कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नांदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा कक्षा में आने वाले सभी बच्चो की सीखने की क्षमता एक सी नही होती है और यही एक चुनौती है ।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन यह सफलता से करना एक अपनेआप में एक बड़ा ही प्यारा मज़ा है।
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
बच्चे अपने परिवेश एवं उस वातावरण से अप्रत्यक्ष रूप में बहुत कुछ सीखते है।आवश्यकता है उन्हें मार्गदर्शन की।उनके परिवेश में उपलब्ध संसाधन ही उनके स्खने का आधार हो सकते है।
कक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उन्हें उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परवेज अलग अलग होने से उनका स्तर जानकर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है !
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए .
Every child is special child. अतः प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Every child is special child. प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कक्षा में सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते हैं और उनकी सीखने की गति भी अलग अलग होती है । तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है ।
प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग अलग होती है इसके लिए बच्चो को उनकी आवश्यकतानुसार पढाना चाहिए |सत्य नारायण गुप्ता स शि एकीकृत शा मा वि पाडलिया मारू मन्दसोर मध्य प्रदेश
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग सीखने की गति से आवश्यकतानुसार पढ़ना बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन के महत्व के बारे में विचार करें और सोचे कि बुनियादी साक्षरता संख्या ज्ञान बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाना चाहिए
संतोष कुशवाहा पी एस कटापुर जेएसके ररुआराय विकास खण्ड सेवढ़ा जिला दतिया मध्य प्रदेश कक्षा में प्रत्येक बच्चे की स्थिति अलग अलग होती है। उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है
कक्षा में बच्चो की सीखने की गति अलग अलग होती है। बच्चे परिवेश के अनुसार सीखते हैं ।कुछ बच्चे वातावरण अनुसार सीखते है। बच्चों को बुनियादी साक्षरता अनुसार पढ़ाना चाहिए।
कक्षा में आने वाले बच्चे विभिन्न परिवेशों से आते हैं उनकी स्थिति भी भिन्न भिन्न होती है उन्हें एक साथ एक ही वातावरण में ढालना सबसे बड़ी चुनौती होती है परंतु यह काम करने और बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाने का आनंद भी अद्भुत है।
सभी छात्रों की अपनी अलग आवश्यकता होती है।सभी छात्र का वातावरण अलग-अलग रहता है।बच्चे की मानसिक स्वास्थ्य की जांच कर उसकी सिखने की गति के आधार पर ही सिखाना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन यह सफलता से करना एक अपनेआप में एक बड़ा ही प्यारा मज़ा है।
विद्यालय में सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं| अतः उनके भाषाई कौशल व सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं| ऐसी स्थिति में समस्त छात्रों का समग्र विकास करना एक अहम चुनौती होती है| इसके लिए शिक्षक को बच्चों के स्तर को जानना आवश्यक है तथा उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना भी आवश्यक है कि बच्चे की कौन सी पृष्ठभूमि है| बच्चे के भाषाई कौशल किस प्रकार के हैं? इन कौशलों पर कार्य करके वह बच्चों के समग्र विकास के लिए कार्य कर सकता है| मैं -रघुवीर गुप्ता ,शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहसराम, विकासखंड- विजयपुर ,जिला- श्योपुर( मध्य प्रदेश)
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए
Kaksha mai prayatak bacche alag alag parivace se aate hai aour unki yavasaktayen alag alag Hoti Hain prayatek bachche Ko uski mansik esthiti Ko pahchan kr uski aavasyakta sikhane ki gati key anushar hi sikhana chahiya
Kaksha Mein Sabhi bacche alag alag parivesh se Aate Hain tatha Unki sikhane ki gati bhi alag alag Hoti Hai .tatha Sabhi bacchon Ke liye ek Saman vatavaran banaa Pana Sabse Badi chunauti hoti.
कक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों के सामाजिक परिवेश को समझना पड़ेगा उसके उपरांत ही उनकी समझ के अनुसार गतिविधियां तैयार कर लक्ष्यों को प्राप्त करना पड़ेगा
बच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ना-यह विकासात्मक लक्ष्य तीन है। जब एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं का संचालन का दायित्व दे दिया जाता है तो सभी बच्चों की आवश्यकता अनुरूप शिक्षण नहीं हो पाता और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है इस प्रकार बच्चों का उत्साह नष्ट हो जाता है।
बच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ा ना यह विकासात्मक लक्ष्य है जबकि एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं का संचालन का दायित्व दे दिया जाता है तो सभी बच्चों की आवश्यकता अनुरूप शिक्षा नहीं हो पाता और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है इस प्रकार बच्चों का उत्साह नष्ट हो जाता है
कक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग हो ती है यही सबसे बड़ी चुनौती है इसके अलावा आसपास के परिवेश का भी प्रभाव पड़ता है बच्चों की मानसिक स्थिति को पहचान कर उनकी क्षमता के अनुसार उनको अध्ययन करवाना चाहिए अशोक बैरागी शासकीय प्राथमिक विद्यालय बिमरोड़ संकुल केंद्र शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ तहसील सरदारपुर जिला धार
प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती है क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है कक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उन्हें उनके स्तर से सीखना होता है
तीनों विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित अनुभवों की योजना बनाते समय हमारे सामने कई चुनौतियां आती है। प्रमुख रूप से बच्चों के घर परिवार का वातावरण, आसपास का वातावरण, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि। इसके अलावा कई बच्चे बहुत शरारती होते हैं और कुछ बच्चे बहुत शांत होते हैं। हमें अनुभवों की योजना बनाते समय इन सभी में सामंजस्य बनाना होगा तभी हम तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
रत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण जिला जबलपुर म प्र
सभी बच्चों की आवश्यकताएं और परिवेश अलग अलग होते हैं। जिसके कारण इनके मानसिक स्तर में भी अंतर होता है। ऐसी परिस्थिति में विद्यार्थियों को उनके स्तर, परिवेश और आवश्यकताओं के अनुसार सिखाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी लक्ष्य तक पहुंचने में सहजता अनुभव कर सकें।
कक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उन्हें उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परवेज अलग अलग होने से उनका स्तर जानकर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए रमेशा चऩ्र्द राजपूत शा . मा.शाला प्रेमपुरा भोपाल
कक्षा में बच्चों के सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उनको उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परिवेश अलग-अलग होने से उनका स्तर जान कर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है
सभी बच्चों की आवश्यकताएं और परिवेश अलग अलग होते हैं। जिसके कारण इनके मानसिक स्तर में भी अंतर होता है। ऐसी परिस्थिति में विद्यार्थियों को उनके स्तर, परिवेश और आवश्यकताओं के अनुसार सिखाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी लक्ष्य तक पहुंचने में सहजता अनुभव कर सकें।
(शा.प्रा. वि.जतौली विकास खण्ड मुंगावली जिला अशोक नगर मध्य प्रदेश) विभिन्न स्तर के बच्चों का अलग - अलग परिवेश, अलग परिवारिक पृष्ठभूमि के विभिन्न बच्चें, बच्चों की सीखने की गति में अन्तर आदि में सामंजस्य स्थापित करना सब से चुनौतिपूर्ण क्षण होता है ।
सभी बच्चों की आवश्यकताएं एवं स्तर तथा उनका परिवेश और उनकी मानसिक स्थिति भिन्न-भिन्न होती है कक्षा में बच्चे की आवश्यकताएं उनके स्तर परिवेश और मानसिक स्थिति को समझते हुए समान स्तर पर शैक्षणिक योजना बनाना एक चुनौती है पर उन बच्चों की आवश्यकताओं परिवेश और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक योजनाएं बनाना अपने आप में मजेदार है l धन्यवाद,, महावीर शर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती। इनके सीखने का स्तर अलग अलग होता है। उन्हें उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परवेज अलग अलग होने से उनका स्तर जानकर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है !
प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है ।उनके सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।उनकी सीखने की गति के अनुरूप परिवेश और अवसर उपलब्ध कराना चुनौती पूर्ण मुद्दा है।
श्रीमती रश्मि बुनकर एकीकृत शाला शासकीय माध्यमिक विद्यालय जालमपुर जन शिक्षा केन्द्र मारकीमहू विकास खंड गुना (म.प्र.) विद्यालय में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं आते हैं। अतः उनके भाषाई कौशल व सीखने सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं। ऐसी स्थिति में समस्त छात्रों का समग्र विकास करना एक अहम चुनौती होती है होती। इसके लिए शिक्षक को बच्चों के स्तर को जानना आवश्यक है। तथा उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना भी आवश्यक है कि बच्चे की कौन सी पृष्ठभूमि हैं। बच्चे के भाषाई कौशल किस प्रकार के हैं? कौशल पर कार्य करके बच्चों के समग्र विकास के लिए कार्य कर सकता है।
अपनी कक्षा में विभिन्न गतिविधियों से संबंधित पोस्टर सामग्री इत्यादि चित्रण से सुसज्जित कर बच्चों को सिखाने में मदद ले सकते हैं। यही विचार से आगे बढ़ना मुद्रण समृद्ध अधिगम वातावरण का एक सूक्ष्म उदाहरण हैं।
प्रमुख रूप से बच्चों के घर परिवार का वातावरण, आसपास का वातावरण, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि। इसके अलावा कई बच्चे बहुत शरारती होते हैं और कुछ बच्चे बहुत शांत होते हैं। हमें अनुभवों की योजना बनाते समय इन सभी में सामंजस्य बनाना होगा तभी हम तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
विद्यालय में सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं| अतः उनके भाषाई कौशल व सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं| ऐसी स्थिति में समस्त छात्रों का समग्र विकास करना एक अहम चुनौती होती है| इसके लिए शिक्षक को बच्चों के स्तर को जानना आवश्यक है तथा उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना भी आवश्यक है कि बच्चे की कौन सी पृष्ठभूमि है| बच्चे के भाषाई कौशल किस प्रकार के हैं? इन कौशलों पर कार्य करके वह बच्चों के समग्र विकास के लिए कार्य कर सकता है|
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.प्रमुख रूप से बच्चों के घर परिवार का वातावरण, आसपास का वातावरण, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि। इसके अलावा कई बच्चे बहुत शरारती होते हैं और कुछ बच्चे बहुत शांत होते हैं। हमें अनुभवों की योजना बनाते समय इन सभी में सामंजस्य बनाना होगा तभी हम तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
Vargikaran ki gatividhi acchi hai bacche alag alag parivesh se aate Hain isliye unki alag alag prakar ki soch Hoti hai jisse ham aap acchi madhyam se samjha kar Sahi kar sakte
सभी बच्चों का मानसिक स्तर अलग -अलग होता है ।सभी बच्चों के शौक अलग होते है ।ऐसी स्थिति में बच्चों की रूचि को पहचान कर उसके अनुसार गतिविधि का चयन करना बहुत कठिन होता है ।
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता हैं। परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकता अलग अलग होती है। अतः उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। N.K. AHIRWAR
Govt.epes m.s.bhanvarasa Neemuch कक्षा मे सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है उनके सीखने की गति भी अलग अलग होती है । सभी बच्चो के लिए उनकी आवश्यकता के अनुरूप गतिविधि कर सिखाना चाहिए।
सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता भिन्न होती है ।साथ ही उसकी आवश्यकता भी अलग होती है। बच्चे भिन्न भिन्न परिवेश से आते हैं उनकी पारिवारिक, सामाजिक,सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक परिस्थिति भिन्न होती है। अतः सभी बच्चों को समान विकासात्मक लक्ष्य प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होता है।
Pratigya bacche ki sikhane ki shamitabh in hoti hai uske sath uski avashyakta hai abhi alag alag Hoti Hai bacche bindravan parivesh main vatavaran se Aate Hain Unki Samajik sanskritik hoti hai bacchon Ko prapt karna hi hai
मैं विभिन्न क्षमता वाले बच्चों को विषय संबंधी समझ विकसित करना चुनौतीपूर्ण क्षण है। क्योंकि एक समय में केवल एक गतिविधि का हम निर्धारण कर सकते हैं जैसेकविता के माध्यम से विषय वस्तु की समझ विकसित करना कहानी में रुचि रखने वाले बच्चे इस में भाग नहीं लेंगे।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं व उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है, अतः सभी बच्चों के लिए एक सा उपलब्धि स्तर प्राप्त कर लेना संभव नहीं है | ऐसी परिस्थितियों में सीमित अवधि में किसी बच्चे को लर्निंग आऊटकम्स [सीखने की परिलब्धि] के स्तर तक ले जाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होता है |
शाला के प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश और मानसिक स्तर अलग रहता है प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित, सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मद्दे उनकी पृष्ठभूमि परिवेश समझ क्षमता मानसिक स्थिति होगें क्योंकि में ये सब एक समान नहीं होते हैं
कक्षा में सभी बच्चे भिन्न भिन्न परिवेश से आते है उनके सीखने की क्षमता एवं आवश्यकता भी भिन्न भिन्न होती है। उनके सीखने की क्षमता एवं गति के अनुसार अलग अलग तरीकों से सिखाना चाहिए।
विद्यालय में भिन्न-भिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं एवं उनके सीखने की गति भी विभिन्न स्तरों की होती है। बच्चों की सीखने की क्षमता भी भिन्न-भिन्न होती है ऐसी स्थिति में बच्चों को सिखाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु हम शिक्षकों को यह चुनौती स्वीकार कर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करना चाहिए। शैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश।
शाला में शिक्षकों को सीखने-सिखाने से संबंधित कई चुनौतियां सामने आती है जैसे कि एक कक्षा के बच्चे अलग-अलग परिवेश, जाति, धर्म,रहन सहन से आते है उन्हें एक साथ एक समय में किसी विषय वस्तु को सीखना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
चूंकि हर बच्चा अलग-अलग परिवेश एवं परिस्थिति से आते हैं। विभिन्न प्रकार के दिव्यांग बच्चे भी शामिल रहते हैं, उनकी सीखने की क्षमता और अन्य बच्चों की भी सीखने की अलग-अलग क्षमताएं होती हैं। ये सारी परिस्थितियां शिक्षकों को सिखाने में एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आयेंगी।
Sabhi bacchon ki ki sikhane ki gati alag alag hoti hai aur namaj bhi atah hamein unki sikhane ki gati aur samajh ke aadhar per gatividhi chuna nahoga jo sabse chunauti bhara karya hai
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए. (Ganesh Rajput) (PS... Ratanpur) (Chiklod kalan) {Block O.ganj) (Dist.. Raisen)
Every child is special child. अतः प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 {PS Ratanpur Chiklod kalan} {Block. O.ganj} {Dist . Raisen}
कक्षा में कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं कुछ के सीखने की गति बहुत धीमी होती है किसी भी गतिविधियों को कराने में होशियार बच्चे ही ज्यादा भाग लेते हैं यदि हम होशियार बच्चों को कहते है कि आप लोगों को नहीं बताना है हम जिससे पूछेंगे वहीं बतायेगा तो भी वहीं बच्चे आगे आगे बताते हैं इस कारण धीमी गति से सीखने वाला बच्चे को अवधारणा सिखाने में अधिक समय लगता है यदि हम होशियार बच्चों को कार्य देकर कमजोर बच्चों पर ध्यान देते हैं तो होशियार बच्चे अपना कार्य जल्दी कर व्यवधान उत्पन्न करते हैं l कभी कभी इन्हीं चुनौती का सामना करना पड़ता है l
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलग होते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
बच्चों की कक्षा में सीखने की गति उनके आसपास के परिवेश की वजह से अलग-अलग होने तथा उनके बुद्धि क्षमता के कारण वातावरण उनके अनुसार बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
सभी बच्चो को समझाने के लिए कभी कभी अलग अलग तरह से समझना चाहिए क्यों कि इस से ब वह और अच्छी तरह से चीजो को सीखते है, कभी कभी उन्होंने समझने म समये भी लगता है मगर हमेसा प्रियास करते रहना चाहये
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं अतः उनमें सामंजस्य स्थापित करना एक प्रकार से चुनौतीपूर्ण कार्य है उनके सीखने के स्तर को समझ कर योजना बनाना चाहिए।
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौती पूर्ण क्षण या मुद्दे बच्चों के सीखने की गति में भिन्नता ka होना, कमजोर बच्चों का नियमित न होना, आत्मविश्वास की कमी आदि है I ये मुद्दे इसलिए हैं क्योंकि अक्सर माता पिता, समाज के लोग औऱ शिक्षक बच्चो को सही दिशा में उत्साहित नहीं करते हैं, उनकी कमियों को गिनाते हैं I नकारात्मक शब्दों का प्रयोग कर बच्चों को निराशा से bhar dete हैं I
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं सबकी सीखने की गति अलग होती है।क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
विद्यालय में उपस्थित सभी बच्चों की पारिवारिक एवं मानसिक स्थिति अलग-अलग होती है और अलग-अलग परिवेश से बच्चे विद्यालय में आते हैं उन बच्चों का सर्वागीण विकास करना शिक्षक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है
बच्चे शाला में अलग-अलग परिवेश से आते है। रुचियां भी अलग -अलग होती है। बच्चों की मानसिक स्थिति भी अलग-अलग होती है। अतः बच्चों का सर्वांगीण विकास करने के लिए शिक्षक के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है।
Kasha mei sbhi bachche ek saman nhi hote sb mei alg alg sikhne ki samajh hoti hai unki ayu or vikash ko dhyan mei rkh kr karrykram ki yojana bna kr karya krana chahiye VIJAYA TRIPAHI GPS DHANKHER KHRUD
बचने शाला मे अलग ़अलग परिवेश से आते है उनकी रुचियां भी अलग अलग होती है मानसिक स्थिति भी अलग होती है अतः बचचो का समस्त विकास करने के लिए शिक्षक के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती हैं
सभी बच्चे अलग -अलग परिस्थितियों से गुजर कर आते हैं।सबकी आवश्यकता अलग -अलग होती है एवं सबकी बौद्धिक क्षमता भिन्न होती है।इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए समग्र विकास करना चुनौतीपूर्ण है।
Kaksha mein Aisi gatividhiyon ka Chayan karna jo bacchon ke liye Anand mai AVN Saral Ho jisse aasani se Sikh sakte hain yah Ek chunauti purn Karya Hota Hai dusra yah hai ki use gatividhi ko purn karne ke liye paryapt Sansadhan Hona Bhi Ek chunauti Hai
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए..Asha joshi
हर बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
प्रत्येक बच्चें का सीखने का अपना तरिका व गति होती हैं, तथा वह अपने वातावरण से भी प्रभावित होता हैं, बच्चों का विकास सीखते हुयें होता हैं, साथ बहुत सी चूनौति का सामना भी करना पड़ता हैं, जैसे बच्चें के घर का परिवेश उसकी उपस्थित आदि,
तीनों विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित अनुभवों की योजना बनाते समय हमारे सामने कई चुनौतियां आती है। विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी लक्ष्य तक पहुंचने में सहजता अनुभव कर सकें
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों को विषयानुसार और पोषक वातावरण निर्माण करेंगे। छात्रों को विषयानुसार, आनन्ददायक अनुभव देने का प्रयास करेंगे। छात्रों को उनके गति अनुसार सीखने को प्रेरित करेंगे।
प्रत्येक बच्चों की सीखने की गति अलग होती है है बच्चा अलग परिवेश में रहता है वह अपने वातावरण से प्रभावित होतहै प्रत्येक बच्चे की बौद्धिक क्षमता अलग अलग होती हैं इस बात का ध्यान रखकर बच्चों को सीखना चाहिए
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं एवं उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव को प्राप्त करने के लिए कक्षा कक्ष का वातावरण भय मुक्त माहौल बनाना।बच्चों के साथ जुड़ना।बच्चों की भावनाओ को समझना।बच्चे की पारिवारिक स्थिति के बारे में जानना। उक्त कारणों का पता लगाने के बाद बच्चे के सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा में सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है उनके सीखने की गति भी प्रत्येक बच्चे की अलग अलग होती है प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति को पहचान कर और उनके आईक्यू लेवल को पहचान कर ही सिखाना चाहिए इसलिए एक जैसा माहौल बनाना बहुत चुनोती पूर्ण कार्य है l
कक्षा में सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है उनके सीखने की गति भी अलग अलग होतीहै प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति को पहचान कर और उनके आईक्यू लेवल को पहचान कर ही सिखाना चाहिए इसलिए एक जैसा माहौल बना कर सिखाना चाहिए यह चुनोती पूर्ण कार्य है
सुरेश पेठारी एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरूट(रहमानुरा) इस कोर्स को पूर्ण करने के पश्चात् शिक्षार्थी सक्षम होंगे -
'विद्या प्रवेश' एवं 'बालवाटिका' के लक्ष्यों और उद्देश्यों की व्याख्या करने में। विकासात्मक लक्ष्य एवं उनके परस्पर संबंध व अंतः निर्भरता को समझने में। साप्ताहिक समय-सारणी तैयार करने के तरीकों की व्याख्या करने में। • बच्चों के लिए उनकी आयु के अनुकूल गतिविधि एवं अनुभवों की योजना बनाने में। गतिविधियों एवं अनुभवों को मनोरंजक तरीके से क्रियान्वित करने में। • सीखने की प्रक्रिया को बल देने के लिए बच्चों की प्रगति पर नज़र रखने में।
सुरेश पेठारी एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरूट(रहमानुरा) कहानी की किताबें जानने के लिए +' चिह्न पर क्लिक करें. कहानी की किताबें बच्चों को पाठ और पात्रों के साथ इस तरह से जुड़ने का अवसर प्रदान करती हैं कि वे कहानी के संदर्भ में खुद को पूरी तरह से तल्लीन कर सकें और उसके अनुसार अपने विचारों की मध्यस्थता कर सकें। इससे बच्चों को विभिन्न दृष्टिकोणों, काल्पनिक दुनिया, वास्तविकता और रचनात्मकता से परिचित होने में मदद मिलती है। शब्दों का रचनात्मक उपयोग बच्चों को अपनी खुद की एक काल्पनिक दुनिया बुनने में मदद करता है। और कई बार सिर्फ तस्वीरें ही अपने आप में एक पूरी कहानी होती हैं। एक तस्वीर को अक्सर हजार शब्दों के बराबर कहा जाता है। ये शब्द कोई साधारण शब्द नहीं हैं। ये शब्द उन भावनाओं और विचारों को दर्शाते हैं जो बच्चे चित्रों को देखते हुए व्यक्त करते हैं। यह वह शब्दावली है जिसे उन्होंने अब तक हासिल किया है और इसके विस्तार कि यात्रा पर अग्रसर हैं। कहानी की किताबें पढ़ने से बच्चों को भाषा अधिग्रहण और सीखने से संबंधित व्यवहार और संरचनात्मक कौशल भी प्राप्त होते हैं। निम्न संसाधन खुद से पढ़ने, अनुमान लगाने और भाषा निर्माण में सहायक होते हैं : बच्चों को किताबें और इसके शब्दहीन किताबें चित्र पुस्तकें,आदि दिखाकर बोलकर उन्हे हम अभ्यास करा सकते है ★
सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश रहन सहन रीति रिवाज उनके माता-पिता का उनको सहयोग तथा घर के माहौल से उनका स्तर भिन्न भिन्न होता है ऐसे बच्चों का स्तर का मूल्यांकन शिक्षक के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रहता है जब तक हम बच्चे की स्तर को और उसके मन के भाव को नहीं समझ पाते हम उसे अलग-थलग पाते हैं सभी बच्चों की अपनी अपनी भाषा होती है उसे उसकी भाषा में बताना भी एक बड़ी चुनौती है। सुरेंद्र कुमार लक्षकार प्राथमिक विद्यालय मामोनी कला करेरा जिला शिवपुरी
Every child have ea different IQ level and catching power to understand school study. We need to create experimental environment in school for children.
Govt Girls Middle SCHOOL Baghana Neemuch Kaksha Mein vikasatmak Lakshman se sambandhit sikhane ke Anubhav pradan karte samay sabse chunauti purn Bitiya rahti hai ki baccha alag alag parivesh se aata hai aur pratyek bacche ki sikhane ki gati Mein Chinta Hoti Hai To unhen unke sikhane ki gati parivesh ke hisab se sikhana Shikshak ke liye sabse chunauti purn Karya Hota Hai
हर बच्चे कि अपनी मानसिक समझ अपने परिवार, वातावरण, साधन,और सोचने की समझ पर आधारित होती है ।अगर हर बच्चे को उसकी विशेषता के आधार पर सिखाया जाता है तो उसकी बुनियादी शिक्षा का विकास तेजी से और स्थायी होगा ।
विकासात्मक लक्ष्मण से संबंधित चुनौती प्रत्येक बच्चा अपनी गति से सीखता है और बच्चों की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं बच्चे अपने परिवेश के अनुसार बुद्धि से अलग-अलग होते हैं तथा सभी बच्चों के लिए शिक्षा का वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती है बच्चों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अच्छा वातावरण बनाना चाहिए ताकि बच्चा उस लक्ष्य को प्राप्त कर सके सुकलाल लहरिया एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला कुसली Sankul belkheda Jila Jabalpur
बच्चों की भावनाओ को समझना।बच्चे की पारिवारिक स्थिति के बारे में जानना। उक्त कारणों का पता लगाने के बाद बच्चे के सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं| प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे की सीखने समझने की क्षमता में भिन्नता होती है अतः शिक्षण की योजना बनाते समय रोचक और बच्चों में जागरुकता तथा बच्चों पर केन्द्रित योजना बनाने की आवश्यकता है
प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग- अलग आवश्यकताए होती है। क्योकि प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकतानुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
मुद्रण समृद्धि अधिगम वातावरण कक्षाओं को आकर्षक बना करके ड्राइंग शीट पोस्टर कलर पेंसिल आदि सामग्री कक्षा का एक कोना बनाकर बच्चों की पहुंच में होनी चाहिए जिससे बच्चे अपनी चित्र कला का प्रदर्शन कर सकें और बच्चे द्वारा बनाए चित्र कला को कक्षा की दीवार पर गोंद द्वारा चिपका सकें और उस कला को देखकर बच्चों को प्रोत्साहित करना जिससे बच्चों में ललक पैदा होती है और बच्चे अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते रहते हैं कक्षाओं को बहुत रोचक सद्रन बनाकर बच्चों के साथ मिलजुलकर कलाओं का प्रदर्शन करते रहना चाहिए सुकलाल लहरिया एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला कुसली संकुल बेलखेड़ा जिला जबलपुर
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए
किसी भी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसकी तैयारी करना उस कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है। इसका उद्देश्य बच्चों के लिए उनकी आयु और विकास को ध्यान में रखते हुए सीखने के उपयुक्त अवसर सुनिश्चित करना। साथ ही, छोटे बच्चों के साथ काम करने के तरीकों में भी सुधार करना है। यह न केवल निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार कार्यक्रम की योजना बनाने में सहायक है, बल्कि छोटे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से आवश्यक कौशल सीखने, अवधारणाओं को समझने और आसपास हो रही घटनाओं के बारे में समझ बनाने में भी मदद करता है। विद्या प्रवेश यानी कि स्कूल तैयारी कोर्स और बाल-वाटिका के संचालन की योजना बनाने से पहले शिक्षक और शैक्षिक योजनाकारों को विद्या प्रवेश दिशानिर्देश और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान पढ़ना चाहिए। इससे उन्हें न केवल दी गई अवधारणाओं और गतिविधियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी बल्कि कार्यक्रम के फोकस को भी समझने में सहायता मिलेगी। आइए हम सभी सीखने के अनुभवों की योजना बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातों को समझें। सर्वप्रथम उद्देश्य, लक्ष्य प्रारूप अवधि सीखने की प्रक्रिया और सीखने के प्रतिफलों को प्राप्त करने के
लिए बच्चों को प्रदान किए जाने वाले सीखने के अवसरों जैसे प्रमुख बिंदुओं पर विचार करें। गतिविधियों और कार्यपत्रकों को डिजाइन करने और प्रतिदिन के कार्यक्रम की योजना बनाने के लिए बारह सप्ताह के दिनवार साप्ताहिक कार्यक्रम के नमूने यानी कि डे वाइज वीकली शेड्यूल को देखें। विद्या प्रवेश कोर्स में दी गई गतिविधियों और कार्यपत्रकों का भी संदर्भ लें। यह आपको आवश्यकता
के अनुसार शेड्यूल को संशोधित करने या नया बनाने में मदद करेगा।
डे वाइज वीकली शेड्यूल को विकसित करने या उनकी योजना बनाते समय शिक्षक द्वारा शुरू की गई और बच्चों द्वारा शुरू की गई गतिविधियों, अन्तः और बाह्य गतिविधियों व बड़े और छोटे समूहों की गतिविधियों के बीच परस्पर संतुलन होना चाहिए। कक्षा में डे वाइज वीकली शेड्यूल प्रदर्शित करें और यह सूचीबद्ध करने का प्रयास करें कि किन-किन सामग्रियों की आवश्यकता है, प्रत्येक गतिविधि के लिए बैठने की व्यवस्था कैसे करें और बच्चों का निरीक्षण कैसे हो आदि।★सुरेश पेठारी★★एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरुट(रहमानपुरा)
आवश्यक शिक्षण सामग्री को पहले से ही व्यवस्थित कर लें। आप स्थानीय संसाधनों या फिर कम लागत, या बिना लागत वाली सामग्री का उपयोग करके भी सामग्री विकसित कर सकते हैं। कुछ तैयार शिक्षण अधिगम सामग्री भी शामिल की जा सकती है। प्राकृतिक संसाधनों जैसे पत्ती, टहनियां, कंकड़, आदि को भी सीखने के साधन के रूप में शामिल करने की योजना बनाएं।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं ।उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है ।सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है ।गुलाबराव पाटिल
Ramkumar Soni prathmik Shala chargaon Jan Shiksha Kendra Kasturi pipriya jila dindori Vikas Khand Shahdara mere hisab se a bacchon ki ki alag alag Pravesh se Parivar ke anusar unke paas Gyan ka Bhandar hota hai main Ghar se hi kuchh Sikh kar aate Hain atah unhen Urvashi e Gyan ke dwara acchi tarah se sikhaya AVN bataya ja sakta hai dhanyvad
कक्षा में एक बच्चा अलग-अलग परिवेशसे आता है। प्रत्येक बच्चे की सीखने की अपनी गति एवं क्षमता होती है कक्षा में सभी बच्चों केलिए पूर्ण वातावरण बनाना, उनकी आवश्यकता अनुसार मार्गदर्शन देना। सबसे बड़ी चुनौती है
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण छात्रों के प्रति शिक्षकों का परंपरागत व्यवहार एवं कक्षा का वातावरण होंगे। क्योंकि भारतीय ग्रामीण अंचलों में स्थित प्राथमिक स्तर के विद्यालयों की प्रबंधन व्यवस्थाएं एवं छात्रों की शैक्षिक उन्नति पूर्णता एक शिक्षक मात्र पर आधारित है। शिक्षा नीति 2020 बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत बच्चों के विकास और सीखने के विभिन्न आयाम शामिल हैं जैसे-शारीरिक,सामाजिक,भावनात्मक,साक्षरता संख्याज्ञान,संख्यात्मक,आध्यात्मिक,नैतिक कलात्मक एवं सौंदर्य बोध। विद्या प्रवेश एवं बालवाटिका का कार्यक्रम का उद्देश्य इन पक्षों के अंतर्गत बच्चों का अधिक से अधिक विकास करना है इस विकास के विकासात्मक लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं जिनमें - 1 बच्चों का स्वास्थ्य एवं खुशहाली को बनाए रखना। 2 -विकासात्मक लक्ष्य बच्चों को प्रभावशाली सम प्रेषक बनाना। 3 - विकासात्मक लक्ष्य है बच्चों को सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जोड़ना। इन तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को तभी हासिल किया जा सकता है जबकि शिक्षक और अभिभावक मिलकर विद्यालयों की शासकीय परंपरागत सोच से बाहर निकल कर राष्ट्रहित के लिए संकल्पित हों।
अभिभावकों से सतत संपर्क, बच्चों का सीखने के स्तर, सामाजिक, क्षेत्रीय, आधार पर वर्गीकृत कर उचित वातावरण के साथ-साथ सटीक शैक्षिक सामाग्री और मनोरंजक गतिविधियों का प्रयोग कर विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
बच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ा ना यह विकासात्मक लक्ष्य है जबकि एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं का संचालन का दायित्व दे दिया जाता है तो सभी बच्चों की आवश्यकता अनुरूप शिक्षा नहीं हो पाती और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। साथ ही बच्चों को उनकी रुचियों को ध्यान में रखकर, गतिविधियां करना भी कठिन कार्य होता है
सभी बच्चे अलग- अलग परिवेश से आते हैं तथा उनकी सीखने की गति अलग अलग होती है साथ ही उनका आई. क्यू. लेबल भी अलग- अलग होता है! अतः सभी बच्चों को एक साथ, एक ही गतिविधि द्वारा विकासात्मक लक्ष्यों का अनुभव प्रदान करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा!
कक्षा में गतिविधि कराते समय सभी बच्चों को लंबे समय तक एक साथ गतिविधि में संलग्न रखना सबसे बड़ी चुनौती प्रतीत होती है। क्योंकि छोटे बच्चे एक ही गतिविधि से बहुत जल्द ही बोर होने लगते हैं और उनका मन दूसरी ओर चला जाता है।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग सीखने की गति से आवश्यकतानुसार पढ़ना बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन के महत्व के बारे में विचार करें और सोचे कि बुनियादी साक्षरता संख्या ज्ञान बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाना चाहिए। तभी बच्चे सही शिक्षा प्राप्त करेंगे। जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं अतः उन में सामंजस्य स्थापित करना चुनौतीपूर्ण होता है अतः उनके सीखने के स्तर के अनुसार कार्य योजना बनाना चाहिए
प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।सभी बच्चों को एक साथ, एक ही गतिविधि द्वारा विकासात्मक लक्ष्यों का अनुभव प्रदान करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा!
प्रत्येक बच्चे का सामाजिक परिवेश अलग अलग होता है और उनके सीखने की गति उनके वातावरण के अनुसार अलग-अलग होती है इसलिए सभी बच्चे एक साथ नहीं सीख सकते इसलिए उन्हें अलग-अलग गतिविधि और अलग-अलग स्तर के अनुसार सिखाया जाना चाहिए
सबसे बड़ी चुनौती यही आएगी कि सभी बच्चे एक से नहीं होते है,कोई जल्दी समझ जाता है किसी को गतिविधि के द्वारा समझाया जाता है।इसलिए बच्चो k विकास के लिए उनके अनुसार शिक्षक पद्धति में बदलाव करने चाहिए।
सभी बच्चें अलग - अलग परिवेश से आते हैं इसलिए उनके सिखने कि गति भी भिन्न -2 होती है जो समस्या का विषय हैं|उनके सिखने के स्तर अनुसार कार्य योजना बनानी चाहिए |
Har baccha ka samajik parivesh alag alag hota hai vah unki ruchi alag alag chhatron mein hoti hai isliye unka sabhi vikasatmak chhatron ko sikhane mein kathinai hoti hai
Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya-बच्चों की रुचि , परिवेश की भिन्नता ,गतिविधियों में पूर्ण रूप से शामिल न होना, मानसिक पिछड़ापन, अभ्यास न करना आदि चुनौतियां हैं ।
मैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर Every child is special child. अतः प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए। हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
विद्यालय में भिन्न-भिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं एवं उनके सीखने की गति भी विभिन्न स्तरों की होती है। बच्चों की सीखने की क्षमता भी भिन्न-भिन्न होती है ऐसी स्थिति में बच्चों को सिखाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु हम शिक्षकों को यह चुनौती स्वीकार कर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।कक्षा में गतिविधि कराते समय सभी बच्चों को लंबे समय तक एक साथ गतिविधि में संलग्न रखना सबसे बड़ी चुनौती प्रतीत होती है। क्योंकि छोटे बच्चे एक ही गतिविधि से बहुत जल्द ही बोर होने लगते हैं और उनका मन दूसरी ओर चला जाता है।
at 5:47 AM कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
Kaksha mein sabhi bacche alag alag parivesh se aate Hain vah unki sikhane ki gati bhi alag alag Hoti hai tatha sabhi bacchon ke liye ek vatavaran banana Sabse badi chunauti hoti hai
कक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी समझ को विकसित करने के लिए हमें निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों को स्थाई ज्ञान की समझ विकसित हो सके।
विकासात्मक लक्ष्मण से संबंधित चुनौती प्रत्येक बच्चा अपनी गति से सीखता है और बच्चों की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं बच्चे अपने परिवेश के अनुसार बुद्धि से अलग-अलग होते हैं तथा सभी बच्चों के लिए शिक्षा का वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती है बच्चों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अच्छा वातावरण बनाना चाहिए ताकि बच्चा उस लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
"मुद्रण समृद्ध अधिगम वातावरण" दैनिक जीवन में बच्चों को प्रिंट के माध्यम से सीखने के लिये एक सार्थक वातावरण है,जिसके माध्यम से बच्चो को प्रिंट के साथ बातचीत का अवसर उपलब्ध होता है। मैं अपनी कक्षा में बच्चों के लिये शब्द दीवाल,पढ़ने का कोना,लेखन क्षेत्र,कक्षा के चारों ओर वस्तुओं का नाम मुद्रित कर,बच्चों का प्रदर्शन कोना आदि के माध्यम से मुद्रण समृद्ध अधिगम वातावरण" का निर्माण करूँगा ।
कक्षा में गतिविधि कराते समय सभी बच्चों को लंबे समय तक एक साथ गतिविधि में संलग्न रखना सबसे बड़ी चुनौती प्रतीत होती है।अतः उनके सीखने के स्तर के अनुसार कार्य योजना बनाना चाहिए
Pratyek bachche ka samajik parivesh alag alag hota he or unaki ruchi bhi alag alag kshetron main hoti he isliye unaka sabhi bikashatmak kshetron ko sikhane main kathinai hoti he
Sabse chunotipurn muddo m yah h ki sabhi bachcho ka catching power ek jesa nahi hota h.koi jodi Milan se to koi khali sthan bharvane se to koi true false se jaldi sikhta h.
Ramesh Chand MeghwalDecember 1, 2021 at 4:47 AM कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
यह निश्चित करने के लिए बच्चे स्वच्छता संबंधी आदतों का पालन कर रहे हैँ, प्रतिदिन के आधार पर आप किन क्षेत्रों की निगरानी रखने का प्रस्ताव रखेंगे? अपने विचार साझा करें।
शिक्षक/शिक्षिका के रूप में उन परेशानियों के बारे में विचार कीजिए , जिनका सामना आप अक्सर विद्यालय में करते हैं! यह सोचने की कोशिश करें कि विद्यालय प्रबंधन और माता-पिता के माध्यम से किन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा किस प्रकार इन लोगों से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई जाए ताकि बेहतर स्थिति प्राप्त हो सकें। अपने विचार साझा करें।
My comment
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की समझ अलग -अलग होती है उनकी समझ के अनुसार की गतिविधि कराना चाहिये।
Deleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
Deleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों को एक साथ सिखाना ही चुनौती है
Deleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग 2 सीखने की छमता होती हैं उन छमता को ध्यान में रखकर उनकों सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
Deleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की अलग-अलग क्षमता होती है उस क्षमता को ध्यान में रखकर ही बच्चों को सिखाने का प्रयास करना चाहिए।
Deleteआते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नांदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteकक्षा में आने वाले सभी बच्चो की सीखने की क्षमता एक सी नही होती है और यही एक चुनौती है ।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
ReplyDeleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन यह सफलता से करना एक अपनेआप में एक बड़ा ही प्यारा मज़ा है।
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
Deleteसभी बच्चों की अलग 2 सीखने की छमता होती हैं उन छमता को ध्यान में रखकर उनकों सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
Deleteबच्चों का सामाजिक व पारिवारिक परिवेश भिन्न भिन्न होता हवस आघार पर उन्हें पढ़ना
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश एवं उस वातावरण से अप्रत्यक्ष रूप में बहुत कुछ सीखते है।आवश्यकता है उन्हें मार्गदर्शन की।उनके परिवेश में उपलब्ध संसाधन ही उनके स्खने का आधार हो सकते है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों का परिवेश अलग-अलग होने से उनको, उनकी मानसिक स्थितियों को पहचान कर, उनकी आवश्यकता अनुसार, सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteकक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उन्हें उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परवेज अलग अलग होने से उनका स्तर जानकर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है !
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
ReplyDeleteअत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए .
Every child is special child.
ReplyDeleteअतः
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Pratyek bacchon ka parivesh alag alag hone se unko ,unki mansik sthitiyon ko pahchan kar Unki avashyakta anusar sikhane ki gati ko sikhana chahie.
ReplyDeleteनमस्कार में रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
धन्यवाद
सभी बच्चे की सीखने की क्षमता एक सी होती नहीं यह एक चुनौती है जिनके ak sa वातावरण बनाना चुनौती है gendlalsanodiya gps dhana
DeleteEvery child is special child.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के लिए एक
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
ReplyDeleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कक्षा में सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते हैं और उनकी सीखने की गति भी अलग अलग होती है । तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है ।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग-अलग होती है इसके लिए बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग अलग होती है इसके लिए बच्चो को उनकी आवश्यकतानुसार पढाना चाहिए |सत्य नारायण गुप्ता स शि एकीकृत शा मा वि पाडलिया मारू मन्दसोर मध्य प्रदेश
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग सीखने की गति से आवश्यकतानुसार पढ़ना बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन के महत्व के बारे में विचार करें और सोचे कि बुनियादी साक्षरता संख्या ज्ञान बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाना चाहिए
ReplyDeleteसंतोष कुशवाहा पी एस कटापुर जेएसके ररुआराय विकास खण्ड सेवढ़ा जिला दतिया मध्य प्रदेश
ReplyDeleteकक्षा में प्रत्येक बच्चे की स्थिति अलग अलग होती है। उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है
कक्षा में बच्चो की सीखने की गति अलग अलग होती है। बच्चे परिवेश के अनुसार सीखते हैं ।कुछ बच्चे वातावरण अनुसार सीखते है। बच्चों को बुनियादी साक्षरता अनुसार पढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग सामाजिक परिवेश से आते हैं। उनके सीखने सिखाने मे उनकी गति के अनुसार गतिविधियों एवं खेल के आधर पर सीखने का पूर्ण सहयोग करना चाहिए।
ReplyDeleteकक्षा में आने वाले बच्चे विभिन्न परिवेशों से आते हैं उनकी स्थिति भी भिन्न भिन्न होती है उन्हें एक साथ एक ही वातावरण में ढालना सबसे बड़ी चुनौती होती है परंतु यह काम करने और बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाने का आनंद भी अद्भुत है।
ReplyDeleteसभी छात्रों की अपनी अलग आवश्यकता होती है।सभी छात्र का वातावरण अलग-अलग रहता है।बच्चे की मानसिक स्वास्थ्य की जांच कर उसकी सिखने की गति के आधार पर ही सिखाना चाहिए।
DeleteClass me sabhi bachche alag alag parivesh se ate hai or unke seekhne ki gati alag alag hoti hai unhe alag alag margdarsan ki avashyakta hoti hai
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ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
Deleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
ReplyDeleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन यह सफलता से करना एक अपनेआप में एक बड़ा ही प्यारा मज़ा है।
REPLY
Manoj kumar dubeyDecember 1, 2021 at 7:08 AM
Sabhi Bachchan apne aap me alg hote h , isliye sabhi ko unke level ke Anusara shiksha di Jamie h .
ReplyDeleteविद्यालय में सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं| अतः उनके भाषाई कौशल व सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं| ऐसी स्थिति में समस्त छात्रों का समग्र विकास करना एक अहम चुनौती होती है| इसके लिए शिक्षक को बच्चों के स्तर को जानना आवश्यक है तथा उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना भी आवश्यक है कि बच्चे की कौन सी पृष्ठभूमि है| बच्चे के भाषाई कौशल किस प्रकार के हैं? इन कौशलों पर कार्य करके वह बच्चों के समग्र विकास के लिए कार्य कर सकता है|
ReplyDeleteमैं -रघुवीर गुप्ता ,शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहसराम, विकासखंड- विजयपुर ,जिला- श्योपुर( मध्य प्रदेश)
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
Har ek Bachhe Ki Seekhne Ki gati Alag Alag Hoti Hai usi ke Anusar Shikshar Kar Karna Chahia
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
Deleteअत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए
Kaksha mai prayatak bacche alag alag parivace se aate hai aour unki yavasaktayen alag alag Hoti Hain prayatek bachche Ko uski mansik esthiti Ko pahchan kr uski aavasyakta sikhane ki gati key anushar hi sikhana chahiya
ReplyDeleteKaksha Mein Sabhi bacche alag alag parivesh se Aate Hain tatha Unki sikhane ki gati bhi alag alag Hoti Hai .tatha Sabhi bacchon Ke liye ek Saman vatavaran banaa Pana Sabse Badi chunauti hoti.
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों के सामाजिक परिवेश को समझना पड़ेगा उसके उपरांत ही उनकी समझ के अनुसार गतिविधियां तैयार कर लक्ष्यों को प्राप्त करना पड़ेगा
ReplyDeleteBaccho k beech taal meel baithana or ek dusre ki tulna karne bhav ko rokna saman siksha mile jisse
ReplyDeleteबच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ना-यह विकासात्मक लक्ष्य तीन है। जब एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं का संचालन का दायित्व दे दिया जाता है तो सभी बच्चों की आवश्यकता अनुरूप शिक्षण नहीं हो पाता और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है इस प्रकार बच्चों का उत्साह नष्ट हो जाता है।
ReplyDeleteबच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ा ना यह विकासात्मक लक्ष्य है जबकि एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं का संचालन का दायित्व दे दिया जाता है तो सभी बच्चों की आवश्यकता अनुरूप शिक्षा नहीं हो पाता और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है इस प्रकार बच्चों का उत्साह नष्ट हो जाता है
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग हो ती है यही सबसे बड़ी चुनौती है इसके अलावा आसपास के परिवेश का भी प्रभाव पड़ता है बच्चों की मानसिक स्थिति को पहचान कर उनकी क्षमता के अनुसार उनको अध्ययन करवाना चाहिए अशोक बैरागी शासकीय प्राथमिक विद्यालय बिमरोड़ संकुल केंद्र शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ तहसील सरदारपुर जिला धार
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती है क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है कक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उन्हें उनके स्तर से सीखना होता है
ReplyDeleteतीनों विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित अनुभवों की योजना बनाते समय हमारे सामने कई चुनौतियां आती है। प्रमुख रूप से बच्चों के घर परिवार का वातावरण, आसपास का वातावरण, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि। इसके अलावा कई बच्चे बहुत शरारती होते हैं और कुछ बच्चे बहुत शांत होते हैं। हमें अनुभवों की योजना बनाते समय इन सभी में सामंजस्य बनाना होगा तभी हम तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
ReplyDeleteरत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण जिला जबलपुर म प्र
ReplyDeleteसभी बच्चों की आवश्यकताएं और परिवेश अलग अलग होते हैं। जिसके कारण इनके मानसिक स्तर में भी अंतर होता है। ऐसी परिस्थिति में विद्यार्थियों को उनके स्तर, परिवेश और आवश्यकताओं के अनुसार सिखाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी लक्ष्य तक पहुंचने में सहजता अनुभव कर सकें।
कक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती उन्हें उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परवेज अलग अलग होने से उनका स्तर जानकर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteREPLY
Sanjay Kumar Pathak
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
Deleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए
रमेशा चऩ्र्द राजपूत
शा . मा.शाला प्रेमपुरा भोपाल
कक्षा में बच्चों के सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती
Deleteउनको उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परिवेश अलग-अलग होने से उनका स्तर जान कर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है
सभी बच्चों की आवश्यकताएं और परिवेश अलग अलग होते हैं। जिसके कारण इनके मानसिक स्तर में भी अंतर होता है। ऐसी परिस्थिति में विद्यार्थियों को उनके स्तर, परिवेश और आवश्यकताओं के अनुसार सिखाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी लक्ष्य तक पहुंचने में सहजता अनुभव कर सकें।
ReplyDelete(शा.प्रा. वि.जतौली विकास खण्ड मुंगावली जिला अशोक नगर मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteविभिन्न स्तर के बच्चों का अलग - अलग परिवेश, अलग परिवारिक पृष्ठभूमि के विभिन्न बच्चें, बच्चों की सीखने की गति में अन्तर आदि में सामंजस्य स्थापित करना सब से चुनौतिपूर्ण क्षण होता है ।
सभी बच्चों की आवश्यकताएं एवं स्तर तथा उनका परिवेश और उनकी मानसिक स्थिति भिन्न-भिन्न होती है कक्षा में बच्चे की आवश्यकताएं उनके स्तर परिवेश और मानसिक स्थिति को समझते हुए समान स्तर पर शैक्षणिक योजना बनाना एक चुनौती है पर उन बच्चों की आवश्यकताओं परिवेश और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक योजनाएं बनाना अपने आप में मजेदार है l
ReplyDeleteधन्यवाद,,
महावीर शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
बच्चों की सीखने की क्षमता एक सी नहीं होती। इनके सीखने का स्तर अलग अलग होता है। उन्हें उनके स्तर से सिखाना होता है बच्चों का परवेज अलग अलग होने से उनका स्तर जानकर अलग-अलग प्रकार से सिखाया जाता है !
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है
ReplyDeleteपरिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है ।उनके सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।उनकी सीखने की गति के अनुरूप परिवेश और अवसर उपलब्ध कराना चुनौती पूर्ण मुद्दा है।
ReplyDeleteश्रीमती रश्मि बुनकर
ReplyDeleteएकीकृत शाला शासकीय माध्यमिक विद्यालय जालमपुर
जन शिक्षा केन्द्र मारकीमहू
विकास खंड गुना (म.प्र.)
विद्यालय में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं आते हैं। अतः उनके भाषाई कौशल व सीखने सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं। ऐसी स्थिति में समस्त छात्रों का समग्र विकास करना एक अहम चुनौती होती है होती।
इसके लिए शिक्षक को बच्चों के स्तर को जानना आवश्यक है। तथा उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना भी आवश्यक है कि बच्चे की कौन सी पृष्ठभूमि हैं। बच्चे के भाषाई कौशल किस प्रकार के हैं?
कौशल पर कार्य करके बच्चों के समग्र विकास के लिए कार्य कर सकता है।
वर्गीकरण करने की गतिविधि अच्छी है
ReplyDeletePratyek bacche ki ki sikhane ki gati alag alag hoti hai iske liye bacchon ko Unki avashyakta ke anusar padana chahie
ReplyDeleteअपनी कक्षा में विभिन्न गतिविधियों से संबंधित पोस्टर सामग्री इत्यादि चित्रण से सुसज्जित कर बच्चों को सिखाने में मदद ले सकते हैं। यही विचार से आगे बढ़ना मुद्रण समृद्ध अधिगम वातावरण का एक सूक्ष्म उदाहरण हैं।
ReplyDeleteप्रमुख रूप से बच्चों के घर परिवार का वातावरण, आसपास का वातावरण, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि। इसके अलावा कई बच्चे बहुत शरारती होते हैं और कुछ बच्चे बहुत शांत होते हैं। हमें अनुभवों की योजना बनाते समय इन सभी में सामंजस्य बनाना होगा तभी हम तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
ReplyDeleteविद्यालय में सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं| अतः उनके भाषाई कौशल व सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं| ऐसी स्थिति में समस्त छात्रों का समग्र विकास करना एक अहम चुनौती होती है| इसके लिए शिक्षक को बच्चों के स्तर को जानना आवश्यक है तथा उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना भी आवश्यक है कि बच्चे की कौन सी पृष्ठभूमि है| बच्चे के भाषाई कौशल किस प्रकार के हैं? इन कौशलों पर कार्य करके वह बच्चों के समग्र विकास के लिए कार्य कर सकता है|
ReplyDeleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन यह सफलता से करना एक अपनेआप में एक बड़ा ही प्यारा मज़ा है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.प्रमुख रूप से बच्चों के घर परिवार का वातावरण, आसपास का वातावरण, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि। इसके अलावा कई बच्चे बहुत शरारती होते हैं और कुछ बच्चे बहुत शांत होते हैं। हमें अनुभवों की योजना बनाते समय इन सभी में सामंजस्य बनाना होगा तभी हम तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
Pratyek bacche ki sikhne ki gati alag alag hoti hai bacchon ki sikhne ki gati ke Aadhar per hi pdhana chahie.
ReplyDeleteVargikaran ki gatividhi acchi hai bacche alag alag parivesh se aate Hain isliye unki alag alag prakar ki soch Hoti hai jisse ham aap acchi madhyam se samjha kar Sahi kar sakte
ReplyDeleteHar bacche ke sikhne ki gati alag hoti he. Sabse jruri yah he baccha hamari bhasha samajh pa raha he ya nhi. Yah janna jruri hai. Fir sikhana chahiye.
ReplyDeleteसभी बच्चों का अलग अलग परिवेश होता है उनकी सीखने की क्षमता भी अलग होती है उनके सीखने का तरिका होता है
ReplyDeleteजब बच्चा घर से बाहर निकल कर पहली बार स्कूल आता है। तो शिक्षक को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ReplyDeleteBacche alag-alag parivesh se aate Hain unki unki Ruchi ke anusar unhen unki dakshta ke anusar ne sikhaya jaaye to bacche jaldi sikhate Hain
ReplyDeleteसभी बच्चों का मानसिक स्तर अलग -अलग होता है ।सभी बच्चों के शौक अलग होते है ।ऐसी स्थिति में बच्चों की रूचि को पहचान कर उसके अनुसार गतिविधि का चयन करना बहुत कठिन होता है ।
ReplyDeleteसभी बच्चों की क्षमता एक जैसी नहीं होती । तो उनके स्तर से उन्हें सीखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता हैं। परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकता अलग अलग होती है। अतः उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
ReplyDeleteN.K. AHIRWAR
सभी बच्चो की क्षमता एक जैसी नही होती है। तो उनके स्तर से उन्हें सीखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
ReplyDeleteसभी बच्चो की अलग अलग सीखने किछमता होती है। उन छमता को ध्यान में रखकर उनको सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteN.K. AHIRWAR
Govt.epes m.s.bhanvarasa Neemuch कक्षा मे सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है उनके सीखने की गति भी अलग अलग होती है । सभी बच्चो के लिए उनकी आवश्यकता के अनुरूप गतिविधि कर सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteसभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता भिन्न होती है ।साथ ही उसकी आवश्यकता भी अलग होती है। बच्चे भिन्न भिन्न परिवेश से आते हैं उनकी पारिवारिक, सामाजिक,सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक परिस्थिति भिन्न होती है। अतः सभी बच्चों को समान विकासात्मक लक्ष्य प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होता है।
ReplyDeleteकक्षा में सब बच्चे एक समान नहीं होते हैं अतः हम समूह बना कर उनके स्तरानुसार खेल व गतिविधियां करा सकते हैं
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों का परिवेश अलग-अलग होने से उनको, उनकी मानसिक स्थितियों को पहचान कर, उनकी आवश्यकता अनुसार, सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिएl
ReplyDeletePratigya bacche ki sikhane ki shamitabh in hoti hai uske sath uski avashyakta hai abhi alag alag Hoti Hai bacche bindravan parivesh main vatavaran se Aate Hain Unki Samajik sanskritik hoti hai bacchon Ko prapt karna hi hai
ReplyDeleteबच्चों का सामाजिक और परिवारिक परिवेश अलग अलग होता है उनकी मानसिक स्थिति को पहचान कर आवश्यकतानुसार सिखाना चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की अलग अलग क्षमता होती है उस क्षमता को ध्यान में रखते हुए बच्चों को सिखाने की कोशिश करना चाहिए।
ReplyDeleteSabhi baccho ke sikhne ki alag alag shamta hoti hai unki shamta ke aadhar per hi uhe sikhana chahiye
ReplyDeleteमैं विभिन्न क्षमता वाले बच्चों को विषय संबंधी समझ विकसित करना चुनौतीपूर्ण क्षण है। क्योंकि एक समय में केवल एक गतिविधि का हम निर्धारण कर सकते हैं जैसेकविता के माध्यम से विषय वस्तु की समझ विकसित करना कहानी में रुचि रखने वाले बच्चे इस में भाग नहीं लेंगे।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं व उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है, अतः सभी बच्चों के लिए एक सा उपलब्धि स्तर प्राप्त कर लेना संभव नहीं है | ऐसी परिस्थितियों में सीमित अवधि में किसी बच्चे को लर्निंग आऊटकम्स [सीखने की परिलब्धि] के स्तर तक ले जाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होता है |
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिस्थितियों से आते हैं। अतः उनकी परिस्थितियों को देखते हुए उचित योजना अनुसार शिक्षण आवश्यक होता है
ReplyDeleteशाला के प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश और मानसिक स्तर अलग रहता है प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteसबसे चुनौतीपूर्ण समूह का वर्गीकरण साथ ही दी गई गतिविधि में बच्चे की सक्रिय सहभागिता एवं कार्य में उसकी रुचि अनुसार जिज्ञासाओं को बनाए रखें रखना
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित, सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मद्दे उनकी पृष्ठभूमि परिवेश समझ क्षमता मानसिक स्थिति होगें क्योंकि में ये सब एक समान नहीं होते हैं
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे भिन्न भिन्न परिवेश से आते है उनके सीखने की क्षमता एवं आवश्यकता भी भिन्न भिन्न होती है। उनके सीखने की क्षमता एवं गति के अनुसार अलग अलग तरीकों से सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग परिवेश से आते हैं उनके सीखने की गति भिन्न -भिन्न होती हैं। कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं और कुछ देर से।
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग 2 सीखने की छमता होती हैं उन छमता को ध्यान में रखकर उनकों सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteविद्यालय में भिन्न-भिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं एवं उनके सीखने की गति भी विभिन्न स्तरों की होती है। बच्चों की सीखने की क्षमता भी भिन्न-भिन्न होती है ऐसी स्थिति में बच्चों को सिखाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु हम शिक्षकों को यह चुनौती स्वीकार कर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।
ReplyDeleteशैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश।
शाला में शिक्षकों को सीखने-सिखाने से संबंधित कई चुनौतियां सामने आती है जैसे कि एक कक्षा के बच्चे अलग-अलग परिवेश, जाति, धर्म,रहन सहन से आते है उन्हें एक साथ एक समय में किसी विषय वस्तु को सीखना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
ReplyDeleteSabhi bacchon ki sikhane ki samajh alag alag hoti hai unki Samaj ke anusar gatividhi kar aani chahie
ReplyDeleteचूंकि हर बच्चा अलग-अलग परिवेश एवं परिस्थिति से आते हैं। विभिन्न प्रकार के दिव्यांग बच्चे भी शामिल रहते हैं, उनकी सीखने की क्षमता और अन्य बच्चों की भी सीखने की अलग-अलग क्षमताएं होती हैं।
ReplyDeleteये सारी परिस्थितियां शिक्षकों को सिखाने में एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आयेंगी।
Sabhi bacchon ki ki sikhane ki gati alag alag hoti hai aur namaj bhi atah hamein unki sikhane ki gati aur samajh ke aadhar per gatividhi chuna nahoga jo sabse chunauti bhara karya hai
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDelete(Ganesh Rajput)
(PS... Ratanpur)
(Chiklod kalan)
{Block O.ganj)
(Dist.. Raisen)
सभी बच्चों सीखने की क्षमता रखते हैं हर बच्चे में सीखने की क्षमता के अनुसार ज्ञान देना अनिवार्य है
ReplyDeleteEvery child is special child.
ReplyDeleteअतः
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
{PS Ratanpur Chiklod kalan}
{Block. O.ganj}
{Dist . Raisen}
कक्षा में कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं कुछ के सीखने की गति बहुत धीमी होती है किसी भी गतिविधियों को कराने में होशियार बच्चे ही ज्यादा भाग लेते हैं यदि हम होशियार बच्चों को कहते है कि आप लोगों को नहीं बताना है हम जिससे पूछेंगे वहीं बतायेगा तो भी वहीं बच्चे आगे आगे बताते हैं इस कारण धीमी गति से सीखने वाला बच्चे को अवधारणा सिखाने में अधिक समय लगता है यदि हम होशियार बच्चों को कार्य देकर कमजोर बच्चों पर ध्यान देते हैं तो होशियार बच्चे अपना कार्य जल्दी कर व्यवधान उत्पन्न करते हैं l कभी कभी इन्हीं चुनौती का सामना करना पड़ता है l
ReplyDeleteSabhi bacche apni I Ke anusar sikhate Hain Sab ki sikhane ki kshamta alag alag hoti hai isiliye unhen Jyada Samay dene ki jarurat hai
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
ReplyDeleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलग होते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
Premchand Gupta P. S. Guradiya mata सभी बच्चों की सिखने की गति अलग अलग होती है उन सभी के लिए अलग अलग योजना बनाना
ReplyDeleteबच्चों की कक्षा में सीखने की गति उनके आसपास के परिवेश की वजह से अलग-अलग होने तथा उनके बुद्धि क्षमता के कारण वातावरण उनके अनुसार बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
ReplyDeleteसभी बच्चो को समझाने के लिए कभी कभी अलग अलग तरह से समझना चाहिए क्यों कि इस से ब वह और अच्छी तरह से चीजो को सीखते है, कभी कभी उन्होंने समझने म समये भी लगता है मगर हमेसा प्रियास करते रहना चाहये
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं अतः उनमें सामंजस्य स्थापित करना एक प्रकार से चुनौतीपूर्ण कार्य है उनके सीखने के स्तर को समझ कर योजना बनाना चाहिए।
ReplyDeleteBacchon ki sikhane ki samajh anusar aur group mein anusar gatividhi kare jaaye Taki varche acchi tarike shiksha ke problem
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौती पूर्ण क्षण या मुद्दे बच्चों के सीखने की गति में भिन्नता ka होना, कमजोर बच्चों का नियमित न होना, आत्मविश्वास की कमी आदि है I ये मुद्दे इसलिए हैं क्योंकि अक्सर माता पिता, समाज के लोग औऱ शिक्षक बच्चो को सही दिशा में उत्साहित नहीं करते हैं, उनकी कमियों को गिनाते हैं I नकारात्मक शब्दों का प्रयोग कर बच्चों को निराशा से bhar dete हैं I
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं सबकी सीखने की गति अलग होती है।क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए.
ReplyDeleteविद्यालय में उपस्थित सभी बच्चों की पारिवारिक एवं मानसिक स्थिति अलग-अलग होती है और अलग-अलग परिवेश से बच्चे विद्यालय में आते हैं उन बच्चों का सर्वागीण विकास करना शिक्षक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है
ReplyDeleteEvery students have different social condition, it effects their learnings.
ReplyDeleteबच्चे शाला में अलग-अलग परिवेश से आते है। रुचियां भी अलग -अलग होती है। बच्चों की मानसिक स्थिति भी अलग-अलग होती है। अतः बच्चों का सर्वांगीण विकास करने के लिए शिक्षक के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है।
ReplyDeleteKasha mei sbhi bachche ek saman nhi hote sb mei alg alg sikhne ki samajh hoti hai unki ayu or vikash ko dhyan mei rkh kr karrykram ki yojana bna kr karya krana chahiye
ReplyDeleteVIJAYA TRIPAHI
GPS DHANKHER KHRUD
Bacho ki samjh aur anubhav ke anusar gatibidhi karana chahiye
ReplyDeleteसभी बच्चों की रूचि अलग-अलग होती है । सभी अलग-अलग परिवेश से आते है।हम बच्चों को शाला में सबसे अधिक से अधिक बोलने-समझने का मौका देंगे।
ReplyDeleteबचने शाला मे अलग ़अलग परिवेश से आते है उनकी रुचियां भी अलग अलग होती है मानसिक स्थिति भी अलग होती है अतः बचचो का समस्त विकास करने के लिए शिक्षक के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती हैं
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग -अलग परिस्थितियों से गुजर कर आते हैं।सबकी आवश्यकता अलग -अलग होती है एवं सबकी बौद्धिक क्षमता भिन्न होती है।इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए समग्र विकास करना चुनौतीपूर्ण है।
ReplyDeleteKaksha mein Aisi gatividhiyon ka Chayan karna jo bacchon ke liye Anand mai AVN Saral Ho jisse aasani se Sikh sakte hain yah Ek chunauti purn Karya Hota Hai dusra yah hai ki use gatividhi ko purn karne ke liye paryapt Sansadhan Hona Bhi Ek chunauti Hai
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए..Asha joshi
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteहर बच्चे की सीखने की गति अलग होती है।बच्चे परिवेश एवम् वातावरण से सीखते है,इसलिए उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
हर बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteहर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
प्रत्येक बच्चें का सीखने का अपना तरिका व गति होती हैं, तथा वह अपने वातावरण से भी प्रभावित होता हैं, बच्चों का विकास सीखते हुयें होता हैं, साथ बहुत सी चूनौति का सामना भी करना पड़ता हैं, जैसे बच्चें के घर का परिवेश उसकी उपस्थित आदि,
ReplyDeleteतीनों विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित अनुभवों की योजना बनाते समय हमारे सामने कई चुनौतियां आती है।
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी लक्ष्य तक पहुंचने में सहजता अनुभव कर सकें
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों को विषयानुसार और पोषक वातावरण निर्माण करेंगे। छात्रों को विषयानुसार, आनन्ददायक अनुभव देने का प्रयास करेंगे। छात्रों को उनके गति अनुसार सीखने को प्रेरित करेंगे।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की सीखने की गति अलग होती है है बच्चा अलग परिवेश में रहता है वह अपने वातावरण से प्रभावित होतहै प्रत्येक बच्चे की बौद्धिक क्षमता अलग अलग होती हैं इस बात का ध्यान रखकर बच्चों को सीखना चाहिए
ReplyDeleteहर बच्चे की समझ का स्तर और परिवेश भिन्न भिन्न होतता है अतः गतिविधियाँ औसत दर्जे की होनी चाहिए।
ReplyDeleteकक्षा की दीवार पर वर्णमाला, गिनती , चित्र द्वारा सजाकर आकर्षक बना सकते हैं। जिससे बच्चे आसानी से सिख सकें।
ReplyDeleteसभी बच्चो की सीखने की समझ अलग अलग होती है उनके सीखने के स्तर अनुसार गतिविधि कराना चाहिए।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं एवं उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
ReplyDeleteआईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव को प्राप्त करने के लिए कक्षा कक्ष का वातावरण भय मुक्त माहौल बनाना।बच्चों के साथ जुड़ना।बच्चों की भावनाओ को समझना।बच्चे की पारिवारिक स्थिति के बारे में जानना।
ReplyDeleteउक्त कारणों का पता लगाने के बाद बच्चे के सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
सभी बच्चों की सीखने की क्षमता कौशल अलग अलग होता है इसलिए उनके स्तर और परिवेश के अनुसार शिक्षण गतिविधि चयन चुनौती पूर्ण होगा l
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है उनके सीखने की गति भी प्रत्येक बच्चे की अलग अलग होती है प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति को पहचान कर और उनके आईक्यू लेवल को पहचान कर ही सिखाना चाहिए इसलिए एक जैसा माहौल बनाना बहुत चुनोती पूर्ण कार्य है l
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है उनके सीखने की गति भी अलग अलग होतीहै प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति को पहचान कर और उनके आईक्यू लेवल को पहचान कर ही सिखाना चाहिए इसलिए एक जैसा माहौल बना कर सिखाना चाहिए यह चुनोती पूर्ण कार्य है
ReplyDeleteसुरेश पेठारी एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरूट(रहमानुरा)
ReplyDeleteइस कोर्स को पूर्ण करने के पश्चात् शिक्षार्थी सक्षम होंगे -
'विद्या प्रवेश' एवं 'बालवाटिका' के लक्ष्यों और उद्देश्यों की व्याख्या करने में।
विकासात्मक लक्ष्य एवं उनके परस्पर संबंध व अंतः निर्भरता को समझने में।
साप्ताहिक समय-सारणी तैयार करने के तरीकों की व्याख्या करने में।
• बच्चों के लिए उनकी आयु के अनुकूल गतिविधि एवं अनुभवों की योजना बनाने में।
गतिविधियों एवं अनुभवों को मनोरंजक तरीके से क्रियान्वित करने में।
• सीखने की प्रक्रिया को बल देने के लिए बच्चों की प्रगति पर नज़र रखने में।
सुरेश पेठारी एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरूट(रहमानुरा)
ReplyDeleteकहानी की किताबें
जानने के लिए +' चिह्न पर क्लिक करें.
कहानी की किताबें बच्चों को पाठ और पात्रों के साथ इस तरह से जुड़ने का अवसर प्रदान
करती हैं कि वे कहानी के संदर्भ में खुद को पूरी तरह से तल्लीन कर सकें और उसके अनुसार
अपने विचारों की मध्यस्थता कर सकें। इससे बच्चों को विभिन्न दृष्टिकोणों, काल्पनिक दुनिया,
वास्तविकता और रचनात्मकता से परिचित होने में मदद मिलती है। शब्दों का रचनात्मक
उपयोग बच्चों को अपनी खुद की एक काल्पनिक दुनिया बुनने में मदद करता है। और कई
बार सिर्फ तस्वीरें ही अपने आप में एक पूरी कहानी होती हैं। एक तस्वीर को अक्सर हजार
शब्दों के बराबर कहा जाता है। ये शब्द कोई साधारण शब्द नहीं हैं। ये शब्द उन भावनाओं
और विचारों को दर्शाते हैं जो बच्चे चित्रों को देखते हुए व्यक्त करते हैं। यह वह शब्दावली है
जिसे उन्होंने अब तक हासिल किया है और इसके विस्तार कि यात्रा पर अग्रसर हैं। कहानी की
किताबें पढ़ने से बच्चों को भाषा अधिग्रहण और सीखने से संबंधित व्यवहार और
संरचनात्मक कौशल भी प्राप्त होते हैं। निम्न संसाधन खुद से पढ़ने, अनुमान लगाने और भाषा
निर्माण में सहायक होते हैं :
बच्चों को किताबें और
इसके शब्दहीन किताबें
चित्र पुस्तकें,आदि दिखाकर बोलकर उन्हे हम अभ्यास करा सकते है ★
सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश रहन सहन रीति रिवाज उनके माता-पिता का उनको सहयोग तथा घर के माहौल से उनका स्तर भिन्न भिन्न होता है ऐसे बच्चों का स्तर का मूल्यांकन शिक्षक के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रहता है जब तक हम बच्चे की स्तर को और उसके मन के भाव को नहीं समझ पाते हम उसे अलग-थलग पाते हैं सभी बच्चों की अपनी अपनी भाषा होती है उसे उसकी भाषा में बताना भी एक बड़ी चुनौती है।
ReplyDeleteसुरेंद्र कुमार लक्षकार प्राथमिक विद्यालय मामोनी कला करेरा जिला शिवपुरी
सभी बच्चों की अलग-2 सीखने की क्षमता होती हैं, उन क्षमता को ध्यान में रखकर उनकों सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteविभिन्न परिस्थितियों से आने के कारण बच्चों की सीखने की समझ भिन्न भिन्न होती है अतः बच्चों के सीखने के समय में अंतर होता है
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्यों के चुनौती पूर्ण क्षण ,बच्चे के सीखने का स्तर, स्वास्थ्य, गरीब है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का अलग परिवेश में पालन होता है।इसलिए सीखने का स्तर अलग होता है।
ReplyDeleteEvery child have ea different IQ level and catching power to understand school study. We need to create experimental environment in school for children.
ReplyDeleteGovt Girls Middle SCHOOL Baghana Neemuch
ReplyDeleteKaksha Mein vikasatmak Lakshman se sambandhit sikhane ke Anubhav pradan karte samay sabse chunauti purn Bitiya rahti hai ki baccha alag alag parivesh se aata hai aur pratyek bacche ki sikhane ki gati Mein Chinta Hoti Hai To unhen unke sikhane ki gati parivesh ke hisab se sikhana Shikshak ke liye sabse chunauti purn Karya Hota Hai
हर बच्चे कि अपनी मानसिक समझ अपने परिवार, वातावरण, साधन,और सोचने की समझ पर आधारित होती है ।अगर हर बच्चे को उसकी विशेषता के आधार पर सिखाया जाता है तो उसकी बुनियादी शिक्षा का विकास तेजी से और स्थायी होगा ।
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्मण से संबंधित चुनौती प्रत्येक बच्चा अपनी गति से सीखता है और बच्चों की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं बच्चे अपने परिवेश के अनुसार बुद्धि से अलग-अलग होते हैं तथा सभी बच्चों के लिए शिक्षा का वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती है बच्चों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अच्छा वातावरण बनाना चाहिए ताकि बच्चा उस लक्ष्य को प्राप्त कर सके सुकलाल लहरिया एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला कुसली Sankul belkheda Jila Jabalpur
ReplyDeleteबच्चों की भावनाओ को समझना।बच्चे की पारिवारिक स्थिति के बारे में जानना।
ReplyDeleteउक्त कारणों का पता लगाने के बाद बच्चे के सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं| प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
सभी बच्चों की सीखने की समाज अलग-अलग होती हैउनकी समझ के अनुसार गतिविधियां कराना चाहिए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने समझने की क्षमता में भिन्नता होती है अतः शिक्षण की योजना बनाते समय रोचक और बच्चों में जागरुकता तथा बच्चों पर केन्द्रित योजना बनाने की आवश्यकता है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की अपनी अलग- अलग आवश्यकताए होती है। क्योकि प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकतानुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteमुद्रण समृद्धि अधिगम वातावरण कक्षाओं को आकर्षक बना करके ड्राइंग शीट पोस्टर कलर पेंसिल आदि सामग्री कक्षा का एक कोना बनाकर बच्चों की पहुंच में होनी चाहिए जिससे बच्चे अपनी चित्र कला का प्रदर्शन कर सकें और बच्चे द्वारा बनाए चित्र कला को कक्षा की दीवार पर गोंद द्वारा चिपका सकें और उस कला को देखकर बच्चों को प्रोत्साहित करना जिससे बच्चों में ललक पैदा होती है और बच्चे अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते रहते हैं कक्षाओं को बहुत रोचक सद्रन बनाकर बच्चों के साथ मिलजुलकर कलाओं का प्रदर्शन करते रहना चाहिए सुकलाल लहरिया एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला कुसली संकुल बेलखेड़ा जिला जबलपुर
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए
ReplyDeleteसुरेश पेठारी एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरुट(रहमानपुरा)
ReplyDeleteप्रिय शिक्षार्थियों,
कार्यक्रम की योजना बनाते समय ध्यान रखने
योग्य बातें प्रतिलिपि
-
किसी भी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसकी तैयारी करना उस कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन का एक
अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है। इसका उद्देश्य बच्चों के लिए उनकी आयु और विकास को ध्यान में रखते हुए
सीखने के उपयुक्त अवसर सुनिश्चित करना। साथ ही, छोटे बच्चों के साथ काम करने के तरीकों में भी सुधार
करना है। यह न केवल निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार कार्यक्रम की योजना बनाने में सहायक है, बल्कि छोटे
बच्चों को गुणवत्तापूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से आवश्यक कौशल सीखने, अवधारणाओं को समझने और
आसपास हो रही घटनाओं के बारे में समझ बनाने में भी मदद करता है। विद्या प्रवेश यानी कि स्कूल तैयारी
कोर्स और बाल-वाटिका के संचालन की योजना बनाने से पहले शिक्षक और शैक्षिक योजनाकारों को विद्या
प्रवेश दिशानिर्देश और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान पढ़ना चाहिए। इससे उन्हें न केवल दी गई
अवधारणाओं और गतिविधियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी बल्कि कार्यक्रम के फोकस को भी
समझने में सहायता मिलेगी। आइए हम सभी सीखने के अनुभवों की योजना बनाते समय ध्यान रखने योग्य
बातों को समझें।
सर्वप्रथम उद्देश्य, लक्ष्य प्रारूप अवधि सीखने की प्रक्रिया और सीखने के प्रतिफलों को प्राप्त करने के
लिए बच्चों को प्रदान किए जाने वाले सीखने के अवसरों जैसे प्रमुख बिंदुओं पर विचार करें।
गतिविधियों और कार्यपत्रकों को डिजाइन करने और प्रतिदिन के कार्यक्रम की योजना बनाने के लिए
बारह सप्ताह के दिनवार साप्ताहिक कार्यक्रम के नमूने यानी कि डे वाइज वीकली शेड्यूल को देखें।
विद्या प्रवेश कोर्स में दी गई गतिविधियों और कार्यपत्रकों का भी संदर्भ लें। यह आपको आवश्यकता
के अनुसार शेड्यूल को संशोधित करने या नया बनाने में मदद करेगा।
डे वाइज वीकली शेड्यूल को विकसित करने या उनकी योजना बनाते समय शिक्षक द्वारा शुरू की गई
और बच्चों द्वारा शुरू की गई गतिविधियों, अन्तः और बाह्य गतिविधियों व बड़े और छोटे समूहों की
गतिविधियों के बीच परस्पर संतुलन होना चाहिए।
कक्षा में डे वाइज वीकली शेड्यूल प्रदर्शित करें और यह सूचीबद्ध करने का प्रयास करें कि किन-किन
सामग्रियों की आवश्यकता है, प्रत्येक गतिविधि के लिए बैठने की व्यवस्था कैसे करें और बच्चों का
निरीक्षण कैसे हो आदि।★सुरेश पेठारी★★एकीकृत शाला शा.मा.वि.बुरुट(रहमानपुरा)
आवश्यक शिक्षण सामग्री को पहले से ही व्यवस्थित कर लें। आप स्थानीय संसाधनों या फिर कम
लागत, या बिना लागत वाली सामग्री का उपयोग करके भी सामग्री विकसित कर सकते हैं। कुछ
तैयार शिक्षण अधिगम सामग्री भी शामिल की जा सकती है। प्राकृतिक संसाधनों जैसे पत्ती, टहनियां,
कंकड़, आदि को भी सीखने के साधन के रूप में शामिल करने की योजना बनाएं।
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं ।उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है ।सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है ।गुलाबराव पाटिल
ReplyDeleteRamkumar Soni prathmik Shala chargaon Jan Shiksha Kendra Kasturi pipriya jila dindori Vikas Khand Shahdara mere hisab se a bacchon ki ki alag alag Pravesh se Parivar ke anusar unke paas Gyan ka Bhandar hota hai main Ghar se hi kuchh Sikh kar aate Hain atah unhen Urvashi e Gyan ke dwara acchi tarah se sikhaya AVN bataya ja sakta hai dhanyvad
ReplyDeleteकक्षा में एक बच्चा अलग-अलग परिवेशसे आता है। प्रत्येक बच्चे की सीखने की अपनी गति एवं क्षमता होती है कक्षा में सभी बच्चों केलिए पूर्ण वातावरण बनाना, उनकी आवश्यकता अनुसार मार्गदर्शन देना। सबसे बड़ी चुनौती है
ReplyDeleteकक्षा के बच्चे अलग अलग सामाजिक आर्थिक ,पारिवारिक वातावरण से आते है।उन्हे नई चीजों से परिचय कराना एक चुनौती पूर्ण कार्य होगा।
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण छात्रों के प्रति शिक्षकों का परंपरागत व्यवहार एवं कक्षा का वातावरण होंगे। क्योंकि भारतीय ग्रामीण अंचलों में स्थित प्राथमिक स्तर के विद्यालयों की प्रबंधन व्यवस्थाएं एवं छात्रों की शैक्षिक उन्नति पूर्णता एक शिक्षक मात्र पर आधारित है। शिक्षा नीति 2020 बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत बच्चों के विकास और सीखने के विभिन्न आयाम शामिल हैं जैसे-शारीरिक,सामाजिक,भावनात्मक,साक्षरता संख्याज्ञान,संख्यात्मक,आध्यात्मिक,नैतिक कलात्मक एवं सौंदर्य बोध।
ReplyDeleteविद्या प्रवेश एवं बालवाटिका का कार्यक्रम का उद्देश्य इन पक्षों के अंतर्गत बच्चों का अधिक से अधिक विकास करना है इस विकास के विकासात्मक लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं जिनमें -
1 बच्चों का स्वास्थ्य एवं खुशहाली को बनाए रखना।
2 -विकासात्मक लक्ष्य बच्चों को प्रभावशाली सम प्रेषक बनाना।
3 - विकासात्मक लक्ष्य है बच्चों को सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जोड़ना।
इन तीनों विकासात्मक लक्ष्यों को तभी हासिल किया जा सकता है जबकि शिक्षक और अभिभावक मिलकर विद्यालयों की शासकीय परंपरागत सोच से बाहर निकल कर राष्ट्रहित के लिए संकल्पित हों।
कक्षा में बच्चे भिन्न परिवेश से आते हैं प्रत्येक की सीखने की क्षमता व गति भिन्न होती हैं उनकी आवश्यकता अनुसार गतिविधि द्वारा सीखाने काप्रयास करना होगा
ReplyDeleteअभिभावकों से सतत संपर्क, बच्चों का सीखने के स्तर, सामाजिक, क्षेत्रीय, आधार पर वर्गीकृत कर उचित वातावरण के साथ-साथ सटीक शैक्षिक सामाग्री और मनोरंजक गतिविधियों का प्रयोग कर विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteBchho ki sikhne ki gati ke anusar
ReplyDeleteHi dikhana pdata hi tbhi bchhe sikh skte hi
बच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ा ना यह विकासात्मक लक्ष्य है जबकि एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं का संचालन का दायित्व दे दिया जाता है तो सभी बच्चों की आवश्यकता अनुरूप शिक्षा नहीं हो पाती और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। साथ ही बच्चों को उनकी रुचियों को ध्यान में रखकर, गतिविधियां करना भी कठिन कार्य होता है
ReplyDeleteclass mein alag alag pariwesh se chatraon ate hai jinka samajh ka star bhi alag hota hai, aise mein sikshan karya karna kathin ho jata hai,,,,
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग- अलग परिवेश से आते हैं तथा उनकी सीखने की गति अलग अलग होती है साथ ही उनका आई. क्यू. लेबल भी अलग- अलग होता है! अतः सभी बच्चों को एक साथ, एक ही गतिविधि द्वारा विकासात्मक लक्ष्यों का अनुभव प्रदान करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा!
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteकक्षा में गतिविधि कराते समय सभी बच्चों को लंबे समय तक एक साथ गतिविधि में संलग्न रखना सबसे बड़ी चुनौती प्रतीत होती है। क्योंकि छोटे बच्चे एक ही गतिविधि से बहुत जल्द ही बोर होने लगते हैं और उनका मन दूसरी ओर चला जाता है।
ReplyDeleteBaccho ki samaz ke anusar gatividhi hona aavashyak hai.
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग सीखने की गति से आवश्यकतानुसार पढ़ना बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन के महत्व के बारे में विचार करें और सोचे कि बुनियादी साक्षरता संख्या ज्ञान बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाना चाहिए। तभी बच्चे सही शिक्षा प्राप्त करेंगे। जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं अतः उन में सामंजस्य स्थापित करना चुनौतीपूर्ण होता है अतः उनके सीखने के स्तर के अनुसार कार्य योजना बनाना चाहिए
ReplyDeleteहर बच्चे का सामाजिक परिवेश अलग-अलग होता है वह उनकी रूचि अलग-अलग क्षेत्रों में होती है इसलिए उनका सभी विकासात्मक क्षेत्रों को सिखाने में कठिनाई होती है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।सभी बच्चों को एक साथ, एक ही गतिविधि द्वारा विकासात्मक लक्ष्यों का अनुभव प्रदान करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा!
ReplyDeleteहर बच्चे की समझ अलग_अलग होती है, अतः हर तरह की गतिविधियों को कराना चाहिए.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का सामाजिक परिवेश अलग अलग होता है और उनके सीखने की गति उनके वातावरण के अनुसार अलग-अलग होती है इसलिए सभी बच्चे एक साथ नहीं सीख सकते इसलिए उन्हें अलग-अलग गतिविधि और अलग-अलग स्तर के अनुसार सिखाया जाना चाहिए
ReplyDeleteसबसे बड़ी चुनौती यही आएगी कि सभी बच्चे एक से नहीं होते है,कोई जल्दी समझ जाता है किसी को गतिविधि के द्वारा समझाया जाता है।इसलिए बच्चो k विकास के लिए उनके अनुसार शिक्षक पद्धति में बदलाव करने चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चें अलग - अलग परिवेश से आते हैं इसलिए उनके सिखने कि गति भी भिन्न -2 होती है जो समस्या का विषय हैं|उनके सिखने के स्तर अनुसार कार्य योजना बनानी चाहिए |
ReplyDeleteHar baccha ka samajik parivesh alag alag hota hai vah unki ruchi alag alag chhatron mein hoti hai isliye unka sabhi vikasatmak chhatron ko sikhane mein kathinai hoti hai
ReplyDeleteBaccho ko apni apni gunvata ke aadhar par padana chahiye taki baccho ko jyada kathinaiya na ho
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya-बच्चों की रुचि , परिवेश की भिन्नता ,गतिविधियों में पूर्ण रूप से शामिल न होना, मानसिक पिछड़ापन, अभ्यास न करना आदि चुनौतियां हैं ।
ReplyDeleteमैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर Every child is special child.
ReplyDeleteअतः
प्रत्येक बच्चे कि अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं क्योंकि प्रत्येक बच्चे का परिवेश अलग रहता है प्रत्येक बच्चे को उसकी मानसिक स्थिति को पहचान कर उसकी आवश्यकता अनुसार सीखने की गति के अनुसार ही सिखाना चाहिए।
हर बच्चा अलग अलग परिस्थिति में रहता है परिवेश अलग अलग होने के कारण आवश्यकताएं अलग अलग होती हैं अत: उन्हें अलग अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
अत: हर बच्चे को अलग अलग गति से तथा अलग अलग तरीके से सिखाना चाहिए ।
विद्यालय में भिन्न-भिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं एवं उनके सीखने की गति भी विभिन्न स्तरों की होती है। बच्चों की सीखने की क्षमता भी भिन्न-भिन्न होती है ऐसी स्थिति में बच्चों को सिखाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु हम शिक्षकों को यह चुनौती स्वीकार कर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।कक्षा में गतिविधि कराते समय सभी बच्चों को लंबे समय तक एक साथ गतिविधि में संलग्न रखना सबसे बड़ी चुनौती प्रतीत होती है। क्योंकि छोटे बच्चे एक ही गतिविधि से बहुत जल्द ही बोर होने लगते हैं और उनका मन दूसरी ओर चला जाता है।
ReplyDeleteEk kaksha ke bachho ka parivesh,unki sikhne ki gati,boli,ruchiya ye sabhi chunoutiya hai .
ReplyDeleteReena varma
P/s Boondra
Harda(M.P.)
कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनके सीखने की गति भी अलग-अलग होती है अतः सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना एक बड़ी चुनौती होगी।
ReplyDeleteबच्चों की उम्र और कौशल के आधार पर गतिविधियां कराएं
ReplyDeleteat 5:47 AM
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के
आईक्यू/एसक्यू अलग अलगहोते हैं! इसलिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
Kaksha mein sabhi bacche alag alag parivesh se aate Hain vah unki sikhane ki gati bhi alag alag Hoti hai tatha sabhi bacchon ke liye ek vatavaran banana Sabse badi chunauti hoti hai
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी समझ को विकसित करने के लिए हमें निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों को स्थाई ज्ञान की समझ विकसित हो सके।
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्मण से संबंधित चुनौती प्रत्येक बच्चा अपनी गति से सीखता है और बच्चों की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं बच्चे अपने परिवेश के अनुसार बुद्धि से अलग-अलग होते हैं तथा सभी बच्चों के लिए शिक्षा का वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती है बच्चों को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अच्छा वातावरण बनाना चाहिए ताकि बच्चा उस लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
ReplyDelete"मुद्रण समृद्ध अधिगम वातावरण" दैनिक जीवन में बच्चों को प्रिंट के माध्यम से सीखने के लिये एक सार्थक वातावरण है,जिसके माध्यम से बच्चो को प्रिंट के साथ बातचीत का अवसर उपलब्ध होता है। मैं अपनी कक्षा में बच्चों के लिये शब्द दीवाल,पढ़ने का कोना,लेखन क्षेत्र,कक्षा के चारों ओर वस्तुओं का नाम मुद्रित कर,बच्चों का प्रदर्शन कोना आदि के माध्यम से मुद्रण समृद्ध अधिगम वातावरण" का निर्माण करूँगा ।
ReplyDeleteकक्षा में गतिविधि कराते समय सभी बच्चों को लंबे समय तक एक साथ गतिविधि में संलग्न रखना सबसे बड़ी चुनौती प्रतीत होती है।अतः उनके सीखने के स्तर के अनुसार कार्य योजना बनाना चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग परिवेश अलग-अलग समाज अलग-अलग वातावरण से एक साथ पढ़ने आते हैं और उन सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाना बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है
ReplyDeletePratyek bachche ka samajik parivesh alag alag hota he or unaki ruchi bhi alag alag kshetron main hoti he isliye unaka sabhi bikashatmak kshetron ko sikhane main kathinai hoti he
ReplyDeleteSabse chunotipurn muddo m yah h ki sabhi bachcho ka catching power ek jesa nahi hota h.koi jodi Milan se to koi khali sthan bharvane se to koi true false se jaldi sikhta h.
ReplyDeleteHar bachche ka samajik parivesh alag alag hota h.bachche jodi milan se vikasatmak lakshyo ko samajh sakte h.
ReplyDeleteRamesh Chand MeghwalDecember 1, 2021 at 4:47 AM
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं वह उनकी सीखने की गति भी अलग-अलग होती है तथा सभी बच्चों के लिए एक वातावरण बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।