कोर्स 10 गतिविधि 2: अपने विचार साझा करें
तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के
साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं?
विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।
तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के
साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं?
विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।
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ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं
Deleteअर्चना राऊत
शास.मा.शाला-नंदोरा
विकासखण्ड-अमरवाड़ा
संकुल-सिगोड़ी
ज.शि.के.-लछुआ
बच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सि खाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ हीआगन्वाडि परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।
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Deleteहम बच्चों के हितधारकों से हम बच्चों के बारे में चर्चा करके हम बच्चों के साक्षरता ओर सख्या ग्यान का आकलन किया जा सकता है
Deleteनेत्रत्व कर्ता के रुप में हम बच्चों के माता पिता, बड़े भाई बहन से जुड़े बच्चों के आस पास के परिवेश के माध्यम से सीखने सिखाने के आयमो को बच्चों से जोड़ेगे।
Deleteगायत्री भवसार
P s झूठीयाहेडी
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
ReplyDeleteरघुवीर गुप्ता (प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम ,विकासखंड -विजयपुर ,जिला -श्योपुर(मध्य प्रदेश)
3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
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3 से 9 वर्ष के बच्चों को सिखाने के लियेहं विभीन्नहित धारको जेसे माता पिता , अगन्वडी एवं परिवेश से सहयोग प्राप्त करके पढ्ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण किया जा सकता हैं।
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नांदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खंडवा
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारकों से जीवंत संपर्क स्थापित करके बच्चों के विकास में उन्हें सहभागी बनाएंगे
Three se nine years ke bachche ko unaki boudhik kshamata ke anusar hi padhaya Jana chahiye.unake mata pita ka awashya hi sahyog Lena chahiye.
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।जो बच्चों मे सिखने कि पृवत्ति पैदा करती है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस आयु वर्ग के बच्चों से निकटता बढ़ाकर, उनकी अपनी भाषा/बोली मे संवाद करना चाहिए ताकि शिक्षक और बच्चे के मध्य दूरी महसूस न हो।
ReplyDeleteमैं रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूं3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |
ReplyDelete3 से 9 वर्श्के बच्चोंको सीखनेकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये हम वीभिन्ंंंहीत धारको जेसे माता -पिता ,समुदाय स्थानिय लोग आगन्वदी कार्यकर्ताओं से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्च्त कर सकते हैं ।
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवशकता को पूरा करने के लिए हम अनेक माता पिता , समूहों सथानिय लोग आगनवाडी, कायकर्ताऔ से सहयोग लेकर उनकों सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं
ReplyDelete3 से 9 वर्षके बच्चो को सीखने की अवश्यक्ता को पूरा करने के लिये हम अनेक माता पिता , स्थानिय लोग आगंनवदी कार्यकर्ता से सहयोग लेकर उनका सिखना सुनिशीचत कर सकते हें ।
Delete3-9आयु वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिऐ हम विभिन्न हितधारकों जैसे माता -पिता ,समुदाय,स्थानीय लोग,आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनके सीखना सुनिश्चित कर सकते है ।बच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
ReplyDeleteइन 3 से 9 वर्ष आयु समूह के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं और क्षमताओं हेतु सामंजस्य व समन्वय स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक शिक्षक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारीरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका का बेहतर प्रदर्शन कर अपने मूल लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |
Deleteबच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।
ReplyDelete3से9 वर्ष के बच्चों को उनकी अवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री के साथ उच्च मनोबल तैयार करके सहयोगी गतिविधियों के साथ स्थानीय स्तर पर पर्यावरण अनुसार गुणवत्ता युक्त शिक्षा देकर ,पालको की सहभागिता के साथ बच्चों का अध्ययन कराके ,अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते है ।
ReplyDeleteजैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
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🙏🙏🙏🙏
सुनीत कुमार पाण्डेय
ज़िला- कटनी (मप्र)
3 se 9bars ke bachho ko seekhne ke liye hum aaganbadi karyakarta se madad le sakte hai T.L. M. ka sahyog se bhi hum sikha sakte hai
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता समुदाय स्थानीय लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यक ताओ को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों जैसे माता - पिता , समुदाय, स्थानीय लोग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । बच्चों की आवश्यक ताओ के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है । इस उम्र के लिए खेल- खेल मे गतिविधियों की आवश्यक ता होती है ।
ReplyDeletePM
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं
3-9 वर्ष की आयु के बच्चो की सीखने की आवश्यकता ओ हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नेतृत्व कर्ता के रूप में कार्य करके बच्चो को नये नये आयामों के माध्यम से, बच्चो को मानसिक एवम् शारीरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
ReplyDeleteN.K.AHIRWAR
बच्चों के प्रथम हित धारक उनके माता-पिता होते हैं एवं 3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने हेतु उनकी स्थानीय भाषा के अनुसार पठन सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण कार स्थापित करके बच्चों के विकास में सहभागी बनेंगे
ReplyDeleteसबसे पहले अभिभावकों मोटिवेट करना पढ़ाई के महत्व पर पढ़ाई की आवश्यकता पर और बच्चे के सर्वांगीण विकास पर उनसे डिस्कशन करना एवं उन्हें पढ़ाई के महत्व को समझाते हुए सहयोगात्मक रवैया बनाने हेतु प्रेरित करना
ReplyDeleteविनोद कुमार द्विवेदी p/s पिप्रहिया जिला सीधी, बच्चे के विकास के लिए उसके साथ बात करना तथा उसे सभी विषय से अवगत कराना, पढ़ाई के महत्व को समझना जरूरी है|
ReplyDelete3से9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों जैसे बच्चों के बच्चों के माता पिता परिवार के सदस्यों से संपर्क स्थापित करेंगे एवं बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो जो बच्चे को अजीवन उपयोग मैं आए।
ReplyDeleteसीखने-सिखाने की आवश्यकता को पूरा करने हम विभिन्न हितधारकों से जुड़ने के लिए उनमें जागरूकता लानी होगी, इसके अलावा जरूरत पढ़ने पर उनके उन्मुखीकरण की योजना बनाकर, सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके भाई बहनों को भी शामिल करते हुए साम॔जस्य बनाने का प्रयास करूंगा।
ReplyDeleteमनीष कुमार सोनी
जिला-कटनी
बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।सीखने-सिखाने की आवश्यकता को पूरा करने हम विभिन्न हितधारकों से जुड़ने के लिए उनमें जागरूकता लानी होगी, इसके अलावा जरूरत पढ़ने पर उनके उन्मुखीकरण की योजना बनाकर, सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके भाई बहनों को भी शामिल करते हुए साम॔जस्य बनाने का प्रयास करूंगा।
ReplyDeleteछात्रों का प्रथम हितधारक उसका परिवार होता है।हम उनके परिवार से संपर्क कर यह जानेंगे की परिवार के शिक्षित सदस्य किस प्रकार उनकी सहायता कर सकते हैं।इसी प्रकार हम परिवेश में भी ऐसे व्यक्तियों का पता लगाएंगे व निरंतर उनके संपर्क में रह कर छात्रों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।
ReplyDelete3-9आयु वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिऐ हम विभिन्न हितधारकों जैसे माता -पिता ,समुदाय,स्थानीय लोग,आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनके सीखना सुनिश्चित कर सकते है ।बच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
ReplyDeleteNaresh Sahu Prathmik Shikshak
P/S Rajpalchowk pipariya lalu
District -Chhindwara
Block-chhindwara
Dise code -23430109204
3 se 9 varsh ke bacchon ka ka sikhane ki avashyaktayon ko pura karne ke liye ham unke abhibhavakon Mata Pita samuhon sthaniya star per vibhinn vyaktiyon anganbadi karyakartaon se Sahyog Lekar Unka sikhana sunishchit Karte Hain.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है
ReplyDeleteInsano aayu varg ke bacchon ke avashyakta anusar sikhane hetu vibhinn hit kar ko Jaise Mata pita samuday anganbadi karykartaon se Sahyog lekar unke sikhane mein Vikas Kiya ja sakta hai
ReplyDeleteइस आयु वर्ग के बच्चे छोटे होते हैं, और वे अपने परिवार के ज्यादा करीब होते हैं अतः हम उन बच्चों के साथ साथ उनके परिवाजनों से संपर्क करेंगे और पता लगाएंगे की वे हमारी सहायता केसे कर सकते हैं और साथ साथ हम उन पर अपना विश्वास दिलाएंगे की हम उनके बच्चो को अच्छी शिक्षा देगे, जिसमें वे हमारी सहायता करेंगे जिससे हमारा कार्य जल्दी और सरलता से पूर्ण होगा
ReplyDeleteहम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो ।
ReplyDeleteछात्रों के प्रथम हितधारक उसके माता पिता व उसका परिवार होता है, अतः हम उनसे संपर्क बनाये रखकर छात्र के पठन पाठन में उनकी सहायता ले सकते है ।
ReplyDelete3-9 saal ke baccho ko sikhane ke liye hamen unke Parivar walon se a savan jaaye se sthapit karna chahie AVN anganbadi e ki sahayata Lena chahie ine sab mein main sambandhit se banate hue daks karn chahiye
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हितधर को साथ जुड़ सकते हैं
ReplyDelete3 se 9 varsh ke bacchon ko sikhane ke liye hamen unke Mata pita AVN sthaniya samuday anganbadi mentor Mitra AVN unke Bhai bahan ka Sahyog lekar unko behtar dhang se a sikha ja sakta hai tatha Kai prakar ke Khel khela kar bhi anman sikhane ki aur prerit Kiya ja sakta hai
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम शिक्षक उसके माता-पिता होते हैं हम समाज बालक के आसपास के परिवेश आंगनबाड़ी आदि से मिलकर उनकी सहायता से उनको विकास की अपनी कार्य योजना में शामिल कर आगे बढ़ सकते है
ReplyDeleteHme buccho ko sikhne ke lie school ke saath maa baap, Aangnwari aadi ka sahyog lena chahiye. Or usi ki bhasa me usko sikcha Deni chiye.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान। कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता हो तो पूरा करने के लिए हमें विभिन्न हित धार को (जैसी बच्चे की प्रथम हित धारक माता पिता ) समुदाय स्थानीय लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मुंह से सहयोग प्राप्त करके सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं इसके अलावा बच्चों की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।।
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए माता पिता का सहयोग अत्यंत आवश्यक है क्योंकि सर्वप्रथम बच्चा अपने माता-पिता के माध्यम से सीखता है इसके अतिरिक्त विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय को अधिक सुचारू रूप से चला सकते हैं
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिये माता-पिता - भाई-बहन समाज आंगनवाडी कार्यकर्ता के सहयोग से उनका सीखना सुनिस्चित कर सकते है
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए माता पिता का सहयोग की अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि सर्वप्रथम बच्चा अपने माता-पिता के माध्यम से सीखता है। विभिन्न तरीकों के साथ भी जुड़कर अपने विद्यालय को अधिक सुचारू रूप से चला सकते हैं
ReplyDelete3से 9वर्ष के बच्चों की सीखनेँ की जरूरतों को पूरा करने के लिये हम उनके हितधारकों जैसे बच्चों के माता- पिता आगनबाडी कार्य कर्ता समुदाय के लोगों से मिलकर
ReplyDeleteबच्चोंके माता पिता एवं समुदाय के लोगों का सहयोग प्राप्त करके 3से9 वर्ष के बच्चों का सीखना सुनीस्चित किया जा सकता है ।
ReplyDeleteFebruary 7, 2022 at 12:20 AM
ReplyDeleteबच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सि खाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ हीआगन्वाडि परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।
3से 9 वर्ष के बच्चों के लिए सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रथम हेतु धारा उसके माता-पिता समुदाय के लोग आंगनबाड़ी परिवार से मदद ले सकते हैं और विभिन्न आयामों जैसे खेलकूद गतिविधियों से सुगम बना सकते हैं
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDelete3_9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी हितधारकों जैसे माता -पिता, आंगड़बाड़ी,समुदाय का सहयोग सुनिश्चित करेंगे। खेल खेल में गतिविधि आधारित पढ़ने की सामग्री का उपयोग एवम् निर्माण करेंगे जिससे संख्यानात्मक बुनियादी शिक्षा मजबूत हो।
तीन वर्ष का बच्चा अपना पूर्ण समय परिवार के सदस्यों के साथ ही बिताता है। इस उम्र में उसे का भाषा का ज्ञान होना शुरू हो जाता है। वह अपने माता-पिता से सीखता है। जब बच्चा नौ वर्ष का होता है तो माता-पिता, शिक्षक एवं समाज सभी उसके विकास में अपने अपने स्तर पर भूमिका निभाते हैं। शिक्षक होने के नाते हमें बच्चों के माता-पिता एवं उसके आस पड़ोस के लोगों से संपर्क स्थापित कर के हमें उसके विकास में अधिक योगदान देने का काम करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों के प्रथम हितधारक उनके माता-पिता होते हैं जो बच्चों की मनोवृत्ति एवं आवश्यकताओं से भलीभांति परिचित होते हैं। इसके अलावा उनके बड़े भाई बहन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,ग्राम के प्रबुद्ध नागरिकों से उनके विकास में सहयोग प्राप्त करेंगे। शाला का परिवेश आकर्षक बनायेंगे तथा खेल खेल में बच्चों को सिखायेंगे।
ReplyDeleteएक साझा विजन का निर्माण कर समस्या समाधान का अपना नजरिया कर उनमें विश्वास पैदा कर विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ सकते हैं और बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित हो सकता है
ReplyDeleteसे 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
ReplyDeleteShamim Naz H/S Arif Nagar Bhopal
ReplyDelete3_9 वर्ष के बच्चों को सीखने की आवश्यकताओं
को पूरा करने के लिए हम माता_पिता,समुदाय,
भाई_बहिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताआदि
हितधारकों का सहयोग लेकर उनका सीखना
सुनिश्चित करेंगे।
तीन से नौ वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये ,माता पिता , समुदाय व वातावरण का सहयोग लेना बच्चों के लिये हितकर रहेगा ।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।
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जैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
3से9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्था नीय,समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है इस आयु मे खेल खेल के माध्यम शिक्ष। देना ,।तथा समुदाय का भी सहयोग जरुरी है
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष के बच्चों के को सीखने की आवश्यकताओं केलिए उनके माता पिता और परिवार के सदस्यों के साथ उनकी विभिन्न सामाजिक और सान्सकृतिक पृष्ठभूमि के अनुसार बच्चों से जुडने और उनमें विश्वास पैदा करेंगे।उनकी मान्यताओं धारणाओं दृष्टिकोण व्यवहारों पर चर्चा करेंगे एवं बच्चों के सीखने व उनके नामांकन के लिए एक माहौल तैयार करेंगे।
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल- खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।और 3 से 9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्थानीय समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteइस उम्र वर्ग के बच्चों के हितधारकों से मातृ सम्मेलनों सभा अन्य शालेय उत्सवो में संपर्क किया जा सकता है जो बच्चों की अकादमिक उपलब्धियों के साथ-साथ अन्य पहलुओं पर भी चर्चा का एक अच्छा अवसर हो सकता हैजिससे संख्यात्मक एवं आधारभूत साक्षरता प्रशिक्षण मे प्राप्त दिशा निर्देश को कक्षा में लागू कर सके। संगीत का क्षेत्र, कला क्षेत्र, संख्यात्मकता बुनियादी साक्षरता, क्षेत्रों में उम्र के साथ विकास का आकलन पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी हो सके,छात्रों विभिन्न मनो वैज्ञानिक जानकारी को प्राप्त हो सके जिससे शिक्षक आगामी रणनीति बना सकते है अतः इस तरह के बाल मेले ,सभा, सम्मेलन बहुत सकारात्मक आयोजन सिद्ध होगे।
ReplyDelete
ReplyDeleteछात्रों का प्रथम हितधारक उसका परिवार होता है।हम उनके परिवार से संपर्क कर यह जानेंगे की परिवार के शिक्षित सदस्य किस प्रकार उनकी सहायता कर सकते हैं।इसी प्रकार हम परिवेश में भी ऐसे व्यक्तियों का पता लगाएंगे व निरंतर उनके संपर्क में रह कर छात्रों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल- खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।और 3 से 9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्थानीय समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है
माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं।
Delete
ReplyDeleteछात्रों का प्रथम हितधारक उसका परिवार होता है।हम उनके परिवार से संपर्क कर यह जानेंगे की परिवार के शिक्षित सदस्य किस प्रकार उनकी सहायता कर सकते हैं।इसी प्रकार हम परिवेश में भी ऐसे व्यक्तियों का पता लगाएंगे व निरंतर उनके संपर्क में रह कर छात्रों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल- खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।और 3 से 9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्थानीय समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है मोहन लाल कुर्मी p/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
PremchandGupta P. S. Guradiya mata 3स से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारकों के साथ बैठक करना शाला मे बाल मेला आयोजित करना उसमें बच्चों के पालकों को आमंत्रित करना तथा उनसे सतत् सम्पर्क बनाकर जोडा जा सकता है
ReplyDelete3 se 9 varsh tak ke a bacchon ki sikhane ki avashyakta hetu sambandh sthapit karne ke liye ham vibhinn hit dhaar kaun Jaise bacchon ke parivar samajik samdhan anganbadi vidyalay prabandhan ke samiti ke sadasyon ke sath jodkar Apne vidyalay ke natak karta ke roop mein Kar Kar Ke bacchon ke Vikas mein apni mahatvpurn unka nivas sakte hain
ReplyDeleteरत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के विद्यार्थियों की सीखने की आवश्यकता में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारक माता - पिता के साथ समय समय पर बैठक करना। विद्यार्थियों के लिए खेलकूद गतिविधि का आयोजन करना। गीत - कविता और कहानी का उपयोग। विद्यार्थियों को स्वयं शिक्षण सामग्री तैयार करने प्रेरित करना। बाल मेला और वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का आयोजन आदि।
मैं नूरूल कुरैशी,शा.आदर्श मा.वि., छतरपुर
ReplyDelete3-9 आयु वर्ग के बच्चों के प्रथम हितधारक उनके अभिभावक, भाई-बहन, और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होते हैं।हम इनसे संपर्क कर बच्चे को उसकी रूचि एवं आवश्यकतानुसार खेलकूद , चित्र द्वारा, कविता, कहानी सुनाकर , उनके शिक्षण को प्रभावी बनाने में सहयोग कर सकते हैं।
3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
ReplyDeleteजी.पी .सोलंकी प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला नया माना केसला जिला होशंगाबाद म.प्र.
तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए वि मै शिक्षित/ अशिक्षित हित धारक जो उस परिवेश में रहने वाले हों के साथ संपर्क करके बच्चों की आवश्यकताओं को पूर्ण करूंगा एवं बच्चों की सतत आवश्यकता का आकलन करके उनकी बुनियादी आवश्यकताओं को समुदाय के सहयोग से पूर्ण करने का प्रयास करूंगा एवं बच्चे विद्यालय में अपने विचार अनुभव व्यक्त कर सकें एवं सुगमता के साथ अपनी सीख को आगे बढ़ा सके ऐसे समस्त प्रयास शाला के माहौल तैयार करने में करूंगा
ReplyDeleteविपिन श्रीवास्तव
प्राथमिक शाला लाला टोला जबलपुर
3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं
ReplyDelete3 से 9 तक के बच्चो को सीखने के आयामों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम उनके परिवार और आंगनवाड़ी दोनों में तालमेल बनाना होगा ।बच्चा इं दोनों जगह से सीखना शुरू करता है।कक्षा में सीखने के लिए पूर्वज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है,और ये परिवार और आगनवाड़ी के ज्ञान पर बहुत हद तक निर्भर होता है
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
ReplyDelete3 se 9 varsh ke bacche Apne Mata Pita Aur ghar ke sadasyon ke sath sabse Jyada Samay batate Hain Badon ke sath Kahani sunna Khel aur kai gatividhiyan karte hue sikhate hain unke abhibhavak ok Sath Ham Sampark Karke bacchon ki bacchon ki rotiyon ke bare mein Jankari unke anusar gatividhiyan kara kar Aage Ki Aage Ki gatividhi banaa sakte hain
ReplyDelete3से 6वर्ष के बच्चों को सिखाने के लिए हमें समुदाय के सभी लोगों की मदद से अच्छी तरह से सहयोग मिलेगा और उन्हें सरलता से सिखाया जा सकता है।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने हेतु अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एवं आवश्यकतानुसार समुदाय की मदद लेंगे।
ReplyDeleteखेल आधारित गतिविधियों, एवं बच्चों की रूचि से जुड़ी गतिविधियों द्वारा सिखायेंगे। UTTAM DESHMUKH CHHINDWARA MP
Boys and girls must feel welcome in a safe and secure learning environment. Governments, schools, teachers and students all have a part to play in ensuring that schools are free of violence and discrimination and provide a gender-sensitive, good-quality education . To achieve this, governments can develop nondiscriminatory curricula, facilitate teacher education and make sure sanitation facilities are adequate. Schools are responsible for addressing school-related violence and providing comprehensive health education. Teachers should follow professional norms regarding appropriate disciplinary practices and provide unbiased instruction. And students must behave in a non-violent, inclusive way.
ReplyDelete3se 9 आयु वर्ग बच्चे के सीखने की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए हित घटक जैसे माता पिता आंगनवाड़ी सदस्य से सहयोग प्राप्त कर बच्चों का समझना निश्चित कर सकते हैं।
ReplyDelete3 से 9 वर्षों के बच्चों से हम सामजस्य स्थापित करने के लिए सबसे पहले हम उनका मूल्यांकन करेंगे बच्चे किस स्तर पर है उस स्तर के अनुसार उनसे हम अपना संबंध स्थापित करते हुए महत्वपूर्ण गतिविधियों को साझा करेंगे और इस प्रकार हम बच्चों से संवाद स्थापित करेंगे और उनके स्तर अनुसार उनके गतिविधियों के द्वारा हम उनसे संबंध स्थापित करते हुए अच्छे संबंध बनाएंगे और उनके अनुसार शिक्षा प्राप्त करेंगे उनके माता-पिता संपर्क करेंगे और उनकी स्थिति को पहचानते हुए हम उनसे सामजस्य स्थापित करेंगे
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
ReplyDeleteREPLY
3से 9वर्षके बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम उनके माता पिता ,भाई बहन,समाज,स्थानीय लोगो ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का सहयोग प्राप्त कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते है।
ReplyDeleteHam Mata Pita tatha use bacche ke Palak ko school mein Bulaya tatha Uske dwara ki Gai gatividhiyan ko unko bataen jisse unko bhi Pata Chale ki Hamara baccha kya Sikh raha hai kya Nahin
ReplyDeleteपरिवार के विभिन्न हितधारकों जैसे माता पिता पालक आस पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति से चर्चा करके ।विभिन्न आयोजन गतिविधि के माध्यम से सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा सर्वांगणीय विकास कर सकते हैं ।
ReplyDeleteBacchon ke Pratham hit dharak Mata pita hote hain AVN Parivar ke sadasya iske bad parivesh mein uplabdh sansadhan AVN anganbadi bacche ki tarah ko sakte hain
ReplyDeleteBacchon ke Pratham dharak unke Mata pita AVN Parivar ke sadasya vah vah parivesh mein uplabdh sansadhan anganbadi balvatika ke sakte hain
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
Pratham hitkarak bacche ke mata-pita, aas pas ka parivesh, bachhe ke saathi aur aanganwadi ke sahyog se aur vibhinn khel saamgriyon se bacche ka vikas krenge.
ReplyDeleteबच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सिखाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ ही आंगनवाड़ी परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।
ReplyDeleteविभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
Bacchon ke Mata Pita sabse Bade hit dharak hote hain Kyunki bacche unke Sath use parivesh Mein pahle Hote Hain Jiska Mata Pita ko Jankari hoti hai Ham unke Sath sambandh sthapit kar Unse 100000 pradan Karen Ge Mata Pita Se Sahyog Lenge Aur bacchon Ko sikhane mein sahayata milegi Iske alava Prashikshan dwara nai nai Aaya mobile Charcha kar ham Unse laugh Lenge AVN unke dwara bacchon ko Sahyog pradan kar unko sikhane mein madad pradan Karenge
ReplyDeleteबच्चे के माता पिता स्वयं प्रथम हितधारक होते है।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते है हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी मदद ले सकते है। साथ ही आंगनवाड़ी परिवार परिवेश से सहायता ले सकते है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चो की सीखने की
ReplyDeleteआवश्यकताऒ को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे-माता-पिता
समुदाय ,स्थानीय लोग , आगनवाडी कार्यकर्ता से सहयोग पाप्त करके ब्च्चो का भविष्य सुनिश्चित कर सकते ह्रैं
3 से 9 आयुवर्ग के बच्चों के महत्वपूर्ण एवं प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं । जो अपने बच्चों को भली-भांति समझते हैं। हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी सहायता ले सकते हैं। साथ ही उनके परिवार से जुडे उनके पडोसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । इस आयुवर्ग के बच्चों से प्रेम पूर्वक निकटता बढ़ाकर, उनकी अपनी भाषा/ बोली में संवाद कर सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा,सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
इस आयु समूह के स्वयं बच्चों से, उनके माता-पिता,दादा- दादी,भाई -बहिन , परिवार के किसी भी सदस्य से एवं उनके सहपाठियों से , आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि से बातचीत करके बच्चों की आवश्यकताओं से संबंध स्थापित किया जा सकता है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो नारायण सिंह राजपूत प्रधान अध्यापक शासकीय माध्यमिक शाला धनगौर विकासखंड तेंदूखेड़ा जिला दमोह
ReplyDeleteजैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
3 se 9 varsh ke bacchon ko gatividhiyon dwara bahu achchhe se sikha sakte hai ghar me palko dwara bhi gatividhiyon karana chahiye .
ReplyDeleteChhatron ke Pratham hi dharak unke Mata Pita vah Uske Parivar hota hai aata Ham Unse Sampark Banaye rakhkar Chatra ke Parthen Parthen Mein Unki sahayata Le sakte hain
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक उसके माता पिता होते हैं ,आंगनबाड़ी, पड़ौसियों समझदार पढ़े लिखे अभिभावक इनके माध्यम से सहायता ली जा सकती है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए हमें एक सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में बच्चों के माता पिता उनके परिवार परौस, उनकी स्थानीय भाषा, उनके परिवेश आंगनवाड़ी, भयमुक्त और रोचक वातावरण का निर्माण और अन्य रुचिकर साधनों के साथ उनके सीखने हेतु सामंजस्य स्थापित करना होगा।🙏
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चों को सिखाने के लिए पालकों, पड़ोसी की मदद से रोचक वातावरण तैयार किया जा सकता है
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहला हित धारक बच्चे के अभिभावक होते है और दूसरे हित धारक smc के सदस्य है इन को हम शामिल करेंगे
ReplyDelete3-9 varsh ke bacchon ko sikhane ke liye palko padosiyon ki madad se rochak vatavaran tyar kiya ja skta hai.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|। ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी म प्र
ReplyDeleteबच्चों के प्रथम हित धारक माता-पिता होते हैं। हम उन्हें सिखाने के लिए माता - पिता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सहयोग से कर सकते हैं।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हितधारकों से संपर्क स्थापित करके अपने विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में नये -नये आयामों के माध्यम से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक रूप से सुढृढ़ कर अपनी भूमिका निभा सकते है
ReplyDeleteछात्रों के पालको से संवाद स्तपीठ करके उन्हे सिक्षा की उपयोगिता से अवगत कराके |
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने की आवश्यकता पूर्ति करने के लिए हम विभिन्न माध्यमों से उनके लिए सामग्री का चयन करेंगे जैसे आंगनबाड़ी के सहयोग से उनके माता-पिता से चर्चाएं करके और विभिन्न प्रकार के TLM का खुद निर्माण करेंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु अनेक साधनों का चयन करते हुए प्रारंभिक स्थिति के बच्चों को पढ़ाने की संपूर्ण कोशिश करेंगे
ReplyDeleteजैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है
Varsh ke bacchon ko sikhane ke liye vibhinn Nahin Jaise sarvpratham bacchon ke Mata Pita Samaj anganbadi karykarta Aadi Se Milkar Ham bacchon ke sarvangin Vikas aur Unki padhaai ke mahatva per Charcha kar sakte hain
ReplyDeleteJyoti Malviya
ReplyDeleteG.M.S.Mahawar Nagar Indore
बच्चों के सबसे अच्छे हितधारक उसके माता- पिता होते हैं।इसलिये हमें उनसे मिलकर बच्चों की पढ़ाई के बारे में चर्चा करते रहना चाहिए।
तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के सामंजस्य स्थापित करने करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे- बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों, समुदाय के लोगों, आङ्गनवाडी कार्य कर्ता आदि के साथ बच्चों की आवश्यकताओं को साझा करते हुए उनसे सहयोगात्मक रुप से जुड़ सकते हैं और बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार बच्चों के सीखने के स्तर एवं आयु अनुरुप पाठ्य सामग्री का निर्माण कर, रोचक गतिविधियों द्वारा खेल-खेल में बच्चों का शिक्षण सुनिश्चित कर सकते हैं ।
ReplyDeleteकक्षा 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए घर के वातावरण के साथ-साथ विद्यालय वातावरण भी आवश्यक है क्योंकि घर में अगर वातावरण पढ़ाई लिखाई का नहीं होगा तो बच्चे सीखने में आगे नहीं बढ़ सकते इस कारण माता पिता को उन्हें पढ़ाना बहुत आवश्यक है
ReplyDeleteजैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है| अशोक कुमार कुशवाह सहायक शिक्षक नवीन प्रा थमिक विद्यालय भील फलिया बडा उण्डवा
हम बच्चों के हितधारकों से हम बच्चों के बारे में चर्चा करके हम बच्चों के साक्षरता ओर सख्या ग्यान का आकलन किया जा सकता है।इससे बच्चे सीखते है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवशकता को पूरा करने के लिए हम अनेक माता पिता , समूहों सथानिय लोग आगनवाडी, कायकर्ताऔ से सहयोग लेकर उनकों सीखना सुनिश्चित कर
ReplyDelete3-9 के बच्चों को सीखने के सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम उनके परिवार और ऑंगनवाड़ी दोनों में ताल मेल बनाना होगा
ReplyDeleteविभिन्न हितधारकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे
3 से 9 वर्ष के बच्चों का संख्या ज्ञान की वृद्धि हेतु हित कारक ,माता-पिता ,
ReplyDeleteसमाज एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से मिलकर सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।
राममिलन अहिरवार GMS महराजपुर
स्थानीय स्तर पर उनके समय अनुसार बैठकें रखकर ,वयक्तिगत संपर्क करके और आनलाईन बैठक व संपर्क कर Fln मिशन के बारे में चर्चा करेंगे व उनके सहयोग की मांग करेंगे।
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बच्चों के विभिन्न हित धारक जैसे माता-पिता, भाई-बहन,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों के सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम उनके माता पिता , समुदाय, स्थानीय लोगो की मदद वा आंगनबाड़ी के कार्यकर्ताओं से सहयोग प्राप्त कर उनका सीखना सुनिश्चित किया जा सकता है,
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे बच्चों के माता-पिता, समुदाय के लोगों, स्थानीय लोगों ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है| इस प्रकार उपरोक्त समस्त लोगों से सहयोग ले सकते हैं
ReplyDeleteप्रतीश नीखरा सीएसी जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिछोर जिला शिवपुरी
First teacher is mother. So he is first teacher for him/her. We can take help her for teaching mathematics to our students and make clear concepts.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे बच्चों के माता-पिता, समुदाय के लोगों, स्थानीय लोगों ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है| इस प्रकार उपरोक्त समस्त लोगों से सहयोग ले सकते
ReplyDeleteहम बच्चों के माता-पिता से सहायता ले सकते हैं ।
ReplyDeleteछोटे बच्चों को उनकी अपनी समझ के अनुरुप शिक्षा से जोड़ने समुदाय की भागीदारी विशेष रूप से परिजनों की भागीदारी महत्वपूर्ण है. नेतृत्व कर्ता को शिक्षको साथ योजना बनाकर कार्य करना होगा
ReplyDelete3 se 9 varsh ke bacchon ki ki sikhane ki ki avashyakta Aur Ko pura karne ke liye Ye Hum vibhinn hit Bharat ko Jaise Mata Pita samuday sthaniya log anganbadi karykarta se Sahyog prapt Karke Unka sikhana sunishchit kar sakte hain
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।सीखने-सिखाने की आवश्यकता को पूरा करने हम विभिन्न हितधारकों से जुड़ने के लिए उनमें जागरूकता लानी होगी, इसके अलावा जरूरत पढ़ने पर उनके उन्मुखीकरण की योजना बनाकर, सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके भाई बहनों को भी शामिल करते हुए साम॔जस्य बनाने का प्रयास करेंगे।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।जो बच्चों मे सिखने कि पृवत्ति पैदा करती है।
Deleteहम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
ReplyDelete3 se 9warsh ke bachho ke pratham hitdharak isake mata pita hote h
ReplyDelete3 se 9 bars ke bachcho ki seekhane ki aavsyaktao ko poora karne ke liye ham bibhbhin hit dharako jaise mata pita,samuday,sthaniy log, aaganvadi karykarta,se sahyog prapt karke unaka seekhana sunischit kar sakte h.
ReplyDelete3से9वर्ष आयु के बच्चे बहुत ही छोटे होते हैं।
ReplyDeleteबिना हितधारकों के वे असहाय है। इसलिए सभी हितधारकों को मिलकर बच्चों के विकास के लिए कार्य करना चाहिए।
बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री (TLM) निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है। साथ ही बच्चों से आत्मीय संबंध स्थापित किया जाना चाहिए।
3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है |
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं। चंपकलता धुर्वे प्राथमिक शिक्षिका प्राथमिक शाला भर्रा टोला छांटा
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए उनके माता पिता से सहायता आवश्यक होगी। साथ ही आंगनवाड़ी भी इस कार्य मे अधिक प्रभावी होंगी।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे-माता-पिता, भाई-बहन, समाज स्थानीय लोग व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों की आवश्यकताओ के अनुसार सीखने की सामग्री निर्मित कर मनोरंजक तरीको से शिक्षण कार्य किया जा सकता है।तीन से नव वर्ष की अवस्था के बच्चों के लिए खेल गतिविधियों के द्वारा अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी शिक्षण किया जा सकता हैं।
3 वर्ष से 9 वर्ष तक के बच्चों के हित धारक माता-पिता स्वयं होते हैं इसके अलावा समुदाय के लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पीटीए अध्यक्ष सचिव शिक्षक आदि होते हैं इन सभी का नेतृत्व कर्ता के रूप में अहम सहयोग होता है यह सभी मिलकर विद्यालय के क्रियाकलापों पर ख्याल रखते हैं इस तरह विद्यालय नेतृत्व करता के रूप में सभी शिक्षक सभी अभिभावक पीटीए अध्यक्ष सचिव आदमी लकार कार्य करते हैं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सहयोग करते हैं इस प्रकार विद्यालय नेतृत्वकर्ता की भूमिका है कि सभी को मोटिवेट करें और सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करे।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला-डोडटोला खैरा
विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश पिन कोड 486123
मोबाइल नंबर 871 8097722
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के नेतृत्व कर्ता के रूप में शिक्षक माता पिता पीटीए सचिव अध्यक्ष आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और समुदाय के लोग मिलकर सहभागिता करें और विभिन्न प्रकार के प्रयास करें जैसे सर्वांगीण विकास के लिए सहयोग करें तभी छात्रों का हित हो सकता है और उज्जवल भविष्य के लिए सामाजिक विकास सर्वांगीण विकास सभी प्रकार के विकास हो सकते हैं।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला डोंट टोला खैरा विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश।
छोटे बच्चों का सबसे ज्यादा समय उनके माता पिता के साथ ब्यतीत होता है, अतः बच्चों के सीखने की आवश्यकता के साथ सामन्जस्य स्थापित करने के लिए, विद्यालय में होने वाली सीखने की गतिविधियों में बच्चों के परिजनों को शामिल किया जाना चाहिए और उन्हें यह समझाइश दी जानी चाहिए कि इसी तरह आप लोग भी गतिविधियाँ कर बच्चों को सीखने में मदद कर सकते हैं,
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए बच्चों के साथ उनके माता-पिता जो बच्चों के अधिक निकट होते है उनको बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के अनुरूप जोड़कर हम बच्चों के विकास में मदद करने में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं।
ReplyDelete3से9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने उनको बुनियादी साक्षरता तथा संख्यात्मक ज्ञान कौशलों मेंं निपुण बनाने के लिए उनके लिए जो आवश्यकता हैं उनमें नेतृत्व कर्ता, साथी शिक्षक सबसे पहले बच्चों के घर परिवार व परिवेश की भाषा ,भौगोलिक स्थिति, को जानेंगे फिर पालक, समुदाय में शिक्षा की जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे फिर पालक समुदाय की सहभागिता व सक्रियता सुनिश्चित करेंगे।बच्चों की घर की भाषा का पूरा प्रयोग ,बच्चों की पूर्ण सहभागिता स्वयं करके सीखने की क्षमता का विकास करेंगे। इस प्रकार एक कुशल नेतृत्व कर्ता 3से9 वर्ष के बच्चों को सिखाने का प्रयास करेंगे।और हितकारकों के साथ जुड़ पायेंगे।रामगोपाल शर्मा ,प्राथमिक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकास खंड गैरतगंज, जिला रायसेन ।
ReplyDelete3से9वर्ष आयु के बच्चों को सीखने के लिए नेतृत्व कर्ता के रूप में हमे उनके परिवेश उनकी भाषा को समझ कर उनके हितधारकों के साथ संपर्क कर बच्चों को सीखने की सरल और आनंददायी रणनीति बनाकर उनको सिखाने के लिए प्रेरित करना और समय समय पर मॉनिटरिंग करना।
ReplyDelete3से6वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता औऱ संख्या मिशन को सफल बनाने के लिए अभिभावक शिक्षक ,समुदाय को सभी को मिलकार ही बच्चों का विकास सुनिश्चित है ।
ReplyDeleteखुला आकाश की तरह इसी तरह की तरीका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है सर्वांगीण विकास के लिए ।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सिखने की आवश्यकता में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम बच्चों के माता-पिता , भाई -बहन , परिवार के अन्य सदस्य, स्थानीय परिवेश के लोगों,आंगनवाड़ी केन्द्र हितधारकों की सहायता लेंगे |साथ ही विभिन्न गतिविधियों ,खेल-खेल में सिखाना ,शिक्षण सामग्री ,रचनात्मक कार्य करवाकर बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित किया जा सकता हैं |
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम उनके अभिभावक के साथ चर्चा करेंगे बच्चों की मनोदशा समझेंगे तथा आंगनवाड़ी के माध्यम से भी बच्चों के मनोभाव को समझ कर उनके साथ मित्रवत व्यवहार कर खेल खेल में हम बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करेंगे।
ReplyDeleteशैलेंद्र सक्सेना, प्राथमिक शिक्षक
कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश
3 से 9 आयुवर्ग के बच्चों के महत्वपूर्ण एवं प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं । जो अपने बच्चों को भली-भांति समझते हैं। हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी सहायता ले सकते हैं। साथ ही उनके परिवार से जुडे उनके पडोसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । इस आयुवर्ग के बच्चों से प्रेम पूर्वक निकटता बढ़ाकर, उनकी अपनी भाषा/ बोली में संवाद कर सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों की प्रथम हित कारक उनके माता-पिता को बच्चे को पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में भेजने के लिए प्रेरित करेंगे और उन्हें प्रोत्साहित करेंगे वह अपनी बच्ची पर विशेष रूप से ध्यान दें और उन्हें पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करें ताकि वह आवश्यक संख्या ज्ञान एवं साक्षरता की ओर अग्रसर हो सके
ReplyDeleteM
Deleteइस आयु वर्ग के बच्चे छोटे होते हैं, और वे अपने परिवार के ज्यादा करीब होते हैं अतः हम उन बच्चों के साथ साथ उनके परिवाजनों से संपर्क करेंगे और पता लगाएंगे की वे हमारी सहायता केसे कर सकते हैं और साथ साथ हम उन पर अपना विश्वास दिलाएंगे की हम उनके बच्चो को अच्छी शिक्षा देगे, जिसमें वे हमारी सहायता करेंगे जिससे हमारा कार्य जल्दी और सरलता से पूर्ण होगा
3 से 9 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों के लिए सबसे प्रथम उनके माता पिता ही हितधारक होते हैं। फिर परिवार पड़ोसी एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता इन सभी के सहयोग से हम बच्चों को उनकी भाषा के अनुरूप उनको खेल खेल के माध्यम बच्चों को सिखाया जाता है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने सिखाने के लिए माता-पिता तो सर्वोपरि तो है ही लेकिन मेरे विचार में बच्चों का खुलना आवश्यक है तो इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास शीध्र होगा उनकी झिझक टूटना परम आवश्यक है , झिझक ही उनके विकास की सबसे बड़ी अड़चन है ।
ReplyDeleteBacchon ko Ham acche Prakar Se dada unke Mata Pita ko Vishwas Mein Lekar Ham kar sakte hain
ReplyDelete3-9आयु वर्ग के बच्चों को सीखने-सिखाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके माता-पिता तो सर्वोपरि होते हैं, साथ ही भाई-बहन, परिवार जन,पडौसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन सभी के सहयोग से हम बच्चों को उनकी भाषा के अनुरूप खेल-खेल के माध्यम से सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDelete3-5 वर्ष के बच्चो की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उनके माता पिता ,स्थानीय लोगो, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग लेंगे । शिक्षण सामग्री का निर्माण करके तथा खेल खेल में विभिन्न गतिविधि द्वारा सिखाया जा सकता है।
ReplyDelete3से9 वर्ष की आयु के बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे बच्चों के माता-पिता, समुदाय, आँगनवाड़ी कार्य कर्त्ता का सहयोग एवं बच्चों को खेल के माध्यम से गतिविधियों करवा कर जैसे कक्षा मानीटर, खेल मे टीम कैप्टन बना कर नेतृत्व करने की क्षमता का विकास किया जा सकता है।। यादवेंद्र सिंह सहायक शिक्षक। शास. माध्यमिक विद्यालय कोठरा। संकुल डगडीहा। विकास खंड सोहावल। जिला सतना(म.प्र.)
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)--3से9वर्ष की आयु के बच्चों के सीखने के हेतु परिवेशीय घटक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करतेहैं ।माता-पिता, भाई-बहन, मित्र मंडली, खेल खिलौने, आदि से जोड़ कर इनके सीखने की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है ।सतत सम्पर्क, मेलजोल, खेल के अवसर देकर,कहानीसुनाकरउनकी बात को महत्व देकर उनसे जुडसकतेहै।
ReplyDeleteतीन से नो वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।अत: हमे इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था बनाने का प्रयास करना चाहिए जिससे बुनियादी शिक्षा मजबूत हो जो बच्चे को अजीवन उपयोग मैं आए।
ReplyDeleteधन्यवाद!
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शा.एकीकृत मा.वि. अमरोद
विकास खंड बमोरी, जिला गुना, म.प्र.
3-9varsh ke baçcho ko sikhane ke liya bibhinn hit dharko se sampark kar padhane kee samgri ka nirman karke unko sikshan karya karaya ja sakta hai.
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चो की सीखने की आवश्यकता ओ हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नेतृत्व कर्ता के रूप में कार्य करके बच्चो को नये नये आयामों के माध्यम से, बच्चो को मानसिक एवम् शारीरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं
ReplyDelete3से9 वर्ष के बच्चो की सीखने की आवश्यकता विभिन्न धारको जैसे माता पिता भाई बहिन समाज स्थानीय लोग आंगनव्डी कार्यकर्ता शिक्षक ह्रा उन्हे खेल खेल में गतिविधि की आवश्यकता होती हैं।
ReplyDelete3 वर्ष की आयु तक बच्चा विद्यालयीन वातावरण से पूर्ण रूप से अंजान होता है। अतः वह पहली बार अलग वातावरण से जुड़ता है। अतः हमें बच्चे के पालकों को जोड़ते हुए बच्चे को आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए जिससे बच्चे भयमुक्त वातावरण का अनुभव करके सीख सकें।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सिखाने के लिए माता-पिता का सहयोग अत्यंत आवश्यक है क्योंकि सर्वप्रथम बच्चा अपने माता पिता और परिवार के सदस्यों के माध्यम से ही सीखता है इसके अतिरिक्त विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर हम अपने विद्यालय को सुचारू रूप से चला सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सि खाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ हीआगन्वाडि परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।।।।
ReplyDeleteBache k phle phle hitdharak unke mata pita hote h hm sbse phle unko hi samil karenge .jisse ki bache se judi adhikansh jankari hmko uske mata pita se prapt ho skti h.iske bad aanganbadi kendra or pariwar or aas pas k logo ko v isme shamil kr skte h.
ReplyDeleteमैं शबाना आज़मी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर (म.प्र)
ReplyDelete3से9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने उनको बुनियादी साक्षरता तथा संख्यात्मक ज्ञान कौशलों मेंं निपुण बनाने के लिए उनके लिए जो आवश्यकता हैं उनमें नेतृत्व कर्ता, साथी शिक्षक सबसे पहले बच्चों के घर परिवार व परिवेश की भाषा ,भौगोलिक स्थिति, को जानेंगे फिर पालक, समुदाय में शिक्षा की जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे फिर पालक समुदाय की सहभागिता व सक्रियता सुनिश्चित करेंगे।बच्चों की घर की भाषा का पूरा प्रयोग ,बच्चों की पूर्ण सहभागिता स्वयं करके सीखने की क्षमता का विकास करेंगे। इस प्रकार एक कुशल नेतृत्व कर्ता 3से9 वर्ष के बच्चों को सिखाने का प्रयास करेंगे।और हितकारकों के साथ जुड़ पायेंगे।
बच्चों के पलको से सम्पर्क कर उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ
ReplyDeleteबच्चों के प्रथम हितधारक उनके माता-पिता होते है, उनसे संपर्क कर, बच्चे की रुचि-अरुचि जानेंगे और उसके हिसाब से रणनीति तैयार करेंगे ।
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं
ReplyDeleteअर्चना राऊत
शास.मा.शाला-नंदोरा
विकासखण्ड-अमरवाड़ा
संकुल-सिगोड़ी
ज.शि.के.-लछुआ
Chhatro ke pratham hitdhark uske mata pita v uska parivar.hota hai ath unse sampark banaye rakhana chhatdo ke pathan patan me unki sanaya lena chahie.
ReplyDelete3se 9 years ke Bacchon ko bunyaadi saaksharta v sankhya ki samjh visiksit karne ke liye samuday v Mata pita ki sahabhagita v unki samjh badana bhi most important honi cchayen .
ReplyDeleteTeen se Nav varsh aayu ke varg ke bacchon ko ko sikhane ke liye sarvpratham Ek netrutva Karta ke roop Mein Ham unke a abhibhav kaun se a Mata Pita samuday vah anganbadi karykarta se a sambandh sthapit Karenge aur aur bacche ki khubiyan vah ka Bhari kis adhyayan Karenge aur aur bacche ko sikhane Mein madad Karenge
ReplyDeleteनेत्रत्व कर्ता के रुप में हम बच्चों के माता पिता, बड़े भाई बहन से जुड़े बच्चों के आस पास के परिवेश के माध्यम से सीखने सिखाने के आयमो को बच्चों से जोड़ेगे।
ReplyDeleteहम बच्चों के माता पिता भाई बहन शिक्षित साथी मेन्टर व आगनवाडी कार्य कर्ता के सहयोग से बच्चों को सिखाने की योजना मे कार्य कर सकते हैं
ReplyDelete3 से 9 आयुवर्ग के बच्चों के महत्वपूर्ण एवं प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं । जो अपने बच्चों को भली-भांति समझते हैं। हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी सहायता ले सकते हैं। साथ ही उनके परिवार से जुडे उनके पडोसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । इस आयुवर्ग के बच्चों से प्रेम पूर्वक व्यवहार से, उनकी अपनी भाषा/ बोली में संवाद कर सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है साथ ही साथ इस तरीके से अगर हम बच्चों के साथ किसी प्रकार का आपसी सामंजस और उनके साथ हम उनकी सप्ताहिक गतिविधियों के बारे में या उनके बारे में कोई परेशानी दिक्कत हो या फिरइ पर भी उनसे बातक सकते हैं कि हमें किस तरह से होने शिक्षा से जोड़ना है और हमें उनसे जुड़ना है इसमें हमारे हित धारक होते हैं आंगनवाड़ी जो की शुरुआत से ही बच्चों के साथ होती है उसके सामाजिक परिवेश उसके पारिवारिक वातावरण यह सभी और उन अभिभावकों के साथ मिलकर हम बहुत कुछ अच्छा और नया कर सकते हैं और हम बच्चे को हर तरीके से उसको शिक्षा और विभिन्न कौशलों का विकास भी उसके अंदर कर सकते हैं तभी तो हमारा लक्ष्य पूर्ण होगा और इसमें हमारी सहयोगी हो रहे हैं FLN के द्वारा भी हम बहुत सारी ऐसी चीजें जान पाए या ऐसी चीजें कर पाए जो वास्तव में हम कहीं करते थे और उसे हम भूल गए थे उसे अपडेट कर पा रहे हैं और हम अच्छे से अपने विद्यालय में अपने परिवेश में अपने बच्चे के साथ और अपनी स्कूल की छात्रा के साथ अच्छा व्यवहार कर उसके साथ गतिविधियों के आधार पर बहुत सारी चीजें उन्हें सिखा पा रहे हैं दे पा रहे और सबसे अच्छी बात क्या है कि हम उन्हें रोल प्ले नाटक कविता या कहानी जब इस तरीके से कोई एक किरदार होने देते हैं तो उसमें वह किस तरीके से नेतृत्व करेगा यह किस तरीके से उस पर जिम्मेवारी लेगा इस पर भी उसकी एक सोच व समझ ना पाए और वे समझ पा रहे हैं कि किस तरीके से हम कार्य कर सकते हैं धन्यवाद मैं🙏
ReplyDeleteवैदेही त्रिपाठी (प्राथमिक शिक्षक)
शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा-टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
यह अलग-अलग तरह से व्यवहार करेगा। सीखने के लिए सीखने के लिए खेलना शुरू करना।
ReplyDelete3 से 9 के प्रकार की जानकारी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हम अलग-अलग प्रकार के मामले जैसे -अभिभावकों, अन्य, आंगनवारा से सहायता प्राप्त कर सकते हैं और शुरुआत कर सकते हैं। निर्माण की सामग्री का निर्माण किया जा सकता है| उम्र के लिए खेलने के लिए इस खेल की आवश्यकता
तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।
ReplyDeleteइसके संबंध में मेरा विचार है कि 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं। बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारकों से जीवंत संपर्क स्थापित करके बच्चों के विकास में उन्हें सहभागी बनाएंगे। बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
Netratavkarta ke Roop me ham bachho ke Mata pita se samprk karke Kara Young Bana sake hai
ReplyDeleteबच्चों के प्रथम हितग्राही माता पिता बड़े भाई बहन होते हैं हम उनकी सहायता बच्चों की बुनियादी साक्षरता हेतु सहायता ले सकते हैं साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भी सहयोग ले सकते हैं श्रीमती विमलेश शर्मा प्राथमिक शाला बालक खरी फाटक विदिशा
ReplyDeleteबच्चों को सामाजिक सहयोग अतिआवश्यक है।
ReplyDeleteSanjeev Kumar Tiwari
ReplyDeleteबच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं
हम बच्चों के हितधारकों से हम बच्चों के बारे में चर्चा करके हम बच्चों के साक्षरता ओर सख्या ग्यान का आकलन किया जा सकता है|बच्चों के पलको से सम्पर्क कर उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ|
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