कोर्स 3 - गतिविधि 3 - अपने विचार साझा करें
क्या आप यह मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके
सीखने का तरीका भी अलग होता है? यदि हाँ, तो आप कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को कैसे
पूरा करेंगे? अपने विचार साझा करें।
क्या आप यह मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके
सीखने का तरीका भी अलग होता है? यदि हाँ, तो आप कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को कैसे
पूरा करेंगे? अपने विचार साझा करें।
हां सही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।शशि सोनी ps sahibkhedi ujjain
ReplyDeleteसही बात है
DeleteHa yah sahi he ki her bachche ka sikhane ka level alag hota koi bachcha bahut jaldi sikh jata he to koi bachcha thoda dhire but khel ke madhyam se bachche her chij jaldi sikhate he
Deleteहां सही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।
ReplyDeletePankaj Kumawat easy piploda sagoti mata
हाँ हर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जाता है परंतु खेल खेल में सभीको आसानी से सिखाया जा सकता ह
Deleteहां सही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।
ReplyDeletePankaj Kumawat egs school piploda sagoti mata
हां हम मानते हैं कि प्रत्येक बच्चे को सीखने के अलग अलग तरीका अपनाना पड़ता है और उनके लिए उनके परिवेश के अनुसार उनकी आवश्यकता पूरी करना, बार बार बोर्ड पर लिखे वर्ण या शब्द को पहचानना, पढ़ना, बोलना, उनकी भाषा में बात करना आदि इसके लिए कुछ और नवाचार ka प्रयोग करना उससे ज्यादा से ज्यादा अपने से जोड़कर रखना अगर बच्चा खेल से सीखता है , कविता से सीखता है गतिविधि से सीखता है इस प्रकार से बच्चों की आवश्यकता पूरी करनी चाहिए
ReplyDeleteहा
ReplyDeleteबच्चों को खेल के माध्यम से सिखाया जाना सही होगा ।
बच्चो को पढाई के साथ साथ खेल खेल मे सिखाना भी फायदेमंद है
Deleteकमलेश कुशवाहा
ReplyDeleteशासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा संकुल केंद्र द्वारी विकासखंड गुनौर जिला पन्ना मध्य प्रदेश
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए. Jalal Mohammad Ansari
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहि
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए. Jalal
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को पहचान कर, उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को समझकर उसके स्तर पर जाकर सिखाएँगे।
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान।। कन्या आश्रम शाला तलाशनी। प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए उंगली से वर्णों की आकृति को उकेरना उसके बाद कोपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से समझ सके तथा बच्चों को खेल के माध्यम से भी सिखाया जा सकता है।।
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती है क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश से अलग अलग रहता है क्योंकि प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए उंगली से वर्णों की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से समझ सके तथा बच्चों को खेल के माध्यम से भी सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteहाँ हर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जाता है परंतु खेल खेल में सभीको आसानी से सिखाया जा सकता है
Deleteहाँ हर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जाता है परंतु खेल खेल में सभीको आसानी से सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteHa pratye bachcha alag hota hai ve alag alag tarike se sikhate .isliye hum unki pariwarik prashthbhumi ko samjh kar aur bachcho ke sikhane ke star ko dhyan me rakhate hue aisi kary yojna banaenge jisse sabhi bachche sikh sake.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteदिलीप कुमार शर्मा शा.प्रा.वि.मोहनपुरा का पुरा जन शिक्षा केंद्र शा.उ. मा. वि.करनवास वि.ख.राजगढ़ (म.प्र.)
ReplyDeleteहांँ सही है प्रत्येक बच्चा अलग है |और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है| क्योंकि सभी बच्चों का अलग-अलग स्वभाव होता है| बुद्धि का स्तर भी अलग -अलग होता है| कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं| कुछ बच्चों को सीखने में अधिक समय लगता है| हर बच्चा अलग-अलग क्षमता का होता है| और उन्हें अलग तरह से सिखाया जाता है| हम कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को उनके परिवेश के अनुसार उनकी आवश्यकता पूरी करना बार-बार बोर्ड पर लिखे वर्ण या शब्दों को पहचानना ,पढ़ना ,बोलना, उनकी भाषा में बात करना इसके लिए कुछ और नवाचार का प्रयोग करना उससे बच्चा खेल-खेल में सीखता है | कविता से सीखता है गतिविधियों से सीखता है| तो इस प्रकार से बच्चों की आवश्यकता को पूरी करनी चाहिए |परंतु खेल -खेल में सभी बच्चों को आसानी से सिखाया जा सकता है |
Date 17-11-2021
Time 9:28 PM
प्रत्येक बच्चे को सीखने के अलग अलग तरीका अपनाना पड़ता है
ReplyDeleteहां, क्योंकि प्रत्येक बच्चा अलग है उसकी आवश्यकताएं उसके सीखने का स्तर अलग अलग होता है। बच्चों का परिवेश सामाजिक स्थिति व मानसिक स्थिति भी अलग होती है।कक्षा में ऐसे बच्चों को पहचान कर उसी अनुरूप सिखाना होता है बच्चों को सिखाने के लिए कहानी, कविता और टी एल एम का उपयोग किया जाता है। बच्चा जिस गतिविधि में रुचि ले रहा है उसी अनुसार उसको सिखाने तथा उसकी आवश्यकता व स्तर का ध्यान रखकर सिखाया जा सकेगा। कुछ बच्चे दृश्य श्रव्य सामग्री की और आकर्षित होते हैं तो ऐसे बच्चों को इन माध्यमों से सिखा कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। खेल खेल में शिक्षण कार्य से सभी बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं तथापि बच्चों के स्तर अनुसार विभिन्न माध्यमों से सिखाना हमारा उद्देश्य लक्ष्य होता है।
ReplyDeleteधन्यवाद।
हां यह सही बात है कि कक्षा में हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है कोई बच्चा पुस्तक के माध्यम से सीख लेता है तो किसी बच्चों को गतिविधि के माध्यम से सिखाना पड़ता है और कक्षा में हम अलग-अलग विषय को सिखाने के लिए अलग-अलग गतिविधियों का उपयोग करते हैं और बच्चा सीख जाता है हर बच्चे की लर्निंग कैपेसिटी अलग-अलग होती है किसी बच्चे को एक ही बार में समझ आ जाता है तो किसी बच्चे को बार बार समझा कर छोटे बच्चों को अभ्यास की जरूरत होती है और अभ्यास हम गतिविधियों के माध्यम से कक्षा में खेल के मैदान पर कहीं पर भी करवा सकते हैं
ReplyDeleteकल्याण सिंह कौरव प्राथमिक शिक्षक
ReplyDeleteशासकीय प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 2 दबोह भिंड
कक्षा में बच्चे भिन्न क्षमताओं के होते हैं। हमें सीखने सिखाने की प्रक्रिया में सुगम कर्ता के रूप में उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप सहायक सामग्री के साथ नवाचार कर यात्रा को आगे बढ़ाना है।
धन्यवाद
श्रीमती अलका बैस शासकीय प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिंदवाड़ा
ReplyDeleteहां प्रत्येक बच्चे की बौद्धिक क्षमता और मानसिक विकास के अनुसार उसकी सीखने और समझने की क्षमता और गति अलग अलग होती है।
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार ही शिक्षक को उसे सीखना चाहिए।
कुछ बच्चे दृश्य श्रव्य सामग्री की और आकर्षित होते हैं तो ऐसे बच्चों को इन माध्यमों से सिखा कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। खेल खेल में शिक्षण कार्य से सभी बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं तथापि बच्चों के स्तर अनुसार विभिन्न माध्यमों से सिखाना हमारा उद्देश्य लक्ष्य होता है।
कक्षा में प्रत्येक बच्चे की क्षमता में भिन्नता होती है शिक्षक को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में आसानी हेतु सहायक शिक्षण सामग्री के साथ नवाचार कर शैक्षणिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें ताकि सभी विद्यार्थियों को एक साथ सीखने के अवसर मिलेंगे
ReplyDeleteहम मानते हैं कि प्रत्येक बच्चे को सीखने के अलग अलग तरीका अपनाना पड़ता है और उनके लिए उनके परिवेश के अनुसार उनकी आवश्यकता पूरी करना, बार बार बोर्ड पर लिखे वर्ण या शब्द को पहचानना, पढ़ना, बोलना, उनकी भाषा में बात करना आदि इसके लिए कुछ और नवाचार ka प्रयोग करना उससे ज्यादा से ज्यादा अपने से जोड़कर रखना अगर बच्चा खेल से सीखता है , कविता से सीखता है गतिविधि से सीखता है इस प्रकार से बच्चों की आवश्यकता पूरी करनी चाहि
ReplyDeleteअचछा
ReplyDeleteबच्चों से भवनात्मक रूप से जुड़कर , उनके मनोभावों को समझकर हम उसे सीखना सिखाने की दक्षता का विकास कर सकते हैं।
Deleteहां सही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके
ReplyDeleteयह बात बिल्कुल सही है कि हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती हैं तथा उनकी आवश्यकताएं भी अलग-अलग होती हैं| मैं उन बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से कार्य करवा कर पहले उनकी आवश्यकताओं को जानने का प्रयास करूंगा| फिर उनकी आवश्यकताओं के अनुसार खेल- खेल में गतिविधि आधारित शिक्षण कराऊंगा |बच्चों को ऐसी गतिविधियां कराऊंगा जिसमें वह ज्यादा सक्रिय रहें |तथा उन गतिविधियों में वह मन लगाकर अभ्यास करें | इस प्रकार में हर बच्चे की जरूरतों को पूरा करूंगा|
ReplyDeleteमैं- रघुवीर गुप्ता, शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहस राम, विकासखंड -विजयपुर जिला- श्योपुर(मध्य प्रदेश)
Khel-khel me sabhi bachcho ko sikhaya ja sakta hai.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए, ताकि उनका समग्र विकास हो सके।
ReplyDeleteहाँ प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग -अलग होती हैं।बच्चों को उनकी सीखने की क्षमता के आधार पर अलग-अलग तरीका अपनाकर सिखाया जाता हैं।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे के सीखने का तरीका अलग होता है।
ReplyDeleteचूंकि स्कूल में आने वाले हर बच्चे का परिवेश भिन्न भिन्न प्रकार का होता है और उनका मानसिक स्तर भी अलग अलग होता है इसलिए सिखाने का तरीका भी कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे हर बच्चे को कुछ नया सीखने को मिले जैसे पहली गतिविधि बछो के परिवेश पर आधारित हो जिससे सभी बच्चे एक दूसरे के परिवेश से परिचित हो जाये जिससे बच्चों में एक दूसरे के बारे में जानने की जिज्ञासा होगी और इन गतिविधियों के माध्यम से ग्रुप में रहना ,मिलजुल कर कार्य करना आदि का विकास होता है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती है क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश से अलग अलग रहता है क्योंकि प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए उंगली से वर्णों की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से समझ सके तथा बच्चों को खेल के माध्यम से भी सिखाया जा सकता है|परिवेश से परिचित हो जाये जिससे बच्चों में एक दूसरे के बारे में जानने की जिज्ञासा होगी और इन गतिविधियों के माध्यम से ग्रुप में रहना ,मिलजुल कर कार्य करना आदि का विकास होता है।
ReplyDeleteHa pratyek bachhe sochane aur samajhane ki alag alag chhamta aur yogyata hoti hai alag alag parivesh hota hai atah bachhe yogyata aur chhamata ko pahchan kar usake keval me jakar khel aur gatividhi ko shamil karake dikhane ke adhigam ko rochak banaya ja sakta hai
ReplyDeleteKhel khel me sabhi bachcho ko sikhaya ja sakta hai.
ReplyDeleteजी हां हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है।कुछ बच्चे बोर्ड पर पढ़ कर ही समझ लेते हैं जबकि कुछ कई बार लिख-लिख कर भी समझ नही पाते। अतः बच्चों की क्षमतानुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteश्री मति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा ( म. प्र.)
Haar baccha alag hota hai aur uska sikhna ki chamta bhi alag hoti hai toh baccho ko unka sikhna kicki ka anusar hi padha chaiya jise vo accha sa padh saka
ReplyDeleteहाँ, प्रत्येक बच्चा अलग होता है और उसके सीखने के तरीके भी भिन्न होते है। प्रत्येक बच्चे की सीखने की आवश्यकतानुसार कार्य योजना बनाकर बच्चे को सिखाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि योजना बालकेन्द्रित हो ।
ReplyDeleteसभी बच्चों के सीखने के तरीके अलग -अलग होते है ।सीखने के तरीके जैसे :-अनुभव से,पढ़कर,चीजें बनाकर अर्थात सृजन कर,पुनरावृत्ती कर, अभ्यास से, प्रयोग द्वारा, पूछकर, सुनकर चिन्तन कर आदि। इसके अतिरिक्त समूह मे, एक-दूसरे के सहयोग के साथ मिलकर ,परस्पर संवाद कर, विभिन्न प्रकार की वस्तुओं या सामग्री के साथ खेल कर तथा बड़ों के साथ संवाद कर भी सीखा जा सकता है ।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का सीखने का तरीका अलग अलग होता है प्रत्येक बच्चे की अपनी-अपनी क्षमता होती हैं शिक्षक भले ही एक ही प्रकार से सभी बच्चों को बताएं बच्चे अपनी अपनी क्षमताओं के अनुसार अलग-अलग रूप में सीखते हैं
ReplyDeleteहां, क्योंकि प्रत्येक बच्चा अलग है उसकी आवश्यकताएं उसके सीखने का स्तर अलग अलग होता है। बच्चों का परिवेश सामाजिक स्थिति व मानसिक स्थिति भी अलग होती है।कक्षा में ऐसे बच्चों को पहचान कर उसी अनुरूप सिखाना होता है बच्चों को सिखाने के लिए कहानी, कविता और टी एल एम का उपयोग किया जाता है। बच्चा जिस गतिविधि में रुचि ले रहा है उसी अनुसार उसको सिखाने तथा उसकी आवश्यकता व स्तर का ध्यान रखकर सिखाया जा सकेगा। कुछ बच्चे दृश्य श्रव्य सामग्री की और आकर्षित होते हैं तो ऐसे बच्चों को इन माध्यमों से सिखा कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। खेल खेल में शिक्षण कार्य से सभी बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं तथापि बच्चों के स्तर अनुसार विभिन्न माध्यमों से सिखाना हमारा उद्देश्य लक्ष्य होता है।
ReplyDeleteधन्यवाद।
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शा.एकीकृत मा.वि. अमरोद
विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
श्रीमती संजीता आगरे प्रा.शा.कौड़ीटोला जी हा सभी बच्चे की सीखने की रूचि एक समान नही होती हमे उन्हे उनकी आवश्यकता अनुरूप सीखाने का प्रयास करना है।
DeleteHAR BACHCHA ALAG HOTA HAI USE ALAG ALAG TAREEKE SE SAMJHANE KI JARURAT HOTI HAI
ReplyDeleteAsha Shukla kuch children ki kinds of quality hoti hai . Kuch blackboard per sikhne la prays Katie hae.
ReplyDeleteBchcho ke star ke anusar unka adhyayanpan kary karaya jayega jisse bacchon ka sarvagin vikas ho
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए, ताकि उनका समग्र विकास हो l
ReplyDeleteHam Dekhenge ki baccha Kis prakriya Se jaldi aur Anand se sakta hai us prakriya ko Ham Apna kar use sikhaenge
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जाता है परंतु खेल खेल में सभी को आसानी से सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteहां, प्रत्येक बच्चा अलग होता है और हर बच्चे के सीखने का भी अपना विशिष्ट तरीका होता है, इसीलिए हमें प्रत्येक बच्चे की आवश्यकता और सीखने की गति को ध्यान में रखकर उनके वर्तमान में सीखने के स्तर से आगे की गतिविधियों को कराना चाहिए, प्रत्येक बच्चे को अवसर देकर ,उनको प्रोत्साहित करके ,कक्षा के सभी बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
ReplyDeleteजी हां बिल्कुल सही है बच्चे अलग अलग तरीकों से सीखते हैं कुछ बच्चें देख कर कुछ सुन कर और कुछ छू कर सीखते हैं
ReplyDeleteतो कुछ बच्चें दूसरे बच्चें को देख कर सीखते हैं
तो कुछ बच्चें किसी नये को देखते हैं तो उसको उत्सुकता उस वस्तु की कार्य प्रणाली को समझने की होती है
हर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है। और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जा सकता। परंतु खेल खेल में सभी को आसानी से सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षा में हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है कोई बच्चा पुस्तक के माध्यम से सीख लेता है तो किसी बच्चों को गतिविधि के माध्यम से सिखाना पड़ता है और कक्षा में हम अलग-अलग विषय को सिखाने के लिए अलग-अलग गतिविधियों का उपयोग करते हैं और बच्चा सीख जाता है हर बच्चे की लर्निंग कैपेसिटी अलग-अलग होती है किसी बच्चे को एक ही बार में समझ आ जाता है तो किसी बच्चे को बार बार समझा कर छोटे बच्चों को अभ्यास की जरूरत होती है और अभ्यास हम गतिविधियों के माध्यम से कक्षा में खेल के मैदान पर कहीं पर भी करवा सकते हैं
ReplyDeleteहां यह बिल्कुल सही बात है हर बच्चा अलग होता है और उसके सीखने का तरीका भी अलग अलग होता है । क्योंकि प्रत्येक बच्चे की संज्ञानात्मक क्षमता और काम करने का तरीका अलग होता है और यही कारण है कि उनकी सोच और व्यवहार में भी भिन्नता होती है वे परिस्थितियों का आकलन और विश्लेषण करने के बाद उसी के अनुसार अपना निर्णय लेते हैं। बता इस परिपेक्ष में बच्चों को सीखने के लिए व्यापक गतिविधियां मां पूर्ण होती हैं। इनमें खेल गतिविधियों की सहायता से स्वयं करके सीखने का अनुभव देना सीखने सिखाने का सबसे प्रभावशाली तरीका हो सकता है। इसलिए बच्चों को नवीन अवसर प्रदान करना आवश्यक होगा । बच्चे अपने परिवार अभिभावक और समुदाय से भी बहुत कुछ सीखते हैं तथा वहां पर वे अपने आप को सुरक्षित पाते हैं जिससे वे आशावादी जिज्ञासु और मिलनसार की बनते हैं परस्पर संवाद प्रोत्साहन और सकारात्मक रवैया रखने से बच्चों के सीखने की क्षमता बढ़ती है इस परिपेक्ष में बच्चों को अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteहाँ, प्रत्येक बच्चे की क्षमता -अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना सिखता है,बच्चो को उनके सिखने कि आवश्यकता अनुसार खेल खेल खेल सिखाना चहिये
ReplyDeleteहां, प्रत्येक छात्र की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए कक्षा शिक्षण में उनकी आवश्यकताओं के अनुसार बालकेन्द्रीकृत एवं रोचकतरीके से अध्ययन पन करवने से छात्र रूचि से सीखते हैं
ReplyDeleteहाँ हर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जाता है परंतु खेल खेल में सभी को आसानी से सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteHar ek baccha alag hota hai to har ek bacche ko alag alag tareeke se samjhana kabhi kabhi muskil ho jata hai.. to ek esa tareeka jisse sabhi baccho ko samjha sake whi dhundkar unko pada sakte hai, jisse sab acche se ek saath seekh jayenge..
ReplyDeleteहां हर बच्चे की छमता अलग-अलग होती हैं हम उन बच्चों को तरह तरह की गतिविधियों द्वारा सिखा सकते हैं
ReplyDeleteयह बात बिल्कुल सही है कि सभी बच्चे वाला वाला क्षमताओं के होते हैं उनको एक जैसी सीखने की क्षमता वाले नहीं होते हैं अतः उनको सिखाने के लिए हमें विभिन्न प्रकार गतिविधियों को अपनानाहोगा
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अलग होता है ,और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है| क्योंकि सभी बच्चों का अलग-अलग स्वभाव होता है| बुद्धि का स्तर भी अलग -अलग होता है| कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं| कुछ बच्चों को सीखने में अधिक समय लगता है| हर बच्चा अलग-अलग क्षमता का होता है| और उन्हें अलग तरह से सिखाया जाता है| हम कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को उनके परिवेश के अनुसार उनकी आवश्यकता पूरी करना बार-बार बोर्ड पर लिखे वर्ण या शब्दों को पहचानना ,पढ़ना ,बोलना, उनकी भाषा में बात करना इसके लिए कुछ और नवाचार का प्रयोग करना उससे बच्चा खेल-खेल में सीखता है | कविता से सीखता है गतिविधियों से सीखता है| तो इस प्रकार से बच्चों की आवश्यकता को पूरी करनी चाहिए |परंतु खेल -खेल में सभी बच्चों को आसानी से सिखाया जा सकता है |
ReplyDeleteBacchon ko sikhane ke paryapt avsar Milna Milana chahie
ReplyDeleteजी यह सही है कि बच्चे अलग अलग तरीके से सीखते हैं ।
ReplyDeleteसभी बच्चों को सिखाने के लिए मेरी समझ से खेल जैसी मनोरंजन गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए ।
Khilansingh Rajpoot
P/s Untkata
Sahajpur Kesli
Sagar
Pratyek baccha alag alag hota hai Ham unhen vibhinn Prakar ki gatividhi kara kar dikha sakte hain
ReplyDeleteहां , हम मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है। उसका सीखने का तरीका भी अलग होता है । उसकी मानसिक स्थिति को पहचानकर उसे सिखाने का प्रयास करना चाहिए । बच्चों को खेल-खेल में सिखाना भी अच्छा होता है । कक्षा में बार बार बोर्ड पर लिखना , पढ़ना ,उनकी भाषा में बात करना आदि ।
ReplyDeleteजी हां, प्रत्येक बच्चा शारीरिक मानसिक एवं बौद्धिक रूप से भिन्न होता है एवं प्रत्येक बच्चे का अलग-अलग प्रवेश होता है कुछ बच्चों की सीखने की गति धीमी होती अतः प्रत्येक बच्चे की क्षमता के हिसाब से बच्चों को अलग-अलग गतिविधियां एवं तरीकों से सिखाने की आवश्यकता होती है, अतः प्रत्येक बच्चे की शारीरिक एवं मानसिक क्षमता के अनुसार भी सिखाया जा सकता है तभी वह वह सभी बच्चों के साथ सामंजस्य बिठा पाएगा एवं वह कक्षा के स्तर के अनुरूप उसका विकास होगा एवं उनमें आत्मविश्वास की वृद्धि होगी जिससे बच्चा सीखने के लिए उत्साहित होगा। संध्या तिवारी शासकीय प्राथमिक शाला भूलन जबलपुर।
ReplyDeleteऐसी गतिविधियां एवं खेल करवाएंगे जिसमें सभी बच्चों की सक्रिय भागीदारी रहे।
ReplyDeleteहां हर बच्चा सीखने की प्रक्रिया में अलग होता है कोई बच्चा बहुत जल्दी सीख जाता है तो किसी को समय लगता है
ReplyDeleteहां सही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती है क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश से अलग अलग रहता है क्योंकि प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए उंगली से वर्णों की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से समझ सके तथा बच्चों को खेल के माध्यम से भी सिखाया जा सकता है कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए
ReplyDeleteहां प्रत्येक बच्चें की सीखने और पढ़ने का तरीका अलग होता है। सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते हैं इस लिये हर बच्चा अपनी अपनी क्षमता के अनुसार ग्रहण ( सीखता) करता है।
ReplyDeleteहाँ हम जानते है कि हर बच्चे कि सीखने कि क्षमता अलग होती है वातावरण का प्रभाव भी बच्चे कि सीखने कि क्षमता मे बदलाव लाता है तथा अन्य कई कारण हो सकते है हम शिक्षक को हर बच्चों कि अवश्यकताओ की पहचान कर उन्हें पढाना चाहिए.
ReplyDeletePratyek Bachche ki sikhne ki shhamta alg hoti h
ReplyDeleteहाँ हर बच्चा अलग अलग तरीके से सीखते हैं कोई जल्दी सीखता हैं कोई देर से बच्चों के सीखने के स्तर के अनुसार उन्हें अलग अलग गतिविधियों से खेल खेल से सिखाया जा सकता हैं
ReplyDeleteहा सही है बच्चे अलग अलग तरीकों से ही सबसे ज्यादा ठीक से सीखते हैं कुछ बच्चें दूसरे को देखकर सेखते है तो कुछ अपने परिवार की गतिवधियों से सीखते है कुछ स्वयं करके सीखते हैं
ReplyDeleteहर बच्चा में एक अद्भुत विलक्षण गुण होता है जिससे वह अन्य बच्चो से विभिन्न दक्षताओ को सीखने की क्षमता गुण व एक अलग तरीका होता है जिसके कारण प्रत्येक बच्चे को उसकी विलक्षणता को ध्यान में रखते हुए सिखाना होता है जैसे समान आवश्यकता वाले बच्चो के अलग अलग समूह बनाकर उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
ReplyDeleteहर एक बच्चा अपनी अलग मानसिकता लेकर परिवेश से सीखता है अतः समग्र तरिके से सीखना आवश्यक होगा।
ReplyDeleteBacchon ko alag alag tarike se sikhane ke liye alag alag topic Dena chahie jisse FIR bacchon ki process dekhna chahie ki unhone kya kiya hai Is Tarah bacche Apne Apne anusar sikhate hain aur Karke batate Hain
ReplyDeleteहां यह सही बात है कि कक्षा में हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है कोई बच्चा पुस्तक के माध्यम से सीख लेता है तो किसी बच्चों को गतिविधि के माध्यम से सिखाना पड़ता है और कक्षा में हम अलग-अलग विषय को सिखाने के लिए अलग-अलग गतिविधियों का उपयोग करते हैं और बच्चा सीख जाता है हर बच्चे की लर्निंग कैपेसिटी अलग-अलग होती है किसी बच्चे को एक ही बार में समझ आ जाता है तो किसी बच्चे को बार बार समझा कर छोटे बच्चों को अभ्यास की जरूरत होती है और अभ्यास हम गतिविधियों के माध्यम से कक्षा में खेल के मैदान पर कहीं पर भी करवा सकते हैं
ReplyDeletepurushottam prasad sharma
GPS chikli udaipura raisen MP
Han sahi h,hr bache k sikhne ka tarika or kshmta alg alg hoti h,koi dheere sikhta h to koi jaldi.jo bache km gati se sikhte h unke unki avshyakta k anusar or ruchi ko dhyan me rkhkr gatividhi or khel k madhyam se tatha kuch navachar krke sikhya ja skta h.
ReplyDeleteहां यह सही बात कि सभी बच्चे एक जैसे नही होते हर बच्चे कि समझ अलग-अलग होती है इसलिए बच्चों पुस्तक के विषय पढ़ाने के साथ साथ गतिविधियों के माध्यम से भी सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चो को पढाई के साथ साथ खेल खेल मे सिखाना भी फायदेमंद है
ReplyDeleteहां यह बात बिल्कुल सही है कि हर बच्चे का सीखने का स्तर अलग अलग होता है कुछ बच्चे बोर्ड पर वर्णों को देखकर चित्रों को देखकर सीख जाते हैं कुछ बच्चे गतिविधि के माध्यम से जल्दी सीख जाते हैं कुछ बच्चे खेल के माध्यम से सीख जाते हैं इस प्रकार सभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग अलग होता है ऐसे बच्चों को सिखाने के लिए हमें पहले उनकी रुचि को जाना होता है उनकी रूचि के अनुसार गतिविधि करा कर उन्हें सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteHm jante h sabhi bachche ek dusre se alag h unko unke str v ruchi Ko dekh kar padama hoga un bachcho ko dekhate huye unka pair me activities krvana chahiye
ReplyDeleteहां,यह सही बात है कि सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं। सभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग-अलग होता है क्योकि प्रत्येक बच्चा अपनी गति अनुसार सीखता है। बच्चों को खेल-खेल में सीखना बहुत अच्छा लगता हैं। बच्चों में एक दूसरे को समझने की भी जिज्ञासा होती है इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ, खेल-खेल में बहुत कुछ सीख जाते हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चों के सीखने का स्तर अलग अलग होता है।क्यों कि उन का जीवन स्तर अलग अलग होता है।उन का पारिवारिक जीवन और शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।पढाई के साथ साथ खेल कूद भी शामिल किए जाए जिस से उन्हें सीखने में आसानी होगी।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.बच्चों में एक दूसरे को समझने की भी जिज्ञासा होती है इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ, खेल-खेल में बहुत कुछ सीख जाते हैं।
ReplyDeleteहा सही है हर बच्चे का सीखने का स्तर अलग होता है।
ReplyDeleteHar bache ka sikhne ka star alug hota hai ye sahi hai
ReplyDeleteहाँ यह सही है कि हर बच्चे का
ReplyDeleteसीखने का स्तर एक सा नहीं होता है
सभी बच्चों को खेल के द्वारा सिखाया
जा सकता है
मैं अनुराधा सक्सेना सहायक शिक्षिका एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला माधवगंज क्रमांक 2 प्राथमिक खंड विदिशा मध्य प्रदेश प्रश्न अनुसार हां सही है कि हर बच्चे का सीखने का तरीका अलग अलग होता है इसलिए बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न तरीके अपनाते हैं कुछ छात्र बोल कर लिख लेते हैं समझ लेते हैं कुछ छात्र बोर्ड पर वर्ल्ड देख कर लिख लेते हैं एवं कुछ छात्रों के लिए हमें नवाचार का प्रयोग करना पड़ता है जैसे स्ट्रा से वरना बनाना माचिस की तीली से वर्ड बनाना रंगोली चौक से आकृति बनाना कॉपी पर वनों की आकृति बनवाना ताकि बच्चा वर्ड बनाना सीख सके हम खेल खेल में भी बच्चों को सिखा सकते हैं बच्चा गतिविधि से ज्यादा सीख लेता है हमें नवाचार का प्रयोग करना चाहिए कविता कहानी से जल्दी सीखता है प्रत्येक बच्चा अपने अपने परिवेश से आता है इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि उस बच्चे की मानसिक स्थिति क्या है उसी के अनुसार सिखाने से बच्चा जल्दी सीखता है धन्यवाद सहित
ReplyDeleteहाँ|सभी बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार अलग -अलग तरीके अपनाकर सिखाया जाना चाहिए |RRP
ReplyDeleteहां हर बच्चा अलग-अलग क्षमता का होता है लेकिन उन्हें खेल खेल में आसानी से सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteHaan pratyek baccha alag alag tarah ke hote hain unko vibhinn gatividhi kara kar sikha sakte hain
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का सीखने का स्तर अलग अलग होता है अतः हमें स्तर अनुसार बच्चों को सिखाना चाहिए इसमें हम खेल वाली गतिविधि को भी शामिल कर सकते हैं बच्चे की रूचि के अनुसार उसके सीखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए
ReplyDeleteसही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।
ReplyDeleteमाता-पिता को जागरूक तथा बड़े भाई बहनों जो शाला में पढ़ रहे हैं ,उनका सहयोग लेकर शिक्षण लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
ReplyDeleteहां हम मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है क्योंकि कुछ बच्चे एक बार समझाने पर सीख जाते हैं कुछ बच्चों कोसिखाने के लिए सहायक सामग्री तैयार कर सिखाना पड़ता है। कुछ दृश्य सामग्री से सीखते हैं।,
ReplyDeleteयह तो स्पष्ट है कि प्रत्येक बच्चे की सीखने और समझने की गति अलग-अलग होती है। हमें इन्हीं को ध्यान में रखकर सीखने सिखाने की किसी भी गतिविधि का चयन करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के तौर पर बच्चों को शब्द ज्ञान कराते समय उनके परिवेश के अनुसार शिक्षण कार्य कराना चाहिए। जैसे कि, कुछ बच्चों के घरों में हो सकता है पूर्व से मानक भाषा का प्रयोग हो रहा हो, तब वहां हमें सीधे मानक भाषा के शब्दों को सिखाया जा सकता है और किन्हीं बच्चों के घरों एवं परिवेश में क्षेत्रीय बोली प्रयोग की जाती है, तब वहां के बच्चों को हमें सीधे मानक शब्दों को नहीं सिखाना चाहिए, क्षेत्रीय बोली में ही शब्दों को बोलकर उनके अर्थों को स्पष्ट करते हुए मानक शब्दों को सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteइसी तरह हम माप संबंधी ज्ञान भी परवेश अनुरूप अर्थात ग्लास मग बाल्टी आदि से बड़े बर्तन भरने में कितने बार छोटे बर्तन से पानी भरा गया की "संख्या"
जानने जैसी गतिविधियों का प्रयोग करना चाहिए।
Har bacche Har bacche ka sikhane ka tarika alag alag hota hai isliye Hamen vibhinn Aaya mauka prayog karte hue bacchon ko sikhana chahie
ReplyDeleteHar bachche ki seekhne ki gati v tarika alag hota ha kuchh bachche khel ke madhyam se kuchh kahani se kuchh padkar seekhte ha.teacher sabki aavashyaktaon ko dhyan me rakhkar unhe sikha sakte han. Archna shrivastava ps sinawal
ReplyDeleteHa ham yah mante hai ki pratyek bachche ke seekhane ki kshamta alag-alag hoti hai kyoki pratyek bachche ka vikas alag-alag parivesh me hota hai. Pratyek bachche ke seekhabe ki mansik sthiti alag-alag hoti hai. Sabhi Bachche ek saman roop nahi seekh sakte hai. Hame pratyek bachche ki seekgane ki sthiti k anusar hi unko sukhana chahie.
ReplyDeleteHar bachha unick hota hai.or uski sikhne ki kshamtaye bhi.
ReplyDeleteIsliye baccho ki sikhne ki kshamtaao ke aadhar par hi hame shiksha deni chahiye.
प्रत्येक बच्चे अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है प्रत्येक बच्चे को सिखाने के लिए हम उन्हें उनके अनुभव चीजें बनाकर प्रयोग द्वारा पढ़कर चर्चा करके पूछ कर, कुछ सुना कर समझा कर सोचकर यह चिंतन करके और उन्हें विभिन्न लेखन या उनके हाव-भाव द्वारा उन्हें सिखाते हैं और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं
ReplyDeleteहर बच्चा अलग होता है बच्चे को समझ कर फिर गतिविधि उसके अनुरूप करा कर आगे और अधिक गतिविधि कराई
ReplyDeleteहर बच्चा अलग होता है बच्चे को समझ कर उसके आधार पर गतिविधि करा कर और फिर अन्य गतिविधि कराई जा सकती हैं
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अलग है |और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है| क्योंकि सभी बच्चों का अलग-अलग स्वभाव होता है| बुद्धि का स्तर भी अलग -अलग होता है| कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं| कुछ बच्चों को सीखने में अधिक समय लगता है| हर बच्चा अलग-अलग क्षमता का होता है| और उन्हें अलग तरह से सिखाया जाता है| हम कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को उनके परिवेश के अनुसार उनकी आवश्यकता पूरी करना बार-बार बोर्ड पर लिखे वर्ण या शब्दों को पहचानना ,पढ़ना ,बोलना, उनकी भाषा में बात करना इसके लिए कुछ और नवाचार का प्रयोग करना उससे बच्चा खेल-खेल में सीखता है | कविता से सीखता है गतिविधियों से सीखता है| तो इस प्रकार से बच्चों की आवश्यकता को पूरी करनी चाहिए |परंतु खेल -खेल में सभी बच्चों को आसानी से सिखाया जा सकता है |
ReplyDeleteहर बच्चो के सीखने की समझने की सोचने की क्षमता अलग अलग होती है क्योकि उनकी प्रत्येक बच्चो की बॊद्धिक क्षमता I.Q. अलग अलग होती है ! कुछ बच्चे चित्रो से कुछ आकृतियो से कुछ सामग्री /चीजो को गिनकर जल्दी सीख जाते है ।
ReplyDelete"" Learning by doing "
के माध्यम से जल्दी सीखते है।
Har bachche ki sikhne ki kshamta alag alag hoti hai unko kshamta ke anusaar gatividhi karakar jaldi or asani se sikhne me sahayata hogi
ReplyDeleteखेल खेल में सभी बच्चों को एक साथ सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteखेल खेल में सभी बच्चों को सिखाया जाता है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए, ताकि उनका समग्र विकास हो सके।
ReplyDeleteHa , har bacche ki sikhne ki kshmta alag hoti he, hm koshish kr skte h k baccho ko group me pdhne ka kahe , ek age k bacche sath me pdhenge to doubt clear karne me sankoch nhi karenge
ReplyDeleteहर बच्चे के सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है बच्चे भी क्षमता अनुसार विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सिखाना
ReplyDeleteचाहिए
हर बच्चे का परिवेश भिन्न भिन्न प्रकार का होता है और उनका मानसिक स्तर भी अलग अलग होता है इसलिए सिखाने का तरीका भी कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे हर बच्चे को कुछ नया सीखने को मिले जैसे पहली गतिविधि बछो के परिवेश पर आधारित हो जिससे सभी बच्चे एक दूसरे के परिवेश से परिचित हो जाये जिससे बच्चों में एक दूसरे के बारे में जानने की जिज्ञासा होगी और इन गतिविधियों के माध्यम से ग्रुप में रहना ,मिलजुल कर कार्य करना आदि
ReplyDeleteहां कक्षा में प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग-अलग होती है हम सभी बच्चों की मानसिक गति को सीखने की गति को ध्यान में रखकर इस शिक्षण कार्य करेंगे और समूह में वर्गीकृत करेंगे
ReplyDeleteHa har bacha alag alag hota hai aur unhe alag alag tarike se sikhaya jata hai par khel khel mein sabhi ko asani se sikhaya ja sakta hai.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार ही शिक्षक को उसे सीखना चाहिए।
ReplyDeleteकुछ बच्चे दृश्य श्रव्य सामग्री की और आकर्षित होते हैं तो ऐसे बच्चों को इन माध्यमों से सिखा कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं।
प्रत्येक छात्र अपनी क्षमताओं, आदतों तथा व्यवहार में अलग होता है। इसलिए यह जरूरी है कि एक शिक्षक अपनी कक्षा के प्रत्येक छात्र की क्षमताओं तथा भिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी शिक्षण प्रणाली तथा कक्षा एवं शाला में नवाचार का प्रयोग करें जो सबको साथ साथ सीखने समझने का अवसर प्रदान करें एवं उनको सहज भी महसूस कराए। धन्यवाद।
ReplyDeleteBacchho ko kai kriya k bare m bataye jise painting dancing singing adi fir hath khade krne ko khe kise kya pasand h fir group bna kr sikhane ka try kre
ReplyDeleteUnknownNovember 17, 2021 at 2:13 AM
ReplyDeleteहां। हर बच्चे का सीखने का अपना स्तर होता है। कई बार हर बच्चे को सीखने के अलग अलग तरीका अपनाना पड़ सकता है और उनके लिए उनके परिवेश के अनुसार उनकी आवश्यकता पूरी करना, बार बार बोर्ड पर लिखे वर्ण या शब्द को पहचानना, पढ़ना, बोलना, उनकी भाषा में बात करना आदि इसके लिए कुछ और नवाचार का प्रयोग करना उससे ज्यादा से ज्यादा अपने से जोड़कर रखना अगर कोई बच्चा खेल से सीखता है या कोई कविता से सीखता है या कोई अन्य गतिविधि से सीखता है इस प्रकार से बच्चों की आवश्यकता के अनुसार गतिविधि करना चाहिए।
Bacchon ko board ke Madhyam se khel ke Madhyam se a Pyar Se Samjhane ki avashyakta hai
ReplyDeleteBacchon ko Khel ke Madhyam se aur board ke Madhyam se Savdhan uchit rahega
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक
ReplyDeleteसीखना एक व्यक्तिगत प्रक्रिया है, क्योंकि हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है अतः कक्षा में विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों के निरूपण से हम अधिगम प्रक्रिया को सरल बना सकते है ।
ReplyDeleteहर बच्चा अपने परिवेश से पहले ही कुछ न कुछ सीखा होता है, उसकी बुद्धि क्षमता और नई सोच सीखने की प्रक्रिया में समन्वय बनाकर सरल बना सकते हैं ।
ReplyDeleteसीखना एक व्यक्तिगत प्रक्रिया है, इसलिए हर बच्चे की क्षमता अलग अलग होती है। कक्षा में बच्चों की रुचि के अनुसार सह शैक्षिक गतिविधियों का प्रतिपादन किया जाये तो शिक्षण अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहाँ निश्चित तौर पर प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है। कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बच्चों की पहले से मौजूद रुचि,संभावित रुचि और पसंद जानकर सीखने के परिवेश की तैयारी करेंगे।साथ ही सीखने की शैली की प्राथमिकता का ध्यान रखकर उसे निर्देशात्मक योजना से जोड़ेंगे।इन सब में एक महत्वपूर्ण ध्यान रखना है कि हमारा व्यवहार एक शिक्षक की बजाय एक सुविधाकर्ता की तरह हो।
ReplyDeleteहाँ, यह सही है कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का स्तर अलग - अलग होता है। कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते है। कुछ बच्चों को सीखने में अधिक समय लगता है। खेल - खेल में एवं गतिविधियों के द्वारा हरेक बच्चा सीख जाता है।
हां यह सही बात है कि कक्षा में हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है कोई बच्चा पुस्तक के माध्यम से सीख लेता है तो किसी बच्चों को गतिविधि के माध्यम से सिखाना पड़ता है और कक्षा में हम अलग-अलग विषय को सिखाने के लिए अलग-अलग गतिविधियों का उपयोग करते हैं और बच्चा सीख जाता है हर बच्चे की लर्निंग कैपेसिटी अलग-अलग होती है किसी बच्चे को एक ही बार में समझ आ जाता है तो किसी बच्चे को बार बार समझा कर छोटे बच्चों को अभ्यास की जरूरत होती है और अभ्यास हम गतिविधियों के माध्यम से कक्षा में खेल के मैदान पर कहीं पर भी करवा सकते हैं।...... रश्मि वर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला, बोरदा भोपाल मध्य प्रदेश
ReplyDeletePratyek bacche ko pahchan kar uski parivarik prishthbhumi ko samajhkar ,Uske star per jakar sikhaenge
ReplyDeleteसीखना एक व्यक्तिगत प्रक्रिया है, क्योकि हर बच्चे का बौद्धिक स्तर अलग अलग होता हैं। रोचक पाठ्य सहगामी गतिविधियों द्वारा अपेक्षित अधिगम स्तर पाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए. Shobha Shee P.S.Gangakhedi
ReplyDeleteनमस्ते साथियों , मैं प्रीति श्रीवास्तव शासकीय प्राथमिक शाला उमरिया लिटी पनागर जिला जबलपुर
ReplyDeleteहां , प्रत्येक बच्चा भिन्न क्षमताओं के होते हैं उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप सहायक सामग्री के साथ नवाचार कर पढ़ाना चाहिए |
प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए जैसे वर्णों को सिखाने के लिए वर्णों की आकृति को उकेरना उसमें उंगली से आकृति को बनाना | हम कक्षा में बच्चों की विभिन्न प्रकार से बोर्ड पर बार बार लिखकर शब्दों को पहचान पढ़ना बोलना उनकी भाषा में बात करना इसके लिए कुछ और नवाचार का प्रयोग करना उससे बच्चा खेल खेल में सीखता है कविता गतिविधियों के द्वारा बच्चे को खेल-खेल में आसानी से दिखाया जा सकता है |... धन्यवाद
हा हम मानते है प्रतियेक बच्चा अलग है और सबके विचार अलग है और उनके सीखने का तरीका अलग है यो हम जानना होगा की बच्चों की मन कहा है और हमे उसी प्रकार से उन्हे पढ़ना होगा इसी प्रकार हैं उनकी इचाओं को पुरा कर सकते है
ReplyDeleteभाषा सीखने में वर्ण माला आवश्यक है परन्तु क्रम अनुसार नही बच्चों को वर्ण सीखना है रटाना नहीं
ReplyDeleteहमारी शाला में बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं और उनका सीखने के तरीके अलग अलग होते हैं इसलिए उन्हें सीखने के लिए कई तरह के तरीके अपनाया जाना जरूरी है।
ReplyDeleteजैसे- उनका परिवेश, परिवेश की वस्तुएं, आपसी चर्चा के भरपूर अवसर प्रदान करना, खुद चर्चा करना, ब्लैक बोर्ड, गतिविधि, कहानी चित्र, वर्ण,
हाँ, प्रत्येक बच्चा अलग होता है और उसके सीखने के तरीके भी भिन्न होते है। प्रत्येक बच्चे की सीखने की आवश्यकतानुसार कार्य योजना बनाकर बच्चे को सिखाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि योजना बालकेन्द्रित हो ।
ReplyDeleteहमारी शाला में बच्चे विभिन्न परिवेश और समुदाय से आते हैं ऐसे में उन्हें आपस में बातचीत करने के भरपूर अवसर प्रदान करना चाहिए। परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं, उनकी स्थानीय भाषा, विभिन्न गतिविधियों के प्रयोग, खेल, चित्र, कहानी, प्रिंट समृद्ध भय मुक्त तथा आनंददाई वातावरण का निर्माण करके सिखाया जा सकता है।🙏
ReplyDeleteहां, प्रत्येक बच्चा अलग होता है और उनके सीखने का तरीका भी अलग अलग होता है। उन्हेें सीखने के लिए हमें सुरक्षित, सुंदर, भयमुक्त और रोचक वातावरण का निर्माण कर सीखने के गुणवत्तापूर्ण अनेकानेक सुअवसर प्रदान करने की भरपूर कोशिश होनी चाहिए।🙏
ReplyDeleteYes absolutly it's right that each and every child is different in developing skills and learnig things around him. Teacher needs to observe carefully what method is affactive in teaching lerning process for particular learning outcome individually.
ReplyDeleteहां हर बच्चा अलग होता है सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है उन्हें सिखाने के लिए विशेष प्रयास से मुक्त सुंदर-सुंदर युक्तियों के द्वारा सिखाने का प्रयास करते हैं कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं और कुछ बच्चों को सिखाने के लिए विशेष समय देना पड़ता है
ReplyDeleteकुछ बच्चे गतिविधि के माध्यम से जल्दी सीख जाते हैं कुछ बच्चे खेल के माध्यम से सीख जाते हैं इस प्रकार सभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग अलग होता है ऐसे बच्चों को सिखाने के लिए हमें पहले उनकी रुचि को जाना होता है उनकी रूचि के अनुसार गतिविधि करा कर उन्हें सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteचूंकि स्कूल में आने वाले हर बच्चे का परिवेश भिन्न भिन्न प्रकार का होता है और उनका मानसिक स्तर भी अलग अलग होता है इसलिए सिखाने का तरीका भी कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे हर बच्चे को कुछ नया सीखने को मिले जैसे पहली गतिविधि बछो के परिवेश पर आधारित हो जिससे सभी बच्चे एक दूसरे के परिवेश से परिचित हो जाये जिससे बच्चों में एक दूसरे के बारे में जानने की जिज्ञासा होगी और इन गतिविधियों के माध्यम से ग्रुप में रहना ,मिलजुल कर कार्य करना आदि का विकास होता है।
ReplyDeleteGhasiram bisen ms khamghat lalburra district balaghat sb bachche ak jaise nhi hote ve apne privesh anubhavon se sikhte hai bachchon ko sikhane ke kyi gtividhi ki ja skti hai
ReplyDeleteबच्चों को पढ़ने लिखने के साथ खेल खेल के भी सिखाया जाए
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग क्षमता का होता है और उन्हें अलग अलग तरह से सिखाया जाता है परंतु खेल खेल में सभी को आसानी से सिखाया जा सकता हैं|हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।बच्चों से भवनात्मक रूप से जुड़कर , उनके मनोभावों को समझकर हम उसे सीखना सिखाने की दक्षता का विकास कर सकते हैं।
ReplyDeletePratyek bachhe ke seekhne Or samjhen ka alag alag tarika hota hai hame apni kaksha ke vidhyarthiyon ke tariko ko jan na chahiye or us hisaab se unpar dekh rekh karni chahiye
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteवातावरण का निर्माण कर सीखने के गुणवत्तापूर्ण है
ReplyDeleteवातावरण का निर्माण कर सीखने के गुणवत्तापूर्ण
ReplyDeleteDevki chouhan
Sabhi bacho ka sekhne ka ister alag alag hota he koibacha gatividhi ke madhyam se jalde sekh leta he to koi khel ke madhyam se
ReplyDeleteबच्चे अनुकूल माहौल में गुणवत्ता पूर्ण सिखते है वे अन्य गतिविधियों का उपयोग करते हुए सिखते है
ReplyDeleteKhel khel me sabhi bacho ko sikhaya ja skta h bache ko jitna acha mahol milta h wo utna he acha sikhte h
ReplyDeleteहां यह बिल्कुल सही बात है हर बच्चा अलग होता है और उसके सीखने का तरीका भी अलग अलग होता है । क्योंकि प्रत्येक बच्चे की संज्ञानात्मक क्षमता और काम करने का तरीका अलग होता है और यही कारण है कि उनकी सोच और व्यवहार में भी भिन्नता होती है वे परिस्थितियों का आकलन और विश्लेषण करने के बाद उसी के अनुसार अपना निर्णय लेते हैं। बता इस परिपेक्ष में बच्चों को सीखने के लिए व्यापक गतिविधियां मां पूर्ण होती हैं। इनमें खेल गतिविधियों की सहायता से स्वयं करके सीखने का अनुभव देना सीखने सिखाने का सबसे प्रभावशाली तरीका हो सकता है। इसलिए बच्चों को नवीन अवसर प्रदान करना आवश्यक होगा । बच्चे अपने परिवार अभिभावक और समुदाय से भी बहुत कुछ सीखते हैं तथा वहां पर वे अपने आप को सुरक्षित पाते हैं जिससे वे आशावादी जिज्ञासु और मिलनसार की बनते हैं परस्पर संवाद प्रोत्साहन और सकारात्मक रवैया रखने से बच्चों के सीखने की क्षमता बढ़ती है इस परिपेक्ष में बच्चों को अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteयह सत्य हैं की प्रत्येक बच्चे के सीखने के गुण तरीके अलग अलग होते है जैसे कोई बच्चा कहानी के माध्यम से सीखता है तो उसे कहानी से सिखाएंगे और बच्चे खेल के माध्यम से सीखते है तो उन्हें खेल के द्वारा सिखाएंगे ।
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकता तथा उनके परिवेश को ध्यान में रखकर गतिविधि बनाकर उन्हें सिखाने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteहां सही हे हर बच्चे को सीखने केलिए भिन्न तरीका अपनना होता हे ।कुछ छात्र Board पर वर्ण देख करpractice se लिख सकते हैं पर कुछ छात्रों के लिए हमे नवाचार का प्रयोग करना होता है जैसे क्ले से वर्ण के आकार बनाना स्ट्रासे वर्ण बनाना या फिर धूलि या रंगोली से उंगली से वर्णो की आकृति को उकेरना उसके बाद कॉपी अथवा पट्टी पर आकृतियों को बनवाना बनवाना या ताकि वह वर्णों को की आकृति को अच्छी तरह समझ सके और फिर Board या पट्टे पर लिख सके।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार ही शिक्षक को उसे सीखना चाहिए।
ReplyDeleteकुछ बच्चे दृश्य श्रव्य सामग्री की और आकर्षित होते हैं तो ऐसे बच्चों को इन माध्यमों से सिखा कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं।
हां प्रत्येक बच्चा अलग होता है एवं उसके सीखने के तरीके अलग होते हैं किसी बच्चे की सीखने की क्षमता ज्यादा होती है और किसी की कम प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थिति अलग-अलग होती हैं कोई बच्चा सीखने के तरीकों से आकर्षित होता है तो कोई बच्चा देखने के तरीकों से इसीलिए हर बच्चे की आवश्यकता जानकारी उसे उसी अनुसार सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए धन्यवाद
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार ही शिक्षक को उसे सीखना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग परिवेश एवं अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं।ऐसे में उनकी सीखने की क्षमता मेंअन्तर होता है।बच्चों के मानसिक स्तर में भी भी भिन्नता होती है।ऐसी स्थिति में बच्चों के पूर्वज्ञान को जानना जरूरी है।प्रत्येक बच्चे को उसके पूर्वज्ञान के आधार पर सीखने के समान अवसर देनाअपेक्षित है।बच्चे जिज्ञासु, खोजी,चिन्तन शील, नवाचारी, मिलनसार प्रवृत्तियों के होते हैं।अतः उन्हें खेल खेल में एवं स्वयं करके सीखने के अधिक अवसर दिए जाना चाहिए।शिक्षक की भूमिका एक सुविधा दाता और मार्गदर्शक की होना चाहिये।। दयालाल शाक्य प्र.अ.शास. उ.मा.वि.खमतला विकास खण्ड व जिला विदिशा
ReplyDeleteबच्चो को पढाई के साथ साथ खेल खेल मे सिखाना भी फायदेमंद है
ReplyDeleteEvery students have their own preferences to learn. Some students prefer for visual learning with partial seeing and observing things including pictures diagrams, written directions and more. Some students prefer to learn by listening. They learn better when the subject matter is reinforce by sound. Some students are kinesthetic learner they are called textile learner also. They learn through experiencing or doing things. Some students learn while reading and writing the same content they prefer to learn through written words. Teacher needs to recognise the students as visual learner, auditory reading writing Kinetic learner and align the classroom teaching learning plan with these learning styles and it will definitely beneficial for entire classroom.
ReplyDeleteNovember 22, 2021 at 1:13 AM
ReplyDeleteहा सही है बच्चे अलग अलग तरीकों से ही सबसे ज्यादा ठीक से सीखते हैं कुछ बच्चें दूसरे को देखकर सेखते है तो कुछ अपने परिवार की गतिवधियों से सीखते है कुछ स्वयं करके सीखते हैं
REPLY
Arvind Singh kaurav