कोर्स 12 - गतिविधि 3: अपने विचार साझा करें
अपने राज्य/यूटी से प्रसिद्ध
स्वदेशी खिलौनों/ अधिगम सामग्री के बारे में सोचें और अपने विचार साझा करें कि आप इनके
प्रयोग विभिन्न प्रत्ययों कौशलों के शिक्षण -अधिगम में कैसे कर सकते हैं?
अपने राज्य/यूटी से प्रसिद्ध
स्वदेशी खिलौनों/ अधिगम सामग्री के बारे में सोचें और अपने विचार साझा करें कि आप इनके
प्रयोग विभिन्न प्रत्ययों कौशलों के शिक्षण -अधिगम में कैसे कर सकते हैं?
हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा|
ReplyDeleteरघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक )शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव, जन शिक्षा केंद्र- शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय -सहसराम ,विकासखंड- विजयपुर, जिला -श्योपुर मध्य प्रदेश
We can make educational topics more interactive by making toys in class room during learning for example we can use cotton colourful paper,glu, ,bead and sheat for making toys in class room
Deleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं !
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं !
DeleteMp ke bachche khilona banane me bahut chatur hai.ye mitti se kapadon se kagaj se nae,hawai jahaj ball aadi anek prakar ke khilone bana lete hain.
DeleteHamare Pradesh me children bachapan se hi khiloney se khelte aye hai.khiloney se jo Parivartan dekhne ko milta hai.es se spast hota hai ki kitne jaldi sikna va buddhi me vikas ho raha hai
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैं।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जिस प्रकार से लकड़ी के खिलौने आसानी से बनाए जा सकते हैं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला डोंट टोला खैरा विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 8718097722
हमारे क्षेत्र में मिट्टी के खिलौने बनाने का प्रचलन अधिक है बच्चे मिट्टी के खलौने से खेलते है हुए पारिवारिक पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित होते है इसी तरह कपड़े के खिलौने, कागज के खिलौने बनाने का भी प्रचलन है।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |
ReplyDeleteमिट्टी हमारे विद्यालय के आसपास आसानी से मिल जाती है और उस से बनने वाली खिलौने से भी बच्चे परिचित है मिट्टी के खिलौने और कपड़े के खिलौने शिक्षण अधिगम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार अदा कर सकते हैं
ReplyDeleteशाला के आस पास व स्थानीय स्तर पर अनेक संसाधन होते,है जिनसे शिक्षण अधिगम के लिये खिलौने बनाये जा सकते है
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में विभिन्न वस्तुओं से खिलौने बनाए जाते है,लकड़ी प्लास्टिक कपड़े तार लोहे मिट्टी जिसे से बच्चे का समग्र विकास होता है।और शिक्षा क्षेत्र में भी विशेष योगदान है।कुछ खिलौने बच्चे खुद ही बनातेहै।मिट्टी और कागज के।
ReplyDeleteलोकेश कुमार विश्वकर्मा, विकासखंड harrai
हमारे प्रदेश में कई वस्तुओं से खिलौने बनते हैं,जैसे-मिट्टी,लकड़ी आदि ।इनसे बच्चों का समग्र विकास होता हैः और इनका शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान है।कुछ खिलौने मिट्टी और कागज के बच्चे स्वयं बनाते है घर की अनुपयोगी सामाग्री से भी खेल हेतु खिलौने बनाए जा सकते हैं ।
ReplyDeleteKhilono se Shikshar Adhigam saral and Rochak anHota hai As Kagaj se Khilone Banana
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है।लकड़ी , मिट्टी,प्लास्टिक, कपड़ें के खिलौने बनाए जाते है। गुड्डे- गुड़िया , गाड़ी ,पशु -पक्षी,पजल्स और भी कई तरह के खिलौने।खिलौनों कुछ माध्यम से बच्चों का सामाजिक, भावनात्मक तार्किक विकास होता है।खिलौनों के माध्यम से बच्चे को विभिन्न क्षेत्रों की परम्पराओं,संस्कृति,रीति -रिवाजका ज्ञान होता हैं। विज्ञान से जुड़े तथ्यों की समझ विकसित होती है।विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चे जोड़ ना घटाना सीखते है।इस प्रकार खिलौने वास्तव में बच्चों के सीखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते है।
ReplyDelete2, 2022 at 7:12 PM
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति
मैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या प्राथमिक शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं हमारे प्रदेश में कई वस्तुओं से खिलौने बनते हैं,जैसे-मिट्टी,लकड़ी आदि ।इनसे बच्चों का समग्र विकास होता हैः और इनका शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान है।कुछ खिलौने मिट्टी और कागज के बच्चे स्वयं बनाते है घर की अनुपयोगी सामाग्री से भी खेल हेतु खिलौने बनाए जा सकते हैं ।
ReplyDeleteमिट्टी हमारे विद्यालय के आसपास आसानी से मिलजाती हैं। और उससे बनने वाले खिलोने से भी बच्चे परिचित हैं। मिट्टी के खिलौने शिक्षण अधिगम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार अदा कर सकते हैं।
ReplyDeleteN.K.AHIRWAR
हमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है|
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं !
ReplyDeleteNirmala Shivhare prathmik shikshak belha
स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।कई वस्तुओं से खिलौने बनते हैं,जैसे-मिट्टी,लकड़ी आदि ।इनसे बच्चों का समग्र विकास होता हैः और इनका शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान है।कुछ खिलौने मिट्टी और कागज के बच्चे स्वयं बनाते है घर की अनुपयोगी सामाग्री से भी खेल हेतु खिलौने बनाए जा सकते हैं ।
ReplyDeleteहमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है, कहीं बांस और लकड़ी के रंगबिरंगे खिलौनों बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं कागज़ व लाख से। और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी मिट्टी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं।इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं, सामाजिक परंपराओं एवं संस्कृतियों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोजगारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है।
ReplyDelete*खिलौनों का अधिगम सामर्थ्य*
ReplyDelete✍🏿✍🏿✍🏿✍🏻✍🏻✍🏻
स्थानीय तौर पर हमारे कटनी जिले में मिट्टी के खिलौने जैसे मिट्टी की चकरी मिट्टी के बेलन मिट्टी की चौकी अर्थात चकला तथा मिट्टी का चूल्हा यह सब खिलौनों के रूप में बनाए जाते हैं और इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों में रचनात्मक और आत्मनिर्भर बनने के गुण पैदा होते हैं।
एक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के रूप में, खिलौनों में कक्षा की शिक्षण प्रक्रिया को बदलने की सामर्थ्य होती है खिलौनों के द्वारा हम अपने शिक्षण प्रक्रिया में बदलाव करके अपने शिक्षण अधिगम को रुचि पूर्ण बना सकते हैं।
खिलौने बच्चे के सर्वांगीण विकास में सहायक होते है।
✍🏿💐
सुनीत कुमार पाण्डेय (KRP)
GPS चकराघाट हीरापुर कौड़िया
जिला- कटनी
🙏🙏
खिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र शिक्षण और सीखने के सबसे प्रभावी तरीकों को बढ़ावा देना है खिलौनों से सीखना छात्रों के लिए एक उत्तम विधि है इससे बच्चे अपने पाठ्यक्रम को खेल-खेल में पूर्ण कर लेते हैं प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी खिलौनों का होना जरूरी है।हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| मिट्टी के खिलौने जैसे मिट्टी की चकरी मिट्टी के बेलन मिट्टी की चौकी अर्थात चकला तथा मिट्टी का चूल्हा यह सब खिलौनों के रूप में बनाए जाते हैं और इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों में रचनात्मक और आत्मनिर्भर बनने के गुण पैदा होते हैं।खिलौनों के द्वारा हम अपने शिक्षण प्रक्रिया में बदलाव करके अपने शिक्षण अधिगम को रुचि पूर्ण बना सकते हैं।
ReplyDeleteखिलौने बच्चे के सर्वांगीण विकास में सहायक होते है।
हमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं
ReplyDeleteहमारे राज्य में कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं जिससे बच्चे भी हैं खिलौने बनाकर अपने अधिगम प्रणाली को बहुत ही सुगमता पूर्वक सीख सकते हैं खिलौने के माध्यम से बच्चे स्वयं का विकास अपने आप में आत्मनिर्भरता और सीखने की प्रबल इच्छा जागृत होती है खिलौने के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार समझा कर बच्चों को उनके अनुभव को साझा कर सकते हैं इस प्रकार हम स्वदेशी खिलौनों के माध्यम से अधिगम प्रणाली को भी चलता पुरवा के क्षमता प्रदान कर सकते हैं
ReplyDeleteहमारे यहां भी कहीं प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे कपड़े की गुड़िया मिट्टी के छोटे-छोटे बर्तन लकड़ी के खिलौने वह प्लास्टिक के खिलौने बनाए जाते हैं इन खिलौनों का उपयोग कर हम बच्चों में खेल के प्रति रुचि पैदा कर सकते हैं एवं उनकी पढ़ाई में भी रूचि पैदा कर उनमें गणिती दक्षता एवं अन्य कई प्रकार के कौशलों का विकास कर सकते हैं
ReplyDeleteBharat men bhi kai tarah ke khilone bnye jate han
DeleteHamare Madhya Pradesh mein Kai tarah ke khilaune banae jaate Hain aur unke bacche bahut kuchh bhi hai
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ।बच्चे घर पर मिट्टी से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते हैं ,तथा खिलौने के माध्यम से हम उन्हें कई तरह की चीजें सिखा सकते हैं ।जैसे गिनती पहाड़ा इत्यादि बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है ,क्योंकि माध्यम से अगर कुछ सिखाया जाए तो बच्चे बहुत जल्दी अच्छी तरह से सीख जाते हैं।
ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर सुविधा से उपलब्ध सामग्री जैसे मिट्टी, अखबारों को गलाकर उनकी लुगदी से, लकड़ी,बांस,बेकार कपड़ों से, प्लास्टिक आदि विभिन्न सामग्रियों से खिलौने बनाते जाते हैं।
ReplyDeleteइनसे बच्चों की अपनी शब्दावली , संप्रेषण कौशल विकास,आत्माभिव्यक्ति, आकृति, रंगऔर सृजनात्मकता के विकास के साथ एकाग्रता, आपसी सहयोग, आदि का विकास होता है तथा बच्चे स्वयं करके जल्दी ही समझ व सीख लेते हैं।
Smt.N.S.Quraishi,
G.M.S.Adarsh,
Chhatarpur
हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।
ReplyDeleteमंडला जिले में कई तरह के खिलौने बनाये जाते हैं। सागौन की लकड़ी की गाड़ी उसी में चके लगाना और रस्सी से खींचना।गाड़ी के ऊपर मिट्टी या पत्थर भर कर खींचना। मिट्टी के चकिया बनाना तथा अन्य किचिन सामग्री बनाना आदि शामिल हैं।हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।
ReplyDeleteमध्य प्रदेश में स्थानीय सामग्री का उपयोग कर कम से कम लागत से ज्ञानवर्धक, मनोरंजक और शारीरिक कसरत वाले खेल खेले जाते हैं जैसे एक खेल है जिसको *सतगडिया*या सतकुइया कहते हैं। जिसमें जमीन में 7+7 गड्डे होते हैं प्रत्येक गड्डे में 5_5 कंकड़ डाले जाते है, इसमें दो खिलाड़ी खेल सकते हैं।
ReplyDeleteइससे बच्चों में संख्या ज्ञान होता है, सतर्क रहकर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं, हाथों और उगलियों की मासपेशियां मजबूत होती हैं, आपस में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना का विकास होता है।
हमारे प्रदेश में कई तरह के खिलाने बनाए जाते हैं जैसे कपड़े से मिट्टी के प्लास्टिक से इसे कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं इसके अलावा कई तरह के ऐसे खेल भी खेले जाते हैं जिससे शिक्षा के अवसर उसके हमें ऐसे ही खिलोने हुआ खेलों की आवश्यकता है जिससे हम अधिक से अधिक बच्चों को खेल खिलौना आधारित शिक्षण प्रदान कर सके।
ReplyDeleteमिट्टी आसानी से मिल जाती है।मिट्टी के खिलौने की परम्परा भी है व बच्चे इन से परिचित भी है। मिट्टी के साथ-साथ खिलौने कपडे के भी बनाकर शिक्षण अधिगम के लिए उपयोगी होते है।खिलौने कागज के भी प्रचलित है।
ReplyDeleteबच्चों को खिलौनों के प्रति प्रेरित करना चाहिए ।
ReplyDeletebachche khilono ke madhyam se bahut he aasani se rochakta ke sath sikhte hain hamen khilono ka upyog karte hue baccho ko sikhana chahiye.
ReplyDeleteKhilone Or bacchon ka gahra sambandh hota he. Anek type ke khilone bante he mitti, kagaj, lakdi, kapde aadi ke. Khilone se khel khel me baccha bhut kuch seekhta he.
ReplyDeleteBacchon ke sikhane ka ka sadhan Lakadi ke khilaune ho sakte hain Mitti ke Khilona ho sakte hain plastic ke khilaune tar se banave Cholan kaloni ityadi ke Madhyam se bacche Khel Khel Mein Shiksha grahan kar sakte hain Anand Bhawan mein bacche Jyada aur jaldi sikhate Hain isliye Shikshan adhigam mein khelon ka atyadhik mahatva hai
ReplyDeleteसंतोष कुशवाहा शा प्राथमिक विद्यालय कटापुर जेएसके ररुआराय विकास खण्ड सेवढ़ा जिला दतिया।
ReplyDeleteप्रदेश के प्रमुख खिलौनों में हैं मिट्टी के खिलौने लकड़ी के खिलौने बांस के खिलौने एवं कपड़ों से बनाए गए खिलौने बहुत ही प्रसिद्ध है इन के माध्यम से बच्चे आसानी से पढ़ना लिखना सीख जाते हैं और उनमें उत्सुकता भी बनी रहती है जैसे लकड़ी के खिलौनों में तीन पहिए की गाड़ी
हमारे प्रदेश में विभिन्न वस्तुओं से खिलौने बनाए जाते है,लकड़ी प्लास्टिक कपड़े तार लोहे मिट्टी जिसे से बच्चे का समग्र विकास होता है।और शिक्षा क्षेत्र में भी विशेष योगदान है।मिट्टी और कागज से कुछ खिलौने बच्चे खुद बनाते है ।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं !
ReplyDeleteखिलौनों से बच्चों को खेलों के माध्यम से सीखने में बहुत मज़ा आता है।
श्रीमती राघवेंद्र राजे चौहान। कन्या आश्रम शाला मलावनीशिवपुरी एम.पी.। हमारे मध्य प्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं लकड़ी मिट्टी प्लास्टिक कपड़े के खिलौने बनाए जाते हैं गुड्डी गुड़िया गाड़ी पशु पक्षी और भी कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं खिलौने कुछ माध्यम से बच्चों का सामाजिक भावनात्मक तार्किक विकास करते हैं खिलौनों के माध्यम से बच्चे को विभिन्न क्षेत्र की परंपराओं संस्कृति रीति रिवाजों का ज्ञान होता है विज्ञान से जुड़े कई प्रकार के जानकारी प्राप्त होती हैं तथा कई गतिविधियों के माध्यम से बच्चे - जोड़ना छोटा बड़ा आदमी सीख सकते हैं इस प्रकार खिलौने वास्तव में बच्चों के सीखने बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने तैयार किये जाते हैं जैसे लकड़ी, कपड़े, लोहे के तारों आदि से बनाए जाते हैं कुछ बच्चे अपने हाथों से ही मिट्टी के खिलौने बना लेते हैं जो शिक्षा के साथ-साथ हमारी संस्कृति को भी जीवित रखती है
ReplyDeleteप्रारंभिक स्तर के बच्चों के लिए अगर कोई सबसे अच्छा अगर t.l.m. है तो वह है खिलौना खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसानी से सीख सकते हैं और उनका खिलौनों से सीखी हुई कोई भी जानकारी उनके जीवन में स्थाई होती है खिलौनों और खेल के माध्यम से बच्चे बहुत अच्छा सीख सकते हैं
ReplyDeleteWe can make educational topics more interactive by making toys in class room during learning for example we can use cotton colourful paper,glu, ,bead and sheat for making toys in class room
ReplyDeleteविनोद कुमार द्विवेदी p / s piprahiya सीधी बच्चो को खिलौने लकड़ी के सामान बनाना उनको सीखना चाहिए और अलग अलग गतिविधि मे भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए|
ReplyDeleteहमारा प्रदेश विभिन्न संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है। हमारे यहाँ विविध प्रकार के पर्व एवं त्योहार होते हैं जिनमें गणेशोत्सव एवं नवरात्रि प्रमुख हैं। इन त्योहारों में भगवान गणेश और माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं। बच्चे इन प्रतिमाओं को देखकर उन का लघुरूप बनाकर खेलते हैं। इस के अतिरिक्त बांस, लकड़ी, कागज, कपड़ा और तार आदि से भी खिलौनें बनाये जाते हैं। खिलौनों से बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है।हम घर पर पड़ी हुई बेकार सामग्री से भी खिलौनें बनाकर शिक्षण, अधिगम मे उपयोग कर इसका लाभ ले सकते हैं।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला, ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैं।
ReplyDeleteMohanlal kurmi
P/S karaiya lakhroni
Vikaskhand patharia
Jila Damoh
विनोद कुमार द्विवेदी p/s piprahiya सीधी बच्चो को समान रूप से सारे ज्ञान देना |
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति
ReplyDeleteअशोक कुमार कुशवाह सहायक शिक्षक नवीन प्रा.वि.भील फलिया बडा उण्डवा आलीराजपुर
हमारे राज्य में विभिन्न प्रकार के खिलौने बनते हैं जैसे -मिट्टी ,लकड़ी ,प्लास्टिक ,कपड़े का उपयोग शाला में शिक्षण अधिगम के रूप में प्रयोग कर बच्चों को मानसिक, बौद्धिक विकास कर सकते हैं जिससे बच्चों में खोज ,कलात्मकता ,सृजनात्मकता जैसे गुणों का विकास होगा ।हमारे राज्य में त्यौहारों में भी मिट्टी की मूर्ति ऐसे लक्ष्मी गणेश दीपावली ,आखा तीज में पुतरिया गुड्डा गुड़िया की शादी की जाती है जो की मिट्टी से बनी होती हैं एक त्यौहार में लकड़ी के घोड़े की पूजा होती है जो भारतीय संस्कृति को दर्शाते हैं।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाई जाती है जैसी लकड़ी , मिट्टी, कपड़े ,कागज की लुगदी बनाकर प्लास्टिक आदि का उपयोग करके बनाए जाते हैं। खिलौने बच्चों को बहुत पसंद होते हैं और इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों को अच्छी तरह से शिक्षा प्रदान की जा सकती है बच्चे घर पर ही खिलौने बना सकते हैं जो उन्हें हमारी संस्कृति से जोड़ता है खिलौनों के माध्यम से बच्चों के शारीरिक एवं बौद्धिक विकास भी होता है। रमन श्रीवास्तव प्राथमिक शिक्षक शासकीय हाई स्कूल दिवारी गली नंबर 5 सतना मध्य प्रदेश
ReplyDeleteRatnesh Mishra CAC Tewar jabalpur Rural
ReplyDeleteखिलौना सीखने का सशक्त माध्यम है। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में मुख्यतः दीपावली. दशहरा और रक्षाबंधन में विभिन्न प्रकार के खिलौने जिसमें मिट्टी के खिलौने. लकड़ी के खिलौने. संगमरमर पत्थर के खिलौने तथा कागज के खिलौने आदि बच्चों द्वारा बनाये जाते हैं। इस तरह से बच्चों में सृजनात्मक. कलात्मक गुणों का विकास होता है।
हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा|
ReplyDeletehamare shetra mein mitti ke khilone banaye jate hain,. in khilone ka upypog nhu sikshan ashiigam memn kar sakte hain /
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाये जाते हैं जिसमे लकड़ी के खिलौने,मिट्टी के खिलौने और प्लास्टर ऑफ पेरिश के खिलौने ज्यादा प्रचलित हैं।जिसमे गुड्डा-गुड़िया, हाथी-घोड़ा छोटे बच्चों के लिए लकड़ी की तीन पहिये की गाड़ी आदि बहुत प्रसिद्ग हैं।जिससे बच्चो को अपनी संस्कृति के बारे में जानने के अवसर मिलते हैं और खेल खेलने से उन्हें आनंद भी आता है।इन खिलौनो से बच्चो के निम्नलिखित कौशलों का विकास होता है।
ReplyDelete*सृजनात्मकता
*सूक्ष्म मांसपेशियों का विकास
*समस्या समाधान
*सूक्ष्म गत्यात्मक विकास
*आत्म अभिव्यक्ति
*संप्रेषण के अवसर
*समाजिक भावनात्मक विकास
इस प्रकार खिलौनो का बच्चों के सर्वांगीण विकास में बड़ा ही महत्व होता है।
खिलौने पर आधारित शिक्षा शास्त्र प्रारंभिक स्तर के बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण है प्रारंभिक शिक्षा में बच्चों को खिलौनों की माध्यम से सिखाना उनके लिए बहुत ही रुचि कर एवं मनोरंजक है बच्चे खेल आधारित गतिविधियां करके आसानी से अपनी भाषा में बहुत जल्दी सीखते हैं हमारे क्षेत्र में कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे लकड़ी के खिलौने मिट्टी के खिलौने प्लास्टिक के खिलौने एवं कपड़ों के खिलौने तथा घर की अनुपयोगी सामान से बनाए हुए खिलौने, इन खिलौनों के माध्यम से ही बच्चों में सृजनात्मकता रचनात्मकता एवं कला का विकास होता है एवं खेल खेल में वे प्रारंभिक स्तर का शिक्षा ज्ञान प्राप्त करते हैं परंतु आजकल इस पद्धति का अभाव होता दिख रहा है आजकल बच्चों को खेलने के बहुत कम अवसर प्राप्त हो रहे हैं एवं हमारे पारंपरिक खिलौने प्रायः लुप्त से होते जा रहे हैं आजकल बच्चे मोबाइल एवं टीवी में होते जा रहे हैं जिसका परिणाम वह अपने पारंपरिक खिलौनों एवं पारंपरिक खेलों से दूर होते जा रहे हैं हमें इसमें अभिभावकों की सहायता लेकर उन्हें इन पारंपरिक खिलौनों और पारंपरिक खेलों से जोड़ना होगा क्योंकि इनसे ही हमारे बच्चे हमारी संस्कृति हमारे विचारधारा एवं हमारे तौर तरीकों से परिचित होते है इन खिलौनों से खेल खेल कर बच्चे अति प्रसन्न होते हैं एवं खेल खेल में शिक्षा प्राप्त करते हैं इन खिलौनों से एवं खेलों से बच्चों में निम्नलिखित कौशलों का विकास होता है l
ReplyDelete(1) सृजनात्मकता
(2) हल्की मांसपेशियों का विकास
(3) समस्या समाधान
(4) सूचना गत्यात्मक विकास
(5) आत्म अभिव्यक्ति
(6) संप्रेषण के अवसर
(7) सामाजिक भावनात्मक विकास
इस प्रकार हम कह सकते हैं की खेल आधारित शिक्षा शास्त्र बच्चों के लिए एक वरदान है अपनी संस्कृति सभ्यता से जोड़ने का एवं खेल खेल में शिक्षा प्राप्त करने का l
धन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिनदौरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
Hmare Pradesh me bhi bachche vibhin prakar ke khilono lakadi,mitti,kagaj adi se sikhate hai bachche khel khel me apane aas pas vastuo ke bare me sikhate hai jisse bachcho me vibhin koshloka vikas hota hai
ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में मिट्टी के खिलौने बनाने का प्रचलन अधिक है बच्चे मिट्टी के खलौने से खेलते है हुए पारिवारिक पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित होते है इसी तरह कपड़े के खिलौने, कागज के खिलौने बनाने का भी प्रचलन है
ReplyDeleteMarch 3, 2022 at 7:19 PM
ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में मिट्टी के खिलौने बनाने का प्रचलन अधिक है बच्चे मिट्टी के खलौने से खेलते है हुए पारिवारिक पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित होते है इसी तरह कपड़े के खिलौने, कागज के खिलौने बनाने का भी प्रचलन है।
Bachche tarh tarh ke khilone banate hai jaise mitti,kagaj,kapde ,lakadi aadi bache khilone se padne me ruchi lete hai
ReplyDeleteखिलौनों से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकास हो ता है क ई
ReplyDeleteबाते खिलोनों के माध्यम से बच्चों खूद ही
सिखते है
हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके|
ReplyDeleteMadhya Pradesh me bachche khilona banane me bahut hoshiyar hote h. Mitti ke khilone,kagaj ke khilone, kapde ke khilone anek prakar se banate h. isse spasth hota h ki bachche me seekhne ke saath saath buddi ka vikas bhi ho raha h.
ReplyDeleteहमारे राज्य में पारंपरिक खिलौनों का अधिक प्रचलन है जैसे विभिन्न प्रकार की कठपुतलियां, लकड़ी के, मिट्टी के खिलौने आदि ।इन सभी के माध्यम से अनेक शिक्षण अवधारणाओं को स्पष्ट किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं बच्चे भी घर पर मिट्टी के से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आज के खिलौने बनाए जाते हैं बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं
ReplyDeleteArvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)---बच्चे हमारे प्रदेश में अपने परिवेश में उपलब्ध अनुपयोगी सामग्री से अपने मनोरंजन हेतु कई सुन्दर खिलौने बनाते और खेलते हैं ।मध्यप्रदेश में कागज, मिट्टी, कपडे, रुई लकड़ी और प्लास्टिक के खिलौने अधिगम सामग्री के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं ।लोटा पानी, गुड्डे-गुड़िया, टायर, गडागेंद झूला, टिप्पर ,कंचो का खेल ,चोरपुलिस,नदीपहाड,गिल्ली डंडा, आदिखेलगतिविधियां बच्चों द्वारा कीजातीहैं।जिसमें मनोरंजन के साथ -साथ उनकी सोच, सृजन, संप्रेषण और आत्म अभिव्यक्ति के गुण विकसित होते हैं ।
ReplyDeleteHamare Pradesh mein mitti ke khilaune banae jaate Hain plastic ke khilaune bhi banae jaate Hain lakadi ke khilaune bhi banae jaate Hain kagaj ke kapde banae jaate Hain khilaunon ke madhyam se bacchon ko Shiksha di jaaye to vah aur adhik mein Aakar padhaai karenge yah kaksha madhyam hai
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में मिट्टी, कागज और कपड़ो के खिलौने बनाये जाते है। छात्रो को भी इन्ही के द्वारा खिलोने बनाने के लिए प्रेरित कर शिक्षण अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteखिलौनों के द्वारा बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते है तथा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से खिलौनों को जोड़नासीखते है। हम अपनी गतिविधियों को खेल-खिलौनों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए एवं मिट्टी,कागज़,कपड़ा, घास-फेस,पेड़ पोधो की सीखेआदिसेखिलोनेबनाकर पर्यावरण सुरक्षा में अपना अमूल्य योगदान देकर विभिन्न प्रत्ययोकोशलो केशिक्षणअधिगम मे प्रयोग कर सकते है।
ReplyDeleteShala ke aas pass evam sthaneey star pr anek ese sadhan hote h jinse sikshan adhigam ko saral bnaya ja skta hai
ReplyDeleteHamare Pradesh mein kagaj mitti aur kapdon ke khilauna banae jaate Hain. Chhatron Ko bhi inhi ke dwara khilaune banane ke liye prerit kar shikshan adhigam ke uddeshy Ko prapt Kiya ja sakta hai. Aur bacchon ko khilaune se khelne ka bada shauk hota hai.
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ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने कागज़ के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं|
ReplyDeleteसकीना बानो
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में विभिन्न वस्तुओं जैसे लकड़ी प्लास्टिक,तार, मिट्टी,कपड़े आदि से खिलौने बनाए जाते हैं जिससे बच्चों का समग्र विकास होता है और शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान हे।
हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए | जी. पी. सोलंकी प्राथमिक शिक्षक शास . प्राथमिक शाला माना ब्लाक केसला जिला नर्मदापुरम म. प्र.
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में मिट्टी, कागज और कपड़ो के खिलौने बनाये जाते है। छात्रो को भी इन्ही के द्वारा खिलोने बनाने के लिए प्रेरित कर शिक्षण अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता हैं। यह आसान प्रक्रिया है।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति
ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे कपड़े की गुड़िया,मिट्टी के छोटे-छोटे बर्तन और खिलौने,लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं इन खिलौनों का उपयोग कर हम बच्चों में खेल के प्रति रुचि पैदा कर सकते हैं एवं उनकी पढ़ाई में भी रूचि पैदा कर उनमें गणितीय दक्षता एवं अन्य कई प्रकार के कौशलों का विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैंलिए
ReplyDeleteNaresh Sahu Prathmik Shikshak
P/S Rajpalchowk Pipariya Lalu
जन शिक्षा केन्द्र -वनगांव
विकास खंड -छिंदवाड़ा
जिला -छिंदवाड़ा
डाइस कोड -23430109203
हमारी मध्यप्रदेश में बच्चे परंपरागत तरीके से कागज रूई कपड़े आदि से आकर्षक खिलौने बनाते हैं जो न सिर्फ उनकी दिलचस्पी का सामान प्रदर्शित करता है बल्कि उनकी अभिव्यक्ति और कौशल को भी बढ़ावा देता है
ReplyDeleteहमारे मध्य प्रदेश कई तरह के खिलौने बनाये जाते हैं जैसे लकड़ी के कपड़े के गुड्डा -गुड्डी मिट्टी के खिलौने ;ईट के टुकड़े आदि सामग्री के खिलोने बना कर शिक्षण अधिगम मैं उपयोग कर सकते हैं।
ReplyDeleteMp me bahut sare khilone e banay jate h jinka upyog shikhan m kr sakte h jese mitti ke khilone , Ball ke upyog se prathvi k bate m padaya ja sakta or subjects ko bhi pada sakte
ReplyDeleteM.P. me vibhinn prakar ke khilone banaye jate han. Hum sabhi sthaniya star par khilone ka prayog karte hue bacchon ko khel-khel me sikhaya ja sakte hai.
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे लकड़ी के खिलौने कपड़े की प्लास्टिक के खिलौने रसोई का सामान मिट्टी के बर्तन बच्चे इस काम को बड़े रुचिके साथ करते हैं कुछ कार्य समूह में करते हैं जैसे रसोई वालेखेल से खाना बनाते हैं सब्जी बनाते हैं उसे बहुत कुछ सीखते तथा साथ में एक दूसरे से बातचीत करते हैं एक दूसरे से जानकारी प्राप्त करते हैं इससे उनकासर्वांगीण विकास तथा कौशल प्राप्त होते हैं
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश राज्य में भी बहुत सुंदर सुंदर खिलौने तैयार किये जाते हैं ,जो विभिन्न प्रकार की संस्कृति से जुड़े हुए होते हैं।इन खिलौनों से बच्चे अपनी संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करते हैं। लकड़ी के, कपड़े के एवं अन्य अनुपयोगी चीज़ों से शैक्षिक व ज्ञानवर्धक खिलौने तैयार कर उनसे आनंद पूर्वक खेल खेल में शिक्षा प्राप्त करते हैं।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं !
Deleteहमारे मध्य प्रदेश में कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते है जैसे लकड़ी की , कपड़े के , मिट्टी के , चीनी के, तार कर । इन खिलौने को विभिन्न रंगों से सजाया जाता है जिससे खेल खेल में बच्चों को विभिन्न रंगों का ज्ञान दिया सकता है। इसी प्रकार बच्चों को अन्य गतिविधयों से
ReplyDeleteशिक्षित किया जा सकता है।
Preeti Kabir Ms kirrola mungaoli
हमारे प्रदेश में लकड़ी, प्लास्टिक, तार आदि के साथ साथ कई खिलौने काग़ज़ से बनता है ।जिससे बच्चे बड़े आनंद से खेलते हैं I यदि खेल खेल में शिक्षा दी जाए तो वह अधिक प्रभावी होगी।
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी खिलौनों का होना जरूरी है।हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| मिट्टी के खिलौने जैसे मिट्टी की चकरी मिट्टी के बेलन मिट्टी की चौकी अर्थात चकला तथा मिट्टी का चूल्हा यह सब खिलौनों के रूप में बनाए जाते हैं और इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों में रचनात्मक और आत्मनिर्भर बनने के गुण पैदा होते हैं।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाये जाते हैं बच्चे भी स्वविवेक से परिवेश में उपलब्ध संसाधनों पेपर लकड़ी बांस पौधों की पत्तियों फटे कपड़े मिट्टी कंकण फूल आदि से खिलौने बनाते हैं खिलौने से खेलने बच्चों का स्वाभाविक गुण पता चलता है उसे खिलौने से खेलने पर अच्छा लगता है नया सीखने की उत्सुकता बढ़ती है नया सीखने पर या नया करने पर उसे बहुत अच्छा लगता है इससे वह संस्कृति को समझने लगता है इसलिए बच्चों को खिलौने से खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए
ReplyDeleteप्रारंभिक स्तर के बच्चों के लिए सबसे अच्छा टीएलएम खिलौना है । खिलौनों सीखी हुई बात बच्चों के जीवन में स्थाई होती है। खिलौनों के माध्यम से सीखना बच्चों के लिए बहुत आसान होता है बच्चे स्वयं भी मिट्टी से, कागज से खिलौने बनाते हैं जैसे कागज की नाव बनाना। खिलौनों के मध्यम बच्चों को परंपराओं, रीति रिवाजों का भी ज्ञान होता है।
ReplyDeleteहमारे यहां पर मिट्टी के खिलौने सरलता से मिलते है विशेष त्योहारों में इसका प्रचलन ज्यादा होता है
ReplyDeleteजैसे पोले के त्योहार में मिट्टी के बैल का खिलौना आकर्षण का केंद्र होता है
बच्चे मनोरंजन के साथ कई प्रकार विकास विकसित होता है
जैसे मानसिक सोचने का,
खेतो में उसके उपयोग का,
सृजनातमकता का विकास,
संप्रेषण का विकास,
कुछ आपने आप नया खिलौने बनाने का,
रंग रूप का
आदि इस प्रकार खिलौने मनोरंजन के साथ कई प्राका का विकास भी करते है
नाम प्रकाश दशोरे
शाला नवीन माध्यमिक शाला धनोरा
हमारे प्रदेश मध्यप्रदेश मे मिटटी कागज कपडे ,रुई,प्लासिटक ,तथा तरह तरह के खिलौने स्थानीय स्तंर पर बनाकर खेल खेलते है ,खेल से मनोरंजन व खेल खेल मे शिक्ष। प्राप्त करते है हमे खेलों व स्थानीय ,परंपरागत खेलों पर अधिक प्रोत्संहान देना चाहिए ।
ReplyDeleteShamim Naz H./S Arif Nagar Bhopal
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं।बच्चों को खेल और खिलौने प्रिय होते हैं। वे खुद भी कागज और मिट्टी के खिलौने बनाते है।वे खिलौने के माध्यम से सुगमता से सीखते हैं।खिलोने बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक है।
बच्चे मिट्टी के खिलौने, लकड़ी के, थर्माकोल से आदि आसपास मौजूद वस्तुओं से खिलौने बनाते हैं।इससे बच्चों की एकाग्रता, सृजनात्मकता,रुचि,सोच के बारे में पता चलता हैं।
ReplyDeleteHamare pradesh mein tarah tarah k khilone banaye jate hain.bacche bhi ghar par mitti k kagaj k khilone banate hain.madhya pradesh mein plastic ,lakdi,kapde k khilone banaye jate hai .Bachho ko khilone khelne ka boht shok hota hai isliye khilone k madhyam se shiksha di jaye to wo jada achhe se seekhte hain.
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैं।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं। बच्चों को खेल और खिलौने प्रिय होते हैं। वे खुद भी कागज और मिट्टी के खिलौने बनाते हैं। वे खिलौने के माध्यम से सरलता से अच्छे सीखते हैं। खिलौने बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में लकड़ी मिट्टी,कागज, और प्लास्टिक से कई प्रकार के खिलोने बनाए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे अपने आसपास के परिवेश में पायीजाने वाली बस्तुओं को देखकर मिट्टी के खिलौने बनाते हैं।वे खिलौने के माध्यम से सरलता से सीखते हैं। खिलौने बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं।
ReplyDeleteनिष्ठा f l n 3.0 कोर्स12 से मुझे सीख मिली हैं कि बच्चे बुनियादी स्तर पर खिलोनों से सख्या ज्ञान ,जोड़ ,घटाना आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं !और उन्हे पता भी नहीं चलता है कि उन्हें कुछ सिखाया गया है ,इसलिए हमे बच्चों के लिये खिलोना आधारित शिक्षण लागू करना चाहिए !
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाये जाते हैं। लकड़ी से, मिट्टी से, प्लास्टिक से, और कागज से अनेक प्रकार के खिलौने बनाये जाते हैं। इसके साथ खेलने में बच्चों को अधिक रूचि होती है
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं ! हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा|
ReplyDeleteहमारी प्रदेश में मिट्टी, कागज और कपड़ों से तरह-तरह के खिलौने बनाई जाती हैं बच्चों को विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करें शिक्षण अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चो को गणितीय ग्यान देने के लिए खिलौने का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में सामान्यतः मिट्टी एवं कपड़ों के खिलोने ज्यादातर बनाते जाते हैं लेकिन कुछ बच्चों में छीन की पत्तियों से भी अनेक आर्कषक डिजाइन तैयार की जाती है जिससे उनकी एकाग्रता विकसित होती है जो उनके लिए नितांत आवश्यक है ।
ReplyDeleteखिलौनों के माध्यम से संस्कृति एवं परिवेश की जानकारी तथा उससे लगाव होता है साथ ही शारीरिक अंगो का संतुलन एवं अनुशासन की भावना का विकाश होता है।
ReplyDeleteHamare Kshetra Mein Mitti AVN kagaj ke khilaune banane ka Adhik prachalan Hai bacche Mitti AVN kagaj ke khilaune se khelte Hue parivarik prishthbhumi se acchi Tarah parichit Hote Hain.
ReplyDeleteहमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह से खिलौने बनाए जाते है
ReplyDeleteजैसे मिट्टी के खिलौने लकड़ी से कागज के भी खिलौने बनाते है मिट्टी से बने की सहायता से जोड़ आदि करते है
हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलोने बनाए जाते हैं। जैसे लकड़ी ककके खिलौने, मिट्टी के खिलौने, प्लास्टिक के खिलौने ये खिलौने क ई तरह खेलों से सम्बंधित होते हैं जिससे बच्चे बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान कौशल विकास किया जा सकेगा
ReplyDeleteनमस्कार साथियों👏
ReplyDeleteहमारे गुना (मध्यप्रदेश) में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने , मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि और अब तो बाजार में प्लास्टिक के खिलौने भुत अधिक मात्रा में बिकने लगे है |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है|
धन्यवाद् !
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शा,एकीकृत मा.वि.अमरोद
विकास खंड बमोरी,जिला गुना, मध्यप्रदेस
Hmare pradesh me kai prakar k khilone bache bnate h jese kapde k,kagaj k,lakdi k, mitti k ,plastic k ,or kuch khilone unupyogi saman se v bnate h isse unka mastishk ka vikas hota h or wo shikshan v seekhte h.islie khilona adharit shikshan bahut avshyak h.
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे लकड़ी के खिलौने कपड़े की प्लास्टिक के खिलौने रसोई का सामान मिट्टी के बर्तन बच्चे इस काम को बड़े रुचिके साथ करते हैं कुछ कार्य समूह में करते हैं जैसे रसोई वालेखेल से खाना बनाते हैं सब्जी बनाते हैं उसे बहुत कुछ सीखते तथा साथ में एक दूसरे से बातचीत करते हैं एक दूसरे से जानकारी प्राप्त करते हैं इससे उनकासर्वांगीण विकास तथा कौशल प्राप्त होते है
ReplyDeleteमध्य-प्रदेश में भी विविध प्रकार के खिलौनों का निर्माण किया गया है। उदाहरण के लिए-प्लास्टिक, मिट्टी,बांश,कागज आदि। बच्चे खिलौने की सहायता से उनके अधिगम में वृद्धि होती है। और रोजगार उपलब्ध होता है। इससे 3-9के बच्चों में सर्वांगीण विकास और कौशल विकास होता है।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं
ReplyDeleteHamare Pradesh me tarah-tarah ke khilone banaye jate hai. Bachhe bhee ghar par mitti se ,kagaj se vibhinna prakar ke khilone bana lete hai .aur hamare m.p me lakdi,kapde aadi se khilone banaye jate hai .bachho ko khilone se khelne ka shauk hota hai . khilone se Shiksha dee jay to vah seekhane me rochakta mahsoos karte hai.
ReplyDeleteभाऊराव धोटे ( स.शि )
ReplyDeleteEPES शा.मा. शा. लिहदा
वि. ख. मुलताई बैतुल)
अपने राज्य मध्यप्रदेश में कई तरह के विभिन्न वस्तुओं के द्वारा खिलौने बनाये जाते हैं।
पिछले डेढ़-दो दशक से मोबाइल, कंप्यूटर जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से इन स्वदेशी खिलौनों का निर्माण बड़ी तेजी से घटा है।
फलस्वरूप ऐसे खिलौने जिनसे बच्चों का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास होता था वह चिंताजनक स्थिति में कम हो गया है।
बच्चे अपने सहपाठियों के साथ कई तरह के खेलो से वंचित हो गए है जिनके द्वारा वे अपने परिवेश, प्रकृति, समाज और संस्कृति का अनमोल ज्ञान प्राप्त करते थे।
यदि हमें बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है तो हमें विषय-वस्तु से संबंधित कई तरह के शिक्षा-प्रद खिलोने बनाने वाले कर्मकारों को प्रोत्साहित करना होगा।हम स्वयं भी अपने परिवेश में उपलब्ध अनुपयोगी सामग्रियों का सदुपयोग कर उनसे TLM बनाकर उसका प्रयोग कर हम विभिन्न प्रत्ययों, कौशलों का विकास शिक्षण अधिगम में कर सकते है।
हमारे प्रदेश में कई तरह के खिलौने बच्चों के लिए विभिन्न लोगों द्वारा बनाए जाते हैं जिस लकड़ी के खिलौने मिट्टी के खिलौने कागज के खिलौने कपड़े के खिलौने प्लास्टिक के खिलौने इत्यादि खिलौने बच्चों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । खिलौनों के माध्यम से बच्चे कई तरह के कौशलों का विकास अपने आप कर लेते हैं।
ReplyDeleteखिलौनों से बच्चो को खेल के प्रति जागरूक किया जा सकता है अपने यहाँ भी कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते h जैसे मिट्टी के लकड़ी के आदि खेल से बच्चो का मानसिक विकास भी होता है।
ReplyDeleteHamare M P me Kai Prakash ke khilone banaye Jate Hai, Lakdee ke Plastik ke,Mitti ke Chini ke bachho ko bhut bhate hai or ve khel khel me seekh jate hai
ReplyDeleteमहेंद्र शर्मा शा. प्रा. शा. प्रतापगढ़, संकुल बम्हौरी, वि. खं. सिलवानी, जि. रायसेन
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में अनेक प्रकार के खिलौने प्राचीन काल से बनाए जाते रहे हैं, लकड़ी, मिट्टी, कागज, कपड़े, पेड़ों की पत्तियों से विभिन्न स्थानों के अपनी संस्कृति से खिलौनो की अनेकानेक श्रृंखलाओं को देखा गया है. खिलौनों से बच्चों को एक खास लगाव होता है, बच्चे खिलौनों के साथ बड़ी तन्मयता से गतिविधि करते हैं, कक्षा में खिलौनों द्वारा सारगर्भित शैक्षणिक अधिगम गतिविधि कराई जा सकती है, खिलौनों के साथ बच्चे सहजता से वर्गीकरण, कम - ज्यादा, छोटा बड़ा, गणना, हल्का भारी, आदि दक्षताओं को सीख लेते हैं,
हमारे क्षेत्र में मिट्टी कपड़े व लकड़ी एवं कागज के खिलौने बनाने का प्रचलन है बच्चे मिट्टी कपड़े लकड़ी और कागज के बने खिलौने से खेलते हैं ,खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मस्तिष्क का विकास भी जुड़ा होता है।
ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में मिट्टी कपड़े व लकड़ी एवं कागज के खिलौने बनाने का प्रचलन है ,बच्चे मिट्टी कपड़े व लकड़ी एवं कागज के बने खिलौने से खेलते हैं ।खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मस्तिष्क काविकास भी जुड़ा हुआ होता है।
ReplyDeleteबच्चों के मानसिक विकास में खिलोने की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं। हमारे यहां खिलोने लकड़ी कपड़े कागज आदि से बनाए जाते हैं। खिलौने से बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं।
ReplyDeleteHamare Kshetra mein Main Mitti ke khilaune banane ka prachalan Adhik hai hai bacche Mitti ke ke Khilone Se khelte Hain aur aur Parivar e prishthbhumi se Jhooth hai aur Khilauna se Ae parichit Hote Hain ISI Tarah kapde ke Khilone kagaj ke khilaune Banane mein Hamare Kshetra Mein Kafi prachalan Hain Kahi Kahi Badhai Karigar ke dwara Lakadi ke khilaune bhi banae Jaate Hain
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं । बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते । और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं । बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं ।
ReplyDeleteखिलौनाे आधारित शिक्षाशास्त्र शिक्षण सीखने का सबसे प्रभावी तरीका है। किंतु मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ICT का उपयोग भी खेल के रूप मे किया जा सकता है।पर सीमित उपयोग होना चाहिए।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में मिट्टी व कपडों के खिलौने बनाए जाते हैं एवं बच्चे इनको अपने खेल में शामिल करते हैं व अपने परिवार के सदस्यों के नाम रख कर उनसे बात करते इससे सामाजिक ता व संम्प्रेषन का कौशल प्राप्त होता है।
ReplyDeleteकोर्स 12 से मुझे यह सीख मिली कि बच्चो को खेल खिलौने आदि से बच्चे जोड घटाव आसानी से सीख लेते बैं
ReplyDeleteकोर्स12 से मुझे सीख मिली हैं कि बच्चे बुनियादी स्तर पर खिलोनों से सख्या ज्ञान ,जोड़ ,घटाना आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं !और उन्हे पता भी नहीं चलता है कि उन्हें कुछ सिखाया गया है ,इसलिए हमे बच्चों के लिये खिलोना आधारित शिक्षण लागू करना चाहिए !
ReplyDeleteहमारे देश में विभिन्न खिलौने बनाए जाते है लकड़ी,लोहे,मिट्टी जिससे बच्चे खेलते है इन खिलौनों से बच्चे सिखते है यह खिलौने शिक्षण अधिगम के लिय बनाये जा सकते है
ReplyDeleteहमारे प्रदेश मे मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बनाये जाते है बच्चे इन्हे अपने खेल मे शामिल करते है व अपने परिवार के नाम रखकर उनसे बात करते है इससे सामाजिकता व सम्प्रेशन् का कौशल प्राप्त होता है।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश मेंं भी पारम्परिक सुंदर स्वदेशी खिलौने बनाने बनाए जाते हैं जिनको बनाने का उद्देश्य बच्चों के खेलने के साथ ,- साथ शैक्षिक उद्देश्य भी है। हमारे प्रदेश में कपड़े ,प्लास्टिक मिट्टी, लकड़ी के सुंदर मनमोहक खिलौने बनते हैं कपड़ों की गुड़िया, बच्चों की सामाजिक, भावात्मक, सृजनात्मक परस्पर खेल भावना जैसे शैक्षिक कौशल विकास में वृद्धि करती है वहीं विभिन्न टेढ़ी - मेढ़ी लकड़ी के प्रयोग से विभिन्न आकृति के खिलौने, गाड़ी आदि बच्चों के गणितीय कौशल, सूक्ष्म गत्यात्मक, समस्या समाधान ,सृजनात्मक कौशल को विकसित करने हेतु उपयोग में लाये जाते हैं । विभिन्न प्रत्ययों के शिक्षण अधिगम को प्राप्त करने हेतु हम अपनी कक्षा में कर सकते हैं। रामगोपाल शर्मा, प्राथमिक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकासखंड गैरतगंज, जिला रायसेन, म. प्र. ।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश मे मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बनाये जाते है बच्चे इन्हे अपने खेल मे शामिल करते है व अपने परिवार के नाम रखकर उनसे बात करते है इससे सामाजिकता व सम्प्रेषण कौशल प्राप्त होता है। कोर्स12 से मुझे सीख मिली हैं कि बच्चे बुनियादी स्तर पर खिलोनों से सख्या ज्ञान ,जोड़ ,घटाना आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं !और उन्हे पता भी नहीं चलता है कि उन्हें कुछ सिखाया गया है ,इसलिए हमे बच्चों के लिये खिलोना आधारित शिक्षण लागू करना चाहिए । स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जाती है।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं । बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते । और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं । बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से सीखते हैं ।
खिलौनाे आधारित शिक्षाशास्त्र शिक्षण सीखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी खिलौनों का होना जरूरी है।हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| मिट्टी के खिलौने जैसे मिट्टी की चकरी मिट्टी के बेलन मिट्टी की चौकी अर्थात चकला तथा मिट्टी का चूल्हा यह सब खिलौनों के रूप में बनाए जाते हैं और इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों में रचनात्मक और आत्मनिर्भर बनने के गुण है।
कोर्स12 से मुझे सीख मिली हैं कि बच्चे बुनियादी स्तर पर खिलोनों से सख्या ज्ञान ,जोड़ ,घटाना आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं !और उन्हे पता भी नहीं चलता है कि उन्हें कुछ सिखाया गया है ,इसलिए हमे बच्चों के लिये खिलोना आधारित शिक्षण लागू करना चाहिए !
हमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाओ से स
हमारे देश में विभिन्न खिलौने बनाए जाते है लकड़ी,लोहे,मिट्टी जिससे बच्चे खेलते है इन खिलौनों से बच्चे सिखते है यह खिलौने शिक्षण अधिगम के लिय बनाये जा सकते है
हमारे प्रदेश मे मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बनाये जाते है बच्चे इन्हे अपने खेल मे शामिल करते है व अपने परिवार के नाम रखकर उनसे बात करते है इससे सामाजिकता व सम्प्रेशन् का कौशल प्राप्त होता है।। प्रदेश मेंं भी पारम्परिक सुंदर स्वदेशी खिलौने बनाने बनाए जाते हैं जिनको बनाने का उद्देश्य बच्चों के खेलने के साथ ,- साथ शैक्षिक उद्देश्य भी है। हमारे प्रदेश में कपड़े ,प्लास्टिक मिट्टी, लकड़ी के सुंदर मनमोहक खिलौने बनते हैं कपड़ों की गुड़िया, बच्चों की सामाजिक, भावात्मक, सृजनात्मक परस्पर खेल भावना जैसे शैक्षिक कौशल विकास में वृद्धि करती है वहीं विभिन्न टेढ़ी - मेढ़ी लकड़ी के प्रयोग से विभिन्न आकृति के खिलौने, गाड़ी आदि बच्चों के गणितीय कौशल, सूक्ष्म गत्यात्मक, समस्या समाधान ,सृजनात्मक कौशल को विकसित करने हेतु उपयोग में लाये जाते हैं । विभिन्न प्रत्ययों के शिक्षण अधिगम को प्राप्त करने हेतु हम अपनी कक्षा में कर सकते हैं।
हमारे प्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जिस प्रकार से लकड़ी के खिलौने आसानी से बनाए जा सकते हैं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं। ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी म प्र
ReplyDeleteHamare pradesh me trh trh ke khilone banae jate hai bachcho ki ghar per mitti se kagaj ke vibhishan prakar ke khilone bana lete hai.
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि। खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चें आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं | इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन, टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है। बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए। जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके। 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैं।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में तरह-तरह के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चे भी घर पर मिट्टी से कागज से विभिन्न प्रकार के खिलौने बना लेते !और हमारे मध्य प्रदेश में प्लास्टिक लकड़ी कपड़े आदि के खिलौने बनाए जाते हैं ! बच्चों को खिलौनों से खेलने का बड़ा शौक होता है खिलौनों से शिक्षा दी जाए तो वह अधिक लगाव से सीखते हैं।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में बहुत प्रकार के खिलौने बनते हैं उनमें से मुख्य रूप से लकड़ी के खिलौने जो की लकड़ी से बड़े आकर्षक तरीके से बनाए जाते हैं
ReplyDeleteCommentहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि। खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चें आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । vinod kumar bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
ReplyDeleteHamare Pradesh mein Tarah Tarah Ke khilaune banae Jaate Hain bacche bhi ghar per Mitti Se kagaj se vibhinn Prakar ke Khilauna banaa Lete hi
ReplyDeleteबच्चों को बचपन से ही खिलौने का शोक होता हैं औऱ बच्चों को खिलोने से आधार भू त ज्ञान होता जाता हैं
ReplyDeleteबच्चों को अपनी संस्कृति को अच्छे से परिचित कराने के के लिए परिवेश में बन ने वाले बर्तन, खिलौने एवं स्थानीय परिवेश में पहने गुड्डू -गुडिया सजाना एवं अपने परिवेश को अच्छे से परिचित हो ना है।
ReplyDeleteखिलौनों के माध्यम से बच्चे जोड़ घटाना गुण भाग सीखने के साथ ही बोल चाल ओर आपसी सहमति से कार्य करने की समझ बढ़ती है
ReplyDeleteबच्चों के खिलौने बंनाने के लिए कागज या मोटे पेपर का ड्राइंग सीट और घरो में बेकार पड़े मोजे और कुछ सामानों को अपनी आवश्यकता के आधार पर बच्चों को खिलौने बनाने के लिए साथ में मिलकर विषय वस्तु से सम्बंधित खिलौने तैयार के सकते है। जो हमे आसानी से मिल जाते है।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteखिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैं।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे लकड़ी के खिलौने कपड़े की प्लास्टिक के खिलौने रसोई का सामान मिट्टी के बर्तन बच्चे इस काम को बड़े रुचिके साथ करते हैं कुछ कार्य समूह में करते हैं जैसे रसोई वालेखेल से खाना बनाते हैं सब्जी बनाते हैं उसे बहुत कुछ सीखते तथा साथ में एक दूसरे से बातचीत करते हैं एक दूसरे से जानकारी प्राप्त करते हैं इससे उनकासर्वांगीण विकास तथा कौशल प्राप्त होते हैंहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि। खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चें आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं । सामाजिक, परंपराओं एवं संस्कृति यों से परिचय कराया जा सकता है साथ ही उन्हें रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परंपराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने प्लास्टिक, चीनी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं
ReplyDeletenareshsahuMarch 11, 2022 at 9:14 AM
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय हैं
SMT Jayshree Yaduwanshi Asstt.Teacher P/S Pachaanjyot
बच्चों के मानसिक विकास में खिलोने की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं। हमारे यहां खिलोने लकड़ी कपड़े कागज आदि से बनाए जाते हैं। खिलौने से बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं।
Deleteहमारे प्रदेश मैं भी बच्चे कागज मिट्टी तथा कपड़ों से बनाए हुए खिलौनों से बड़ी रुचि से खेलते हैं और तरह तरह से उनका उपयोग करके बहुत कुछ सीखते हैं और समझते हैं जिससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास होता है और बे वंचित लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं डीपी वर्मा प्राथमिक शिक्षक पीएस जंगली खेड़ा।
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में की तरह से अलग-अलग वस्तुओं जैसे लकड़ी, कपड़े, बांस, प्लास्टिक, मिट्टी से बनाए जाते हैं। बच्चों को बचपन से ही खिलौने का शौक होता है और बच्चों को खिलौने से आधार भूत ज्ञान होते जाता हैं।
ReplyDeleteKhel bachchon ko sarvadhik priy hote hai khel ke madhym se. Bachchon ko bhut kuchh sikhaya ja rha hai.aur hm bachchon ko sikhana khel se hi prarmbh krte hai to vh khush hokr seekhte hain .
ReplyDeleteKhiloune se bachchan ka bhut hi jldi sikhaya ja skta hai
ReplyDeleteहमारे राज्य में बच्चे कपड़े से बने हुए गुड्डे गुड़ियों से और लोहे के तारों से बने खिलोनों से ज्यादा तर खेलते हैं। इनसे उनमें सृजनात्मकता और क्रियात्मकता का विकास होता है।
ReplyDeleteहमारे मध्य प्रदेश में बच्चों के शिक्षण आधारित स्वदेशी खिलौने पिछले में उपयोग किए जाने वाले लकड़ी एवं मिट्टी से निर्माण करके उनमें पेंट करके कक्षाओं मैं नाना प्रकार के खिलौनों द्वारा कक्षा को सुशोभित करके बच्चों के समक्ष रख दिए जाते हैं जिससे बच्चे उन खिलौनों को देखकर बड़े उत्साहित होते हैं हम कपड़े एवं कागजों के बीच खिलौना बच्चों के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं जिससे बच्चों में अधिक लगाव होता है फिर खिलौनों को देखकर बच्चे बड़े आनंदित होते हैं जिससे बच्चों की उपस्थिति अच्छी बनी रहती है बच्चों में अधिक रोचकता उत्पन्न होती है और शिक्षण कार्य में अधिक सहायक होती है
ReplyDeleteहमारे मध्य प्रदेश में तरह तरह के खिलौने बनाने की परंपरा रही है । कागज के खिलौने , मिट्टी के , रद्दी की सामग्री से , फटे पुराने कपड़े से , तार से इत्यादि से हमारे यहां खिलौने बनाए जाते रहे हैं । शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में खिलौने महती भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि खेल खेल में शिक्षण बच्चो को सीखने के प्रति प्रदान करता है साथ ही साथ इससे बच्चे अपने परिवेश और वहां की संस्कृति से भी अवगत होते हैं ।
ReplyDeletewe can make in classroom a simple toys to understanding a simple topics to make intresting classroom during learning for example for boys and girls
ReplyDeleteबच्चे और खिलौने का चोली दामन का साथ अनंत काल से रहा है। माएं बच्चे के रोने या रूठने पर उन्हें मनाने में खिलौने की सहायता लेती है। अतः हमारे मध्यप्रदेश में बनाए जाने वाले सभी प्रकार के खिलौने जैसे लकड़ी के,कागज के,प्लास्टिक के,लोहे के, सुपाड़ी के खिलौने बच्चे के सीखने में सहायक होते हैं।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में अनेकों ऐसे खेल है, जो शिक्षण में सहायता कर सकते हैं। जैसे मिट्टी के बैल, गाड़ी, संदूक,
ReplyDeleteबांस के खिलोने, टोकनी, छप्पर
इनका उपयोग कर कक्षा में रोचकता एवं विभिन्न कौशलों का विकास किया जा सकता है
बहुत सुंदर
Deleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं मिट्टी से, लकड़ी से,््तथा कपड़े आदि। बच्चे इन खिलौनों से बड़े रुचि के साथ खेलते हैं, इससे उनका सर्वांगीण विकास होता है। B.L. Maravi Dindori ( Madhy pradesh)
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाये जाते हैं बच्चे भी स्वविवेक से परिवेश में उपलब्ध संसाधनों पेपर लकड़ी बांस पौधों की पत्तियों फटे कपड़े मिट्टी कंकण फूल आदि से खिलौने बनाते हैं खिलौने से खेलने बच्चों का स्वाभाविक गुण पता चलता है उसे खिलौने से खेलने पर अच्छा लगता है नया सीखने की उत्सुकता बढ़ती है नया सीखने पर या नया करने पर उसे बहुत अच्छा लगता है इससे वह संस्कृति को समझने लगता है इसलिए बच्चों को खिलौने से खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में बहुत सारे खिलौने लकड़ी की मिट्टी की बनाए जाते हैं बनाई जाती खिलौनों के माध्यम से खेल खेल में शिक्षा ग्रहण करने में बच्चों का शारीरिक मानसिक विकास होता है एवं खेल आधारित शिक्षा बच्चों को हमारी संस्कृति से जोड़ता है
ReplyDeletebacchon ke mansik sharirik shiksha ke Vikas mein khilauna ki mahatvpurn bhumika Hoti hai khilaune se bacchon ko bahut lagav hota hai usse bachhe bahut kuch shikte hai isleye partmik shiksha me khel avem khelno Ka upyog hona chaye Shri manti manti Yashoda dhurvey ps choukhada
ReplyDeleteRajeshMarch 3, 2022 at 11:38 PM
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जिस प्रकार से लकड़ी के खिलौने आसानी से बनाए जा सकते हैं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।
Hamare pradesh main kai tarah ke khilone banaye jate hain jese mitti ke khilone, kagaj, lakadi, pilastik, kapade etc.bachche apane hathon se bana lete hain. Esa karane se bachchon main sabhi koshalon ka bikas hota he.
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में बच्चे अनेक प्रकार के खिलौने बनाते जिससे बच्चो का मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान प्राप्त करते है ।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाये जाते हैं। लकड़ी से, मिट्टी से, प्लास्टिक से, और कागज से अनेक प्रकार के खिलौने बनाये जाते हैं। इसके साथ खेलने में बच्चों को अधिक रूचि होती है।जैसे की कुछ बच्चे छोटी आयु मे मिट्टी की गाडिया बनते है और उनसे अपनी आर्ट का कौशल भी बढ़ाते है।
ReplyDeleteहमारे देश व प्रदेश में स्वदेशी खिलौने लकड़ी, कपड़े, प्लास्टिक, मिट्टी,व तार आदि से बनाए जाते है,जो बच्चों के सीखने के कौशल विकास में सहायक होते हैं जिसमें खेल-खेल में गतिविधियों के माध्यम से हम बच्चों की सीखने की क्षमताओं को विकसित कर सकते हैं।
ReplyDeleteहमारे यहाँ कई तरह के खिलोने बनाए जाते हैं
ReplyDeletehamare pradesh main kai tarah ke khiloune banaye jate hai aur bachche bhi kai tarah ke kagaj lakdi kapda mitti aadi se khiloune banate hai hame bachcho ya apane dawara banaye gaye khiloune ka adhik prayog karna chahiye taki kouhal &adhigam ko aasani se prapta kiya ja sake.
ReplyDeleteHamare Kshetra mein Mitti ke khilaune, Lakadi ke khilaune ,plastic ke khilaune , kapde ke khilaune, Kapas ke khilaune banae Jaate Hain Jo bacchon ke sarvagin Vikas ke liye bahut hi mahatvpurn hai .khilaunon ke dwara bacche Apne doston ke sath maje se khelte hain jaise Rasoi ke khilaune ,Gudiya ke sath khelna Aadi. Khilona ke dwara bacchon ka sarvagin Vikas Hota Hai Kyunki bacche utsah purvak khelte Hain.
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में तरह तरह के खिलोने बनाए जाते हैं जिसमें प्रमुख हैं मिट्टी के खिलोने, लकड़ी के खिलोने,कागज के खिलोने, कपड़ों के खिलोने, प्लास्टिक के खिलोने, पुरानी वस्तुओं से निर्मित खिलोने आदि ।
ReplyDeleteमिट्टी के खिलोने -बच्चे छोटी उम्र में ही दुरस्त क्षेत्रों में देखा जा सकता है कि बच्चे मिट्टी से कई प्रकार के खिलोने बनाते हैं जिसमें वे मोटर गाड़ी ,बैल गाड़ी,चकला बेलन आदि।
कागज के खिलोने-नाव मुकुट मुखोटे आदि ।
लकड़ी के खिलोने-लकडी़ के खिलोने से बैल गाड़ी, चकला बेलन, घोड़ा गाड़ी आदि।
इन सभी खिलोनों से हम बच्चों की विभिन्न सर्जनात्मक के साथ साथ विभिन्न तरह की गति विधियों के द्वारा बच्चों की शिक्षा को आनन्द मय बनाया जा सकता है-
हमारे क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर सुविधा से उपलब्ध सामग्री जैसे मिट्टी, अखबारों को गलाकर उनकी लुगदी से, लकड़ी,बांस,बेकार कपड़ों से, प्लास्टिक आदि विभिन्न सामग्रियों से खिलौने बनाते जाते हैं।
ReplyDeleteइनसे बच्चों की अपनी शब्दावली , संप्रेषण कौशल विकास,आत्माभिव्यक्ति, आकृति, रंगऔर सृजनात्मकता के विकास के साथ एकाग्रता, आपसी सहयोग, आदि का विकास होता है तथा बच्चे स्वयं करके जल्दी ही समझ व सीख लेते हैं।
Govt.MS Chhirpani
ReplyDeleteBlock Karkeli
Distt. Umaria
हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में दीवार पर चित्रकारी और
लकड़ियों के खिलौने बहुत बनाया जाता है।
खेल और खिलौनों को माता पिता के सहयोग से
कक्षा तक कैसे लाया जाये, खेल बच्चों के स्वाभाव
मे होता है।बच्चे उत्साहित शिक्षार्थी होते हैं।
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ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खेल खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने, बेकार वस्तुओं से बने उपयोगी खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक विकास भी जुड़ा होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास के परिवेश की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी भारतीय संस्कृतियों का ज्ञान विज्ञान से जुड़े तथ्यों को समझ का विकास प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति मोबाईल फोन टेलीविजन के कारण दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए |जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके| 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा एक दूसरे के पर्याय और पूरक हैं।
ReplyDeleteखासतौर से बुंदेलखंड में बच्चों की तो खेल ही निराले हैं एक तो वह खिलौनों से खेलते हैं या फिर कपड़ों से या पुराने कपड़ों से बनाकर कोई गेंद या बहुत सारी चीजें बनाते हैं और उनसे कहते हैं उन कुछ भी नाम रखकर उनके साथ खेलते हैं हमारे विद्यालय में विभिन्न आयु वर्गों के बच्चे आते हैं कक्षा एक से कक्षा पांचवी तक या छठवीं से आठवीं तक के बच्चे हो या फिर higher-level के बच्चे हो सभी को खिलौनों से खेलना बहुत पसंद होता है और मैं तो यह भी कहती हूं कि हम शिक्षकों को भी खेलों से खिलौनों से खेलना बहुत पसंद होता है हमारा बचपन भी हमारे सामने होता है और हमारा भविष्य तो हम जब उनके साथ मिलकर कोई खिलौने से खेल खेलते हैं या कोई खेल खेल में शिक्षा देते हैं तो बहुत ही मनोरंजनदाई वातावरण होता है और खासतौर से जब हमारे विद्यालय बच्चे आते हैं घर के माहौल से सीधे विद्यालय में खिलौनों से जोड़ते हैं तो वह शिक्षक से जोड़ते हैं शिक्षण से जोड़ते हैं और हमारे जो उद्देश्य है हमारा जो अधिगम है वह पूर्ण रुप से सुचारू रूप से होता है और बच्चों को भी विद्यालय में खींचने का काम करता है हमारे कोर्स 12 खिलौनों से शिक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है कहा जाए कि एक शिक्षक के हाथ में ऐसी चाबी जो बच्चों को बहुत सारे खेल खिलाते हुए शिक्षा का उद्देश्य हम बच्चों को उनके परिवेश से उनके समाज से और उनके आसपास की चीजों को समस्याओं को हम खिलौनों के माध्यम से बता सकते हैं और उन्हें जागरुक कर सकते हैं और उनकी एक समाज बना सकते हैं जिससे कि वे अपने जीवन में व्यावहारिक रूप से उस का आदान प्रदान कर सकें।
धन्यवाद🙏
वैदेही त्रिपाठी (प्राथमिक शिक्षक)
शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश)
हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परम पराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं सामाजिक परम पराओं एवं संस्कृतिओ से रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।
ReplyDeleteनमस्कार!
ReplyDeleteहमारे प्रदेश में छात्र स्वयं मिट्टी के खिलौने ,ंमक्का के पौधे की छाल के खिलौने,कागज के खिलोने बनाते हे।जिनसे उनकी निर्णय लेना, समस्या समाधान,सम्प्रेषण,हाथ का समन्वय आदि कौशल का विकास होता है ।इसके अलावा बाजार मे लकड़ी, प्लास्टिक ,रबर के खिलौने आदि उप्लब्ध हैं ।
Hamare Kshetra mein Mitti ke khilaune jaise bail Jodi Jungali janwar aur Anya khilaune banae Jaate Hain Jinke upyog se ham bacchon Ko janvaron ke bare mein aasani se padha sakte hain iske sath hi ganitiya avdharna ko spasht karne ke liye bhi Ham ine khilaunon ka upyog kar sakte hain
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे लकड़ी के खिलौने कपड़े की प्लास्टिक के खिलौने रसोई का सामान मिट्टी के बर्तन बच्चे इस काम को बड़े रुचिके साथ करते हैं कुछ कार्य समूह में करते हैं जैसे रसोई वालेखेल से खाना बनाते हैं सब्जी बनाते हैं उसे बहुत कुछ सीखते तथा साथ में एक दूसरे से बातचीत करते हैं एक दूसरे से जानकारी प्राप्त करते हैं इससे उनका सर्वांगीण विकास तथा कौशल प्राप्त होते हैं।
ReplyDeleteइन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं सामाजिक परम पराओं एवं संस्कृतिओ से रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है ।
हमारे विद्यालय में विभिन्न आयु वर्गों के बच्चे आते हैं कक्षा एक से कक्षा पांचवी तक या छठवीं से आठवीं तक के बच्चे हो या फिर higher-level के बच्चे हों, सभी को खिलौनों से खेलना बहुत पसंद होता है और मैं तो यह भी कहता हूंँ कि - हम शिक्षकों को भी खिलौनों से खेलना बहुत पसंद होता है। हमारा बचपन भी हमारे सामने होता है और हमारा भविष्य तो हम जब उनके साथ मिलकर कोई खिलौने से खेल खेलते हैं या कोई खेल खेल में शिक्षा देते हैं तो बहुत ही मनोरंजक वातावरण होता है और खासतौर से जब हमारे विद्यालय में बच्चे आते हैं; उन्हें हम घर के माहौल से सीधे विद्यालय में खिलौनों से जोड़ते हैं तो वह शिक्षक से जुड़ते हैं, शिक्षण से जुड़ते हैं और हमारे जो उद्देश्य है हमारा जो अधिगम है वह पूर्ण व सुचारू रूप से होता है और बच्चों को भी विद्यालय में खींचने का काम करता है।
हमारे मध्य प्रदेश में भी बहुत सुंदर लकडी के और सुपारी के सुंदर खेलनी बनती हैं।यह बच्चों के शिक्षा का अच्छा माध्यम हो saktay है
ReplyDeleteबच्चों को बचपन से ही खिलौने का शौक बहुत होता है बच्चों को खिलौने से आधारभूत ज्ञान हो जाता है हमारे प्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं जैसे लकड़ी प्लास्टिक मिट्टी कपड़े आदि के
ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में मिट्टी के खिलौने बनाने का प्रचलन अधिक है बच्चे मिट्टी के खलौने से खेलते है हुए पारिवारिक पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित होते है इसी तरह कपड़े के खिलौने, कागज के खिलौने बनाने का भी प्रचलन है। 1 ली और 2री कक्षा तक किंडरगार्टन विधि का उपयोग भी कालखण्ड मे कर सकते है ।
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ReplyDeleteहमारे क्षेत्र में बच्चे विभिन्न तरह के खिलौने जैसे मिट्टी के खिलौने, लकड़ी के खिलौने, कागज के खिलौने, कपड़े के खिलौने आदि से अपनी प्रारंभिक ज्ञान क्षमता के अनुसार सीखते और समझते हैं। खिलौनों के माध्यम से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास आसानी से होता है
हमारा मध्यप्रदेश विविध संस्कृति और परम पराओं का प्रदेश है जिसकी अपनी अलग क्षेत्रीय पहचान है । कहीं बांस और लकड़ी के रंग बिरंगे खिलौने बनाए जाते हैं तो कहीं मिट्टी के, पत्ते से तो कहीं काग़ज़ व लाख से । और तकनीकी आधारित खिलौने, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी और धातुओं से भी बनाए जाते हैं । इन खिलौनों का प्रयोग कर हम बच्चों का अधिगम कौशल बढ़ा सकते हैं सामाजिक परम पराओं एवं संस्कृतिओ से रोज़गारोन्मुखी दिशा प्रदान की जा सकती है
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में कई प्रकार की सामग्रियों से खिलोने बनाये जाते है मिट्टी, लकड़ी, कागज और इमली के बीजों को पीसकर भी खिलौने बनाये जाए है ये पारंपरिक होने के साथ शैक्षणिक भी होते है इन खिलौनो का प्रयोग कर बच्चे कई प्रकार के कौशल सीखते है उनका मानसिक ,गत्यात्मक, गणितीय विकास भी होता है बच्चों को खिलौनो से खेलने के अवसर मिलने चाहिए जिससे वे अपने स्तर से किसी भी अवधारणा को समझ सके।
ReplyDeleteअपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं| is इस प्रकार खिलौना शिक्षाशास्त्र बच्चों की सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |लेकिन आज यह पद्धति दम तोड़ती जा रही है| बच्चों को खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है| ऐसी स्थिति में हमें स्थानीय खेलों को मान्यता प्रदान करनी चाहिए तथा अपनी गतिविधियों को खेलों के माध्यम से डिजाइन करना चाहिए | जिससे शिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके | 3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा एक सेतु की तरह है जो दो किनारों को जोड़ने का काम कर रही है| हमारी संस्कृति और हमारी शिक्षा|
ReplyDeleteबचपन में खिलौनों के द्वारा बहुउद्देशीय शिक्षा में मदद मिलती है इससे शिक्षण जीवंत हो जाता है और शिक्षा आनंददाई बन जाती है
ReplyDeleteखिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र शिक्षण और सीखने के सबसे प्रभावी तरीकों को बढ़ावा देना है खिलौनों से सीखना छात्रों के लिए एक उत्तम विधि है इससे बच्चे अपने पाठ्यक्रम को खेल-खेल में पूर्ण कर लेते हैं प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी खिलौनों का होना जरूरी है।हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश में मिट्टी, लकड़ी, कागज तथा कपड़ों से खिलौने बनाए जाते हैं | कागज तथा मिट्टी से बच्चे भी खिलौने बना लेते हैं | इन खिलोनो के माध्यम से वे शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिनसे उनका सर्वांगीण विकास होता है |
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से खिलौने बनाए जाते हैं जैसे मिट्टी के खिलौने ईट पत्थर के खिलौने कपड़े के खिलौने गुड्डे गुड़ियों का खेल के रूप में बनाया जाता है इस तरह से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जा सकते हैं इस तरह से हमारे राज्य में खिलौनों की कमी नहीं है हम घर की सामग्री से भी खिलौने बनाकर के शिक्षण अधिगम में उपयोग कर सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।कई वस्तुओं से खिलौने बनते हैं,जैसे-मिट्टी,लकड़ी आदि ।
ReplyDeleteखिलौनों से सीखना छात्रों के लिए एक उत्तम विधि है इससे बच्चे अपने पाठ्यक्रम को खेल-खेल में पूर्ण कर लेते हैं प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी खिलौनों का होना जरूरी है।हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं
ReplyDeleteखिलौने , बच्चों का इनसे जुड़ाव किससे छिपा हैै। बच्चे जब बहुत छोटे होते हैं तभी से खिलौनों की ओर आकर्षित होने लगते हैं खिलौने उनकी अपनी एक छोटी सी दुनिया बन जाती हैं।हमारे यहां बच्चो के लिए कई तरह के खिलौने उपलब्ध है प्लास्टिक ,मिट्टी,कागज,कपड़े ।मिट्टी और कागज के खिलौने बच्चे स्वयं भी बनाकर खेलते हैं। इससे उनमें सृजनात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है। विभिन्न प्रकार के खिलौने जैसे जानवर,अलग अलग वाहन,रसोई के बर्तन, गेंद,बल्ला,कंचे, डॉक्टर का सेट,गुड़िया, गुड्डा ये सभी बच्चो के सीखने में सहायता करते हैं।
ReplyDeleteरीना वर्मा
P/s Boondra
हरदा एम पी