कोर्स 8 - गतिविधि 1: अपने विचार साझा करें
आकलन
के ऐसे कौन-से प्रकार हैं जिन्हें आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते
हैं? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएँ – विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा करें।
प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों से अपने आसपास के विषय के बारेमेंअधिक से अधिक छोटे2 प्रश्नों करके उनसे जानकारी लेना ताकि बच्चे के मन से डर दूर हो सके और हम उनका आकलन कर सके ।
Deleteआकलन के प्रकार संख्यात्मक आकलन अबाकस द्वारा कंकड़ पत्थर द्वारा लकड़ी के गट्ठर बनवा कर बीच-बीच से गिनती पूछ कर भाषा संबंधी आकलन अक्षर पहचान वर्णपहचान वाक्य पहचान को परवाना परवाना पढ बानाके परवाना परवाना चित्रों द्वारा पहचान करवाना आकलन में गणित में सवाल सुना कर सकते हैं भाषा संबंधी प्रश्नों के उत्तर द्वारा या कोई कविता कहानी सुना कर उनके उत्तर पूछ कर आ सकते हैं
Delete...किसी चित्र को दिखाकर, उस पर चर्चा कर बच्चों के ज्ञान का आकलन किया जा सकता है।
Deleteक्षेत्रीय आधार पर
Deleteबच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उनसे कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन ककिया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को खेल खेल के द्वारा प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए और बच्चों के साथ दोस्त बनकर शिक्षा देनी चाहिए
Deleteहम उन बुरे प्रभावों के बारे में चिंतित हैं जो परीक्षाएं पढ़ाई को बच्चों के लिए सार्थक और आनंदमय बनाने के प्रयासों पर डालती हैं। वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteइस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी। इस तरह से आकलन का उपयोग आपके सभी छात्रों के नतीजों में सुधार करेगा। शिवशंकर मिश्रा
जतारा ( M.p.)
Bachchon ko unaki matrabhasha me hi padhaya Jana chahiye.isaka labh yah hota hai ki path unaki samajh me achchi tarah se aa jata hai phir teacher bachchon ka aankalan kare to bachcha apani baat apani bhasha me spasht kar sakata hai.
Deleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा । वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा । वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
Deleteहम उन बुरे प्रभावों के बारे में चिंतित हैं जो परीक्षाएं पढ़ाई को बच्चों के लिए सार्थक और आनंदमय बनाने के प्रयासों पर डालती हैं। वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteइस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी। इस तरह से आकलन का उपयोग आपके सभी छात्रों के नतीजों में सुधार होगा
, aaklan ke Prakar mein vidyarthiyon ki Suni ko aur bolane ke question की परख dher sari Kavita Kahani unke उनसे उनकी पसंद नापसंद Parivar ke sadasya se sambandhit batchit स्टूडेंट्स के मनोभाव को प्रदर्शित करेंगी
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
DeleteBachho Ko Kavita Kahanee Sunakar or Usse Sambandhit Prasan Punchh ker Bachho Ka ,Mulyankan Kar Sakte Hai.
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में हम उन्हें विभिन्न प्रकार से आंकलित कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी पसंद की कहानी या कविता सुना करके कविता कहानी सुना कर कि उनके आधार पर बच्चों से सरल प्रश्न करके हम उनका आकलन कर सकते हैं कि बच्चे के अंदर सुनाई गई कहानी की कितनी समझ विकसित हुई है। इसी प्रकार हम उन्हें वीडियो लेसन विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम दिखा करके उनसे संबंधित प्रश्नों को उनकी भाषा में पूछ कर के हम उनका आकलन कर सकते हैं प्रारंभिक स्तर पर इसी प्रकार का आकलन ज्यादा कारगर होता है ।बच्चे गतिविधि करते जाएं और हम उनका असर आकलन करते जाएं।
बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उनसे कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। इसी प्रकार दैनिक जीवन के क्रियाकलापों के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनकी समझ का आकलन कर सकते है।
इस प्रकार का आकलन लिखित ना होकर मौखिक आकलन होता है।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
सुनीत कुमार पाण्डेय
चकराघाट हीरापुर कौड़िया
जिला (कटनी)
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
पाठ, कहानी या कविता सुनाकर उन्हें उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन करते हुए, इसी प्रकार से बच्चों से, प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ हम आकलन निम्न तरीके से कर सकते हैं |1.बच्चों को कोई घटना या कहानी सुना कर उससे संबंधित बीच-बीच में प्रश्न कर सकते हैं |
ReplyDelete2.बच्चों को कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
3.बच्चों को कोई गतिविधि खेल-खेल में करवाएं तथा उन्होंने उस खेल में कौन से नियमों का पालन किया यह जान कर भी हम आकलन कर सकते हैं |आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |बशर्ते आवश्यकता इस बात की है कि आकलन हमारा इस तरह का हो कि वह बच्चों के लिए उबाऊ ना हो ,बच्चा प्रसन्न चित्त होकर आकलन में शामिल हो सकें|
रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहस राम , विकासखंड -विजयपुर ,जिला- श्योपुर (मध्य प्रदेश)
बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उनसे कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है । इसी प्रकार देनिक जीवन के कार्यो से संबंधित प्रश्न करके भी उनकी समझ का आकलन कर सकते हैं ।
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन निम्नांकित तरीकों से किया जासकता है:-1खेल गतिविधियों से 2बच्चों से प्रोजेक्ट कार्य करवाकर 3 बच्चों को कोई घटना/कहानी सुनाकर बीच में उससेसंबंधीत प्रश्न पूँछ कर ।आकलन उबाऊ न हो ।बच्चे उसमें खुशी -खुशी शामिल हों ।
ReplyDeleteबच्चों का सतत आंकलन शिक्षक को लगातार करते रहना चाहिए,,,, यह पूर्णतः व्यावहारिक होना चाहिए ना कि लिखित,,,,बच्चे की हर गतिविधि पर शिक्षक की नजर रहती ही है,,,,, शिक्षक के पढ़ते समय बच्चे के हावभाव से ही उनकी सीखने की गति या रुचि का आकलन हो जाता है,,,,, और अन्य बच्चों के साथ या शिक्षक के साथ बातचीत करते समय भी उसके सब तरह के आंकलन को किया जा सकता है,,,, यही सबसे अच्छा तरीका है,,, पर ज्यादा बच्चे या शिक्षक काम होने पर यह थोड़ा कठिन हो जाता है।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा छात्रों के लिए सीखने की नीव होती है इस समय छात्रों को कहानी कविता एवं खेलकूद के माध्यम से गतिविधि करा कर हम उनसे उन स्तर अनुरूप प्रश्न पूछ कर प्रोत्साहित कर उनका आकलन कर उनके लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं क्षेत्र में आकलन गतिविधि एक महत्वपूर्ण कारक है जो बुनियादी शिक्षा एवं संख्या ज्ञान की नींव रख सकता है
ReplyDeleteमैं संतोष कुमार कुशवाहा शासकीय प्राथमिक विद्यालय कटापुर जेएसके ररुआराय विकास खण्ड सेवढ़ा जिला दतिया 7489316139
ReplyDeleteबच्चों को सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करने के बाद उनके आंकलन को करने के लिए। बच्चों का सतत आंकलन करते रहना चाहिए जिससे उनकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है। बुनियादी संख्या ज्ञान को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक गतिविधि का आंकलन करना अनिवार्य है।
Ham bacchon Ko vibhinn Prakar Ke Khel khilaune kar aur gatividhiyan Kaha Kabhi use se sambandhit prashn poochh kar Unka plan kara sakte hain aur Kavita ya Kahani Suna kar FIR Unse sambandhit prashn poochh kar Unka Gal kar sakte hain
ReplyDeleteEvaluation of the small learners is different from young learners. We should evaluate small learners with playing games. We can also tell interesting story and during telling it in between we should raise simple question to evaluate them. Showing picture we can also evaluate their understanding. We can also ask them to tell any story and while they tell we can check their expression power .or oral language.
ReplyDeleteबच्चो को कविता पूछकर, कहानी पूछकर, कोई पाठ पढ़वाकर या फिर उनसे कुछ जनरल प्रश्नन कर, चर्चा कर घर परिवार, पड़ोसी, रिश्तेदार, आदि के बारे में चर्चा कर आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को कहानी कविता आदि सुना कर उनसे संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं इसी प्रकार दैनिक जीवन से संबंधित घर परिवार पर चर्चा करके प्रश्न पूछ सकते हैं और गतिविधि करवा करके उनसे प्रश्न पूछ सकते हैं।
ReplyDeleteमैं रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय शासकीय कन्या शाला में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं चौरई मेंप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
DeleteAklan
ReplyDeleteAklan kai prakar se kia ja sakta hai. Question poochh kar kavita kahani sunkar.
ReplyDeleteBacchon mein Kai prakar aakalan Kiya ja sakta hai Jaise unko Kale Kale vakar gatividhi karvai ja sakti hai jisse ki ki vah apni Pratibha pradarshit kar sake a v kahani Kavita chutkule a geet bhashan thandi mein unko sawagi banakar unse aye prashn poochh kar mokhikroop se prashan puchkar aakalan kiya ja sakta hai
ReplyDeleteप्राथमिक शाला सलैया माल से मैं शिक्षक खुमान विश्वकर्मा बच्चों के आकलन के लिए मुझे उनके परिवेश , रहन - सहन और उनके द्वारा बोली जाने वाली प्रारंभिक भाषा का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।प्रारंभिक शिक्षा छात्रों के लिए सीखने की नीव होती है इस समय छात्रों को कहानी कविता एवं खेलकूद के माध्यम से गतिविधि करा कर हम उनसे उन स्तर अनुरूप प्रश्न पूछ कर प्रोत्साहित कर उनका आकलन कर उनके लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं क्षेत्र में आकलन गतिविधि एक महत्वपूर्ण कारक है जो बुनियादी शिक्षा एवं संख्या ज्ञान की नींव रख सकता है
ReplyDeleteBacchon ki new majbut hogi to unka sarvangeen Vikas sambhav hai Salman Khan Vikas ke liye unke Suchi ke anusar unhen Shiksha Dena chahie
ReplyDeleteबच्चों ने विषयवस्तु को कितना आत्मसात किया इसके आकलन के लिए हम बच्चों से पहेलियों के उत्तर पूछे ,कहानियां सुनाकर उसके प्रश्न के उत्तर पूछे, खेल गतिविधियां कराए परिवेश के बारे मे प्रश्न पूछे।परिवार के बारे मे पूछे। खेल गतिविधियां,कविता कहानी में बच्चे ज्यादा रुचि लेते है।इस प्रकार खेल खेल में ही बच्चों का आकलन कर सकते है
ReplyDeleteआकलन कई प्रकार से किया जा सकता हैं जैसे-1कविता,कहानी,पाठ सुनाकर उनसे छोटे -छोटे प्रश्न पूछकर 2 दैनिक जीवन से संबंधित चर्चा करके 3 खेल आधारित गतिविधियां करवाकर बच्चों का आकलन किया जा सकता हैं |
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ हम आकलन निम्न तरीके से कर सकते हैं |1.बच्चों को कोई घटना या कहानी सुना कर उससे संबंधित बीच-बीच में प्रश्न कर सकते हैं |
Delete2.बच्चों को कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
3.बच्चों को कोई गतिविधि खेल-खेल में करवाएं तथा उन्होंने उस खेल में कौन से नियमों का पालन किया यह जान कर भी हम आकलन कर सकते हैं |आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |बशर्ते आवश्यकता इस बात की है कि आकलन हमारा इस तरह का हो कि वह बच्चों के लिए उबाऊ ना हो ,बच्चा प्रसन्न चित्त होकर आकलन में शामिल हो सकें|
आकलन करने के लिए विभिन्न पक्षों को सुनने से या बच्चों से प्रश्न पूछ कर अपने शिक्षण गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है कि बच्चा किस क्षेत्र में निपुण हैं। बच्चों को खेल के माध्यम से कहानियों के द्वारा गीतों के द्वारा छोटे छोटे प्रश्न पूछ कर शिक्षण कार्य में किस क्षेत्र विशेष रुचि रखता है और कितनी दक्षता हासिल कर रहा है य़ह आकलन के द्वारा ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शिक्षण गतिविधियों में आकलन की विशेष आवश्यकता है। आकलन के द्वारा ही हम शिक्षण में कितने सुधार की जरूरत है य़ह जानकारी ली जा सकती है।
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन किया जा सकता है 1.खेलगतिविधियों से 2. बच्चों सेप्रोजेक्ट कार्य करवा कर 3. बच्चों को कोई कहानी सुनकर उससे सबूत प्रशन पूछकर बच्चे रुचि के साथ शामिल हो
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ReplyDeleteखेल खेल में शिक्षा, शिक्षा बालकेन्द्रित हो, शिक्षा का वातावरण बच्चों को बिना किसी दबाव के अच्छी आदतों का विकास हो,
ReplyDeleteबच्चो को कविताएं पढ़ाकर, कहानी सुनाने के बाद प्रश्न पूछकर, चित्र दिखाकर, चित्र पर चर्चा कर सकते हैं, पेड़- पौधे से, बीज अनाज मंडी, बाजार, घर परिवार में संबंध, पड़ोसी, रिश्तेदार, पशु - पक्षी, सजीव निर्जीव वस्तुओं के बारे में चर्चा कर, परिवेश से संबंधित आकलन कर सकते है।
https://mp-nishthafln.blogspot.com/2021/12/8-1.html
ReplyDeleteखेल खेल मे कविता कहानी के द्वारा बच्चो का आकलन सहज रूप मै किया जा सकता है
ReplyDeletePrarambhik Shiksha bacche ki nahin hai , atah hmeya bacchon se adhik se adhik gatividhiya karva kar vah unhen kahani Kavita ganit ke kurte khilaune aadi dekar unhen Swatantra roop se a gatividhiya karne ke liye kahen tatha ham Dhyan se dekh kar unka aakalan kar sakte hain
ReplyDeleteसीखने का आकलन
ReplyDeleteविद्यार्थी की सीखने का आकलन बहुत ही आवश्यक है सीखने के आकलन के कई तरीके हो सकते हैं जैसे मौखिक रूप से ज्ञात करना कि बच्चे को विषय की कहां तक और कितनी जानकारी है लिखित रूप से ज्ञात करना कि बच्चे को कहां तक कितना अक्षर ज्ञान है कहां तक शुद्ध शब्दों को लिख सकता है ठीक उसी प्रकार गणित में आकलन करना कि बच्चे को कहां तक अंको की जानकारी है उसे इकाई दहाई सैकड़ा का ध्यान है कि नहीं अगर है तो उसे जोड़ घटाना एवं बढ़ावा की स्थिति क्या है इस प्रकार हम उसका हक बच्चे का आकलन करके उचित कार्य कर सकते हैं उसकी गलतियों को दूर करते हो कर सकते हैं ठीक इसी प्रकार पर्यावरण अध्ययन में भी बच्चे के परिवार की जानकारी बच्चे के पर्यावरण की जानकारी और परिवार की स्थिति की जानकारियां प्राप्त करके बच्चे को किस तरह और कहां सहयोग की आवश्यकता है जिससे बच्चा प्रगति कर सकें वही अपना सकती है सीखने का आकलन बहुत ही आवश्यक है और यह जो प्रशिक्षण है यह बहुत ही महत्वपूर्ण है
कहानी कवीता के साथ भी आंकलन किया जा सकता है प्रश्न पूछ सकते हैं और उन को समझने मेअसानी होगी
ReplyDeleteहम बुरे प्रभावों के बारे में चिंतित हैं जो परीक्षाएं बच्चों को पढ़ाई के लिए सार्थक और आनंददायक बनाने में असर डालती हैं परीक्षाएं बच्चों को डर और भय का माहौल पैदा करती है !जबकि आकलन बच्चों को नियमित सीखने की प्रक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग बच्चों को अधिक प्रभावी व लगन शील बनाता है !इसमें हमें बच्चों की निगरानी करनी पड़ती है । कि बच्चा कितना सीख रहा है
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteबच्चे के बात करने के तरीके, खेलों में साथियों के साथ किये गए व्यवहार, चित्र आदि में अपने विचारों की अभिव्यक्ति, प्रश्नों के माध्यम से अपनी जिज्ञासा व्यक्त करना आदि माध्यमों से है जिनका प्रयोग हम बच्चों के आकलन में कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों का आकलन हमें खेल खेल में करना या फिर गतिविधि आधारित आकलन होना चाहिए इससे बच्चे भयमुक्त होकर गतिविधि करेंगे और उनको पता भी नहीं चलेगा और उनका आकलन हो जाएगा
ReplyDeleteसीखने का आकलन:-सीखने के आकलन के कई तरीके हो सकते है जैसे मौखिक रूप से ज्ञात करना कि बच्चे को विषय की कहा तक ओर कितनी जानकारी है ,विद्यार्थी को सीखने का आकलन बहुत ही आवश्यक है बुनियादी अवस्था मे बच्चो का आकलन किया जा सकता है।1 खेलगतिविधियो से 2 बच्चो से प्रोजेक्ट कार्य करवा कर 3 बच्चो को कोई कहानी सुनाकर उससे प्रश्न पूछकर बच्चे रुचि के साथ शामिल होकर आकलन कर सकते है
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चों की सीखने सिखाने की प्रक्रिया में हम उन्हें विभिन्न प्रकार से आकलित कर सकते हैं बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।प्रोजेक्ट कार्य करवाकर भी आकलन किया जा सकता है।चित्र पर बातचीत करके भी आकलन किया जा सकता है।बच्चों की प्रगति का आकलन मौखिक एवम् लिखित दोनों प्रकार से किया जाना चाहिए।
प्रारंभिक शिक्षा बच्चों की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ हम आकलन निम्न तरीके से कर सकते हैं |1.बच्चों को कोई घटना या कहानी सुना कर उससे संबंधित बीच-बीच में प्रश्न कर सकते हैं |
ReplyDelete2.बच्चों को कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
3.बच्चों को कोई गतिविधि खेल-खेल में करवाएं तथा उन्होंने उस खेल में कौन से नियमों का पालन किया यह जान कर भी हम आकलन कर सकते हैं |आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |बशर्ते आवश्यकता इस बात की है कि आकलन हमारा इस तरह का हो कि वह बच्चों के लिए उबाऊ ना हो ,बच्चा प्रसन्न चित्त होकर आकलन में शामिल हो सकें|
बुनियादी शिक्षा बच्चों की नींव होही है इसलिए उनका आकलन करना बहुत जरूरी होता है 1.बच्चो को कविता सुना कर 2. कोई घटना सुना कर 3. खेल खिलाकर 4. निर्देश देकर 5. कोई गतिविधि करा कर आदि ।
ReplyDeleteप्रारम्भिक शिक्षा, शिक्षा की नींव है। हम बच्चों को गतिविधि, प्रोजेक्ट,के माध्यम से गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को खेल के माध्यम से छोटी छोटी कहानियों के द्वारा एवं गीतों के द्वारा छोटे छोटे प्रश्न पूछ कर शिक्षण कार्य में किस क्षेत्र विशेष रुचि रखता है और उसने कितनी दक्षता हासिल की है। य़ह आकलन के द्वारा ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शिक्षण गतिविधियों में आकलन की विशेष आवश्यकता है। आकलन के द्वारा ही हम बच्चे के शिक्षण में कितने सुधार की जरूरत है य़ह जानकारी ली जा सकती है।
ReplyDeleteBachcho ka satat akalan karke va prashno ko puchh kar aadi ke madhyam se
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नीव है। जब नीव मजबूत होगी। तव बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा! इसलिए हमे खेल खेल में , तरह तरह की गतिविधि, विडियोज के माध्यम से बच्चो को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चो को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनकी समझ का आकलन कर सकते हैं।
ReplyDeleteN.K. AHIRWAR
प्राथमिक स्तर पर प्रतिदिन के बच्चों के कार्य व्यवहार के आधार पर उनका आकलन सहजता से किया जा सकता है I
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चों का आकलन अवलोकन और गतिविधियों के द्वारा किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।आकलन करने के लिए विभिन्न पक्षों को सुनने से या बच्चों से प्रश्न पूछ कर अपने शिक्षण गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है कि बच्चा किस क्षेत्र में निपुण हैं। बच्चों को खेल के माध्यम से कहानियों के द्वारा गीतों के द्वारा छोटे छोटे प्रश्न पूछ कर शिक्षण कार्य में किस क्षेत्र विशेष रुचि रखता है और कितनी दक्षता हासिल कर रहा है य़ह आकलन के द्वारा ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शिक्षण गतिविधियों में आकलन की विशेष आवश्यकता है। आकलन के द्वारा ही हम शिक्षण में कितने सुधार की जरूरत है य़ह जानकारी ली जा सकती है।
ReplyDeleteशिक्षण प्रक्रिया में आकलन का महत्वपूर्ण इस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी। इस तरह से आकलन का
ReplyDeleteबच्चों को कहानी कविता सुना कर बाल चित्रों के माध्यम से बीच-बीच में उनकी भाषा में प्रश्न करते है कहां ,कैसे ,कब क्यों, क्या ,कितना,कौन आदि प्रश्न पूछते है बच्चे प्रश्नों के बारे में भी अपनी समझ धीरे धीरे व्यक्त करते हैं इस प्रकार आकलन आसानी से हो जाता है
ReplyDeleteBunyadi shiksha me aklan niyojit ,vyvasthit or sanrachit hote hai jis se bachche ke abhinn ango ke bare me aklan karne mi madad milti hai sath hi bachcho ka satat akalan bhi karte rhna chahiy
ReplyDeleteआकलन बच्चों की प्रगति को जानने के लिए किया जाता है, यह बच्चों में सतत एवं व्यापक रूप से चलता रहता है ।लिखित आकलन प्रगति का एक महत्वपूर्ण भाग है, परंतु लिखित आकलन के अलावा भी बच्चों का कई प्रकार से आकलन किया जा सकता है। जैसे- बच्चे की कक्षा में प्रतिक्रिया को देखकर तथा बच्चे से किसी टॉपिक पर चर्चा करके फिर उनसे छोटे-छोटे प्रश्न पूछ कर आकलन किया जा सकता है ।मौखिक आकलन से बच्चों की नियमित प्रगति का पता चलता है। अत: हम कह सकते हैं कि आकलन के विभिन्न रूप हैं।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteएक पेड़ के पास ले जाकर बच्चों से पेड़ के अंगो के बारे में पूछें एक कहानी सुना कर कहानी के पात्रों के बारे में प्रश्न करें खाने की वस्तुओं के पास भेज कर लाने के लिए कहे और देखें कि वह स्वच्छता का पालन करता है या नहीं स्वच्छता के बारे में सीख देने के बाद उसका पालन करता है या नहीं
ReplyDeleteशिक्षा और आकलन शिक्षक और छात्र में दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है आकलन से लिखित परीक्षा से भिन्न प्रकार के रूप में हमसे बातचीत कर सहज ता से उनका आकलन कर सकते हैं जो साक्षरता और अंक ज्ञान पर आधारित भी हो सकता है इसके लिए विभिन्न प्रकार के व्यवहारिक जोड़ घटाना बाजार से सामान लाने हिसाब करने अक्षरों के संबंध में विभिन्न प्रकार के आधे अक्षर बनाकर पूरे कराना और ज्यादा से ज्यादा उनसे मित्रवत व्यवहार रखते हुए बातचीत करके उनका आकलन किया जा सकता है इससे वह खुलकर और ध्यान लगाकर जवाब देते हैं
ReplyDeleteबच्चो के पुव॔ ज्ञान की जांच कर घर,रिसर्चों से संबंधित छोटे - छोटे प्रशन पुछकर खेल- खेल में गतिविधी के माध्यम से
Deleteआकलन के कई प्रकार हैं, जैसे कि बच्चों के कार्य, व्यवहार, शाला में उनकी नियमितता, समयबद्धता, अपने कार्य के प्रति जागरूकता, सहभागिता, दूसरों के प्रति सहयोग की उत्सुकता, विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में प्रदर्शन, पढने-लिखने में रुचि, सृजनात्मक कार्य, चित्रकारी आदि के अवलोकन द्वारा बच्चों का आकलन कर सकते हैं ।
ReplyDeleteBachchon ko unaki matrabhasha me hi padhaya Jana chahiye.isaka labh yah hota hai ki path unaki samajh me achchi tarah se aa jata hai phir teacher bachchon ka aankalan kare to bachcha apani baat apani bhasha me spasht kar sakata hai.
ReplyDeleteप्रम्भिक अवस्था में बच्चों को कहानी कविता सुनlकर उनके आधार पर बच्चों से प्रश्न कर आकलन करना ही उचित है। दैनिक जीवन के कार्यों के बारे में प्रश्न कर व्यवहारिक ज्ञान देना चाहिए।बच्चों की समझ का आकलन करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों का प्रारंभिक आकलन कविता कहानी के माध्यम से कर सकते हैं बच्चों की समझ का आकलन उनकी दैनिक जीवन चर्या के द्वारा भी किया जा सकता है
ReplyDeleteप्रारंभिक आकलन में हम बच्चो को कोई चित्र दिखा कर उसके बारे में वर्णन करने को कहे उनके विचारों कोंजाने पाठ को उनकी मातभाषा में समझाए और उनके विद्यालय के ज्ञान में उनके पूर्व ज्ञान का समावेश कर उनकी आइक्यू का आकलन कर सकते h
ReplyDeleteप्राथमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा की नींव है इसलिए बच्चे का सर्वांगीण विकास तभी होगा जब प्राथमिक शिक्षा मजबूत होगी हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा । वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं। दैनिक जीवन के प्रश्न करके भी उनके समाज को समझाया जा सकता है ।
ReplyDeleteबच्चों का प्रारंभिक आकलन कविता कहानी के माध्यम से कर सकते हैं बच्चों की समझ का आकलन उनकी दैनिक जीवन चर्या के द्वारा भी किया जा सकता है आकलन का उद्देश्य बच्चों की क्षमता, अनुभूति तथा अधिगम का मापन करना होता है।
ReplyDeleteआकलन की प्रक्रिया मूल्यांकन करने के लिए की जाती है। अर्थात आकलन, मूल्यांकन के दौरान होने वाली प्रक्रिया है।
आकलन एक संक्षिप्त प्रक्रिया है,आकलन के प्रकार निम्न हैं-
1 रअचनात्मक आकलन
2 योगात्मक आकलन
3 निदानात्मक आकलन
बच्चों का सतत आंकलन शिक्षक को लगातार करते रहना चाहिए,,,, यह पूर्णतः व्यावहारिक होना चाहिए ना कि लिखित,,,,बच्चे की हर गतिविधि पर शिक्षक की नजर रहती ही है,,,,, शिक्षक के पढ़ते समय बच्चे के हावभाव से ही उनकी सीखने की गति या रुचि का आकलन हो जाता है,,,,, और अन्य बच्चों के साथ या शिक्षक के साथ बातचीत करते समय भी उसके सब तरह के आंकलन को किया जा सकता है,,,, यही सबसे अच्छा तरीका है,,, पर ज्यादा बच्चे या शिक्षक काम होने पर यह थोड़ा कठिन हो जाता है
ReplyDeleteबच्चों का सतत आंकलन शिक्षक को लगातार करते रहना चाहिए,,,, यह पूर्णतः व्यावहारिक होना चाहिए ना कि लिखित,,,,बच्चे की हर गतिविधि पर शिक्षक की नजर रहती ही है,,,,, शिक्षक के पढ़ते समय बच्चे के हावभाव से ही उनकी सीखने की गति या रुचि का आकलन हो जाता है,,,,, और अन्य बच्चों के साथ या शिक्षक के साथ बातचीत करते समय भी उसके सब तरह के आंकलन को किया जा सकता है,,,, यही सबसे अच्छा तरीका है,,, पर ज्यादा बच्चे
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ! इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि, वीडियोज के माध्बयम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए। बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके
ReplyDeleteदैनिक जीवन में बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करते हैं जैसे कि बोर्ड या पुस्तक में कलाकृतियां बनाना, आपसी वार्तालाप, खेल कूद आदि का अवलोकन करना और उनसे संबंधित क्या, क्यों, कहां, कैसे वाले प्रश्न पूंछ कर उनसे जानकारी प्राप्त करना। किसी अपूर्ण कहानी को उनकी ही कल्पना से पूरा करना।आस पास की वस्तुओं के आकार पर चर्चा करना जैसी अनेक गतिविधियां हैं जिनके द्वारा बच्चों में त्रिआयामी विकास का सतत् मूल्यांकन किया जा सकता है।
ReplyDeleteसीखने काआकलन मे आस -पास की वस्तुओंका पहचान बच्चों मे होना चाहिए।
ReplyDeleteइस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी।
ReplyDeleteआकलन के कयी प्रकार है, जैसे खेल-खेल मे, कविता, कहानी आदि के माध्यम से हम बच्चों का आकलन कर सकते हैं।
ReplyDeleteपरीक्षा से भिन्न आकलन में हम बच्चे विभिन्न गतिविधियों के द्वारा यह देखेंगे कि बच्चे क्या सीख रहे हैं। कमलेश पटेल प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला पटमोहना डाइस कोड 23120208903
ReplyDeleteBacchon ko Kahani ya Kavita Suna kar Unse Kahani ya Kavita se sambandhit prashn poochh kar Unki Samaj ka aakalan Kiya Ja sakta hai Is Tarah bacchon Se Dainik Jeevan se sambandhit prashn Uttar Karke bhi Unki samajh ka aakalan kar sakte hain
ReplyDeleteहम उन बुरे प्रभावों के बारे में चिंतित हैं जो परीक्षाएं पढ़ाई को बच्चों के लिए सार्थक और आनंदमय बनाने के प्रयासों पर डालती हैं। वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteइस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी। इस तरह से आकलन का उपयोग आपके सभी छात्रों के नतीजों में सुधार करेगा।
UnknownJanuary 7, 2022 at 7:13 AM
ReplyDeleteदैनिक जीवन में बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करते हैं जैसे कि बोर्ड या पुस्तक में कलाकृतियां बनाना, आपसी वार्तालाप, खेल कूद आदि का अवलोकन करना और उनसे संबंधित क्या, क्यों, कहां, कैसे वाले प्रश्न पूंछ कर उनसे जानकारी प्राप्त करना। किसी अपूर्ण कहानी को उनकी ही कल्पना से पूरा करना।आस पास की वस्तुओं के आकार पर चर्चा करना जैसी अनेक गतिविधियां हैं जिनके द्वारा बच्चों में त्रिआयामी विकास का सतत् मूल्यांकन किया जा सकता है।
AM
Deleteदैनिक जीवन में बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करते हैं जैसे कि बोर्ड या पुस्तक में कलाकृतियां बनाना, आपसी वार्तालाप, खेल कूद आदि का अवलोकन करना और उनसे संबंधित क्या, क्यों, कहां, कैसे वाले प्रश्न पूंछ कर उनसे जानकारी प्राप्त करना। किसी अपूर्ण कहानी को उनकी ही कल्पना से पूरा करना।आस पास की वस्तुओं के आकार पर चर्चा करना जैसी अनेक गतिविधियां हैं जिनके द्वारा बच्चों में त्रिआयामी विकास का सतत् मूल्यांकन किया जा सकता है।
बच्चों के साथ स्थानीय भाषा में,मातृभाषा में ,अनोपचारिक सामुहिक चर्चा करके स्थानीय भाषा में कविता कहानियों द्वारा, बच्चों की रुचियों पर चर्चा करके,खेलो द्वारा,आस पास के भ्रमण द्वारा शिक्षकों को आंकलन करने में मदद मिलेगी।
ReplyDeleteaaklan karne ke liya ham nirantar bachche ki gatividhi per nazer rakh sakye hai bato bato me uski yogayata ka aaklan kar sakte hai .
ReplyDeleteAklan karne ke liye bachhaon ke saath bachha bankar hi nirantar gatividhiyon me bagh lekar unki matrabhasha men hi unhen sikhana chahiye
ReplyDeleteआकलन के प्रकारों की सूची
ReplyDelete1 बच्चों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को सम्मिलित करना
2 बच्चों के भाषा को सम्मिलित कर हवाओं के साथ कविता कहानी का वाचन कर सरल प्रश्नों को सम्मिलित करना
3 सहजता के साथ परिवेश परिवार से संबंधित चर्चा कर आकलन
4 बच्चों की स्वयं की स्वच्छता के विषय में जानकारी पूछ कर
5 खेल आधारित गतिविधियों के माध्यम से आकलन
6 चित्रों का अवलोकन करा कर परिवेश का अवलोकन गतिविधि
बुनियादी अवस्था में लिखित परीक्षाओं के अलावा हम बच्चों के साथ खेल में शामिल होकर,उनसे बातचीत करके,कहानी-कविताएं आदि सुनाकर ,उनसे सुनकर, दैनिक जीवन की गतिविधियों पर चर्चा करके,उनका अवलोकन करके, उनके अनुभवों को सुनकर, उन्हें प्रश्न पूछने के अवसर देकर,उनकी जिज्ञासाओं को समाधान करके आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteमैं नूरूल कुरैशी,
ReplyDeleteचूंकि आकलन बुनियादी अवस्था के बच्चों का हैं, इसलिए मौखिक,खेल आधारित (इसमें वस्तुओं द्वारा जोड़ना और कम करना सिखा सकते हैं,कोमल-कठोर में अंतर, हल्का-भारी की समझ आदि विभिन्न गतिविधियां करा सकते हैं) कोई कहानी या कविता सुनाकर उससे जुड़े हुए सवाल बीच -बीच में पूछकर, उनके परिवेश , दैनिक गतिविधियों से जुड़े विषयों पर चर्चा कर, छोटे बच्चों का आकलन कर सकते हैं।
कहानी या कविता सुनाकर उनसे
ReplyDeleteसंबंधित कहानी के अन्त बदलवाकर कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
बच्चो का बुनियादी अवस्था में आकलन करने के लिए निम्लिखित अकनलो का उपयोग करना चाहिए-
ReplyDelete1. रचनात्मक आकनल
2.संकलनात्मक आकलन
3.निदानात्मक आकलन
बच्चों के प्रत्येक क्षेत्र का सूक्ष्म आकलन कर उनकी सीखने की प्रक्रिया को सरल और सटीक बनाया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों को उनके परिवार से संबंधित जानकारी पूछ कर एवं कविता कहानी सुना कर पाठ पढ़ा उनसे संबंधित प्रश्न पूछ कर उनका बुनियादी साक्षरता का मूल्यांकन किया जा सकता है
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था मेबच्चों की सीखने की प्रक्रिया के डोरांदैनिक व्यवहार,एक दूसरे को सहयोग सीखने में विशेषताएं और कठिनाइयों के सूक्ष्म अवलोकन के आधार पर सतत और सहेज आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteKaksha mein Abhyas Karya karana AVN vibhinn Prakar ki gatividhi kalakar bacchon ko Sundar aavrutti e karwayenge AVN maukhik vah Likhit Karya dwara bacchon ko Likhwa Ayenge AVN maukhik poochenge AVN Bar Bar gatividhiyan mein Bhag Lene Hetu prerit Karenge is Prakar kaksha Mein kiye Gaye carry on ka aakalan Karenge AVN bacche ke Prakar aakalan Ho sakega
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में हम उन्हें विभिन्न प्रकार से आंकलित कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी पसंद की कहानी या कविता सुना करके कविता कहानी सुना कर कि उनके आधार पर बच्चों से सरल प्रश्न करके हम उनका आकलन कर सकते हैं कि बच्चे के अंदर सुनाई गई कहानी की कितनी समझ विकसित हुई है। इसी प्रकार हम उन्हें वीडियो लेसन विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम दिखा करके उनसे संबंधित प्रश्नों को उनकी भाषा में पूछ कर के हम उनका आकलन कर सकते हैं प्रारंभिक स्तर पर इसी प्रकार का आकलन ज्यादा कारगर होता है ।बच्चे गतिविधि करते जाएं और हम उनका असर आकलन करते जाएं।
बच्चों का आकलन रोज़ किया जा सकता है।किसी भी बच्चे का आकलन दैनिक जीवन से संबंधित प्रश्न पूछकर,कहानी व कविता सुनाने के बाद प्रश्न कर के किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों को उनके परिवार से संबंधित जानकारी पूछ कर एवं कविता कहानी सुनकर पाठ पढ़ा कर उससे संबंधित प्रश्न पूछ कर उनका बुनियादी साक्षरता का मूल्यांकन किया जा सकता है
ReplyDeleteआरंभिक शिक्षा , शिक्षा की नींव कहलाती है ।हर शिक्षक को इसकी समझ होती है। शिक्षक कक्षा कक्ष में प्रवेश करते ही बच्चों का आंकलन करना शुरू कर देते हैं। पर हर किसी के आंकलन के तरीके अलग होते हैं।और यह जरूरी भी है कि बच्चों का सतत आंकलन शिक्षक को लगातार करते रहना चाहिए,,,, यह पूर्णतः व्यावहारिक होना चाहिए ना कि लिखित,,,,बच्चे की हर गतिविधि पर शिक्षक की नजर रहती ही है,,,,, शिक्षक के पढ़ते समय बच्चे के हावभाव से ही उनकी सीखने की गति या रुचि का आकलन हो जाता है,,,,, और अन्य बच्चों के साथ या शिक्षक के साथ बातचीत करते समय भी उसके सब तरह के आंकलन को किया जा सकता है हम उसके घर परिवार व परिवेश के बारे में जानकारी पूछ कर उसकी भाषा व समझ का अंदाजा लगा सकते हैं। उसके खेलने खाने की आदत रूचियों को जान सकते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार के वस्तुओं, चित्रों को दिखाकर उनके बारे में बात चीत करके उनकी समझ का आंकलन कर सकते हैं । अतः मैं कहना चाहूंगी कि बच्चों के सीखने व आंकलन के तरीके विभिन्न प्रकार से किए जा सकते हैं। धन्यवाद
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में हम बच्चों को उनके पूर्व ज्ञान के आधार पर जब आगे की प्रक्रिया मेवा आगे बढ़ते हैं तो उनका सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होते हैं और उसका आकलन कर हम उनके आगे की गतिविधि की तैयारी करते हैं और उनके विकास के लिए हम कहानी गतिविधि कविताएं श्रुतलेख आदि के माध्यम से उनका मूल्यांकन किया जाता है
ReplyDeleteBaccho ko kavita. Kahani sunakar un se sambandit question kar sakte hai
ReplyDeleteSarvpratham Hamen bacchon ka aakalan karte samay Unki ki Matra bhasha bol chal ki bhasha unke parivesh aur Rahan Sahan ka aakalan Karna chahie aur shuruaati Pathan Karya Unki bhasha ke Anuroop prarambhik Shiksha ka new majbut karna chahie
ReplyDeleteUnknownJanuary 8, 2022 at 3:51 AM
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में हम उन्हें विभिन्न प्रकार से आंकलित कर सकते हैं।
बच्चों को उनकी पसंद की कहानी या कविता सुना करके कविता कहानी सुना कर कि उनके आधार पर बच्चों से सरल प्रश्न करके हम उनका आकलन कर सकते हैं कि बच्चे के अंदर सुनाई गई कहानी की कितनी समझ विकसित हुई है। इसी प्रकार हम उन्हें वीडियो लेसन विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम दिखा करके उनसे संबंधित प्रश्नों को उनकी भाषा में पूछ कर के हम उनका आकलन कर सकते हैं प्रारंभिक स्तर पर इसी प्रकार का आकलन ज्यादा कारगर होता है ।बच्चे गतिविधि करते जाएं और हम उनका असर आकलन करते जाएं।
Bachho ko kahani sunakar Prashant poochhna drink Jeevan se sambandhit Prashant poochhana Kala se sambandhit Prashant in Prashant ke madhayam se Bachho ka aaklan Kiya ja Santa hai tabhi unknown salvaging Vikas hoga
ReplyDeleteसीखने का आकलन:--
ReplyDeleteवार्षिक परीक्षाएं लेना और प्रमाण पत्र देना सीखने का आकलन है। यह एक औपचारिक आकलन है और सीखने सिखाने की प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव लाने में इसका कोई महत्व नहीं है।
'सीखने के लिए आकलन' और 'सीखने के रूप में आकलन' से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को बेहतर बनाकर लर्निंग आउटकम्स को प्राप्त किया जा सकता है।
Premchand Gupta P. S. Guradiya mata खेल खेल में शिक्षा गतिविधियों द्वारा आकलन
ReplyDeleteआकलन छात्र-छात्राओं में प्रगति को जानने के लिए किया जाता है, यह बच्चों में सतत एवं व्यापक रूप से चलता रहता है ।लिखित आकलन प्रगति का एक महत्वपूर्ण भाग है, परंतु लिखित आकलन के अलावा भी बच्चों का कई प्रकार से आकलन किया जा सकता है। जैसे- बच्चे की कक्षा में प्रतिक्रिया को देखकर तथा बच्चे से किसी टॉपिक पर चर्चा करके फिर उनसे छोटे-छोटे प्रश्न पूछ कर आकलन किया जा सकता है ।मौखिक आकलन से बच्चों की नियमित प्रगति का पता चलता है। अत: हम कह सकते हैं कि आकलन के विभिन्न रूप हैं।
ReplyDeleteबच्चों को खेल के माध्यम से छोटी छोटी कहानियों के द्वारा एवं गीतों के द्वारा छोटे छोटे प्रश्न पूछ कर शिक्षण कार्य में किस क्षेत्र विशेष रुचि रखता है और उसने कितनी दक्षता हासिल की है। य़ह आकलन के द्वारा ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शिक्षण गतिविधियों में आकलन की विशेष आवश्यकता है। आकलन के द्वारा ही हम बच्चे के शिक्षण में कितने सुधार की जरूरत है य़ह जानकारी ली जा सकतीपाठ, कहानी या कविता सुनाकर उन्हें उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन करते हुए, इसी प्रकार से बच्चों से, प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteआकलन कई प्रकार से किया जा सकता हैं जैसे-1कविता,कहानी,पाठ सुनाकर उनसे छोटे -छोटे प्रश्न पूछकर 2 दैनिक जीवन से संबंधित चर्चा करके 3 खेल आधारित गतिविधियां करवाकर बच्चों का आकलन किया जा सकता हैं 4 बच्चो के पारिवारिक जानकारी लेकर |
ReplyDeleteसमूह गतिविधियों से बच्चो का सर्वांगीण विकास होता हैं।
ReplyDeleteगतिविधियां महत्वपूर्ण बिंदु हैं
बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन निम्न लिखित तरीकों से किया जासकता है:
ReplyDelete*हम खेल गतिविधियों के माध्यम से।
* बच्चों से प्रोजेक्ट कार्य करवाकर
* बच्चों को कोई घटना या कहानी सुनाकर बीच में उससे संबंधीत प्रश्न पूँछते हुए आकलन कर सकते हैं।
पूरी आकलन प्रक्रिया रोचक उबाऊ न हो ।बच्चे उसमें खुशी -खुशी शामिल हों ।
बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन निम्न लिखित तरीकों से किया जासकता है:
ReplyDelete*हम खेल गतिविधियों के माध्यम से।
* बच्चों से प्रोजेक्ट कार्य करवाकर
* बच्चों को कोई घटना या कहानी सुनाकर बीच में उससे संबंधीत प्रश्न पूँछते हुए आकलन कर सकते हैं।
पूरी आकलन प्रक्रिया रोचक होना चाहिए, उबाऊ न हो ।बच्चे उसमें खुशी -खुशी शामिल हों ।
Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)-बच्चों का आकलन कई प्रकार से किया जा सकता है जैसे-उपस्थिति, गतिविधियों में सहभागिता, सृजन शीलता, संवेदनशील ता,परस्पर व्यवहार, खेलों में सहभागिता, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सहभागिता, नेतृत्व क्षमता, अनुशासन आदि गतिविधियों द्वारा किया जासकता है ।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा बच्चों के लिए शिक्षा की नींव है। नींव सुदृढ होने पर ही उनका सर्वांगीण विकास संभव है।छोटे बच्चों व बड़े बच्चों के आकलन में बहुत अंतर होता है। हम छोटे बच्चों को उनकी रुचि का खेल खिला कर या कोई रुचिकर कहानी, कविता सुना कर बीच-बीच में प्रश्न पूछ कर आकलन कर सकते है।कुछ चित्र बताकर, चित्र से संबंधित प्रश्न पूछ कर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनकी पसंद की कहानी उनकी मौखिक भाषा ( घर की भाषा ) में सुनाने का कहकर, कहानी कहने का तरीका व उनके चेहरे के हाव-भाव से भी उनकी समझ का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा ( म.प्र.)
बच्चो का आकलन हम उनको कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
ReplyDelete.बच्चों को कोई गतिविधि खेल-खेल में करवाएं तथा उन्होंने उस खेल में कौन से नियमों का पालन किया यह जान कर भी हम आकलन कर सकते हैं |आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |बशर्ते आवश्यकता इस बात की है कि आकलन हमारा इस तरह का हो कि वह बच्चों के लिए उबाऊ ना हो ,बच्चा प्रसन्न चित्त होकर आकलन में शामिल हो सकें|
बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ हम आकलन निम्न तरीके से कर सकते हैं |1.बच्चों को कोई घटना या कहानी , कविता सुनाकर उनसे बात चीत करके आकलन कर सकते हैं।
ReplyDelete2.बच्चों को कोई गतिविधि कराकर उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
3. पहेलियों, मिलान कार्ड, पजल्स ,खिलौनों ,आकृतियों और छोटे बड़े डिब्बे, बटन ,पत्थर आदि के साथ गतिविधियां करा कर उनके व्यवहार का आकलन किया जा सकता है। आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |बशर्ते आवश्यकता इस बात की है कि आकलन हमारा इस तरह का हो कि वह बच्चों के लिए उबाऊ ना हो ,बच्चा प्रसन्न चित्त होकर आकलन में शामिल हो सकें|
प्रारंभिक स्तर पर छात्रों का आकलन अधिकांशतः मौखिक एवम् गतिविधि आधारित होना चाहिए। शिक्षक खेल खेल में, कहानी, कविता, नाट्य अभिनय द्वारा छात्रों की दक्षताओं का आकलन कर सकते हैं। इन गतिविधियों में छात्र बढ़ चढ़ कर सहभागिता करते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को पता ही नहीं चलें और उनका आकलन हो जायें, जैसे खेल खेल में, आसपास के परिवेश के बारें में परिवार के सदस्यों का क्रम पुछना, उल्टा सीधा, बाद में पहलें की जानकारी, छोटा और बड़ा, हिंदी में चित्र दिखाकर उनकी समझ बढ़ाना, कविता , कहानी सुनाना नाटक करवाकर नकल करना जानवरों की आवाज़, पेड़ पौधों को दिखाकर या पास ले जाकर, आकलन किया जा सकता हैं, मौखिक रूप से, Gunmala dangi ps dhekal choti, Jhabua
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में हम उन्हें विभिन्न प्रकार से आंकलित कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी पसंद की कहानी या कविता सुना करके कविता कहानी सुना कर कि उनके आधार पर बच्चों से सरल प्रश्न करके हम उनका आकलन कर सकते हैं कि बच्चे के अंदर सुनाई गई कहानी की कितनी समझ विकसित हुई है। इसी प्रकार हम उन्हें वीडियो लेसन विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम दिखा करके उनसे संबंधित प्रश्नों को उनकी भाषा में पूछ कर के हम उनका आकलन कर सकते हैं प्रारंभिक स्तर पर इसी प्रकार का आकलन ज्यादा कारगर होता है ।बच्चे गतिविधि करते जाएं और हम उनका असर आकलन करते जाएं।
बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उनसे कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। इसी प्रकार दैनिक जीवन के क्रियाकलापों के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनकी समझ का आकलन कर सकते है।
इस प्रकार का आकलन लिखित ना होकर मौखिक आकलन होता है।
bachon ka aklan kewal likhit pariksha ke dwara hi nahi hota balki anya tarikon ke madhyyam se bhi kiya ja sakta hain...bachon ke aklan hetu kai khel vidhipn ,kahaniyon ke dwara aur bni kai vidhiyan hai jinke madhyam se bachon ka mulyankan kiya ja sakta hai....
ReplyDeleteबच्चों का आकलन हम विभिन्न प्रकार से कर सकते हैं परंतु अभी दो प्रचलित तरीके चलन में है l 1-लिखित 2-मौखिक लिखित तरीके में हम बच्चों को प्रश्न पत्र देकर लिखित में उनसे उत्तर प्राप्त कर उनका आकलन करते हैं एवं मौखिक में बच्चों से प्रश्न पूछ कर उनका आकलन करते हैं l यह प्रक्रिया बच्चों में आकलन की दृष्टि से थोड़ी भिन्न है और भी कई तरीके हैं जिनसे बच्चों का आकलन किया जा सकता है जैसे कोई चित्र या प्रसंग दिखाकर बच्चों से प्रश्न पूछे जा सकते हैं और उनका आकलन किया जा सकता है l बच्चों को कोई कहानी या कविता सुना कर और उससे संबंधित प्रश्न पूछ कर भी बच्चों का आकलन किया जा सकता है l बच्चों को कोई प्रोजेक्ट देकर और उसका अवलोकन करके भी उनका आकलन किया जा सकता है l बच्चों से विभिन्न गतिविधियां एवं खेलों के द्वारा भी उनसे प्रश्न पूछ कर उनका आकलन किया जा सकता है l
ReplyDeleteइस प्रकार हम विभिन्न तरीको से बच्चों के स्तर का आकलन सरलता से कर सकते हैं l
धन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
bacchon Ka aakalan vibhinn tariko se mulyankan kar sakte hain unmen se a Likhit yah maukhik ho skte h lekin sabse upyukt Unki matrabhasha mein Kavita part Ya Kahani Suna kar ham Unse a Unki a Matra bhasha mein hi prashnotari Karen jisse a bacche Uttar dene mein sazo jisse Ham bacchon ka aakalan acche tarike se kar sakte hain.
ReplyDeleteBuniyadi avastha Mein Ham bacchon ke sath Aankh Lal nimn Prakar se kar sakte hain jaise unhen Koi tarkik Kahani Suna kar yah Paheli mauskar yah Kuchh bacche Kuchh naya creativity Karte Hain usse Ham unke pata kar sakte hain
ReplyDeleteबाल किशोर सेन शा प्रा शाला घंघरी खुर्द कटनी
ReplyDeleteबच्चों के आकलन के लिए प्रमुख रूप से दो प्रकार आकलन होते हैं
(01)औपचारिक आकलन
(02)अनौपचारिक आकलन
लेकिन प्रारंभिक स्तर पर बच्चों के आकलन के लिए निम्न प्रकार हो सकते है ।
1 -मौखिक आकलन
2-गतिविधि आधारित आकलन
3-खेल आधारित आकलन
4-सामूहिक आकलन
5-अभिभावक सम्पर्क आधारित आकलन ।
आदि विभिन्न प्रकारों से आकलन कार्य आसानी से पूर्ण किये जा सकते हैं ।
बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन खेल गति विधियो,प्रजेक्ट कार्य करवा कर तथा बच्चों को कोई घटना, कहनी
ReplyDeleteमौखिक, गतिविधियों द्वारा सामूहिक गतिविधियां करवा कर एवं खेल खेल में आंकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteBacchon se a Kavita Pushkar yah kahani sunkar yah Koi paath padha kar general prashn per Charcha kar bacchon ka aakalan Kiya Ja sakta hai
ReplyDeleteछात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।
ReplyDeleteBacho ke liye bhaymukt vatavarn taiyar kar unhe chhote chhote prashn puchhe jisse unka akalan kiya ja sake
ReplyDeleteसमाकलन से यह पता लग जाता है कि बालक कहां पर समझता है तथा कोई ऐसा भी तत्व होता है जो बालक समझने में असमर्थ होता है जिस विषय को समझने में बालक को कठिनाई होती है यह बात आकलन से पता लग जाती है तथा इसके पल्सर रूप शिक्षक उस विषय को अन्य तरीकों से विद्यार्थी को समझाने की कोशिश करते हैं आकलन के प्रकारों की बात की जाए तो आंख संरचनात्मक हो सकता है भावनात्मक हो सकता है
ReplyDeleteबच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उनसे कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है
ReplyDeleteआकलन के कई प्रकार हैं हम बच्चों का आकलन मौखिक रूप से लिखित रूप से कर सकते हैं बच्चों से बात करके उन्हें कविता, कहानी सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर, खेल आदि खिलाकर बच्चों का आकलन कर सकते हैं।
ReplyDeleteBacho se likhit mokhik kavita kahani prashn puchhkar aklan kiya ja sakta hai
ReplyDeleteछोटे बच्चे समग्र रूप से खेलों और अपनी इंद्रियों द्वारा सीखते हैं खेल-खेल में बच्चों से छोटी-छोटी गतिविधि कराना कहानियां सुनाना व उनसे जुड़े छोटे-छोटे प्रश्न पूछकर आंकलन करना
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव होती है हमें बच्चों का उचित आकलन करने के बाद ही उन्हें अच्छी और सही शिक्षा दे सकते हैं इसलिए हमें उनके स्तर के आधार पर उनसे प्रश्न पूछना चाहिए और उनकी टेस्ट लेनी चाहिए जिससे कि हम उसका उचित आकलन कर सकें बच्चे का स्तर कम हो और हम अधिक कठिन प्रश्न पूछेंगे तो आगरा का रास्ता कुछ इतना होगा इसलिए उनके स्तर के आधार पर क्वेश्चन पूछना और आकलन करना चाहिए l
ReplyDeleteआकलन निम्न तरीके से कर सकते हैं .बच्चों को कोई घटना या कहानी सुना कर उससे संबंधित बीच-बीच में प्रश्न कर सकते हैं |
ReplyDelete.बच्चों को कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
.बच्चों को कोई गतिविधि खेल-खेल में करवाएं तथा उन्होंने उस खेल में कौन से नियमों का पालन किया यह जान कर भी हम आकलन कर सकते हैं |आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |
छोटे विद्यार्थियो का आकलन करते समय यह बात ध्यान रखना हैं कि वह समझें भी ना और हम उनके कार्य व शैक्षिक स्तर का आकलन छोटे छोटे प्रश्न अथवा गतिविधि के माध्यम से कर लेवें।
ReplyDeleteआकलन किसी विशेष दिन नहीं अपितु शिक्षण के बीच में अथवा प्रतिदिन की गतिविधियों के बाद किया जा सकता है । इससेे बच्चों को दवाब महसूस नहीं होता है।
बच्चों का आकलन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता हैं
ReplyDeleteजैसे कि खेल खेल के द्वारा, उन्हें कविता और कहानियां सुनाकर उससे संबंधित छोटे-छोटे प्रश्न करके या फिर उन्हें कोई प्रोजेक्ट वर्क करा कर जो इनकी age के अनुरूप हो
बुनियादी आकलन बच्चों का बुनियादी भाव से ही हो सकता है अभिप्राय यह है कि स्कूल में आने से लेकर उसके जाने, रहने , उसकी गतिविधियों में शामिल होने, प्रक्रिया- कार्य विधियां सभी हमारे आकलन का आधार बनती है। विद्यालय की ओर चलने वाला बच्चा जब स्कूल की घंटियों के लिए लालायित होता है तो वह समय की पाबंदियां का आकलन करा देता है । आने वाला बच्चा साफ -सुथरा आता है तो स्वच्छता के प्रति उसका आकलन दर्शाता है। स्कूल में आते ही पूरे मनोयोग से प्रार्थना में शामिल होना, उस दौरान उसके हाव-भाव नैतिक शिक्षा व संस्कार का आकलन कराते हैं। कक्षा में जाते समय पंक्तिबद्ध होकर जाना,रोटेट कर अपनी कक्षा में बैठना, उपस्थिति के लिए उत्साहित रहना और विषय शिक्षक को लेकर आनंददाई वातावरण महसूस करना, यह सब हमारे आकलन के पहलू हैं । जब हम बच्चों के साथ कवुत-कहानी-पहेली-जोड़-घटाना,भाषा में दो-चार हो रहे होते हैं उस समय बच्चे की मानसिक अवस्था, रचनात्मक कौशल ,प्रतिक्रिया - हावभाव - वाक्य विन्यास ,लेखन उच्चारण एवं जानने की उत्सुकता - हमारे आकलन को और अधिक सुदृढ़ करती है. इसके बाद उसके द्वारा किए गए कार्यों का जब हम लेखिक स्तर पर मार्किंग के परिपेक्ष में आकलन करते हैं तो वह हमें समग्र ध्यान में रखकर करना होता है। बच्चा विषय, कक्षा, प्रोजेक्ट,प्रश्ननोट व अन्य साथी बच्चों के साथ किए गए कार्यों में जो सहभागिता करता है वह सब हमारे लिए आकलन का आधार बनता है। यही आकलन हम शिक्षकों को सतत करते रहकर बच्चों को समावेशी भाव देकर एक सुदृढ भविष्य गढ़ने की शक्ति देता है।
ReplyDeleteसुभाष निगम BAC सोहावल -सतना।
बच्चों का आकलन गतिविधियों तथा कहानियों, कविताओं और खेल खेल के द्वारा किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteआकलन बच्चों का कई तरीकों से किया जा सकता है जैसे मौखिक आकलन चित्रों, प्रिंट मीडिया, वीडियो दिखाकर. खेल गतिविधियों के द्वारा उन्हें दिखा कर प्रश्न पूछकर उनकी समझ का unke पूर्व ज्ञान का आकलन कर सकते हैं l बच्चों से उनके परिवार, आसपास के परिवेश के बारे में पूछकर, कविता, कहानियाँ उनकी मातृ भाषा मे सुनकर उनके सुनने सुनाने ke कौशल के बारे में मे जान सकते हैं l
ReplyDeleteबच्चों के आकलन के लिए हमें उनके परिवेश , रहन - सहन और उनके द्वारा बोली जाने वाली प्रारंभिक भाषा का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।प्रारंभिक शिक्षा छात्रों के लिए सीखने की नीव होती है इस समय छात्रों को कहानी कविता एवं खेलकूद के माध्यम से गतिविधि करा कर हम उनसे उन स्तर अनुरूप प्रश्न पूछ कर प्रोत्साहित कर उनका आकलन कर उनके लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं क्षेत्र में आकलन गतिविधि एक महत्वपूर्ण कारक है जो बुनियादी शिक्षा एवं संख्या ज्ञान की नींव रख सकता है।
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर पर निम्न छह प्रकार से छात्रों का आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDelete1- छात्रों के किये गए कार्य को पोर्टफोलियो में संघारित किया जाए ।
2-छात्रों के क्रियाकलापो का अवलोकन कर टिप्पणियों की डायरी बनाना।
3- जांच सूची बनाना।
4-,विभिन्न प्रकार के रुब्रिक्स का प्रयोग आकलन हेतु करना।
5-बच्चों के वीडियो व ऑडिओ की रिकॉर्डिंग करना।
6-रेटिंग स्केल्स बनाना ।
बच्चों से अपने आसपास के विषय के बारे में अधिक से अधिक छोटे2 प्रश्न पूछना चाहिए जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा। बच्चे के मन से डर दूर हो सकेगा और हम उनका आकलन कर सकेंंगे।
ReplyDeleteबच्चों से उनके आसपास व उनके घर परिवार के बारे में छोटे 2 प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को कहानी, कविता सुना कर उनके छोटे-छोटे प्रश्न बनाकर बच्चों का आकलन करेंगे|
ReplyDeleteBuccho se unke gher me hone wale karyo ke bare me poochha or unhen chhote work kerwaye jise wo school aaye or seekhe.
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा के नीव है जब न्यू मजबूत होगी तब ही बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा बच्चे से उसके आसपास के बारे में अधिक से अधिक बातचीत कर उसके मन का डर दूर कर उसका आकलन कर सकते हैं शासकीय प्राथमिक पाठशाला लक्ष्मण बाग रीवा निशी मिश्रा
ReplyDeleteBuniyadi Shiksha Mein bacchon Ka satat aakalan Hona chahie bacche Jab group mein gatividhi Karte Hain To pustakon ke sath Kaisa vyavhar karte hain Kankar Pathar Se kis Prakar ginti ka Chhota Hai Bada Hai block mein kis Prakar block ko rakhte Hain is Prakar ke avlokan dwara Bhi bacchon ka aanklan Kiya Ja sakta hai
ReplyDeleteचित्र पहचान, जोड़ी मिलान,
ReplyDeleteचित्र पहचान कर अक्षर लिखना
कविता कहना, कहानी कहना, एकल अभिनय
आदि तरीकों से बच्चों का आकलन किया जा सकता है।
बुनियादी अवस्था मे बच्चों की सीखने की प्रक्रिया के द्वारा दैनिक व्यवहार,एक दूसरे को सहयोग सीखने में विशेषताएं और कठिनाइयों के सूक्ष्म अवलोकन के आधार पर सतत और सहेज आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को भय मुक्त वातावरण बनाये रखते हुए। बच्चों की बोल चाल की भाषा में परिवेश से सम्बन्धित छोटे-छोटे प्रश्न पूखते हुए कविता, कहानी, गिनती पहाड़े सतत एवं खेल -कूद के माध्यम से गतिविधियां कराकर आंकलन कर लक्ष्य निर्धारित कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चो को भय मुक्त वातावरण बनाये रखते हुए। बच्चों की बोल चाल की भाषा में घर परिवार अपने परिवेश से सम्बंधित छोटे छोटे प्रश्न पूछते हुए कविता, कहानी, गीत, गिनती, वर्णमाला क्रमानुसार फल फुल, पर्यावरण, जीव जन्तु, पेड़ पौधे, खेल कूद, परिवार आस पास होने वाली घटनाओ के माध्यम से गतिविधियां संचालित कराकर आंकलन कर लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों से कविता पड़ कर उससे सम्बन्धित प्रशनों पर चर्चा करना।तथा दैनिक जीवन के कार्यों पर चर्चा कर भी आंकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteशिक्षा का आधार प्रारम्भिक शिक्षा हैं I आधार मजबूत हो इसलिये बच्चों से छोटे छोटे प्रश्नों से जानकारी लेना चाहिए ताकि उनका डर दूर हो सके और हम उनका आकलन कर सके।
ReplyDeleteबच्चों को खेल-खेल में आकलन करना छोटी घरेलू कामों के द्वारा किए जा सकता है
ReplyDeleteBaccho se suruaat me wahi puchna chahiye jo wo jyadatar apne aspas dekhte hai... Jisse unme confidence ayega or wo behtar sochne ki taraf aage badenge...
ReplyDeleteखेलकूद के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों के द्वारा भी आकलन कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों का आकलन कई प्रकार से किया जा सकता है,उनके आस -पास के परिवेश के बारे में जानकारी लेकर, पारिवारिक जानकारी के माध्यम से, एवं कोई कविता अथवा कहानी सुनाकर उनसे छोटे -छोटे प्रश्न पूछकर भी उनका आकलन किया जा सकता है, संख्यात्मक एवं चित्रात्मक रूप से भी आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteहम उन बुरे प्रभावों के बारे में चिंतित हैं जो परीक्षाएं पढ़ाई को बच्चों के लिए सार्थक और आनंदमय बनाने के प्रयासों पर डालती हैं। वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteइस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी। इस तरह से आकलन का उपयोग आपके सभी छात्रों के नतीजों में सुधार होगा।
बच्चों के सीखने का आकलनविभिन्न तरीको से किया जा सकता है । विशेष तौर पर यह कक्षा व शाला के परिवेश पर निर्भर करता है , साथ ही बच्चे की रुचि को भी दृष्टिगत रखना होता है ।
ReplyDeleteप्रारंभिक शिक्षा शिक्षा की नींव है जब नींव मजबूत होगी तब बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा । वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती
ReplyDeleteमौखिक आकलन और लिखित आकलन दोनो आकलनों में बच्चो के वास्तविक स्तर का पता करना तथा आवश्कता अनुसार जिन क्षेत्रों में कमजोरिया है उन्हे उपचारात्मक शिक्षण के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होता हैं।
ReplyDeleteबच्चों के सीखने का आकलनविभिन्न तरीको से किया जा सकता है । विशेष तौर पर यह कक्षा व शाला के परिवेश पर निर्भर करता है , साथ ही बच्चे की रुचि को भी दृष्टिगत रखना होता है । बच्चा किन चीजों में रूचि रखता है वह ध्यान रखना होता है।
ReplyDeleteBacchon ka aakalan Karte sikhe gatividhi Anya Madhyam se karane per baccha vah acche se sakta hai aur ham uska aakalan Karte Jaate Hain
ReplyDeleteचित्र द्वारा पढ़ाई
ReplyDeleteआकलन के ऐसे कई प्रकार हैं जिन्हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।बुनियादी अवस्था में हम बच्चों की भाषा को महत्व देते हुए उनकी रुचि, परिवार, परिवेश के बारे में समझकर शिक्षण करें अपने शिक्षण में खेल गतिविधियों का उपयोग करें।कहानी, कविता सुनाएं, बीच बीच में आकलन हेतु कहानी से संबंधित छोटे छोटे सरल प्रश्न करें।समूह शिक्षण कराते हुए स्वयं करके देखें गतिविधि से बच्चों का आकलन कर सकते हैं।सीखने का सतत मूल्यांकन करें।सीखने में जहाँ कठिनाई हो उपचारात्मक शिक्षण कराकर दक्षता हासिल करा सकते हैं।
ReplyDeleteआकलन सतत रूप से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया है, जिसका क्षेत्र ब्यापक है, इसके निम्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे सुनने का आकलन, सुनकर बोलने का आकलन, पढ़ने, लिखने का आकलन, खेल खेल में सीखने का आकलन, संज्ञानात्मक आकलन, अभिब्यक्ति का आकलन, ब्यवहारिक आकलन, संख्यात्मक आकलन, गतिविधियों में भागीदारी का आकलन आदि
ReplyDeleteबच्चों से बातचीत करते हुए उनके ज्ञान को परखना चाहिए ।बच्चे की बौद्धिक स्तर कितना है? लिखित रूप से भी बच्चे बौद्धिक क्षमता का आकलन करना चाहिए। आकलन से स्पष्ट पता चल जाता है कि ,बच्चे को कहां सीखने में कठिनाई हो रही है। बच्चे को किस चीज की विशेष आवश्यकता है ।आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए उनमें जो भी कमियां है उसे दूर किया जा सकता है। जिससे बच्चे की सर्वांगीण हो सके।
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में बच्चा अपने परिवार और परिवेश से बहुत कुछ सीख कर आता है किन्तु अपनी सीख या समझ को ठीक ढंग से व्यक्त नहीं कर पाता । अतः प्रारंभ में बच्चे के आकलन के विभिन्न मौखिक तरीके हो सकते हैं।जैसे (1)बच्चे को कोई चित्र दिखाकर उससे संबंधित बातें पूछकर आकलन करना।(2)अपने परिवार पड़ोस या रिश्ते नातों के बारे में आकलन करना(3) अपने परिवेश की विभिन्न चीजों जैसे घर का सामान ,उनकी बनावट आकार स्थिति,उपयोग आदि के बारे में पूछना। (4) विभिन्न पशु, पक्षी, जीव जंतु आदि के बारे में पूछ कर आकलन।(5) पेड़ पौधों अनाज फसलों आदि के विषय में आकलन (6) कंकड़ पत्थरों के द्वारा संख्या की समझ का आकलन।आदि के माध्यम से हम बच्चे की समझ का आकलन कर सकते हैं। इस हेतु बच्चों से बिना लिखे केवल मौखिक रूप में भी आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों का सतत आकलन करते रहना चाहिए बच्चों से बातचीत करते हुए उनके ज्ञान को परखना चाहिए प्रारंभिक अवस्था मैं बच्चा अपने परिवार प्रवेश से बहुत कुछ सीख कर आता है किंतु अपनी सीख या समाज को ठीक ढंग से व्यक्त नहीं कर पाता
ReplyDeleteBachchho ka aakalan karte samay vishesh dhyan rakhna chahiye. Bachchho ka sankhyatmak aakalan,chitra dwara aakalan,vibhinna ganitiy avadharnao dwara aakalan kiya ja sakta h. Nandlal rangota p.s.nai aabadi bhojakhedi block alote dist.ratlam
ReplyDeleteबुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ हम आकलन निम्न तरीके से कर सकते हैं |1.बच्चों को कोई घटना या कहानी सुना कर उससे संबंधित बीच-बीच में प्रश्न कर सकते हैं |
ReplyDelete2.बच्चों को कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
3.बच्चों को कोई गतिविधि खेल-खेल में करवाएं तथा उन्होंने उस खेल में कौन से नियमों का पालन किया यह जान कर भी हम आकलन कर सकते हैं |आकलन का माध्यम केवल परीक्षा ही नहीं आकलन हम बच्चे का हर दिन कर रहे होते हैं |बशर्ते आवश्यकता इस बात की है कि आकलन हमारा इस तरह का हो कि वह बच्चों के लिए उबाऊ ना हो ,बच्चा प्रसन्न चित्त होकर आकलन में शामिल हो सकें|
नारायण सिंह राजपूत प्रधान अध्यापक शासकीय माध्यमिक शाला धनगौर विकासखंड तेंदूखेड़ा जिला दमोह
कक्षा में बच्चो का आकलन करके यह पता लगाना चाहिए कि कोनसा बच्चा कमजोर है कोनसा बच्चा पड़ने में अच्छा है अच्छे बच्चे से यह कहना चाहिए कि वह कमज़ोर बच्चे की मदद करे और समय समय पर बच्चो का आंकलन करते रहना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों का आकलन निरंतर रहना चाहिए बच्चों से बातचीत करते हुए उनके ज्ञान को जाँचना चाहिए प्रारंभिक अवस्था मैं बच्चा अपने परिवार से बहुत कुछ सीख कर आता है किंतु अपनी सीख को ठीक ढंग से व्यक्त नहीं कर पाता।
ReplyDeleteआकलन के प्रकार- इसका उपयोग विस्तृत रूप से विद्यालयों और शिक्षा पद्धति में किया जाता है। शैक्षिक उद्देश्य से हम मूल्यांकन को तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं।
ReplyDelete1 निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)
2 योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment)
3 निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)
(1) निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)
रचनात्मक आकलन शिक्षकों को छात्र समझ, सीखने की जरूरतों और पाठ, इकाई या पाठ्यक्रम के दौरान अकादमिक प्रगति के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन में अध्यापक पाठ को पढ़ाते समय यह जांच करता है, कि बच्चे ने ज्ञान को कितना ग्रहण किया है।
रचनात्मक आकलन विद्यार्थियों को यह जानने का अवसर प्रदान करता है कि उसे कहां सुधार की आवश्यकता है।
इस आकलन में छात्र और शिक्षक दोनों के लिए गुणात्मक प्रतिक्रियाएं शामिल होती है।
रचनात्मक आकलन पाठ के बीच बीच में किया जाता है।
उद्देश्य- इसके द्वारा शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया में सुधार करके छात्रों के सीखने में सुधार करके सीखने की क्षमता मे वृद्धि कर सकते हैं।
रचनात्मक आकलन के उपकरण\उदाहरण ( tools\Examples of Formative assessment)
मौखिक प्रश्न उत्तर
वर्कशीट
अवलोकन डायरी
चेक लिस्ट
वाद विवाद ( कक्षा में)
उप समूह एवं व्यक्तिगत कार्य
2 योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment)
संकलनात्मक\ योगात्मक आकलन एक निश्चित अवधि के पश्चात विद्यार्थियों की ओवर ऑल परफॉर्मेंस निर्धारण करने के लिए किया जाता है।
इस आकलन में छात्रों को ग्रेड या मार्क्स प्राप्त होते हैं, जो उनके प्रदर्शन के स्तर को इंगित करते हैं।
संकलनात्मक\योगात्मक आकलन द्वारा यह माना जा सकता है कि हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति में कितने सफल रहे।
उद्देश्य- यह एक निश्चित अवधि में शिक्षक व छात्रों की संपूर्ण गतिविधियों के बारे में बताता है।
Tools\Examples of Summative assessment (योगात्मक आकलन के उपकरण\ उदाहरण)
अर्धवार्षिक परीक्षा
सेमेस्टर एग्जाम
साक्षात्कार
निबंध
पोर्टफोलियो
प्रोजेक्ट
प्रेजेंटेशन
NOTE – रचनात्मक आकलन – अधिगम के लिए आकलन (assessment for learning)
योगात्मक आकलन – अधिगम का आकलन (assessment of learning)
(3) निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)
निदानात्मक आकलन के द्वारा शिक्षक, जो बच्चे असफल हो रहे हैं, उन बच्चों की असफलता का कारण ढूंढता है।
इसके द्वारा छात्रों की कठिनाइयों का निदान किया जाता है।
निदानात्मक आकलन का प्रयोग छात्र में किसी प्रकार की अधिगम कठिनाई का पता लगाने के लिए किया जाता है।
उद्देश्य – असफल छात्रों की असफलता का पता लगाना, ताकि हम उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार शिक्षण विधि का प्रयोग करके सफल बना सकें।
6:05 AM
ReplyDeleteपाठ, कहानी या कविता सुनाकर उन्हें उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन करते हुए, इसी प्रकार से बच्चों से, प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता
बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है। (1)खेल गतिविधियों से। (2)बच्चों से प्रोजेक्ट कार्य करवाकर। (3)बच्चों को कोई घटना, कहानी सुनाकर बीच में उससे संबंधित प्रश्न पूछकर। (4)अन्य गतिविधियों के माध्यम से आकलन करके हमे शिक्षण में कितने सुधार की जरूरत है यह जानकारी ली जा सकती है।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता या बुनियादी अवस्था में बच्चों के सीखने का आकलन उनकी आत्मासात करने के तरीके पर या क्रिया पर करते हैं कि उन्होंने कितना सीखा है जिसे हम बच्चों को
ReplyDelete1-खेल खेल में,2- कविता पाठ के आधार पर विभिन्न प्रकार के रोलप्ले के आधार पर जैसे हम बच्चों को हिंदी में अक्षर ज्ञान कराते हैं तो हम उन्हें आ से जुड़ी विभिन्न चीजों के बारे में बताते हैं कि छोटे आ से आ की मात्रा से कौन-कौन से अक्षर बनते हैं इससे क्या है उनके अंदर आ से जुड़ी एक ही धारणा नहीं रह जाती व आ से आम ही होता है और भी बहुत कुछ होता है आ से आज भी होता है आधार भी होता है आवाज भी होता है ऐसी बहुत सारी चीजें हम उन्हें बताते हैं जिससे कि वह एक शब्द से लेकर बहुत सारे शब्द या अक्षर बनाते हैं इस तरीके से हम उनका सीखने का आकलन कर पाते गणितीय अवधारणाओं को सिखाने के लिए हम उन्हें तीलियों की मदद से इकाई दहाई और गुणा भाग जैसे गतिविधियां कराते हैं जिससे कि उनके अंदर विभिन्न प्रकार के कौशल अध्यक्षता आते हैं और वह उसे शीघ्रता से सीख लेते हैं हम उन्हें रोलप्ले के माध्यम से भी खाते हैं और उन्हें हम विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर भी सिखाते हैं कई गतिविधियां जैसे कि आज हम भालू को गिनती सिखाएंगे ऐसे शब्दों के द्वारा भी कविता के द्वारा भी हम उन्हें सिखाते हैं और हम अ से अनार में दाने अनेक हमने सिखाते हैं ऐसी गतिविधियों के द्वारा भी हम शिक्षण कार्य करते हैं जिसे कक्षा का माहौल आनंददाई होता है साथ ही साथ बच्चों का मन भी लगता है और वह बहुत अच्छे से सीख पाते हैं समझ पाते हैं और हम उनकी सहपाठी से भी उनकी मूल्यांकन को लेकर और उनके आंकलन भी कर पाते हैं जैसे कि कोई कहानी या कविता के प्रश्नों को कैसे निकालना है के द्वारा उनकी सीखने की गति और उनकी क्षमता के आधार पर उनका मूल्यांकन और आकलन करते और निश्चित ही ऐसा शिक्षण प्रभावी और व्यावहारिक होता है और बच्चे भी शाला से शिक्षक से बहुत आसानी से जुड़ पाते हैं धन्यवाद
मैं वैदेही त्रिपाठी
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
' प्रारंभिक शिक्षा ' बच्चों की नींव होती है। नींव मजबूत होगी तभी बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा । इसलिए हमें खेल खेल में, तरह-तरह की गतिविधि , नवाचारों , वीडियोज के माध्यम से बच्चों को उनके परिवेश से जोड़कर प्रारंभिक शिक्षा देना चाहिए।
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ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान का आंकलन लिखित परीक्षाओं के अलावा हम बच्चों के साथ खेल में शामिल होकर,उनसे बातचीत करके,कहानी-कविताएं आदि सुनाकर ,उनसे सुनकर, दैनिक जीवन की गतिविधियों पर चर्चा आदि करके,उनका अवलोकन कर सकते है, उनके अनुभवों को सुनकर, उन्हें प्रश्न पूछने के अवसर देकर,उनकी जिज्ञासाओं को समाधान करके आकलन किया जा सकता है।
अनीता तिवारी
ReplyDeleteबच्चों का अधिक से अधिक विश्वास शिक्षक के साथ खेल या बात करने पर ही सही समय चुन कर सही मुल्यांकन कर सकेंगे।
Sarita dubey
ReplyDeletePS chhattarapur
Patan,JBP
Course -8
sikhane ka aakalan
Bacchon ke sikhane ka aakalan karte samay is Baat Ka Dhyan Dena Ati avashyak Hai Ki pratyek baccha apni gati ,Ruchi ,or Sali ke anusar hi Sikhta hai .Sabhi bacche swabhav Se Hi sikhane ke ke liye utsukh, or jigyasu hote h
sikhane ki Pratiphal ka Nirman karne aur avashyak feedback pradan karne mein aklan madad Karta Hai
प्रारम्भिक अवस्था में बच्चों का मौखिक एवं लिखित तथा उनके व्यवहार,हावभाव से भी आकलन कर सकते हैं। बच्चों को चित्र दिखाकर प्रश्न पूछकर, कहानी या पाठ समझा कर प्रश्नो के उत्तर लिखित में पूछकर,तथा खेल-खेल में उनका आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteबच्चों के सीखने का आंकलन उनकी सीखने की क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए।।
ReplyDeleteAM
ReplyDeleteबच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उनसे कहानी या कविता से संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन ककिया जा सकता है।इसी प्रकार दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी उनके समझ का आकलन कर सकते है।
प्रारंभिक अवस्था में बच्चों से हम कुछ उसके जीवन से जुड़े मौखिक सवाल कर उसका आकलन कर सकते हैं,,जैसे--उसकी रूचि,उसकी दिनचर्या,उसके परिवार,खेल आदि,
ReplyDeleteबच्चे का व्यवहार भी उसके आकलन की बहुत अच्छी पहल है,लेकिन शुरूआती व्यवहार से हम उसके संपूर्ण जीवन का आकलन नहीं कर सकते
ReplyDeleteबच्चों को कहानी कविता चित्र खेल और दैनिक जीवन से जुड़ी व्यवहारिक ज्ञान के आधार पर भी हम बच्चों का आकलन कर सकते हैं
ReplyDeleteहम उन बुरे प्रभावों के बारे में चिंतित हैं जो परीक्षाएं पढ़ाई को बच्चों के लिए सार्थक और आनंदमय बनाने के प्रयासों पर डालती हैं। वर्तमान में, बोर्ड की परीक्षाएं प्री-विद्यालय से लेकर विद्यालय में बिताए गए सभी वर्षों में सारी परीक्षाओं और आकलन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteइस इकाई में, छात्रों के विकास की निगरानी और मार्गदर्शन के एक अवसर के रूप में आकलन का अन्वेषण करेंगे जब उसे कक्षा के प्रतिदिन अभ्यास के साथ एकीकृत किया जाये। ऐसा सतत आकलन शिक्षकों को छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के बारे में नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसका उपयोग आपके विद्यालय के छात्रों को अधिक प्रभावी विद्यार्थी बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। सीखने का प्रोत्साहन करने के लिए व आकलन का उपयोग करने के लिए, आपके शिक्षकों को प्रमाण एकत्रित करके, जानकारी का विश्लेषण करके, सीखने की गतिविधियों को संशोधित करके और प्रतिक्रिया प्रदान करके अपने छात्रों का आकलन और निगरानी करनी होगी। इस तरह से आकलन का उपयोग आपके सभी छात्रों के नतीजों में सुधार करेगा
बच्चों से अपने आसपास के विषय के बारे में अधिक से अधिक छोटे2 प्रश्नों करके उनसे जानकारी लेना ताकि बच्चे के मन से डर दूर हो सके और हम उनका आकलन कर सके ।
ReplyDeleteBaccho ke aaklan ke liye unke parivash rahan sahan aour boli jane wali prarambhik bhasha ka vishesh dhyan main rakhkr-
ReplyDelete1-unki matrabhasha main geet kavita kahani sunakr sambhandhit Q.karke.2-sankhyatak Gyan kankad patthar tiliyon ke gatthar abakas sankhya Patti ank Patti dwara aaklan.
3-bhasha main chitron ki pahchan varnmala shabd Patti vakya Patti dwara pahchan krakr sambandhit prashn poochhkr unka aaklan kr lakshya nirdhait kr sakte hai.
बातचीत करके,कहानी-कविताएं आदि सुनाकर ,उनसे सुनकर, दैनिक जीवन की गतिविधियों पर चर्चा आदि करके,उनका अवलोकन कर सकते हैबच्चों को कोई प्रोजेक्ट कार्य करवाकर उस प्रोजेक्ट से उन्होंने क्या सीखा उसके बारे में विचार लेकर उनका आकलन कर सकते हैं |
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