कोर्स 10 गतिविधि 2: अपने विचार साझा करें

 

तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।   

Comments

  1. Replies
    1. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं
      अर्चना राऊत
      शास.मा.शाला-नंदोरा
      विकासखण्ड-अमरवाड़ा
      संकुल-सिगोड़ी
      ज.शि.के.-लछुआ

      Delete
    2. बच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सि खाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ हीआगन्वाडि परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।

      Delete
    3. This comment has been removed by the author.

      Delete
    4. हम बच्चों के हितधारकों से हम बच्चों के बारे में चर्चा करके हम बच्चों के साक्षरता ओर सख्या ग्यान का आकलन किया जा सकता है

      Delete
    5. नेत्रत्व कर्ता के रुप में हम बच्चों के माता पिता, बड़े भाई बहन से जुड़े बच्चों के आस पास के परिवेश के माध्यम से सीखने सिखाने के आयमो को बच्चों से जोड़ेगे।
      गायत्री भवसार
      P s झूठीयाहेडी

      Delete
  2. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

      Delete
  3. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
    रघुवीर गुप्ता (प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम ,विकासखंड -विजयपुर ,जिला -श्योपुर(मध्य प्रदेश)

    ReplyDelete
  4. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    REPLY

    Post a Comment

    ReplyDelete
    Replies
    1. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सिखाने के लियेहं विभीन्नहित धारको जेसे माता पिता , अगन्वडी एवं परिवेश से सहयोग प्राप्त करके पढ्ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण किया जा सकता हैं।

      Delete
  5. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।

    ReplyDelete
  6. ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नांदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खंडवा
    तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारकों से जीवंत संपर्क स्थापित करके बच्चों के विकास में उन्हें सहभागी बनाएंगे

    ReplyDelete
    Replies
    1. Three se nine years ke bachche ko unaki boudhik kshamata ke anusar hi padhaya Jana chahiye.unake mata pita ka awashya hi sahyog Lena chahiye.

      Delete
  7. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।जो बच्चों मे सिखने कि पृवत्ति पैदा करती है।

    ReplyDelete
  8. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    ReplyDelete
  9. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस आयु वर्ग के बच्चों से निकटता बढ़ाकर, उनकी अपनी भाषा/बोली मे संवाद करना चाहिए ताकि शिक्षक और बच्चे के मध्य दूरी महसूस न हो।

    ReplyDelete
  10. मैं रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूं3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है

    ReplyDelete
  11. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |

    ReplyDelete
    Replies
    1. 3 से 9 वर्श्के बच्चोंको सीखनेकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये हम वीभिन्ंंंहीत धारको जेसे माता -पिता ,समुदाय स्थानिय लोग आगन्वदी कार्यकर्ताओं से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्च्त कर सकते हैं ।

      Delete
  12. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवशकता को पूरा करने के लिए हम अनेक माता पिता , समूहों सथानिय लोग आगनवाडी, कायकर्ताऔ से सहयोग लेकर उनकों सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. 3 से 9 वर्षके बच्चो को सीखने की अवश्यक्ता को पूरा करने के लिये हम अनेक माता पिता , स्थानिय लोग आगंनवदी कार्यकर्ता से सहयोग लेकर उनका सिखना सुनिशीचत कर सकते हें ।

      Delete
  13. 3-9आयु वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिऐ हम विभिन्न हितधारकों जैसे माता -पिता ,समुदाय,स्थानीय लोग,आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनके सीखना सुनिश्चित कर सकते है ।बच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  14. इन 3 से 9 वर्ष आयु समूह के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं और क्षमताओं हेतु सामंजस्य व समन्वय स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक शिक्षक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारीरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका का बेहतर प्रदर्शन कर अपने मूल लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |

      Delete
  15. बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।

    ReplyDelete
  16. 3से9 वर्ष के बच्चों को उनकी अवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री के साथ उच्च मनोबल तैयार करके सहयोगी गतिविधियों के साथ स्थानीय स्तर पर पर्यावरण अनुसार गुणवत्ता युक्त शिक्षा देकर ,पालको की सहभागिता के साथ बच्चों का अध्ययन कराके ,अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते है ।

    ReplyDelete
  17. जैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
    3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    ✍🏿✍🏿✍🏿✍🏿
    🙏🙏🙏🙏
    सुनीत कुमार पाण्डेय
    ज़िला- कटनी (मप्र)

    ReplyDelete
  18. 3 se 9bars ke bachho ko seekhne ke liye hum aaganbadi karyakarta se madad le sakte hai T.L. M. ka sahyog se bhi hum sikha sakte hai

    ReplyDelete
  19. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता समुदाय स्थानीय लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है

    ReplyDelete
  20. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यक ताओ को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों जैसे माता - पिता , समुदाय, स्थानीय लोग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । बच्चों की आवश्यक ताओ के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है । इस उम्र के लिए खेल- खेल मे गतिविधियों की आवश्यक ता होती है ।

    ReplyDelete
  21. PM
    3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं

    ReplyDelete
  22. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चो की सीखने की आवश्यकता ओ हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नेतृत्व कर्ता के रूप में कार्य करके बच्चो को नये नये आयामों के माध्यम से, बच्चो को मानसिक एवम् शारीरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
    N.K.AHIRWAR

    ReplyDelete
  23. बच्चों के प्रथम हित धारक उनके माता-पिता होते हैं एवं 3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने हेतु उनकी स्थानीय भाषा के अनुसार पठन सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण कार स्थापित करके बच्चों के विकास में सहभागी बनेंगे

    ReplyDelete
  24. सबसे पहले अभिभावकों मोटिवेट करना पढ़ाई के महत्व पर पढ़ाई की आवश्यकता पर और बच्चे के सर्वांगीण विकास पर उनसे डिस्कशन करना एवं उन्हें पढ़ाई के महत्व को समझाते हुए सहयोगात्मक रवैया बनाने हेतु प्रेरित करना

    ReplyDelete
  25. विनोद कुमार द्विवेदी p/s पिप्रहिया जिला सीधी, बच्चे के विकास के लिए उसके साथ बात करना तथा उसे सभी विषय से अवगत कराना, पढ़ाई के महत्व को समझना जरूरी है|

    ReplyDelete
  26. 3से9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों जैसे बच्चों के बच्चों के माता पिता परिवार के सदस्यों से संपर्क स्थापित करेंगे एवं बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो जो बच्चे को अजीवन उपयोग मैं आए।

    ReplyDelete
  27. सीखने-सिखाने की आवश्यकता को पूरा करने हम विभिन्न हितधारकों से जुड़ने के लिए उनमें जागरूकता लानी होगी, इसके अलावा जरूरत पढ़ने पर उनके उन्मुखीकरण की योजना बनाकर, सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके भाई बहनों को भी शामिल करते हुए साम॔जस्य बनाने का प्रयास करूंगा।
    मनीष कुमार सोनी
    जिला-कटनी

    ReplyDelete
  28. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।सीखने-सिखाने की आवश्यकता को पूरा करने हम विभिन्न हितधारकों से जुड़ने के लिए उनमें जागरूकता लानी होगी, इसके अलावा जरूरत पढ़ने पर उनके उन्मुखीकरण की योजना बनाकर, सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके भाई बहनों को भी शामिल करते हुए साम॔जस्य बनाने का प्रयास करूंगा।

    ReplyDelete
  29. छात्रों का प्रथम हितधारक उसका परिवार होता है।हम उनके परिवार से संपर्क कर यह जानेंगे की परिवार के शिक्षित सदस्य किस प्रकार उनकी सहायता कर सकते हैं।इसी प्रकार हम परिवेश में भी ऐसे व्यक्तियों का पता लगाएंगे व निरंतर उनके संपर्क में रह कर छात्रों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

    ReplyDelete
  30. 3-9आयु वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिऐ हम विभिन्न हितधारकों जैसे माता -पिता ,समुदाय,स्थानीय लोग,आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनके सीखना सुनिश्चित कर सकते है ।बच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
    Naresh Sahu Prathmik Shikshak
    P/S Rajpalchowk pipariya lalu
    District -Chhindwara
    Block-chhindwara
    Dise code -23430109204

    ReplyDelete
  31. 3 se 9 varsh ke bacchon ka ka sikhane ki avashyaktayon ko pura karne ke liye ham unke abhibhavakon Mata Pita samuhon sthaniya star per vibhinn vyaktiyon anganbadi karyakartaon se Sahyog Lekar Unka sikhana sunishchit Karte Hain.

    ReplyDelete
  32. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है

    ReplyDelete
  33. Insano aayu varg ke bacchon ke avashyakta anusar sikhane hetu vibhinn hit kar ko Jaise Mata pita samuday anganbadi karykartaon se Sahyog lekar unke sikhane mein Vikas Kiya ja sakta hai

    ReplyDelete
  34. इस आयु वर्ग के बच्चे छोटे होते हैं, और वे अपने परिवार के ज्यादा करीब होते हैं अतः हम उन बच्चों के साथ साथ उनके परिवाजनों से संपर्क करेंगे और पता लगाएंगे की वे हमारी सहायता केसे कर सकते हैं और साथ साथ हम उन पर अपना विश्वास दिलाएंगे की हम उनके बच्चो को अच्छी शिक्षा देगे, जिसमें वे हमारी सहायता करेंगे जिससे हमारा कार्य जल्दी और सरलता से पूर्ण होगा

    ReplyDelete
  35. हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो ।

    ReplyDelete
  36. छात्रों के प्रथम हितधारक उसके माता पिता व उसका परिवार होता है, अतः हम उनसे संपर्क बनाये रखकर छात्र के पठन पाठन में उनकी सहायता ले सकते है ।

    ReplyDelete
  37. 3-9 saal ke baccho ko sikhane ke liye hamen unke Parivar walon se a savan jaaye se sthapit karna chahie AVN anganbadi e ki sahayata Lena chahie ine sab mein main sambandhit se banate hue daks karn chahiye

    ReplyDelete
  38. तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।

    ReplyDelete
  39. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हितधर को साथ जुड़ सकते हैं

    ReplyDelete
  40. 3 se 9 varsh ke bacchon ko sikhane ke liye hamen unke Mata pita AVN sthaniya samuday anganbadi mentor Mitra AVN unke Bhai bahan ka Sahyog lekar unko behtar dhang se a sikha ja sakta hai tatha Kai prakar ke Khel khela kar bhi anman sikhane ki aur prerit Kiya ja sakta hai

    ReplyDelete
  41. बच्चे के प्रथम शिक्षक उसके माता-पिता होते हैं हम समाज बालक के आसपास के परिवेश आंगनबाड़ी आदि से मिलकर उनकी सहायता से उनको विकास की अपनी कार्य योजना में शामिल कर आगे बढ़ सकते है

    ReplyDelete
  42. Hme buccho ko sikhne ke lie school ke saath maa baap, Aangnwari aadi ka sahyog lena chahiye. Or usi ki bhasa me usko sikcha Deni chiye.

    ReplyDelete
  43. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है

    ReplyDelete
  44. श्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान। कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता हो तो पूरा करने के लिए हमें विभिन्न हित धार को (जैसी बच्चे की प्रथम हित धारक माता पिता ) समुदाय स्थानीय लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मुंह से सहयोग प्राप्त करके सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं इसके अलावा बच्चों की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।।

    ReplyDelete
  45. तीन से नौ वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए माता पिता का सहयोग अत्यंत आवश्यक है क्योंकि सर्वप्रथम बच्चा अपने माता-पिता के माध्यम से सीखता है इसके अतिरिक्त विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय को अधिक सुचारू रूप से चला सकते हैं

    ReplyDelete
  46. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिये माता-पिता - भाई-बहन समाज आंगनवाडी कार्यकर्ता के सहयोग से उनका सीखना सुनिस्चित कर सकते है

    ReplyDelete
  47. तीन से नौ वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए माता पिता का सहयोग की अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि सर्वप्रथम बच्चा अपने माता-पिता के माध्यम से सीखता है। विभिन्न तरीकों के साथ भी जुड़कर अपने विद्यालय को अधिक सुचारू रूप से चला सकते हैं

    ReplyDelete
  48. 3से 9वर्ष के बच्चों की सीखनेँ की जरूरतों को पूरा करने के लिये हम उनके हितधारकों जैसे बच्चों के माता- पिता आगनबाडी कार्य कर्ता समुदाय के लोगों से मिलकर

    ReplyDelete
  49. बच्चोंके माता पिता एवं समुदाय के लोगों का सहयोग प्राप्त करके 3से9 वर्ष के बच्चों का सीखना सुनीस्चित किया जा सकता है ।

    ReplyDelete
  50. February 7, 2022 at 12:20 AM
    बच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सि खाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ हीआगन्वाडि परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।

    ReplyDelete
  51. 3से 9 वर्ष के बच्चों के लिए सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रथम हेतु धारा उसके माता-पिता समुदाय के लोग आंगनबाड़ी परिवार से मदद ले सकते हैं और विभिन्न आयामों जैसे खेलकूद गतिविधियों से सुगम बना सकते हैं

    ReplyDelete
  52. सकीना बानो
    3_9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी हितधारकों जैसे माता -पिता, आंगड़बाड़ी,समुदाय का सहयोग सुनिश्चित करेंगे। खेल खेल में गतिविधि आधारित पढ़ने की सामग्री का उपयोग एवम् निर्माण करेंगे जिससे संख्यानात्मक बुनियादी शिक्षा मजबूत हो।

    ReplyDelete
  53. तीन वर्ष का बच्चा अपना पूर्ण समय परिवार के सदस्यों के साथ ही बिताता है। इस उम्र में उसे का भाषा का ज्ञान होना शुरू हो जाता है। वह अपने माता-पिता से सीखता है। जब बच्चा नौ वर्ष का होता है तो माता-पिता, शिक्षक एवं समाज सभी उसके विकास में अपने अपने स्तर पर भूमिका निभाते हैं। शिक्षक होने के नाते हमें बच्चों के माता-पिता एवं उसके आस पड़ोस के लोगों से संपर्क स्थापित कर के हमें उसके विकास में अधिक योगदान देने का काम करना चाहिए।

    ReplyDelete
  54. बच्चों के प्रथम हितधारक उनके माता-पिता होते हैं जो बच्चों की मनोवृत्ति एवं आवश्यकताओं से भलीभांति परिचित होते हैं। इसके अलावा उनके बड़े भाई बहन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,ग्राम के प्रबुद्ध नागरिकों से उनके विकास में सहयोग प्राप्त करेंगे। शाला का परिवेश आकर्षक बनायेंगे तथा खेल खेल में बच्चों को सिखायेंगे।

    ReplyDelete
  55. एक साझा विजन का निर्माण कर समस्या समाधान का अपना नजरिया कर उनमें विश्वास पैदा कर विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ सकते हैं और बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित हो सकता है

    ReplyDelete
  56. से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

    ReplyDelete
  57. Shamim Naz H/S Arif Nagar Bhopal
    3_9 वर्ष के बच्चों को सीखने की आवश्यकताओं
    को पूरा करने के लिए हम माता_पिता,समुदाय,
    भाई_बहिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताआदि
    हितधारकों का सहयोग लेकर उनका सीखना
    सुनिश्चित करेंगे।

    ReplyDelete
  58. तीन से नौ वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये ,माता पिता , समुदाय व वातावरण का सहयोग लेना बच्चों के लिये हितकर रहेगा ।

    ReplyDelete
  59. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।

    REPLY

    Omprakash

    ReplyDelete
    Replies
    1. जैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
      3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

      Delete
  60. 3से9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्था नीय,समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है इस आयु मे खेल खेल के माध्यम शिक्ष। देना ,।तथा समुदाय का भी सहयोग जरुरी है

    ReplyDelete
  61. तीन से नौ वर्ष के बच्चों के को सीखने की आवश्यकताओं केलिए उनके माता पिता और परिवार के सदस्यों के साथ उनकी विभिन्न सामाजिक और सान्सकृतिक पृष्ठभूमि के अनुसार बच्चों से जुडने और उनमें विश्वास पैदा करेंगे।उनकी मान्यताओं धारणाओं दृष्टिकोण व्यवहारों पर चर्चा करेंगे एवं बच्चों के सीखने व उनके नामांकन के लिए एक माहौल तैयार करेंगे।

    ReplyDelete
  62. बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल- खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।और 3 से 9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्थानीय समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है

    ReplyDelete
  63. इस उम्र वर्ग के बच्चों के हितधारकों से मातृ सम्मेलनों सभा अन्य शालेय उत्सवो में संपर्क किया जा सकता है जो बच्चों की अकादमिक उपलब्धियों के साथ-साथ अन्य पहलुओं पर भी चर्चा का एक अच्छा अवसर हो सकता हैजिससे संख्यात्मक एवं आधारभूत साक्षरता प्रशिक्षण मे प्राप्त दिशा निर्देश को कक्षा में लागू कर सके। संगीत का क्षेत्र, कला क्षेत्र, संख्यात्मकता बुनियादी साक्षरता, क्षेत्रों में उम्र के साथ विकास का आकलन पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी हो सके,छात्रों विभिन्न मनो वैज्ञानिक जानकारी को प्राप्त हो सके जिससे शिक्षक आगामी रणनीति बना सकते है अतः इस तरह के बाल मेले ,सभा, सम्मेलन बहुत सकारात्मक आयोजन सिद्ध होगे।

    ReplyDelete



  64. छात्रों का प्रथम हितधारक उसका परिवार होता है।हम उनके परिवार से संपर्क कर यह जानेंगे की परिवार के शिक्षित सदस्य किस प्रकार उनकी सहायता कर सकते हैं।इसी प्रकार हम परिवेश में भी ऐसे व्यक्तियों का पता लगाएंगे व निरंतर उनके संपर्क में रह कर छात्रों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल- खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।और 3 से 9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्थानीय समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है

    ReplyDelete
    Replies
    1. माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं।

      Delete

  65. छात्रों का प्रथम हितधारक उसका परिवार होता है।हम उनके परिवार से संपर्क कर यह जानेंगे की परिवार के शिक्षित सदस्य किस प्रकार उनकी सहायता कर सकते हैं।इसी प्रकार हम परिवेश में भी ऐसे व्यक्तियों का पता लगाएंगे व निरंतर उनके संपर्क में रह कर छात्रों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री का निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल- खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।और 3 से 9 वर्ष के बच्चों को आधारभूत शिक्षण मे माता पिता ,स्थानीय समूह ,आँगनवाडी ,आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है मोहन लाल कुर्मी p/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह

    ReplyDelete
  66. PremchandGupta P. S. Guradiya mata 3स से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारकों के साथ बैठक करना शाला मे बाल मेला आयोजित करना उसमें बच्चों के पालकों को आमंत्रित करना तथा उनसे सतत् सम्पर्क बनाकर जोडा जा सकता है

    ReplyDelete
  67. 3 se 9 varsh tak ke a bacchon ki sikhane ki avashyakta hetu sambandh sthapit karne ke liye ham vibhinn hit dhaar kaun Jaise bacchon ke parivar samajik samdhan anganbadi vidyalay prabandhan ke samiti ke sadasyon ke sath jodkar Apne vidyalay ke natak karta ke roop mein Kar Kar Ke bacchon ke Vikas mein apni mahatvpurn unka nivas sakte hain

    ReplyDelete
  68. रत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण
    3 से 9 वर्ष के विद्यार्थियों की सीखने की आवश्यकता में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारक माता - पिता के साथ समय समय पर बैठक करना। विद्यार्थियों के लिए खेलकूद गतिविधि का आयोजन करना। गीत - कविता और कहानी का उपयोग। विद्यार्थियों को स्वयं शिक्षण सामग्री तैयार करने प्रेरित करना। बाल मेला और वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का आयोजन आदि।

    ReplyDelete
  69. मैं नूरूल कुरैशी,शा.आदर्श मा.वि., छतरपुर
    3-9 आयु वर्ग के बच्चों के प्रथम हितधारक उनके अभिभावक, भाई-बहन, और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होते हैं।हम इनसे संपर्क कर बच्चे को उसकी रूचि एवं आवश्यकतानुसार खेलकूद , चित्र द्वारा, कविता, कहानी सुनाकर , उनके शिक्षण को प्रभावी बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  70. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|
    जी.पी .सोलंकी प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला नया माना केसला जिला होशंगाबाद म.प्र.

    ReplyDelete
  71. तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए वि मै शिक्षित/ अशिक्षित हित धारक जो उस परिवेश में रहने वाले हों के साथ संपर्क करके बच्चों की आवश्यकताओं को पूर्ण करूंगा एवं बच्चों की सतत आवश्यकता का आकलन करके उनकी बुनियादी आवश्यकताओं को समुदाय के सहयोग से पूर्ण करने का प्रयास करूंगा एवं बच्चे विद्यालय में अपने विचार अनुभव व्यक्त कर सकें एवं सुगमता के साथ अपनी सीख को आगे बढ़ा सके ऐसे समस्त प्रयास शाला के माहौल तैयार करने में करूंगा

    विपिन श्रीवास्तव
    प्राथमिक शाला लाला टोला जबलपुर

    ReplyDelete
  72. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  73. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं

    ReplyDelete
  74. 3 से 9 तक के बच्चो को सीखने के आयामों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम उनके परिवार और आंगनवाड़ी दोनों में तालमेल बनाना होगा ।बच्चा इं दोनों जगह से सीखना शुरू करता है।कक्षा में सीखने के लिए पूर्वज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है,और ये परिवार और आगनवाड़ी के ज्ञान पर बहुत हद तक निर्भर होता है

    ReplyDelete
  75. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh

    ReplyDelete
  76. 3 se 9 varsh ke bacche Apne Mata Pita Aur ghar ke sadasyon ke sath sabse Jyada Samay batate Hain Badon ke sath Kahani sunna Khel aur kai gatividhiyan karte hue sikhate hain unke abhibhavak ok Sath Ham Sampark Karke bacchon ki bacchon ki rotiyon ke bare mein Jankari unke anusar gatividhiyan kara kar Aage Ki Aage Ki gatividhi banaa sakte hain

    ReplyDelete
  77. 3से 6वर्ष के बच्चों को सिखाने के लिए हमें समुदाय के सभी लोगों की मदद से अच्छी तरह से सहयोग मिलेगा और उन्हें सरलता से सिखाया जा सकता है।

    ReplyDelete
  78. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने हेतु अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एवं आवश्यकतानुसार समुदाय की मदद लेंगे।
    खेल आधारित गतिविधियों, एवं बच्चों की रूचि से जुड़ी गतिविधियों द्वारा सिखायेंगे। UTTAM DESHMUKH CHHINDWARA MP

    ReplyDelete
  79. Boys and girls must feel welcome in a safe and secure learning environment. Governments, schools, teachers and students all have a part to play in ensuring that schools are free of violence and discrimination and provide a gender-sensitive, good-quality education . To achieve this, governments can develop nondiscriminatory curricula, facilitate teacher education and make sure sanitation facilities are adequate. Schools are responsible for addressing school-related violence and providing comprehensive health education. Teachers should follow professional norms regarding appropriate disciplinary practices and provide unbiased instruction. And students must behave in a non-violent, inclusive way.

    ReplyDelete
  80. 3se 9 आयु वर्ग बच्चे के सीखने की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए हित घटक जैसे माता पिता आंगनवाड़ी सदस्य से सहयोग प्राप्त कर बच्चों का समझना निश्चित कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  81. 3 से 9 वर्षों के बच्चों से हम सामजस्य स्थापित करने के लिए सबसे पहले हम उनका मूल्यांकन करेंगे बच्चे किस स्तर पर है उस स्तर के अनुसार उनसे हम अपना संबंध स्थापित करते हुए महत्वपूर्ण गतिविधियों को साझा करेंगे और इस प्रकार हम बच्चों से संवाद स्थापित करेंगे और उनके स्तर अनुसार उनके गतिविधियों के द्वारा हम उनसे संबंध स्थापित करते हुए अच्छे संबंध बनाएंगे और उनके अनुसार शिक्षा प्राप्त करेंगे उनके माता-पिता संपर्क करेंगे और उनकी स्थिति को पहचानते हुए हम उनसे सामजस्य स्थापित करेंगे

    ReplyDelete
  82. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

    REPLY

    ReplyDelete
  83. 3से 9वर्षके बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम उनके माता पिता ,भाई बहन,समाज,स्थानीय लोगो ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का सहयोग प्राप्त कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते है।

    ReplyDelete
  84. Ham Mata Pita tatha use bacche ke Palak ko school mein Bulaya tatha Uske dwara ki Gai gatividhiyan ko unko bataen jisse unko bhi Pata Chale ki Hamara baccha kya Sikh raha hai kya Nahin

    ReplyDelete
  85. परिवार के विभिन्न हितधारकों जैसे माता पिता पालक आस पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति से चर्चा करके ।विभिन्न आयोजन गतिविधि के माध्यम से सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा सर्वांगणीय विकास कर सकते हैं ।

    ReplyDelete
  86. Bacchon ke Pratham hit dharak Mata pita hote hain AVN Parivar ke sadasya iske bad parivesh mein uplabdh sansadhan AVN anganbadi bacche ki tarah ko sakte hain

    ReplyDelete
  87. Bacchon ke Pratham dharak unke Mata pita AVN Parivar ke sadasya vah vah parivesh mein uplabdh sansadhan anganbadi balvatika ke sakte hain

    ReplyDelete
  88. बच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
    बच्चों की आवश्यकता अनुसार उनके पढ़ने की सामग्री स्थानीय स्तर पर निर्माण की जाऐ।उनकी अपनी बोली में बातचीत करके,खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  89. Pratham hitkarak bacche ke mata-pita, aas pas ka parivesh, bachhe ke saathi aur aanganwadi ke sahyog se aur vibhinn khel saamgriyon se bacche ka vikas krenge.

    ReplyDelete
  90. बच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सिखाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ ही आंगनवाड़ी परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।

    ReplyDelete
  91. विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
    3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    ReplyDelete
  92. Bacchon ke Mata Pita sabse Bade hit dharak hote hain Kyunki bacche unke Sath use parivesh Mein pahle Hote Hain Jiska Mata Pita ko Jankari hoti hai Ham unke Sath sambandh sthapit kar Unse 100000 pradan Karen Ge Mata Pita Se Sahyog Lenge Aur bacchon Ko sikhane mein sahayata milegi Iske alava Prashikshan dwara nai nai Aaya mobile Charcha kar ham Unse laugh Lenge AVN unke dwara bacchon ko Sahyog pradan kar unko sikhane mein madad pradan Karenge

    ReplyDelete
  93. बच्चे के माता पिता स्वयं प्रथम हितधारक होते है।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते है हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी मदद ले सकते है। साथ ही आंगनवाड़ी परिवार परिवेश से सहायता ले सकते है।

    ReplyDelete
  94. 3 से 9 वर्ष के बच्चो की सीखने की
    आवश्यकताऒ को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे-माता-पिता
    समुदाय ,स्थानीय लोग , आगनवाडी कार्यकर्ता से सहयोग पाप्त करके ब्च्चो का भविष्य सुनिश्चित कर सकते ह्रैं

    ReplyDelete
  95. 3 से 9 आयुवर्ग के बच्चों के महत्वपूर्ण एवं प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं । जो अपने बच्चों को भली-भांति समझते हैं। हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी सहायता ले सकते हैं। साथ ही उनके परिवार से जुडे उनके पडोसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । इस आयुवर्ग के बच्चों से प्रेम पूर्वक निकटता बढ़ाकर, उनकी अपनी भाषा/ बोली में संवाद कर सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है।

    श्रीमति शिवा शर्मा,सहायक शिक्षिका,
    शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
    ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)

    ReplyDelete
  96. इस आयु समूह के स्वयं बच्चों से, उनके माता-पिता,दादा- दादी,भाई -बहिन , परिवार के किसी भी सदस्य से एवं उनके सहपाठियों से , आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि से बातचीत करके बच्चों की आवश्यकताओं से संबंध स्थापित किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  97. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है ।बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं एवं गतिविधियों पर चर्चा कर उन्हें बच्चों की शिक्षण सामग्री निर्माण एवं उपलब्धता को बताएंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु घरेलू सामग्री इस प्रकार उपयोग की जाए बताएंगे जिससे बच्चे की संख्यानात्मक, बुनियादी शिक्षा मजबूत हो नारायण सिंह राजपूत प्रधान अध्यापक शासकीय माध्यमिक शाला धनगौर विकासखंड तेंदूखेड़ा जिला दमोह

    ReplyDelete
  98. जैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
    3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    ReplyDelete
  99. 3 se 9 varsh ke bacchon ko gatividhiyon dwara bahu achchhe se sikha sakte hai ghar me palko dwara bhi gatividhiyon karana chahiye .

    ReplyDelete
  100. Chhatron ke Pratham hi dharak unke Mata Pita vah Uske Parivar hota hai aata Ham Unse Sampark Banaye rakhkar Chatra ke Parthen Parthen Mein Unki sahayata Le sakte hain

    ReplyDelete
  101. बच्चे के प्रथम हितधारक उसके माता पिता होते हैं ,आंगनबाड़ी, पड़ौसियों समझदार पढ़े लिखे अभिभावक इनके माध्यम से सहायता ली जा सकती है।

    ReplyDelete
  102. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए हमें एक सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में बच्चों के माता पिता उनके परिवार परौस, उनकी स्थानीय भाषा, उनके परिवेश आंगनवाड़ी, भयमुक्त और रोचक वातावरण का निर्माण और अन्य रुचिकर साधनों के साथ उनके सीखने हेतु सामंजस्य स्थापित करना होगा।🙏

    ReplyDelete
  103. 3-9वर्ष के बच्चों को सिखाने के लिए पालकों, पड़ोसी की मदद से रोचक वातावरण तैयार किया जा सकता है

    ReplyDelete
  104. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहला हित धारक बच्चे के अभिभावक होते है और दूसरे हित धारक smc के सदस्य है इन को हम शामिल करेंगे

    ReplyDelete
  105. 3-9 varsh ke bacchon ko sikhane ke liye palko padosiyon ki madad se rochak vatavaran tyar kiya ja skta hai.

    ReplyDelete
  106. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|। ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी म प्र

    ReplyDelete
  107. बच्चों के प्रथम हित धारक माता-पिता होते हैं। हम उन्हें सिखाने के लिए माता - पिता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सहयोग से कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  108. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हितधारकों से संपर्क स्थापित करके अपने विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में नये -नये आयामों के माध्यम से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक रूप से सुढृढ़ कर अपनी भूमिका निभा सकते है

    ReplyDelete
  109. छात्रों के पालको से संवाद स्तपीठ करके उन्हे सिक्षा की उपयोगिता से अवगत कराके |

    ReplyDelete
  110. बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |

    ReplyDelete
  111. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने की आवश्यकता पूर्ति करने के लिए हम विभिन्न माध्यमों से उनके लिए सामग्री का चयन करेंगे जैसे आंगनबाड़ी के सहयोग से उनके माता-पिता से चर्चाएं करके और विभिन्न प्रकार के TLM का खुद निर्माण करेंगे एवं खेल खेल में सीखने हेतु अनेक साधनों का चयन करते हुए प्रारंभिक स्थिति के बच्चों को पढ़ाने की संपूर्ण कोशिश करेंगे

    ReplyDelete
  112. जैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
    3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है

    ReplyDelete
  113. Varsh ke bacchon ko sikhane ke liye vibhinn Nahin Jaise sarvpratham bacchon ke Mata Pita Samaj anganbadi karykarta Aadi Se Milkar Ham bacchon ke sarvangin Vikas aur Unki padhaai ke mahatva per Charcha kar sakte hain

    ReplyDelete
  114. Jyoti Malviya
    G.M.S.Mahawar Nagar Indore
    बच्चों के सबसे अच्छे हितधारक उसके माता- पिता होते हैं।इसलिये हमें उनसे मिलकर बच्चों की पढ़ाई के बारे में चर्चा करते रहना चाहिए।

    ReplyDelete
  115. तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के सामंजस्य स्थापित करने करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे- बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों, समुदाय के लोगों, आङ्गनवाडी कार्य कर्ता आदि के साथ बच्चों की आवश्यकताओं को साझा करते हुए उनसे सहयोगात्मक रुप से जुड़ सकते हैं और बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार बच्चों के सीखने के स्तर एवं आयु अनुरुप पाठ्य सामग्री का निर्माण कर, रोचक गतिविधियों द्वारा खेल-खेल में बच्चों का शिक्षण सुनिश्चित कर सकते हैं ।

    ReplyDelete
  116. कक्षा 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए घर के वातावरण के साथ-साथ विद्यालय वातावरण भी आवश्यक है क्योंकि घर में अगर वातावरण पढ़ाई लिखाई का नहीं होगा तो बच्चे सीखने में आगे नहीं बढ़ सकते इस कारण माता पिता को उन्हें पढ़ाना बहुत आवश्यक है

    ReplyDelete
  117. जैसा कि विदित है कि विभिन्न हितधारकों को साथ मे लेकर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। पढ़ने के लिए सीखना और सीखने के लिए पढ़ना शुरू करना होगा।
    3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने सिखाने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हितधारकों जैसे उनके -अभिभावकों , समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है| अशोक कुमार कुशवाह सहायक शिक्षक नवीन प्रा थमिक विद्यालय भील फलिया बडा उण्डवा

    ReplyDelete
  118. हम बच्चों के हितधारकों से हम बच्चों के बारे में चर्चा करके हम बच्चों के साक्षरता ओर सख्या ग्यान का आकलन किया जा सकता है।इससे बच्चे सीखते है।

    ReplyDelete
  119. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवशकता को पूरा करने के लिए हम अनेक माता पिता , समूहों सथानिय लोग आगनवाडी, कायकर्ताऔ से सहयोग लेकर उनकों सीखना सुनिश्चित कर

    ReplyDelete
  120. 3-9 के बच्चों को सीखने के सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम उनके परिवार और ऑंगनवाड़ी दोनों में ताल मेल बनाना होगा
    विभिन्न हितधारकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे

    ReplyDelete
  121. 3 से 9 वर्ष के बच्चों का संख्या ज्ञान की वृद्धि हेतु हित कारक ,माता-पिता ,
    समाज एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से मिलकर सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।
    राममिलन अहिरवार GMS महराजपुर

    ReplyDelete
  122. स्थानीय स्तर पर उनके समय अनुसार बैठकें रखकर ,वयक्तिगत संपर्क करके और आनलाईन बैठक व संपर्क कर Fln मिशन के बारे में चर्चा करेंगे व उनके सहयोग की मांग करेंगे।

    ReplyDelete
  123. बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बच्चों के विभिन्न हित धारक जैसे माता-पिता, भाई-बहन,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  124. 3 से 9 वर्ष के बच्चों के सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम उनके माता पिता , समुदाय, स्थानीय लोगो की मदद वा आंगनबाड़ी के कार्यकर्ताओं से सहयोग प्राप्त कर उनका सीखना सुनिश्चित किया जा सकता है,

    ReplyDelete
  125. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे बच्चों के माता-पिता, समुदाय के लोगों, स्थानीय लोगों ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है| इस प्रकार उपरोक्त समस्त लोगों से सहयोग ले सकते हैं
    प्रतीश नीखरा सीएसी जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिछोर जिला शिवपुरी

    ReplyDelete
  126. First teacher is mother. So he is first teacher for him/her. We can take help her for teaching mathematics to our students and make clear concepts.

    ReplyDelete
  127. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे बच्चों के माता-पिता, समुदाय के लोगों, स्थानीय लोगों ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है| इस प्रकार उपरोक्त समस्त लोगों से सहयोग ले सकते

    ReplyDelete
  128. हम बच्चों के माता-पिता से सहायता ले सकते हैं ।

    ReplyDelete
  129. छोटे बच्चों को उनकी अपनी समझ के अनुरुप शिक्षा से जोड़ने समुदाय की भागीदारी विशेष रूप से परिजनों की भागीदारी महत्वपूर्ण है. नेतृत्व कर्ता को शिक्षको साथ योजना बनाकर कार्य करना होगा

    ReplyDelete
  130. 3 se 9 varsh ke bacchon ki ki sikhane ki ki avashyakta Aur Ko pura karne ke liye Ye Hum vibhinn hit Bharat ko Jaise Mata Pita samuday sthaniya log anganbadi karykarta se Sahyog prapt Karke Unka sikhana sunishchit kar sakte hain

    ReplyDelete
  131. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।सीखने-सिखाने की आवश्यकता को पूरा करने हम विभिन्न हितधारकों से जुड़ने के लिए उनमें जागरूकता लानी होगी, इसके अलावा जरूरत पढ़ने पर उनके उन्मुखीकरण की योजना बनाकर, सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके भाई बहनों को भी शामिल करते हुए साम॔जस्य बनाने का प्रयास करेंगे।

    ReplyDelete
    Replies
    1. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।जो बच्चों मे सिखने कि पृवत्ति पैदा करती है।

      Delete
  132. हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    ReplyDelete
  133. 3 se 9warsh ke bachho ke pratham hitdharak isake mata pita hote h

    ReplyDelete
  134. 3 se 9 bars ke bachcho ki seekhane ki aavsyaktao ko poora karne ke liye ham bibhbhin hit dharako jaise mata pita,samuday,sthaniy log, aaganvadi karykarta,se sahyog prapt karke unaka seekhana sunischit kar sakte h.

    ReplyDelete
  135. 3से9वर्ष आयु के बच्चे बहुत ही छोटे होते हैं।
    बिना हितधारकों के वे असहाय है। इसलिए सभी हितधारकों को मिलकर बच्चों के विकास के लिए कार्य करना चाहिए।

    ReplyDelete
  136. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं।
    बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री (TLM) निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है। साथ ही बच्चों से आत्मीय संबंध स्थापित किया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  137. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है |

    ReplyDelete
  138. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं। चंपकलता धुर्वे प्राथमिक शिक्षिका प्राथमिक शाला भर्रा टोला छांटा

    ReplyDelete
  139. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए उनके माता पिता से सहायता आवश्यक होगी। साथ ही आंगनवाड़ी भी इस कार्य मे अधिक प्रभावी होंगी।

    ReplyDelete
  140. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे -माता-पिता, समुदाय, स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं |बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती

    ReplyDelete
  141. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे-माता-पिता, भाई-बहन, समाज स्थानीय लोग व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि से सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते है।
    बच्चों की आवश्यकताओ के अनुसार सीखने की सामग्री निर्मित कर मनोरंजक तरीको से शिक्षण कार्य किया जा सकता है।तीन से नव वर्ष की अवस्था के बच्चों के लिए खेल गतिविधियों के द्वारा अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी शिक्षण किया जा सकता हैं।

    ReplyDelete
  142. 3 वर्ष से 9 वर्ष तक के बच्चों के हित धारक माता-पिता स्वयं होते हैं इसके अलावा समुदाय के लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पीटीए अध्यक्ष सचिव शिक्षक आदि होते हैं इन सभी का नेतृत्व कर्ता के रूप में अहम सहयोग होता है यह सभी मिलकर विद्यालय के क्रियाकलापों पर ख्याल रखते हैं इस तरह विद्यालय नेतृत्व करता के रूप में सभी शिक्षक सभी अभिभावक पीटीए अध्यक्ष सचिव आदमी लकार कार्य करते हैं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सहयोग करते हैं इस प्रकार विद्यालय नेतृत्वकर्ता की भूमिका है कि सभी को मोटिवेट करें और सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करे।

    राम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला-डोडटोला खैरा
    विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश पिन कोड 486123
    मोबाइल नंबर 871 8097722

    ReplyDelete
  143. 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के नेतृत्व कर्ता के रूप में शिक्षक माता पिता पीटीए सचिव अध्यक्ष आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और समुदाय के लोग मिलकर सहभागिता करें और विभिन्न प्रकार के प्रयास करें जैसे सर्वांगीण विकास के लिए सहयोग करें तभी छात्रों का हित हो सकता है और उज्जवल भविष्य के लिए सामाजिक विकास सर्वांगीण विकास सभी प्रकार के विकास हो सकते हैं।

    राम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला डोंट टोला खैरा विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश।

    ReplyDelete
  144. छोटे बच्चों का सबसे ज्यादा समय उनके माता पिता के साथ ब्यतीत होता है, अतः बच्चों के सीखने की आवश्यकता के साथ सामन्जस्य स्थापित करने के लिए, विद्यालय में होने वाली सीखने की गतिविधियों में बच्चों के परिजनों को शामिल किया जाना चाहिए और उन्हें यह समझाइश दी जानी चाहिए कि इसी तरह आप लोग भी गतिविधियाँ कर बच्चों को सीखने में मदद कर सकते हैं,

    ReplyDelete
  145. 3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए बच्चों के साथ उनके माता-पिता जो बच्चों के अधिक निकट होते है उनको बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के अनुरूप जोड़कर हम बच्चों के विकास में मदद करने में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  146. 3से9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने उनको बुनियादी साक्षरता तथा संख्यात्मक ज्ञान कौशलों मेंं निपुण बनाने के लिए उनके लिए जो आवश्यकता हैं उनमें नेतृत्व कर्ता, साथी शिक्षक सबसे पहले बच्चों के घर परिवार व परिवेश की भाषा ,भौगोलिक स्थिति, को जानेंगे फिर पालक, समुदाय में शिक्षा की जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे फिर पालक समुदाय की सहभागिता व सक्रियता सुनिश्चित करेंगे।बच्चों की घर की भाषा का पूरा प्रयोग ,बच्चों की पूर्ण सहभागिता स्वयं करके सीखने की क्षमता का विकास करेंगे। इस प्रकार एक कुशल नेतृत्व कर्ता 3से9 वर्ष के बच्चों को सिखाने का प्रयास करेंगे।और हितकारकों के साथ जुड़ पायेंगे।रामगोपाल शर्मा ,प्राथमिक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकास खंड गैरतगंज, जिला रायसेन ।

    ReplyDelete
  147. 3से9वर्ष आयु के बच्चों को सीखने के लिए नेतृत्व कर्ता के रूप में हमे उनके परिवेश उनकी भाषा को समझ कर उनके हितधारकों के साथ संपर्क कर बच्चों को सीखने की सरल और आनंददायी रणनीति बनाकर उनको सिखाने के लिए प्रेरित करना और समय समय पर मॉनिटरिंग करना।

    ReplyDelete
  148. 3से6वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता औऱ संख्या मिशन को सफल बनाने के लिए अभिभावक शिक्षक ,समुदाय को सभी को मिलकार ही बच्चों का विकास सुनिश्चित है ।

    ReplyDelete
  149. खुला आकाश की तरह इसी तरह की तरीका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है सर्वांगीण विकास के लिए ।

    ReplyDelete
  150. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सिखने की आवश्यकता में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम बच्चों के माता-पिता , भाई -बहन , परिवार के अन्य सदस्य, स्थानीय परिवेश के लोगों,आंगनवाड़ी केन्द्र हितधारकों की सहायता लेंगे |साथ ही विभिन्न गतिविधियों ,खेल-खेल में सिखाना ,शिक्षण सामग्री ,रचनात्मक कार्य करवाकर बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित किया जा सकता हैं |

    ReplyDelete
  151. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम उनके अभिभावक के साथ चर्चा करेंगे बच्चों की मनोदशा समझेंगे तथा आंगनवाड़ी के माध्यम से भी बच्चों के मनोभाव को समझ कर उनके साथ मित्रवत व्यवहार कर खेल खेल में हम बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास करेंगे।
    शैलेंद्र सक्सेना, प्राथमिक शिक्षक
    कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश

    ReplyDelete
  152. 3 से 9 आयुवर्ग के बच्चों के महत्वपूर्ण एवं प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं । जो अपने बच्चों को भली-भांति समझते हैं। हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी सहायता ले सकते हैं। साथ ही उनके परिवार से जुडे उनके पडोसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । इस आयुवर्ग के बच्चों से प्रेम पूर्वक निकटता बढ़ाकर, उनकी अपनी भाषा/ बोली में संवाद कर सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  153. बच्चों की प्रथम हित कारक उनके माता-पिता को बच्चे को पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में भेजने के लिए प्रेरित करेंगे और उन्हें प्रोत्साहित करेंगे वह अपनी बच्ची पर विशेष रूप से ध्यान दें और उन्हें पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करें ताकि वह आवश्यक संख्या ज्ञान एवं साक्षरता की ओर अग्रसर हो सके

    ReplyDelete
    Replies
    1. M
      इस आयु वर्ग के बच्चे छोटे होते हैं, और वे अपने परिवार के ज्यादा करीब होते हैं अतः हम उन बच्चों के साथ साथ उनके परिवाजनों से संपर्क करेंगे और पता लगाएंगे की वे हमारी सहायता केसे कर सकते हैं और साथ साथ हम उन पर अपना विश्वास दिलाएंगे की हम उनके बच्चो को अच्छी शिक्षा देगे, जिसमें वे हमारी सहायता करेंगे जिससे हमारा कार्य जल्दी और सरलता से पूर्ण होगा

      Delete
  154. 3 से 9 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों के लिए सबसे प्रथम उनके माता पिता ही हितधारक होते हैं। फिर परिवार पड़ोसी एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता इन सभी के सहयोग से हम बच्चों को उनकी भाषा के अनुरूप उनको खेल खेल के माध्यम बच्चों को सिखाया जाता है।

    ReplyDelete
  155. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने सिखाने के लिए माता-पिता तो सर्वोपरि तो है ही लेकिन मेरे विचार में बच्चों का खुलना आवश्यक है तो इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास शीध्र होगा उनकी झिझक टूटना परम आवश्यक है , झिझक ही उनके विकास की सबसे बड़ी अड़चन है ।

    ReplyDelete
  156. Bacchon ko Ham acche Prakar Se dada unke Mata Pita ko Vishwas Mein Lekar Ham kar sakte hain

    ReplyDelete
  157. 3-9आयु वर्ग के बच्चों को सीखने-सिखाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके माता-पिता तो सर्वोपरि होते हैं, साथ ही भाई-बहन, परिवार जन,पडौसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन सभी के सहयोग से हम बच्चों को उनकी भाषा के अनुरूप खेल-खेल के माध्यम से सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  158. 3-5 वर्ष के बच्चो की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उनके माता पिता ,स्थानीय लोगो, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग लेंगे । शिक्षण सामग्री का निर्माण करके तथा खेल खेल में विभिन्न गतिविधि द्वारा सिखाया जा सकता है।

    ReplyDelete
  159. 3से9 वर्ष की आयु के बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे बच्चों के माता-पिता, समुदाय, आँगनवाड़ी कार्य कर्त्ता का सहयोग एवं बच्चों को खेल के माध्यम से गतिविधियों करवा कर जैसे कक्षा मानीटर, खेल मे टीम कैप्टन बना कर नेतृत्व करने की क्षमता का विकास किया जा सकता है।। यादवेंद्र सिंह सहायक शिक्षक। शास. माध्यमिक विद्यालय कोठरा। संकुल डगडीहा। विकास खंड सोहावल। जिला सतना(म.प्र.)

    ReplyDelete
  160. Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)--3से9वर्ष की आयु के बच्चों के सीखने के हेतु परिवेशीय घटक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करतेहैं ।माता-पिता, भाई-बहन, मित्र मंडली, खेल खिलौने, आदि से जोड़ कर इनके सीखने की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है ।सतत सम्पर्क, मेलजोल, खेल के अवसर देकर,कहानीसुनाकरउनकी बात को महत्व देकर उनसे जुडसकतेहै।

    ReplyDelete
  161. तीन से नो वर्ष के बच्चों की सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम विभिन्न हित धारकों जैसे माता-पिता, भाई-बहन, समाज ,स्थानीय लोग ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग प्राप्त करके उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है।अत: हमे इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था बनाने का प्रयास करना चाहिए जिससे बुनियादी शिक्षा मजबूत हो जो बच्चे को अजीवन उपयोग मैं आए।
    धन्यवाद!
    अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
    शा.एकीकृत मा.वि. अमरोद
    विकास खंड बमोरी, जिला गुना, म.प्र.

    ReplyDelete
  162. 3-9varsh ke baçcho ko sikhane ke liya bibhinn hit dharko se sampark kar padhane kee samgri ka nirman karke unko sikshan karya karaya ja sakta hai.

    ReplyDelete
  163. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चो की सीखने की आवश्यकता ओ हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नेतृत्व कर्ता के रूप में कार्य करके बच्चो को नये नये आयामों के माध्यम से, बच्चो को मानसिक एवम् शारीरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं

    ReplyDelete
  164. 3से9 वर्ष के बच्चो की सीखने की आवश्यकता विभिन्न धारको जैसे माता पिता भाई बहिन समाज स्थानीय लोग आंगनव्डी कार्यकर्ता शिक्षक ह्रा उन्हे खेल खेल में गतिविधि की आवश्यकता होती हैं।

    ReplyDelete
  165. 3 वर्ष की आयु तक बच्चा विद्यालयीन वातावरण से पूर्ण रूप से अंजान होता है। अतः वह पहली बार अलग वातावरण से जुड़ता है। अतः हमें बच्चे के पालकों को जोड़ते हुए बच्चे को आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए जिससे बच्चे भयमुक्त वातावरण का अनुभव करके सीख सकें।

    ReplyDelete
  166. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सिखाने के लिए माता-पिता का सहयोग अत्यंत आवश्यक है क्योंकि सर्वप्रथम बच्चा अपने माता पिता और परिवार के सदस्यों के माध्यम से ही सीखता है इसके अतिरिक्त विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर हम अपने विद्यालय को सुचारू रूप से चला सकते हैं।

    ReplyDelete
  167. बच्चे के माता -पिता स्वयं प्रथम हितधारखोते हें वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हें हम बच्चो को सि खाने के लिये उनकी सहायता ले सकते हें ।साथ हीआगन्वाडि परिवार , परिवेश से सहायता ले सकते हें ।।।।

    ReplyDelete
  168. Bache k phle phle hitdharak unke mata pita hote h hm sbse phle unko hi samil karenge .jisse ki bache se judi adhikansh jankari hmko uske mata pita se prapt ho skti h.iske bad aanganbadi kendra or pariwar or aas pas k logo ko v isme shamil kr skte h.

    ReplyDelete
  169. मैं शबाना आज़मी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर (म.प्र)
    3से9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने उनको बुनियादी साक्षरता तथा संख्यात्मक ज्ञान कौशलों मेंं निपुण बनाने के लिए उनके लिए जो आवश्यकता हैं उनमें नेतृत्व कर्ता, साथी शिक्षक सबसे पहले बच्चों के घर परिवार व परिवेश की भाषा ,भौगोलिक स्थिति, को जानेंगे फिर पालक, समुदाय में शिक्षा की जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे फिर पालक समुदाय की सहभागिता व सक्रियता सुनिश्चित करेंगे।बच्चों की घर की भाषा का पूरा प्रयोग ,बच्चों की पूर्ण सहभागिता स्वयं करके सीखने की क्षमता का विकास करेंगे। इस प्रकार एक कुशल नेतृत्व कर्ता 3से9 वर्ष के बच्चों को सिखाने का प्रयास करेंगे।और हितकारकों के साथ जुड़ पायेंगे।

    ReplyDelete
  170. बच्चों के पलको से सम्पर्क कर उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ

    ReplyDelete
  171. बच्चों के प्रथम हितधारक उनके माता-पिता होते है, उनसे संपर्क कर, बच्चे की रुचि-अरुचि जानेंगे और उसके हिसाब से रणनीति तैयार करेंगे ।

    ReplyDelete
  172. बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं
    अर्चना राऊत
    शास.मा.शाला-नंदोरा
    विकासखण्ड-अमरवाड़ा
    संकुल-सिगोड़ी
    ज.शि.के.-लछुआ

    ReplyDelete
  173. Chhatro ke pratham hitdhark uske mata pita v uska parivar.hota hai ath unse sampark banaye rakhana chhatdo ke pathan patan me unki sanaya lena chahie.

    ReplyDelete
  174. 3se 9 years ke Bacchon ko bunyaadi saaksharta v sankhya ki samjh visiksit karne ke liye samuday v Mata pita ki sahabhagita v unki samjh badana bhi most important honi cchayen .

    ReplyDelete
  175. Teen se Nav varsh aayu ke varg ke bacchon ko ko sikhane ke liye sarvpratham Ek netrutva Karta ke roop Mein Ham unke a abhibhav kaun se a Mata Pita samuday vah anganbadi karykarta se a sambandh sthapit Karenge aur aur bacche ki khubiyan vah ka Bhari kis adhyayan Karenge aur aur bacche ko sikhane Mein madad Karenge

    ReplyDelete
  176. नेत्रत्व कर्ता के रुप में हम बच्चों के माता पिता, बड़े भाई बहन से जुड़े बच्चों के आस पास के परिवेश के माध्यम से सीखने सिखाने के आयमो को बच्चों से जोड़ेगे।

    ReplyDelete
  177. हम बच्चों के माता पिता भाई बहन शिक्षित साथी मेन्टर व आगनवाडी कार्य कर्ता के सहयोग से बच्चों को सिखाने की योजना मे कार्य कर सकते हैं

    ReplyDelete
  178. 3 से 9 आयुवर्ग के बच्चों के महत्वपूर्ण एवं प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं । जो अपने बच्चों को भली-भांति समझते हैं। हम बच्चों को सिखाने के लिए उनकी सहायता ले सकते हैं। साथ ही उनके परिवार से जुडे उनके पडोसी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर उनका सीखना सुनिश्चित कर सकते हैं । इस आयुवर्ग के बच्चों से प्रेम पूर्वक व्यवहार से, उनकी अपनी भाषा/ बोली में संवाद कर सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। खेल गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों के सीखने की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है साथ ही साथ इस तरीके से अगर हम बच्चों के साथ किसी प्रकार का आपसी सामंजस और उनके साथ हम उनकी सप्ताहिक गतिविधियों के बारे में या उनके बारे में कोई परेशानी दिक्कत हो या फिरइ पर भी उनसे बातक सकते हैं कि हमें किस तरह से होने शिक्षा से जोड़ना है और हमें उनसे जुड़ना है इसमें हमारे हित धारक होते हैं आंगनवाड़ी जो की शुरुआत से ही बच्चों के साथ होती है उसके सामाजिक परिवेश उसके पारिवारिक वातावरण यह सभी और उन अभिभावकों के साथ मिलकर हम बहुत कुछ अच्छा और नया कर सकते हैं और हम बच्चे को हर तरीके से उसको शिक्षा और विभिन्न कौशलों का विकास भी उसके अंदर कर सकते हैं तभी तो हमारा लक्ष्य पूर्ण होगा और इसमें हमारी सहयोगी हो रहे हैं FLN के द्वारा भी हम बहुत सारी ऐसी चीजें जान पाए या ऐसी चीजें कर पाए जो वास्तव में हम कहीं करते थे और उसे हम भूल गए थे उसे अपडेट कर पा रहे हैं और हम अच्छे से अपने विद्यालय में अपने परिवेश में अपने बच्चे के साथ और अपनी स्कूल की छात्रा के साथ अच्छा व्यवहार कर उसके साथ गतिविधियों के आधार पर बहुत सारी चीजें उन्हें सिखा पा रहे हैं दे पा रहे और सबसे अच्छी बात क्या है कि हम उन्हें रोल प्ले नाटक कविता या कहानी जब इस तरीके से कोई एक किरदार होने देते हैं तो उसमें वह किस तरीके से नेतृत्व करेगा यह किस तरीके से उस पर जिम्मेवारी लेगा इस पर भी उसकी एक सोच व समझ ना पाए और वे समझ पा रहे हैं कि किस तरीके से हम कार्य कर सकते हैं धन्यवाद मैं🙏
    वैदेही त्रिपाठी (प्राथमिक शिक्षक)
    शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा-टीकमगढ़ मध्य प्रदेश

    ReplyDelete
  179. यह अलग-अलग तरह से व्यवहार करेगा। सीखने के लिए सीखने के लिए खेलना शुरू करना।
    3 से 9 के प्रकार की जानकारी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हम अलग-अलग प्रकार के मामले जैसे -अभिभावकों, अन्य, आंगनवारा से सहायता प्राप्त कर सकते हैं और शुरुआत कर सकते हैं। निर्माण की सामग्री का निर्माण किया जा सकता है| उम्र के लिए खेलने के लिए इस खेल की आवश्यकता

    ReplyDelete
  180. तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? विद्यालय के एक नेतृत्व करता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।
    इसके संबंध में मेरा विचार है कि 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं हेतु सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर अपने विद्यालय के एक नैतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करके बच्चों को नये-नये आयामों के माध्यम से, बच्चों को मानसिक एवं शारिरिक आधार पर सुदृढ़ करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
    बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं। बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हितधारकों से जीवंत संपर्क स्थापित करके बच्चों के विकास में उन्हें सहभागी बनाएंगे। बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पढ़ने की सामग्री निर्माण करके उनका शिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है| इस उम्र के लिए खेल खेल में गतिविधियों की आवश्यकता होती है|

    ReplyDelete
  181. Netratavkarta ke Roop me ham bachho ke Mata pita se samprk karke Kara Young Bana sake hai

    ReplyDelete
  182. बच्चों के प्रथम हितग्राही माता पिता बड़े भाई बहन होते हैं हम उनकी सहायता बच्चों की बुनियादी साक्षरता हेतु सहायता ले सकते हैं साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भी सहयोग ले सकते हैं श्रीमती विमलेश शर्मा प्राथमिक शाला बालक खरी फाटक विदिशा

    ReplyDelete
  183. Sanjeev Kumar Tiwari
    बच्चे के प्रथम हितधारक स्वयं उसके माता-पिता होते हैं।वे अपने बच्चों को अच्छे से समझते हैं।हम बच्चों को सिखाने के लिए उनसे सहायता ले सकते हैं। साथ ही आंगनवाड़ी, परिवार एवं परिवेश से जुड़े लोगों को सिखाने की योजना में शामिल कर सकते हैं

    ReplyDelete
  184. हम बच्चों के हितधारकों से हम बच्चों के बारे में चर्चा करके हम बच्चों के साक्षरता ओर सख्या ग्यान का आकलन किया जा सकता है|बच्चों के पलको से सम्पर्क कर उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ|

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोर्स 2 - गतिविधि 6 - अपने विचार साझा करें

कोर्स 4 - गतिविधि 2 - अपने विचार साझा करें