विद्यालय नेतृत्व एवं बुनियादी संख्या ज्ञान पर यह समझ विकसित हुई कि बच्चे प्राथमिक कक्षा में संख्यात्मक ज्ञान कौशल की अभिवृद्धि के लिए अपने विधा और शिक्षक सामान्य स्वरूपों के अनुरूप किस प्रकार कार्य करेंगे यह परिणाम दाई होगा
धीरेंद्र प्रसाद मिश्रा बीएससी सोहावल सतना बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान ज्योति विद्यालय नेतृत्व ऐसा विषय है जो बच्चे की अभिवृद्धि ज्ञान कौशल संख्या के समय को और अधिक उन्नत करता है जब शिक्षक आसपास परिवेश से जुड़े बुनियादी कौशलों का प्रयोग करते हैं तो बच्चे अपनी देशज भाषा से संख्या के उत्तरोत्तर ज्ञान की ओर बढ़ता है सिलसिलेवार अंकुर अंकुर समूह की गतिविधियां इसमें और अधिक प्रभावी योगदान देती हैं बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए दिए गए कार्य गतिविधियों के वीडियो क्रमांक एवं साथ में दी गई गतिविधि बहुत ही आकर्षक है
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।pukhraj Agrawal
बेदनारायण दुबे प्रा शा सुकतरा जिला सिवनी बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए परिवार के सहयोग के साथ साथ हमारे आसपास उपलब्ध बस्तुओ के माध्यम से संख्याज्ञान की समझ विकसित करने में सहायता लेते हैं
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।खुमान सिंह विश्वकर्मा सलैया माल जिला मंडला ।
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
हम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा| रघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव, जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहस राम विकासखंड- विजयपुर ,जिला -श्योपुर(मध्य प्रदेश)
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान शुद्रणऔर नेतृत्व प्रदान करेंगे !3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
मैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या प्राथमिक शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूं 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे
3से9आयु वर्ष के बच्चों के बुनियादी साक्षरताएवं संख्या ज्ञान विकसित करने के लिए शाला प्रभारी तौर पर,शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व की आवश्यकता है।गतिविधियाँ संचालित कर पालकों एवं एस एम सी के माध्यम से प्रभावी बनाऐंगे ।आँगनवाड़ी कार्यकर्ता ,समुदाय का भी सहयोग लेंगें ।गतिविधियाँ आयोजित करवाऐंगे ताकि बच्चे बालवाटिका तक पहुंचने पर बच्चे बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की समझ विकसित हो सके।
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान शुद्रणऔर नेतृत्व प्रदान करेंगे !3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे.
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। इस तरह से छात्रों में हम सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏿 सुनीत कुमार पाण्डेय जिला कटनी (मप्र) 💐☺️
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
3-9 वर्ष के आयु के बच्चो के बीच बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चो की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिय अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। N.K.AHIRWAR
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
हम एक कार्ययोजना बनाएंगे वेवलिंक्स के माध्यम से और बच्चो के पूर्व ज्ञान और खेल गतिविधि एवं चित्रों के माध्यम से बच्चो को अंक ज्ञान आकृति बड़ता क्रम एवं घटता क्रम एवं वर्गीकरण व समान क्रम इन सब का ज्ञान कराएंगे।
3 -9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को नेत्रत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे । बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे ।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे।
3 se 9 varsh ki aayu ke bacchon ke bich buniyadi saksharatha AVN sankhya gyan ko Sudridh aur netrutva pradan karne ke liye Gyan Kaushal aur drishtikon ko majbut banaenge.
जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें ।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!!
Shiksha ke naye aayamo ko pradarshit karne ke liye ye teen se no varsh ke bacchon main main Gyan Kaushal AVN drishtikon ko Sudrad banane ke liye bacchon mein Khel Khel mein main dakshata ka Vikas karenge
3से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
श्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान। कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।। 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां कराएंगे बच्चे के स्तर को ध्यान में रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा।।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके Naresh Sahu Prathmik Shikshak P/S Rajpalchowk pipariya lalu District -Chhindwara Block-chhindwara Dise code -23430109203
3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के बी्च में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
3से9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमताओं में बृद्धि के लिये बच्चों के ज्ञान कौशल वा अभिवृतीयों के बिकास की आवश्यकता है जिसे उनकी रुचियों के अनुरूप गतिविधियों का आयोजन कराकर ' व संज्ञानात्मक भावात्मक खेल एवं समूह गतिविधियों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है ।
बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन के सफलता के लिए 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों को बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान को मजबूत बनाने के लिए अभिभावकों और समुदाय की मदद से उनके ज्ञान कौशल को नए नए आयाम देते हुए सीखने की प्रक्रिया को सद्रड़ बनाएंगे
संख्या ज्ञान को मजबूत करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों,और भाई बहनों की मदद लेकर सहयोग प्रदान किया जा ये3 -9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को नेत्रत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे । बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे ।
सबसे पहले बच्चे कलर पहचानना , परिवेश को पहचानना,सीखते हैं। गणित में जोड़ घटाना सीखता है। इसके साथ-साथ सामाजिक विकास भी होता है, बच्चों में मित्रता का भाव भी आता है। एक दूसरे की मदद करते है, सभी चीजों को मिल बांट कर करते है।
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए खेल खिलौना दिखाकर छोटे-छोटे प्रश्न करके कहानियां सुना कर कहानियां सुना कर कहानियों के बारे में प्रश्न पूछ कर उनकी क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं
हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें ।
3 से 9 वर्ष के छात्रों की सीखने की उपलब्धियों की सुनिश्चतता हेतु हम अभिभावको की सहायता लेंगे ।अभिभावक ही बालक के प्रथम हितधारक होते हैं अतः उनका सहयोग छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अभिभावक छात्रों के प्रथम हितधारक होते है, अतः छात्रों के अकादमिक उन्नयन में हम उनकी सहायता ले सकते है। छात्रों के दिन प्रतिदिन की गतिविधियों से हम उनका आकलन कर अभिभावकों की सहायता से हम अधिगम उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं।
बच्चो के पूर्व ज्ञान और खेल गतिविधि एवं चित्रों के माध्यम से बच्चो को अंक ज्ञान आकृति बड़ता क्रम एवं घटता क्रम एवं वर्गीकरण व समान क्रम इन सब का ज्ञान कराएंगे।तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों को बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान को मजबूत बनाने के लिए अभिभावकों और समुदाय की मदद से उनके ज्ञान कौशल को नए नए आयाम देते हुए सीखने की प्रक्रिया को सद्रड़ बनाएंगे
हम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा| दिलीप कुमार कोरी शासकीय प्राथमिक शाला छोटी पैकौरी जिला सतना
सकीना बानो 3-9 वर्ष के बच्चों के लिए प्रिंट समृद्ध वातावरण उनकी मातृभाषा में चर्चा पूर्व ज्ञान ,चित्र,खेल आधारित,गतिविधि आधारित,आई सी टी के प्रयोग के द्वारा अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
शिक्षा के प्रारंभिक चरण में 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से एवं बच्चों के अनुरूप गतिविधि आधारित शिक्षण जैसे खेल कहानी कविता एवं बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान को सुद्रढ़ बना कर उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे
बच्चों के बुनियादी कौशल के निर्माण के लिए परिस्थितियों को विकसित कर सीखने की गति में सहायता कर उन्हें आत्मविश्वासी बनाकर ताकि वे पूरे विश्वास के साथ सीखने की क्षमता हासिल कर सकें
3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों के लिए ग्यान कौशल और दृष्टिकोण को शामिल करके एक जीवंत पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता है।समुदाय के साथ भरोसेमंद संबंध विकसित करने और बच्चों के साथ सुदृढ़ भावनात्मक संबंध बनाने हेतु अनुकूल वातावरण का निर्माण करेंगे।
3-9 आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने हेतु अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एवं आवश्यकतानुसार समुदाय की मदद लेंगे। खेल आधारित गतिविधियों, एवं बच्चों की रूचि से जुड़ी गतिविधियों द्वारा सिखायेंगे। Noorul Quraishi, G.M.S.Adarsh, Chhatarpur
Bacchon ki prarambhik Shiksha ke liye buniyadi sankhya Shiksha bacchon ka sarvangeen Vikas karti hai vah mansik sharirik baudhik gadi ka Nirman Karti Hai AVN Vikas Karti Hai sakshar Banane mein Sahayak hoti hai
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।बच्चों के बुनियादी कौशल के निर्माण के लिए परिस्थितियों को विकसित कर सीखने की गति में सहायता कर उन्हें आत्मविश्वासी बनाकर ताकि वे पूरे विश्वास के साथ सीखने की क्षमता हासिल कर सकें
3 से 9 आयु वर्ग के बच्चो के सीखने के कौशल की उपलब्धि को सुनिश्चित करने के लिए पहेली ,शब्द खेल,और अन्य गतिविधि आधारित कार्यक्रम भी करा सकते है जो उनकी सीखने की क्षमता की उपलब्धि को दर्शाए।
3-9 आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने हेतु अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एवं आवश्यकतानुसार समुदाय की मदद लेंगे। खेल आधारित गतिविधियों, एवं बच्चों की रूचि से जुड़ी गतिविधियों द्वारा सिखायेंगे।
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके । मोहन लाल कुर्मी P/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं। मोहन लाल कुर्मी P/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके ।
Yahan munagaku ramayan teen se nav varsh ki aayu ke bacchon ke bich buniyadi saksharta AVN sankhya gan ko shudra aur pradan karne ke liye gyan Kaushal aur drishti ko shaktishali banayenge bacchon Ki shiksha ke prarambhik Charan ke nirman mein madad karne ke liye abhi bhav ko aur samudra ke madhyam se sampark sthapit Karke nai ko prastut karenge
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए उनके प्रारंभिक आकलन को समझना होगा उस स्तर के अनुसार आयु अनुसार उनको शिक्षा ग्रहण करने में मदद होगी आयुक्त अनुसार उनका निश्चित मूल्यांकन करने के बाद उस स्तर पर हमें अपने प्रयास जारी रख सकेंगे और बच्चों का मूल्यांकन करके ही हम उनकी स्थिति को पहचान सकेंगे जिससे उनको उचित आयु के अनुसार मूल्यांकन किया जा सके
309 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए उनकी बाल्यावस्था में आकलन को समझना आवश्यक है पोषी स्तर के अनुसार बच्चों का मानसिक विकास हो जाता है शिक्षा के प्रारंभिक चरण के माता पिता और समाज भी सहयोगात्मक कार्य करते हैं करना चाहिए ताकि उनका संपूर्ण रूप से विकास हो सके
3से 9आयु वर्ग के बच्चों के विभिन्न हितधारकों जैसे माता पिता पालक आस पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से चर्चा करके विभिन्न आयोजन एवं सामाजिक गतिविधि आयोजित करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा संबंध स्थापित कर के ।
बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
3 से 9 वर्ष आयु के बच्चों का के प्रारंभिक शिक्षा एवं बुनियादी संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने हेतु हम ऐसी गतिविधियों का निर्माण करेंगे जिसमें बच्चे खेल खेल में शिख जाए। इस कार्य में हम आंगनवाड़ी एवम समुदाय का सहयोग प्राप्त करेंगे।। पुरुषोत्तम राऊत शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय, कुण्डलिकलां,जिला-छिंदवाड़ा
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है।
Preschool and early elementary years During these years, children’s learning is more explicit and visible. Preschoolers are more competent in deliberate approaches to learning, such as trial and error or informal experimentation. Preschoolers are experiential, learning by doing rather than figuring things out only by thinking about them. This makes shared activities with educators and peers potent opportunities for cognitive growth. Still, the potential to underestimate the cognitive abilities of young children persists in the preschool and kindergarten years. In one study, for example, children’s actual performance was six to eight times what was estimated by their own preschool teachers as well as experts in educational development. A study in kindergarten revealed that teachers spent most of their time on content the children already knew. When educators practice in a way that is aware of the cognitive progress of children at this age they can deliberately enlist the child’s existing knowledge and skills in new learning opportunities. Greater achievement in this age group is associated with instructional strategies that promote higher-level thinking, creativity, and some abstract understanding, such as talking about ideas or future events. For example, when educators point out how numbers can be used to describe diverse sets of elements (four blocks, four children, 4 o’clock), it helps children generalize an abstract concept (“fourness”). Another example is interactive storybook reading, in which children describe the pictures and label their elements while the adult and child ask and answer questions of each other about the narrative. Preschoolers’ interest in learning by doing is also naturally suited to experimental inquiry related to science and other types of learning that involve developing and testing hypotheses.
3से 9आयु वर्ग के बच्चों के विभिन्न हितधारकों जैसे माता पिता पालक आस पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से चर्चा करके विभिन्न आयोजन एवं सामाजिक गतिविधि आयोजित करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा संबंध स्थापित कर के । खेल बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य है कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें।बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!
Shamim Naz H/S Arif Nagar Bhopal 3_9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान कौशल को सुद्रदबनाएंगे इस कार्य में अभिभावकों और समुदाय की सहभागिता से नए आयामों को जोड़ने का प्रयास करेंगे।
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों की सहायता से, खेल खिलौना दिखाकर, छोटे-छोटे प्रश्न करके ,कहानियां सुना कर कहानियां सुना कर कहानियों के बारे में प्रश्न पूछ कर उनकी क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं ।
समुदाय एवं माता-पिता से सहयोग लेगे,गतिविधियों के माध्यम से खिलौनों के द्वारा खेल द्वारा क्षमताओं को विकसित करेगे एवं पोर्टफोलियो,चार्ट,दैनिक डायरी में रिकॉर्ड संधारित करेगे जिससे बच्चों को प्रगति,क्षमताओं की जानकारी सुनिश्चित कर सकते है।
3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए बच्चे को केंद्र में रखकर सुलभ खिलौने परिवेश आधारित गतिविधियों और अभिभावक समुदाय संबंधित अधिकारियों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं बलवटिका शिक्षकों मुद्रित वातावरण और सीखने के गुणवत्तापूर्ण दृष्टिकोण को अपनाते हुए सुनिश्चित करेंगे।🙏
रत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण 3-9 वर्ष आयु के विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए विद्यार्थियों को परिवेश आधारित गतिविधियों. अभिभावकों और समुदाय के सहयोग. खेल. पोर्टफोलियो. छोटी - छोटी कहानी सुनाकर और छोटे - छोटे प्रश्न पूछकर आदि दृष्टिकोण अपनाने होगें।
3से 9 आयु वर्ग के बच्चों के विभिन्न हितधारकों जैसे माता-पिता ,पालक, आस-पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से चर्चा करके विभिन्न आयोजन एवं सामाजिक गतिविधि आयोजित करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा संबंध स्थापित कर के ।
3 se 9 varsh ki aayu ke bacchon ke sikhane ki kshamta ko samriddh karne ke liye Ham bacchon ke gatividhi aadharit gatividhi Karke unke Gyan Kaushal Mein Pradeep Karenge
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ज्योति मालवीय माध्यमिक विद्यालय महावर नगर 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षारता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कोशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेगे। अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं । अशोक कुमार कुशवाह सहायक शिक्षक नवीन प्राथमिक विद्यालय भील फलिया बडा उण्डवा विकास खण्ड आलीराजपुर मध्यप्रदेश
शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।pukhraj अग्रवाल Nirmala Shivhare
इस आयु के बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को बढ़ाने और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए उसके ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों और बच्चो की रुचि को जानकर या उनकी रुचि के अनुसार प्रस्तुत करेंगे साथ ही साथ अभिभावकों के द्वारा दिए सुझाओं का भी अनुकरण करके कक्षा शिक्षण में लागू करेंगे
शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। यही सही तरीका है।
हम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा। मुरली मनोहर बिसेन सहा शि शा प्रा शाला डोरली वि ख बरघाट जि सिवनी म प्र
Govt.epes m.s.bhanvarasa Neemuch शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण मे मदद करने के लिए अभिभावक और समुदाय से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामो को प्रस्तुत करेंगे ।
हम 3 से 9 वर्ष के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए उनके अभिभावक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सहायता से ऐसी गतिविधियां और क्रियाकलाप निर्मित करेंगे जिससे बच्चे प्रारंभिक अवस्था में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान से परिचित हो एवं खेल खेल में इन्हें सीखें l क्योंकि बच्चा सर्वप्रथम घर पर एवं आंगनबाड़ी में जाता है वहां वहां ऐसी खेल गतिविधियां निर्मित करें जिनसे बच्चे स्कूल आने से पहले बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान से परिचित हो सकें इसके बाद स्कूल में भी उनकी रूचि के अनुसार एवं उनके स्तर के अनुसार शिक्षा आधारित गतिविधियां उन्हें करने को दें जिससे बे खुशी खुशी प्रारंभिक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में पारंगत हो सके l धन्यवाद,, महावीर प्रसाद शर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा विकासखंड बदरवास, जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स से जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनायेंगे और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें
हम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा|गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके vinod kumar bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
3_9वर्ष के बच्चों के लिए पहले चरण में अभिभावकों व समुदाय से संपर्क कर एक कार्ययोजना बनाना है, खेल_खेल में बच्चों को सिखाएंगे. पूर्व ज्ञान से शालेय ज्ञान में जोड़ते हुए बच्चे की सीखने की उपलब्धि को सुनिश्चित करेंगे.
3से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ बनाने हेतु अभिभावक और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण मे सहायता करने के लिए अभिभावक और समुदाय के द्वारा सम्पर्क स्थापित कर ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनाकर, विद्यालय आधारित, खेल आधारित, खिलोना आधारित और गतिविधि आधारित ICT के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल विकसित कर छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ा सकते है।
श्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका, शासकीय कन्या प्राथमिक शाला, ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
3 से 9वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने हेतु अभिभावक एवं समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में सहायता करने के लिए अभिभावक और समुदाय के द्वारा संपर्क स्थापित कर ज्ञान , कौशल और दृष्टिकोण को सुदृढ़ बनाएंगे
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ बनाने हेतु अभिभावक और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण मे सहायता करने के लिए अभिभावक और समुदाय के द्वारा सम्पर्क स्थापित कर ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनाकर, विद्यालय आधारित, खेल आधारित, खिलोना आधारित और गतिविधि आधारित ICT के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल विकसित कर छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ा सकते है।
साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।विद्यालय आधारित, खेल आधारित, खिलोना आधारित और गतिविधि आधारित ICT के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल विकसित कर छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ा सकते है।
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
शिक्षा के प्रारिम्भक चरन के निर्माण में मदद करने कर लिये अभिभाव्को ओर समुदाय के मआध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तूत करेगें । 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे।
3 se 9 varsh ke bacchon ko buniyadi saksharatha sankhya Gyan Ke Sar ke Samaj ke liye Ye khel aadharit sankhya Gyan Wale gatividhiyon Ko Prathmik Tata Deni chahie abhibhavak ko aur samuday ke Madhyam se Sampark sthapit kar ke nai IMO ko prastut Karenge
3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों सीखने की क्षमताओं के विकास के लिए बच्चों के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल विकास और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाने के लिए अभिभावक और समुदाय के बीच सम्पर्क स्थापित कर नये आयाम प्रस्तुत कर सकते हैं।
शिक्षा के प्रारिम्भक चरन के निर्माण में मदद करने कर लिये अभिभाव्को ओर समुदाय के मआध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तूत करेगें । 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे।
3से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए चौक और बात की अपेक्षा खेलकूद एवं गतिविधियों पर आधारित कार्य करवा कर बच्चों को सीखने में मदद करेंगे। शैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश।
3से9वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों की सिखने की क्षमता की उपलब्धियों सुनिश्चित करने के लिए हम चॉक और बात पर आधारित न होकर बच्चों को खेल खेल के माध्यम उनको बुनियादी संख्याज्ञान एवं साक्षरता ज्ञान सिखाया जा सकता है।
3 -9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के बी्च में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। धन्यवाद्! अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक) शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय अमरोद विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
Shiksha ke prarambhik Charan ke nirman me madad karne ke liye aabhibhavko aur samuday ke madhyam se sampark sthapit karke naye aayamo ko prstut karege.
3से9वर्ष आयुवर्ग वाले बच्चों के बुनियादी विकास के लिए आंगनवाड़ी माता पिता विद्यालय शिक्षक सभी को एक मंच पर कार्य करके बच्चों के सम्पूर्ण विकासात्मक लक्षयो को ध्यान में रखते हुए खेल एवं आनन्द दाई गतिविधियों का निर्माण कर बच्चों के साथ कार्य करना होगा।
Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)--3-9वर्ष के आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को उनके द्वारा किये गए कार्य का आकलन करके सुनिश्चित करेंगे गे ।इसमेंसमुदाय, माता-पिता, शिक्षक एवं सहपाठी साथियों का सहयोग आनंददायी गतिविधियों के लिए आवश्यक है ।
3, से 9 आयु समूह के बच्चों को बुनियादी कौशल एवं संपूर्ण विकास में माता पिता के सहयोग के अलावा खेल खेल में शिक्षा द्वारा शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है ।
3-9 varsh ki aayu varg k bacho ki seekhne ki kshmta ki uplabdhiyon ka pta lgane k lie hm unki pradarshan or unki gatividhiyon me sehbhagita aadi k madhyam se lga skte h
हम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे | जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे | बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे | जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा |
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान , कौशलऔर दृष्टिकोण को मजबूत बनाएंगे। अभिभावकों और समुदाय माध्यम से सम्पर्क स्थापित कर नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे।बच्चों से उनकी मातृभाषा में चर्चा करेंगे।
मैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर (म.प्र) 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। इस तरह से छात्रों में हम सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं। ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏿
3-9 आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उनकी रुचि के अनुरूप खेलों को खेलने में संलग्न करेंगे, उन्हें दैनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुभवों को समझने,आपस में चर्चा करने के अवसर देंगे, उनके स्वास्थ्य और पोषण का विशेष रूप से ध्यान रखेंगे।
Teen se Nav varsh varg I wale bacche Khel Khel ke Madhyam se gatividhiyan Ke Madhyam Se khelon Ke Madhyam se AVN kahani E ka tha tatha Aur Bhi manoranjak tarike se bacchon ko sikhane ka Prayas Karenge bacchon Ke Sath Mitra baith vyavhar Hansi Khushi ke sath padhaai likhai karvayen sarvpratham unhen Shravan Kaushal bolane ka Kaushal aur antim likhane ka Kaushal viksit karaen
आप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को कैसे सुनिश्चित करेंगे? अपने विचारों को साझा करें। इस संबंध में मेरा विचार है कि हम उनके कार्य, व्यवहार और कक्षा में उनकी भागीदारी का सतत आकलन करते हुए हम एक कार्ययोजना बनाएंगे वेबलिंक्स के माध्यम से और बच्चो के पूर्व ज्ञान और खेल गतिविधि एवं चित्रों के माध्यम से बच्चों को ज्ञान कराएंगे। उनकी उपलब्धियों को पोर्टफोलियो और रूब्रिक्स के माध्यम से ज्ञात कर सकते हैं और विश्लेषण से जो वास्तविक स्थिति ज्ञात होगी उसके अनुसार 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उनकी रुचि के अनुरूप खेलों को खेलने में संलग्न करेंगे, उन्हें दैनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुभवों को समझने,आपस में चर्चा करने के अवसर देंगे, उनके स्वास्थ्य और पोषण का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे।
3-9 वर्ष आयु वर्ग केबच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने केलिए शाला प्रभारी /नेतृृत्व करने की कोशिश करेंगे। उन्हें दैनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुरूप अनुभवों को समझने और चर्चा करने केलिए अवसर प्रदान करेंगे। उनके स्वास्थ्य और पोषण का विशेष ध्यान रखें गे।
3-9 bars ki aayu ke bachcho ke beech buniyaadi saksharata avam sankhya Gyan ko sudran or netritva pradan karne ke liye koshal or drastikon ko saktisaali banayege
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी संख्या ज्ञान और संख्यात्मक ता को विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के रणनीतियां अपनाएंगे जैसे संख्या ज्ञान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल का विकास गणितीय गिनती और हिंदी के किताब पर पढ़ाना और प्रारंभिक तैयारियां कराना जैसे बुनियादी संख्यात्मक था और संख्या ज्ञान को विकसित करना विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाना इत्यादि का उपयोग करेंगे
बुनियादी संख्यात्मक का ज्ञान को विकसित करेंगे तथा और संख्यात्मक था को विकसित करेंगे इसके बाद 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के कौशलों का प्रयोग करेंगे तथा उपयोग करेंगे और पढ़ाएंगे लिख आएंगेगे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देंगे।
3-9 वर्ष के आयु के बच्चो के बीच बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चो की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिय अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
F L N कोर्स 10 बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु विद्यालय नेतृत्व | बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु बच्चों की सीखने की क्षमता विकसित करने के लिए भय मुक्त एवं आनन्द दायी वातावरण बनाना | खेल-खेल में शिक्षण गतिविधियों का संचालन |प्रत्येक बच्चे को अपनी बात कहने का पूरा अवसर प्रदान करना | पालकों से सम्पर्क कर विद्यालय नेतृत्व कर्ता की अनुकूल, परिवर्तन कारी, सहयोग और सतत् मूल्यांकन पर नियमित चर्चा करना| बच्चों को केंद्र में रखकर शिक्षण योजना बनाकर शिक्षण कार्य करना |शिक्षण नेतृत्व कर्ताओं को यथा सम्भव जो अनुकरणीय हो सकारात्मक और लचीला व्यवहार करने के लिए प्रेरित करना |
सोबरन सिंह मेहरा प्राथमिक शिक्षक जन शिक्षा केंद्र करकबेल जिला - नरसिंहपुर
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। इस तरह से छात्रों में हम सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को बढ़ा सकते
pahele 3-6 ke bachcho ke liye aanganwadi kendr ko protsahit karna hoga ki ve bachcho ko khel aadharit gatividhiyon se sikhana ke prayas kare aur unki seekhane ki chamta ka aakalan. karen aur 6-9 ke bachcho ko unke satat mulyankan ke madhym se unki seekhane ki chhamta aur unki uplbdhiyon ko sunishchit karenge.
ज्योति सक्सेना विदिशा ब्लॉक छोटे बच्चों को संख्यात्मक ज्ञान गुणवत्ता कौशल को बढ़ाने के लिए हमें बच्चों को गतिविधि के माध्यम से खेल खेल में उन्हीं की परिचित भाषा में सिखाएंगे तो ज्यादा बेहतर नतीजे आएंगे पहले हम बच्चों के समझे ताकि वह अपने मन की बात उनको क्या समझ में आता है क्या नहीं आता है वह हमें बोल सकें और उन्हें हम समझा सकें बच्चा हमें अपना समझे खुश वातावरण में बच्चे जल्दी सीखते हैं
ज्योति सक्सेना शासकीय प्राथमिक शाला नामा खड़ी हम बच्चों की पढ़ाई के लिए एसएससी का सहयोग अभिभावकों को सहयोग लेंगे और गांव में जो भी पढ़े लिखे हैं युवक हैं उनसे सहयोग लेंगे पहले हम खुद इन सभी लोगों से बातचीत करेंगे उन्हें बताएंगे कि अगर आप सभी लोग सहयोग करेंगे अपना-अपना जो ज्ञान है बच्चों से बाटेंगे समझाएंगे तो हमारे देश के लिए अच्छी पीढ़ी तैयार हो गई
3 -9 आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को खोजी प्रवृत्ति का होना चाहिए, साथ ही सही दृष्टिकोण, छात्र केन्द्रित शिक्षण, खेल आधारित शिक्षण, सीखने की आवश्यकता की पहचान, उपयुक्त गतिविधियों का निर्माण आदि के माध्यम से बच्चों की उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है,
भाऊराव धोटे (स.शिक्षक) EPES शा.मा. शा . लिहदा वि. ख. मुलताई (बैतुल) 3से9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए निम्नानुसार गतिविधियाँ सम्पन्न करेंगे । (1) 3से9 वर्ष की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियाँ तैयार कर के शिक्षण कार्य करेंगे। (2) बच्चों को उनके स्तरानुसार कक्षा कार्य तथा गृह कार्य देंगे और उनकी नियमित जाँच करेंगे। (3) संबंधित आयु वर्ग के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता व संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल, दक्षता और दृष्टिकोण को मजबूत बनायेंगे।
3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए शाला नेतृत्वकर्ता तथा शाला शिक्षक मिलकर एक स्पष्ट योजना बनाकर बच्चों की सीखने की क्षमता में गुणात्मक विकास के लिए बच्चों के माता पिता, समुदाय ,आँगनबाड़ी , आदि का सहयोग लेकर सबको साथ रखकर उनके सुझावों पर कार्य ,बच्चों के परिवेश घर की भाषा का उपयोग करते हुए बच्चों की रुचि का ध्यान रखते हुए बच्चों को केंद्र में रखते हुए 3से6वर्ष के बीच खेल आधारित शिक्षण फिर 6से9वर्ष के बीच बच्चों को बुनियादी शिक्षा तथा संख्यात्मक ज्ञान सिखाने के लिए खेल गतिविधियों तथा अन्य शैक्षिक गतिविधियों द्वारा शिक्षण कराते हुए बच्चों में स्वयं करके देखने की क्षमता का विकास कर बच्चों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन करते हुए सीखने की प्रक्रिया में कमियों को उपचारात्मक शिक्षण द्वारा दूर करते हुए बच्चों को FLN के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में कार्य करेंगे।बच्चों का प्रोत्साहन करते हुए उनके सीखने की क्षमताओं की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे। रामगोपाल शर्मा , प्राथमिक शिक्षक ,शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकासखंड गैरतगंज, जिला रायसेन।
बच्चों के सीखने की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए माता पिता,भाई,बहन,समुदाय का सहयोग लेंगे।खेल खेल में शिक्षा,शैक्षणिक वीडियो,चार्ट, रोचक गतिविधि इन सबका प्रयोग प्रभावी होगा। रीना वर्मा शा प्रा शाला बुंदड़ हरदा एम पी
3-9Varsr ki aayu ke baccho ke beech bunyadi saksharata avam sankhya Gyan ko sudran aour netratva pradan karne ke liye gyan kousal aour drastikon ko shaktishali banayenge.
3 से 9 वर्ग के आयु समूह के बच्चों के लिए उनके ज्ञान कौशल और उनके सीखने के विभिन्न आयामों को समाज के साथ मिलकर और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उन्हें सुदृढ़ बनाने का प्रयास करेंगे
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।खुमान सिंह विश्वकर्मा सलैया माल जिला मंडला ।3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए शाला नेतृत्वकर्ता तथा शाला शिक्षक मिलकर एक स्पष्ट योजना बनाकर बच्चों की सीखने की क्षमता में गुणात्मक विकास के लिए बच्चों के माता पिता, समुदाय ,आँगनबाड़ी , आदि का सहयोग लेकर सबको साथ रखकर उनके सुझावों पर कार्य ,बच्चों के परिवेश घर की भाषा का उपयोग करते हुए बच्चों की रुचि का ध्यान रखते हुए बच्चों को केंद्र में रखते हुए 3से6वर्ष के बीच खेल आधारित शिक्षण फिर 6से9वर्ष के बीच बच्चों को बुनियादी शिक्षा तथा संख्यात्मक ज्ञान सिखाने के लिए खेल गतिविधियों तथा अन्य शैक्षिक गतिविधियों द्वारा शिक्षण कराते हुए बच्चों में स्वयं करके देखने की क्षमता का विकास कर बच्चों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन करते हुए सीखने की प्रक्रिया में कमियों को उपचारात्मक शिक्षण द्वारा दूर करते हुए बच्चों को FLN के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में कार्य करेंगे।बच्चों का प्रोत्साहन करते हुए उनके सीखने की क्षमताओं की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे। रामगोपाल शर्मा , प्राथमिक शिक्षक ,शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकासखंड गैरतगंज, जिला रायसेन।
3 से9 वर्ष की आयु के बच्चो की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए उनके स्तर के अनुसार कार्य योजना का निर्माण कर उससे सबंधित लोगो से संपर्क कर कार्य करेंगे इसमें जिस गतिविधि या खेल या और सहायक सामग्री की आवश्कता पड़ेगी उसकी व्यवस्था करने पर कोशिश की जाएगी ताकि उसके लक्ष्य पर पहुंचा जा सके । नाम प्रकाश दशोरे शाला - नवीन माध्यमिक शाला धनोरा ब्लॉक - पंधाना जिला - खंडवा
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित, गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है। 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं साथ ही साथ एक बेहतर परिवेश और वातावरण के साथ शिक्षा से जुड़ सकते हैं बच्चे नेतृत्व विकास के लिए हमको बाल कैबिनेट से जोड़ सकते हैं क्योंकि हम अपनी विद्यालय के बच्चों को ही लेते हैं इस प्रकार से जब हम बच्चों को खेल पर आधारित गतिविधि पर आधारित और उनकी कौशल विकास पर आधारित चीजें करते हैं तो उनका शिक्षा के प्रति एक दृष्टिकोण का विकास होता है और वह आकर्षित होते हैं और हमें जिस लक्ष्य पर पहुंचना है या जो अवधारणा उनके सामने देनी है उसके बारे में भी हम उन्हें अच्छे से समझा पाते हैं और इससे बच्चे के अंदर नेतृत्व विकास की क्षमता का विकास होता है साथ ही साथ उसका भी विकास होता है और इसमें महती भूमिका भी निभाते हैं हमारे अभिभावक हमारे आस पड़ोस के लोग और हमारी दैनिक व्यवहार में आने वाली वस्तुएं बच्चों के स्तर पर आने वाली वस्तुएं या आने वाली गतिविधि और हमें उन्हें जो सिखाना है या जिस लक्ष्मण में पहुंचना है बहुत ही शीघ्रता से उसे सीख लेते हैं या सीखने के लिए तत्पर रहते हैं खेल खेल में शिक्षा तभी तो सार्थक होगी जब हम उसे अपने व्यवहार में अपने विद्यालय में और अपनी शिक्षा में उसे शामिल करें जिससे बच्चों के साथ-साथ वोट की अभिभावक हुई इसमें भाग ले और एक आप ही समझ के साथ क्योंकि हमारा केन्द्र बिन्दु विद्यालय में आने वाला वह बच्चा है जो कि कोमल है या कह सकते हैं कि बिल्कुल अभी खाली घड़ा है और हमें उसी आकार देना है और जिस तरीके से हम उसे आकार देगी घड़ा उसी तरीके से रहेगा क्योंकि 3 से 9 वर्ष की आयु में बच्चों का सीखने का स्तर बहुत तीव्र होता है यह सकते हैं कि इस उम्र में जो सीखते हैं वह उनके जीवन पर्यंत काम आने वाला होता है इसलिए हमें उनकी विकास के लिए प्रयास करना है वो कर रहे हैं क्योंकि बेहतर भविष्य के लिए हम बच्चों को ऐसी गतिविधियों से जुड़ें ऐसी गतिविधियां करें जिससे कि उनकी अंदर मात्र एक ज्ञान ना रहे उसकी समझ बना पाए और उसे अच्छे से सहज रूप से अपने व्यवहार में ला पाएंगे। धन्यवाद 🙏 वैदेही त्रिपाठी (प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
3 - 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों के माता पिता तथा उनके आस पड़ोस वाले लोगों को शामिल करते हुए उनके विकास में सहभागी बनाएंगे।
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चो के बीच बुनियादी साक्षरता एवम संख्या ज्ञान को सुदृण और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान शुद्रणऔर नेतृत्व प्रदान करेंगे !3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं|
3से9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमताओं में बृद्धि के लिये बच्चों के ज्ञान कौशल वा अभिवृतीयों के बिकास की आवश्यकता है जिसे उनकी रुचियों के अनुरूप गतिविधियों का आयोजन कराकर ' व संज्ञानात्मक भावात्मक खेल एवं समूह गतिविधियों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है ।
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे l
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं|
3 se 9 varsh ke bacchon Ki Aankhen ke liye Ham bacchon ke gyan ko tat bolenge bacchon se vyavaharik prashn puchenge jo Dainik Jivan Mein Karya Aate Hain Dainik Jeevan Ki vastuon se sambandh vidhiyan karwayenge Taki Unka Sahi Sahi Aankhen ho sake aur unke Gyan Kaushal rachnatmak Shaili Mein Vikas ho sake
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। प्राथमिक शाला भागपुर प्राथमिक शिक्षक तिलोक चंद यादव मंडला बिछिया मध्य प्रदेश
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए खेल आधारित गतिविधि कराएंगे एवं अभिभावकों वह समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करेंगे
3 से 9 वर्ष के बच्चों के सीखने की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए हम बच्चों के पालक परिवार एवं समाज से संपर्क बनाकर तथा विद्यालय में एवं स्कूल में होने वाले छोटे-छोटे कामों में उनको संलग्न कर उनका अवलोकन करेंगे कि बच्चा काम को सुगमता से कर पा रहा है या कठिनाई महसूस कर रहा है इस हिसाब से हम बच्चे की सीखने की अगली स्ट्रेटजी हो तैयार करेंगे।
3 से 9 आयु वर्ग के बच्चे अपना अधिकतम समय अपने माता-पिता,दादा-दादी और बड़े भाई -बहिन के साथ रहते हैं और उनसे घर मे उपयोग होने वाली वस्तुओं के नाम सिखाते हैं।जिससे बच्चो की मातृभाषा का विकास होता है।
३_९ आयु वर्ग के बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान को सुदृढ़ बनाने में कौशलों के विभिन्न आयामों का समावेश करेंगे। बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान सुदृढ़ हो सके रामनारायण गुप्ता पी एस इंद्रानगर अनूपपुर ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
3-9 varsh ki ayu bhot kuch sikhne ki hoti hai . kyoki iske baad balak vastavik mai kuch sikhta. Is samay usse margdarshan ki avasyakta hoti hai. Aur un baccho kai beech buniyadi saksharta evm sankhya gyan ko sradad or netatrva pradan karne kai liye gyan,koshal,drashtikon ko sahktishali bnayege
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञानएफ एन एल को शुद्रण करने और अपना नेत्रत्य प्रदान करने लिये हम 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क आदि कर उन्हें घर पर एवंआंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे एवं बच्चों की नींव मजबूत होने पर जोर देगें जिससे बच्चे आगे बड़ पढ़ सकें आदि।
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाए और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाए
शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
3 से 9 वर्ष के बच्चे अपना अधिकतम समय अपने माता पिता दादा दादी और बड़े भाई बहन के साथ रहते हैं और उनसे घर में उपयोग होने वाले वस्तुओं के नाम सिखाते हैं जिससे बच्चों की मातृभाषा का विकास होता है
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन में 3-9 वर्ष के बच्चों के ज्ञान को सुदृढ करने के लिए उनके पालकों से संपर्क कर जहॉ आवश्यकता मदद के लिए कहेंगे तथा बच्चों को उनके कामों में व्यस्त करेगे इस प्रकार बच्चे धीरे धीरे ने आयामों की ओर अग्रसर होंगे
यह निश्चित करने के लिए बच्चे स्वच्छता संबंधी आदतों का पालन कर रहे हैँ, प्रतिदिन के आधार पर आप किन क्षेत्रों की निगरानी रखने का प्रस्ताव रखेंगे? अपने विचार साझा करें।
शिक्षक/शिक्षिका के रूप में उन परेशानियों के बारे में विचार कीजिए , जिनका सामना आप अक्सर विद्यालय में करते हैं! यह सोचने की कोशिश करें कि विद्यालय प्रबंधन और माता-पिता के माध्यम से किन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा किस प्रकार इन लोगों से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई जाए ताकि बेहतर स्थिति प्राप्त हो सकें। अपने विचार साझा करें।
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ReplyDeleteविद्यालय नेतृत्व एवं बुनियादी संख्या ज्ञान पर यह समझ विकसित हुई कि बच्चे प्राथमिक कक्षा में संख्यात्मक ज्ञान कौशल की अभिवृद्धि के लिए अपने विधा और शिक्षक सामान्य स्वरूपों के अनुरूप किस प्रकार कार्य करेंगे यह परिणाम दाई होगा
Deleteधीरेंद्र प्रसाद मिश्रा बीएससी सोहावल सतना बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान ज्योति विद्यालय नेतृत्व ऐसा विषय है जो बच्चे की अभिवृद्धि ज्ञान कौशल संख्या के समय को और अधिक उन्नत करता है जब शिक्षक आसपास परिवेश से जुड़े बुनियादी कौशलों का प्रयोग करते हैं तो बच्चे अपनी देशज भाषा से संख्या के उत्तरोत्तर ज्ञान की ओर बढ़ता है सिलसिलेवार अंकुर अंकुर समूह की गतिविधियां इसमें और अधिक प्रभावी योगदान देती हैं बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए दिए गए कार्य गतिविधियों के वीडियो क्रमांक एवं साथ में दी गई गतिविधि बहुत ही आकर्षक है
Delete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।pukhraj Agrawal
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारिम्भक चरन के निर्माण में मदद करने कर लिये अभिभाव्को ओर समुदाय के मआध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तूत करेगें ।
DeleteShiksha ke first Charan me guardian or teacher , padosiyon ka khas sthan hota hai
Deleteबेदनारायण दुबे
Deleteप्रा शा सुकतरा जिला सिवनी
बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए परिवार के सहयोग के साथ साथ हमारे आसपास उपलब्ध बस्तुओ के माध्यम से संख्याज्ञान की समझ विकसित करने में सहायता लेते हैं
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।खुमान सिंह विश्वकर्मा सलैया माल जिला मंडला ।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteहम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा|
ReplyDeleteरघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव, जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहस राम विकासखंड- विजयपुर ,जिला -श्योपुर(मध्य प्रदेश)
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान शुद्रणऔर नेतृत्व प्रदान करेंगे !3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं
ReplyDeleteआयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
ReplyDeleteमैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या प्राथमिक शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूं 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे
ReplyDelete3से9आयु वर्ष के बच्चों के बुनियादी साक्षरताएवं संख्या ज्ञान विकसित करने के लिए शाला प्रभारी तौर पर,शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व की आवश्यकता है।गतिविधियाँ संचालित कर पालकों एवं एस एम सी के माध्यम से प्रभावी बनाऐंगे ।आँगनवाड़ी कार्यकर्ता ,समुदाय का भी सहयोग लेंगें ।गतिविधियाँ आयोजित करवाऐंगे ताकि बच्चे बालवाटिका तक पहुंचने पर बच्चे बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की समझ विकसित हो सके।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान शुद्रणऔर नेतृत्व प्रदान करेंगे !3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं
Delete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चो को बुनियादी संख्या ज्ञान के समझ के लिए खेल आधारित संख्या ज्ञान वाले गतिविधियों को प्राथमिकता देना चाहिए
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteडॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
इस तरह से छात्रों में हम सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏿
सुनीत कुमार पाण्डेय
जिला कटनी (मप्र)
💐☺️
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
Deletesultan Khan teacher p s. devgad buniyaadi saksharta or sankhya gyaan ko majboot karne ke liye hum bachho ka driticod majboot banayege
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित कर के नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु के बच्चो के बीच बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे।
ReplyDeleteबच्चो की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिय अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
N.K.AHIRWAR
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteडॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
हम एक कार्ययोजना बनाएंगे वेवलिंक्स के माध्यम से और बच्चो के पूर्व ज्ञान और खेल गतिविधि एवं चित्रों के माध्यम से बच्चो को अंक ज्ञान आकृति बड़ता क्रम एवं घटता क्रम एवं वर्गीकरण व समान क्रम इन सब का ज्ञान कराएंगे।
ReplyDelete3 -9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को नेत्रत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे । बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे ।
ReplyDeleteबच्चों के लिए प्रिंट भरा माहौल उनके साथ उनकी अपनी मातृभाषा मे चर्चा करेंगे
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे।
ReplyDelete3 se 9 varsh ki aayu ke bacchon ke bich buniyadi saksharatha AVN sankhya gyan ko Sudridh aur netrutva pradan karne ke liye Gyan Kaushal aur drishtikon ko majbut banaenge.
ReplyDelete309 aayu varg ke bacchon ko 42 saksharta aur sankhya Gyan ke Kaushal ko badhane ke liye kya 9 Kaushal on netrutva ko shaktishali banaenge
ReplyDeleteशिक्षा के प्रथम चरण में
ReplyDeleteपॉलको को सशक्त बना कर छात्रों का शैक्षणिक विकास करेंगे ।
। और समुदाय के माध्यम से नए आयामों को स्थापित करेंगे ।
जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें ।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!!
ReplyDeleteShiksha ke naye aayamo ko pradarshit karne ke liye ye teen se no varsh ke bacchon main main Gyan Kaushal AVN drishtikon ko Sudrad banane ke liye bacchon mein Khel Khel mein main dakshata ka Vikas karenge
ReplyDeleteBuccho ko gher per ya Aangnwari or school per sikhchon ke dwara sikcha di jani chahiye.
ReplyDelete3से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान। कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी।। 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां कराएंगे बच्चे के स्तर को ध्यान में रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा।।
ReplyDeleteमाता पिता समुदाय आंगनबाड़ी,बालवाटिका की मदद से आगे बढ़ेंगे
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteआयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
ReplyDeleteNaresh Sahu Prathmik Shikshak
P/S Rajpalchowk pipariya lalu
District -Chhindwara
Block-chhindwara
Dise code -23430109203
3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के बी्च में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3से9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमताओं में बृद्धि के लिये बच्चों के ज्ञान कौशल वा अभिवृतीयों के बिकास की आवश्यकता है जिसे उनकी रुचियों के अनुरूप गतिविधियों का आयोजन कराकर ' व संज्ञानात्मक भावात्मक खेल एवं समूह गतिविधियों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है ।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन के सफलता के लिए 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों को बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान को मजबूत बनाने के लिए अभिभावकों और समुदाय की मदद से उनके ज्ञान कौशल को नए नए आयाम देते हुए सीखने की प्रक्रिया को सद्रड़ बनाएंगे
ReplyDeleteसंख्या ज्ञान को मजबूत करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों,और भाई बहनों की मदद लेकर सहयोग प्रदान किया जा ये3 -9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को नेत्रत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे । बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे ।
ReplyDeleteसबसे पहले बच्चे कलर पहचानना , परिवेश को पहचानना,सीखते हैं। गणित में जोड़ घटाना सीखता है। इसके साथ-साथ सामाजिक विकास भी होता है, बच्चों में मित्रता का भाव भी आता है। एक दूसरे की मदद करते है, सभी चीजों को मिल बांट कर करते है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए खेल खिलौना दिखाकर छोटे-छोटे प्रश्न करके कहानियां सुना कर कहानियां सुना कर कहानियों के बारे में प्रश्न पूछ कर उनकी क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष के बच्चों को बुनियादी संख्या ज्ञान की समझ के लिये खेल आधारित संख्या ज्ञान वाली गतिविधियों को प्राथमिकता देना चाहिये ।
ReplyDeleteहमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें ।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के छात्रों की सीखने की उपलब्धियों की सुनिश्चतता हेतु हम अभिभावको की सहायता लेंगे ।अभिभावक ही बालक के प्रथम हितधारक होते हैं अतः उनका सहयोग छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ReplyDeleteअभिभावक छात्रों के प्रथम हितधारक होते है, अतः छात्रों के अकादमिक उन्नयन में हम उनकी सहायता ले सकते है। छात्रों के दिन प्रतिदिन की गतिविधियों से हम उनका आकलन कर अभिभावकों की सहायता से हम अधिगम उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चो के पूर्व ज्ञान और खेल गतिविधि एवं चित्रों के माध्यम से बच्चो को अंक ज्ञान आकृति बड़ता क्रम एवं घटता क्रम एवं वर्गीकरण व समान क्रम इन सब का ज्ञान कराएंगे।तीन से नौ वर्ष की आयु के बच्चों को बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान को मजबूत बनाने के लिए अभिभावकों और समुदाय की मदद से उनके ज्ञान कौशल को नए नए आयाम देते हुए सीखने की प्रक्रिया को सद्रड़ बनाएंगे
ReplyDeleteहम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा|
ReplyDeleteदिलीप कुमार कोरी शासकीय प्राथमिक शाला छोटी पैकौरी जिला सतना
सकीना बानो
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के लिए प्रिंट समृद्ध वातावरण उनकी मातृभाषा में चर्चा पूर्व ज्ञान ,चित्र,खेल आधारित,गतिविधि आधारित,आई सी टी के प्रयोग के द्वारा अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
शिक्षा के प्रारंभिक चरण में 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से एवं बच्चों के अनुरूप गतिविधि आधारित शिक्षण जैसे खेल कहानी कविता एवं बुनियादी साक्षरता तथा संख्या ज्ञान को सुद्रढ़ बना कर उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे
ReplyDeleteबच्चों के बुनियादी कौशल के निर्माण के लिए परिस्थितियों को विकसित कर सीखने की गति में सहायता कर उन्हें आत्मविश्वासी बनाकर ताकि वे पूरे विश्वास के साथ सीखने की क्षमता हासिल कर सकें
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों के लिए ग्यान कौशल और दृष्टिकोण को शामिल करके एक जीवंत पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता है।समुदाय के साथ भरोसेमंद संबंध विकसित करने और बच्चों के साथ सुदृढ़ भावनात्मक संबंध बनाने हेतु अनुकूल वातावरण का निर्माण करेंगे।
ReplyDelete3-9 आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने हेतु अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एवं आवश्यकतानुसार समुदाय की मदद लेंगे।
ReplyDeleteखेल आधारित गतिविधियों, एवं बच्चों की रूचि से जुड़ी गतिविधियों द्वारा सिखायेंगे।
Noorul Quraishi,
G.M.S.Adarsh, Chhatarpur
Bacchon ki prarambhik Shiksha ke liye buniyadi sankhya Shiksha bacchon ka sarvangeen Vikas karti hai vah mansik sharirik baudhik gadi ka Nirman Karti Hai AVN Vikas Karti Hai sakshar Banane mein Sahayak hoti hai
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।बच्चों के बुनियादी कौशल के निर्माण के लिए परिस्थितियों को विकसित कर सीखने की गति में सहायता कर उन्हें आत्मविश्वासी बनाकर ताकि वे पूरे विश्वास के साथ सीखने की क्षमता हासिल कर सकें
ReplyDelete3 से 9 आयु वर्ग के बच्चो के सीखने के कौशल की उपलब्धि को सुनिश्चित करने के लिए पहेली ,शब्द खेल,और अन्य गतिविधि आधारित कार्यक्रम भी करा सकते है जो उनकी सीखने की क्षमता की उपलब्धि को दर्शाए।
ReplyDelete3-9 आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने हेतु अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एवं आवश्यकतानुसार समुदाय की मदद लेंगे।
ReplyDeleteखेल आधारित गतिविधियों, एवं बच्चों की रूचि से जुड़ी गतिविधियों द्वारा सिखायेंगे।
आयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके ।
ReplyDeleteमोहन लाल कुर्मी
P/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteडॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
मोहन लाल कुर्मी
P/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
Bacchon ke liye print Nirmit vatavaran taiyar kiya jaega class ko Is Tarah se Shiksha ki Drishti se taiyar kiya Jaaye
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके ।
ReplyDeleteYahan munagaku ramayan teen se nav varsh ki aayu ke bacchon ke bich buniyadi saksharta AVN sankhya gan ko shudra aur pradan karne ke liye gyan Kaushal aur drishti ko shaktishali banayenge bacchon Ki shiksha ke prarambhik Charan ke nirman mein madad karne ke liye abhi bhav ko aur samudra ke madhyam se sampark sthapit Karke nai ko prastut karenge
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद के लिए माता पिता समाज की भागीदारी तय कर नए आयाम प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए उनके प्रारंभिक आकलन को समझना होगा उस स्तर के अनुसार आयु अनुसार उनको शिक्षा ग्रहण करने में मदद होगी आयुक्त अनुसार उनका निश्चित मूल्यांकन करने के बाद उस स्तर पर हमें अपने प्रयास जारी रख सकेंगे और बच्चों का मूल्यांकन करके ही हम उनकी स्थिति को पहचान सकेंगे जिससे उनको उचित आयु के अनुसार मूल्यांकन किया जा सके
ReplyDelete309 वर्ष की आयु के बच्चों को सीखने के लिए उनकी बाल्यावस्था में आकलन को समझना आवश्यक है पोषी स्तर के अनुसार बच्चों का मानसिक विकास हो जाता है शिक्षा के प्रारंभिक चरण के माता पिता और समाज भी सहयोगात्मक कार्य करते हैं करना चाहिए ताकि उनका संपूर्ण रूप से विकास हो सके
ReplyDeleteSabse pahle bacchon ke ank gyan ko satrod Karen
ReplyDelete3से 9आयु वर्ग के बच्चों के विभिन्न हितधारकों जैसे माता पिता पालक आस पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से चर्चा करके विभिन्न आयोजन एवं सामाजिक गतिविधि आयोजित करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा संबंध स्थापित कर के ।
ReplyDeleteबच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके
3 से 9 वर्ष आयु के बच्चों का के प्रारंभिक शिक्षा एवं बुनियादी संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने हेतु हम ऐसी गतिविधियों का निर्माण करेंगे जिसमें बच्चे खेल खेल में शिख जाए। इस कार्य में हम आंगनवाड़ी एवम समुदाय का सहयोग प्राप्त करेंगे।।
ReplyDeleteपुरुषोत्तम राऊत
शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय, कुण्डलिकलां,जिला-छिंदवाड़ा
3-9वर्ष के बच्चो को बुनियादी संख्या ज्ञान की चमक के लिए खेल आधारित को प्राथमिकता देना चाहिए
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।क्योंकि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है।
ReplyDelete3 to 9 ke bacchon ki buniyadi sacharta Or sankhya gyaan ke koshal ko badane ke liye khel aadhaarit gatividhiyon ko praathmikta dengein.
ReplyDeletePreschool and early elementary years During these years, children’s learning is more explicit and visible. Preschoolers are more competent in deliberate approaches to learning, such as trial and error or informal experimentation. Preschoolers are experiential, learning by doing rather than figuring things out only by thinking about them. This makes shared activities with educators and peers potent opportunities for cognitive growth. Still, the potential to underestimate the cognitive abilities of young children persists in the preschool and kindergarten years. In one study, for example, children’s actual performance was six to eight times what was estimated by their own preschool teachers as well as experts in educational development. A study in kindergarten revealed that teachers spent most of their time on content the children already knew. When educators practice in a way that is aware of the cognitive progress of children at this age they can deliberately enlist the child’s existing knowledge and skills in new learning opportunities. Greater achievement in this age group is associated with instructional strategies that promote higher-level thinking, creativity, and some abstract understanding, such as talking about ideas or future events. For example, when educators point out how numbers can be used to describe diverse sets of elements (four blocks, four children, 4 o’clock), it helps children generalize an abstract concept (“fourness”). Another example is interactive storybook reading, in which children describe the pictures and label their elements while the adult and child ask and answer questions of each other about the narrative. Preschoolers’ interest in learning by doing is also naturally suited to experimental inquiry related to science and other types of learning that involve developing and testing hypotheses.
ReplyDelete3से 9आयु वर्ग के बच्चों के विभिन्न हितधारकों जैसे माता पिता पालक आस पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से चर्चा करके विभिन्न आयोजन एवं सामाजिक गतिविधि आयोजित करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा संबंध स्थापित कर के । खेल बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य है कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें।बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे इस दौरान पालकों से भी सतत सम्पर्क स्थापित करेंगे!
Shamim Naz H/S Arif Nagar Bhopal
ReplyDelete3_9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान कौशल को सुद्रदबनाएंगे
इस कार्य में अभिभावकों और समुदाय की सहभागिता से नए आयामों को जोड़ने का प्रयास
करेंगे।
शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों की सहायता से, खेल खिलौना दिखाकर, छोटे-छोटे प्रश्न करके ,कहानियां सुना कर कहानियां सुना कर कहानियों के बारे में प्रश्न पूछ कर उनकी क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं ।
ReplyDeleteसमुदाय एवं माता-पिता से सहयोग लेगे,गतिविधियों के माध्यम से खिलौनों के द्वारा खेल द्वारा क्षमताओं को विकसित करेगे एवं पोर्टफोलियो,चार्ट,दैनिक डायरी में रिकॉर्ड संधारित करेगे जिससे बच्चों को प्रगति,क्षमताओं की जानकारी सुनिश्चित कर सकते है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए बच्चे को केंद्र में रखकर सुलभ खिलौने परिवेश आधारित गतिविधियों और अभिभावक समुदाय संबंधित अधिकारियों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं बलवटिका शिक्षकों मुद्रित वातावरण और सीखने के गुणवत्तापूर्ण दृष्टिकोण को अपनाते हुए सुनिश्चित करेंगे।🙏
ReplyDeleteरत्नेश मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण
ReplyDelete3-9 वर्ष आयु के विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए विद्यार्थियों को परिवेश आधारित गतिविधियों. अभिभावकों और समुदाय के सहयोग. खेल. पोर्टफोलियो. छोटी - छोटी कहानी सुनाकर और छोटे - छोटे प्रश्न पूछकर आदि दृष्टिकोण अपनाने होगें।
3 से 9 आयु वर्ग के बच्चों को हम केन्द्र में रखकर अभीभावक समुदाय के सहयोग से गति विधियो को करते हुए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दें सकते हैं।
ReplyDelete3-9 varsh ke bacchon ko buniyadi sankhya gyan ki samajh ke liye khel aadhaarit sankhya gyan wali gatividhiyon ko prathmikta di jani chahiye.
ReplyDelete3से 9 आयु वर्ग के बच्चों के विभिन्न हितधारकों जैसे माता-पिता ,पालक, आस-पास के लोगों से शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से चर्चा करके विभिन्न आयोजन एवं सामाजिक गतिविधि आयोजित करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के द्वारा संबंध स्थापित कर के ।
ReplyDelete3 se 9 varsh ki aayu ke bacchon ke sikhane ki kshamta ko samriddh karne ke liye Ham bacchon ke gatividhi aadharit gatividhi Karke unke Gyan Kaushal Mein Pradeep Karenge
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को सिखाने के लिए हम गतिविधियां करके सुनिश्चित करते हैं।
ReplyDeleteअभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ReplyDeleteज्योति मालवीय
ReplyDeleteमाध्यमिक विद्यालय महावर नगर
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षारता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कोशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेगे। अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेगे अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयाम बनाएंगे।
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ReplyDeleteREPLY
UnknownFebruary 10, 2022 at 12:46 AM
बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं ।
अशोक कुमार कुशवाह सहायक शिक्षक नवीन प्राथमिक विद्यालय भील फलिया बडा उण्डवा
विकास खण्ड आलीराजपुर मध्यप्रदेश
शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।pukhraj अग्रवाल Nirmala Shivhare
ReplyDeleteइस आयु के बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को बढ़ाने और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए उसके ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों और बच्चो की रुचि को जानकर या उनकी रुचि के अनुसार प्रस्तुत करेंगे साथ ही साथ अभिभावकों के द्वारा दिए सुझाओं का भी अनुकरण करके कक्षा शिक्षण में लागू करेंगे
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। यही सही तरीका है।
ReplyDeleteहम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा। मुरली मनोहर बिसेन सहा शि शा प्रा शाला डोरली वि ख बरघाट जि सिवनी म प्र
ReplyDeleteGovt.epes m.s.bhanvarasa Neemuch शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण मे मदद करने के लिए अभिभावक और समुदाय से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामो को प्रस्तुत करेंगे ।
ReplyDeleteहम 3 से 9 वर्ष के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए उनके अभिभावक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सहायता से ऐसी गतिविधियां और क्रियाकलाप निर्मित करेंगे जिससे बच्चे प्रारंभिक अवस्था में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान से परिचित हो एवं खेल खेल में इन्हें सीखें l क्योंकि बच्चा सर्वप्रथम घर पर एवं आंगनबाड़ी में जाता है वहां वहां ऐसी खेल गतिविधियां निर्मित करें जिनसे बच्चे स्कूल आने से पहले बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान से परिचित हो सकें इसके बाद स्कूल में भी उनकी रूचि के अनुसार एवं उनके स्तर के अनुसार शिक्षा आधारित गतिविधियां उन्हें करने को दें जिससे बे खुशी खुशी प्रारंभिक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में पारंगत हो सके l
ReplyDeleteधन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा
विकासखंड बदरवास, जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
hume palko ko
ReplyDeleteआयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स से जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनायेंगे और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें
ReplyDelete3से 9 बर्ष के बच्चों के बुनियादी संख्या ज्ञान को बढ़ाने के लिए ऐंसे किर्याकलाप ओर गतिविधियों पर जोर दिया जाये जिससे बच्चे खेल खेल में सीख सकते हो।
ReplyDeleteहम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे| जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके |एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे |बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे| जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा|गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाएगा और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि वहां पर भी कोर्स अनुसार गतिविधियां संचालित हो सके ताकि बच्चे बाल वाटिका तक पहुंचने पर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देख कर सीखने की क्षमता अर्जित कर सकें और शब्दों को पहचानने एवं संख्या का वर्गीकरण कर सकें ताकि एक कौशल का द्वार खुल सके vinod kumar bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
ReplyDelete3_9वर्ष के बच्चों के लिए पहले चरण में अभिभावकों व समुदाय से संपर्क कर एक कार्ययोजना बनाना है, खेल_खेल में बच्चों को सिखाएंगे. पूर्व ज्ञान से शालेय ज्ञान में जोड़ते हुए बच्चे की सीखने की उपलब्धि को सुनिश्चित करेंगे.
ReplyDelete3से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ बनाने हेतु अभिभावक और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण मे सहायता करने के लिए अभिभावक और समुदाय के द्वारा सम्पर्क स्थापित कर ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनाकर, विद्यालय आधारित, खेल आधारित, खिलोना आधारित और गतिविधि आधारित ICT के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल विकसित कर छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ा सकते है।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
3 से 9वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने हेतु अभिभावक एवं समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में सहायता करने के लिए अभिभावक और समुदाय के द्वारा संपर्क स्थापित कर ज्ञान , कौशल और दृष्टिकोण को सुदृढ़ बनाएंगे
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ बनाने हेतु अभिभावक और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण मे सहायता करने के लिए अभिभावक और समुदाय के द्वारा सम्पर्क स्थापित कर ज्ञान, कौशल और द्रष्टिकोण को शक्तिशाली बनाकर, विद्यालय आधारित, खेल आधारित, खिलोना आधारित और गतिविधि आधारित ICT के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल विकसित कर छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ा सकते है।
ReplyDeleteसाक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।विद्यालय आधारित, खेल आधारित, खिलोना आधारित और गतिविधि आधारित ICT के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल विकसित कर छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ा सकते है।
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteडॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
Shiksha ke a prarambhik Charan ke a Nirman Mein madad ke liye Mata Pita Samaj ki ki bhagidari karne naya yah more prastut Karenge
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारिम्भक चरन के निर्माण में मदद करने कर लिये अभिभाव्को ओर समुदाय के मआध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तूत करेगें । 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे।
Deleteबच्चों के परिवेस की भाषा का उपयोग करेंगे
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों को उनकी समझ के अनुरूप सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाकर कार्य करना होगा.
ReplyDelete3 se 9 varsh ke bacchon ko buniyadi saksharatha sankhya Gyan Ke Sar ke Samaj ke liye Ye khel aadharit sankhya Gyan Wale gatividhiyon Ko Prathmik Tata Deni chahie abhibhavak ko aur samuday ke Madhyam se Sampark sthapit kar ke nai IMO ko prastut Karenge
ReplyDelete3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों सीखने की क्षमताओं के विकास के लिए बच्चों के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल विकास और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाने के लिए अभिभावक और समुदाय के बीच सम्पर्क स्थापित कर नये आयाम प्रस्तुत कर सकते हैं।
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारिम्भक चरन के निर्माण में मदद करने कर लिये अभिभाव्को ओर समुदाय के मआध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तूत करेगें । 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे।
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चो को उनकी समझ के अनुरूप सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाकर कार्य करना होगा
ReplyDelete3से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए चौक और बात की अपेक्षा खेलकूद एवं गतिविधियों पर आधारित कार्य करवा कर बच्चों को सीखने में मदद करेंगे।
ReplyDeleteशैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश।
3से9वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों की सिखने की क्षमता की उपलब्धियों सुनिश्चित करने के लिए हम चॉक और बात पर आधारित न होकर बच्चों को खेल खेल के माध्यम उनको बुनियादी संख्याज्ञान एवं साक्षरता ज्ञान सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteTeen se Nav varsh ke bacchon ko Chhoti Chhoti gatividhiyon ke bare mein Ham Bata Kar bacche ko acchi Shiksha pradan kar sakte hain
ReplyDelete3 -9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के बी्च में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3 से 6 वर्ष तक खेल आधारित शिक्षण।
ReplyDelete6 से 9 वर्ष तक अनुभवात्मक एवम कला आधारित शिक्षण।
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteधन्यवाद्!
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय अमरोद
विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3से 9 वर्ष के बच्चो को बुनियादी संख्या क्षान की समझ के लिए खेल आधारित संख्या ज्ञान वाली गतिविधि करवायगें
ReplyDeleteShiksha ke prarambhik Charan ke nirman me madad karne ke liye aabhibhavko aur samuday ke madhyam se sampark sthapit karke naye aayamo ko prstut karege.
ReplyDelete3से9वर्ष आयुवर्ग वाले बच्चों के बुनियादी विकास के लिए आंगनवाड़ी माता पिता विद्यालय शिक्षक सभी को एक मंच पर कार्य करके बच्चों के सम्पूर्ण विकासात्मक लक्षयो को ध्यान में रखते हुए खेल एवं आनन्द दाई गतिविधियों का निर्माण कर बच्चों के साथ कार्य करना होगा।
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)--3-9वर्ष के आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को उनके द्वारा किये गए कार्य का आकलन करके सुनिश्चित करेंगे गे ।इसमेंसमुदाय, माता-पिता, शिक्षक एवं सहपाठी साथियों का सहयोग आनंददायी गतिविधियों के लिए आवश्यक है ।
ReplyDelete3, से 9 आयु समूह के बच्चों को बुनियादी कौशल एवं संपूर्ण विकास में माता पिता के सहयोग के अलावा खेल खेल में शिक्षा द्वारा शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है ।
ReplyDelete3-9 varsh ki aayu varg k bacho ki seekhne ki kshmta ki uplabdhiyon ka pta lgane k lie hm unki pradarshan or unki gatividhiyon me sehbhagita aadi k madhyam se lga skte h
ReplyDeleteहम 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को समृद्ध करने के लिए बच्चों के अभिभावक ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व समुदाय की मदद से कुछ गतिविधियां निर्मित करेंगे | जिससे बच्चा घर पर भी शिक्षण कार्य कर सके एवं विद्यालय में बच्चों की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियां तैयार करके शिक्षण कार्य कराएंगे | बच्चे के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार उसे कार्य देंगे | जिससे बच्चा सीखने में आनंद अनुभव करेगा और शीघ्रता से सीखेगा |
ReplyDeleteसमुदाय की भागीदारी से बच्चों की सीखने की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे ।
ReplyDeleteअभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान , कौशलऔर दृष्टिकोण को मजबूत बनाएंगे। अभिभावकों और समुदाय माध्यम से सम्पर्क स्थापित कर नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे।बच्चों से उनकी मातृभाषा में चर्चा करेंगे।
ReplyDeleteमैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.एकल.माध्य.शाला बहादुरपुर जिला छतरपुर (म.प्र)
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
डॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
इस तरह से छात्रों में हम सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏿
बच्चों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों ,खेल - खेल में , खिलौने, कहानी ,कविता,बच्चें के स्तर का ध्यान रखते हुए उसकी रूचि के अनुसार कार्य देंगे |
ReplyDelete3-9 आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उनकी रुचि के अनुरूप खेलों को खेलने में संलग्न करेंगे, उन्हें दैनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुभवों को समझने,आपस में चर्चा करने के अवसर देंगे, उनके स्वास्थ्य और पोषण का विशेष रूप से ध्यान रखेंगे।
ReplyDeleteTeen se Nav varsh varg I wale bacche Khel Khel ke Madhyam se gatividhiyan Ke Madhyam Se khelon Ke Madhyam se AVN kahani E ka tha tatha Aur Bhi manoranjak tarike se bacchon ko sikhane ka Prayas Karenge bacchon Ke Sath Mitra baith vyavhar Hansi Khushi ke sath padhaai likhai karvayen sarvpratham unhen Shravan Kaushal bolane ka Kaushal aur antim likhane ka Kaushal viksit karaen
ReplyDeleteआप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को कैसे सुनिश्चित करेंगे? अपने विचारों को साझा करें।
ReplyDeleteइस संबंध में मेरा विचार है कि हम उनके कार्य, व्यवहार और कक्षा में उनकी भागीदारी का सतत आकलन करते हुए हम एक कार्ययोजना बनाएंगे वेबलिंक्स के माध्यम से और बच्चो के पूर्व ज्ञान और खेल गतिविधि एवं चित्रों के माध्यम से बच्चों को ज्ञान कराएंगे। उनकी उपलब्धियों को पोर्टफोलियो और रूब्रिक्स के माध्यम से ज्ञात कर सकते हैं और विश्लेषण से जो वास्तविक स्थिति ज्ञात होगी उसके अनुसार 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उनकी रुचि के अनुरूप खेलों को खेलने में संलग्न करेंगे, उन्हें दैनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुभवों को समझने,आपस में चर्चा करने के अवसर देंगे, उनके स्वास्थ्य और पोषण का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे।
3-9 वर्ष आयु वर्ग केबच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने केलिए शाला प्रभारी /नेतृृत्व करने की कोशिश करेंगे। उन्हें दैनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुरूप अनुभवों को समझने और चर्चा करने केलिए अवसर प्रदान करेंगे। उनके स्वास्थ्य और पोषण का विशेष ध्यान रखें गे।
ReplyDelete3-9 bars ki aayu ke bachcho ke beech buniyaadi saksharata avam sankhya Gyan ko sudran or netritva pradan karne ke liye koshal or drastikon ko saktisaali banayege
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ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए संख्यात्मक था और बुनियादी साक्षरता को विकसित करेंगे तथा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देंगे और कौशल आधारित शिक्षा होगी।
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी संख्या ज्ञान और संख्यात्मक ता को विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के रणनीतियां अपनाएंगे जैसे संख्या ज्ञान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल का विकास गणितीय गिनती और हिंदी के किताब पर पढ़ाना और प्रारंभिक तैयारियां कराना जैसे बुनियादी संख्यात्मक था और संख्या ज्ञान को विकसित करना विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाना इत्यादि का उपयोग करेंगे
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक
बुनियादी संख्यात्मक का ज्ञान को विकसित करेंगे तथा और संख्यात्मक था को विकसित करेंगे इसके बाद 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के कौशलों का प्रयोग करेंगे तथा उपयोग करेंगे और पढ़ाएंगे लिख आएंगेगे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देंगे।
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ReplyDelete3-9 aayu ke bachchho ka buniyadi saksharta or sankhya gyan ko majboot karne ke liye hum bachchho ka driticod majboot banayege.
ReplyDeleteAayoo ke anuroop unka saral aakalan karke unki seekhane ki chhakata ka pata lagana
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु के बच्चो के बीच बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे।
ReplyDeleteबच्चो की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिय अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
F L N कोर्स 10 बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु विद्यालय नेतृत्व | बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु बच्चों की सीखने की क्षमता विकसित करने के लिए भय मुक्त एवं आनन्द दायी वातावरण बनाना | खेल-खेल में शिक्षण गतिविधियों का संचालन |प्रत्येक बच्चे को अपनी बात कहने का पूरा अवसर प्रदान करना | पालकों से सम्पर्क कर विद्यालय नेतृत्व कर्ता की अनुकूल, परिवर्तन कारी, सहयोग और सतत् मूल्यांकन पर नियमित चर्चा करना| बच्चों को केंद्र में रखकर शिक्षण योजना बनाकर शिक्षण कार्य करना |शिक्षण नेतृत्व कर्ताओं को यथा सम्भव जो अनुकरणीय हो सकारात्मक और लचीला व्यवहार करने के लिए प्रेरित करना |
ReplyDeleteसोबरन सिंह मेहरा प्राथमिक शिक्षक
जन शिक्षा केंद्र करकबेल जिला - नरसिंहपुर
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteडॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
इस तरह से छात्रों में हम सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को बढ़ा सकते
चित्र व खेलो तथा गतिविधि के माध्यम से बच्चों केज्ञान कौशल एवं रुचियों को बढावा देगे अभिभावक तथा समुदाय के सहयोग से नयेआयामोकोप्रस्तुत करेगे
ReplyDeleteहम 3से6 आयु के बच्चों को खेलों और कविता कहानियों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करेंगे।इन गतिविधियों के द्वारा बच्चों में सीखने के प्रति रुचि जागृत होगी।
ReplyDeletepahele 3-6 ke bachcho ke liye aanganwadi kendr ko protsahit karna hoga ki ve bachcho ko khel aadharit gatividhiyon se sikhana ke prayas kare aur unki seekhane ki chamta ka aakalan. karen aur 6-9 ke bachcho ko unke satat mulyankan ke madhym se unki seekhane ki chhamta aur unki uplbdhiyon ko sunishchit karenge.
ReplyDeleteज्योति सक्सेना विदिशा ब्लॉक छोटे बच्चों को संख्यात्मक ज्ञान गुणवत्ता कौशल को बढ़ाने के लिए हमें बच्चों को गतिविधि के माध्यम से खेल खेल में उन्हीं की परिचित भाषा में सिखाएंगे तो ज्यादा बेहतर नतीजे आएंगे पहले हम बच्चों के समझे ताकि वह अपने मन की बात उनको क्या समझ में आता है क्या नहीं आता है वह हमें बोल सकें और उन्हें हम समझा सकें बच्चा हमें अपना समझे खुश वातावरण में बच्चे जल्दी सीखते हैं
ReplyDeleteज्योति सक्सेना शासकीय प्राथमिक शाला नामा खड़ी हम बच्चों की पढ़ाई के लिए एसएससी का सहयोग अभिभावकों को सहयोग लेंगे और गांव में जो भी पढ़े लिखे हैं युवक हैं उनसे सहयोग लेंगे पहले हम खुद इन सभी लोगों से बातचीत करेंगे उन्हें बताएंगे कि अगर आप सभी लोग सहयोग करेंगे अपना-अपना जो ज्ञान है बच्चों से बाटेंगे समझाएंगे तो हमारे देश के लिए अच्छी पीढ़ी तैयार हो गई
Delete3 -9 आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को खोजी प्रवृत्ति का होना चाहिए, साथ ही सही दृष्टिकोण, छात्र केन्द्रित शिक्षण, खेल आधारित शिक्षण, सीखने की आवश्यकता की पहचान, उपयुक्त गतिविधियों का निर्माण आदि के माध्यम से बच्चों की उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है,
ReplyDeleteभाऊराव धोटे (स.शिक्षक)
ReplyDeleteEPES शा.मा. शा . लिहदा
वि. ख. मुलताई (बैतुल)
3से9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए निम्नानुसार गतिविधियाँ सम्पन्न करेंगे ।
(1) 3से9 वर्ष की आयु के अनुरूप खेल आधारित गतिविधियाँ तैयार कर के शिक्षण कार्य करेंगे।
(2) बच्चों को उनके स्तरानुसार कक्षा कार्य तथा गृह कार्य देंगे और उनकी नियमित जाँच करेंगे।
(3) संबंधित आयु वर्ग के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता व संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल, दक्षता और दृष्टिकोण को मजबूत बनायेंगे।
3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए शाला नेतृत्वकर्ता तथा शाला शिक्षक मिलकर एक स्पष्ट योजना बनाकर बच्चों की सीखने की क्षमता में गुणात्मक विकास के लिए बच्चों के माता पिता, समुदाय ,आँगनबाड़ी , आदि का सहयोग लेकर सबको साथ रखकर उनके सुझावों पर कार्य ,बच्चों के परिवेश घर की भाषा का उपयोग करते हुए बच्चों की रुचि का ध्यान रखते हुए बच्चों को केंद्र में रखते हुए 3से6वर्ष के बीच खेल आधारित शिक्षण फिर 6से9वर्ष के बीच बच्चों को बुनियादी शिक्षा तथा संख्यात्मक ज्ञान सिखाने के लिए खेल गतिविधियों तथा अन्य शैक्षिक गतिविधियों द्वारा शिक्षण कराते हुए बच्चों में स्वयं करके देखने की क्षमता का विकास कर बच्चों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन करते हुए सीखने की प्रक्रिया में कमियों को उपचारात्मक शिक्षण द्वारा दूर करते हुए बच्चों को FLN के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में कार्य करेंगे।बच्चों का प्रोत्साहन करते हुए उनके सीखने की क्षमताओं की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे। रामगोपाल शर्मा , प्राथमिक शिक्षक ,शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकासखंड गैरतगंज, जिला रायसेन।
ReplyDelete3से 9वर्ष के बच्चों को आरम्भ मे माता पिता.परिवारिक,,आंगनवाड़ी ,बालवाटिका से सम्पर्क स्थापित बच्चों की नींव मजबूत की जा सकती है।
ReplyDeleteमाता पिता शिक्षक एवं आँगन बाड़ी सबके साथ साझा कार्य क्रम तैयार कर आगे बढना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के सीखने की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए माता पिता,भाई,बहन,समुदाय का सहयोग लेंगे।खेल खेल में शिक्षा,शैक्षणिक वीडियो,चार्ट, रोचक गतिविधि इन सबका प्रयोग प्रभावी होगा।
ReplyDeleteरीना वर्मा
शा प्रा शाला बुंदड़
हरदा एम पी
3-9Varsr ki aayu ke baccho ke beech bunyadi saksharata avam sankhya Gyan ko sudran aour netratva pradan karne ke liye gyan kousal aour drastikon ko shaktishali banayenge.
ReplyDelete3 से 9 वर्ग के आयु समूह के बच्चों के लिए उनके ज्ञान कौशल और उनके सीखने के विभिन्न आयामों को समाज के साथ मिलकर और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उन्हें सुदृढ़ बनाने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteअभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।खुमान सिंह विश्वकर्मा सलैया माल जिला मंडला ।3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए शाला नेतृत्वकर्ता तथा शाला शिक्षक मिलकर एक स्पष्ट योजना बनाकर बच्चों की सीखने की क्षमता में गुणात्मक विकास के लिए बच्चों के माता पिता, समुदाय ,आँगनबाड़ी , आदि का सहयोग लेकर सबको साथ रखकर उनके सुझावों पर कार्य ,बच्चों के परिवेश घर की भाषा का उपयोग करते हुए बच्चों की रुचि का ध्यान रखते हुए बच्चों को केंद्र में रखते हुए 3से6वर्ष के बीच खेल आधारित शिक्षण फिर 6से9वर्ष के बीच बच्चों को बुनियादी शिक्षा तथा संख्यात्मक ज्ञान सिखाने के लिए खेल गतिविधियों तथा अन्य शैक्षिक गतिविधियों द्वारा शिक्षण कराते हुए बच्चों में स्वयं करके देखने की क्षमता का विकास कर बच्चों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन करते हुए सीखने की प्रक्रिया में कमियों को उपचारात्मक शिक्षण द्वारा दूर करते हुए बच्चों को FLN के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में कार्य करेंगे।बच्चों का प्रोत्साहन करते हुए उनके सीखने की क्षमताओं की उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे। रामगोपाल शर्मा , प्राथमिक शिक्षक ,शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकासखंड गैरतगंज, जिला रायसेन।
ReplyDeleteVaibhav ko ya mata pita se sahyog le kr ke.
ReplyDelete3 से9 वर्ष की आयु के बच्चो की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए उनके स्तर के अनुसार कार्य योजना का निर्माण कर उससे सबंधित लोगो से संपर्क कर कार्य करेंगे
ReplyDeleteइसमें जिस गतिविधि या खेल या और सहायक सामग्री की आवश्कता पड़ेगी उसकी व्यवस्था करने पर कोशिश की जाएगी ताकि उसके लक्ष्य पर पहुंचा जा सके ।
नाम प्रकाश दशोरे
शाला - नवीन माध्यमिक शाला धनोरा
ब्लॉक - पंधाना
जिला - खंडवा
3-9आयूु वर्ग के विद्यार्थियों के लिए समाज के सभी वर्गों के साथ साथ शिक्षा अधिकारियों, बाल विकास अधिकारियों के साथ मिलकर योजना बना कर कार्य करेंगे |
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष के बच्चों को बुनियादी संख्या ज्ञान की समझ के लिये खेल आधारित संख्या ज्ञान वाली गतिविधियों को प्राथमिकता देना चाहिये
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteडॉ चारु के अनुसार विद्यालय आधारित,खेल आधारित, खिलौना आधारित,
गतिविधि आधारित, आईसीटी के प्रयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिगम कौशल को विकसित करते हुए कक्षा को संचालित किया जा सकता है।
3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ बनाने तथा विद्यालयीन नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाया जाकर उनकी ग्राह्य क्षमता और उपलब्धियों को बढ़ा सकते हैं साथ ही साथ एक बेहतर परिवेश और वातावरण के साथ शिक्षा से जुड़ सकते हैं बच्चे नेतृत्व विकास के लिए हमको बाल कैबिनेट से जोड़ सकते हैं क्योंकि हम अपनी विद्यालय के बच्चों को ही लेते हैं इस प्रकार से जब हम बच्चों को खेल पर आधारित गतिविधि पर आधारित और उनकी कौशल विकास पर आधारित चीजें करते हैं तो उनका शिक्षा के प्रति एक दृष्टिकोण का विकास होता है और वह आकर्षित होते हैं और हमें जिस लक्ष्य पर पहुंचना है या जो अवधारणा उनके सामने देनी है उसके बारे में भी हम उन्हें अच्छे से समझा पाते हैं और इससे बच्चे के अंदर नेतृत्व विकास की क्षमता का विकास होता है साथ ही साथ उसका भी विकास होता है और इसमें महती भूमिका भी निभाते हैं हमारे अभिभावक हमारे आस पड़ोस के लोग और हमारी दैनिक व्यवहार में आने वाली वस्तुएं बच्चों के स्तर पर आने वाली वस्तुएं या आने वाली गतिविधि और हमें उन्हें जो सिखाना है या जिस लक्ष्मण में पहुंचना है बहुत ही शीघ्रता से उसे सीख लेते हैं या सीखने के लिए तत्पर रहते हैं खेल खेल में शिक्षा तभी तो सार्थक होगी जब हम उसे अपने व्यवहार में अपने विद्यालय में और अपनी शिक्षा में उसे शामिल करें जिससे बच्चों के साथ-साथ वोट की अभिभावक हुई इसमें भाग ले और एक आप ही समझ के साथ क्योंकि हमारा केन्द्र बिन्दु विद्यालय में आने वाला वह बच्चा है जो कि कोमल है या कह सकते हैं कि बिल्कुल अभी खाली घड़ा है और हमें उसी आकार देना है और जिस तरीके से हम उसे आकार देगी घड़ा उसी तरीके से रहेगा क्योंकि 3 से 9 वर्ष की आयु में बच्चों का सीखने का स्तर बहुत तीव्र होता है यह सकते हैं कि इस उम्र में जो सीखते हैं वह उनके जीवन पर्यंत काम आने वाला होता है इसलिए हमें उनकी विकास के लिए प्रयास करना है वो कर रहे हैं क्योंकि बेहतर भविष्य के लिए हम बच्चों को ऐसी गतिविधियों से जुड़ें ऐसी गतिविधियां करें जिससे कि उनकी अंदर मात्र एक ज्ञान ना रहे उसकी समझ बना पाए और उसे अच्छे से सहज रूप से अपने व्यवहार में ला पाएंगे।
धन्यवाद 🙏
वैदेही त्रिपाठी (प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
3 - 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों के माता पिता तथा उनके आस पड़ोस वाले लोगों को शामिल करते हुए उनके विकास में सहभागी बनाएंगे।
ReplyDeleteMata pita samuday aanandi balvatika ki madad se aage badegne.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चो के बीच बुनियादी साक्षरता एवम संख्या ज्ञान को सुदृण और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान शुद्रणऔर नेतृत्व प्रदान करेंगे !3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क कर ! उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं|
ReplyDeleteSanjeev Kumar Tiwari
ReplyDelete3से9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमताओं में बृद्धि के लिये बच्चों के ज्ञान कौशल वा अभिवृतीयों के बिकास की आवश्यकता है जिसे उनकी रुचियों के अनुरूप गतिविधियों का आयोजन कराकर ' व संज्ञानात्मक भावात्मक खेल एवं समूह गतिविधियों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है ।
3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे l
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे। उन्हें घर पर आंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे बच्चों की नींव मजबूत होने पर बच्चे आगे अच्छे सीखते हैं|
ReplyDelete3 से 9 वर्ष आयु समूह के बच्चों को भयमुक्त वातावरण में खेल आधारित गतिविधियों को प्राथमिकता देकर बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की वृद्धि करेंगे।
ReplyDelete3 se 9 varsh ke bacchon Ki Aankhen ke liye Ham bacchon ke gyan ko tat bolenge bacchon se vyavaharik prashn puchenge jo Dainik Jivan Mein Karya Aate Hain Dainik Jeevan Ki vastuon se sambandh vidhiyan karwayenge Taki Unka Sahi Sahi Aankhen ho sake aur unke Gyan Kaushal rachnatmak Shaili Mein Vikas ho sake
ReplyDelete3-9 barsh aayu ke bachchon ke beech buniyadi saksharta evm sankhya gyan ko sudran our netratv pradan karane ke liye gyan,koushal our drastkon ko shaktishali banayege.
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करके नए आयामों को प्रस्तुत करेंगे
ReplyDeleteअभिभावकों और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक हैशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDeleteप्राथमिक शाला भागपुर प्राथमिक शिक्षक तिलोक चंद यादव मंडला बिछिया मध्य प्रदेश
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए खेल आधारित गतिविधि कराएंगे एवं अभिभावकों वह समुदाय के माध्यम से संपर्क स्थापित करेंगे
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों के सीखने की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए हम बच्चों के पालक परिवार एवं समाज से संपर्क बनाकर तथा विद्यालय में एवं स्कूल में होने वाले छोटे-छोटे कामों में उनको संलग्न कर उनका अवलोकन करेंगे कि बच्चा काम को सुगमता से कर पा रहा है या कठिनाई महसूस कर रहा है इस हिसाब से हम बच्चे की सीखने की अगली स्ट्रेटजी हो तैयार करेंगे।
ReplyDelete3-9 साल के बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवम संख्या ज्ञान के कौशल से परिवार, सामाजिक सहयोग से नेतृत्व कर इन आयामों के साथ प्रस्तुत कर सकते है ।
ReplyDelete3-9 years ke vidyarthi ke liye ek open environment ho jaha bacche khul kar apni baat rakh sakein
ReplyDelete3 से 9 आयु वर्ग के बच्चे अपना अधिकतम समय अपने माता-पिता,दादा-दादी और बड़े भाई -बहिन के साथ रहते हैं और उनसे घर मे उपयोग होने वाली वस्तुओं के नाम सिखाते हैं।जिससे बच्चो की मातृभाषा का विकास होता है।
ReplyDelete३_९ आयु वर्ग के बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान को सुदृढ़ बनाने में कौशलों के विभिन्न आयामों का समावेश करेंगे। बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान सुदृढ़ हो सके रामनारायण गुप्ता पी एस इंद्रानगर अनूपपुर ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
ReplyDelete3-9 varsh ki ayu bhot kuch sikhne ki hoti hai . kyoki iske baad balak vastavik mai kuch sikhta. Is samay usse margdarshan ki avasyakta hoti hai. Aur un baccho kai beech buniyadi saksharta evm sankhya gyan ko sradad or netatrva pradan karne kai liye gyan,koshal,drashtikon ko sahktishali bnayege
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के ज्ञान , कोशल, दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनाएंगे।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञानएफ एन एल को शुद्रण करने और अपना नेत्रत्य प्रदान करने लिये हम 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने के लिए हम अभिभावकों और आंगनवाड़ी से संपर्क आदि कर उन्हें घर पर एवंआंगनवाड़ी में खेल खेल में सीखने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे एवं बच्चों की नींव मजबूत होने पर जोर देगें जिससे बच्चे आगे बड़ पढ़ सकें आदि।
ReplyDeleteआयु 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विकसित के लिए शाला प्रभारी के तौर पर शिक्षा शास्त्री के तौर पर नेतृत्व करने की कोशिश करेंगे जिस प्रकार की गतिविधियां हमें इस कोर्स में मैं जो सीखा है उसके अनुसार गतिविधियां संचालित कर पालको से एवं एसएमसी के माध्यम से प्रभावी बनाया जाए और इसमें आंगनवाड़ी का भी सहयोग लिया जाए
ReplyDeleteशिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के बी्च बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ और नेतृत्व प्रदान करने के लिए ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को शक्तिशाली बनायेंगे। बच्चों की शिक्षा के प्रारंभिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों और समुदाय के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करके नये आयामों को प्रस्तुत करेंगे।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चे अपना अधिकतम समय अपने माता पिता दादा दादी और बड़े भाई बहन के साथ रहते हैं और उनसे घर में उपयोग होने वाले वस्तुओं के नाम सिखाते हैं जिससे बच्चों की मातृभाषा का विकास होता है
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन में 3-9 वर्ष के बच्चों के ज्ञान को सुदृढ करने के लिए उनके पालकों से संपर्क कर जहॉ आवश्यकता मदद के लिए कहेंगे तथा बच्चों को उनके कामों में व्यस्त करेगे इस प्रकार बच्चे धीरे धीरे ने आयामों की ओर अग्रसर होंगे
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