कोर्स - 8 गतिविधि 3: अपने विचार साझा करें
भाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान
के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियों की अपनी समझ पर आधारित मुख्य कार्यों की सूची बनाएँ
जो आप अपने बच्चों के साथ आकलन पद्धति में आगे करवाना चाहेंगे। अपने विचार साझा करें।
भाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान
के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियों की अपनी समझ पर आधारित मुख्य कार्यों की सूची बनाएँ
जो आप अपने बच्चों के साथ आकलन पद्धति में आगे करवाना चाहेंगे। अपने विचार साझा करें।
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ReplyDeleteबच्चों से दैनिक जीवन से संबंधित उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
Deleteमैं स्थानीय भाषा बोल रहे बच्चों को धीरे धीरे हिन्दी भाषा बोल ना सिखा देती हूं और फिर बच्चे ज्यादा तर हिन्दी ही बोलते हैं यह बिल्कुल आसान है बस बच्चों को जो र जोर बोल ने को कहते हैं फिर उनको किताब में जो लिखा है जल्दी आता है और इस के लिए में जिम्मेदार दार हूं मैं कक्षा में हिंदी में ही बात करती हूं और फिर बच्चों को पढ़ा ते समय भी टोकती हुं इस को हिंदी में ऐसे बोलते हैं आप भी बोलो फिर बच्चे समझ जाते हैं आपस में भी हिन्दी ही बोलते हैं
Deleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं
Deleteभाषा साक्षरता और संज्ञा ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन के कार्य हम पोर्टफोलियो द्वारा रुब्रिक्स द्वारा जांच सूची रेटिंग स्केल वीडियो टाइपिंग ऑडियो रिकॉर्डिंग अवलोकन टिप्पणी की डायरी बनाना बच्चों के साथ आकलन पद्धति में आगे करवाना चाहेंगे
Deleteबच्चो से उनकी ही भाषा में कहानी ,कविता सुनाने का बोलना ओर प्रश्नों को पूछना ओर उनका आकलन करना ।
Deleteबच्चों को चित्र दिखा कर उसकी भाषा में उनका नाम पूछती हो फिर उन्हें हिंदी में उसका सही नाम पढ़ कर बता। दिखाकर श्र
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जख सकता है बच्चों से उनकी परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे इसके लिए बच्चों से विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते है इस प्रकार भाषा का आकलन किया जा सकता।
Deleteविद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
शिवशंकर मिश्रा
M. S. School manchi
Jatara ( m p )
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से क्वेश्चन उनसे किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को मुद्दीन पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
Deleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं
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ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा र
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर
Deleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
सुनीत कुमार पाण्डेय
चकराघाट, हीरापुर कौड़िया
जिला- कटनी
🌹🌹🌹🌹🌹
💐💐💐💐💐
*08 सीखने का आंकलन*
Delete*इस कोर्स से मैंने यह सीखा है कि* सीखने के आकलन में अभिभावकों और परिवारों की सक्रिय सहभागी है और आकलन के लिए सीखने का परिवेश महत्वपूर्ण है।मैंने इस कोर्स से यह भी सीखा है कि विद्यार्थियों द्वारा अर्जित ज्ञान को परखने के लिए आकलन किया जाता है।और *FLN* में आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार विमर्श की प्रक्रिया है।आकलन में शिक्षक को छात्रों की उपलब्धि और कार्य प्रदर्शन की पहचान करना है।
*एच.एस.पवार*
*प्राथ.शिक्षक*
*G.P.S.कैथरा जबलपुर*
🤝🏻👏🏻🙏🏻
1.बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी सुनाएंगे तथा कहानी से संबंधित प्रश्न पूछेंगे|
ReplyDelete2. बच्चों को कहानी को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे|
3. बच्चे जिस खेल में रुचि लेते हैं उस खेल के माध्यम से सिखाने का प्रयास करेंगे तथा खेल को शिक्षा से संबंधित करेंगे |
4.बच्चों को विभिन्न प्रोजेक्ट कार्यों में लगाकर भी शिक्षण कार्य कराएंगे|
5.बच्चों से चित्रों पर कहानी लिखने को कहेंगे, बच्चों को चित्रों के माध्यम से कहानी बनाने को कहेंगे|
6. बच्चों को दिए गए शब्दों को जोड़ते हुए कहानी बनाने को कहेंगे|
7. बच्चों से विभिन्न जीव-जंतुओं एवं पेड़ पौधों का अवलोकन करवा कर उस अवलोकन को शब्दों में बताने के लिए कहेंगे| इस प्रकार कई अवलोकन हेतु गतिविधियां करवा सकते हैं तथा अवलोकन के आधार पर आकलन किया जा सकता है|
रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम विकासखंड- विजयपुर जिला -श्योपुर (मध्य प्रदेश)
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों से विभिन्न जीव-जंतुओं एवं पेड़ पौधों का अवलोकन करवा कर उस अवलोकन को शब्दों में बताने के लिए कहेंगे
भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे
ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे
DeleteL1, L2 और आवश्यकतानुसार L3 भाषा का उपयोग करके पाठ, कहानी या कविता सुनाकर उन्हें उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन करते हुए, इसी प्रकार से बच्चों से, प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteL 1, L 2 और आवश्यकता अनुसार L3भाषा का उपयोग करके पाठ,कहानी या कविता सुनाकर उन्हेऊससे सम्बंधित प्रश्न पूँछ कर उनकी समझ का आकलन करते हुए,इसी प्रकार से बच्चों से प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से सम्बंधित प्रश्न करके भी बच्चों की समझ का आकलन किया जा सकता है ।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है । खेल के माध्यम से भी सिखाने का प्रयास करेंगे ।
ReplyDeleteBachho Ki Prachlit Bhasha me Prasn punch Ker Anclan Kia Ja Sakta Hai.
ReplyDeleteBhasha sakshartaaur sankhya ghyan ke liye bachcho KO teyar karne ka lakshya sikhane ka pratiphal prapta karna
ReplyDeleteBachcho ko chitro ke madhyam se matra bhasha me sikhana tatha kahani banana sikhana
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कविता, कहानी आदि विभिन्न गतिविधियाँ करवाकर एवं उनसे प्रश्न कर उनका आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteमैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या प्राथमिक शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूंबच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से क्वेश्चन उनसे किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को मुद्दीन पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं
ReplyDeleteविद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रशन पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteविद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
Sanjay rathod (ps phopnar khurd)dist.burhanpur
बच्चों का आकलन शिक्षण गतिविधि का मुख्य आधार है कि हमने छात्रों के साथ कैसा व्यवहार किया है कि बच्चों में कितना उत्साहजनक माहौल है बच्चों में बिना भय के उत्तर देने अपनी बात को रखने समस्या के समाधान के लिए पूछना प्रसन्नता के भाव दिखाई देना। बच्चों के दैनिक गतिविधियों का आकलन गीत और कहानियों को कहने तथा गीत कहानियों के प्रश्नों के जवाब देने आदि का आकलन करने से बच्चों की दक्षता की जानकारी होती है या बच्चों को किस क्षेत्र में विशेष सहयोग की आवश्यकता है। ये जानकारियां अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं।
ReplyDeleteभाषा साक्षारता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियाँ इस प्रकार हो सकती है।बच्चों को उनकी मातृभाषा मे कहानी कविता सुनाकर प्रश्न पूछना, कहानी को आगे बढ़ाना इस प्रकार उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिऐ कहेंगे।शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाकर कहानी बनाओ।परिवेश के जीवजन्तु ,पेड़ पौधों को दिखाकर नाम लिखने के लिऐ कहे।परिवार के बारे पूछना,पसंद -नापंसद जानना।छोटे बड़े की समझ । संख्या ज्ञान के लिए अपनी मातृभाषा में कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना।इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
ReplyDeleteकिसी भी विषय को समझने के लिए भाषा महत्वपूर्ण है क्योंकि भाषा सीखने के बाद ही किसी भी विषय को आसानी से समझा जा सकता है। इसलिए भाषा एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने के लिए, बच्चों को चित्र एवं कहानी के माध्यम से भाषा एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ किया जा सकता है।
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्याज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं
बच्चों को कहानी या कविता सुनाकर उससे संबंधित प्रश्न पूछकर कहानी को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे,बच्चों के प्रोजेक्ट कार्य का अवलोकन करेंगे,चित्रों पर चर्चा करेंगे,दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके उनकी समझ का आकलन करेंगे।
किसी भी विषय को समझने के लिए भाषा महत्वपूर्ण है। क्योंकि भाषा सीखने के बाद ही किसी भी विषय को आसानी से समझा जा सकता हैं। इसलिए भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण बनाने लिए, बच्चो को चित्र एवम् कहानी के माध्यम से भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteN.K. AHIRWAR
किसी भी विषय को समझने के लिए भाषा महत्वपूर्ण है। क्योंकि भाषा सीखने के बाद ही किसी भी विषय को आसानी से समझा जा सकता हैं। इसलिए भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण बनाने लिए, बच्चो को चित्र एवम् कहानी के माध्यम से भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण किया जा सकता हैं।भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे। खुमान विश्वकर्मा।
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की विभिन्न आकलन पद्धतियों को अपना कर बच्चों के ज्ञान प्राप्ति की दशा मालूम की जा सकती है
ReplyDeleteतथा बच्चों की उपलब्धि स्तर को ज्ञात करने के पश्चात शिक्षक बालकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षण पद्धति अपना सकता है जो कि शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक एवं बालक दोनों के हित में होगी
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों को विभिन्न प्रकार के खेल खिलाकर उनका आकलन किया जा सकता है खेल के माध्यम से ही जान सकते हैं किस बच्चे में किसका विकास हुआ है
भाषा साक्षारता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियाँ इस प्रकार हो सकती है।बच्चों को उनकी मातृभाषा मे कहानी कविता सुनाकर प्रश्न पूछना, कहानी को आगे बढ़ाना इस प्रकार उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिऐ कहेंगे।शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाकर कहानी बनाओ।परिवेश के जीवजन्तु ,पेड़ पौधों को दिखाकर नाम लिखने के लिऐ कहे।परिवार के बारे पूछना,पसंद -नापंसद जानना।छोटे बड़े की समझ । संख्या ज्ञान के लिए अपनी मातृभाषा में कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना।इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन कर सकते है।
Deleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रL1, L2 और आवश्यकतानुसार L3 भाषा का उपयोग करके पाठ, कहानी या कविता सुनाकर उन्हें उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन करते हुए, इसी प्रकार से बच्चों से, प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteREPLY
1.बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी सुनाएंगे तथा कहानी से संबंधित प्रश्न पूछेंगे|
ReplyDelete2. बच्चों को कहानी को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे|
3. बच्चे जिस खेल में रुचि लेते हैं उस खेल के माध्यम से सिखाने का प्रयास करेंगे तथा खेल को शिक्षा से संबंधित करेंगे |
4.बच्चों को विभिन्न प्रोजेक्ट कार्यों में लगाकर भी शिक्षण कार्य कराएंगे|
5.बच्चों से चित्रों पर कहानी लिखने को कहेंगे, बच्चों को चित्रों के माध्यम से कहानी बनाने को कहेंगे|
6. बच्चों को दिए गए शब्दों को जोड़ते हुए कहानी बनाने को कहेंगे|
7. बच्चों से विभिन्न जीव-जंतुओं एवं पेड़ पौधों का अवलोकन करवा कर उस अवलोकन को शब्दों में बताने के लिए कहेंगे| इस प्रकार कई अवलोकन हेतु गतिविधियां करवा सकते हैं तथा अवलोकन के आधार पर आकलन किया जा सकता है|
बच्चों से बच्चों से उनकी प्रचलित भाषा व घर में बोले जाने की भाषा ! कहानी कविता का पाठ पढ़ाते हैं कहानी कविता में आए हुए प्रश्नों के उत्तर पूछकर उनका आकलन करते है ! बच्चों को चित्रों द्वारा कहानी लिखने को कहते !भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए हम विभिन्न आकलन की नीतियां अपनाते हैं
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे
ReplyDeleteस्थानीय भाषा रीति रिवाजों त्योहारों स्थानीय रोज गार। व्यवसाय से जुड़ी एवम रोज के कामों पर चर्चा बहुत से प्रश्न किए जा सकते है। बच्चों की समझ का आकलन किया जा सकता हैं। उनके जिज्ञासा के पूर्ती के साथ ही प्रश्नों के द्वारा उनके समझ का आकलन किया जा सकता है।उनकी भाषा व maths के ज्ञान के आकलन के साथ सुझाव भी जान सकेंगे।
ReplyDeleteहम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
भाषा साक्षरता हेतु में उनको प्रतिदिन हरितपट लेखन करवाता हूं। कमलेश पटेल प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला पटमोहना डाइस कोड 23120208903
ReplyDeleteमेरे पाँच बत्तख थे पानी मेतेर रहे थे) कहानी सुनाने के बाद प्रश पूछेंगे) इस से सखया ज्यान भीहोगा ओर भाशा कीसमझ भीविकसित होगी
ReplyDeleteBacchon ko vastu bekar aur aur aur Khel khila kar Kavita Suna kar bacchon se board mein copy mein main bahar Khel ke maidan mein likhva kar padmakar aur aur khel samagri dekar ham bacchon ka talent unki pratikriya per kar sakte hain karenge
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा र
ReplyDeleteREPLY
भाषा संचार का माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने मन के भावों और विचारों को व्यक्त करते हैं।
ReplyDeleteभाषा के तीन रूप है- लिखित, मौखिक एवं सांकेतिक।
साथ ही भाषा निम्न चार अवयवों से बनती है।
ध्वन्यात्मकता
शब्द रचना
वाक्य रचना
व्यावहारिकता
इन चार अवयवों को LSRW ( सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना) गतिविधियों के लिए साथ लाया जाता है।
भाषा सीखने के लिए बाल साहित्य कक्षा माध्यम है। साहित्य, कहानी, कविता, तुकबंदी, नाटक आदि विधाओं से बच्चे शीघ्र भाषा सीखते हैं।भाषा साक्षारता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियाँ इस प्रकार हो सकती है।बच्चों को उनकी मातृभाषा मे कहानी कविता सुनाकर प्रश्न पूछना, कहानी को आगे बढ़ाना इस प्रकार उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिऐ कहेंगे।शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाकर कहानी बनाओ।परिवेश के जीवजन्तु ,पेड़ पौधों को दिखाकर नाम लिखने के लिऐ कहे।परिवार के बारे पूछना,पसंद -नापंसद जानना।छोटे बड़े की समझ । संख्या ज्ञान के लिए अपनी मातृभाषा में कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना।इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन कर सकते है।
बच्चो को चित्र पहेली,ब्लॉक बिल्डिंग, पैटर्न मेकिंग,कविता ,पाठ को उनकी मातृभाषा में समझ कर उनकी ज्ञानात्मक और संख्यात्मक कौशल का आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteP बच्चों को उनके प्रचलित भाषा में कहानी सुना कर फिर उनसे प्रश्न पूछ कर उनका आंकलन किया जा सकता है कोई गतिविधि करा कर मुद्रण आकलन भी किया जा सकता हैं संख्यात्मक ज्ञान के लिए तीलियों को कंचो को गिनना संख्यात्मक ज्ञान का अवलोकन किया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों को उनकी मातृभाषा में प्रश्न पूछ कर आसानी से उनके भाव समझे जा सकते हैं एवं उन्होंने कितना सीखा इसका आंकलन भी आसानी से किया जा सकता है बच्चे अपनी मातृभाषा में अपने भाव आसानी से व्यक्त कर सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों से उनकी मातृभाषा में कहानी या कविता सुनाकर प्रश्न करना ,आसपास के परिवेश ,परिवार के बारे में चर्चा करेंगे इस प्रकार से बच्चों का आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों से उनकी मातृभाषा में कहानी या कविता सुन का प्रश्न करना आप उसके आसपास के परिवेश परिवार के बारे में चर्चा करेंगे इस प्रकार बच्चों का आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteभाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए आकलन की कार्यनीतियों में बच्चों को उनके दैनिक जीवन से जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनकी अपनी भाषा में कहानी, कविता, गीत, खेल, चित्रों द्वारा गतिविधियों में संलग्न करके बच्चों के कार्यों जैसे- अनुमान लगाना, आपस में चर्चा करना, खिलौनों के साथ कार्य करने, चित्र बनाना, चित्रों पर अपने विचार व्यक्त करना, ब्लॉक्स द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाना, गिनना, वस्तुओं के गुण, रंग, आकार, विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित करना, वर्गीकरण करना, पैटर्न बनाना तथा उनके नियम बनाना आदि कार्यों का अवलोकन करके बच्चों का आकलन कर सकते हैं ।
ReplyDeleteविद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteश्रुतलेखन आकलन का बेहतर तरीका है और मैं अपनी कक्षा में इसे ही प्रयुक्त करती हूं इसके साथ खुली किताब से भी शब्द ढूंढ कर लिखवाती हूं कुछ मौखिक आकलन भी करती हूं I
ReplyDeletePM
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे
बच्चों की भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के आकलन के लिए कार्यनीतियां :-
ReplyDelete1. भाषा साक्षरता के लिए बच्चों से L1 उनकी घर की परिचित भाषा मे संवाद करेंगे।
2.बच्चों को उनके परिवेश से जुड़ी L1उनकी क्षेत्रीय भाषा मे कहानियाँ सुनाएंगे और बच्चों को कहानियाँ सुनने के लिए कहेंगे या अवसर देंगे।
3. अधूरे चित्रों पर वार्तालाप करेंगे और उन्हें पहचान कर पूरा करने को कहेंगे।
4. संख्या ज्ञान के लिए मैनिपुलेटिव गतिविधि के माध्यम से वस्तुओं को गिनने को कहेंगे।
5. घर पर उपलब्ध वस्तुओं जैसे गिलसा(गिलास),बिलिया(कटोरी),चम्मच आदि की गिनती(संख्या) बताने को कहेंगे।
6.घर के लोगों (सदस्यों) की गिनती (संख्या) गिनकर बताने के लिए कहेंगे।
Baccho se chitr banakar us par kahani banakar likhane va padne ko kahajay
ReplyDeleteBacchon se Unki prachalit bhasha mein Kahani ya Kavita Suna kar Unse prashn poochh kar Unki Samaj ka aakalan Kiya Ja sakta hai bacchon se unke Parivar se sambandhit Jankari yah Unki Pasand ke bare mein Jaanne Ki Koshish Karenge Jiske Liye bahut se prashn Kiye Ja sakte hain tabhi Ham Unki Bhasha gyan ko samajh sakte hain
ReplyDeleteजैसा कि हमारे सभी शिक्षक बंधुओं ने अपने विचार साझा किए कि बच्चों को उनकी बोलचाल की भाषा में है उनकी स्थानीय भाषा में उनसे बात करके उनके विचार हम जान सकते हैं और उनका आकलन कर सकते हैं इसके अलावा हम उनके पूर्व ज्ञान के आधार पर उनसे प्रश्न पूछ सकते हैं और उनकी बुद्धि लब्धि का आकलन भी कर सकते हैं और उनके समाज को जान सकते हैं
ReplyDeleteBacchon ke aakalan ke liye vibhinn Prakar ke a tarikh on ko upyog karke bacchon ka Aankh dalen Karte Hain bacchon Ki yogyata Jaane Ke Liye Kiya jata hai unhone kya dakshata Hasil ki iske liye Kiya jata hai
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करेंगे।
ReplyDeleteकई गतिविधि करा कर मुद्रण आकलन भी करेंगे।
संख्यात्मक ज्ञान के लिए तीलियों को कंचो को गिनना संख्यात्मक ज्ञान का अवलोकन करेंगे।
कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना आदि इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन करेंगे।
बच्चों के कार्यों जैसे- अनुमान लगाना, आपस में चर्चा करना, खिलौनों के साथ कार्य करने, चित्र बनाना, चित्रों पर अपने विचार व्यक्त करना, ब्लॉक्स द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाना, गिनना, वस्तुओं के गुण, रंग, आकार, विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित करना, वर्गीकरण करना, पैटर्न बनाना तथा उनके नियम बनाना आदि कार्यों का अवलोकन करके बच्चों का आकलन करेंगे।
इसके साथ ही वृत्तांत अभिलेख , जांच सूची और पोर्टफोलियो द्वारा आंकलन करेंगे ।
🙏🙏🙏🙏
विद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं।
भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
ReplyDeleteअपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
Shamim Naz। Bhopal
ReplyDeleteबच्चों की परिचित भाषा में कहानी/कवितौसे से संबंधित प्रशनपूछकर चित्र/पोस्टर उसपर चर्चा से उनकी सोच,समझ और चिंतन का आकलन कर सकते हैं,उसी तरह आकृति और स्थान से संबंधित प्रश्न दूर पास, ऊपर, नीचे- बड़ा,से उनकी गणितीय समझ का आकलन कर सकते हैं।
Bacchon ko bacchon ko Unki prachalit bhasha mein Kahani Kahani Suna Kar Ya book blackboard m drawing ke Madhyam se Ham unko Samjha kar Unse unke vichar Saja kar sakte hain yah Sahi Tarika Hoga unke vicharon ko janne aur samajhne ke liye
ReplyDeleteबच्चों का आकलन शिक्षण गतिविधि का मुख्य आधार है कि हमने छात्रों के साथ कैसा व्यवहार किया है कि बच्चों में कितना उत्साहजनक माहौल है बच्चों में बिना भय के उत्तर देने अपनी बात को रखने समस्या के समाधान के लिए पूछना प्रसन्नता के भाव दिखाई देना। बच्चों के दैनिक गतिविधियों का आकलन गीत और कहानियों को कहने तथा गीत कहानियों के प्रश्नों के जवाब देने आदि का आकलन करने से बच्चों की दक्षता की जानकारी होती है या बच्चों को किस क्षेत्र में विशेष सहयोग की आवश्यकता है। ये जानकारियां अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं।बच्चों से दैनिक जीवन से संबंधित उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteBacchon ka aaklan karne Hetu gatividhi Mukhtar hai Prati vidhara bacchon se ismein Suchi AVN Ek chart Banakar ismein Ankit Karenge baccha alagala aakritiyan banaa Pa raha hai vastuon ko Aakar ke anusar Jama Kha Raha Hai book cover Andar Ka Karan ismein Antar samajh Pa raha hai AVN Chhote wale Hota Antar kar pa Raha Hai Is Tarah gatividhi Karenge AVN Chahat Mein Ankit Karenge jisse aap line mein saralta Hogi AVN Khel Khel Mein gatividhiyan Karenge jisse bacche Gati Vijay Karenge AVN Pune gyat Li Nahin hoga Ki kab Anushka aakalan kar liya Gaya Sahaj hokar prashnon ke Uttar Bata Payenge
ReplyDeleteविद्यालय में आकलन प्रमुखतः छह प्रकारों से किया जा सकता हैं, जो निम्न है_
ReplyDelete1- हम बच्चो का पोर्टफोलियो बनाकर उसमें बच्चों का रचनात्मक एवम् अकादमिक कार्य रख सकते हैं।
2- बच्चो के कार्य व्यवहार पर टिप्पणियों का लिखित रिकॉर्ड रख सकते हैं।
3- हम समय समय पर लिए गए आकलन की जांच सूची बना सकते हैं।
4- बच्चो के आकलन हेतु रूब्रिक्स की सूची बना सकते हैं
5_बच्चों के वीडियो व ऑडियो बनाकर उनका रिकॉर्ड रख सकते हैं।
6_एक रेटिंग स्केल बनाकर उसमें सभी बच्चों का रिकॉर्ड रख सकते हैं।
बच्चों को कहानी कविता सुनाकर छोटे- छोटे प्रश्न पूछकर, विभिन्न प्रकार की खेल आधारित गतिविधियां करवाकर, संख्यात्मक ज्ञान के लिए तिल्लीयां, कंचै ,कंकड़, बीज द्वारा गिनकर जोड़ना घटाना , सृजनात्मक एवं रचनात्मक कार्य करवाकर, पहेलियां पूछकर, पोस्टर, चित्र पर चर्चा करके,खिलौने के कार्य पर चर्चा करके, ब्लाक्स से विभिन्न आकृतियां बनाना ,वस्तुओं के गुणों ,रंग आकार ,विशेषताओं पर चर्चा करना, वर्गीकरण करना पैटर्न बनाना आदि |
ReplyDeleteभाषा, साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के विभिन्न आकलन ऐसे हो सकते हैं-हम बच्चों की मातृभाषा से शुरुआत करते हुए हिंदी भाषा का ज्ञान देंगे अर्थात बच्चे की मातृभाषा में जिन जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उनको हम हिंदी भाषा में उन्हें बताएंगे, जिससे वह मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी भाषा में भी साक्षर होंगे एवं संख्या ज्ञान का भी अवलोकन होता रहेगा। अतः इस प्रक्रिया से उनकी भाषा में स्पष्टता आती रहेगी और इसके साथ साथ संख्या ज्ञान एवं साक्षरता का भी अवलोकन रहेगा।
ReplyDeleteमै बच्चों को सहज लगने वाली उनकी घरेलू स्थानीय भाषा में कहानी या कविता या कोई पाठ सुनाकर उनसे संबंधित प्रश्न कर उनकी अवलोकन क्षमता का आकलन कर । उन्हे हिन्दी भाषा सीखने का प्रयास करती हूं। उनसे हिंदी पाठ करवाकर उन्हें इस भाषा के पठन में पारंगत करवाने का प्रयास करती हूं।
ReplyDeleteBhasha Saksharta aur sankhya qianqi aaklan ki Liye Ham vibhinn nitiyan taiyar karte hain .pahle bacchon ko Ham kahani ki pustaken Dete Hain Jab baccha us Pustak Ka Agla aur pichla prusht samajhne lagta hai tab bacche se varnan ke bare mein Puchte Hain bacche ki ungaliyan chalane ke hisab se Ham yah samajh sakte hain ki baccha bai aur se dai aur padh raha hai .ganit ke aakalan karne ke liye bacche ko blocks aur Motiyon ko Dete Hain baccha Agar Sahi tarike se blocks lagata hai hai to is se yah Pata Chalta Hai Ki bacche ko Patron ka gyan hai baccha Chhoti aur Badi chijen Mein Antar kar sakta hai.
ReplyDeleteबच्चों को सहज लगने वाली उनकी घरेलू स्थानीय भाषा में कहानी या कविता या कोई पाठ सुनाकर उनसे संबंधित प्रश्न कर उनकी अवलोकन क्षमता का आकलन कर । उन्हे हिन्दी भाषा सीखने का प्रयास करता हूं। उनसे हिंदी पाठ करवाकर उन्हें इस भाषा के पठन में पारंगत करवाने का प्रयास करती हूं।
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय भाषा में समझाता हूं।
बच्चों को उनकी घर की भाषा में कहानी सुना कर कहानी से संबंधित प्रश्न पूछेंगे। फिर बच्चों से कहानी का विस्तार करने को कहेंगे। वे जिस खेल में रुचि लेते हों उस खेल को शिक्षा से जोड़कर सिखाने का प्रयास करेंगे।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
Bacchon se apne a aaspaas parivesh Parivar par or any vastuo ke bare Main baat chit Karke Khel Khel Mein vibhinn gatividhiyan Ka aakalan Karke bacchon ko aage badhane Mein madad kar sakte hai or unka salvaging Vikas Kar sake hai
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद या न पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को देख कर फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं आदि प्रश्न पूछ कर भाषाई ज्ञान का पता कर पाएंगे /
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कविता, कहानी आदि विभिन्न गतिविधियाँ करवाकर एवं उनसे प्रश्न कर उनका आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteभाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
ReplyDeleteउदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
च्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
ReplyDelete
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
किसी भी विषय को समझने के लिए भाषा महत्वपूर्ण है। क्योंकि भाषा सीखने के बाद ही किसी भी विषय को आसानी से समझा जा सकता हैं। इसलिए भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण बनाने लिए, बच्चो को चित्र एवम् कहानी के माध्यम से भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण किया जा सकता हैं।भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुना कर उनसे प्रश्न पूछ कर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है भाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि बच्चों के खेल खेल में उनका स्थानीय भाषा में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्तर के उत्तर निकल पाना और आकलन करना चाहिए प्राथमिक पाठशाला लक्ष्मण बाग रीवा निशी मिश्रा
ReplyDeleteबच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा में,
ReplyDeleteमातृभाषा में ही बच्चों को कार्य कराकर, उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करेंगे।
कई गतिविधि करा कर मुद्रण आकलन भी करेंगे।
संख्यात्मक ज्ञान के लिए तीलियों को कंचो को गिनना संख्यात्मक ज्ञान का अवलोकन करेंगे।
कंकड़ ,बीज गिनना, पत्ते गिनना, दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना आदि इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन करेंगे।
बच्चों के कार्यों जैसे- अनुमान लगाना, आपस में चर्चा करना, खिलौनों के साथ कार्य करने, चित्र बनाना, चित्रों पर अपने विचार व्यक्त करना, ब्लॉक्स द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाना, गिनना, वस्तुओं के गुण, रंग, आकार, विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित करना, वर्गीकरण करना, पैटर्न बनाना तथा उनके नियम बनाना आदि कार्यों का अवलोकन करके बच्चों का आकलन करेंगे।
इसके साथ ही वृत्तांत अभिलेख , जांच सूची और पोर्टफोलियो द्वारा आंकलन करेंगे ।
hum portfolio ,rubricks,aur anya kai tarikon se bacchon kw sikhne ke staron ke bare mein jan sakte hain.
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुना कर उनसे प्रश्न पूछ कर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है भाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि बच्चों के खेल खेल में उनका स्थानीय भाषा में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्तर के उत्तर निकल पाना और आकलन करना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैंl
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है । खेल के माध्यम से भी सिखाने का प्रयास करें
ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे
ReplyDeleteNirmala Shivhare prathmik shikshak belha
बच्चों के कार्यों जैसे- अनुमान लगाना, आपस में चर्चा करना, खिलौनों के साथ कार्य करने, चित्र बनाना, चित्रों पर अपने विचार व्यक्त करना, ब्लॉक्स द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाना, गिनना, वस्तुओं के गुण, रंग, आकार, विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित करना, वर्गीकरण करना, पैटर्न बनाना तथा उनके नियम बनाना आदि कार्यों का अवलोकन करके बच्चों का आकलन करेंगे।
ReplyDeleteइसके साथ ही वृत्तांत अभिलेख , जांच सूची और पोर्टफोलियो द्वारा आंकलन करेंगे ।
बच्चों को अपने स्थानीय भाषा में कहानी एवं कविता सुनाते हैं और उनके घर एवं परिवार के बारे में उन्हीं की भाषा में पूछते हैं तो बच्चों में कॉन्फिडेंस आता है और इसके बाद उसी को हिंदी में कहने कह कर सुनाते हैं इस प्रकार बच्चों में भाषा के ज्ञान का आकलन करते हैं और फिर हिंदी भाषा सिखाते हैं जिससे बच्चा आसानी से हिंदी सीख जाता है
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आंकलन कार्य नीतियां बनाई जा सकती है।
ReplyDeleteआकलन बच्चों की शैक्षणिक योग्यता और आयु के अनुरूप होना चाह
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
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सुनीत कुमार पाण्डेय
चकराघाट, हीरापुर कौड़िया
जिला- कटनी
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• शिक्षण प्रक्रिया मे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन करना
ReplyDelete• बच्चों से सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार विमर्श करना।
*बच्चों से कहानी को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया ।
*उसे खेल के माध्यम से सिखाना
*प्रोजेक्ट कार्यों में लगाना।
*चित्रों के माध्यम से कहानी बनाना।
*अवलोकन करवाना आैरअवलोकन को शब्दों में बताने के लिए कहना।
*दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैं।
*उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानना।
*आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं के बारे में बता पा रहे या नही।
*छात्रों को सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाकर।
*बच्चों को किस क्षेत्र में विशेष सहयोग की आवश्यकता है। ये जानकारियां जान पाना।
*कार्य योजना बनाने मे आकलन महत्वपूर्ण है।
*बच्चों की उपलब्धि स्तर को ज्ञात करने मे सहायक।
*प्रचलित भाषा व घर में बोले जाने वाली भाषा से जान पाना।
*स्थानीय भाषा, रीति रिवाजों, त्योहारों, स्थानीय रोजगार, व्यवसाय, के कामों पर चर्चा कर बहुत से प्रश्न किए जा सकते है।
*अपनी मातृभाषा में कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनना आदि।
*चित्र पहेली,ब्लॉक बिल्डिंग, पैटर्न मेकिंग,कविता ,पाठ,आदि मातृभाषा में जानकर उनकी ज्ञानात्मक और संख्यात्मक कौशल का आकलन किया जा सकता है।
*अनुमान लगाना, आपस में चर्चा करना, खिलौनों के साथ कार्य करने, चित्र बनाना, चित्रों पर अपने विचार व्यक्त करना, ब्लॉक्स द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाना, गिनना, वस्तुओं के गुण, रंग, आकार, विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित करना, वर्गीकरण करना, पैटर्न बनाना तथा उनके नियम बनाना आदि कार्यों का अवलोकन करके बच्चों का आकलन कर सकते हैं।
*श्रुतलेखन भी आकलन का एक बेहतर तरीका हो सकता है।
*घर के लोगों के बारे में बताने के लिए कहेंगे।
*स्थानीय भाषा में उनसे बात करके उनके विचार हम जान सकते हैं और उनका आकलन कर सकते हैं।
*बच्चों में बिना भय के उत्तर देने अपनी बात रखने के अवसर देकर आकलन कर सकते है।
*अभिलेख , जांच सूची, और पोर्टफोलियो द्वारा भी आंकलन कर सकते है।
*योग्यता और आयु के अनुरूप कार्य करवाकर
इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाकर एफएलएन 3.0 के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
बच्चों की मातृभाषा L1, द्वितीय भाषा L2 आवश्यकतानुसार तृतीय भाषा L3 भाषा का उपयोग करके पाठ, कहानी या कविता सुनाकर उन्हें उससे संबंधित प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन करते हुए, इसी प्रकार से बच्चों से, प्रत्येक विषयानुसार एवं दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके भी, उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteभाषा साक्षारता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियों के मुख्य कार्यों की सूची--भाषा , साक्षरता के लिए इस प्रकार बच्चों को उनकी मातृभाषा मे कहानी ,कविता सुनना और उन्हें सुनाकय प्रश्न पूछना, उन्हें प्रश्न पूछने के अवसर देना, उनके प्रश्नों के उत्तर देना, कहानी/ कविता को आगे बढ़ाना इस प्रकार उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिऐ कहेंगे।शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाकर कहानी बनायेंगे/बनबायेंगे।परिवेश के जीवजन्तु ,पेड़ पौधों को दिखाकर नाम बताने और नाम लिखने के लिए प्रेरित करेंगे। परिवार के सदस्यों के नाम और उनके द्वारा किए जा रहे काम के बारे में बातचीत करेंगे। उनकी पसंद -नापंसद जानेंगे।इसी प्रकार दैनिक जीवन के क्रियाकलापों से बड़े -छोटे होने की चर्चा करेंगे । संख्या ज्ञान के लिए अपनी मातृभाषा में परिवेश की वस्तुओं जैंसे बीज गिनना ,फूल गिनना,पुस्तक के पेज गिनना, रूपए पैसे गिनना,लिखी संख्याओं को पढ़वाना, विभिन्न खेल खेलने में उपयोग की जा रही संख्याओं पर बात चीत करना आदि कार्य किए जा सकते हैं।
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान सिखाने के लिए बच्चों से निम्न कार्य करवा कर उनका आकलन कर सकते हैं भाषा साक्षरता के लिए हम उन्हें कोई कहानी कविता उनकी प्रचलित भाषा में सुना कर उससे संबंधित प्रश्न पूछ कर एवं उनसे ही उत्तर निकलवा कर उनका आकलन कर सकते हैं एवं उनसे पेड़-पौधे जीव जंतुओं के बारे में प्रश्न करके उनकी पसंद नापसंद एवं रुचि के बारे में जान सकते हैं और उनका आकलन भी कर सकते हैं खेल गतिविधियों के द्वारा भी उनका आकलन कर सकते हैं एवं संख्या ज्ञान सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के द्वारा उन्हें संख्या ज्ञान से परिचित कर सकते हैं एवं उनकी रुचि जानकार उससे संबंधित पाठ्य सामग्री एवं गतिविधियां विकसित कर सकते हैं l
ReplyDeleteधन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
Premchand Gupta P
ReplyDeletes
Guradiya mata बच्चों को उनकी मातृभाषा में कहिले कविता आदि सुनाकर खेल आदि कै बाद उनसे प्रश्न किए जा सकते हैं
्
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। इस तरह वह अपने विचार साझा करना सीख जाएंगे।
ReplyDeleteमैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.माध्य.शाला . बहादुरपुर जिला छतरपुर म.प्र.
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
बच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
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भाषा साक्षरता व संख्या ज्ञान के लिए मै बच्चों को उनके अनुकूलता तथा उसके परिवेश के आधार पर तैयार करुगी, जैसे की आदिवासी इलाकें मे बच्चों में प्रचलित खेलों का उपयोग करतें हुयें या ज्यादा से ज्यादा उनके परिवेश में उपयोग हो रहीं वस्तुओं, जानवरों का सहारा भी लिया जा सकता हैं, भाषा ज्ञान के लिए शुरू में उनकी भाषा के कुछ शब्द उपयोग करतें हुये मुख्य धारा में लायेंगे तथा साथ साथ हिंदी के शब्दों का उपयोग करना शुरू करेगेँ,, इससे हम मूलभूत कौशलों में दक्ष करनें में सक्षम होगें, Gunmala dangi ps dhekal choti. Jhabua
ReplyDeleteभाषा साक्षरता व संख्या ज्ञान का जहाँ तक सवाल है वह काल देश व परिस्थिति पर निर्भर करेगा बच्चा जिस परिवेश मे रहते है उसी मुताबिक उसकी शिक्षण विधि निर्धारित करना होगी ।
ReplyDeleteबच्चों की भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के आकलन के लिए कार्य नीतियां-
ReplyDelete1 बच्चों की भाषा साक्षरता हेतु बच्चों से उनकी घर की भाषा का प्रयोग करते हुए उनसे बातचीत करना कहानी कविता का वचन करना एवं करवाना परिवेश परिवार के विषय में पूछना चित्रों को दिखाकर उनके विषय में पूछना। थे
2 संख्या ज्ञान हेतु विद्यालय एवं घर पर उपलब्ध वस्तुओं की गिनती करवाना।
3 गेटमें बने डिजाइन ओं की गिनती करवाना।
4 पुस्तक के पेज की गिनती करवाना।
बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे/
ReplyDeleteबच्चो को उसकी कार्य की प्रशंसा करनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चो के साथ अनेक कार्यनीति कर सकते है जैसे बच्चो को खेल कूद की गतिविधि कर सकते है और पढ़ाई के कार्य भी कर सकते है।
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)-बच्चों के साथ आकलन पद्धति में हम बच्चों से चित्र कहानियों पर बातचीत, आकृतियों की पहचान, संख्या पहचान, वर्ण पहचान, खेल में सहभागिता, गतिविधियों में सहभागिता, परिवार एवं परिवेश की समझ, कहानी/कविता पर आधारित प्रश्न, आदि कार्य हेतु गतिविधियों पर आधारित आकलन की योजना बनाएंगे ।
ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए हम विभिन्न कार्य नीतियां बनाकर आकलन कर सकते हैं जो मुख्य रूप से निम्न प्रकार हॉगी। जैसे पुस्तकों का उचित उपयोग, पुस्तक पकड़ने, पृष्ठ पलटने का ढंग, पुस्तक के मुख पृष्ठ एवं अंतिम पृष्ठ की समझ पाठों का क्रम पुस्तक में मुद्रण ,चित्रों आदि को पहचानना,ओपन एंडेड प्रश्नों के उत्तर देना, लाइनों को बांए से दांए ओर पढ़ना, ब्लाक्स को सही ढंग से जमाना, छोटे बड़े की समझ, दूरी, उल्टा सीधा की समझ, वस्तुओं का क्रम जानना, अपने और अपने परिवार तथा परिवेश के विषय में बता पाना, मित्रों के साथ बातें ,चीजें साझा कर पाना, आसपास के जीव जंतु पेड़ वनस्पति आदि के बारे में समझ,वर्णों, शब्दों, वाक्यों और उनके बीच के अंतर की पहचान, बिना झिझक स्पष्ट रूप में अपनी बात कह पाना, मित्रों के साथ चीजें साझा करना , दूसरों की मदद करना, स्वयं के प्रति सजग होना, शिक्षकों से जिज्ञासा पूर्ण प्रश्न करना, आसपास की चीजों के प्रति जिज्ञासु व उत्साही होना, आदि ऐसे अनेक बिंदु हैं जिनके माध्यम से हम बच्चे का भाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों के भाषा, साक्षरता और संख्या का आकलन हम कई तरह से कर सकते हैं .
ReplyDeleteउनकी मातृभाषा से शुरू करके धीरे-धीरे प्रचलित भाषा में लाकर और खेल खेल के द्वारा और हम कई प्रकार के प्रश्न पूछ कर उनका आकलन कर सकते हैं .
क्षेत्रीय भाषा में वार्तालाप स्कूल की भाषा मिश्रण गीत कविता का सुनना व सुनाना वर्णों की पहचान शब्द पहचान बाये से दाये पढ़ना गणित में छोटा बड़ा ओछा लम्बा हल्का भारी संख्या क्रम आदि गतिविधियों से बच्चों का आकलन कर सकते हैं
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवम संख्या ज्ञान , क्षेत्रीय भाषा में वार्तालाप स्कूल की भाषा बहुभाषी गीत कविता का सुनना,सुनना वर्ण की पहचान आदि।
ReplyDeleteबच्चों से उनकी भाषा में कहानी सुनकउनकी भाषा का आंकलन कर चर्चा करना
ReplyDeleteभाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के आकलन के लिए विभिन्न कार्य नीतियाँ कई प्रकार की हो सकती पोर्टफोलियो का संधारण, रुब्रिक्स के द्वारा, रेटिंग स्केल बच्चों को उनकी समझ की भाषा में चर्चा कर, प्रश्न पूछ कर इत्यादि
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं
ReplyDeleteSir ji aapne sahi kaha hai .
ReplyDeleteआकलन करने के लिए बहुत ही अच्छा तरीका है कि हम बच्चे को उसके द्वारा किए जा रहे सभी कार्य को बारीकी से जांच करते हुए , उसे प्रोत्साहित करते हुए उसके द्वारा की जा रही गलतियां सुधरवाने का प्रयास करें।
ReplyDeleteहम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा
*इस कोर्स से मैंने यह सीखा है कि* सीखने के आकलन में अभिभावकों और परिवारों की सक्रिय सहभागी है और आकलन के लिए सीखने का परिवेश महत्वपूर्ण है।मैंने इस कोर्स से यह भी सीखा है कि विद्यार्थियों द्वारा अर्जित ज्ञान को परखने के लिए आकलन किया जाता है।और *FLN* में आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार विमर्श की प्रक्रिया है।आकलन में शिक्षक को छात्रों की उपलब्धि और कार्य प्रदर्शन की पहचान करना है।
ReplyDeleteबच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैंबच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा
ReplyDeleteबच्चों को उनकी मातृभाषा में कहानी, कविता सुना कर उससे संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं और उनके परिवार के सदस्यों तथा आसपास के पेड़ पौधों जीव जंतु आदि से संबंधित चर्चा करके उनसे प्रश्न पूछ कर उनका आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteमैं बच्चों को सरल लगने वाली उनकी घरेलू स्थानीय भाषा में कहानी या कविता या कोई पाठ सुना कर उनसे संबंधित प्रश्न कर उनकी अवलोकन का आकलन करता हूँ
ReplyDeleteBaccho ko sthaniye bhasha ke sath aspas ki bhasha me bhi kahaniya sunani chaiye jisse unhe aspas ki bhasha ke bare me bhi jankari milegi . Aur wo bahubhashi banenge ..
ReplyDelete
ReplyDeleteबच्चों को पहले इस डर से निकलना जरूरी है कि स्कूल में पढ़ाई नामक बहुत बड़ी चीज के लिए जा रहे है ।सामान्य वातावरण मैं निर्भीक होकर वो सभी स्तरों को पर करके आगे बढ़ते जाएंगे जो भी सुबिधायें हैं स्कूल में बच्चे आराम से सब कुछ सीख सकते हैं ।
भाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न प्रकार से आकलन किया जाता है जिस प्रकार से साक्षरता के लिए पन्नों को पलट ना जिल्द को देखना और कहानी कविता पढ़ना हाव भाव के साथ इस प्रकार से साक्षरता का आकलन किया जा सकता है और संख्या ज्ञान के लिए आकलन जैसे कंकड़ को गिनना और कंचे को गिनना गिनती की संख्या गिनना इत्यादि प्रकार से आकलन किया जा सकता है जिस प्रकार से हमने देखा कि आकलन तीन प्रकार से किया जा सकता है एसेसमेंट आफ लर्निंग एसेसमेंट फॉर लर्निंग एसेसमेंट एज लर्निंग इस प्रकार से कंकड़ गिरना संख्या ज्ञान का आकलन किताब के पन्ने पलट ना कहानी कविता पढ़ना साक्षरता आकलन के अंतर्गत आते हैं इस प्रकार से बच्चों के परिवार समुदाय और शिक्षक बच्चों की उपस्थिति में आकलन किया जाना जरूरी होता है।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर-8718097722
भाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न प्रकार से आकलन किए जाते हैं जिस प्रकार से साक्षरता का कलाम पुस्तक के पेज पलटना अच्छे से पुस्तक के पेज देखना कहानी कविता पढ़ना लाए के साथ इस प्रकार से साक्षरता का आकलन किया जाता है और संख्या ज्ञान का आकलन जैसे कंचे गिनना कंकड़ गिनना गिनती गिनना इस प्रकार से संख्या ज्ञान का आकलन किया जाता है जिस प्रकार से आकलन मुक्ता तीन प्रकार के होते हैं एसेसमेंट फॉर लर्निंग एसेसमेंट एज लर्निंग एसेसमेंट आफ लर्निंग इस प्रकार से बच्चों का आकलन किया जाता है।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर-8718097722.
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान आकलन के लिए कई बिधि है सर्वप्रथम बच्चे की भाषा में उसका परिवार के बारें में जानकारी प्राप्त कर के उसी अनुसार आगे का आकलन खेल आधारित गतिविधियों के जैसे साँप सीढ़ी ludo puzzles ब्लॉक से जोड़ कर कुछ बनाना कंचे दे कर गिनती etc
ReplyDeleteभाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न प्रकार से आकलन किया जाता है जिस प्रकार से साक्षरता के लिए पन्नों को पलट ना जिल्द को देखना और कहानी कविता पढ़ना हाव भाव के साथ इस प्रकार से साक्षरता का आकलन किया जा सकता है और संख्या ज्ञान के लिए आकलन जैसे कंकड़ को गिनना और कंचे को गिनना गिनती की संख्या गिनना इत्यादि प्रकार से आकलन किया जा सकता है जिस प्रकार से हमने देखा कि आकलन तीन प्रकार से किया जा सकता है एसेसमेंट आफ लर्निंग एसेसमेंट फॉर लर्निंग एसेसमेंट एज लर्निंग इस प्रकार से कंकड़ गिनना संख्या ज्ञान का आकलन किताब के पन्ने पलट ना कहानी कविता पढ़ना साक्षरता आकलन के अंतर्गत आते हैं इस प्रकार से बच्चों के परिवार समुदाय और शिक्षक बच्चों की उपस्थिति में आकलन किया जाना जरूरी होता है।
ReplyDeleteअंगदराम यदुवंशी प्राथमिक शिक्षक शास प्राथमिक शाला पाचनजोत (आमला) जि बैतूल
प्राथमिक स्तर पर कहानी कविता प्रचलित भाषा मे सुनाने के लिए प्रोत्साहित करना उसी में प्रश्न पूछकर चित्र कार्ड पुस्तकालय की पुस्तकें के आधार पर अपने प्रिय त्योहार या प्रिय पशु के बारे में विचार बोलकर लिखकर ।गणित में अंक कार्डो व साँप सीढ़ी खेल से कंचे व अन्य वस्तु द्वारा गिनवाने का कार्य खेल खेल में जोड़ने व घटाने की प्रक्रिया आदि। प्राथमिक विद्यालय लोहार पिपलिया देवास मध्य प्रदेश
ReplyDeleteBacchon se unke Parivar se sambandhit jankari yah unki pasand ke bare mein jaane ki koshish karenge jiske liye bahut se prashn kiye ja sakte hain tab ham unke Bhasha gyan ko samajh payenge sath hi aas paas dikhai Dene wali vastuon ko uddi pit per rahe hain per kar pa rahe hain Vishesh roop se chhote bacchon mein Shamil hone se pahle Aisa vyavhar Kiya jata hai jaise ki vah Apne vishisht deewaron se sambandhit hote Hain
ReplyDelete1-बच्चों को उनकी मात्र भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर
ReplyDelete2- चित्रों पर चर्चा करके उनकी समझ को जानना
3- चीजो का अवलोकन करना
4- चीजो में अंतर करना या फर्क करना
5- स्वयं को अभिव्यक्त करना जिसमे बच्चे से खुद के बारे में जानने का प्रयास कर सकते है
सबसे पहले मैं बच्चों से घुलने मिलने की कुल मूल्य मिलने की कोशिश करता हूं उन के परिवेश की जानकारी लेता हूं एवं बच्चों के अंदर कोई मानसिक भय ना हो इसलिए उनके साथ खेलता रहता हूं और उनसे खेल-खेल में ही सीखने की कोशिश करता हूं और सिखाने की भी कोशिश करता हूं
ReplyDeleteभाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान क आकलन के लिए हम अनेक कार्य नीतियाँँ बनाकर आकलन कर सकते हैं।सबसे पहले हम बच्चों की घर की ,परिवेश की भाषा मेंं बच्चों से संवाद करेंगे, फिर पाठ्यपुस्तकों की भाषा बच्चों की भाषा के मिश्रण से भाषा साक्षरता में बच्चों की दक्षता उन्नयन कराकर, कहानियों कविताओं का बाचन छोटे छोटे प्रश्नों के उत्तर जानकर आकलन कर सकते हैं।संख्या ज्ञान का आकलन बलाक्स को जमाकर पैटर्न बनाकर पैटर्न को आगे बढ़ाकर संख्या सही क्रम में रखने का कार्य करवा कर आकलन कर सकते हैं।रामगोपाल शर्मा प्राथमिक शिक्षक ,शास. प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा।विकास खंड गैरतगंज, जिला रायसेन।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे
ReplyDeleteबच्चों को लिखित,मौखिक,तथा सांकेतिक भाषा का प्रयोग करके उनके कार्य का आकलन किया जा सकता है।
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ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियों को अपनी समझ के आधार पर मैं निम्नलिखित कार्य करूंगी ।1बच्चों से उनकी परिचित भाषा में बात करना जिसमें कोई चित्र दिखाकर बच्चों से उसके बारे में प्रश्न पूछना
ReplyDeleteचित्र में क्या दिखाई दे रहा है चित्र में यदि ऐसा होता तो क्या होता इसमें क्या हो रहा हैं। बच्चों के उत्तरों के आधार पर उनका आकलन करेंगे।
2 बच्चों के परिवेश में प्रचलित किसी स्थानीय कविता कहानी आदि को उनसे सुनेंगे तथा सुनकर उस कविता या कहानी से कुछ प्रश्न पूछेंगे ,यदि कहानी में आप होते तो क्या होता कहानी किसके बारे में है या कहानी में आगे क्या हुआ होगा। इसी आधार पर उनका आकलन करेंगे कि बच्चा किस प्रकार उत्तर दे पाता है या अपने कल्पना शक्ति से कहानी को आगे बढ़ा पा रहा है या नहीं।
3 इसी प्रकार संख्या ज्ञान के लिए बहुत सारे खिलौने ,ब्लॉक पजल आदि चीजें उनको देकर खेल-खेल में अवलोकन के आधार पर यह पता करने की कोशिश करेंगे कि बच्चा संख्या पहचान पाता है कि नहीं ,पजल्स हल करते समय कितने टुकड़ों को जोड़ पाता है ,छोटी बड़ी संख्या में घेरा बना पाता है ,या ब्लॉक जमाते समय सबसे छोटा ,सबसे बड़ा, भारी हलका, वर्गीकरण इस तरह के शब्दों का उपयोग कर पा रहा है कि नहीं और उन अवलोकनों के द्वारा बच्चों का आकलन करेंगे।
आकलन का प्रथम और अंतिम लक्ष्य बच्चे खुशी-खुशी, आनंदमय और भयमुक्त वातावरण में सीखें और आगे बढ़े।
Bacchon ko unki prachlit bhasha me kvita ya kahani sunakar Or unse prashn puchkar unki samajh ka aakalan kiya ja skta hai.
ReplyDeleteविद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।भाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न प्रकार से आकलन किया जाता है जिस प्रकार से साक्षरता के लिए पन्नों को पलट ना जिल्द को देखना और कहानी कविता पढ़ना हाव भाव के साथ इस प्रकार से साक्षरता का आकलन किया जा सकता है और संख्या ज्ञान के लिए आकलन जैसे कंकड़ को गिनना और कंचे को गिनना गिनती की संख्या गिनना इत्यादि प्रकार से आकलन किया जा सकता है जिस प्रकार से हमने देखा कि आकलन तीन प्रकार से किया जा सकता है एसेसमेंट आफ लर्निंग एसेसमेंट फॉर लर्निंग एसेसमेंट एज लर्निंग इस प्रकार से कंकड़ गिनना संख्या ज्ञान का आकलन किताब के पन्ने पलट ना कहानी कविता पढ़ना साक्षरता आकलन के अंतर्गत आते हैं इस प्रकार से बच्चों के परिवार समुदाय और शिक्षक बच्चों की उपस्थिति में आकलन किया जाना जरूरी होता है। vinod kumar bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
ReplyDeleteकिसी भी विषय को समझने के लिए भाषा महत्वपूर्ण है। क्योंकि भाषा सीखने के बाद ही किसी भी विषय को आसानी से समझा जा सकता हैं। इसलिए भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण बनाने लिए, बच्चो को चित्र एवम् कहानी के माध्यम से भाषा एवम् संख्या ज्ञान को सुदृण किया जा सकता हैं।भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए छात्रों को तैयार करने का लक्ष्य यह है कि सीखने का प्रतिफल प्राप्त हो सके इसके लिए कार्य योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसका महत्वपूर्ण घटक है पाठयोजना जोकि पाठ्यक्रम के पाठ्य पुस्तक में पाठ का चयन कर से हिंदी एवं गणित विषयों की पाठ योजना बनाएं और उसके अनुरूप छात्रों को कहानी अथवा कविता के रूप में खेल गतिविधि के रूप में सुनाकर या उनसे करवा कर छात्रों को बेहतर आकलन कर उनसे प्रश्न पूछ कर सिखाने की गतिविधि आगे बढ़ाएंगे।
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन इस प्रकार कर सकते हैं जैसे कि हम जानते हैं बच्चे अपने परिवेश में अधिक जानते हैं खेलते हैं एवं लिखते हैं हमें उसके परिवेश के आधार पर ही उसे सिखाना चाहिए जैसे बच्चे से अपने आसपास के पेड़ पर बात की जाए तो वह उनका नाम बता पाएगा उसके गुण बता पाएगा साथ ही छोटा बड़ा की समझ बता पाता है इसके साथ ही बच्चे स्कूल में एवं स्कूल के बाहर विभिन्न खेल खेलते हैं कंचे क खेलना इतने बच्चे कंचों की गिनती करते समय कभी नहीं भूलते गोटी खेलते समय हार या जीत की सही गणना करते हैं इस आधार पर उनका संख्या ज्ञान पर आधारित आकलन किया जा सकता है
ReplyDeleteनमस्ते मैं ज्योति सक्सेना शासकीय प्राथमिक शाला नामा खेड़ी जिला विदिशा बादशाह साक्षरता और संख्या ज्ञान के आकलन करने के लिए बच्चे को सरल से सरल तरीका उपयोग में लाना चाहिए शिक्षक इस तरह से आकलन करें कि आकलन भी हो जाए और बच्चे को बच्चों को पता भी ना पड़े भाषा के रूप में बच्चे को उसके परिवार की जानकारी आसपास के लोगों की तीज त्यौहार पेड़ पौधे अपने गांव आदि की जानकारी से और संख्या ज्ञान में आपके परिवार में कितने बच्चे हैं कुल सदस्य कितने हैं सबसे बड़ा कौन है सबसे छोटा कौन है सबसे बड़े सदस्य सबसे छोटे देश में कितना अंतर है आपके घर में कितने गिलास है कितनी कटोरिया हैं दोनों मैं किस की संख्या अधिक है आदि उदाहरण द्वारा धन्यवाद
ReplyDeleteच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा
ReplyDeleteBachcho se unaki matrabhasa me kahani ya kavita sunakar prasan karana aaspas ke parives parivar ke bare me charcha karenge is prakar se bachcho ka aaklan kiya ja sakata tha
ReplyDeletebhasha se sambhandhit jankari baccho se lene ke liye hum unse unki bhasha me suni hui kahani ya kavita dohrane ke liye kah saakte hai ,thik aise hi sankhya gyan ke liye hum unse unke pariwar ke sadhshyo ki sankhya,ghar me kitne pashu hai, ghar sse school aaate huwe kitne ped aate hai jaise prashno ko puch sakte hai.
ReplyDeleteविद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं
भाषा साक्षरता और संज्ञा ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन के कार्य हम पोर्टफोलियो द्वारा रुब्रिक्स द्वारा जांच सूची रेटिंग स्केल वीडियो टाइपिंग ऑडियो रिकॉर्डिंग अवलोकन टिप्पणी की डायरी बनाना बच्चों के साथ आकलन पद्धति में आगे करवाना चाहेंगे
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं
बच्चों से दैनिक जीवन से संबंधित उनकी मातृ भाषा में कहानी या कविता सुनाकर प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।भाषा साक्षारता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियाँ इस प्रकार हो सकती है।बच्चों को उनकी मातृभाषा मे कहानी कविता सुनाकर प्रश्न पूछना, कहानी को आगे बढ़ाना इस प्रकार उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिऐ देना।शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाकर कहानी बनवाना।परिवेश के जीवजन्तु ,पेड़ पौधों को दिखाकर नाम लिखने के लिऐ कहना।परिवार के बारे पूछना,पसंद -नापंसद जानना।छोटे बड़े की समझ । संख्या ज्ञान के लिए अपनी मातृभाषा में कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना।इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteBhasha ,saksharta aur sankhya Gyan ke aakalan ke liye vibhinn karya niti ho sakti hai. portpolio ka sandharan, rubrics ke dwara, rating scale, bacchon ki unki samaj ki bhasha mein charcha kar prashn poochh sakte hain.
ReplyDeleteआंकलन का सही तरीका बच्चो को खेल खेल में कहानी कविताएं और विभिन्न प्रकार की गतिवधियों के द्वारा किया जाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में कहानी,कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने का किया जा सकता है जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं में अन्तर कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे।
ReplyDeleteBachcho ka bhasha,saksharta avm sankhya gyaan sambandhi aakalan bachcho ki maatrabhasha m kavita sunkar avm moukhik ganit se sambandhit gatividhi karvakar aakalan kar sakte h. Nandlal rangota p.s.nai aabadi bhojakhedi block alote dist.ratlam.
ReplyDeleteBacchon se Unki prachalit bhasha mein Kahaniya Kavita Sudhakar pahunch kar our plan Kiya Ja sakta hai
ReplyDeleteभाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की विभिन्न आकलन पद्धतियों को अपनाकर बच्चों में ज्ञान प्राप्त करने की दशा जानी जा सकती है। बच्चों को खेल-खेल में, कविता कहानी, चित्र कार्ड, पोस्टर आदि पर प्रश्न पूछकर आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चो से उनकी ही भाषा में कहानी कविता सुनाय और प्रश्नों पर चरचा करना और उनका आंकलन करना
ReplyDeleteलिखित आंकलन के साथ साथ हमें आंकलन के उन तरीको पर अधिक कोर देना चाहिए जिनमें बच्चों की अभिव्यक्ति शामिल हो इससे यह फायदा होता है कि हमारे सामने एक ही चीज़ के कई पहलू होते हैं और बच्चे भी मुखर होते हैं।
ReplyDelete1- खेल आधारित मूल्यांकन
2- कहानी एवम पुस्तक पढ़वाना
3- विद्यालय में चर्चा करना
4- उनके पालकों से चर्चा करना
आदि
बच्चों के प्रति सकारात्मक भाव के साथ गतिविधि आधारित शिक्षण कराते हुए सर्व प्रथम उनके ब्यवहार का आकलन करना चाहिए, साथ ही निम्न तरीके से आकलन किया जा सकता है,
ReplyDeleteटिप्पणी की डायरी बनाना,
पोर्टफोलियो,
जांच सूची बनाना,
रेटिंग स्केल,
रू ब्रिक्स,
वीडियो, आडियो रिकार्डिंग, आदि
हमारी विद्यालय में आने वाले सभी बच्चे यह कह सकते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले बच्चे परिवेश से आने वाले बच्चे जब वह आते हैं विद्यालय तो उनके अंदर एक अलग ही दुनिया होती है वह पढ़ाई से बहुत दूर होते हैं हां उन्हें ज्ञान तो होता है संख्या का उन्हें ज्ञान होता है कहानियों का पर वस्तु था उसे वह व्यवहार में नहीं ला पाते यह कहे कि वह उसको एक सही दिशा में नहीं ले जा पाते या उसका उद्देश्य पता नहीं होता ऐसी बहुत सी गतिविधियां होती हैं जो कि छात्रों को विद्यालय से जोड़ने में सहायक होती है विद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।इस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोआप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
ReplyDeleteविषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
जैसे कि हम विद्यालय में बच्चों को संख्या का ज्ञान कराने के लिए कंकड़ पत्थर विभिन्न प्रकार की तीलियों के माध्यम से इकाइयों का दहाइयों का ज्ञान कराते हैं ठीक उसी प्रकार से हम बच्चों को छोटे बड़े की समझ के लिए विभिन्न प्रकार के ब्लॉक या कहे की बाल्टी या गिलास में कौन बड़ा है कौन छोटा है या फिर अंगूर छोटे होते हैं संतरा बड़ा होता है ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जो कि बच्चों को हम बता सकते हैं दिखा कर उसको सिखा सकते हैं और वह जो समझ स्कोर होगी छोटे बड़े की स्थाई होगी और वह उसे आसानी से बता भी पाता है और उसे व्यवहार में भी ला पाते हैं
ठीक उसी प्रकार से हम उन्हें अक्षर ज्ञान कराते हैं और अक्षर ज्ञान में हम यह करते हैं कि हम उनको पर यह जो पूर्व मैं जो ज्ञान कराते थे अ से अनार आ से आम उससे हम उन्हें अवगत तो कराते ही हैं साथ ही अ से और क्या-क्या हो सकता है आ से और क्या-क्या हो सकता है तो उन्हें हम विभिन्न शब्दों और वाक्यों से भी जोड़ पाते हैं साथ ही हम उन्हें अपने माता-पिता से दादा दादी से कहानियां सुनने के लिए भी कहते हैं साथ में हम उन्हें खुद भी कहानियां सुनाते हैं जिससे कि उनके अंदर एक श्रवण और दृश्य दोनों ही की क्षमता विकसित होती है वह कहानी को बड़े ध्यान से सुनता है और हम उसी में से उनसे प्रश्न पूछते हैं और भी उसने बड़े चाव से बताते हैं और उस में बहुत सी चीजें ऐड भी कर देते हैं तो इससे हमें पता पड़ता है कि बच्चे वास्तव में उन चीजों को ध्यान से सुन रहे हैं क्योंकि हम पर यह परीक्षा के बाद बच्चों का आकलन करते हैं या मूल्यांकन करते हैं लेकिन इस तरीके से जब हम बच्चे को निरंतर सिखाते हुए आकलन करते हैं उसकी समझ बनाते हुए आकलन करते हैं तो निश्चित ही है बहुत अच्छा सीख पाते हैं और उस पर अपनी समझ बना पाते हैं इसमें हमारी बहुत बड़ी मदद की है हमारी निष्ठा प्रशिक्षण दीक्षा ने क्योंकि हमें ऐसा प्लेटफार्म मिला जिसने हमें कई गतिविधियां भी जाने को मिली कि किस तरीके से और भी कई टीचर इस पर काम कर रहे हैं और किस तरीके की गतिविधियां हम कर सकते हैं कैसे उन्हें हम रुब्रिक्स के माध्यम से समझा सकते हैं बता सकते हैं और उन्हें हम दे सकते हैं और उदाहरण के द्वारा भी उन्हें समझा सकते हैं ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जो हम अपने व्यवहार में लाते हैं तो कक्षा का वातावरण तो अच्छा होता ही है साथ में हमें भी आनंद की प्राप्ति होती है और कुछ नया होने से बच्चों का मन पढ़ाई में लगता है धन्यवाद��
वैदेही त्रिपाठी
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा-टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
भाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्य नीतियां इस प्रकार हो सकती हैं कि हम बच्चों को खेल खेल में उनकी स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा में ही बच्चों को कार्य करा करके उनसे विभिन्न प्रकार के प्रश्न करके उनसे उत्तर निकलवाना और फिर उसका आंकलन करना चाहिए, या
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को अलग अलग कर पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं की नही इस तरह से उनके सतत विकास का आंकलन किया जाए तो अच्छा रहेगा।
मोहन लाल कुर्मी
P/S karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया
जिला दमोह
Bachchon ko unki hi bhasa mein kahani sunana unki hi bhasa main sawal karna unse sawal punchna
ReplyDelete(शा.प्रा वि.जतौली विकास खण्ड मुंगावली जिला अशोक नगर मध्य प्रदेश) बच्चों को चित्र, पहेली, ब्लॉक बिल्डिंग, पैटर्न मेकिंग, कविता, पाठ को उनकी मातृभाषा में समझ कर उनकी ज्ञानात्मक और संख्यात्मक कौशल का आकलन किया जा सकता है ।
ReplyDeleteBaccho ke aas-pass ke parivesh Or ghar ke mahol ke anusaar gatividhi karakar unka aankalan kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteभाषा ज्ञान के लिए उनकी मात्रभाषा से मिलते जुलते शब्दों का प्रयोग
ReplyDeleteऔर लेखन के द्वारा उनकी साक्षरता का आकलन करेंगे
कक्षानुसार गणितीय पहेलियां अवधारणाएं हल करवाने से
हमे गणित का भी आकलन कर सकते है
भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान को सिखाने के आकलन के लिए मैं सर्वप्रथम 1.भाषाई कौशलों का प्रयोग करूँगी बच्चों को जिसमे सुनने के लिए स्थानीय भाषा मे कहानी ,कविता या उनके आसपास के बारे में बातचीत। 2. बोलने के लिए उपरोक्त विषयानुसार बच्चों से उनके विचारों को जानने की कोशिश करूँगी।3. पढ़ने के लिए बच्चों के अनुसार पुस्तकों का उपयोग करूँगी तत्पश्चात जो सुना, बोलाऔर पढ़ा उसको बच्चों से उनकी भाषा मे लिखने को कहूँगी। जिससे बच्चों
ReplyDeleteमें बुनियादी कौशलों का विकास होगा और हमारा आकलन का लक्ष्य भी पूर्ण होगा । और इसी प्रकार संख्या ज्ञान के लिए दैनिक जीवन मे प्रयोग आने वाली वस्तुओं का उपयोग बता कर आकलन करूँगी।
बच्चों के सीखने के आकलन के लिए अनेक गतिविधियॉ की जा सकती हैं बच्चों को कहानी सुनाकर प्रश्न पूछे जा सकते हैं एवं खेल गतिविधि करके भी बच्चों का भाषा कौशल तथा गणित कौशल का आकलन किया जा सकता है|
ReplyDeleteबच्चों को आकलन करते हुए उनकी गतिविधियों पर नज़र रखेंगे और उसी क्रम में उन्हें गतिविधि कराते-कराते आगे बढ़ेंगे
ReplyDelete1-bachchon ko unaki matra bhasha main kahani ya kavita sunakar unase prashn puchhakar 2-chitron par charcha karake unaki samajh ko janna 3-cheejon ka abalokan karana 4-cheejon main antar karana ya phark karana 5-svyam ko abhivyakt karana jisamen bachche se khud ke bare main janane ka prayas kar sakate hain.
ReplyDeleteबच्चों की स्थानीय भाषा जो वे ज्यादातर बोलते व समझते हैं उसका प्रारंभ में अधिकाधिक प्रयोग कर और जब वे थोड़ा खुल जाएंगे तो फिर उन्हें हिंदी भाषा की ओर ले आएंगे जिससे बच्चों को अधिक कठिनाई ना हो और वे सहज महसूस कर सकें ।
ReplyDeleteगुणवत्तापूर्ण साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए बच्चों हेतु रोचक और मजेदार साथ ही भयमुक्त वातावरण का निर्माण बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हुए प्रगति की ओर लेे जाया जा सकता है इसके लिए उनके अनुसार कहानी कविता, कहानी चित्र, वर्ण कार्ड शब्द कार्ड परवेश में उपलब्ध वस्तुओं, छोटे छोटे ऑडियो वीडियो, अखबार की कटिंग्स, सहायक सामग्री आदि के द्वारा किया जा सकता है।
उनके सीखने के स्तर का पता लगाने हेतु सीखने के अभिलेख संधारित कर सीखने सिखाने में महत्व पूर्ण भूमिका अदा करते हैं।🙏
विद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
ReplyDeleteइस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।मनोहर लाल प्रजापत
गुणवत्तापूर्ण साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए बच्चों हेतु रोचक और मजेदार साथ ही भयमुक्त वातावरण का निर्माण बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी पिछली चुप भाषा में कहानियां कविता सुना कर उनसे प्रश्न पूछ कर एवं बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी लेकर तथा हम बच्चों को खेल-खेल में उनकी स्थानीय भाषा में एवं विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों के चित्र दिखाकर आकलन किया जा सकता है सुकलाल लहरिया EPES KUSLI
ReplyDeleteबच्चों की प्रारंभिक शिक्षा में उनकी भाषा में ही समझाए ताकि वे अच्छे से समझ पाय और उनके लिए भयमुक्त वातावरण का निर्माण करे
ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतिया इस प्रकार हो सकती हैं कि बच्चों को सरल एवं प्रभावशाली छोटी-छोटी कविताएं , कहानी सुनाकर उनसे छोटे छोटे प्रश्न करके उसके उत्तर पूछना, खेल-खेल में उनकी स्थानीय भाषा ( मातृभाषा) में बच्चों से कार्य करवाए, जिससे बच्चों का आकलन करना चाहिए।
ReplyDeleteभाऊराव धोटे (स . शि)
ReplyDeleteE P E S शा मा शा लिहदा
वि ख मुलताई (बैतूल)
भाषा, साक्षरता और संख्या ज्ञान के आकलन के लिए निम्नानुसार कार्य किये जा सकते है।
बच्चों की अभिरुचि के अनुसार गतिविधियों के साथ भाषा और साक्षरता से संबंधित विषयों का समावेश करके उनकी दक्षताओं का आकलन कर सकते है।
बच्चों को उनकी समझ की भाषा के अनुसार कहानी,कविता और गीत आदि के माध्यम से प्रश्न बनाकर उनका मूल्यांकन किया जा सकता हैं।
बच्चों में संख्या ज्ञान की दक्षता विकसित करने के लिए कंकड़,बीज और तीलियों आदि की संख्या को कम-ज्यादा का अभ्यास किया जा सकता हैं।
Bacchon ko Unki prachalit bhasha main kahani e ya Kavita Suna kar Unse prashn poochh kar Unki samajh ka aaklan Kiya Ja sakta hai Khel ke Madhyam se a Bhi sikhane ki sikhane ka Prayas Kiya Ja sakta hai
ReplyDeleteप्रचलित भाषा में कहानी
ReplyDeleteआसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा रहे हैं फर्क कर पा रहे हैं छोटा बड़ा बता पा रहे हैं
पोर्टफोलियो द्वारा रुब्रिक्स द्वारा जांच सूची रेटिंग स्केल वीडियो टाइपिंग ऑडियो रिकॉर्डिंग अवलोकन टिप्पणी की डायरी बनाना बच्चों के साथ आकलन पद्धति में आगे करवाना चाहेंगे
बच्चों के प्रोजेक्ट कार्य का अवलोकन करेंगे,चित्रों पर चर्चा करेंगे,दैनिक जीवन के कार्यों से संबंधित प्रश्न करके उनकी समझ का आकलन करेंगे।
खेल के माध्यम से ही जान सकते हैं किस बच्चे में किसका विकास हुआ है
परिवेश के जीवजन्तु ,पेड़ पौधों को दिखाकर नाम लिखने के लिऐ कहे।परिवार के बारे पूछना,पसंद -नापंसद जानना।छोटे बड़े की समझ । संख्या ज्ञान के लिए अपनी मातृभाषा में कंकड़ ,बीज गिनना ,दो अलग अलग ढेरों को गिनकर जोड़ना,घटाना।इस तरह हम बच्चों के सतत विकास का आकलन कर सकते है।
श्रुतलेखन आकलन का बेहतर तरीका है
Sanjeev Kumar Tiwari
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है। बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी या उनकी पसंद के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके लिए बहुत से प्रश्न किए जा सकते हैं तब हम उनके भाषाई ज्ञान को समझ पाएंगे साथ ही आसपास दिखाई देने वाली वस्तुओं को उद्दीपित पा
भाषा साक्षरता और संख्या के लिए विभिन्न आंकलन पद्धतियों को बच्चों के लिए अपनाया जा सकता हैं जिससे बच्चों को ओर निखारा जा सके।
ReplyDeleteउन्हें विभिन्न प्रकार की वस्तुओ सेपरिचय कराकर । कहानी सुनआकर कहानी में आय कुछ बीच बीच मेंसंख्या के साथ कनेक्ट कर के। बच्चों से उनकी मातृभाषा में समझाना। और भी बच्चों के लिए विभिन्न आंकलन पद्धतियोंका प्रयोग कारेंगे।
भाषा साक्षरता संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन कार्यनीतियों की अपनी समझ पर आधारित मुख्य कार्यों की सूची बनाने के लिए हमें छात्रों के कक्षा बार सीखने के प्रति फलों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्यसुझावित दक्षताओं की सूची तैयार करना चाहिए और इन्हें शुरुआत/ प्रगति की ओर /उन्नत/ आदि स्तरों में छात्रों की स्थितियों को पृथक पृथक चिन्हित करना चाहिए।
ReplyDeleteभाषा साक्षर संबंधित सूची-
(1) छात्र का पुस्तकों से जुड़ाव।
(2) पुस्तकों को पकड़ने के तरीके।
(3) वर्णों के की पहचान करने के स्तर।
(4) वर्णों के उच्चारण के तरीके।शुद्ध अशुद्ध।
(5) हिज्जे लगा पाने के कौशल।
(6) सरल व छोटे वाक्य पढ़ पाने समर्थकता।
(7) पढ़कर अर्थ समझने का सामर्थ्य।
(8) प्रतिक्रियाशीलता।
संख्याज्ञान संबंधी सूची-
(1) शून्य से नौ तक की संख्याओं की पहचान कराने को बस्तुओ को गिन पाना।
(2) शून्य से नौ तक की अंकीय पहचान कर पाना।
(3) शून्य की अवधारणा की समझ।
(4) संख्या के आगे और संख्या के पीछे सुनने की समझ एवं महत्व बतला पाना।
(6) दो अंको की संख्या की समझ।
(7) 11 से 50 तक की संख्याओं की समझ।
(8) 51 से 99 तक की संख्याओं की समझ।
(9) तीसरी संख्या के रूप में सकड़े की समझ।
(10) वस्तुओं से संख्या जोड़ की संक्रिया।
(11) वस्तुओं से घटाव संक्रिया की समझ ।
(12) वस्तुओं से गुणा/गुना संक्रिया की समझ।
(13) वस्तुओं से भाग संक्रिया की समझ।
भाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए बच्चों से उनके आसपास के वातावरण में उपलब्ध या परिचित वस्तुओं खेल खिलौना आदि के द्वारा जुड़ा उत्पन्न करते हुए। विभिन्न गतिविधियां करवाई जा सकती हैं। और जब बच्चे इन से जुड़कर गतिविधियां कर रहे हो तब शिक्षक अवलोकन कर इनसे संबंधित आकलन सूची में बच्चों को व्यक्तिगत रूप से चिन्हित करते हुए रिमार्क देकर अच्छी तरह से आकलन कर सकता है। कि उसके विद्यालय का कौन सा बच्चा भाषा साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की किस स्थिति को प्राप्त किए हुए हैं। इस तरह शिक्षक अपने छात्रों को साप्ताहिक मासिक और 3 मासिक कार योजना बनाते हुए। उनकी कक्षाओं रुचिकर और खेल गतिविधियों के माध्यम से सभी दक्षताओ को प्राप्त कर सकता है।
बच्चों को उनकी मातृभाषा में कहानियां / कविता सुना कर और उनसे प्रश्न पूछ कर बच्चों की समाज का आकलन किया जा सकता है । साथ ही बच्चों से उनके परिवार से संबंधित जानकारी अथवा तो उनकी पसंद / नापसंद के बारे में जानने का प्रयास करेंगे जिसके लिए अनेक प्रश्न किए जा सकते हैं । तभी हम उनके भाषाई समझ को याद कर सकेंगे । तथा छोटा बड़ा बता पा रहे हैं आदि प्रश्न कर भाषाई समझ का पता कर पाएंगे।
ReplyDeleteभाषा और साक्षरता की योग्यता के लिए बच्चों के परिवेश, पारिवारिक, प्राकृतिक चीजों को समझना आवश्यक है इन्ही के आधार पर बच्चों को भाषा और साक्षरता की योग्यता विकसित कर सकते है
ReplyDeleteगुणवत्तापूर्ण साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए बच्चों हेतु रोचक और मजेदार साथ ही भयमुक्त वातावरण का निर्माण बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हुए प्रगति की ओर लेे जाया जा सकता है इसके लिए उनके अनुसार कहानी कविता, कहानी चित्र, वर्ण कार्ड शब्द कार्ड परवेश में उपलब्ध वस्तुओं, छोटे छोटे ऑडियो वीडियो, अखबार की कटिंग्स, सहायक सामग्री आदि के द्वारा किया जा सकता है।
उनके सीखने के स्तर का पता लगाने हेतु सीखने के अभिलेख संधारित कर सीखने सिखाने में महत्व पूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
Bacchon ke ghar or aaspaas ke vatavaran ko dhyan me rakhkar unka aankalan karna chahiye.
ReplyDeleteबच्चों को कहानी या कविता के माध्यम से सुनकर बोलकर उनके भाषा साक्षरता की समझ को विकसित किया जा सकता है और उसका आंकलन भी किया जा सकता है। संख्या ज्ञान सामान्य खेल या चर्चा के माध्यम से भी बताया जा सकता है और उनकी समझ बढाई जा सकती है।।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी भाषा में कहानी या कविता से सम्बन्धित प्रश्न पूँछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चो को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाई प्रश्न पूछे और आकलन करने को कहे और बच्चो से हम उनके परिवार के बारे में बच्चे की पसंद नापसंद पूछेंगे जिससे उनके भाषाई ज्ञान का पता चलेगा
ReplyDeleteभाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए विभिन्न आकलन में हम बच्चों को अपनी मातृभाषा में कहानी, कविता, गीत सुनाकर मौखिक प्रश्न कर आकलन कर सकते हैं, साथ ही कहानी पढ़कर, चित्र देखकर मौखिक रूप से आकलन कर सकते हैं, संख्या ज्ञान की समझ जैसे-कंकड़,बीज से गिरकर जोड़ना-घटाना की समझ हम विभिन्न आकलन के लिए कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी प्रचलित भाषा में कहानी या कविता सुनाकर उनसे प्रश्न पूछकर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता है ।
ReplyDeleteबच्चे की प्रचलित भाषा मे कहानी और कविता सुनाकर प्रश्न पूँछ कर,बच्चे के परिवेश के अनुसार प्रश्न कर उनका आंकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों को खेल के माध्यम से एवं गतिविधियों के द्वारा सिखा कर उनसे उनकी समझ के अनुसार प्रश्न पूछ कर एवं कविता कहानी आदि सुनाकर आसपास के परिवेश से जोड़कर उनकी समझ का आकलन किया जा सकता हैl
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