कोर्स 9 गतिविधि 6: अपने विचार साझा करें
संख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, शिक्षक पाठ
के अंत में केवल बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। एक अन्य शिक्षक
संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है
कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया
करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो
में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता
है। आप अपनी कक्षा में कौन सी रणनीति अपनाना चाहेंगे और क्यों?
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ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्न से बच्चो की तार्किक शक्ति का विकास होता है
ReplyDeleteगणितीय अवधारणाओं को दैनिक तथा परिवारिक घटनाओं से जोड़कर बच्चों को गणित सिखाने में आसानी होगी
Deleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिये बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चे में तार्किक क्षमता आसानी से ््ककसित हो सकती है ।
ReplyDeleteबहुत सही सर
Delete💐✍🏿✍🏿
Jab tak bacche ank ko Sahi dhang se na pahchane uska aakalan na Karen tab tak bacche ganit mein aage nahin ja paate Hain
Deleteमैं दूसरी वाली रणनीति फॉलो करूंगा क्योंकि बच्चा कैसे सिख रहा है,यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी हैं l
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर हैं, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है,यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी हैं l
Deleteमैं रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय प्राथमिक कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ हूंबहुविकल्पीय प्रश्न से बच्चो की तार्किक शक्ति का विकास होता है
ReplyDeleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिये बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चे में तार्किक क्षमता आसानी से विकसित हो सकती है ।जिससे सरल ससरल अवधारणा बच्चे समझ सके।
ReplyDeleteBahuvikaalpiy padhati ka upyog karane se bachche ka mansik star badhata hai
Deleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो...
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगी, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो...
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास निश्चित ही लाभदायक होगा,,
ReplyDeleteलाभदायक होगा,,
ReplyDeleteबहुविकल्पी प्रक्रिया भी ठीक है इसके अलावा सतत आंकलन बहुत महत्वपूर्ण है, बच्चे की सही स्थिति का पता चलता है कि वह किस स्तर पर है।
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो...
Deleteसभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो...
Deleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगी, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो...
Deleteमहेश कुमार कुशवाहा प्राथमिक शिक्षक मैं दूसरी वाली विधि को अपना लूंगा क्योंकि किसी पाठ को उप इकाइयों में विभाजित करके सतत मूल्यांकन और उसकी समझ को बढ़ाया जा सकता है इसके बाद बच्चों की जानकारी पोर्टफोलियो बनाकर रखना चाहिए
Deleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर है, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है, यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन ज़रूरी है ।
ReplyDeleteबहु विकल्प प्रशन से छात्रों की तार्किक शक्ति का विकास होता है
ReplyDeleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिये बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिये दूसरी वाली विधि कारगार है क्योंकि इससे बच्चों की सीखने की सतत जानकारी उपलब्ध हो सकेगी और हम बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकेंगे ।
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteसंख्या sankiryaon के लिए बच्चों का आकलन करने के लिए बहुविकल्प प्रश्नों के साथ साथ दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिए उपयोगी होते हैं।छोटे बच्चों का आकलन करने के लिए दोनों विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए दूसरी विधि से बच्चों की सीखने की सतत जानकारी प्राप्त होगी।
मैं अपनी कक्षा में दूसरी रणनीति को अपनाना चाहूंगी।एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी। और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
ReplyDeleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिए बहुविकपीय प्रणाली ही सही है ,इससे बालकों में तर्क करने की क्षमता आसानी से विकसित हो सकती है ।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओ के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्प के अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चो का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूँगी और कुछ लिखित भी।
ReplyDeleteशिक्षक पाठ के अंत में एक विकल्प प्रश्न रखता है यदि कक्षा में 20छात्र थे दो छुट्टी लेकर चले गए तो कक्षा में अब कितने छात्र बचे A15 B12 C13 D18
ReplyDeleteअब छात्र विकल्पीय प्रश्न का उत्तर देंगे और जो बच्चे d को सही करेंगे उनका उत्तर सही होगा बाकी का गलत होगा।
Sahniya prayaas bccho ke liye labhkari rhega
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिये दूसरी वाली विधि कारगार है क्योंकि इससे बच्चों की सीखने की सतत जानकारी उपलब्ध हो सकेगी और हम बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकेंगे ।
ReplyDeleteNirmala Shivhare prathmik shikshak belha
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी
ReplyDeleteहां सर्वप्रथम बच्चों का हम आकलन करते हैं कि बच्चे किस स्तर पर है फिर उसके बाद हम उसके अनुसार ही आगे की सतत मूल्यांकन की प्रक्रिया समाप्त करने के बाद बच्चे जिस स्तर पर होगा उस स्तर के अनुसार हम तैयारी कर कर उसे आगे बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे
ReplyDeletemy comment
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए शिक्षकों के प्रयास निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। कुछ शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी।
पोर्टफोलियो इत्यादि तैयार करके 360° समग्र रूप से आकलन करके संख्यात्मक संक्रियाओं को छात्रों के मस्तिष्क में रोपित किया जा सकता है।
सादर।
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सुनीत कुमार पाण्डेय
जिला- कटनी
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मैं सभी बच्चे के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए उन्हें सरल से कठिन प्रश्नों पर ले जाऊंगा जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने में डर महसूस ना हो
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्नों से बच्चों में तार्किक शक्ति बढ़ती है
ReplyDeleteबहुविकल्पी प्रश्न छोटी इकाइयों में बनाकर पोर्टफोलियो तैयार करना जिसमें रूब्रिक, चेकलिस्ट के माध्यम से बच्चे की समग्र जानकारी एकत्रित करते हुए बच्चे के विकास को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी ।
ReplyDeleteसभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर हैं, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है,यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी हैं lबहुविकल्पी प्रश्न छोटी इकाइयों में बनाकर पोर्टफोलियो तैयार करना जिसमें रूब्रिक, चेकलिस्ट के माध्यम से बच्चे की समग्र जानकारी एकत्रित करते हुए बच्चे के विकास को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी ।
ReplyDeleteबच्चों को पूर्व ज्ञान एवं मानसिक विकास के आधार को समझते हुए सरल से कठिन प्रश्नों की ओर ले जाना चाहिए।
ReplyDeleteमैं दूसरी रणनीति अपनाउंगी दूसरी प्रक्रिया ज्यादा उपयोगी है जैसे बच्चा कैसे सीख रहा है इसका सतत मूल्यांकन करना आवश्यक है
ReplyDeleteबच्चों का हम आकलन करते हैं कि बच्चे किस स्तर पर है फिर उसके बाद हम उसके अनुसार ही आगे की सतत मूल्यांकन की प्रक्रिया समाप्त करने के बाद बच्चे जिस स्तर पर होगा उस स्तर के अनुसार हम तैयारी कर कर उसे आगे बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर है, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है, यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन ज़रूरी है ।
मैं अपनी कक्षा में दूसरी रणनीति को अपनाना चाहूंगी।एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी। और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है। Mohan Lal kurmi p/S karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए शिक्षकों के प्रयास निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। कुछ शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी।
पोर्टफोलियो इत्यादि तैयार करके 360° समग्र रूप से आकलन करके संख्यात्मक संक्रियाओं को छात्रों के मस्तिष्क में रोपित किया जा सकता है।
सादर।mohan lal kurmi p/s karaiya lakhroni विकासखंड पथरिया जिला दमोह
बच्चे का सतत आकलन जरूरी है जिसके माध्यम से बच्चे का क्रमिक विकास और उसकी समझ को परखा जा सकता है
ReplyDeleteGadit me moolyankan ki kyi bidhi ho sakti h or hme ek roop se na leker sv prakar se moolyankan kerna chiye
ReplyDeleteछात्रों को आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर है, क्योंकि बच्चा कैसे सीखरहा है, यह जानने के लिए उसका सतत् मूल्यांकन जरूरी है।
ReplyDeleteN.K.AHIRWAR
मैं सभी बच्चो के मान सिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठिन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिसमे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो।
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के स्तर का सतत आकलन करने के लिए चाइल्ड ट्रैकर पंजी का उपयोग करेंगे।जिसमे बच्चे के सीखने के स्तर का साप्ताहिक मूल्यांकन कर दिनाँक अंकित कर ट्रैक करेंगे।
ReplyDeleteहम सभी संख्या सांक्रियाओ की अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए उन्हें। छोटी छोटी उपइकाइयों में विभाजित करेंगे। तत्पश्चात बीज, कंकण, बटन,, आदि से विभिन्न अवधारणाओं को स्पष्ट करेंगे।
ReplyDeleteMcq increases students iq. From easier to difficult makes student to learn easily
ReplyDeleteदूसरा विकल्प ज्यादा कारगर होगा क्योंकि छोटी इकाइयों से बहुविकल्पीय प्रश्नों को बच्चे आसानी से समझकर प्रतिक्रिया दे सकते हैं।बच्चेके सभी कार्य को पोर्टफोलियो मे रखने से शिक्षक को छात्रों की रिपोर्ट बनाने में आसान हो जाता है।
ReplyDeleteShamim Na
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्नों से बच्चों में तार्किक क्षमता का विकास होता है।
बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाना चाहिए, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो और बहुविकल्पीय प्रश्नों से बच्चों में तार्किक क्षमता का विकास होता है।
ReplyDeleteदूसरी वाली मूल्यांकन प्रणाली में मूल्यांकन लेने से बच्चा किस इकाई में कमजोर है इसका पता चलता है।
ReplyDeleteकिसी भी शिक्षक के लिए अंतिम लक्ष्य उसके छात्रों का उसके द्वारा सिखाई गई आधारणाओं का समझ लेना वा उसका सार्थक उपयोग कर पाना ही होता है । ऐसे में छात्रों के सतत मूल्यांकन हेतु ये ज़रूरी है कि किसी पाठ की समस्त उपधरणाओं को बच्चो को समझाना एवम् ये सुनिश्चित करना की कौनसे बच्चे को कौनसी उपधारणा समझने में दिक्कत आ रही है । ऐसे में दूसरी विधि का प्रयोग अधिक उपयोगी होगा । साथ ही तार्किक बुद्धि के विकास हेतु दूसरी विधि में वैकल्पिक प्रश्नों को शामिल कर लेने से सोने पे सुहागा यथार्थ हो जाएगा
ReplyDeleteछात्रों के आंकलन के लिय बहु विकल्प प्रणाली बहुत अच्छी है इससे उनकी समझने की शक्ति का विकास होता है
ReplyDeleteहम बहुविकल्पी पद्धति का चयन करेंगे क्योंकि बच्चों की तार्किक क्षमता का विकास होगा
ReplyDeleteBahuvikalp pranali me bacho ka taarkik vikaash hota hai isliye 1st pranali uchit hai
ReplyDeleteबच्चा केसे सीखता है इस का आकलन सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के माध्यम से किया जा सकता है
ReplyDeleteगणित सभी विषयों का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बच्चों का सतत मूल्यांकन किया जा सकता है और उनके स्तर को ध्यान में रखकर अग्रसर होने का प्रयास किया जाता है।
ReplyDeleteछात्रों को संख्या संक्रियाओ की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए हम विषय वस्तु को छोटी छोटी उप ईकाई मे विभाजित करेंगे तथा सरल से कठिन की ओर तकनीक का उपयोग करते हुए उन्हें सभी संक्रियाओ को समझा देंगे.
ReplyDeleteबच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो... ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार पर उनको समझते हुए, उन्हें सरल से कठिन प्रश्नों पर ले जाकर और उनकी बुद्धि लब्धि के अनुसार दोनो प्रकार के प्रश्नों का समावेश करके मूल्यांकन करूंगा
ReplyDeleteMe Noorul Quraishi,
ReplyDeleteG.M.S.Adarsh, Chhatarpur
मैं दूसरी गतिविधि को महत्व दूंगी, क्योंकि इससे बच्चों को हर इकाई में क्या समझ में आया क्या नहीं आया, बच्चों की सीखने-समझने में आने वाली कठिनाईयों का पता लगाया जा सकेगा। इससे हमें बच्चों को समझाने और सिखाने में आसानी होगी। तथा बच्चे भी बिना किसी दबाव या झिझक के सीख सकेंगे।
बच्चों को हर इकाई में क्या समझ आया क्या नहीं आया, बच्चों के समझने सीखने में आने वाली कठिनाइयों का पता लगाया जा सकता है। और बच्चों को उनके विचारों को समूह में एक दुसरे से शेयर करने का पूर्ण प्रयास किया जाना चाहिए
ReplyDeleteगणित एवं अन्य विषयों में बहुविकल्पी य प्रश्न सबसे उत्तम होता है.बच्चे की तार्किक शक्ति बढ़ती है.
ReplyDeleteगणित में मुल्यांकन की अनेक विधीयों में बहूविकल्पीय अधिक तार्किक एवं उपयुक्त लगती है ये मेरा मानना है ।
ReplyDeleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिये बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चे में तार्किक क्षमता आसानी से विकसित हो सकती है
ReplyDeleteसंख्या सक्रियाओ पर बच्चे का आकलन करने के लिए शिक्षक को बहुविकल्पीय प्रश्नों का अभ्यास करवाया जाना चाहिए इससे बच्चों में तर्क लगाने एवं सोचकर प्रश्न हर सकते हैं।
ReplyDeletePremchand Gupta P. S. Guradiya mataसतत् गतिविधि आधारित एवं बहुविकल्पी मूल्यांकन
ReplyDeletebacchon ke aakalan karne ke liye bahuviklpiy prashn ke abhyas prashn ke sath mokhik abhyas prashn aur dainik Jeevan se Jude prashnon Ka sanyojan Karna chahie
ReplyDeleteबच्चों के आंकलन करने केलिए बहुविकल्पीय प्रश्न सही रहेंगे।
ReplyDeleteसभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए उन्हें सरल से कठिन प्रश्नों पर ले जाऊंगा जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो।
ReplyDeleteबच्चों को गणितीय संक्रियाओं में बहु विकल्प प्रश्न के माध्यम से ही आकलन किया जाए, जिसमें बच्चों का तार्किक आधार व समझ आसान हो जाता है।
ReplyDeleteBacho ka sattat mulyankan jaruri hai taki vaha ache se samjh sake
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान। कन्याआश्रम शाला मलावनी शिवपुरी। संख्या संक्रियाओ के लिए बच्चों का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी के अभ्यास प्रश्नों के साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे-छोटे प्रश्न भी आकलन के लिए उपयोगी होते हैं क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है मैं अपने छात्रों संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी और कुछ लिखित भी
ReplyDeleteदूसरी प्रणाली बेहतर है छोटी छोटी उपइकाइयों से आकलन बच्चों की संख्या समझ व विभिन्न संक्रियाओं की समझ तथा प्रत्येक बच्चे का पोर्टफोलियो उनके आकलन को बेहतर बनायेगा
ReplyDeleteतदनुरूप प्रत्येक बच्चे को उनके आकलन और पोर्टफोलियो के अनुसार गणितीय ज्ञान दिया जा सकता है
संख्या संक्रियाओं की समझ का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय प्रश्नों का तरीका भी अच्छा है | जिससे बच्चों की तर्कशक्ति का विकास होगा और उनका आकलन भी होगा | इसके साथ साथ स्थानीय स्तर व बच्चों के पारिवारिक वातावरण की दिनचर्या के कार्यों की गतिविधियों उदाहरणों को भी शामिल किया जा सकता है |
ReplyDeleteदोनों प्रक्रिया ही अच्छी है क्यू कि प्रथम प्रक्रिया में बच्चे की तार्किक क्षमता का विकास होता है और दूसरी प्रक्रिया में बच्चे को एक एक चरण से समझाया जा रहा है और उसको पोर्टफोलियो फाइल में रिकॉर्ड भी किया जा रहा है जो की बच्चे की उन्नति के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteChhatron ke Aankh ke liye Ye Dosti wali Vidhi kargar Hai Kyunki isase bacchon ki sikhane ki jankari uplabdh ho sake gi aur ham bacchon Ka uchit margdarshan Kar Sakenge
ReplyDeleteChhatron ke Aankh ke liye dusri Vidhi d kargar Hai Kyunki isase bacchon ki sikhane ki jankari uplabdh ho sake gi aur ham bacchon Ka uchit margdarshan Kar Sakenge
ReplyDeleteChhatron ke aankalan ke liye dusri wali prikriya jyada Kargar hai, kyonki bachcha kaise Sikh Raha hai yeah Janne ke liye uska satat mulyankan jaruri hai
ReplyDeleteकिसी भी शिक्षक के लिए अंतिम लक्ष्य उसके छात्रों का उसके द्वारा सिखाई गई आधारणाओं का समझ लेना वा उसका सार्थक उपयोग कर पाना ही होता है । ऐसे में छात्रों के सतत मूल्यांकन हेतु ये ज़रूरी है कि किसी पाठ की समस्त उपधरणाओं को बच्चो को समझाना एवम् ये सुनिश्चित करना की कौनसे बच्चे को कौनसी उपधारणा समझने में दिक्कत आ रही है । ऐसे में दूसरी विधि का प्रयोग अधिक उपयोगी होगा । साथ ही तार्किक बुद्धि के विकास हेतु दूसरी विधि में वैकल्पिक प्रश्नों को शामिल कर लेने से सोने पे सुहागा यथार्थ हो
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर है, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है, यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन ज़रूरी है । जिससे बच्चो का विकास हो।
ReplyDeleteबहुविकल्पी वाली प्रक्रिया ही सही रहेगी क्योंकि इससे बच्चों की तार्किक बुद्धि का विकास होता है
ReplyDeleteबच्चों को पूर्वज्ञान एवं मानसिक विकास के आधार को समझते हुए सरल से कठिन प्रश्नों की ओर ले जाना चाहिए।
ReplyDeleteBachon ko unke star anusar avm jitna padaya gya hai usi kram me vikalp diya javega
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए शिक्षकों के प्रयास निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। कुछ शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी।
पोर्टफोलियो इत्यादि तैयार करके 360° समग्र रूप से आकलन करके संख्यात्मक संक्रियाओं को छात्रों के मस्तिष्क में रोपित किया जा सकता है।। Vikram Singh Gavatiya, EPES MS Narola hirapur mp
संख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए शिक्षकों के प्रयास निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। कुछ शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है
संख्या संक्रियाओ पर बच्चों का आकलन करने के लिए पाठ के अंत में एक बहुत विकल्पीय प्रश्न तैयार करना उपयुक्त नहीं है बल्कि शिक्षकों को चाहिए कि वह संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
ReplyDeleteबच्चों को संख्याओं एवं संक्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ-साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए कुछ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना चाहिए ,जिससे शिक्षक को बच्चों के सीखने की समग्र जानकारीरप्राप्त हो सके।
इस प्रकार शिक्षक द्वारा बच्चों के पोर्टफोलियो इत्यादि तैयार करके 360° समग्र रूप से सीखने का आकलन करना उचित होगा।
छात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया जिसमें बहुविकल्पी प्रश्नों के साथ सतत मूल्यांकन होता है, ठीक होगी | इसमें बच्चे का स्तर भी पता चलता रहता है तथा बच्चे धीरे -धीरे सीख जाते हैं |
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार पर उनको समझते हुए, उन्हें सरल से कठिन प्रश्नों पर ले जाकर और उनकी बुद्धिलब्धि के अनुसार दोनो प्रकार के प्रश्नों का समावेश करके मूल्यांकन करूंगा।
ReplyDeleteबच्चों का सतत मूल्यांकन क्रमश: विभिन्न तरीकों से किया जाना चाहिए जिससे उनकी समझ विकसित हो.
ReplyDeleteFebruary 7, 2022 at 9:29 AM
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए शिक्षकों के प्रयास निम्नलिखित हो सकते हैं।
संख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता
Ham dusri wali ran Niti Apna na Chahenge baccha kya Sikh raha hai hai yah janne ke liye uski portfolio file ke Aadhar per aakalan Karenge
ReplyDeleteHame bacchon ke sath gatividhiyon karte vakt unka Aakalan bhi suchibaddh karte rahana chahiye.bachcho se prashna nirman bhi katwana chahiye.gtividhiyo ko karte huye prashna puchana Aadi.
ReplyDeleteशिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी। और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा में दूसरी रणनीति को अपनाना चाहूंगी।एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी। और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
ReplyDeleteसंख्याओं पर संक्रियाओं के अभ्यास कराने में, पाठ की विषय वस्तु पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के माध्यम से आकलन बहुत ही कारगर आकलन विधि है पर बच्चों को संख्याओं की संक्रिया चाहे जोड़ संक्रिया हो या घटाने की या गुणा, भाग की,बच्चे को पूर्ण रूप से संक्रिया पर पकड़ और दक्षता व कुशलता हासिल कराने के लिए संक्रिया जो सिखा रहे हैं उसे उप इकाई में विभाजित कर अन्य प्रकार से भी आकलन करने से बच्चा और सही व सार्थक प्रकार से सीख पाएगा जो उसे अगली बड़ी कक्षाओं में संक्रियाओं को हल करने में मदद करेगा। राम गोपाल शर्मा ,प्राथमिक शिक्षक , शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा ।विकास खंड गैरतगंज, जिला रायसेन ।
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्नों से बच्चों की तार्किक विकास होता है
ReplyDeleteBacchon ka Sahi aaklan karne ke liye satat mulyankan jaruri hai Sath hi bahuvikalpi prashnon Se a bacchon ki ki takat Shakti ka Vikas Hota Hai lekin Jab Tak vah ganit ke use sankhya ko samajh Nahin Payenge tab tak bahuvikalpi prashn unke liye labhdayak Nahin Honge sabse pahle a ganit ki Ansh Ankhiyon Ko gatividhiyan ke Madhyam Se satat mulyankan Ke Madhyam se dekhna hoga Ki ki bacchon mein mein Samaj Hai Tabhi bahuviklpiy prashn karykram Honge
ReplyDeleteDusari vidhi adhik apukt h. Dusri vidhi se hame yah malum hoga ki bachha kaha tak sikh chuka h. Yadi use kuch problem aa rahi h to kese dur kare.
ReplyDeleteआकलन के लिए बहु विकल्प प्रणाली अच्छी है I इस से बच्चों की तर्कशक्ति का विकास होता है।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओ के लिए बच्चों का आकलन करने के लिए बहुविकल्प के अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी
ReplyDeleteछात्रों का आंकलन करने के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर है, क्याेंकि बच्चा कैसे सीख रहा है यह जानने के लिए उसका सतत् मूल्यांकन जरूरी है।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओ के लिए बच्चों का आकलन करने के लिए बहुविकल्प के अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी
ReplyDeleteSarvpratham mein bacchon ko exercise hal karane ke liye uske piche diye Gaye prashnon ko acche se samjhaen uske saral se kathin ki kathin ki taraf le jaaungi aur FIR unko dekhungi samajh mein a raha hai ki nahin uske aage
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास निश्चित ही लाभदायक होगा
ReplyDeleteBchcho ki samajh k hisaab se unse saral se kathin ki or le jate hue unke maansik vikaas ko dhyan m rkhte hue sikhane ka abhyaas krnge
ReplyDeleteगणित हीं एक ऐसा विषय है जो बहुविकल्प साधनों के द्वारा आसानी से समझाया जा सकता है चाहें वो हमारी क्लास हो या मैदान हो या घर हो और पोर्टफोलियो बच्चे की समझ को जानने का ए सरल तरीका हैं
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्नों से बच्चों में तार्किक क्षमता का विकास होता है।
ReplyDeleteछात्रों की आकलन के लिए दूसरी बाली विधि बहुत कारगर है क्योंकि इसमें शिक्षक गणितीय संख्या क्रियाओं को उनके उप भागों में विभाजित करते हैं एवं बच्चों को उनकी भाषा में उनके स्तर के अनुरूप उन को समझाते हैं छोटी बच्चों को आकलन के लिए विधियों का उपयोग करना चाहिए जैसे बहुविकल्पीय प्रश्न, मौखिक प्रश्न एवं दैनिक जीवन से संबंधित उपयोग में आने वाले प्रश्न बच्चों की भाषा एवं स्तर के अनुरूप प्रश्न पूछ कर बच्चों का आकलन किया जा सकता है l
ReplyDeleteधन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिन दौरा
विकासखंड बदरवास, जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
Mathematics is one such subject which can be explained easily by multiple choice means whether it is our class or field or home and portfolio is a simple way to know the understanding of the child.
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्नों से बच्चों में तार्किक क्षमता का विकास होता है।
DeleteBachho ko bhuvikalp prashan or unki man's manshik Vikas ke Anushar abhyas karayege
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी प्रकिया ज्यादा कारगर है क्योंकि बच्चा कैसे सीखता है यह पता लगाने के लिए बच्चों का सतत मूल्यांकन करना जरुरी है
ReplyDeleteछोटी छोटी उप इकाईयों में बांट कर संख्या संक्रिया ओं को सिखाएंगे जिससे बच्चों को सीखने में आसानी रहेगी और मूल्यांकन बेहतर होगा
ReplyDeleteबच्चें के आकलन के लिए सतत मूल्यांकन का तरीका सही है मैं इसे ही अपनाऊंगी क्योंकि क्रमबद्ध तरीके से बच्चा अच्छा सीखता है
ReplyDeleteबच्चों का आकलन करने के लिए बहुवैकल्पिक अभ्यास प्रश्नों के साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे-छोटे प्रश्न भी आकलन के लिए उपयोगी होते हैं क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है।स्टूडेंट्स में संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिए मौखिक बुनियादी तथा कुछ लिखित प्रश्नों को भी शामिल करना चाहिए।
ReplyDeleteBahuviklpiya paddati ka upyog karne se bachche ka mansik star badata h.
ReplyDeleteसंख्यात्मक आकलन के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न ही उपयोगी हैं क्योंकि इससे छात्रों के आकलन करने में आसान होता है और दूसरी वाली विधि कारगर है क्योंकि इकाइयों को कई उप इकाइयों में विभाजित कर छात्र के शिक्षण का आकलन किया जाता है।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शाला
खैरा डोड टोला
विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश
गणित में संख्यात्मक आकलन के लिए बहुविकल्पीय प्रश्नों को ही लेना जरूरी है क्योंकि बहुविकल्पीय प्रश्न अत्यंत सटीक और विश्वसनीय होते हैं दूसरी वाली भी भी भी अच्छी है क्योंकि इसमें इकाइयों को कई उप इकाइयों में बैठकर शिक्षण विधि अपनाई जाती है । और आकलन किया जाता है।
ReplyDeleteमेरे विचार से दोनों प्रक्रियाएं अच्छी है, क्यों कि
ReplyDeleteछात्रों के हित में गणित सहित अन्य सभी विषयों के आकलन के लिए बहुविकल्पीय प्रणाली से छात्र की तार्किक क्षमता सरलतापूर्वक विकसित होती है। वहीं दूसरी प्रक्रिया में छात्र को एक-एक चरण से समझाकर उसका पोर्टफोलियो रिकार्ड किया जाना छात्र की उन्नति के लिए आवश्यक है।
श्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
बच्चों के हित में गणित विषय के साथ अन्य विषयों में भी बहुविकल्पीय प्रणाली से बच्चों में तार्किक शक्ति का विकास सफलता पूर्वक विकसित होता है। इसके अलावा सतत आकलन बच्चों के स्तर को प्रदर्शित करता है।
ReplyDeletedono hi vidhi sahi hai lekin mein dusre sikshak ke dwara apnai gaye vidhi ko apnaunga
ReplyDeleteदोनों ही मूल्यांकन विधि अपने आप में अपना अलग-अलग स्थान रखती हैं, अगर बात बहुविकल्पीय प्रश्नों द्वारा आकलन की की जाती है, तो यह बच्चों की तार्किक शक्ति का विकास करता है, जबकि दूसरी विधि की बात की जाए तो सतत एवं व्यापक मूल्यांकन से बच्चों की सीखने की वास्तविक गति का पता लगाया जा सकता है। अतः मैं दोनों विधियों से सहमत होता हूं।
ReplyDeleteSankhya sankriyan ke liye bacchon ka aakalan karne ke liye bahut vikalp ke abhyas prashnon ke saath saath maukhik abhyas aur Dainik Jeevan se Jude chhote chhote prashn bhi aakalan ke liye upyogi hote hain kyunki chhote bacchon ka aakalan ek hi tarike se karna uchit nahin hai main Apne chhatron Ko sankhya sankhya ka aakalan karne ke liye maukhik buniyadi prashnon ko bhi Shamil karunga aur kuchh likhit bhi
ReplyDeleteबच्चों को संख्या संक्रियाओ का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास के साथ तर्कशक्ति को विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल किया जाना चाहिए जिससे बच्चों को सीखने की प्रक्रिया को सतत जानकारी प्राप्त होगी जिससे उनका विकास और भी बेहतर ढंग से किया जा सकेगा।
ReplyDeleteAaklan ke liye bahu vikalpeey pranali hee sarvouttam hoti hai
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के स्तर का सतत आकलन करने के लिए चाइल्ड ट्रैकर पंजी का उपयोग करेंगे।जिसमे बच्चे के सीखने के स्तर का साप्ताहिक मूल्यांकन कर दिनाँक अंकित कर ट्रैक करेंगे।
ReplyDeleteदोनों ही मूल्यांकन विधि अपने आप में अपना अलग-अलग स्थान रखती हैं, अगर बात बहुविकल्पीय प्रश्नों द्वारा आकलन की की जाती है, तो यह बच्चों की तार्किक शक्ति का विकास करता है, जबकि दूसरी विधि की बात की जाए तो सतत एवं व्यापक मूल्यांकन से बच्चों की सीखने की वास्तविक गति का पता लगाया जा सकता है। अतः मैं दोनों विधियों से सहमत होता हूं।
बहुविकल्पीय प्रश्नों के द्वारा आकलन किया जाना काफी हद तक अच्छा है परंतु किसी संक्रिया के पूर्ण समझ के लिए उसमें उप इकाइयां बनाकर यह पहचाना जा सकता है कि किस स्तर पर कठिनाई निकल कर आ रही है और कहां पर और अधिक बच्चों के साथ में कार्य करने की अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है अत संक्रियाएं की समझ के लिए उप इकाइयों द्वारा आकलन बच्चे के पूर्णता दक्षता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगी, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो
Deleteसंक्या संक्रियाओ के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए हुविकल्प के अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ ने मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चो का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगा। और कुछ लिखित भी। प्राथमिक शिक्षक तिलोक चंद यादव प्राथमिक शाला भागपुर
ReplyDeleteबच्चा कैसे सिख रहा है इसके लिए सतत् मूल्यांकन आवश्यक है।
ReplyDeleteमै दूसरी वाली रणनीति को फॉलो करुँगी क्योंकि इससे बच्चों के सीखने के स्तर और उसे कहाँ कठिनाई हो रही है इसका संपूर्ण आकलन होगा l बच्चों को जो सीखने के प्रतिफल अर्जित करने चाहिए वो प्रतिफल बच्चा कितने अर्जित कर सका हमको यह भी पता chal जाएगा l पहली रणनीति भी सही है लेकिन दूसरी बच्चे के सतत विकास के लिए ज्यादा कारगर सिद्ध होगी l मैं अमिता गुप्ता सहायक शिक्षक P S Pali Project Goraia Birsinghpur District Umaria M. P.
ReplyDeleteबच्चों के मूल्यांकन के लिए सतत मूल्यांकन विधि सबसे उपयुक्त रहती है उसे ही हम अपनाना चाहते हैं बच्चों के मूल्यांकन के लिए बहुविकल्पी प्रणाली का भी उपयोग किया जा सकता है
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओ के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्प के अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चो का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को और कुछ लिखित भी।छात्रों के आकलन के लिये दूसरी वाली विधि कारगार है क्योंकि इससे बच्चों की सीखने की सतत जानकारी उपलब्ध हो सकेगी और हम बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकेंगे ।
ReplyDeleteमैं शबाना आजमी प्राथमिक शिक्षक शास.माध्य.शाला.बहादुरपुर जिला छतरपुर (म.प्र)
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा में दूसरी रणनीति को अपनाना चाहूंगी।एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी। और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
दूसरी प्रणाली ज्यादा बेहतर है क्योंकि इससे बच्चों को छोटी छोटी अवधारणाओं को समझाने में मदद मिलेगी,उनका सतत मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी उनको चरणबद्ध तरीके से सिखाने में सहायता मिलेगी साथ ही उनकी गतिविधियों का अभिलेख भी संधारित हो सकेगा जो आगे की योजना बनाने में मदद करेगा।
ReplyDeleteरीना वर्मा
शा प्रा शाला बूंदड़ा
हरदा एम पी
संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चों के आंकलन के लिए बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चों में तार्किक क्षमता आसानी से विकसित हो सकती है जिससे बच्चे सरल अवधारणा को समझ सके
ReplyDeleteसबसे पहले तो शिक्षार्थी को अंको का संख्याओं का मौखिक एवं लिखित ज्ञान करवाना जरूरी है शिक्षार्थी को छोटी एवं बड़ी संख्या में का ज्ञान गतिविधियों द्वारा खेलों के द्वारा करवाया जाएगा एवं घटाव का मतलब समझाया जाएगा की घटाव की प्रक्रिया में बड़ी संख्या में से छोटी संख्या को घटाया जाएगा इन प्रक्रियाओं को खेल खेल के माध्यम से जैसे कि कंचे कंकड़ पतियों आदि की गतिविधियां करवा कर इस संक्रिया को समझाया जा सकता है । शिक्षार्थियों को संख्याओं के स्थानीय मान एवं इकाई दहाई का ज्ञान करवाना भी आवश्यक है।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के आंकलन के लिए बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम है क्योंकि इससे बच्चों में तार्किक क्षमता का विकास आसानी से विकसित हो सकती है जिससे बच्चे सरल अवधारणा को समझ सकें
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए
ReplyDeleteनिम्न प्रयास हो सकते हैं--
संख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। कुछ शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी।
संख्या संक्रियाओं के आकलन करने के लिए शिक्षकों के प्रयास निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, प्रत्येक शिक्षक पाठ के अंत में कुछ प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। कुछ शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है,कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों तैयार करता है। और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।
बच्चों को संख्याओं एवं संघ क्रियाओं का आकलन करने के लिए बहुविकल्पी अभ्यास ओं के साथ साथ तर्कशक्ति आसानी से विकसित करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करना जरूरी है जिससे बच्चों को सीखने के लिए सतत जानकारी प्राप्त होगी।
Paath ke antim Mein bacchon ko chhote chhote bahuvikalpi prashn dekar Hamen ke tarkshakti ka Vikas kar sakte hain
ReplyDeleteबच्चे किस स्तर पर है।उसके अनुसार ही आगे की सतत मूल्यांकन की प्रक्रिया समाप्त करने के बाद बच्चे जिस स्तर पर होगा उस स्तर के अनुसार हम तैयारी कर उसे आगे बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे।
ReplyDeleteछात्रों की आकलन के लिए दूसरी बाली विधि बहुत कारगर है क्योंकि इसमें शिक्षक गणितीय संख्या क्रियाओं को उनके उप भागों में विभाजित करते हैं एवं बच्चों को उनकी भाषा में उनके स्तर के अनुरूप उन को समझाते हैं छोटी बच्चों को आकलन के लिए विधियों का उपयोग करना चाहिए जैसे बहुविकल्पीय प्रश्न, मौखिक प्रश्न एवं दैनिक जीवन से संबंधित उपयोग में आने वाले प्रश्न बच्चों की भाषा एवं स्तर के अनुरूप प्रश्न पूछ कर बच्चों का आकलन किया जा सकता है l
ReplyDeleteअशोक कुमार कुशवाह
सहायक शिक्षक
नवीन प्राथमिक विद्यालय भील
भील फलिया बडा उण्डवा
बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर कई बार अनुमान लगाने से भी सही हो सकते हैं और अनुमान हर बार सही नही हो सकता इसलिए बच्चों के सतत मूल्यांकन करना ही सही है।
ReplyDeleteFebruary 2, 2022 at 7:39 AM
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर है, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है, यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन ज़रूरी है ।
February 11, 2022 at 2:24 AM
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर कई बार अनुमान लगाने से भी सही हो सकते हैं और अनुमान हर बार सही नही हो सकता इसलिए बच्चों के सतत मूल्यांकन करना ही सही है।
बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर कई बार अनुमान लगाने से भी सही हो सकते हैं और अनुमान हर बार सही नहीं हो सकता इसलिए बच्चों को सतत मूल्यांकन कराना ही सही है
ReplyDeleteसंख्याओं पर संक्रियाओं के अभ्यास कराने में, पाठ की विषय वस्तु पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के माध्यम से आकलन बहुत ही कारगर आकलन विधि है पर बच्चों को संख्याओं की संक्रिया चाहे जोड़ संक्रिया हो या घटाने की या गुणा, भाग की,बच्चे को पूर्ण रूप से संक्रिया पर पकड़ और दक्षता व कुशलता हासिल कराने के लिए संक्रिया जो सिखा रहे हैं उसे उप इकाई में विभाजित कर अन्य प्रकार से भी आकलन करने से बच्चा और सही व सार्थक प्रकार से सीख पाएगा जो उसे अगली बड़ी कक्षाओं में संक्रियाओं को हल करने में मदद करेगा
ReplyDeleteबच्चों का आकलन करने के लिए बहुवैकल्पिक अभ्यास प्रश्नों के साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे-छोटे प्रश्न भी आकलन के लिए उपयोगी होते हैं क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है।स्टूडेंट्स में संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिए मौखिक बुनियादी तथा कुछ लिखित प्रश्नों को भी शामिल करना चाहिए
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए मैं अपनी कक्षा में दोनों ही रणनीतियों को अपनाऊंगा।बच्चों में प्रगति सतत होती है अतः मूल्यांकन भी सतत होने चाहिए।
ReplyDeleteJyoti malviya
ReplyDeleteUnnat mahawar nagar indore
बहुविकल्पीय प्रश्न छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त होते हैं।
संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप इकाइयों में विभाजित कर यह देखना कि बच्चा प्रत्येक उप इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करता है, शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना कार्य की एक फाइल पोर्ट फोलियो में रखता है, और उसका उपयोग रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के लिए करते है, यही रणनीति उपयुक्त है, क्योंकि यह आकलन बच्चे की समझ प्रदर्शित करता है, तथा उसके सीखने का सही आकलन करता है,
ReplyDeleteबच्चों को संख्या ज्ञान का अभ्यास करने के लिए उपसंकियाओ का उपयोग किया जा सकता है ।
ReplyDeleteSanjeev Kumar Tiwari
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओ के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्प के अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चो का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों संख्या संक्रिया का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूँगी और कुछ लिखित भी।
दूसरी वाली प्रणाली ज्यादा कारगर होगी क्योंकि इससे बच्चों के स्तर का पता चलता हैं|
ReplyDeleteदोनों विधियाँ सही हैं।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिए बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है जिससेकिबच्चों की तार्किक शक्ति का विकास होता है
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभाऊराव धोटे (स.शि.)
ReplyDeleteEPES शा.मा. शा.-लिहदा
वि. ख.-मुलताई (बैतूल)
मै अपनी कक्षा में दूसरे प्रकार की रणनीति अपनाना चाहूंगा क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है, उसे सीखने की प्रक्रिया में क्या बाधाएँ आ रही हैं, वह अपनी प्रतिक्रिया कैसे व्यक्त कर रहा है यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी है।
छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना पर्याप्त नहीं होता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चों का आकलन करने के लिए बहु विकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ-साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे -छोटे प्रश्न भी आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण होते है।
Bahuvikalpi prashno ke madhyam se gyan ke sath Sambad me bhi mdad milti h. Jisse spashta ka pta chalta h
ReplyDeleteबहुविकल्पी प्रश्नों से बच्चो की तार्किक शक्ति बनेगी
ReplyDeleteमेरे विचार से पहली वाली गतिविधि ज्यादा उपयोगी साबित नहीं होगी क्योंकि सिर्फ पाठ के अंत में बहुविकल्पीय प्रश्नों के माध्यम से यह नहीं समझा जा सकता है कि बच्चे को पूरा पाठ कितना समझ में आया है। इसमें जो दूसरे टीचर द्वारा कार्य किया गया है वह सराहनीय है। इस गतिविधि में संपूर्ण इकाई को उप -इकाइयों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक इकाई में बच्चे द्वारा किए गए कार्य को पोर्टफोलियो में संधारित किया गया है। इससे हमें गहराई से यह विचार करने में सहायता मिलेगी कि बच्चा पूरे पाठ में दी गई सभी अवधारणाओं को कितना और कैसे समझ पाया है? हम अपनी कक्षा में दूसरी रणनीति का उपयोग करना चाहेंगे।
ReplyDeleteमै दुसरी प्रक्रिया ज्यादा सही समझती हुं, बच्चों के अनुरूप बीच बीच से छोटे प्रश्न बनाकर उनका मुल्यांकन करने से बच्चों को ज्यादा जोड़ पायेगें, और वे मजे मजे में करेगें,
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)- संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप इकाइयों में विभाजित कर प्रत्येक उप इकाई हेतु गतिविधियों को तैयार कर इस पर बच्चों की प्रतिक्रिया एवं किए गए कार्य का आकलन सही होगा ।
ReplyDeleteसभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए, उन्हें सरल से कठीन प्रश्नों पर ले जाऊंगा, जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने से डर महसूस ना हो...
ReplyDeleteDusre shikshak dwara bnai gyi ranniti sahi hai kyuki isse bachche ke sare concept ache se clear ho jaenge.
ReplyDeleteUkt process m dono teacher aakalan ko sikhane k liye do alag alag activity karvat hue bachche ko ghataav ki avdharna sikhate h. Saath hi bachche m emaandari ke gun ko viksit katvayate h.dhanyaeaad.
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में ऐसी रणनीति अपनाना चाहूंगी कि मैं बच्चे का चहुमुखी विकास कर सकूं और उसको गणित की बारीक से बारीक चीज को भी गतिविधि के आधार पर समझा सकूं हम उसको और उसकी मूल्यांकन के लिए उसी संसाधन व सामग्री का इस्तेमाल करेंगे जिससे कि हमने उसको उस अवधारणा के बारे में समझाएं है यह बताएं क्योंकि मूल्यांकन पर या हमें उन्हीं चीजों से करना चाहिए क्योंकि हम कक्षा शिक्षण के दौरान इस्तेमाल करते हैं मूल्यांकन हम बच्चों का साथियों के द्वारा भी कर सकते हैं और उसकी नियमित और सुचारू रूप से उसके व्यवहार में जो चीज है आ रही हो उसके द्वारा भी उसका मूल्यांकन करना चाहूंगी। एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। संख्या संक्रियाओं के लिए बच्चो का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय अभ्यास प्रश्नों के साथ साथ मौखिक अभ्यास और दैनिक जीवन से जुड़े छोटे छोटे प्रश्न भी आकलन के लिऐ उपयोगी होते हैं। क्योंकि छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिऐ मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूंगी। और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते है। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
ReplyDeleteहम बच्चों का मूल्यांकन उसकी दैनिक जीवन की चीज जुड़ी हुई चीजों के साथ करेंगे और मूल्यांकन मौके सामाजिक और लिखित में भी हो सकता है इसीलिए इसी प्रकार से जब हम बच्चे का मूल्यांकन करते हैं तो वह उसका पूर्ण संख्याओं से युक्त और संख्यात्मक ताको लिए हुए उसका मूल्यांकन हो पाता है धन्यवाद 🙏
वैदेही त्रिपाठी(प्राथमिकशिक्षक) शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा-टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
Bachcho ka satat mulyakan karege
ReplyDeleteगणित सही अन्य विषयों में आकलन के लिये बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चे में तार्किक क्षमता आसानी से विकसित हो सकती है ।जिससे सरल ससरल अवधारणा बच्चे समझ सके।।।
ReplyDeletegadit me sahi anya vishayon main akalan ke liye bahubikalpiya pradali hi saravottam hoti he. Kyonki isase bachche main tarkik chhamta asani se viksit ho jati he.gisase saral avadharna bachche samagh saken.
ReplyDeleteबहुविकल्पीय प्रश्न से बच्चो की तार्किक शक्ति का विकास होता है। परन्तु छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूँगा और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते हैं। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती है।
ReplyDeleteबच्चों को गणितीय संक्रियाओं में बहु विकल्प प्रशन के माध्यम से ही आकलन किया जाता है
ReplyDeleteबच्चों का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ-साथ हम बच्चों के सतत रूप से आकलन करने के लिए पोर्टफोलियो गतिविधि भी आवश्यक है इसके माध्यम से हम बच्चे के कमजोर क्षेत्र को पहचान कर उस पर रणनीति बनाकर कौशल का विकास कर सकते हैं
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर हैं, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है,यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी हैं lबहुविकल्पी प्रश्न छोटी इकाइयों में बनाकर पोर्टफोलियो तैयार करना जिसमें रूब्रिक, चेकलिस्ट के माध्यम से बच्चे की समग्र जानकारी एकत्रित करते हुए बच्चे के विकास को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी ।
ReplyDeleteधन्यवाद!
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय अमरोद
विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
किसी भी शिक्षक के लिए अंतिम लक्ष्य उसके छात्रों का उसके द्वारा सिखाई गई आधारणाओं का समझ लेना वा उसका सार्थक उपयोग कर पाना ही होता है । ऐसे में छात्रों के सतत मूल्यांकन हेतु ये ज़रूरी है कि किसी पाठ की समस्त उपधरणाओं को बच्चो को समझाना एवम् ये सुनिश्चित करना की कौनसे बच्चे को कौनसी उपधारणा समझने में दिक्कत आ रही है । ऐसे में दूसरी विधि का प्रयोग अधिक उपयोगी होगा । साथ ही तार्किक बुद्धि के विकास हेतु दूसरी विधि में वैकल्पिक प्रश्नों को शामिल कर लेने से सोने पे सुहागा यथार्थ हो जाएगा
ReplyDeleteNiluma Thakre prathmik shikshak Gondiwadhona
बहुविकल्पिक प्रशनो से बच्चो का तार्किक विकास होता हैं।
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली प्रक्रिया ज्यादा कारगर हैं, क्योंकि बच्चा कैसे सीख रहा है,यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी हैं l
ReplyDeleteशिवपाल सिंह Gps कुम्हरौला block मझगांव सतना एमपी
मैं दूसरी वाली विधि को अपना लूंगा क्योंकि किसी पाठ को उप इकाइयों में विभाजित करके सतत मूल्यांकन और उसकी समझ को बढ़ाया जा सकता है इसके बाद बच्चों की जानकारी पोर्टफोलियो बनाकर रखना चाहिए
ReplyDeleteछात्रों के आकलन के लिए दूसरी वाली विधि सही है इससे बच्चों के सीखने की गति का पता चलता है । जिससे हम बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकते है
ReplyDeleteमैं दूसरी वाली रणनीति विधि अपनाउगा। क्योंकि बच्चा कैसे सिख रहा है,यह जानने के लिए उसका सतत मूल्यांकन जरूरी हैं गिरवर सिंह लोधी पीएस राजपुर
ReplyDeleteबच्चों के आकलन के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से सतत आकलन की योजना बनाकर जैसे संख्याओं की समझ दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली व्यवहार मौखिक जोड़ मुखी - एवं अनेक प्रकार से गतिविधि कर आकलन की विधि अपनाना चाहिए जिससे कि बच्चों का सही सही आकलन हो सकेBacchon ke bacchon ke banaa le
ReplyDeleteAnek prakar se a bacchon ka aakalan karne ke liye ek bar kram se ek Shabd ke a aur do Shabd ke prashn taiyar kar Dainik jivan mein main upyog mein aane wali e gati vidhi Jaise vastuon ke dam aadi प्रश्न तैयार कर मौखिक और लिखित दोनों तरफ से सतत मूल्यांकन इकाई वार किया जाना चाहिए जिससे जिससे बच्चों का सही सही आकलन हो सके
ReplyDeleteमैं सभी बच्चों के मानसिक विकास के आधार को समझते हुए उन्हें सरल से कठिन प्रश्नो पर ले जाऊँगी जिससे उन्हें ज्ञान अर्जित करने के लिए डर महसूस ना हो।
ReplyDeleteसबसे पहले बच्चो कोप स्थानीय परिवेश से ही गणित को सिखाया जा सकता जब तक उन्हें उससे नही जोड़ते है तब तक वह संखया का ज्ञान नही होगा इसलिए उसको स्थानीय परिवेश से जोड़ते हुवे ज्ञान दीजिये वह भीत ही जल्दी सीखता जायेगा
ReplyDeleteगणित एवं अन्य सभी बिषयों में आकलन के लिये बहुविकल्पीय प्रणाली ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि इससे बच्चों में तार्किक क्षमता आसानी से बिक ््सित हो सकती है।
ReplyDeleteएक अन्य शिक्षक संख्या संघ क्रियाओं की अवधारणा को छोटी इकाइयों में विभाजित करता है वह देखता है कि बच्चा प्रत्येक इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के साथ कैसे प्रतिक्रिया करता हैशिक्षक प्रत्येक बच्चे के नमूना कार्य की एक फाइल पोर्टफोलियो पर रखता है यह कार्य ज्यादा सही होगा क्योंकि बच्चे की अवधारणा छोटी छोटी इकाइयों को सीखते हुए स्पष्ट होती है
ReplyDeleteमैं दूसरी प्रणाली (पोर्टफोलियो वाली) अपनाना चाहूंगी क्योंकि इसमें हम बच्चे का सतत् मूल्यांकन करते हैं जिससे बच्चे की कमियाँ हमें पता चलती हैं और हम उन्हें दूर कर सकते हैं
ReplyDeleteChanda Verma
Praathmik Shikshak
G. P. S. A. B. Bihra no 2
District Satna M. P.
Manorma kalyane gps garipiplya dais 23260410001
ReplyDeleteYe trending ladies fade mans hogi
बहुविकल्पीय प्रश्न से बच्चो की तार्किक शक्ति का विकास होता है। परन्तु छोटे बच्चों का आकलन एक ही तरीके से करना उचित नहीं है। मैं अपने छात्रों में संख्या संक्रियाओं का आकलन करने के लिए मौखिक बुनियादी प्रश्नों को भी शामिल करूँगा और कुछ लिखित भी।साथ ही बच्चों की रुचि आधारित प्रश्न पूछकर उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर व उनकी भाषा में बच्चों से प्रश्न करके हम आकलन कर सकते है व उनके दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्न करके भी आकलन कर सकते हैं। इससे बच्चे में तार्किक व बौद्धिक क्षमता आसानी से विकसित होती रश्मि वर्मा प्राथमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक विद्यालय बोरदा भोपाल मध्यप्रदेश
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए, शिक्षक पाठ के अंत में केवल बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ एक प्रश्न तैयार करता है। एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रियाओं की अवधारणा को छोटी उप-ईकाइयों में विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे की नमूना-कार्य की एक फ़ाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। आप अपनी कक्षा में कौन सी रणनीति अपनाना चाहेंगे और क्यों?
ReplyDeleteइस संबंध में मैं दूसरी वाली विधि को अपना लूंगा क्योंकि किसी पाठ को उप इकाइयों में विभाजित करके सतत मूल्यांकन और उसकी समझ को बढ़ाया जा सकता है इसके बाद बच्चों की जानकारी पोर्टफोलियो बनाकर रखना चाहिए जिससे कि बच्चे ने कितना सीखा है और उसे कहां कठिनाई हो रही है इसका पता लगने पर ही समस्या का समाधान कर सकते हैं और यही इस माड्यूल के उद्देश्य में भी है। इसलिए छात्रों के आकलन के लिये दूसरी वाली विधि कारगार है क्योंकि इससे बच्चों की सीखने की सतत जानकारी उपलब्ध हो सकेगी और हम बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकेंगे ।