्षताएं पूर्ण करते हैं Dinesh chouhan

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    1. सभी बच्चों का स्तर पहचानकर ही अपनी कार्ययोजना को क्रमबद्ध तरीके से बनाती हूं।

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  82. प्रत्येक बच्चे के पूर्व ज्ञान एवं उनकी वैयक्तिक भिन्नताओ को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्ययोजना को बनाकर कार्य करता हूं

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  83. ECCE बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अति महत्वपूर्ण प्रक्रिया है I 3 से 6 वर्ष के बीच के बच्चों का शासकीय शाला में प्रवेश होने से उनमे पहले की अपेक्षा ज्यादा विकास होगा I तभी सभी बच्चें समान शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे I

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  84. सभी बच्चो के सीखने की गति अलग अलग होती है,उसी गति से बच्चे सीखते है।हम सभी बच्चो को समान शिक्षा तो देते है पर उसकी सीखने की गति पर ध्यान केंद्रीत नही कर पाते है।बच्चे के सीखने की गति उसके सामाजिक,शारिरीक,पालको की जागरूकता,जैसे बिंदुओ से प्रभावित होती है।

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  85. सभी की सीखने की गाति अलग अलग होती है

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  86. सभी बच्चों की सीखने की गति अलग-अलग होती है लेकिन उनके सीखने के अनुसार ध्यान रखते हुए उन्हें सिखाया जाता है एवं उनके पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य कराया जाता है प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है अतः सभी बच्चों को सिखाने के लिए समान तरीका नहीं अपनाना चाहिए उन्हें विभिन्न त
    रीकों केमाध्यम से सिखाना चाहिए shivvanti Bamne Badadhana

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  87. October 5, 2021 at 8:45PM
    सभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है ! परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है
    गिरबर सिंह लोधी

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  88. मैं बच्चे के पूर्व ज्ञान के आधार पर शिक्षण कार्य करवाता हूं।

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  89. बच्चों की सीखने की गति भिन्न भिन्न होती है। कोई बच्चा तीव्र गति से कोई बच्चा धीमी गति से सीखता है।धीमी गति से सीखने वाले बच्चों के लिए पालकों का सहयोग लेना आवश्यक है, साथ ही शिक्षक को धैर्य के साथ सिखाना चाहिय। कक्षाओं में शिक्षण कार्य समान रूप से कराया जाता है इसमें धीमी गति से सीखने वाले बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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  90. सभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है

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  91. Bachchon ko khel khel me seekhne k avsar dena chahiye kyonki chote bachchon ki ruchi khel me zyada hoti hai.

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  92. We can classify and recognize student-centered learning by our students’ increased opportunity to decide two things: what material they learn and how they learn it. (Some educators refer to this same basic idea as personalized learning.) This learning approach differs from traditional classroom instruction, known as teacher-centered learning, because student-centered learning puts a firm focus on student decision-making as a guiding force in the learning process.

    The shift toward increased student

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  93. बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में हम उन्हें अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं| लेकिन हर बच्चे की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं |तो उन आवश्यकताओं के अनुरूप हम कई बार ढल नहीं पाते हैं| अपने आपको उन आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल नहीं पाते हैं| जिसके कारण बच्चों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं |और हमेशा प्रयास करने की गुंजाइश बनी रहती है |लेकिन इस प्रशिक्षण को लेने के बाद बच्चों की क्या-क्या प्रारंभिक आवश्यकताएं हैं| इनको समझ कर हम उनके साथ कार्य करेंगे| और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे |जैसे बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार, उसके अनुभव के आधार पर ,गतिविधियां देंगे| जिससे वह बड़ी सहजता के साथ उन गतिविधियों में भागीदारी कर सके| बच्चों को अवलोकन करने के, बच्चों को प्रयास करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेंगे |जिससे बच्चे की दक्षता परिपक्व हो सके| और उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण हो सके|
    मैं Naresh Sahu Prathmik Shikshak P/S Rajpalchouk Pipariya Lalu
    Block -Chhindwarw
    District -Chhindwara
    Dise Code-23430109203

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  94. सभी बच्चों के सीखने की गति अलग अलग होती है और सब के स्तर को ध्यान में रखते हुए उनको शिक्षा देने और सिखाने का प्रयास किया जाता है । बच्चों की जाँच हेतु एक निश्चित समय सारणी बनाकर सीखने के अवसर प्रदान किए जाते हैं । हर बच्चे की सीखने की गति अलग अलग होती है बच्चों के सीखने के स्तर की जाँच कर सिखाने का कार्य किया जाता है । शिक्षा केंद्रित पद्धति से बच्चे भय मुक्त वातावरण में सीखते हैं ।

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  95. हम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं। बच्चे भी उसी समान रूप से समझने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी बच्चे का कौशल कम विकसित होता है, वह समझ लेना कुछ ज्यादा समय लेता है ।पालक यदि शिक्षक का साथ दें तो बच्चे जल्द ही समझ पाएंगें।साथ ही केन्द्रीत पद्धतिया बहुत ही लाभदायक होती है पर वह बच्चों की दक्षता के आधार पर गतिविधियां हो तो उन्हें नया सीखने के अवसर मिलेंगे।

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  96. सभी बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें खेलों के माध्यम से गानों के माध्यम से तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं।

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  97. बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में हम उन्हें अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं| लेकिन हर बच्चे की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं |तो उन आवश्यकताओं के अनुरूप हम कई बार ढल नहीं पाते हैं| अपने आपको उन आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल नहीं पाते हैं| जिसके कारण बच्चों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं |और हमेशा प्रयास करने की गुंजाइश बनी रहती है |लेकिन इस प्रशिक्षण को लेने के बाद बच्चों की क्या-क्या प्रारंभिक आवश्यकताएं हैं| इनको समझ कर हम उनके साथ कार्य करेंगे| और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे |जैसे बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार, उसके अनुभव के आधार पर ,गतिविधियां देंगे| बच्चों की जाँच हेतु एक निश्चित समय सारणी बनाकर सीखने के अवसर प्रदान किए जाते हैं । हर बच्चे की सीखने की गति अलग अलग होती है बच्चों के सीखने के स्तर की जाँच कर सिखाने का कार्य किया जाता है । शिक्षा केंद्रित पद्धति से बच्चे भय मुक्त वातावरण में सीखते हैं ।

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  98. Dakshta aadharit sikhsha teachers le liye bohot adhik useful hai
    Jisse bachche ki avsaktaon ko dhyan mein rakhkar padhaya ja sake

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  99. बच्चों को खेल-खेल में सिखाना , व्यवहारिकता के समीप है ।

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  100. खेल खेल में ही बच्चों को शिक्षा ग्रहण करना
    तथा ECCE के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही लाभदायक है

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  101. सभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग अलग होता है हमे इस बात को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाकर बच्चों को पढ़ना चाहिए।

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  102. ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए
    आशा जोशी

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  103. दक्षता आधारित शिक्षा में सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जाती है किन्तु सभी बच्चे उसे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते। यहां आवश्यक यह हो जाता है कि हमें समूह आधारित रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना होगा।
    लेकिन सभी बच्चे अपनी रुचि और गति के साथ सीखते हैं।
    सभी बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें खेलों के माध्यम से गानों, संग्गीत के माध्यम से तथा अन्य गतिविधियों और खेलों के माध्यम से समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं।
    ताकि सभी बच्चों में समान रूप से दक्षताओं का संवर्धन हो सके।
    सादर।
    सुनीत कुमार पांडेय
    हीरापुर कौड़िया
    जिला - कटनी (मप्र)

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  104. प्रारंभिक वर्षों में हम बच्चों को अपना पूर्ण अनुभव देने की कोशिश करते हैं किन्तु सभी बच्चों के सीखने का स्तर और गति अलग-अलग होती है इसलिए उनके स्तर और गति के अनुसार बाल केंद्रित शिक्षा होना चाहिए उन्हें समूह में विभाजित करके सिखाया जा सकता है रुचि अनुसार खेल खेल में व अन्य रचनात्मकरचनात्मक गतिविधियों के द्वारा सिखाया जा सकता है। बच्चों को समान अवसर और समय सारणी अनुसार ही सिखाया जाता है शिक्षार्थी केंद्रित पढ़ाई से अनेक लाभ है इसमें सभी बच्चों को पर्याप्त अवसर उनकी रुचि गति और स्तर के अनुसार सिखाया जा सकता है

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  105. प्रारंभिक वर्षो में शिक्षा हेतु आवश्यक है कि बच्चो को समान रूप से शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए जो सही भी है लेकिन बच्चो की शिक्षण सहभागिता को भी नजरअंदाज नही किया जाना चाहिये। उनका पूर्व ज्ञान व उनके घर का परिवेश तथा बच्चे का मानसिक विकास व् उनके सीखने की क्षमता को देखते हुये शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए ताकि वे भाषा ज्ञान व संख्या ज्ञान की समझ सकते हैं।उनके समझ का स्तर क्या है उनके पारिवारिक स्थिति भौतिक संसाधनों की जानकारी प्राप्त कर ही उनके अनुसार गतिविधियों का चयन कर शिक्षण कार्य किया जा सकता हैं और लक्ष्य को पाया जा सकता हैं।

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  106. Sabhi baccho ke sikhne ki gati alag alag hoti hai. Teacher ka yeh dayitva hai ki woh her bacche ko uski sikhne ki gati ke anusar sikhte.

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  107. समावेशी शिक्षण सभी शिक्षकों का कर्त्तव्य है, इसमें बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम सब उनका सामना करेंगे

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  108. UnknownOctober 1, 2021 at 8:38 AM

    हम सभी बालकों को समान रूप से शिक्षा देने का प्रयास कर रहे है किन्तु बाधा यह आ रही हैं कि अभिभावकों का अपने बालकों के प्रति सजग न रहना।

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  109. समावेशी शिक्षा में पालकों का सहयोग से बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे।

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  110. garmin ke bachho ko aasan bhasha me samjana saral hai kintu sshatniya bhasha me hi shikhaya jana jayda saral hai

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  111. समावेशी शिक्षा में पलको के सहयोग से
    बहुत अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे ।

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  112. दक्षता आधारित शिक्षण में बच्चे के सीखने के अनुरूप ही सिखाने का प्रयास करना चाहिए।सभी बच्चो को पढना लिखना समझना व अपने समझ के अनुसार उसे प्रस्तुत करना संख्या का पूर्ण ज्ञान व जोड घटाना,और गुणा ,भाग का ज्ञान प्राप्त करना ही इस मिशन का उद्देश्य है।

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  113. वंदना मोहनिया
    प्राथमिक विद्यालय नरसिहदेवला

    प्रारंभिक शिक्षा विधार्थियो के जीवन में नींव की भाती कार्य करती हैं इसलिए बच्चों के शिक्षा स्तर का ध्यान रखते हुए उनकी समझ के स्तर में वृद्धि पर ध्यान देना चाहिए ।।

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  114. Bacchon ki neav majboot karne ke liye hi prarambhik shiksha pr jor diya jana jruri hai. Bacchon ke star ko dhyan me rk kar hi pdana chahiye.

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  115. वर्तमान में लगभग डेढ़ वर्ष से बच्चों से सिधे सम्पर्क ना हो पाने के कारण बच्चों के पुर्व ज्ञान में बहुत कमी आ चुकी है लेकिन हमें बच्चों के स्तर को पुनः सुधारकर ,उनका सही मार्ग दर्शन करना होगा।

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  116. समावेशीशिक्षामे पालको के सहयोग से बहुत अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे सत्यनारायण गुप्ता स शि एकीकृत शा मा वि पाडलिया मारू मन्दसोर मध्य प्रदेश

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  117. मैं हर बच्चे के पूर्व ज्ञान के आधार पर अपनी कार्य प्रणाली बनाती हूं जिससे कि सभी बच्चे दक्षताओ को सीख सकें

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  118. प्रशिक्षण से यह जाना इस सभी बच्चों में समझ के साथ पढ़ना या लिखना चाहिए केवल शिक्षक द्वारा पढा दें लेकिन बच्चे ना समझें तो इस तरह की पढ़ाई बच्चों के हित में कम आ पाती है

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  119. प्रारंभिक शिक्षा स्तर को ध्यान में रखकर और बच्चों के वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखकर अगली रणनीति बनाई जानी चाहिए। जिससे बच्चो को अच्छे से समझाया जा सके।

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  120. बच्चों को दक्षता आधारित शिक्षण कराया जाना उचित होगा

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  121. सभी बच्चों का स्तर समान नही होता, अतः बच्चों का स्तर व उनके सीखने की गति को ध्यान मे रखकर ही अध्यापन कार्य पूर्ण करना चाहिए।इसमे समय की बाध्यता नहीं होनी चाहिए।

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  122. बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा बच्चों की शिक्षा के लिए उसकी नी व होती है, साला में आने वाले प्रत्येक बच्चे का स्तर अलग-अलग होता है अतः बच्चों को इस तरह उनके स्तर के अनुसार ही, दक्षता आधारित शिक्षा प्रदान करना चाहिए ताकि बच्चे समझ के साथ पढ़ सके तथा गणित की चारों संक्रियाएं जोड़ घटाव गुणा भाग भलीभांति सीख सकें अतः बच्चों को दक्षता आधारित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए

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  123. Bacchon ki samaz k sthar ko pehchankr karya yojna banani chahiye jisse bacche achi trh se sikh saje

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  124. बच्चे के स्तर पहचान कर उन्हें दक्ष करने हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है

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  125. सभी बच्चों का स्तर समान नहीं होता अतः बच्चों को दक्षता आधारित शिक्षण कराया जाना उचित होगा

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  126. प्रत्येक बच्चो को उनके स्तर के अनुसार समझाने का प्रयास करना जिससे छात्र बहुत कम समय मे मानसिक एव बौद्धिक विकास कर पाता है।

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  127. Sabhi bachchon ka star saman nahi hota ath bachchon ko dakshata adharit shikshan karaya jana uchit hoga

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  128. Ham shikshakon ko dakshta adharit seekhane ke koshalon par dhyan dena hai

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  129. हर बच्चे कि सिखने कि क्षमता अलग अलग होती है अगर हम सभी बच्चों को एक ही तरह से सीखाते है तो कुछ बच्चे पीछड सकते हैं इसलिए हमें बच्चों कि क्षमता के अनुरूप कार्य योजना बनानी चाहिए

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  130. सभी बच्चो सरवांगीन विकास व पढ़ने लिखने की समझ विकसित कर स्थायी ज्ञान देश इसका मुख्य लक्षय है।

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  131. शुरुआती दौर में समान शिक्षण और निश्चित परीक्षण सारणी रही,परंतु समय समय पर शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न नवीन तरीके प्रयोग में लाए जाने से और शिक्षा के क्षेत्र में अभी
    अभिनव प्रयोगों के द्वारा मिले कई प्रशिक्षणों के दौरान मैंने यही अनुभव किया कि सीखने में विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षण योजना बनाने से और शिक्षण कार्य करने से ,यथा - गतिविधियों ,खेल माध्यम आदि से कार्य करने से बच्चों के उपलब्धि स्तर में मनोवांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है।
    शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से शिक्षण कार्य उत्तम रहेगा।इसमें सफलता की असीम उम्मीदें हैं।
    बस कक्षा में शिक्षक ,शिक्षार्थी का अनुपात सही होना चाहिए क्योंकि एक बड़े समूह में अध्यापन अर्थात 50 से अधिक बच्चो के समूह का अध्यापन कार्य कभी कभी थोड़ा कठिन हो जाता है। बाल केंद्रित शिक्षण में प्रयोग के लिए यही एक सीमा के अंतर्गत कठिनाई मेरा अपना अनुभव है।

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  132. बच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षा योजना का निर्धारण करती हूं

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  133. बच्चों के स्तरों की जाँच हेतु एक निश्चित परीक्षण सारिणी है।हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है।बच्चों के शैक्षणिक स्तर की जाँच कर, स्तर को ध्यान मे रखकर शैक्षणिक कार्य किया जाता हैं।शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चे भयमुक्त वातावरण मे सीखते है गतिविधियाँ ,कहानियाँ , खेल गतिविधियाँ,पहेली बूझना, कहानी बनाना ।इन माध्यमों से बच्चों के दक्षता कौशल बढ़ाऐ जाते है

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  134. शा. प्रा. वि. जतौली - - - - - - - - - - बच्चों की सीखने की विविधता को ध्यान में रखते हुए,शिक्षण योजना बनाने सेऔर शिक्षण कार्य में यथा - गतिविधियों, खेल, कहानी आदि के माध्यम से बच्चों के उपलब्धि स्तर मे मनोवांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है

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  135. प्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को जचते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए।

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  136. बच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षा योजना का निर्धारण करती हू और बच्चो को हर आयामों के माध्यम से सभी बच्चो को समान रूप से निर्धारण करती हू

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  137. बच्चे भिन्न भिन्न परिस्थितियों से विद्यालय पहुंचे हैं उनके पूर्व ज्ञान में भी अन्तर होता है। उनके पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करने में समस्त बच्चों का विकास सम्भव है।

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  138. बच्चों के पूर्व ज्ञान के आधार पर समूहा त्मक रूपसे उनकी दक्षता के आधार पर स्वयं सीखने में अवसर प्रदान करना चाहिए ,जो दैनिक जीवन मे प्रयोग करसकें।बुनियादी साक्षरता ,संख्या ज्ञान का उनमे समझ आएं ,जिससे समझ कर पढ़ लिख कर अपनेविचार व्यक्त कर सकें।लखनलाल पटेल, शिक्षक शा उत्कृष्ट माध्यमिक विद्यालय भैंसवाही विजयराघवगढ़ कटनी मध्यप्रदेश पिन 483501

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  139. प्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को परखते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए। शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से बच्चों में जल्दी से शिक्षा गृहण करने का संचार उत्पन्न होता हैं। और इससे बच्चों को सीखने में मदद मिलेगी।

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  140. मैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूंप्रत्येक बच्चों के पूर्व ज्ञान को जचते हुए, उन्हें आगामी शिक्षा प्राप्त करने की ललक पैदा करके, उन्हें सभी आयामों के माध्यम से, उनमें सभी बच्चों जैसा ज्ञान अर्जित कराने के पश्चात, समान शिक्षा देना चाहिए।

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  141. सभी बच्चों को समान शिक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है और यह उनका अधिकार भी है किंतु सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है कुछ बच्चे आसानी से सीख जाते हैं और कुछ बच्चे सीखने में समय लेतें हैं। हमें ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है ।

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  142. Sabhi bacchon ko dakshita aadharit Shiksha Daya aur aur prathmik Shiksha mein baccha Khel Khel mein sikhana adhik pasand karta hai isliye dakshata aadharit Shiksha ki or badhane ke liye hamen bacchon ki prarambhik Shiksha par Dena chahie

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  143. सीखने के अवसरों में समानता से ,सीखने की गति व अन्य समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए भी,बच्चों में सीखने के परिणामों के लक्ष्य को अधिकतम रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

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  144. सभी शिक्षक बच्चों को समान रूप से शिक्षा देना चाहते हैं। परंतु प्रत्येक बच्चा का स्तर अलग होता है बच्चों के स्तर को पहचान कर हमें उनको शिक्षा देनी चाहिए

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  145. बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक अध्यापक होता है वह उन्हें अच्छी तरह समझता है

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  146. मेरे विचार से प्रत्येक बच्चे में सीखने की योग्यता होती है बस उसके पूर्व ज्ञान को पहचान कर नवीन अनुभव प्रदान किया जाए।

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  147. शिक्षक सभी बच्चों को समान रूप से पढाते है किंतु सभी बच्चों का स्तर समान नहीं होता अतः हमें बच्चों के स्तर को ध्यान में रखते हुए पढाना चाहिए

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  148. Ombati Raghuwanshi. सभी बच्चों की मानसिकता और सीखने की गति अलग -अलग होती है और दक्षता आधारित शिक्षण को बच्चों की गति और आवश्यकता के अनुसार देना चाहिए

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  149. प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारिणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/ सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
    इस प्रश्न के संदर्भ में मेरी समझ इस प्रकार है_
    बच्चों को अभी तक हमने पढ़ाया तब हमने यह अनुभव किया कि सभी बच्चे एक समय में एक साथ नहीं सीख पाते हैं क्योंकि हमारे बच्चे विभिन्न परिस्थितियों एवं विविध भाषाओं,आयु स्तरों व अन्य विषमताओं को परिभाषित करते हैं इसलिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति से सभी बच्चों को उनके सीखने की गति के अनुसार उन्हें समय देते हुए अपने प्रयास जारी रखें तो बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
    किंतु वर्तमान में समान शिक्षण पद्धति को अपनाया जा रहा है तथा परीक्षण सारणी भी समान है परंतु इस तरह शिक्षण कार्य करने से एक समस्या यही है कि सभी बच्चे अलग-अलग शैली से सीखते हैं अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं और कुछ बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं कुछ गतिविधि करके सीखते हैं कुछ जल्दी सीख जाते हैं कुछ धीरे सीखते हैं तो उनके लिए एक ही तरह की शिक्षण प्रणाली अपनाया जाना गलत है। इससे उनके सीखने की क्षमता में कमी आती है क्योंकि कक्षा के समस्त बच्चों के लिये एक समान शिक्षण पद्धति और जांच के लिए समान समय सारणी उपयुक्त नही है । प्रत्येक बच्चे की समझ या क्षमता भिन्न भिन्न होती है इसलिये शिक्षण और परिक्षण में भी अंतर होना चाहिए ।
    शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों की बुद्धिलब्धि के आधार पर निर्बाध रूप से सिखाया जा सकता है जिससे बच्चा जल्दी सीख पाता है।
    मैं- शफीक मोहम्मद काजी (Ba5323), शासकीय प्राथमिक विद्यालय- बड़िया का खेड़ा यूइजीएस, संकुल केंद्र- शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल सुसनेर, विकासखंड-
    सुसनेर, जिला- आगर मालवा (मध्य प्रदेश)

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  150. ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है। बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा
    ही शिक्षा की नींव है। जब नींव मजबूत होगी तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए।

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  151. नमस्कार में रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं

    ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है। बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा
    ही शिक्षा की नींव है। जब नींव मजबूत होगी तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए।

    धन्यवाद

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  152. मैं संजीव श्रीवास सहायक शिक्षक प्राथमिक शाला मलारा से मेरे विचार से सभी शिक्षक अपनी शाला के सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन बच्चों की शाला में अनियमितता के कारण उनके सीखने की प्रक्रिया में अंतर आ जाता है । प्राथमिक शिक्षा जीवन रूपी महल की नींव होती है अतः यह मजबूत होना ही चाहिए , मेरा सरकार से करबद्ध निवेदन है शाला में बच्चों की दर्ज संख्या को आधार ना मानकर बल्कि कक्षा के हिसाब से प्रति शिक्षक एक शिक्षक होना चाहिए । जिससे शिक्षक बच्चों को कक्षा एक से पांचवीं तक स्वंय लेकर जाएं और संपूर्ण दक्षता का जिम्मेदार वह स्वंय हो ।

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  153. शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा के अनेक लाभ हैं जिससे छात्र छात्रा को उनके सीखने के स्तर से ही सिखाया जाता है उनकी रूचि आदि का ध्यान रखा जाता है और वह किस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देते हैं उस पर बल दिया जाता है जिससे छात्र की शिक्षा में व संपूर्ण विकास हो

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  154. छात्रो के पूर्व ज्ञान को पहचान कर नवीन ज्ञान को विकसित किया जावे।

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  155. ईसीसीई यह व्यवस्था लागू होने से हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदल जाएगा यह हमारे शिक्षा व्यवस्था के लिए एक वरदान साबित होगा यदि यह व्यवस्था लागू हो जाए तो बच्चे स्वतंत्र रूप से सीखेंगे और उनका झुकाव पढ़ाई की ओर अग्रसर होगा । धन्यवाद । मैं प्राथमिक शिक्षक चम्पकलता धुर्वे प्राथमिक शाला किकरझर ।

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  156. Bacchon ko saman prashikshan pradan Kiya jata hai Lekin bacche apni apni samaj ke hisab se sikhate Hain kuchh bacche jaldi Sikh jaate Hain to kuchh samay lekar sakte hain

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  157. विद्यार्थियों के शिक्षण का स्तर अलग अलग होता है अतः कुछ विद्यार्थी तो जल्दी सीख जाते हैं, पर कुछ विद्यार्थियों को समय लगता है और उनके सीखने का तरीका भी भिन्न होता है शिक्षार्थी आधारित शिक्षा पद्धति में हम विद्यार्थी को उसके स्तर के अनुसार परख कर अपनी शैक्षणिक गतिविधियों में परिवर्तन कर सकते हैं एवं उन्हें बेहतर सिखा सकते हैं। इस पद्धति में हमें लाभ के साथ हनिया भी है क्योंकि सभी विद्यार्थियों का स्तर एक सा नहीं होता इसलिए कुछ विद्यार्थी जल्दी सीख कर आगे निकल जाते हैं और कुछ विद्यार्थी पीछे रह जाते हैं जो विद्यार्थी पीछे रह जाते हैं उनमें हीन भावना पनपने लगती है और वह अपने आप को उन विद्यार्थियों की अपेक्षा अपेक्षित महसूस करने लगते हैं और हमारे शिक्षण में सक्रिय रुप से भाग नहीं लेते हैं अतः हमको इस बात का ध्यान रखना है की सभी बच्चे एक समान विभिन्न गतिविधियों के द्वारा एक साथ सीखें और एक साथ विकास कर सकें। धन्यवाद,
    महावीर प्रसाद शर्मा
    प्राथमिक शिक्षक
    शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिंदौरा
    विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश

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  158. Baccho k istar k hisab se praarambhik shikha ki yojana banana chahiye aur din pratidin ki gatividhi se un yojanao ko jodna chahiye

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  159. सभी बच्चों को समान शिक्षा देने के साथ-साथ कमजोर व पिछड़े हुए बच्चों पर भी ध्यान देना चाहिए।

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  160. वाकई छोटे बच्चे के सीखने के लिए खुला आकाश होना चाहिए। बच्चों को आनंदमयी, भयमुक्त, रोचक, आकर्षक एवं स्वतन्त्र रूप से सीखने के अवसर प्राप्त हो।

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  161. शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति से बच्चे के सीखने की आवश्यकता का पता लगा कर उसे उपचारात्मक शिक्षण दिया जाता है जबकि सामान्य शिक्षा पद्धति में ऐसा नहीं होता बाल केंद्र शिक्षा पद्धति में सामान्य शिक्षण पद्धति की अपेक्षा समय एवं शक्ति अधिक खर्च होती है किंतु फिर भी शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति ज्यादा लाभदायक है

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  162. This comment has been removed by the author.

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    1. बच्चो के स्तर के हिसाब से प्रारंभिक शिक्षा की योजना बनाना चाहिए। और दिन प्रतिदिन की गति से उन योजनाओं को जोड़ना चाहिए।

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  163. ECCE पूरी तरह सेपूर्ण विकास में सहायक है। नीव की शुरुआत ही शिक्षा की नीव है। जब बेहतरीन गुणवत्ता होगी तो बच्चो का सर्वांगीण विकास होगा।

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  164. Koshish karte h hamara sikhane ka tarika itna saral va rochak ho jis se sabhi chatra use sikhne mein ruchi le. Taki be jyada se jyada seekh sake

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  165. हम जानते है कि हर एक बच्चा अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से होता है सबका सीखने समझने का स्तर,आवश्यकताएं और पूर्व ज्ञान भी अलग-अलग होता हैं इन सभी स्थितियों से तालमेल बैठाकर,उनको आवश्यक दक्षताएं प्रदान करने के लिए TLM या खेलों की सहायता से या अन्य कई विधियों से सभी को समान रूप से कक्षानुसार दक्ष बनाना है जिसमे कमजोर बच्चों को विशेष सहयोग शामिल है

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  166. ईसीसीई बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! सतत रूप से किया गया कार्य हमेशा से ही लाभदायक सिद्ध होता हैं । क्योंकि यह कार्य एक योजना बध्द तरीके से किया जाएगा ।

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  167. दक्षता आधारित शिक्षा में हम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा देने का प्रयास करते हैं lक किन्तु सभी बच्चे समान रूप से ग्रहण नहीं कर पाते हैं lअत:हमें बेसलाइन टेस्ट के आधार पर समूह निर्धारण कर यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए और रचनात्मक गतिविधियों द्वारा सभी बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करते हैं l

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  168. दक्षता आधारित शिक्षण के तहत एक टाइम टेबिल निर्धारित करके शिक्षण कार्य किया जाता है। सबको समान अवसर प्रदान किया जाता है।
    समान रूप से सतत मूल्यांकन किया जाता है।
    कमजोर बच्चों को निदानात्मक कक्षाओं में तैयारी करायी जाती है।

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  169. हम जानते है कि हर एक बच्चा अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से होता है सबका सीखने समझने का स्तर भी भिन्न होता है एवम् आवश्यकताएं और पूर्व ज्ञान भी अलग-अलग होता हैं इन सभी स्थितियों से तालमेल बैठाते हुए हमे उनको आवश्यक दक्षताएं प्रदान करने के लिए TLM या खेलों की सहायता से या अन्य कई विधियों से सभी बच्चों को समान दक्षता प्रदान की जा सकती है जिसमे कमजोर बच्चों को विशेष सहयोग शामिल है

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  170. ecce bachcho ke vikas ki neev hai

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  171. Sanjeev Kumar Tiwari
    Baccho ke purb Gyan Ko adhar Maan kar hi sikshin Ko PRATHMIKTHA se sikshin karate Hain

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  172. Sabhi bachho ko unk sikhane k star k anusaar hi sikhaya jata hai gatividhiyon k dawara khel khel me bachho ko ruchipurn shiksha dena hi huamara karya hai jisasae bachhe utsah kasath pade aur shikhe

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  173. अभिभावक अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है

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  174. अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है

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  175. Har bacche ke purv Gyan or sikhane ke star ko Dhyan mein rakhkar hi s.gatividhiyan hona chahie

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  176. रत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केन्द्र तेवर जबलपुर ग्रामीण

    प्रारंभिक वर्षों में विद्यार्थियों को एक समान शिक्षा देना उचित नहीं है। हमारे पास विशेष आवश्यकता , विभिन्न परिवेश और विभिन्न परिस्थिति से विद्यार्थी आते हैं । अतः विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता के अनुसार शिक्षण किया जाना उचित होगा। शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में शिक्षक सुविधादाता की भूमिका का निर्वाहन करता है । विद्यार्थियों को स्वयं करके सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह उपयोगी शिक्षण पद्धति है ।

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  177. मेरे द्वारा रचनात्मक तरीके से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।

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  178. hamare dwara sabhi chhatron ko saman roop se Shiksha pradan ki ja rahi hai.. parantu hamare samne hi pareshani a rahi hai ki ab babat Apne bacchon ki Shiksha ke prati sajag nahin hai

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  179. सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा दी जाती है पर सबका स्तर समान नही होने के कारण प्रमुख उद्देश्यों की प्राप्ति नही हो पाती

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  180. बच्चों को उनकी योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान करना

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  181. सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा दी जाती है। बच्चों के स्तर की जांच हेतु परीक्षण करके उन्हें सीखने के स्तरों के अनुसार सिखाया जाता है।

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  182. बुनियादी शिक्षा ही आधार है

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  183. खेल खेल में शिक्षा

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  184. सभी बच्चों को समान शिक्षा देना शिक्षा का अधिकार है । परंतु कुछ बच्चे धीरे-धीरे और कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं हमें कमजोर बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही जो जल्दी सीख रहे हैं उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करना है ।

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  185. सभी बच्चों की शिक्षा के लिए उनके परिवेश उनकी आवश्यकता तथा उनके सीखने का स्तर समझ कर शिक्षण कार्य करना मेरे लिए बहुत ही बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है कार्य है पर फिर भी मैं कोशिश करता हूं कि प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले और वह है अच्छे से हर अवधारणा को सीख सकें

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  186. sabhi bachcho ko saman shiksha dena ek shikshak ka adhikaar bhi hai aur kartawya bhi .lekin kuchh bachche jaldi seekhate hai aur kuchh dheere dheere aur shikshak ko unahi kamjor bachcho per adhik dhayan dene ki aawashyakata hoti hai lekin kai bar shikshak wah nahi kar pata jo jo vastav me karna chahata hai .

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