गतिविधि 2: अपने विचार साझा करें

 

क्या हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है? अपने विचारों को साझा करें।   

Comments

  1. Replies
    1. हां अधिकतर ग्रामीण अंचल के बच्चों में अपनी के माध्यम से मातृभाषा हिंदी सिखते है ।

      Delete
    2. बच्चों मे सीखने की स्वाभाविक समझ होती है बच्चे अपनी मात्र भाषा सबसे पहले सीखते ही अतः किसी भी भाषा को सीखने मे मात्र भाषा का पहले उपयोग किया जाना चाहिए

      Delete
    3. बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं घर पर दादा दादी मम्मी पापा पड़ोसी से वह उनका अनुकरण करके सीखता है मातृभाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भी भाषाएं सीख जाता है और यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह कुछ देखकर सुनकर और भूलकर सीखते हैं बच्चे यदि सीखनी है मातृभाषा का उपयोग करते हैं स्कूल में अभी मातृभाषा का प्रयोग करते हैं तो हमें उनका सहयोग करना चाहिए

      Delete
    4. ग्रामीण अंचल के बच्चो को हमेशा मातृभाषा में सीखना जरूरी होता है ताकि वे आगे कुछ सीख सके

      Delete
    5. हां, बच्चों में घरेलू भाषा से बहुत जल्दी सीखते हैं।

      Delete
    6. बच्चे अपने आसपास के वातावरण के बहुत कुछ सीखते है घर पर दादा दादी मम्मी पापा से मातृभाषा सीखते सीखते हैऔर बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह देखकर सीखते है यदि बच्चे कक्षा में अपनी मातृभाषा का उपयोग करते है तो शिक्षक को चाहिए की उनका सहयोग करें।

      Delete
    7. बच्चों को एक अच्छा वातावरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि वे अपने घर से जन्म से ही सीखना शुरू कर दिया करते हैं, उन बुनियादी समझ को लक्ष्य भाषा सीखने में प्रयोग किया जाना चाहिए

      Delete
  2. Baccho me kuch naya seekhne ki pravati hoti hai... Baccho ko khel khel me naya sikhane ki koshish krni chaiye jisse bacche yad bhi rakhte hai or unhe padai me maja v ata hai...

    ReplyDelete
  3. बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए

    ReplyDelete
    Replies
    1. बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए

      Delete
  4. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
    बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।
    अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए।
    अस्तु बच्चें अपनी मातृभाषा में जल्दी से जल्दी सीखते हैं।
    शिक्षा उनको मातृभाषा में ही देनी चाहिए ।
    ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻🙏

    ReplyDelete
  5. शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती हैं।

    ReplyDelete
  6. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|
    मैं- रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम विकासखंड- विजयपुर, जिला- श्योपुर (मध्य प्रदेश)

    ReplyDelete
  7. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
    बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।
    अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए।
    अस्तु बच्चें अपनी मातृभाषा में जल्दी से जल्दी सीखते हैं।
    शिक्षा उनको मातृभाषा में ही देनी चाहिए ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. मातृभाषा में ही बच्चे जल्दी सीखते हैं और धीरे-धीरे उनको अपनी टारगेट भाषा की ओर अग्रसर करना चाहिए उन्हें किसी प्रकार का दबाव या डांट नहीं करना चाहिए जिससे उनमें डर की भावना पैदा ना हो

      Delete
  8. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति होती है यह हमेशा भाषा सीखते रहते हैं ।सीखने के लिए हमेशा मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए। अन्य भाषा सीखने के लिए मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए।

    ReplyDelete
  9. Bachche bhasha sikhte he aur bhasha se sikhne ki pravarti badti he bachcho ko matra bhasha ke alava Anya bhasha/bahu bhashao ka ghyan bhi hona chahiye
    Lek in Mayra bhasha me sikhane me bachche jaldi ghyan Arman kar lete he

    ReplyDelete
  10. बच्चों को मातृभाषा में सिखाना अति आवश्यक है ! साथ ही उनके द्वारा बोली जाने भाषा में ! बच्चे जितना ज्यादा अपनी पहली भाषा में सीखने का प्रयोग नई भाषा में करते हैं तो जल्दी सीखते हैं !

    ReplyDelete
  11. नमस्कार में रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर राजकीय प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं

    शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती हैं।

    ReplyDelete
  12. शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषा को सीखने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्म जात प्रवृति सभी बच्चो में होती है

    N.K.AHIRWAR

    ReplyDelete
    Replies
    1. बच्चों में मातृभाषा सीखने की प्रवृत्ति होती है वह हमेशा भाषा सीखते रहते हैं सीखने के लिए हमेशा मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए अन्य भाषा सीखने के लिए मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए।

      Delete
  13. बच्चो को मातृभाषा में सिखना अति आवश्यक है। साथ ही उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा में। बच्चे जितना ज्यादा अपनी पहली भाषा में सीखने का प्रयोग नई भाषा में करते हैं। तो जल्दी सीखते हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है

      Delete
  14. प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|

    ReplyDelete
  15. दिनेश कुमार तमखाने प्राथमिक शाला बिचपुरी माल जिला हरदा
    बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है मां बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है बच्चे घर परिवार समाज में रहकर प्रचलित भाषा का उपयोग करता है इसी आधार पर मोहल्ले पास पड़ोस घर का वातावरण के अनुसार अपने विचारों का आदान प्रदान करता है

    ReplyDelete
  16. ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नांदखेड़ा रैय्यत विकास खंड पुनासा जिला खण्डवा
    बच्चे मातृभाषा से अधिक परिचित रहते हैं अन्य भाषा सिखाने के लिए मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  17. शिक्षा हमेशा मातृभाषा मे ही प्रदान की जाना चाहिए साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए । भाषा के माध्यम से सीखने की स्वभा विक जन्मजात प्रवृति सभी बच्चों में होती है ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती हैं।

      Delete
  18. बच्चे भाषा को बड़ी तत्परता से सुनकर सीखते हैं और पहली भाषा दूसरी किसी भी भाषा को सीखने का सशक्त माध्यम जरुर बनती ही है और हमें इसी तरह उन्हें सिखाना भी चाहिए I

    ReplyDelete
  19. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|

    ReplyDelete
  20. शिक्षा हमेशा मात्रभाषा में ही देना चाहिए,
    बच्चों मे भाषा के माध्यम से सीखने की सहज प्रवृत्ति होती है। बच्चे मे भाषाई कौशल होता है।प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है। एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है।बच्चों मे स्वयं करके सीखने की प्रवृत्ति जन्मजात होती है। जिससे वह अन्य भाषा भी स्वतः सुन-सुनकर सीख लेता है।
    श्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
    शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
    ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)

    ReplyDelete
  21. बच्चे मातृभाषा से अधिक परिचित रहते हैं। अन्यभाषा सिखानेके लिए मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  22. Bacche matrabhasha se adhik parichit hote hai isliye unhe anya bhasha sikhane ke liye matrabhasha ka sahyog liya jana chahiye

    ReplyDelete
  23. बच्चों को मातृभाषा में सिखाना अति आवश्यक है ! साथ ही उनके द्वारा बोली जाने भाषा में ! बच्चे जितना ज्यादा अपनी पहली भाषा में सीखने का प्रयोग नई भाषा में करते हैं तो जल्दी सीखते हैं !बच्चे मातृभाषा से अधिक परिचित रहते हैं। अन्यभाषा सिखानेके लिए मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए।बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|

    ReplyDelete
  24. Bacche ko matrabhasha sikhana na Ati avashyak Hai .adhikansh bacche apni matrabhasha se parichit rahte hain, iske dwara ham unhen Anya Bhasha Anya Bhasha bhi sikhane ka Prayas kar sakte hain.

    ReplyDelete
  25. बच्चे मे भाषा सीखने की प्रवृति होती है।सीखने के लिए अपनी ही भाषा का उपयोग करना चाहिए।बच्चे अपनी मातृभाषा जल्दी सिखते है।शिक्षा अपनी मातृभाषा में ही देनी चाहिए।

    ReplyDelete
  26. प्रत्येक बच्चा अपनी मातृभाषा के साथ विद्यालय मे प्रवेश लेता है।बच्चों मे अपनी भाषा के साथ साथ दूसरी भाषा सीखने की सहज प्रवृत्ति होती है। बच्चों से उनकी मातृभाषा मे वार्तालाप करें।दूसरी भाषा सिखाने के लिऐ मातृभाषा का उपयोग कि या जा सकता है।जिससे वह नई भाषा को आसानी से सीख पाते है।जल्दी ही उनकी समझ विकसित होती है ।

    ReplyDelete
  27. बच्चे अपनी भाषा का जितना ज्यादा इस्तेमाल और प्रयोग करेंगे तथा उन्हें अपनी भाषा में अपनी बात कहने की आजादी हो जिससे लक्ष्य भाषा सीखने में पैनापन आता है और वे आसानी से सीख पाते हैं जो एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है

    ReplyDelete
  28. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|....Asha joshi

    ReplyDelete
  29. Pratyek baccha jab School Aata Hai To Apne Sath Ek Bhasha Lekar aata hai aur bacchon Mein Sabhi pravati hoti hai apni pahle bhasha ke sath hi dusri Bhasha sakta hai aur vah apni matrabhasha Ka prayog Karke Anya Bhasha ko sikhane ki koshish Karta Hai balkon Mein yah Nasha good hota hai ki vah nai Bhasha ko sikhane ke liye Apne pahle Bhasha ka prayog karta hai aur Shikshak ko bhi Unki Pahli Bhasha Se jodkar Hi dusri Bhasha ko Samjhane Mein Prayas karna chahie jahan tak Unki matrabhasha Mein Hi Samjhana chahie

    ReplyDelete
  30. बच्चों को मातृ भाषा सिखाने की विशेष आवश्यकता नहीं होती है बच्चों में मातृभाषा अपने आप ही सीख लेता है। प्रारंभिक शिक्षा मे बच्चों को मातृभाषा के माध्यम से ही वार्तालाप करना चाहिए जिससे बच्चों का डर खत्म हो जाये और बच्चा खुलकर अपनी बात या समस्या को शिक्षक के सामने रख सके।

    ReplyDelete
  31. Bacchon mein Main Bhasha sikhane ki pravritti tivra Hoti Hai yah Hamesha Bhasha sikhate Rahte Hain sikhane ke liye Hamesha matrabhasha Ka prayog Karna chahie.

    ReplyDelete
  32. बच्चे मे भाषा सीखने की लालसा होती है। सीखाने के लिए सरल भाषा का ही उपयोग करना चाहिए।बच्चे अपनी समझ से ही सीखते है।

    ReplyDelete
  33. Ratnesh Mishra CAC तेवर जबलपुर
    बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति स्वभाविक होती है। अधिकतर बच्चे घर से भाषाई ज्ञान लेकर शाला आते हैं। शाला में स्वतंत्र व भयमुक्त वातावरण मिलता है तो वह शिक्षक व सहपाठियों से वार्तालाप भी करते हैं तथा शब्दों को सुनकर नये भाषाई शब्दों को सीखने में रूचि दिखाते हैं।

    ReplyDelete
  34. सकीना बानो
    हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वो सीखता है।बच्चों में यह गुण स्वाभाविक ,जन्मजात होता है।

    ReplyDelete
  35. Sha mim Naz
    प्रत्येक बच्चा अपनी मातृ भाषा ले।कर आता है और वह उसी के माध्यम से सीखना चाहिए,क्यूंकि उससे उसे आसानी से सिखाया जा सकता है

    ReplyDelete
  36. शिक्षा अपनी मातृभाषा में सिखना जरुरी हैं।परन्तु बच्चों की अपनी पारिवारिक भाषा का भी स्वीकार करना चाहिए ताकि बच्चा अपने मनोभावों को व्यक्त कर सकते हो।

    ReplyDelete
  37. शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषा को सीखने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है|

    ReplyDelete
  38. (शा.प्रा. वि.जतौली विकास खण्ड मुंगावली जिला अशोक नगर मध्य प्रदेश) बच्चें मातृभाषा में जल्दी सीखते हैं यदि बच्चों को अन्य भाषा सीखने के लिए मातृभाषा में सीखने के अबसर दिया जाता है तो वह अन्य भाषा भी जल्दी सीख सकते हैं ।

    ReplyDelete
  39. Bacchon ko Shiksha hamesha matrubhasha mein hi Diya Jana chahie matrubhasha ke Sahyog se hi dusri Bhasha Ko sikhane ka prayas Kiya Jana chahie se bacche kisi bhi Bhasha ko Saja roop se sikhane mein samarthan ge

    ReplyDelete
  40. बच्चो में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|
    मैं- जी . पी सोलंकी ( प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक विद्यालय- माना जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- जमानी विकासखंड- केसला , जिला- होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)

    ReplyDelete
  41. हां बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । चाहे उन्हें कोई भी भाषा सीखने हो ।

    ReplyDelete
  42. जी हां हम यह कह सकते है हर बच्चा अपने साथ अपनी भाषा को लेकर आता है और वह उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा भी सीख कर जाता है

    ReplyDelete
  43. बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही होना चाहिए। अन्य भाषाओं को सिखाने के लिए मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। सीखने की स्वभाविक प्रवृत्ति सभी बच्चों में जन्मजात होती है।

    ReplyDelete
  44. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । चाहे उन्हें कोई भी भाषा सीखने हो ।

    ReplyDelete
  45. बच्चों में सीखने की स्वभाविक प्रवृत्ति होती है भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जा सकता है

    ReplyDelete
  46. हां बच्चों में भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं प्रारंभ में वह अपनी मातृभाषा को लेकर आता है और बच्चों के साथ और बाहरी परिवेश के साथ में अलग-अलग भाषाओं को सीखता है और यह उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है

    ReplyDelete
  47. मैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर
    बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है।अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए।
    अस्तु बच्चें अपनी मातृभाषा में जल्दी से जल्दी सीखते हैं।
    शिक्षा उनको मातृभाषा में ही देनी चाहिए।

    ReplyDelete
  48. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवॄति होती है ।जब बच्चा स्कूल में आता है ।तब वह उसके परिवार में बोले जाने वाली भाषा से अच्छी तरह परिचित रहता है ।फिर धीरे -धीरे स्कूल में रहकर हिंदी व english भाषा को सीखना प्रारम्भ करता है।

    ReplyDelete
  49. हाँ, बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है l बच्चे अपने घर, परिवेश से जो भी भाषा सीखते हैं उसको ही आधार बनाकर भाषा सीखने की कोशिश करते हैं l उनकी मातृभाषा का सम्मान करते हुए उन्हें लक्ष्य भाषा सीखने में शिक्षकों को मदद करनी चाहिए l

    ReplyDelete
  50. प्रत्येक बच्चा अपनी मातृभाषा सीख कर आता है ।मातृभाषा के माध्यम से अन्य भाषा भी उसे आसानी से सिखाया जा सकता है। बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । गुलाबराव पाटिल

    ReplyDelete
  51. December 10, 2021 at 4:46 AM
    हाँ, बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है l बच्चे अपने घर, परिवेश से जो भी भाषा सीखते हैं उसको ही आधार बनाकर भाषा सीखने की कोशिश करते हैं l उनकी मातृभाषा का सम्मान करते हुए उन्हें लक्ष्य भाषा सीखने में शिक्षकों को मदद करनी चाहिए l

    ReplyDelete

  52. प्रत्येक बच्चा अपनी मातृभाषा सीख कर आता है ।मातृभाषा के माध्यम से अन्य भाषा भी उसे आसानी से सिखाया जा सकता है। बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । बच्चे स्थानीय भाषा के माध्यम से शुरू करते हैं|

    ReplyDelete
  53. प्रत्येक बच्चा अपने जन्म के पहले वर्ष ही परिजनों द्वारा उच्चारित शब्दों को बोलने का प्रयास करता है।यदि कोई बच्चा मूक बधिर नहीं है तो वह अपने साथ एक भाषा लेकर आता है, अतः यह स्पष्ट है कि बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।

    ReplyDelete
  54. बच्चे अपनी मातृभाषा में सीखते हैं अतः हमें प्राथमिक स्तर के बच्चों को मातृभाषा में ही सिखाना चाहिए

    ReplyDelete
  55. बच्चे अपने घर, परिवेश से जो भी भाषा सीखते हैं उसको ही आधार बनाकर भाषा सीखने की कोशिश करते हैं l उनकी मातृभाषा का सम्मान करते हुए उन्हें लक्ष्य भाषा सीखने में शिक्षकों को मदद करनी चाहिए l शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए। भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती हैं।

    ReplyDelete
  56. बच्चो में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है|

    ReplyDelete
  57. प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है|

    ReplyDelete
  58. बच्चे जितना ज्यादा अपनी पहली भाषा में सीखने का प्रयोग नई भाषा में करते हैं तो जल्दी सीखते हैं !बच्चे मातृभाषा से अधिक परिचित रहते हैं। अन्यभाषा सिखानेके लिए मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए।बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है

    ReplyDelete
  59. विद्यार्थियों में सहज रूप से ही भाषायी दक्षता सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| हरेक छात्र छात्रा अपने जन्म के साथ साथ ही एक भाषा लेकर आता है| कई बच्चों में एक से अधिक भाषाएं सीखने की सहज प्रवृत्ति भी पाई जाती हैं । एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में सहज रूप से ही मदद करती है।मातृभाषा बच्चो की अन्य भाषाओं को सीखने में विकास करती है| स्वाभाविक रूप से हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीखता भी है। बच्चों में यह खासियत सहज स्वाभाविक व जन्मजात होती है।

    ReplyDelete
  60. प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है

    ReplyDelete
  61. Baccha apne charo Or ke vatavaran me jis bhasa ko sikhta he yadi usi bhasa ka prayog uske shikshan me kiya jata he to vah Jaldi sikhega.

    ReplyDelete
  62. बच्चे अपनी मातृभाषा में सीखते हैं अतः हमें प्राथमिक स्तर के बच्चों को मातृभाषा में ही सिखाना चाहिए।

    ReplyDelete
  63. Har baccha apne sath ek bhasha lekar aata hai or us bhasha ke madhyam se vo seekhta hai bacchon me yeh gud swabhawik or janmjaat hota hai.

    ReplyDelete
  64. मातृभाषा में बच्चे जल्दी समझ जाते हैं |अतः मातृभाषा के द्वारा ही सिखाया जाना चाहिए
    |

    ReplyDelete
  65. बच्चे में जन्म से ही सुनने और बोलने की क्षमता होती है। सुनना अनायास और स्वाभाविक होता है जबकि बोलने की क्षमता का विकास धीरे-धीरे होता है। आयु बढ़ने के साथ वह सुनी हुई ध्वनि को अपने परिवेश की वस्तुओं के साथ जोड़ते हैं फिर उन वस्तुओं को इंगित करने के लिए अपनी भाषा में बोलने का प्रयास शुरू करते हैं। इस प्रकार उनकी मातृभाषा के विकास की शुरुआत होती है। परिवेश में मौजूद हर वस्तु, व्यक्ति, हावभाव और घटना के लिए एक शब्द (ध्वनि)विशेष को आरक्षित करना सीखते हैं।धीरे-धीरे उनका शब्द भंडार बृहद हो जाता है। किसी ध्वनि से जिस वस्तु या घटना का बोध होता है वही वस्तु या घटना उस ध्वनि का अर्थ होती है।

    ReplyDelete
  66. बच्चे अपनी मातृभाषा में सहज सीखते है , उनको उनकी मातृभाषा में सिखने के किये अधिक प्रयास किये जाना चाहिए फिर बे समय के साथ अच्छा सीख पते है

    ReplyDelete
  67. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  68. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति होती है वह अनुसरण करता है और प्रतिक्रिया देता है वह चाहे छोटा हो बच्चे स्वभाव , प्रवृत्ति से सीखते हैं चाहे उसके सामने कोई भी भाषा भोले अनुसरण करता है।

    ReplyDelete
  69. Bachho me bhasha sikhne ki aur bhasha ke madhyam se sikhne ki swabhavik pravitti Hoti hai bachha pariwar me rahkar apni matra bhasha sikhta hai fir dheere dheere usi bhasha ke madhyam se bahri duniya se sampark sthapit karte hue sikhne ki prakriya me Aage badhta hai
    REENA VARMA
    P/s Boondra
    Harda (M.P.)

    ReplyDelete
  70. बच्चे अपने आस पास से बहुत कुछ सीखते है। ऐसे ही कुछ तरह वो भाषा भी सीखते है। तो उनके साथ व्यवहार करने से को भाषा बहुत अच्छे से सीखते है।

    ReplyDelete
  71. बच्चे मातृभाषा से अधिक परिचित रहते हैं। अन्य भाषा सिखाने के लिए मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  72. श्रीमती रश्मि बुनकर
    एकीकृत शाला शासकीय माध्यमिक विद्यालय जालमपुर(मारकीमहू)
    जिला गुना(म.प्र.)।
    बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।
    अतः यदि बच्चे अपनी पहली भाषा का इतना प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, उस वक्त उन्हें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए। अपितु बच्चे अपनी मातृभाषा में जल्दी सीखते हैं।
    भाषा के माध्यम से बच्चे जल्दी सीखते हैं।





    ReplyDelete
  73. बच्चे अपनी मातृभाषा की प्राथमिकता को रखकर ही अन्य भाषाओं को जल्दी सीख लेता है।ये हमेशा याद रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  74. प्रत्येक बच्चे की भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए

    ReplyDelete
  75. हां अधिकतर ग्रामीण अंचल के बच्चों में अपनी के माध्यम से मातृभाषा हिंदी सिखते है ।बच्चे अपनी मातृभाषा की प्राथमिकता को रखकर ही अन्य भाषाओं को जल्दी सीख लेता है।ये हमेशा याद रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  76. प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है
    अंगद राम यदुवंशी प्राथमिक शिक्षक शास प्राथमिक शाला पाचनजोत (आमला ) जि. बैतूल

    ReplyDelete
  77. हाँ बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति स्वाभाविक होती है, जो मातृभाषा कहलाती है, और किसी अन्य भाषा को सीखने के लिए मातृभाषा ही माध्यम होती है! किसी भी अन्य भाषाओं को सिखाने के लिए उपयोग की जाने वाली गतिविधि में बच्चों की मातृभाषा का उपयोग करने से बच्चे नयी भाषा जल्दी सीख सकते हैं!

    ReplyDelete
  78. बच्चे मे भाषा सीखने की प्रवृत्ति प्रकृति प्रदत्त होती है ।हमे उसमे सहयोग कर निखार लाने का प्रयास करना चाहिए। उसे मूल भाषा से दूर करने की कभी कोशिश न करें।

    ReplyDelete
  79. Matrabhasha mein adhyyan karayen

    ReplyDelete
  80. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
    बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।
    अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए।
    अस्तु बच्चें अपनी मातृभाषा में जल्दी से जल्दी सीखते हैं।

    ReplyDelete
  81. बच्चे को उनकी मातृभाषा में सीखना अच्छा लगता है

    ReplyDelete
  82. बच्चे अपने स्थानीय भाषा से ही सीखते हैं और स्थानीय भाषा के माध्यम से अन्य भाषाओं को भी सीख लेता है अतः अन्य भाषा सीखने में उनकी प्रमुख भाषा ही ,सीखने में मदद करता है जिसके माध्यम से अन्य भाषाओं को बच्चा सीखने में आसानी महसूस करता है।

    ReplyDelete
  83. बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं| घर पर दादा-दादी, मम्मी-पापा, पड़ोसी से वह उनका अनुकरण करके सीखता है | इस प्रकार वह मातृभाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भाषाएं भी अनायास ही सीख लेता है | शिक्षक को उनको स्वयं को अभिव्यक्त करने में, अपने विचार साझा करने में आवश्यक सहयोग देना चाहिए | बच्चे की मातृभाषा का सम्मान करते हुए अन्य भाषाओं को सिखाया जाना चाहिए; किसी भी भाषा को थोपना उचित नहीं है | देखने, सुनने एवं बोलने के अभ्यास से ही वह भाषायी कौशल में दक्ष होगा |

    ReplyDelete
  84. Gramin Anchal ke bacchon ko unki sthaniy bhasha SEBI Sikh a Jana chahie taki unko sikhane mein aasani ho Manik Hindi bhasha ka sthan sthani bhasha ke bad aata hai ine bhashaon ke madhyam se bacche aasani se sakte hain

    ReplyDelete
  85. हां भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की बच्चों में स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है छोटे बच्चे अपने परिवार में भाषा सीखते हैं और धीरे-धीरे अपने आसपास के वातावरण अपने परिवेश से भाषा सीखते हैं और उसी भाषा का प्रयोग करते हुए मैं अपने स्कूल में अपनी लक्ष्य भाषा को सीखते हैं, बच्चों में चारों भाषाई कौशलों- सुनना, बोलना, पढ़ना, और लिखना का विकास साथ होता है , वह समग्र और सार्थक तरीके से होता है ।
    भाषा को टुकड़ों में बांटकर एक के बाद एक भाषा कौशल पर आकर भाषा कौशलों का विकास नहीं किया जाता नहीं किया जा सकता समग्र और सार्थक रूप से होता है।
    बच्चे की मातृभाषा का प्रयोग करते हुए स्कूल में पढ़ाई जाने वाली भाषा यानी कि लक्ष्य भाषा को पढ़ाया जाना चाहिए। भाषा सीखने के लिए आवश्यक यह है कि हम भाषा निर्माण और सूजन के लिए प्रासंगिक अक्सर बच्चों को प्रदान करें।
    कहानी कविता तुकबंदी वाले शब्द नाटक चित्र कहानी आदि के द्वारा बच्चों में भाषाई कौशलों का विकास किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  86. हां बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं।
    छोटे बच्चे परिवार में और बाद में आसपास के वातावरण अर्थात परिवेश से भाषा सीखते हैं। स्कूल में अपनी मातृभाषा का प्रयोग करते हुए अपने स्कूल की भाषा अर्थात लक्ष्य भाषा को सीखते हैं
    अपने आसपास की वस्तुओं ,परिचित परिवेश और रिश्तों के साथ संवाद करते हुए सीखते हैं भाषा सीखने के लिए आवश्यक है कि हम भाषा का निर्माण और सृजन के लिए उनको अवसर प्रदान करें इसके लिए बातचीत, कहानियों पर चर्चा, कविताएं, नाटक आदि का प्रयोग कर सकते हैं ।
    बच्चों में सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने के कौशल के विकास के साथ उनका भाषाई संपर्क आवश्यक होता है ।
    बच्चे भाषा समग्र और एकीकृत तरीके से सीखते हैं वे चारों भाषाई कौशलों का विकास एक साथ ,समग्र और सार्थक रूप से करते हैं।

    ReplyDelete
  87. यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह कुछ देखकर सुनकर और भूलकर सीखते हैं बच्चे यदि सीखनी है मातृभाषा का उपयोग करते हैं स्कूल में अभी मातृभाषा का प्रयोग करते हैं तो हमें उनका सहयोग करना चाहिए
    हम भाषा निर्माण और सूजन के लिए प्रासंगिक अक्सर बच्चों को प्रदान करें।
    कहानी कविता तुकबंदी वाले शब्द नाटक चित्र कहानी आदि के द्वारा बच्चों में भाषाई कौशलों का विकास किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  88. हाँ हम जानते हैं। कि जो छात्र गाँव में रहते हैं और वह जब शहर में आते हैं और शहर के स्कूल में प्रवेश लेते हैं। तब उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में थोड़ी परेशानी आती है। पर एक शिक्षक अपनी समझ से और सभी छात्रों को एक समान रख कर उन्हें स्वतंत्रता देकर (अपने विचार रखने की) अच्छी शिक्षा दे सकता है।

    ReplyDelete
  89. बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।बच्चा अपनी मातृभाषा में आसानी से सीखता है। अन्य भाषाओं को सिखाते समय बच्चे की मातृभाषा का सहारा लिया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  90. AdhikanshbachchegraminoseshalamepraveshletehajokiapnimatrabhashaboltehaAnyabhaahasikhanekeunkimatrabhashakasaharaliyajataha

    ReplyDelete
  91. बच्चों में भाषा सीखने की उत्सुकता और स्वाभाविक पृव्रत्ति होती है। वे अपने माता पिता और अन्य परिजनों की भाषा का स्वतः ही सीखकर अनुकरण करना शुरू कर देते हैं। इसी प्रकार हम उनके जीवन पर उनके परिवेश की भाषा का भी स्पष्ट प्रभाव देखते हैं यह प्रभाव उनकी भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति का उदाहरण है।

    ReplyDelete
  92. बच्चे अपनी मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषाओं को भी सीखते हैं जब वह स्कूल जाते हैं तो अलग अलग भाषा के बच्चों से उनका संपर्क होता है जिसके माध्यम से वे बहुत कुछ सीखते हैं

    ReplyDelete
  93. जी ये बिल्कुल सही बात है कि बच्चे स्कूल से ज्यादा भाषा को बाहर के वातावरण से सीखते हैं।क्योंकि बच्चों की मातृ भाषा जो होती है उसमे बच्चा जल्दी सीखता है ।अतः हमें भी कक्षा में जो बच्चों की स्थानीय भाषा है उसी का उपयोग ज्यादातर करना चाहिए।

    ReplyDelete
  94. स्वाभाविक है, मातृभाषा या स्थानीय भाषा के आधार बच्चों को, सीखने के मे आनंद के साथ साथ, अन्य भाषा व सीखने की प्रक्रिया रूचिकर रहेगा।

    ReplyDelete
  95. Yes, learning of mother tounge is must for target language.

    ReplyDelete
  96. श्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।। बच्ची अपने घर परिवेश से जो भाषा सीखते हैं उसको ही आधार बनाकर भाषा सीखने की कोशिश करते हैं उनकी मातृभाषा का सम्मान करते हुए लक्ष्य भाषा सीखने में शिक्षकों को उनकी मदद करना चाहिए तथा शिक्षकों को चाहिए कि अन्य भाषा सिखाने में मातृभाषा का सहयोग लिया जाए तथा भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती है।।

    ReplyDelete
  97. श्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।। बच्चे अपने घर परिवेश से जो भाषा सीखते हैं उसको ही आधार बनाकर भाषा सीखने की कोशिश करते हैं उनकी मातृभाषा का सम्मान करते हुए लक्ष्य भाषा सीखने में शिक्षकों को उनकी मदद करनी चाहिए तथा शिक्षकों को चाहिए कि अन्य भाषा सिखाने में मातृभाषा का सहयोग लिया जाए तथा भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती है।।

    ReplyDelete
  98. Han bacche apni matrabhasha se Hi Anya bhasha hi sikhate hain apne matrubhasha mein Hi unke arth jante hain aur unse Anya bhasha sikhane mein unhen madad milti hai Ham kha sakte hain ki bacchon mein bhasha sikhane ki janmjaat property hoti hai

    ReplyDelete
  99. Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)-बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है ।अपने घर एवं परिवेश से वहसीखता है ।बोलचाल की भाषा के माध्यम से वह अपने विचार व्यक्त करता है ।

    ReplyDelete
  100. बच्चों में भाषा सीखाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं बच्चो में अपनी मातृभाषा में जल्दी सीखते है अपनी बात रखने में आसानी होती हैं

    ReplyDelete
  101. हां, हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है,जन्म लेने के बाद बच्चा यदि कुछ सीखने के रूप में शुरू करता है तो वह है उसकी "मातृभाषा" जिसकी वहअपनी प्यारी सी तोतली भाषा में मां के साथ शुरुआत करता है।हमारा अपना निजी तौर पर यह सोचना एवं अनुभव भी है- कि वह बच्चे जो स्कूल में स्कूल की भाषा और घर में घर की भाषा बोलते हैं,उन बच्चों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा कर पाते हैं या बुद्धिमत्ता जांच में उन बच्चों के मुकाबले अच्छे अंक लाते हैं जो - सिर्फ गैर मातृभाषा जानते हैं इस बात का आकलन हमनें अपने दमोह के सिंधी कैंप के बच्चों से किया-
    सिंधी कैंप के बच्चे घर में सिंधी भाषा बोलते हैं और स्कूल में उस स्कूल की और हमें बचपन से अपने सिंधी कैंप के मित्रों कि अपनी खुद की भी घटनाएं याद हैं हमारे ये मित्र अपने घरों में सिंधी भाषा बोलते थे और स्कूल में हमारे साथ स्कूल की।
    आज भी हमारे वह सिंधी मित्र भाई बाजार में एक कुशल संपन्न प्रभुत्व व्यवसायी के रूप में मुख्य बाजार में अपना व्यवसायिक वर्चस्व बनाए दिखाई देते हैं।
    हमारे परिवारों की अपेक्षा इनके परिवारों पर व्यवसाय की पकड़ व संपन्नता कई गुनी अधिक है,अतः हम कह सकते हैं कि- भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति स्वाभाविक प्रवृत्ति है क्योंकि इधर बच्चा जब पूर्णतःएक भाषा अपने साथ ला रहा है और दूसरी भाषा स्कूल में सीख रहा है और 2 भाषाएं और स्कूल में उसके लिए एडिशनल सपोर्ट के रूप में संस्कृत और अंग्रेजी उपलब्ध हैं।
    तब की स्थिति में उसके मस्तिष्क का विकास अन्य बच्चे की तुलना में चार गुना अधिक गति से विकसित होता है।
    परिणामतः होता यह है कि,जो बच्चे अपने परिवार या घर के वातावरण से अपनी निजी या पृथक भाषा लाते हैं वे सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक बुद्धिमत्ता वाले होते हैं।
    धन्यवाद...।

    ReplyDelete
  102. हां हां बच्चों में भाषा सीखने की स्वभाविक प्रवृत्ति होती है

    ReplyDelete
  103. बच्चे अपने परिवार में प्रयोग होने वाली मातृभाषा से सीखते है।आसपास k वातावरण से भी भाषा सीखते है।

    ReplyDelete
  104. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
    बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।
    अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए।
    अस्तु बच्चें अपनी मातृभाषा में जल्दी से जल्दी

    ReplyDelete
  105. उन्हें हमारे द्वारा दी जानी भाषा शिक्षण का ज्ञा न रहता है
    हम जो कोशिश करे वह उसकी स्थिति स्तर को ध्यान में रखकर करे तो हम उसे भाषा के ज्ञान में आगे बढ़ा सकते है

    ReplyDelete
  106. बच्चों में सीखने की नैसर्गिक प्रवृत्ति होती है वह वातावरण से मातृ भाषा में भाषा सीखता है सामान्यतः मौखिक एवं लिखित भाषा को सीखाने के लिए उसकी पहली मातृभाषा का प्रयोग नई भाषा को सिखाने के लिए करना चाहिए क्योंकि उन्हें पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता मिलती है

    ReplyDelete
  107. yes bachcho me bhasha seekhane aur bhasha ke madhayam se seekhane ki swabhawik prabrati hoti hai aur we apani sthaneey bhasha me jaldi seekhte hai .

    ReplyDelete
  108. हां हम यह कह सकते है हर बच्चा अपने साथ अपनी भाषा को लेकर आता है और वह उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा भी सीख कर जाता है
    शिक्षा उनको मातृभाषा में ही देनी चाहिए ।
    अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए।
    भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती हैं।
    पारिवारिक भाषा का भी स्वीकार करना चाहिए ताकि बच्चा अपने मनोभावों को व्यक्त कर सकते हो।

    ReplyDelete
  109. बच्चे तो क्या हर कोई अपनी मातृभाषा में ही सर्वोत्तम सीखता है और तो और बच्चों का सीखने का कार्यक्रम मातृभाषा में ही उपयुक्त होगा ।

    ReplyDelete
  110. हां, बच्चे सबसे पहले अपनी मातृभाषा में ही सीखते हैं। वे सबसे पहले अपने माता-पिता,अपने भाई-बहन, दादा-दादी और फिर अपने आस -पड़ोस से सीखते हैं।फिर वे विद्यालय में प्रवेश लेते हैं।वे वहां अपने सहपाठियों से और अपने शिक्षक से सीखते हैं।

    ReplyDelete
  111. बिल्कुल सही है कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रकृति होती है,यही कारण है कि बच्चे अपनी मातृभाषा को परिवेश में बोली जाने वाली भाषा को अनुकरण द्वारा, गल्तियां करके, बार-बार दोहराकर सीखते हैं तथा भाषा के माध्यम से अपने व्यवहार में सुधार करके कई तरह के कार्यों को सीखते हैं।

    ReplyDelete
  112. Bacchon Mein Bhasha sikhane ki prakriya pravritti swabhavik Hoti Hai ISI Karan bacche Ghar per hi Apne Mata Pita dada Dadi aaspaas ke parivesh se Pratham Bhasha apni matrabhasha Sikh lete hain Shikshak ko bhi Usi Bhasha ka Aadhar Banakar bacchon ko Anya bhashaon ka gyan Dena chahie Taki bacche sehat Badal se Anya Bhasha Sikh sakte hain

    ReplyDelete
  113. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
    बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।
    अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए।
    अस्तु बच्चें अपनी मातृभाषा में जल्दी से जल्दी सीखते हैं।
    शिक्षा उनको मातृभाषा में ही देनी चाहिए ।

    REPLY

    Deepak meshram

    ReplyDelete
  114. एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है, भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |

    ReplyDelete
  115. बचचो मे सीखने की स्वाभाविक समझ होती है बच्चो मे अपनी मात्रभाषा सबसे पहले सीखने की क्षमता होती है अतः किसी भी भाषा को सीखने मे मात्र भाषा का पहले उपयोग किया जाना चाहिए

    ReplyDelete
  116. bachchon ko unki matrabhasha ke madhyam se anya bhasaen bhi saraltapurvak sikhai ja sakti hain.

    ReplyDelete
  117. बच्चे में भाषा सीखने और उसी भाषा के द्वारा अन्य भाषाएं सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं अपने घर से अपने घर से मम्मी पापा दादा दादी के द्वारा भाषा सीख जाते हैं

    ReplyDelete
  118. बच्चे बचपन में ही अपनी मातृभाषा क्रमबद्व तरीके से सीखते हैं।शाला में आने के पश्चात वे मातृभाषा के माध्यम से अन्य विषय व भाषाएँ सीखतें है ।

    ReplyDelete
  119. बच्चों में भाषा सीखने एवं भाव भाषा से सीखने के माध्यम से जो प्रवृत्ति होती वह वास्तव में स्वागत है यह बच्ची अपनी मातृभाषा जो बोलते हैं जो उनके प्रवेश की भाषा है उससे सीखने उनके लिए बहुत ही शुभ सजना होता है और जो कि उनके आगे की भाषाई विकास एवं शैक्षणिक विकास में बहुत सहायक होता है

    ReplyDelete
  120. बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति तथा समझ होती है । वे अपनी मातृभाषा में अपने आस-पास के परिवेश से बहुत कुछ तथा बहुत जल्दी सीखते हैं । अन्य भाषा को सिखाने के लिए उनकी अपनी मातृभाषा का सहयोग लिया जाना चाहिए ।

    ReplyDelete
  121. Bachhon me bhasha. Sikhne aur smjhne ki swabhavik pravritti pai jati h, bacche apne parivesh me boli jane wali bhasha ko bolte v smjhte hn

    ReplyDelete
  122. Bachchon main bhasha sikhane or samaghane ki swbhavik praruvarti pai jati he.bachche apane parivesh main boli jane wali bhasha ko bolte v samghate he.

    ReplyDelete
  123. बच्चों को उनके परिवेश के आधार पर भाषा सीखने में सरलता होती है बच्चे जिस परिवेश में ज्यादा रहेंगे उतनी ही पकड़ ज्यादा होगी उनकी ।क्योंकि घर ,परिवार,रिश्तेदार शिक्षक सभी अलग अलग परिवेश में रहते हैं ।

    ReplyDelete
  124. बच्चों की सीखने की समझ अपनी मातृभाषा के द्वारा ही विकसित होती हैं बच्चा अपने मा के गर्भ मे होता है उसी समय से वह सोखना शुरू कर देता है जो उसकी मातृभाषा होती है।
    समय के अनुसार वह दुसरी भाषा सीखता है।

    ReplyDelete
  125. बच्चे की अपनी से जोड़ते हुए मानक भाषा की ओर ले जाना सीखने मे सहायक होगा

    ReplyDelete
  126. Bacchon mein Bhasha sikhane ki pravritti Hoti hai yah hamesha Bhasha sikhate rahte Hain sikhane ke liye hamesha matrabhasha ka prayog Karna chahie Anya bhasha sikhane ke liye matrabhasha ka prayog Karna chahie

    ReplyDelete
  127. Bacchon mein Bhasha sikhane ki pravritti Hoti hai yah hamesha Bhasha sikhte rahte Hain sikhane ke liye hamesha matrabhasha ka prayog Karna chahie Anya bhasha sikhane ke liye matrabhasha ka prayog Karna chahie

    ReplyDelete
  128. बच्चे अपने आसपास के परिवेश से बहुत कुछ सीखते हैं घर पर वह अपने दादा दादी मम्मी पापा पड़ोसी से उनकी भाषा का अनुकरण करके सीखता है मातृभाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भी भाषाएं सीख जाता है और बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह बहुत कुछ देखकर सुनकर सीखते हैं बच्चे मातृभाषा का उपयोग करते हैं अत: हमें मातृभाषा द्वारा उनके सीखने में सहयोगी बनना चाहिए ताकि वह अच्छी तरह से सीख सकें

    ReplyDelete
  129. बच्चे जब पहली बार स्कूल आता है वह अपनी भाषा लेकर आता है। उससे उसी की भाषा में बात करना चाहिए।

    ReplyDelete
  130. बच्चे जब पहली बार स्कूल आता है वह अपनी मात्र भाषा लेकर आता है उससे उसी की भाषा में बात करना चाहिए और धीरे धीरे अन्य भाषा की ओर बढते हुए सिखाना चाहिए उमा देवी जादोन शा. प्रा. वि. हरिज्ञानपुरा, सबलगढ़, मुरेना म. प्र.

    ReplyDelete
  131. बच्चों मे सीखने की स्वाभाविक समझ होती है बच्चे अपनी मातृभाषा सबसे पहले सीखते है अतः किसी भी भाषा को सीखने के लिए अपनी मातृभाषा का पहले उपयोग किया जाना चाहिए जिससे वह आसानी से सीख सकें

    ReplyDelete
  132. Bchache bhasha ko badi lagan se sunkar sikhate hai aur pahli bhasha dusari bhasha ko sikhane ka madhyam jarur banate hai.hame esi tarah sikhane chahie.

    ReplyDelete
  133. बच्चों में सीखने की स्वभाविक समझ होती है ।मात्र भाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भी भाषा सीख जाते हैं हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए ।

    ReplyDelete
  134. बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । अपनी मातृभाषा को तो स्वाभाविक रूप से बच्चे सीखते ही हैं साथ ही साथ अन्य भाषाओं को सीखने के लिए भी सदैव तत्पर और इच्छुक रहते हैं । ऐसे में उन्ही की मातृभाषा की मदद से बच्चो को नई भाषा आसानी से सिखाई जा सकती है

    ReplyDelete
  135. (अनुराधा पाटवेकर) ग्रामीण स्तर पर हर क्षेत्र विशेष कि अपनी एक क्षेत्रीय बोली होती है जो हर 30 से 35 किलो मीटर में बदल जाती है, और उस क्षेत्रीय बोली / भाषा में वहां के बच्चों की पकड़ मजबूत होती है और यदि उसी भाषा में अध्यापन कराया जाता है तो बच्चों की रुचि अन्य भाषाओं के लिए सदैव तत्पर और इच्छुक रहते है, ऐसे ही उन्ही कि भाषा की मदद से बच्चों को नई भाषा आसानी से दिखाई जा सकती है !

    ReplyDelete
  136. बच्चों में अपनी मातृभाषा में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है अतः हम शिक्षण के दौरान औपचारिक भाषा को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर शिक्षण कराना लाभकारी होता है

    ReplyDelete
  137. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । चाहे उन्हें कोई भी भाषा सीखने हो

    ReplyDelete
  138. बच्चों में भाषा सीखने की सहज प्रवृत्ति होती हैं। उसके जन्म से लेकर जैसे जैसे उसका शारीरिक व मानसिक विकास होता हैं वह अपने आस पास के लोगो से भाषा का अधिग्रहण करता है था भाषा सीख जाता हैं।

    ReplyDelete
  139. हां अधिकतर ग्रामीण अंचल के बच्चों में अपनी के माध्यम से मातृभाषा हिंदी सिखते है ।

    ReplyDelete
  140. बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं घर पर दादा दादी मम्मी पापा पड़ोसी से वह उनका अनुकरण करके सीखता है मातृभाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भी भाषाएं सीख जाता है और यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह कुछ देखकर सुनकर और भूलकर सीखते हैं बच्चे यदि सीखनी है मातृभाषा का उपयोग करते हैं स्कूल में अभी मातृभाषा का प्रयोग करते हैं तो हमें उनका सहयोग करना चाहि

    ReplyDelete
  141. बच्चों में भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति पाई जाती हैं जिसके माध्यम से बच्चा स्वता ही अपने आसपास के परिवेश से भाषा का ज्ञान प्राप्त करता है अपने परिवेश के माध्यम से बच्चा स्थानीय बोली को आत्मसात कर लेता है हमें बच्चों की बोली भाषा का सम्मान करते हुए स्थानीय बोली के अनुसार बच्चों को ज्ञान अर्जन कराना चाहिए

    ReplyDelete
  142. Han bacchon mein bhasha sikhane ki aur bhasha ke Madhyam Se sikhane Ki swabhavik pravritti hoti hai Jiske dwara vah Apne a aaspaas ke parivesh se pata hi Bhasha ka gyan prapt kar lete hain aur apni matrabhasha ko vah bahut jaldi anukaran kar lete hain

    ReplyDelete
  143. Pratyek baccha Apne Sath apni matrabhasha ke sath school mein Pravesh karta hai usko yadi Usi Ki bhasha mein padhe likhe Jaaye to vah jaldi se samajh pata hai aur Shikshak ki or aakarshit Hota hai

    ReplyDelete
  144. बच्चों में अपनी सीखने की समझ का विकास उनके आसपास बोले जाने वाली मातृभाषा के अनुरूप ही होता है जिससे सहजता से भाषा को समझ पाते हैं

    ReplyDelete
  145. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृति बचपन से ही होती है वह अपने घर आसपास मे भी बहुत कुछ सीखता हैं। बच्चों को उनकी मातृभाषा को अपनाते हुए उसे अन्य भाषा सीखने की ओर आकर्षित करना चाहिए।

    ReplyDelete
  146. बच्चों में भाषा सीखने की लालसा होती है सीखने के लिए सरल भाषा का ही उपयोग करना चाहिए बच्चे अपने समज से ही सीखते हैं

    ReplyDelete
  147. Language development is an amazing process. In fact, learning language is natural, an innate process babies are born knowing how to do.Interestingly, all children, no matter which language their parents speak, learn language in the same way.

    Overall, there are three stages of language development, which occur in a familiar pattern. So, when children are learning to speak, understand, and communicate, they follow an expected series of milestones as they begin to master their native tongue. However, note that individual children will progress at their own pace along this timeline within an expected range of deviation.

    ReplyDelete
  148. बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है मां बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है बच्चे घर परिवार समाज में रहकर प्रचलित भाषा का उपयोग करता है इसी आधार पर मोहल्ले पास पड़ोस घर का वातावरण के अनुसार अपने विचारों का आदान प्रदान करता है

    ReplyDelete
  149. शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जानी चाहिए साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती है

    ReplyDelete
  150. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति बचपन से होती हैं वह अपने घर आसपास से भी बहुत कुछ सिखाता है बच्चों को उनकी मातृभाषा को अपनाते हुए उसे अन्य भाषा सीखने की ओर आकर्षित करना चाहिए।

    ReplyDelete
  151. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति बचपन से होती हैं वह अपने घर आसपास से भी बहुत कुछ सिखाता है बच्चों को उनकी मातृभाषा को अपनाते हुए उसे अन्य भाषा सीखने की और आकर्षित करना चाहिए।

    ReplyDelete
  152. जी हां बच्चे स्वाभाविक रूप से भाषा सीखते हैं वह अपने परिवार पड़ौस और परीवेश से सीखना आरंभ कर देते हैं जो शाला में आकर विस्तारित होती है। परिवार भाषा, स्थानीय भाषा और फिर एक समृद्ध वातावरण पाकर मानक भाषा की ओर अग्रसर होते हैं।

    ReplyDelete
  153. प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |

    ReplyDelete
  154. प्रत्येक बच्चा अपने साथ कुछ न कुछ भाषा कौशलों को लेकर आता है विद्यालय में बच्चे की भाषा को औऱ स्पष्ट तथा निखारा जाता हैं बच्चे की भाषा को एक मानक भाषा मे बदला जाता है

    ReplyDelete
  155. जी बच्चों में जन्म के पहलें से ही सीखनें की स्वाभाविक प्रवृत्ति बन जाती हैं, तथा जन्म के बाद वे लगातार संपर्क में रहतें हुये अपनी गति व स्वभाव अनुसार सीखना शुरू करतें हैं, अत: हम कह सकतें हैं, की बच्चों में सीखना एक स्वाभाविक क्रिया हैं, Gunmala dangi,. Ps dhekal choti Jhabua mp

    ReplyDelete
  156. Ha bachcho m bhasha sikhne or sikhi hue bhasha se sikhne ki swbhavik pravratti hoti h jiska hame bachcho ko sikhane k liye prayog karna aavashyak h.jiske dwara bachche aaram se khel khel m sikhte jaate h.dhanywad Nandlal rangota p.s.nai aabadi bhojakhedi block alote dist.ratlam.


    ReplyDelete
  157. हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। बच्चा जिस परिवेश में रहता उस परिवेश के व्यक्तियों द्वारा व्यक्त की गई अभिवयक्तियों को समझ कर उनकी ही भाषा में अपने विचारों, आवश्यकताओं को व्यक्त करने लगता है। परिवेश स्थान बदलने पर भाषा बदलने पर पूर्व में सीखी भाषा के अनुभव के आधार पर दूसरी भाषा सीखने लगता है और परिवेश के व्यक्तियों की समझ के अनुसार भाषा का उपयोग कर अपने विचारों को व्यक्त करने लगता है। भाषा अलग -अलग हो सकती हैं, परन्तु विचारों में समानता होती है, जैसे-स्कूल जाना है, की भावुकता एक जैसी होगी ।

    ReplyDelete
  158. प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती है
    जयश्री यदुवंशी सहा शिक्षक प्राथमिक शाला पाचनजोत वि ख. आमला (बैतूल)म.प्र.

    ReplyDelete
  159. बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिएबच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। अतः यदि बच्चें अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं, तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए

    ReplyDelete
  160. हां बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है जब बच्च्चे शाला आता आते हैं तो वह अपनी मातृभाषा के साथ आते हैं उनमें अन्य भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है बे स्वयं करके सीखते हैं उस समय हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा में समझाने में सहयोग करना चाहिए

    ReplyDelete
  161. हां बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है जब बच्चे शाला आते हैं तो वह अपनी मातृभाषा के साथ आते हैं उनमें अन्य भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है वे स्वयं करके सीखते हैं उस समय हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा में समझाने में सहयोग करना चाहिए

    ReplyDelete
  162. बच्चों में भाषा सीखने की सहज प्रवृत्ति होती है
    बच्चे को स्वतंत्र रूप से भाषा सीखने का मौका
    देना चाहिए।
    राममिलन अहिरवार प्राथमिक शिक्षक
    GMS Maharajpur

    ReplyDelete
  163. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात

    ReplyDelete
  164. सभी बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है प्रत्येक बच्चा अपने परिवेश से एक भाषा लेकर आता है| कई बच्चे एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है|

    ReplyDelete
  165. बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं घर पर दादा दादी मम्मी पापा पड़ोसी से वह उनका अनुकरण करके सीखता है मातृभाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भी भाषाएं सीख जाता है और यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह कुछ देखकर सुनकर और भूलकर सीखते हैं बच्चे यदि सीखनी है मातृभाषा का उपयोग करते हैं स्कूल में अभी मातृभाषा का प्रयोग करते हैं तो हमें उनका सहयोग करना चाहिए।

    ReplyDelete
  166. बच्चे घर से ही अपनी मातृ में बतूह कुछ सीखकर आते हैं।जो बच्चों ने अपने बड़ो से शब्द सुने है बो उन्हें स्कूल में भाषा सीखने में अहम योगदान देते हैं।

    ReplyDelete
  167. बच्चे अपनी मातृभाषा से परिचित होते हैं अपने घर आस-पड़ोस के बातों में उनकी मातृभाषा कुशल तो सीख जाते हैं एवं दूसरी भाषा सीखने की जिज्ञासा बच्चों में बहुत होती है मातृभाषा सहयोग से विदेशी भाषा को भी सही ढंग से सीख जाते हैं

    ReplyDelete
  168. बच्चों में भाषा सीखने की प्रवृत्ति और भाषा से सीखने की प्रवृत्ति पाई जाती है| प्रत्येक बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है| कई बालक एक से अधिक भाषाएं लेकर भी आते हैं और वह उस माध्यम से अन्य भाषा के साथ उस भाषा का संबंध बनाकर सीखते हैं| इस प्रकार एक भाषा दूसरी भाषा को सीखने में मदद करती है| भाषा बच्चे की अन्य भाषाओं का विकास करती है| अतः स्पष्ट है कि हर बच्चा अपने साथ एक भाषा लेकर आता है और उस भाषा के माध्यम से वह सीख भी प्राप्त करता है |बच्चों में यह प्रवृत्ति स्वाभाविक व जन्मजात होती

    ReplyDelete
  169. बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
    बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं। बच्चों के अंदर नैसर्गिक गुण होते हैं कि वह स्वयं करके सीखते हैं।प्रत्येक बच्चा अपनी मातृभाषा के साथ विद्यालय मे प्रवेश लेता है।बच्चों मे अपनी भाषा के साथ साथ दूसरी भाषा सीखने की सहज प्रवृत्ति होती है। बच्चों से उनकी मातृभाषा मे वार्तालाप करें।दूसरी भाषा सिखाने के लिऐ मातृभाषा का उपयोग कि या जा सकता है।जिससे वह नई भाषा को आसानी से सीख पाते है।जल्दी ही उनकी समझ विकसित होती है ।शिक्षा हमेशा मातृभाषा में ही प्रदान की जानी चाहिए साथ ही अन्य भाषा को सिखाने के लिए उसकी मातृभाषा का सहयोग लिया जाए भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक जन्मजात प्रवृत्ति सभी बच्चों में होती है Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh

    ReplyDelete
  170. बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है बच्चे अपनी मातृभाषा के माध्यम से जल्दी सीखते हैं आसपास के वातावरण से भी बहुत कुछ सीख








    ReplyDelete
  171. हां,यह बात बिलकुल सच है कि बच्चों में भाषा सीखने का प्राकृतिक गुण पूर्व से ही उनमें समाहित होता है और यदि सही समय पर उन्हें अच्छे अवसर मिलें तो निश्चित ही बच्चे भाषा सीखने की दक्षता प्राप्त कर सकते हैं।और यह सही समय होता है,उनका शाला में प्रवेश।जो उनकी भाषा सीखने की क्षमता को बहुत ही अच्छे अवसर प्रदान करते हुए निरंतर आगे बढ़ने में मदद करता है।

    ReplyDelete
  172. बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है बच्चे अपनी मातृभाषा के माध्यम से जल्दी सीखते हैं आसपास के वातावरण से भी बहुत कुछ सीखते हैं

    ReplyDelete
  173. बच्ची अपनी मातृभाषा परिचित होते हैं बच्चों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है बच्चे अपनी मातृभाषा के माध्यम से जल्दी सीखते हैं

    ReplyDelete
  174. बच्चों में भाषा सीखने की लालसा पाई जाती है ।
    बच्चे अपनी मातृभाषा से परिचित होते है तथा मातृभाषा के माध्यम से जल्दी सीखते हैं ।

    ReplyDelete
  175. बच्चो को सिखाने के लिए मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए जिससे वे जल्दी सीखते है।

    ReplyDelete
  176. बच्चे अपने घर में जो भाषा बोलते हैं
    उस भाषा में बात करने की कोशिश करना चाहिए

    ReplyDelete
  177. बच्चों मे सीखने की स्वाभाविक समझ होती है बच्चे अपनी मात्र भाषा सबसे पहले सीखते ही अतः किसी भी भाषा को सीखने मे मात्र भाषा का पहले उपयोग किया जाना और यदि सही समय पर उन्हें अच्छे अवसर मिलें तो निश्चित ही बच्चे भाषा सीखने की दक्षता प्राप्त कर सकते हैं।और यह सही समय होता है,उनका शाला में प्रवेश।जो उनकी भाषा सीखने की क्षमता को बहुत ही अच्छे अवसर प्रदान करते हुए निरंतर आगे बढ़ने में मदद करता है।

    ReplyDelete

  178. मातृभाषा में ही बच्चे जल्दी सीखते हैं और धीरे-धीरे उनको अपनी टारगेट भाषा की ओर अग्रसर करना चाहिए उन्हें किसी प्रकार का दबाव या डांट नहीं करना चाहिए जिससे उनमें डर की भावना पैदा ना हो

    ReplyDelete

  179. बच्चों मे सीखने की स्वाभाविक समझ होती है बच्चे अपनी मातृभाषा सबसे पहले सीखते है अतः किसी भी भाषा को सीखने के लिए अपनी मातृभाषा का पहले उपयोग करना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से सीख सकें

    ReplyDelete
  180. हाँ बच्चे अपनी मात्र भाषा में जल्दी सीखते हैं । हर बच्चे में सीखने की अलग अलग प्रवति होती है ।

    ReplyDelete
  181. बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक समझ होती है।वे अपने आसपास के परिवेश से बहुत कुछ सीखते हैं, जिसमें मात्रृभाषा के साथ-साथ बाहरी बोल चाल की भाषाएं भी सीख जाते हैं, जो कि यह भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।बच्चें सुनकर चर्चा कर अनुकरण के माध्यम से भी भाषा सीखने का प्रयास करते है।

    ReplyDelete
  182. दिलीप कुमार शर्मा शा.प्रा.वि.मोहनपुरा का पुरा जन शिक्षा केंद्र शा.उ.मा.वि.करनवास वि.ख.राजगढ़ (म.प्र)
    हांँ बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है| बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं| घर पर दादा -दादी, मम्मी -पापा, पड़ोसी से वह उनका अनुकरण करके सीखता है| इस प्रकार वह मातृभाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भाषाएं भी अनायास ही सीख लेता है| बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है| अतः यदि बच्चे अपनी भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं| तो उस वक्त शिक्षक को उन्हें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए बच्चे अपनी मातृभाषा से जल्दी से जल्दी सीखते हैं| बच्चे की मातृभाषा का सम्मान करते हुए अन्य भाषाओं को सिखाया जाना चाहिए देखने सुनने एवं बोलने के अभ्यास से ही बच्चे भाषाई कौशल में दक्ष होंगे |
    Date 20-12-2021
    Time: 9:05 PM

    ReplyDelete
  183. हां स्थानीय भाषा के माध्यम से बच्चे सुगमतापूर्वक सीखते हैं। स्थानीय भाषा के साथ साथ बच्चों को मातृ भाषा का भी ज्ञान दिया जाना चाहिए। जिससे वे विकास की ओर अग्रसर हो सके।

    ReplyDelete
  184. यह बात बिल्कुल सही है कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।बच्चा जन्म से ही भाषा सीखना शुरू कर देता है और जैसे-जैसे बड़ा होता है तो वह भाषा की ध्वनि निकालना शुरू कर देता है। जैसे-प प प, मां मां मां इत्यादि। धीरे-धीरे वह ध्वनि से शब्द बोलना शुरू कर देता है एवं शब्दों से वाक्य बोलना शुरू कर देता है। लेकिन यह उसके घर में बोली जाने वाली भाषा होती है। यदि स्कूल में आने के बाद उसकी मातृभाषा को माध्यम बनाया जाए तो वह आसानी से टारगेट भाषा सीख सकता है और यदि प्राथमिक शिक्षण मातृभाषा में हो तो बच्चे और तेजी से सीख सकते हैं। धन्यवाद

    ReplyDelete
  185. यह बात बिल्कुल सही है कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के द्वारा सीखने की अभिवृत्ति एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । क्योंकि जब बच्चा जन्म लेता है ,तब से ही कुछ ना कुछ आवाजें या संकेत अपनी प्राइमरी नीड्स को जाहिर करने के लिए देने लगता है । इसी तरह से धीरे-धीरे बच्चा उम्र के पड़ाव तय करता जाता है ,और आवश्यकताओं , अपनी भावनाओं आदि को एक्सप्रेस करने के लिए धीरे-धीरे भाषा सीखने लगता है , और अभिभावकों के रूप में रिश्तेदारों के रूप में हम सभी बच्चे को बचपन से ही कुछ ना कुछ भाषा के रूप में सिखाने का काम बड़ी ही सहजता और सरलता से करने लगते हैं ,
    और धीरे-धीरे बच्चे की मातृत्व भाषा का विकास होने लगता है और वह अनौपचारिक रूप से ही ना जाने कितनी भाषाई शब्दों को सीख चुका होता है और अपने विचारों और अपने अनुभवों को साझा भी करने लगता है ।भाषा एक माध्यम है,आत्म अभिव्यक्ति का ।

    ReplyDelete
  186. मैं अनुराधा सक्सेना सहायक शिक्षिका एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला माधवगंज क्रमांक 2 विदिशा प्राथमिक खंड विदिशा मध्य प्रदेश प्रश्न अनुसार क्या हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है के प्रतिउत्तर में बच्चे अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं परिवार में बच्चा अनुकरण करके सीखता है मात्र भाषा सीखने के साथ-साथ बाहर की भी भाषाएं सीख जाता है और यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि कुछ देखकर सुनकर बोलकर सीखते हैं बच्चे यदि स्कूल में अपनी मातृभाषा का उपयोग करते हैं तो उनका सहयोग करना चाहिए बच्चों में भाषा सीखने और उसी भाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है अतः यदि बच्चे अपनी पहली भाषा का जितना ज्यादा प्रयोग नई भाषा को सीखने में करते हैं तो उस वक्त उन्हें हमें उनकी पहली भाषा से दूसरी भाषा को समझने में सहायता करनी चाहिए धन्यवाद सहित

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोर्स 2 - गतिविधि 6 - अपने विचार साझा करें

कोर्स 4 - गतिविधि 2 - अपने विचार साझा करें