कोर्स 12 - गतिविधि 5: खिलौना क्षेत्र का सृजन – अपने विचार साझा करें
आप अपनी कक्षा/स्कूल में खिलौना
क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी -आई-वाई- खिलौनों का सृजन करने
में बच्चों की सहायता के लिए आप कौन सी आवश्यक सामग्री या हस्तकौशलीय वस्तुएँ रखेंगे?
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteरघुवीर गुप्ता( प्राथमिक शिक्षक) शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- सहस राम विकासखंड- विजयपुर ,जिला- श्योपुर(मध्य प्रदेश)
हम अपनी कक्षा मेंलोना डिजाइन करने के लिए हम d.i.y. का पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसी खिलौनों का प्रयोग करेंगे दिन का बच्चा का प्रयोग कर सकता है जिसे मिट्टी के खिलौने कपड़ों से बने गुड्डी गुनिया कागज से बने खिलौने आदि हम वेस्ट मटेरियल जैसी सामग्री से खिलौने बनाने में मदद करेंगे जिससे आकृतियों से परिचित और हमारी कौशलप्राप्त हुए
Deleteहम अपने घर, स्कूल व परिवेश की अनुपयोगी सामग्री से खिलौने निर्मित कर बच्चों को सिखाएंगे।
Deleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि|
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि|
Deleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं।
ReplyDeleteराम नरेश पटेल प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला -डोड टोला खैरा विकासखंड मऊगंज जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 8718097722
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ReplyDeleteडी आई वाई डू इट योरसेल्फ के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया में सहायता लाई जा सकती है और छात्र मिट्टी से कपड़े से लकड़ी से खिलौने बनाकर स्वयं करके सीखते हैं
Deleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है जिससे कि बच्चे आसपास की चीजों से सीख सकें
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिये शाला व आस पास के परिवेश से प्राप्त सामग्री से भी खिलौने बन जाते है
ReplyDeleteDo it your self पद्धति का प्रयोग करते हुए रॉ मटेरियल से,पेड़ पौधों के पत्तों,रद्दी कागज आदि से बच्चों के शिक्षा अधिगम हेतु खेल सामग्री का निर्माण कराया जाना बेहतर होगा ।
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ReplyDeleteस्वयं करके सीखने के लिए छात्रों को डू इट आई बाई का प्रयोग करना चाहिए और विभिन्न प्रकार के डू इट योरसेल्फ के माध्यम से खिलौना आधारित शिक्षा जैसे मिट्टी के खिलौने बनाना लकड़ी के खिलौने बनाना कपड़े के खिलौने बनाना इतिहास द्वारा बच्चे बहुत अच्छे ढंग से सीखते हैं
ReplyDeleteat 3:19 AM
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए अपने आसपास केवातावरण में मिलने वाली कच्ची सामग्री से खिलोने बनाये जा सकारे हैं।इसके अलावा हम कुछ बाजार से भी खिलोने ला सकते हैं।लेकिन बच्चों को खिलोने बनाने का अधिक सेअधिक मौका देना चाहिए।
Deleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न सामग्री से खिलौने बनाऐ जा सकते है ।डी आई वाई यानि डू इट योरसेल्फ पद्धति का उपयोग कर ऐसे खिलौनों का निर्माण करना ।जिन्हें बच्चे खुद बनाए और प्रयोग करें ।मिट्टी ,कागज,पत्तियों,बाँस की डंडे,मोजे ,कपड़ें आदि से। फिरकी, पपेट,नाव,क्रो गुड़िया व अन्य शैक्षिक सामग्री बना सकते है।इनसे बड़ी आसानी से बच्चे सीखते है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. मतलाव डू - इट - योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो सबने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि।
ReplyDeleteN.K.Ahirwar
मैं श्रीमती रुखसाना बानो अंसारी एक शाला एक परिसर शासकीय कन्या शाला चौरई में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूंप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है जिससे कि बच्चे आसपास की चीजों से सीख सकें
ReplyDeleteहम अपनी क्लास में खिलौने डी आई वाई अर्थात डू योर सेल्फ तकनीकी का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का निर्माण करेंगे। जिससे बच्चा स्वयं वेस्ट सामग्री, जैसे लकड़ी, कागज मिट्टी ,दर्जी का कपड़ा, आदि का प्रयोग कर स्वयं खिलौने बनाएगा तथा उन से लगाव रखकर शैक्षणिक कार्य में उपयोग करते हुए,अपने बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विकास करेगा ।
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र निर्मित करने का सबसे अच्छा और सरल तरीका है कार्यालय में पड़े रद्दी पेपर से गेंद,नाव, फूल, गुड़िया व पक्षी आदि बनाकर सिखाना। पेपर से घन शंकु,बेलन जैसी त्रिआयामी आकृतियों का निर्माण खिलौनों के रूप में करना।फटे-पुराने कपड़ों से गेंद बनाना और उससे पिठ्ठुल खेलना,कैच पकड़ना सामिल है। कपड़ों से ही गुड़िया बनाना बच्चों को बहुत पसंद है। बोर्ड पर बच्चों को विभिन्न प्रकार की आकृतियों को बनाना अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है जिससे कि बच्चे आसपास की चीजों से सीख सकें।हम अपनी क्लास में खिलौने डी आई वाई अर्थात डू योर सेल्फ तकनीकी का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का निर्माण करेंगे। जिससे बच्चा स्वयं वेस्ट सामग्री, जैसे लकड़ी, कागज मिट्टी ,दर्जी का कपड़ा, आदि का प्रयोग कर स्वयं खिलौने बनाएगा तथा उन से लगाव रखकर शैक्षणिक कार्य में उपयोग करते हुए,अपने बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विकास करेगा ।
ReplyDeleteखिलौना क्षेत्र का निर्माण शाला स्तर पर अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. डू - इट - योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो सबने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि।
अधिगम को प्रभावी बनाने के लिए खिलौना आधारित शिक्षा एक कारगर तथा महत्त्वपूर्ण शिक्षण अधिगम प्रक्रिया है।
शिक्षण को प्रभावी बहुत गम एवं सरल बनाने के लिए खिलौना आधारित शिक्षण जरूरी एवं आवश्यक है।
✍🏿✍🏿
सुनीत कुमार पाण्डेय
(निष्ठा KRP)
EPES शाला हीरापुर कौड़िया
जिला कटनी
💐🙏🙏🙏
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
Deleteहम अपने बच्चों को सिखाने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर बिना उपयोग की जाने वाली वस्तुओं का उपयोग उपयोग हम खिलौने के रूप में बच्चे से करवाएंगे उसके लिए हम विभिन्न प्रकार के डिब्बे कागज बिना जो उपयोग करके हम उन वस्तुओं को फेंक देते हैं उन वस्तुओं का उपयोग हम बच्चों के खिलौने बनाने के लिए उपयोग में लाएंगे और बच्चों का के द्वारा हम बनाएंगे और उसमें हम उनको सहायता करेंगे जिससे बच्चों का एक सजना वक्ता का उदय होगा जिससे बच्चे अपने दिमाग के अनुसार काम कर सकेंगे और अपनी भावनात्मक भावनाओं को व्यक्त कर सकेंगे और अपनी क्षमता अनुसार खिलौनों का निर्माण कर सकते है
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है जिससे कि बच्चे आसपास की चीजों से सीख सकें
ReplyDeleteNirmala Shivhare prathmik shikshak belha
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteडी आई वाई डू इट योरसेल्फ के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया में सहायता लाई जा सकती है और छात्र मिट्टी से ,कपड़े से, लकड़ी से बने खिलौने बनाकर स्वयं करके सीखते हैं। जिनसे उनके ज्ञान में वृद्धि होती है।
ReplyDeleteबच्चों के खिलौने बंनाने के लिए कागज या मोटे पेपर का ड्राइंग सीट और घरो में बेकार पड़े मोजे और कुछ सामानों को अपनी आवश्यकता के आधार पर बच्चों को खिलौने बनाने के लिए साथ में मिलकर विषय वस्तु से सम्बंधित खिलौने तैयार के सकते है। जो हमे आसानी से मिल जाते है।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteकल्पना मुखरैया प्रा.कन्या शाला करारा
ब्लॉक- नौगांव
जिला- छतरपुर (म.प्र.)
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. मतलाव डू - इट - योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो सबने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि।हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि ।
ReplyDeleteश्रीमती राघवेंद्र राजेचौहान। कन्या आश्रम शाला मलावनी शिवपुरी एम,पी। हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई. वाई। का इस्तेमाल कर डू इट योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करेंगे जिसका बच्चा श्रम प्रयोग कर सकता है जैसे मिट्टी से बने खिलौने कपड़ों से बने खिलौने कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि बच्चों की सहायता के लिए हम कागज कपड़ा उपलब्ध कराएंगे तथा मिट्टी के खिलौने बनाने में बच्चों की मदद करेंगे। स्वयं के द्वारा बने खिलौनों के साथ बच्चा खेलेगा और तरह-तरह की आकृति और वस्तुओं से परिचित होगा।।
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि ।
शाला के आसपास के परिवेश से भी खिलौने बन जाते है।डी.आई.वाई.का उपयोग कर खिलौने बना सकते है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है|
ReplyDeleteD-I-Y खिलौनों के निर्माण हेतु हम बच्चों को आसानी से उपलब्ध सामग्री जैसे रंगीन काग़ज़, कार्ड्स,कोन, लकड़ी की चम्मच,टूटे हुए खिलौनों के पार्ट्स, मोती,धागा, फेवीकोल, विभिन्न आकार के प्लास्टिक ढक्कन-चूड़ियां आदि सामग्री से विभिन्न आकृतियां बनवा सकेंगे।
ReplyDeleteSmt.N.S.Quraishi
G.M.S.Adarsh, Chhatarpur
Ratnesh Mishra CAC Tewar jabalpur Rural
ReplyDeleteडी आई वाई के तहत कम लागत की. अनुपयोगी सामग्री. पेपर. मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बनाये जाते हैं। शिक्षण में इनका यथा उचित उपयोग करके रोचकता लाई जा सकती है। चूंकि बच्चे स्वयं उक्त सामग्री निर्माण करते हैं जिसके कारण उनमें सृजनात्मकता. कलात्मकता का विकास होता है।
डी आई वाई के तहत कम लागत की. अनुपयोगी सामग्री. पेपर. मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बनाये जाते हैं। शिक्षण में इनका यथा उचित उपयोग करके रोचकता लाई जा सकती है। चूंकि बच्चे स्वयं उक्त सामग्री निर्माण करते हैं जिसके कारण उनमें सृजनात्मकता. कलात्मकता का विकास होता है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में बच्चों के साथ मिलकर दी आई बाय खिलौना क्षेत्र सृजित करेंगे
ReplyDeleteजिसमें आवश्यक सामग्री होगी गीली मिट्टी ,कागज, रंग ,कैंची ,धागा ,कपड़े, सुई , मोजे, हॉट सीट ,गोंद इत्यादि का प्रयोग करेंगे।
हम अपनी कक्षा में डी आई वाई के माध्यम से घरेलू वस्तुओं जैसे कपड़े की कतरन कागज डिब्बों के ढक्कन डिब्बे फलों के बीजअनाजआदिसे तरह-तरह की आकृतियां एवं खिलौने बना सकते हैं कागज से बच्चों को गणित की आकृतियां जैसे आयात वर्ग त्रिभुज आकृतियों के माध्यम से गणित की अवधारणाओं से अवगत करा सकते हैं पशु पक्षियों की आकृति बनाकर उन्हें जानवरों के बारे में बता सकते हैं इससे बच्चे अच्छी तरह से उनके बारे में जान सकते हैं। अमन श्रीवास्तव प्राथमिक शिक्षक शासकीय हाई स्कूल धवारीगली नंबर 5 सतना मध्य प्रदेश ।
ReplyDeleteबच्चों को खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के खिलौने बंनाने के लिए कागज या मोटे पेपर का ड्राइंग सीट और घरो में बेकार पड़े मोजे और कुछ सामानों को अपनी आवश्यकता के आधार पर बच्चों को खिलौने बनाने के लिए साथ में मिलकर विषय वस्तु से सम्बंधित खिलौने तैयार के सकते है। जो हमे आसानी से मिल जाते है।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteMohanlal kurmi
शासकीय प्राथमिक शाला करैया लखरोनी
जनशिक्षा केन्द्र वांसाकलां
विकासखण्ड पथरिया
जिला दमोह
मध्यप्रदेश
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं।
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि ।
Mohanlal kurmi
शासकीय प्राथमिक शाला करैया लखरोनी
जनशिक्षा केन्द्र वांसाकलां
विकासखण्ड पथरिया
जिला दमोह
मध्यप्रदेश
हमने अपने स्कूल में Do it yourself अवधारणा के अंर्तगत खिलौना कॉर्नर विकसित किया है।जिसमे बच्चे स्वयं के द्वारा बनाए गए खिलौने व शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रदर्शन करते है। मुख्यतः हमारी कोशिश रहती है की वे कबाड़ से जुगाड थीम का पालन करे।
ReplyDeleteबच्चों के खिलौने बंनाने के लिए कागज या मोटे पेपर का ड्राइंग सीट और घरो में बेकार पड़े मोजे और कुछ सामानों को अपनी आवश्यकता के आधार पर बच्चों को खिलौने बनाने के लिए साथ में मिलकर विषय वस्तु से सम्बंधित खिलौने तैयार के सकते है। जो हमे आसानी से मिल जाते है।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteबच्चों के खिलौने बंनाने के लिए कागज या मोटे पेपर का ड्राइंग सीट और घरो में बेकार पड़े मोजे और कुछ सामानों को अपनी आवश्यकता के आधार पर बच्चों को खिलौने बनाने के लिए साथ में मिलकर विषय वस्तु से सम्बंधित खिलौने तैयार के सकते है। जो हमे आसानी से मिल जाते है।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
Deleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए साला व आसपास के परिवेश से प्राप्त सामग्री से भी खिलौने बनाए जाते हैं
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं।
ReplyDeleteAas pass ke parivesh se jo material mil sake jaise mitti, lakdi, kapda, ped patti aadi chijo se bacche khud khilone banakar usse seekh sakange.
ReplyDeleteहम अपने स्कूल में खिलौना कोना सृजित करने के लिए छात्रों के लिए कुछ सामग्री जैसे चार्ट, रंगीन पेन, तिलिया, कुछ ढक्कन, मिट्टी, ग्लू,आदि रखेंगे जिससे छात्र उनका उपयोग करके खिलौने बना सके
ReplyDelete।।
अपनी कछा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई(DIY) मतलब डू इट योरसेल्फ प्रयोग करेंगे हम ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जो बच्चा स्वयं अपने हाथों से तैयार करेगा जैसे मिट्टी, कागज, लकड़ी, बेकार पड़े हुए कपड़े आदि से बने हुए खिलौने इससे बच्चों में कुछ करने के लिए आत्मविश्वास जाग्रत होगा और खेल-खेल में शिक्षित भी होंगे।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा /स्कूल में खिलौना क्षेत्र सृजित करने के लिए डी-आई-वाई मतलब स्वयं निर्मित खिलौनों के निर्माण हेतु अनुपयोगी या कम लागत की समन्ग्री से बच्चो के साथ मिलकर कई तरह के खिलौनों का निर्माण कर खिलौना क्षेत्र में रखूंगा जैसे - मिट्टी से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने,कपड़े से बने खिलोने,लकड़ी से बने खिलोने तथा खराब पड़ी प्लास्टिक की बोतलों से बने खिलौने आदि।
ReplyDeleteजिससे बच्चे स्वयं निर्मित खिलौनों से खेल-खेल के माध्यम से कई तरह के कौशलों का विकास कर सकते हैं।
sthaniya star par uplabdh samagrion ki sahata se hum chite chote khiline banakar sikshan mein inke sahayata le to humara sikshan karya na kewal rochak banega sath hi chatron ko bhi anand ayega.hum akai bekar vastuon ka upyog kar saktein hain/
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा /स्कूल में खिलौनों का क्षेत्र सृजित करने के लिए विविध प्रकार के खिलौने एकत्रित करेंगे एवं डी आई बाय पद्धति यानी do it yourself के द्वारा बच्चों से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाएंगे और अपनी कक्षा में खिलौनों का क्षेत्र विस्तृत करेंगे क्योंकि खिलौना आधारित शिक्षा शास्त्र की सहायता से हम बच्चों को खेल खेल में खेल आधारित गतिविधियों के द्वारा सरलता से प्रारंभिक शिक्षा मैं दक्ष बनाएंगे इसके लिए खिलौनों का क्षेत्र हमें अपनी कक्षा विद्यालय मैं सराजित करना होगा l डी आई बाय पद्धति मैं खिलौनों का सृजन करने के लिए बच्चों की सहायता के लिए पुराने कपड़े दर्जी के यहां से लेकर आएंगे एवं मिट्टी जिससे बच्चे अपनी पसंद के अनुसार खिलौने बना सकें तथा कागज की सीटें जिनसे विभिन्न प्रकार की आकृतियां बच्चे स्वयं बना सकें एवं समझ सकें l कुछ लकड़ियों के खिलौने भी लाएंगे जिनसे बच्चों में अपनी पारंपरिक सभ्यता के बारे में समझ सके l बच्चे जब अपने हाथों से खिलौने बनाएंगे तो वे एक लगाव के साथ उन खिलौनों से खेलेंगे एवं विभिन्न आकृतियों को बनाएंगे एवं समझेंगे और खेल खेल में आवश्यक ज्ञान हासिल कर पाएंगे l
ReplyDeleteधन्यवाद,,
महावीर प्रसाद शर्मा
प्राथमिक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक विद्यालय गिदौरा
विकासखंड बदरवास जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र विकसित करने के लिए डी आई वाई अर्थात Do it yourself पद्धति का उपयोग कर ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिन का बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है, मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि। बच्चों की सहायतार्थ हम waste material जैसे कि खराब कपड़ा, खराब कागज हम बच्चों को दे देंगे, इस के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी सहायता करेंगे।इस प्रकार हम बच्चों से उन्हीं के हाथों से खिलौने बनवाएंगे, जिस से बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ-साथ उन खिलौनों में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौनें उसने स्वयं बनाए हैं।
ReplyDeleteश्रीमति शिवा शर्मा, सहायक शिक्षिका,
शासकीय कन्या प्राथमिक शाला,
ग्राम नागपिपरिया, जिला विदिशा (म.प्र.)
Hum apni kaksha me khilona shetra design karne ke liye D. i. Y. Ka prayog karte huye ese khilono ka prayog karenge jinka baccha swayam prayog kar sakta hai jese - mitti, purane kapde, moje, kagaj, lakdi aadi...
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में डू इट योरसेल्फ पद्धति से वेस्ट मटेरियल और कागज के द्वारा बच्चों से उनकी मनपसंद वस्तुएं साथ मिलकर बनाएंगे
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है| जी . पी. सोलंकी प्राथमिक शिक्षक शास . प्राथमिक शाला माना ब्लाक केसला जिला नर्मदापुरम म . प्र .
ReplyDeleteHam apni kaksha school mein Khilauna Kshetra srijat Srijit karne ke liye d i y khilaunon ka Srijan Karenge iske liye best material kapde ped ke patte sikhen Botal ke dhakkan mitti Aadi ke dwara kagaj se naap Gudiya hawai jahaj fuladi banaenge AVN bekar Pade khilaunon se khilaunon ka bad Mein Dekhe Karenge jisse bacche aakritiyon colour samagri Un Ka upyog Aadi ke bare mein upsthit Honge bacche Swayam khilaune Banane mein sahayata Karenge AVN hamley Khilona banana unke Sath Rahenge Aise bacche sikhane mein Saksham Honge AVN Hast ko Chaliye samagri ka Nirman per padhaai mein sikhane mein Khilauna aadharit Shiksha mein Sahyog kar sake Liye Ham apna yogdan De Sakenge AVN bacche a Khel Khel Mein padhaai Bhi kar Sakenge
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र निर्मित करने का सबसे अच्छा और सरल तरीका है कार्यालय में पड़े रद्दी पेपर से गेंद,नाव, फूल, गुड़िया व पक्षी आदि बनाकर सिखाना। पेपर से घन शंकु,बेलन जैसी त्रिआयामी आकृतियों का निर्माण खिलौनों के रूप में करना।फटे-पुराने कपड़ों से गेंद बनाना और उससे पिठ्ठुल खेलना,कैच पकड़ना सामिल है। कपड़ों से ही गुड़िया बनाना बच्चों को बहुत पसंद है। बोर्ड पर बच्चों को विभिन्न प्रकार की आकृतियों को बनाना अच्छा लगता है।कुछ आकृति को वर्णमाला , अंक को बना कर बच्चो को पहचान कराना।
ReplyDeleteHm apni kaksha m rangeen pepar , kapde, aaddi rk sakte h jinxed bachhe khud se khilone Bana sakte h
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है| मुरली मनोहर बिसेन शा प्रा शा डोरली ज शि के आष्टा वि ख बरघाट जि सिवनी
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ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है।
डीआईवाई पद्धति बहुत ही अच्छी है इसके माध्यम से बच्चे बहुत ही रुचि से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और परिवार के सदस्य भी आराम से उनकी सहायता कर सकते हैं और और खेल खेल में पढाई का बहुत ही अच्छा साधन है ।
ReplyDeleteBacchon ka sekshanik leval
ReplyDeletesudharne ke liye ham Mitti ke ke khilaune kagaj ke khilaune aur aur kapdon ke a Khilona taiyar Karke ke bacchon ki ki Khel Khel Mein Main Shiksha ki gatividhi ko Safal banaa sakte hain
Arvind Kumar Tiwari ASSISTANT TEACHER M.S dungariya (Chourai)-- कक्षा में डी आई वाई खिलौनों के सृजन के लिए हम कागज़, माउंट पेपर, रंगों के सेट, पंख,पत्तियों के सेट, कपडे के टुकड़े, लकड़ी के टुकड़े, मिट्टी, पानी,रुई,धागा,बांस कीपंछिया, कैंची कार्डबोर्ड, कटर आदि सामग्री रखेंगे ।
ReplyDeleteDo it your self अन्तर्गत हम अपनी कक्षा में बच्चों को ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे जो कम लागत मूल्य के मिट्टी, कपड़ा, कागज, बांस आदि वेस्ट मेटेरियल से बन सके। इस से बच्चा shape से परिचित होगा।
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र निर्मित करने के लिए D.I.Y पद्धति का प्रयोग करेंगे है।इसमें बच्चे मिट्टी से खिलौने बनाना, कपड़ों से खिलौने बनाना, कागज,लकड़ी,पेड़ के पत्ते आदि से खिलौने बनाना| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि कपड़ा की कतरन, कागज,पेड़ के पत्ते,बोतल के रंग विरंगे ढक्कन इत्यादि बच्चों को देंगे और खिलौने बनाने में बच्चों की मदद करेंगे। इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा।
ReplyDeleteस्वयं करके सीखने के लिए छात्रों को डू इट आई बाई का प्रयोग करना चाहिए और विभिन्न प्रकार के डू इट योरसेल्फ के माध्यम से खिलौना आधारित शिक्षा जैसे मिट्टी के खिलौने बनाना लकड़ी के खिलौने बनाना कपड़े के खिलौने बनाना इतिहास द्वारा बच्चे बहुत अच्छे ढंग से सीखते हैं
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ReplyDeleteहम अपने स्कूल में खिलौना कोना सृजित करने के लिए छात्रों के लिए कुछ सामग्री जैसे चार्ट, रंगीन पेन, तिलिया, कुछ ढक्कन, मिट्टी, ग्लू,आदि रखेंगे जिससे छात्र उनका उपयोग करके खिलौने बना सके l
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर डी आई वाई पद्धति का प्रयोग करते हुए घर और उसके आस पास उपलब्ध अनुपयोगी समान से खिलौने बना सकते है जैसे पेपर,मिट्टी,बोतल,पेपर रोल, मोजे आदि।
ReplyDeleteहम डी आई वी का प्रयोग करते हुए मिट्टी कपड़े कागज की सहायता से बच्चों से खिलौने बनाकर कक्षा को सजायेंगे
ReplyDeletePrimary teacher gps ralawati
ReplyDeleteएमपी निष्ठा 3.0एफ एल एनकोर्स 12बुनियादी स्तर के लिए खिलौना आधारित शिक्षणसे मुझे सीख मिली है कि बच्चे खेलबच्चे खेल-खेल में ही बुनियादी स्तर पर संख्या ज्ञान जोड़ घटाना आदि सीख जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उनको सिखाया जा रहा है इसलिए हमें बुनियादी स्तर पर खिलौना आधारित शिक्षण को बढ़ावा देना चाहिएबच्चे खेल खेल में ही बुनियादी स्तर पर संख्या ज्ञान जोड़ घटाना आदि सीख जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उनको सिखाया जा रहा है इसलिए हमें बुनियादी स्तर पर खिलौना आधारित शिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए
हम अपनी कक्षा में बच्चों के लिए हस्त कौशल के खिलौनों का उपयोग करेंगे जिससे मिट्टी के खिलौने बनाना लकड़ी के खिलौने का इस्तेमाल करना कागज के खिलौने बनाना कपड़े के खिलौने बनाना इत्यादि
ReplyDeleteबच्चों को उनके परिवेश के आसपास पाई जाने वाली शून्य निवेश चीजें उपलब्ध कराकर उन्हें मनोरंजक और ज्ञानवर्धक खिलौने तैयार करने हेतु प्रेरित किया जा सकता है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि
DeleteHam apni kaksha mein D I Y matlab Do It Yourself ka prayog karenge. Jo kam lagat mulya ke mitti, kapda, kagaj ,bas aadi best material se ban sake .Aur Parivar ke sadasya bhi aaram se unki madad kar sakte hain.
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि ।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
Shamim Naz H/S Arif Nagar Bhopal
ReplyDeleteआई डी वाई खिलौनों का सृजन करने के लियेबच्चों को मार्गदर्शन के साथ उपलब्ध सामग्री जैसे गीली मिट्टी, कागज , पेंसिलें जूते के डिब्बे, मोती,बीज,रिबन,कपड़े की कतरन आदि का उपयोग कर खिलोने बनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
Diy ka prayog karte huye raw material se,plants se ,paper raddi se bacchon k shikha adi ham hetu khel samgri ka nirman karwa sakte hain.
ReplyDeleteडी आई वाई अर्थात डू योर सेल्फ तकनीकी का प्रयोग करते हुए हम ऐसे खिलौनों का निर्माण करेंगे। जिससे बच्चा स्वयं वेस्ट सामग्री जैसे लकड़ी, कागज, मिट्टी ,दर्जी का कपड़ा, आदि का प्रयोग कर स्वयं उसको खिलौने बनाना सिखाएगे तथा उन से लगाव रखकर शैक्षणिक कार्य में उपयोग करते हुए,उनके बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विकास करेगे।
ReplyDeleteअपनी कक्षा स्कूल में खिलौना निर्माण हेतु विभिन्न प्रकार की अनुपयोगी चीजें जैसे रद्दी कागज विभिन्न प्रकार के सामानों के डिब्बे छोटे-छोटे कटे फटे कपड़े विभिन्न प्रकार के रंग और इसी तरह लगभग अनुपयोगी चीजों से हम अपनी कक्षा या स्कूल में बहुत ही उपयोगी और बच्चों को पढ़ाने में लाभदायक सामग्री का निर्माण कर सकते हैं
ReplyDeleteबाल किशोर सेन शा प्रा शाला घंघरी खुर्द कटनी
ReplyDeleteअपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र अर्जित करने के लिए हम विभिन्न अनुपयोगी सुलभ सस्ती सहायक सामग्री का उपयोग करेंगे । जिसमें रद्दी पेपर मिट्टी ढक्कन बाटल रद्दी कपड़े रंग चित्र लकड़ी आदि प्रमुख हैं ।जिसके उपयोग से बच्चे स्वयं डी आई वाई खिलौनों का स्रजन कर सकते हैं ।एवं शैक्षणिक अधिगम प्राप्त कर सकते हैं ।
कक्षा में DIY के लिए घर परिवार और परिवेश से प्राप्त चीजों के माध्यम से कई तरह के खिलौने बना सकते हैं।
ReplyDeleteअनुपयोगी वस्तुएं ढक्कन कागज चूड़ी खाली माचिस की डब्बियां मिट्टी कंकड़ पत्थर आदि से बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बना सकते हैं, सीख सकते हैं।🙏
प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है जिससे कि बच्चे आसपास की चीजों से सीख सकें।हम अपनी क्लास में खिलौने डी आई वाई अर्थात डू योर सेल्फ तकनीकी का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का निर्माण करेंगे। जिससे बच्चा स्वयं वेस्ट सामग्री, जैसे लकड़ी, कागज मिट्टी ,दर्जी का कपड़ा, आदि का प्रयोग कर स्वयं खिलौने बनाएगा तथा उन से लगाव रखकर शैक्षणिक कार्य में उपयोग करते हुए,अपने बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विकास करेगा ।
ReplyDeleteअंगदराम यदुवंशी प्राथमिक शिक्षक शास प्राथमिक शाला पाचनजोत (आमला) जि बैतूल
संतोष कुशवाहा शा प्रा वि कटापुर ब्लॉक सेवढ़ा जिला दतिया
ReplyDeleteद्वारा पेड़ पौधों की पत्तियां बोतलों के ढक्कन पुरानी भूतले रद्दी का सामान आदि को इकट्ठा करके बच्चे आसानी से खिलौनों का निर्माण कर सकते हैं एवं मिट्टी से भी खिलौने बना सकते हैं पुराने कपड़े रोई बटन धागे की रील न्यूज़पेपर यह तमाम चीज है डू इट योरसेल्फ खिलौना निर्माण में अति महत्वपूर्ण है।
Umashankar paroha shasakiy prathmik Shala ghangri Khurd Khel ke liye bacchon ko sutli purane kapde Sher bhar kar gudiya banana raddi kagaj ke madhyam se varg aayat tribhuj aadi banaa kar Khel ke madhyam se lakadi ki pattiyon kabad se jugad kar samagri banana na aadi jisse bacchon ka ka Shiksha ke sath sath sarvangeen Vikas ho sake
ReplyDeleteBacchae net computer dawara aactivite dekha kar shikhate he kusum kochle p.s dalki
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना कौना बनाने के लिए डी आई वाय का उपयोग करने हेतु विभिन्न प्रकार के रो मटेरियल का प्रयोग करते हुए बच्चों के लिए खिलौना का निर्माण कर सकते हैं जिससे बच्चे खेल खेल में शिक्षा प्राप्त कर सकें।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करते समय हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति के माध्यम से खिलौना का डिजाइन जिसमे बच्चा स्वयं मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने और लकड़ी के खिलौने और विभिन्न प्रकार के चित्र बनाने का अभ्यास करते हुए सीखता है
ReplyDeleteनमस्कार साथियों.......
ReplyDeleteअपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि | बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि अनुपयोगी कपड़े, कागज, इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा पाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा और उसके अन्दर सृजनात्मक गुण का विकास होगा, उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है| इस प्रकार हम शिक्षा को आनंदपूर्ण बना सकते है|
धन्यवाद्!
अमर सिंह लोधा (प्राथमिक शिक्षक)
शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय अमरोद
विकास खंड बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश
सकीना बानो
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए अपने आसपास के वातावरण से मिलने वाली कच्ची सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं डी,आई,वाई पद्धति का उपयोग कर ऐसे खिलौनों का निर्माण करना जिन्हे बच्चे खुद बनाए और प्रयोग करें।
प्राथमिक स्तर के बच्चो को आने आसपास के वातावरण से मिलने वाली सामग्री का उपयोग कर खिलौने बनाए जा सकते हैं।
ReplyDeleteभाऊराव धोटे (स.शि.)
ReplyDeleteEPES शा .मा .शा .-लिहदा
वि. ख.-मुलताई (बैतूल)
हम अपनी कक्षा/स्कूल में खिलौना क्षेत्र सृजित करने के लिए हम बच्चों के साथ सहभागिता करते हुए अपने आसपास के वातावरण से स्थानीय स्तर पर सुलभ अनुपयोगी या कच्ची सामग्री का संग्रहण करेंगे।
डी आईं वाई अर्थात Do It Yourself पद्धत्ति का प्रयोग कर उक्त सामग्री से ऐसे खिलौनों और TLM का निर्माण करेंगे जिनमे बच्चे भी सहभागी रहे हो। जब ऐसी सामग्री स्वयं निर्मित करेंगे तो उन खिलौनों के प्रति बच्चों का खासा लगाव भी होगा।
उक्त सामग्री का निर्माण करने के लिए हम अपने परिवेश से मिट्टी, कागज, गत्ता पत्तियॉं, बॉस की डंडिया, पुराने मोजे ,कपड़े,धागे की अनुपयोगी रील , थर्माकोल तथा प्लास्टिक आदि वस्तुओं का पर्याप्त प्रयोग कर सकते है।
हमारे परिवेश में उपलब्ध अनुपयोगी वस्तुओं से विभिन्न प्रकार के खिलौने तैयार करेंगे और छात्रों को बनाने के लिए प्रेरित करेंगे जिससे छात्रों को काम करने का अवसर मिलेगा और उत्साहित होंगे
ReplyDeleteअपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र निर्माण करने के लिए सुगम्य, प्रकाश युक्त स्थान का चयन करेंगे.D I Y डू इट योरसेल्फ पद्धति के अनुसार खिलौना बनाने हेतु स्थानीय स्तर पर पर फ्री ऑफ कास्ट उपलब्ध सामग्रियों का संग्रह बच्चों को उपलब्ध कराएंगे. जैसे दर्जी की दुकान से कपड़ों के टुकड़े, कारपेंटर से लकड़ी के टुकड़े पटियों के टुकड़े, कोल ड्रिंक की खाली बाटल, नदी या रेत के ढेर में से शंख शीप कंकड़, खेत की मिट्टी, पुरानी मालाओं से मोती, माचिस की डब्बी, तीली, रंगीन पेपर, रंग, आदि सामग्री खिलौना क्षेत्र स्थल पर उपलब्ध करा कर दक्षता या विषयवस्तु की आवश्यकता अनुसार शैक्षणिक दृष्टि से उपयोगी टी एल एम के रूप में खिलौना निर्माण में सहायता करेगें.बच्चों में खिलौनों के प्रति विशेष लगाव होता है.इन गतिविधियों से बच्चों में एकाग्रता, सृजनात्मकता, सहनशीलता, स्वतंत्र अभिव्यक्ति दक्षता का विकास होता है!
ReplyDeleteमहेंद्र शर्मा प्रा. शि. शा. प्रा. शा. प्रतापगढ़, संकुल बम्हौरी, वि.खं. सिलवानी, जि. रायसेन मध्यप्रदेश
Khilauna Aadharit gatividhiyon ke liye ham yvm bacche ghar me padi basti ko layenge bacche yvm ham kagaj ke ,kapdo ke tukadon se khilone banayege bacche nae nae khilone banayege. Ghar padi vastuon se bhi nae Khilone banayege bacche ki srijan shakti ka nirman hogo.
ReplyDeleteकक्षा में खिलौने बनाने के लिए हम कागज, कपड़े , मिट्टी , आदि का प्रयोग करेंगे । खिलौने बनाए समय हम स्वयं बच्चों की सहायता करेंगे। हम उन्हें खिलौने बनाकर बताएंगे।
ReplyDeleteप्रीति कबीर MS Kirrola Mungaoli
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है। ज़लाल अंसारी प्राथमिक शिक्षक जी पी एस देवरी मुलला धनौरा सिवनी म प्र
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामृगी से हम खिलौने बना सकते है। डी आई वाई डू इट योर सेल्फ के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया में सहायता लाई जा सकती है। इससे बच्चे स्वंय करके सिखते है।
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर प्रा प्त सामग्री जो मिल जाए उसका उपयोग करके या आकृति में ढाल के रचनात्मक कार्य करवाएंगे ।
ReplyDeleteHm apni class me khilona kshetra disign krne k lie bacho ko bekar pdi samagri jese kapdo ki katran,kagaj,mitti purane moje adi samgri uplabdh krakr bacho se diy k aadhar pr unse hi khilone bnwaenge or unke dwara hi khilona kshetra k nirman karenge,is karya me hm unka sehyog krenge .isse bache swayam krke seekhenge .
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में मिलोना डिजायान करने के लिए हम
ReplyDeleteडी.आई.वाय पद्धती का प्रयोग करते हुए खिलौनों के माध्यम
से जिन्हें बच्चे खुद बना सकें और बिना किसी हिचक के तोड़
सकें सस्ते या बिना कीमत केखिलोनो के निर्माण कर बच्चे
काम करने का सही और वैज्ञानिक तरीका सीख लेते है। अपने
बनाए खिलौनों से खेलते हुए वे बनाते समय रह गई कमियों को
आसान से पकड़ लेते है बच्चे खुद थोड़ी फेरबदल करके खिलौने
को दुरुस्त कर सकते है मान लो यदि बच्चा कागज की नाव बनाए
वह पानी में अच्छी तरह से नहीं तैरे तो बच्चा जरूर सोचता है
की मैंने नाव टीक तरीके से बनाई या मैं सही तरीके से उसे तैरा
पा रहा हूं क्या मैंने कागज सही चुना की नहीं। इस तरह बच्चे
रचनात्मकता की अवधारणा से परिचित होते है। खिलोने बच्चो
को को विज्ञान और तकनीकी से सीधा और सहज परिचय करवाते
है। इन खिलौनों से बच्चे बड़ी सरलता से तकनीकी के बुनियादी
गुण सीख लेते हैं।
DIY khilone ke liye ham kagaj purane kapde Khali botal dhakan mitti Tafhi keRepar kardsheet aisee kai vastuon se khilone banayege
ReplyDeleteD i y do it yourself ke Madhyam se Shikshan prakriya main sahayata ki Ja sakti hai aur Chhatra Mitti kapde kagaj tatha Lakadi se banne wale khilaune Swayam banaa kar sakte hain.
ReplyDeleteहम बच्चों को छोटे छोटे कपड़े उपलब्ध कराएंगे जिससे वह कपड़े की गुड़िया बनाएंगे जिससे उनकी सृजन शक्ति का विकास होगा
ReplyDeleteहम अपने स्कूल में खिलौना कोना सृजित करने के लिए छात्रों के लिए कुछ सामग्री जैसे-चार्ट, रंगीन पेन, तिलिया, कुछ ढक्कन ,मिट्टी, ग्लू आदि रखेंगे जिससे छात्र उनका उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं।
ReplyDeleteKhilaunon ke dvara sbhi bachchon ko aasani se bahumukhi vikas kiya ja skta hai
ReplyDeleteहमें अपनी कक्षा में बच्चों को खिलौने बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों से हम घर में पड़ी है विद्यालय में पड़ी सामग्री के द्वारा विभिन्न प्रकार के खिलौने तैयार कर उनकी कौशलों को विकसित कर सकते हैं
ReplyDeletePrathmik Star ke bacchon ke liye ye apne aaspaas ke a vatavaran mein milane wali e Kacchi samagri ya anupyogi samagri Se khilaune banae Ja sakte hain Iske alava Ham Kuchh Bajar Se Bhi khilane La sakte hain lekin Unki lagat kam honi chahie bacchon ko Adhik se yadi khilaune banane ka mauka Dena chahie
ReplyDeleteहम अपनी शाला में बिना लागत की वस्तुओं जैसे कागज ,मिट्टी ,खाली वाक्स ,पत्तों व फूलों की मदद से कुछ आकर्षक व उपयोगी सामग्री का निर्माण कर सकते हैं।जिससे बच्चों में सृजनात्मक कौशल का विकास होगा।
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं। कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि | बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि अनुपयोगी कपड़े, कागज, इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा पाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा और उसके अन्दर सृजनात्मक गुण का विकास होगा, उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है| इस प्रकार हम शिक्षा को आनंदपूर्ण बना सकते है|Vinod Kumar Bharti PS karaiya lakhroni patharia Damoh Madhya Pradesh
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteप्राथमिक शिक्षक तिलोक चंद यादव प्राथमिक शाला भागपुर बिछिया मंडला मध्य प्रदेश
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है जिससे कि बच्चे आसपास की चीजों से सीख सकें
ReplyDeleteHm bachchan ke liye modi, mitti , kpda , rui ,aur aur any sthaniy jo cheeje uplabdh hoti hai unka upyog krte hain
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं। कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि | बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि अनुपयोगी कपड़े, कागज, इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा पाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा और उसके अन्दर सृजनात्मक गुण का विकास होगा, उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है| इस प्रकार हम शिक्षा को आनंदपूर्ण बना सकते है
ReplyDeleteSmt. Jayshree Yaduwanshi
डीआईवाई के तहत विद्यालय में एक खेल क्षेत्र का निर्माण करेंगे जहां बच्चे मिट्टी,कागज, पुराने कपड़ों एवं बोतलों से खिलौने बनाएंगे और क्रियात्मकता एवं सृजनात्मकता का विकास करेंगे
ReplyDeleteMamta Soni. प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए कक्षा में बच्चों के साथ मिलकर डी आई वाई अर्थात स्वनिर्मित के अंतर्गत खिलौना क्षेत्र का सृजन कर जिसमें आवश्यक सामग्री स्थानीय एवं आसपास के परिवेश से आसानी से उपलब्ध होने वाली सामग्री एकत्रित कर जैसे माचिस की डिब्बी कार्टून गीली मिट्टी कागज गोंद मुझे इत्यादि सामग्री का प्रयोग कर आवश्यक खिलौने निर्माण करने में सहायता करेंगे
ReplyDeletesultan Khan teacher devgad guna. d.i.y. means do it yourself class me bachho se ese khilone banbayege jisme raw material kapda kagaj rui aadi lagai ho es tarah ke khilono ko bachho ko kahani padane me use kar sakte hai
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि
ReplyDeleteहम अपने विद्यालय में कक्षा में बच्चों के सूक्ष्म गत्यात्मक, तथा सृजनात्मक कौशल विकसित करने तथा उनका कक्षा में ध्यान केंद्रित करने व उनमें डी.आई. वाई.Do It Yourself क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से एक खिलौना क्षेत्र सृजित करेंगे।डी. आई. वाई. खिलौना क्षेत्र सृजित करने मे बच्चों की सहायता के लिए हम अपने परिवेश में उपस्थित आसानी से उपलब्ध कम लागत या बिना लागत की अनुपयोगी अनेक वस्तुओं का संग्रह करेंगे हम सूखी पत्तियाँ, छोटे -बड़े ढक्कन, खाली वोतल, आईड्रॉपर, कागज, टूटी टोकरियाँ,जूट, सुतली, धागे, रस्सी, हाथ से बनी स्वेटर जो फट गई हों, पुराने मोजे आदि घर एवं परिवेश मे उपलब्ध बिना लागत और अनुपयोगी वस्तुओं का संग्रह कर उन वस्तुओं को बच्चों को शाला में उनके स्वयं खिलौना निर्माण करने के लिए हम आवश्यक वस्तुएँँ बच्चों को उपलब्ध करा सकते हैं। रामगोपाल शर्मा, प्राथमिक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला बिलवानी टपरा, विकासखंड गैरतगंज, जिला रायसेन म. प्र. ।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि|
ReplyDeleteREPLY
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|हम अपने विद्यालय में कक्षा में बच्चों के सूक्ष्म गत्यात्मक, तथा सृजनात्मक कौशल विकसित करने तथा उनका कक्षा में ध्यान केंद्रित करने व उनमें डी.आई. वाई.Do It Yourself क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से एक खिलौना क्षेत्र सृजित करेंगे।डी. आई. वाई. खिलौना क्षेत्र सृजित करने मे बच्चों की सहायता के लिए हम अपने परिवेश में उपस्थित आसानी से उपलब्ध कम लागत या बिना लागत की अनुपयोगी अनेक वस्तुओं का संग्रह करेंगे हम सूखी पत्तियाँ, छोटे -बड़े ढक्कन, खाली वोतल, आईड्रॉपर, कागज, टूटी टोकरियाँ,जूट, सुतली, धागे, रस्सी, हाथ से बनी स्वेटर जो फट गई हों, पुराने मोजे आदि घर एवं परिवेश मे उपलब्ध बिना लागत और अनुपयोगी वस्तुओं का संग्रह कर उन वस्तुओं को बच्चों को शाला में उनके स्वयं खिलौना निर्माण करने के लिए हम आवश्यक वस्तुएँँ बच्चों को उपलब्ध करा सकते हैं
ReplyDeletePrathmik str ke bachcho ke liye shala ,ghar,ke parvesh se prapt samara se bhi. Khilone ban jate hai.
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई.वाय. मतलब डू-इट-याॅरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे - मिट्टी से बने खिलौनें, कपड़ों से बने खिलौनें, कागज से बने खिलौनें तथा लकड़ी से बने खिलौनें आदि। बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा। हम टेलर की दुकान से ले आएंगे। इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे। इसके अलावा मिट्टी के खिलौनें बनाने में भी उनकी मदद करेंगे। इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवाएंगे। जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौनें उसने स्वयं बनाए है।
ReplyDeleteहम हमारे परिवेश में, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध बिना लागत से सामग्री का निर्माण कर सकते हैं।डू डू इट योर सेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे मिट्टी से बनें खिलौने, कपड़ों से बनें खिलौने,कागज से बनें खिलौने, तथा लकड़ी से बनें खिलौने आदि।
ReplyDeleteHam apni kaksha mein main hath se bane khilauna mitti kapde kagaj aadi ke bane khilauna ka istemal karenge jisse bacchon ko bahut kuchh sikhane ko milega aur bachho ka baudhik Vikas hoga
ReplyDeleteMarch 6, 2022 at 5:42 PM
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि|
बच्चो को कागज,पेड की पत्तियो तथा उपयोग के नही आने वली वस्तुओ से खेल खिलोने बनाना सिखा सकते हैं ।स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामृगी से हम खिलौने बना सकते है। डी आई वाई डू इट योर सेल्फ के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया में सहायता लाई जा सकती है। इससे बच्चे स्वंय करके सिखते है।
ReplyDeleteDo it yourself पद्धति के माध्यम से शिक्षण अधिगम को वेहतर वनाने के लिए अपने आसपास मौजूद आसानी से उपलब्ध होने वाली सामग्री से बच्चों का ज्ञान को वढाया जा सकता है|
ReplyDeleteप्राथमिक शाला के बच्चों के लिए स्थानीय स्तर पर परिवेश से प्राप्त सामग्री से ही खिलौने बनाए जा सकते हैं और उनका शिक्षा में उपयोग किया जा सकता है
ReplyDeleteहम कागज और कपड़े का सामान्य तौर पर खिलौने बनाने में उपयोग करना पसंद करेंगे,क्यो कि ये सरलता से मिल जाते हैं। तथा खिलौना आकर्षक व सुन्दर बनते हैं।
ReplyDeleteचम्पालाल पटेल
प्रा. वि. टाकलीमोरी
जिला खंडवा
primary star ke bachcho ke liye aaspas ki anupyogi cheejo se hi kai prkar ke khilone & sahayak samagri banai ja sakti hai anupyogi cheejo main kagaj,kapde,beej, mitti,patthar aadi ho sakte hai.
ReplyDeleteबच्चों को अपनी बनाईं हुई चीजों मे बहुत आनंद आता है, और इससे उनमें समीक्षात्मक और सृजनात्मक चिंतन पैदा होता है।
ReplyDeleteखिलौनों के माध्यम से अपनी उत्सुकता और जिज्ञासा प्रकट करते हैं।हम उनके सवागीण विकास मे सहायता करने के लिएD.I.Y. खिलौनों के लिए माता पिता का सहयोग की भी जरूरत है।
Apni kaksha Mein Khilauna Kshetra design karne ke liye Hum DIY matlab do it yourself paddti ka upyog karte hue Aise khilaune banaenge Jinka prayog baccha Swayam kar sakta hai Jaise Mitti ke khilaune, kapde ke khilaune ,kagaj ke khilaune Aadi inhen banane ke liye ham apne ghar mein maujud purane kapde ,moje, botale, button Kagaz aadi ka prayog Karenge jisse bacchon mein rachnatmakta srijanatmakta ka Vikas hoga.
ReplyDeleteबच्चों को अपनी बनाईं हुई चीजों मे बहुत आनंद आता है, और इससे उनमें समीक्षात्मक और सृजनात्मक चिंतन पैदा होता है। जिससे बच्चे खेलने के लिए उत्सुक होते है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में डी आई वाई तकनीक का प्रयोग कर के बच्चों एवम स्वयं अनुपयोगी वस्तुओ के द्वरा खेल सामग्री तैयार करके कक्षा में बच्चों खेलने को तैयार कर सकते है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी आई वाई का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा खुद प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि ।
ReplyDeleteशिक्षक और बच्चे मिलकर मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने और इसके अलावा खराब कागजों के खिलौने और भी अन्य मे उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे |
ReplyDeleteहम अपने विघालय/कक्षाओं में स्वयं निर्मित खिलौने सृजित करने के लिए विभिन्न प्रकार के वेस्ट मटेरियल के माध्यम से कागज, मिट्टी, कपड़े व अन्य सामग्री से विभिन्न आकृतियों में खिलौने सृजित कर सकते हैं जिसमें खेल-खेल में गतिविधियों के माध्यम से हम बच्चों को आसानी से सीखने में मदद कर सकते हैं।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में बच्चों को खिलौने के द्वारा उन्हें खेल खेल में पढ़ा सकते हैं
ReplyDeleteहमारे बच्चे खिलौनों से बहुत प्रभावित होतेहैं। खिलौने बनाने में भी उन्हें बड़ा मज़ा आता है। खिलौनों से बच्चे बडी तेजी से किसी बात को समझ जाते हैं। बशर्ते कि खिलौने सहायक सामग्री के रूप में हो। बच्चे कबाड़ से जुगाडकर करकेही खिलौने बना लेते हैं।
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि | बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि अनुपयोगी कपड़े, कागज, इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा पाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा और उसके अन्दर सृजनात्मक गुण का विकास होगा, उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है| इस प्रकार हम शिक्षा को आनंदपूर्ण बना सकते है|
ReplyDeleteBachcho ke liye beeje ,machis evm old pen use karenge.
ReplyDeleteHam apni kaksha mein Aise khilaune Rakhenge Jo bacchon ko aakarshit kar sake colorful Ho unhen Dekh Kar bacche Sikh Saken Ham kaksha mein colorful paper kainchi Gond kapde Ke Tukde Kuchh plastic ki West material Rakhenge
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र का निर्माण करने के लिए हम डी आई वाई का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जो बच्चे स्वयं आसानी से बना सके जैसे मिट्टी,कागज,कपड़े ।ये सब सामग्री बच्चो को उपलब्ध कराएंगे साथ ही आवश्यक सामग्री कैंची, गोंद, टेप,रंगीन,कागज,धागा ये सब भी बच्चों को देंगे। उनका इस कार्य में सहयोग करेंगे, उन्हें प्रोत्साहित करेंगे।ये गतिविधि बच्चों को खेल खेल में सीखने में मदद करेगी।
ReplyDeleteरीना
P/s Boondra
हरदा एम पी
कक्षा में खिलौना क्षेत्र का निर्माण करने के लिए कागज एवं मिट्टी से बने खिलौनों का उपयोग करेंगे जिससे बच्चे आसानी से से बना सकें
ReplyDeleteहमारे देश में खिलौने श्रीजल करने के लिए खिलौने खेल आधारीत हो सकते हैं इससे बच्चों का विकास काफी हद तक होता है और इस प्रकार से खिलाओ ना खेल आधारित होता है बहुत लाभदायक होता है।
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र का निर्माण करने के लिए हम डी आई वाई का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जो बच्चे स्वयं आसानी से बना सके जैसे मिट्टी,कागज,कपड़े ।ये सब सामग्री बच्चो को उपलब्ध कराएंगे साथ ही आवश्यक सामग्री कैंची, गोंद, टेप,रंगीन,कागज,धागा ये सब भी बच्चों को देंगे। उनका इस कार्य में सहयोग करेंगे, उन्हें प्रोत्साहित करेंगे।ये गतिविधि बच्चों को खेल खेल में सीखने में मदद करेगी। hari shankar gurjar
ReplyDelete4:44 AM
ReplyDeleteकक्षा में खिलौना क्षेत्र निर्मित करने का सबसे अच्छा और सरल तरीका है कार्यालय में पड़े रद्दी पेपर से गेंद,नाव, फूल, गुड़िया व पक्षी आदि बनाकर सिखाना। पेपर से घन शंकु,बेलन जैसी त्रिआयामी आकृतियों का निर्माण खिलौनों के रूप में करना।फटे-पुराने कपड़ों से गेंद बनाना और उससे पिठ्ठुल खेलना,कैच पकड़ना सामिल है। कपड़ों से ही गुड़िया बनाना बच्चों को बहुत पसंद है। बोर्ड पर बच्चों को विभिन्न प्रकार की आकृतियों को बनाना अच्छा लगता है।
हम बच्चों से कहेंगे कि आपके घर में बहुत सारी सामग्री ऐसी पड़ी होगी जिसका अब कोई उपयोग नहीं हो सकता, और उस सामग्री को हम लगभग फेंकने की स्थिति में आ जाते हैं, उस सामग्री से हम क्या कोई शैक्षिक सामग्री बना सकते हैं ? यदि हां में उत्तर आता है तो बच्चों को इसके लिए अवसर देना होगा |सामग्री में कपड़े, कागज, बटन, रंगीन स्केच पेन, रुई, गोंद कैंची, धागा उपलब्ध करवा सकते हैं |
ReplyDeleteबच्चो जब अनुपयोगी कागज कपड़ों से स्वयं खिलौने बनाते हैं तो।बच्चे उन खिलौनों से खेलने के साथ उन खिलौनों में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होते हैव बच्चों के ज्ञान में वृद्धि होती है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र कक्षा के एक कोने में निर्धारित जगह पर करेंगे जहां बच्चे अपने खिलौने का उपयोग आसानी से कर सकते हैं और हम डी आई. वाय पद्धति से अधिगम आसान बना सकते हैं साथ ही हम स्थानीय सामग्री जैसे मिट्टी ,क्ले ,पत्ती, लकड़ी, पुरानी वस्तुओं आदि की उपलब्धता रखेंगे जिससे बच्चे आसानी से सीख सकेंगे और अधिगम में सहभागिता निभा सकेंगे ।
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ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र का निर्धारण करेंगे ।जहां बच्चे स्वयं मिट्टी से एवं लकड़ी से एवं अन्य आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खिलौना निर्माण करेंगे । शिक्षक इस कार्य में उन्हें सहयोग करेंगे ताकि बच्चों में रचनात्मक विकास हो सके।
ReplyDeleteबच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|बच्चों को अपनी बनाईं हुई चीजों मे बहुत आनंद आता है, और इससे उनमें समीक्षात्मक और सृजनात्मक चिंतन पैदा होता है।
ReplyDeleteखिलौनों के माध्यम से अपनी उत्सुकता और जिज्ञासा प्रकट करते हैं।हम उनके सवागीण विकास मे सहायता करने के लिए खिलौनों के लिए माता पिता का सहयोग की भी जरूरत है।
Sthaniy star par uplabdh bibhinn prakar ke khilone banaye ja sakate hain. Jese-kagaj,mitti, patte, kapade, lakadi aadi ka prayog karke bachche syam apane hathon se banate huye d I y ke dwara hst-koshal skhate hain.
ReplyDeleteखिलौनों से सीखना छात्रों के लिए एक उत्तम विधि है इससे बच्चे अपने पाठ्यक्रम को खेल-खेल में पूर्ण कर लेते हैं प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी खिलौनों का होना जरूरी है।हमारे मध्यप्रदेश में कई तरह के खिलौने बनाए जाते है| जैसे -लकड़ी के खिलौने, कपड़े के खिलौने ,प्लास्टिक के खिलौने, मिट्टी के खिलौने ,लोहे के तार के खिलौने आदि |खिलौनों से हमारे बच्चों का मनोरंजन होता है| इसके साथ -साथ ही खिलौनों के माध्यम से बच्चे आसपास की जानकारी प्राप्त करते हैं |अपनी संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा विभिन्न गतिविधियों से वे खिलौनों को जोड़ना सीखते हैं
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ReplyDeleteहमारे विध्यालय मे उपलब्ध बेकार सामग्री का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के खिलोने का निर्माण बच्चों द्धारा कराये जाने से उनको सिखने मे सहायता मिलती हैं।
ReplyDeletePremchand Gupta P. S. Guradiya mata
ReplyDeletePremchand Gupta P. S. Guradiya mata बिना लागत की या
ReplyDeleteकम लागत की सामग्री उपलब्ध करवाकर स्वयं सीखने का अभ्यास करवाकर उन्हें प्रेरित करेंगे
हम अपनी कक्षा में डी.आई.वाई. द्वारा निर्मित खिलौने का प्रयोग करते हैं। हम मिट्टी से, प्लास्टिक से, कपड़े से और अनउपयोगी सामग्री से खिलौने निर्मित करवा कर उनकी बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।
ReplyDelete)कक्षा में खिलौना क्षेत्र निर्मित करने का सबसे अच्छा और सरल तरीका है कार्यालय में पड़े रद्दी पेपर से गेंद,नाव, फूल, गुड़िया व पक्षी आदि बनाकर सिखाना। पेपर से घन शंकु,बेलन जैसी त्रिआयामी आकृतियों का निर्माण खिलौनों के रूप में करना।फटे-पुराने कपड़ों से गेंद बनाना और उससे पिठ्ठुल खेलना,कैच पकड़ना सामिल है। कपड़ों से ही गुड़िया बनाना बच्चों को बहुत पसंद है। बोर्ड पर बच्चों को विभिन्न प्रकार की आकृतियों को बनाना अच्छा लगता है।
ReplyDeleteकक्षा में बच्चों के लिए खिलौना क्षेत्र ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए जो बच्चों के पहुच में हो वह वस्तुए स्थानीय स्तर पर जिन्हें बच्चे जानते है और उसका दैनिक जीवन मे उपयोग करते है उन्ही वस्तुओं से खिलौना निर्माण करवाना चाहिए DIY पद्धति द्वारा अपने आसपास की वस्तुओं से अपनी सृजनात्मकता के आधार पर बच्चों को खिलौना निर्माण करने में सहायता प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा मे मिट्टी के खिलोने,लकड़ी के खिलौने और कागज के खिलौने बच्चों को सिखाने के लिए रखूंगा।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षाओं में बच्चों से कागज एवं मिट्टी से बने खिलौने सिखाने का प्रयास करूंगा।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षाओं में बच्चों से कागज एवं मिट्टी से बने खिलौने सिखाने में बच्चों के साथ गतिविधि साझा करूंगा
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. मतलाव डू - इट - योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो सबने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि।हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए
ReplyDeletePrathmik star ke bacchi ke liye shala aur aas-pas ke parivesh se prapt samagri se bhi khilauno bana sakte hai.
ReplyDeletePrathmik star ke bachcho ke liye unke aas paas ki cheejo jaise ped ke patto se firkani banana ghar me padi patrika se kuch aakriti banana fool banana unhe colour bharna aadi prakriya saley star par sikshak dvara karvai jaa sakati h.jisase ki bachche aas paas ki cheejo se seekh sake.ham apni class me kilone D I Y arthat do your self taknik ka prayog karte huye khilono ka nirman karege .jisase bachcha svanm West samgri jaise -lakadi, kagaj, mitti, darji ka kapada aadi ka prayog kar svayam khilone banayega .tatha unase lagav rakhakar sekshanik Kary me upyog karte huye apne bodhik or tarkik kshamata ka vikas karega.
ReplyDeleteअपनी कक्षा/स्कूल में हम बच्चों की पाठ्यपुस्तकों में आई अवधारणाओं को समझाने के लिये कागज से खिलौना तैयार करते हैं l हम अपने आस-पास उपलब्ध TLM जैसे माचिस की तीलियों, डीब्बियों, पुराने अखबार, वेस्ट मटेरियल आदि से खिलौना/कठपूतली क्षेत्र विकसित करेंगे l खिलौने या प्रतिरूप/मॉडल अथवा चित्र तैयार करके हाव-भाव के साथ संबंधित पाठ को कविता, कहानी द्वारा अभिनय करके समझाएँगे l D.I.Y. अर्थात् Do It Yourself सिस्टम अंतर्गत बच्चों से खिलौने तैयार करने में मदद करेंगे व उसे उसके साथ खेलकर अभिनय करने को कहेंगे l खिलौने बच्चों को बहुत पसंद होते हैं, वे खिलौनों को जोड़-तोड़कर उसे नया रूप भी दे सकते हैं l बच्चे ब्लाक्स का उपयोग करके जोड़-जोड़कर नयी चीजे बनाते हैं जैसे बिल्डिंग, घर, मंदिर,रेल, रास्ता, कुर्सी , ट्रॉली, गुड्डा-गुड्डी , गणेशजी, पंखा आदि l स्वयं द्वारा बनाये या बाज़ार से खरीदकर लाये गुड्डे-गुड़ियों को बच्चा बहुत संभालकर रखता है l उसे देखकर मुस्कुराता है, उसके साथ खेलता है, उसके साथ बातें करता हैं, रूठता है, मनाता है , जहाँ जाता है,अपने साथ ले जाता है l बच्चों को खिलौनों से बहुत जल्दी समझ में आता है l एक तरह से खिलौने बच्चों की कल्पनाओं को, उसकी समझ को साकार रूप देकर सीखने की क्षमता को बढ़ाने में सहायता प्रदान करते है l
ReplyDeleteहम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा
ReplyDeleteअपनी कक्षा/स्कूल में हम बच्चों की पाठ्यपुस्तकों में आई अवधारणाओं को समझाने के लिये कागज से खिलौना तैयार करते हैं। हम अपने आस-पास उपलब्ध TLM जैसे माचिस की तीलियों, डीब्बियों, पुराने अखबार, वेस्ट मटेरियल आदि से खिलौना/कठपुतली क्षेत्र विकसित करेंगे। खिलौने या प्रतिरूप/मॉडल अथवा चित्र तैयार करके हाव-भाव के साथ संबंधित पाठ की कविता, कहानी द्वारा अभिनय करके समझाएँगे| DIY. अर्थात् Do It Yourself सिस्टम अंतर्गत बच्चों से खिलौने तैयार करने में मदद करेंगे व उसे उसके साथ खेलकर अभिनय करने को कहेंगे। खिलौने बच्चों को बहुत पसंद होते हैं, वे खिलौनों को जोड़-तोड़कर उसे नया रूप भी दे सकते हैं। बच्चे ब्लॉक्स का उपयोग करके जोड़-जोड़कर नयी चीजे बनाते हैं जैसे बिल्डिंग, घर, मंदिर, रेल, रास्ता, कुर्सी, ट्रॉली, गुड्डा-गुड्डी, गणेशजी, पंखा आदि। स्वयं द्वारा बनाये या बाज़ार से खरीदकर लाये गुड्डे-गुड़ियों को बच्चा बहुत संभालकर रखता है। उसे देखकर मुस्कुराता है, उसके साथ खेलता है, उसके साथ बातें करता है, रूठता है, मनाता है, जहाँ जाता है, अपने साथ ले जाता है। बच्चों को खिलौनों से बहुत जल्दी समझ में आता है। एक तरह से खिलौने बच्चों की कल्पनाओं को उसकी समझ को साकार रूप देकर सीखने की क्षमता को बढ़ाने में सहायता प्रदान करते हैं।
ReplyDeleteहम बच्चों को बेकार पड़ी वस्तुओं जैसे बोतल बोतल के ढक्कन कपड़ों के टुकड़े मौजे रूई कार्टून आदि उपलब्ध कराकर खिलौने बनाने के लिए उत्साहित करेंगे तो बच्चों में सृजनात्मक क्षमता का विकास होगा l
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र का सृजन बच्चों की सुविधानुसार करेंगे जिसमें हम बच्चों के परिवेश से संबंधित वस्तुओं को शामिल करेंगे
ReplyDeleteजैसे- कपड़े की कतरन, कागज, पत्ते, फलों के बीज, जूतों के डिब्बे, आदि के खिलौने बनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जिससे बच्चों में सृजनात्मक कौशल का विकास होगा|
Chanda Verma
Praathmik Shikshak
G. P. S. A. B. Bihra no 2
District Satna M. P.
प्राथमिक स्तर के बच्चों हेतु अपने आसपास के वातावरण से प्राप्त सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं। घर में पड़ी पत्रिका से फूल बनाना, आकृति बनाना, और उसमे रंग भरना जिससे कि बच्चे आसपास के वातावरण से सीख सके।
ReplyDeleteस्वयं करें के माध्यम से बच्चों के द्वारा परिवेश में उपयोग की गई सामग्रियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाकर एवं बनवाकर तथा खिलौने क्षेत्र बनवा कर बच्चों को शैक्षणिक कार्यों में मदद कर सकते हैं तथा बच्चे भी खुशी खुशी इन सब खिलौना के माध्यम से बहुत कुछ सीख पाएगा।
ReplyDeleteशैलेंद्र सक्सेना प्राथमिक शिक्षक
कुरावर मंडी जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश।
डी आई वाई अर्थात Do it your self पध्दति का प्रयोग कर उक्त सामग्री से ऐसे खिलौनो का निर्माण करेंगे जिनसे बच्चे भी सहभागी बने रहे हम मिट्टी से पलास्टि से कपड़े से अनउपयोगी सामग्री से खिलौने निर्मित करवा कर उनकी बौद्धिक क्षमता का विकास होता है.
ReplyDeleteडी आई वाई के तहत कम लागत की अनुपयोगी सामग्री पेपर मिट्टी और लकड़ी के खिलौने प्लास्टिक की अनुपयोगी वस्तुओं से भी खिलौने बनाए जा सकते हैं शिक्षण इसका यथा उचित प्रयोग करके रोचकता लाई जा सकती है क्योंकि बच्चे स्वयं उक्त सामग्री का निर्माण करते हैं जिसके करण उनमें सृजनात्मकता का विकास होता है!
ReplyDeleteD i y ke tahat Aisi samagri rakhte Hain Jo Bina kisi kharch ke mil Jaati Hai Sukhi pattiyan Botal ke dhakkan purane chitrkar ke card Khali pen khadde UN color
ReplyDeleteहम कबाड़ से जुगाड़ से अनेक खेल सामग्री स्वयं भी और बच्चों से भी बनवाकर न केवल आनंद का माहौल बना सकते हैं बल्कि इससे बच्चों का कई तरह से सीखना भी हो सकता है।
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न सामग्री से खिलौने बनाऐ जा सकते है ।डी आई वाई यानि डू इट योरसेल्फ पद्धति का उपयोग कर ऐसे खिलौनों का निर्माण करना ।जिन्हें बच्चे खुद बनाए और प्रयोग करें ।मिट्टी ,कागज,पत्तियों,बाँस की डंडे,मोजे ,कपड़ें आदि से। फिरकी, पपेट,नाव,क्रो गुड़िया व अन्य शैक्षिक सामग्री बना सकते है।इनसे बड़ी आसानी से बच्चे सीखते है।।
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए उनके आसपास की चीजें जैसे कि पेड़ के पत्ते से फिर करी बनाना घर में पड़ी पत्रिका से कुछ आकृति बनाना फूल बनाना और उन्हें कलर भरना इत्यादि प्रक्रिया साले स्तर पर शिक्षक द्वारा आसानी से करवाई जा सकती है
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ReplyDeleteखिलौना क्षेत्र का निर्माण शाला स्तर पर अत्यंत आवश्यक है।
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी.आई.वाई. डू - इट - योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए। ऐसे खिलौने का प्रयोग करेंगे। जिनसे बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है। जैसे- मिट्टी से बने खिलोने, कपड़ो सबने खिलौने, कागज से बने खिलौने,लकड़ी से बने खिलौने आदि।
अधिगम को प्रभावी बनाने के लिए खिलौना आधारित शिक्षा एक कारगर तथा महत्त्वपूर्ण शिक्षण अधिगम प्रक्रिया है।
शिक्षण को प्रभावी बहुत गम एवं सरल बनाने के लिए खिलौना आधारित शिक्षण जरूरी एवं आवश्यक है।
खिलौनों का निर्माण शाला स्तर पर अत्यंत आवश्यक है हम छात्रों को मिट्टी के खिलौने कागज के खिलौने लकड़ी के खिलौने आदि के द्वारा आसानी से खिलौना बनाना सिखा सकते हैं और खेल खेल में उनको पढ़ना लिखना सिखा सकते हैं
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteशासकीय प्राथमिक शाला दुर्गा नगर जबलपुर
हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं उपयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में कागज उपयोग हो गया चुके बाटल ढक्कन कपड़े इत्यादि से खिलौने निर्माण कर बच्चों से भी खिलौने बनवाकर शिक्षण रुचिकर ढंग से सीखा सकेगे
ReplyDeleteखिलौने का निर्माण शाला स्तर पर अत्यंत आवश्यक है हम छात्रों को मिट्टी के खिलौने कागज के खिलौने लकड़ी के खिलौने आदि के द्वारा आसानी से खिलौने बनाना सिखा सकते है और खेल खेल मे उनको पढ़ना लिखना सिखा सकते है।
ReplyDeleteखिलौनों का निर्माण शाला स्तर पर अत्यंत आवश्यक है हम छात्रों को मिट्टी के खिलौने कागज के खिलौने लकड़ी के खिलौने आदि के द्वारा आसानी से खिलौने बनाना सिखा सकते हैं और खेल-खेल में उनको पढ़ना लिखना सिखा सकती हैं
ReplyDeleteखिलौनों का निर्माण शाला स्तर पर अत्यंत आवश्यक है।मिट्टी और कागज आदि के खिलोनो से खेल खेल में पढ़ाना औऱ पढ़ना रोचक होता है।
ReplyDeletetoys area develop kre
ReplyDeletewhat different type thigs you kip there for children to make toys.
डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ खिलौनों का प्रयोग करेंगे
जैसे -मिट्टी,कागज,कपड़ों,लकड़ी,
वेस्ट मटेरियल ,से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवाएंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है|
Hm apni kaksha me diy ke madhayam se gharelu wastu jaise-mitti,kagaj,ped ki pattiyo,baas ki lakdi,purane moje,kapde,dibbo ke dhakkan,falo ke bij,aanaj ke dane aadi se tarah-tarah ki aakriti ya bna sakte he.kagaj se aayat,varg ,tribhuj ki aakriti banker ganit ki avdharna se avgat kra sakte he.
ReplyDeleteHum bachcho ke liye khilona chhetra nirmit karenge jisme bachhe apne aas paas uplabdh samagri jaise mitti ,kapda ,kagaj aur bhi is tarah ki samagri ka upyog kar svyam kilono ka nirman karenge jisse unme kai koshalo ka vikas hoga aur khel khel me aasani se sikhenge.
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता हैमिट्टी,कागज,कपड़ों,लकड़ी,
ReplyDeleteवेस्ट मटेरियल ,से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवाएंगे
कक्षा में खिलौना क्षेत्र का निर्माण करने के लिए हम डी आई वाई का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जो बच्चे स्वयं आसानी से बना सके जैसे मिट्टी,कागज,कपड़े ।ये सब सामग्री बच्चो को उपलब्ध कराएंगे साथ ही आवश्यक सामग्री कैंची, गोंद, टेप,रंगीन,कागज,धागा ये सब भी बच्चों को देंगे। उनका इस कार्य में सहयोग करेंगे, उन्हें प्रोत्साहित करेंगे।ये गतिविधि बच्चों को खेल खेल में सीखने में मदद करेगी।
ReplyDeleteकक्षा में बच्चो को खिलोनों के माध्यम से पढ़ाया जा सकता है जैसे, कागज, मिट्टी,कोई पुराने कपड़े से आकृतियां बनाकर । वस्तुओं के आकार जैसे आयात,वर्ग, त्रिभुज, की पहचान कराकर।
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सामग्री से खिलौने बनाए जा सकते हैं जैसे डी आई वाई का उपयोग पर डू इट योरसेल्फ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से लकड़ियों से और कपड़ों से स्वयं करके खिलौने बना सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि डू इट योरसेल्फ स्वयं करके सीखने के लिए खिलौने का उपयोग किया जाता है जिस प्रकार से एक बच्चा मिट्टी की गाड़ी बनाता है और उससे स्वयं सीखता है इस तरह से डू इट योरसेल्फ के कई उदाहरण लेकर के चलते हैं और सीखना सिखाना करते हैं।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए डी. आई. वाई. का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे, जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है । जैसे मिट्टी, पुराने कपड़े, काग़ज़, लकड़ी, मोजे आदि ।हम अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र डिजाइन करने के लिए हम डी. आई .वाई मतलब डू- इट -योरसेल्फ पद्धति का प्रयोग करते हुए ऐसे खिलौनों का प्रयोग करेंगे जिनका बच्चा स्वयं प्रयोग कर सकता है| जैसे -मिट्टी से बने खिलौने, कपड़ों से बने खिलौने, कागज से बने खिलौने तथा लकड़ी से बने खिलौने आदि| बच्चों की सहायता के लिए हम वेस्ट मटेरियल जैसे कि खराब कपड़ा| हम टेलर की दुकान से ले आएंगे| इसके अलावा खराब कागजों को बच्चों को दे देंगे| इसके अलावा मिट्टी के खिलौने बनाने में भी उनकी मदद करेंगे | इस प्रकार हम बच्चों से स्वयं उसके हाथों से खिलौने बनवा एंगे | जिससे बच्चा उन खिलौनों से खेलने के साथ उस खिलौने में प्रयुक्त आकृतियों से परिचित होगा तथा उन खिलौनों से लगाव भी रखेगा क्योंकि वह खिलौने उसने स्वयं बनाए है साथ ही वे अपनी कौशल या अपनी समझ का उपयोग कर पाएगा कह सकते हैं कि खिलौना आधारित शिक्षण या डी आई वाई इसमें बच्चा जब स्वयं करके सीखता है तो उसका विज्ञान या उसकी वह अवधारणा अधिक स्थाई होती है और वे उस से जुड़ी कई बातों को अपने व्यवहार में लापता है खास तौर से बच्चों को देखा गया है कि खिलौनों से बढ़ाने पर वह बहुत अच्छे से और चाव के साथ पढ़ते हैं वास्तव में स्थानीय तौर पर जो भी हम बच्चों को बनाते हैं या पढ़ाते हैं जैसे बच्चों से हम पूछे कि किस तरीके से अपना कार्य करता है तो वह बताते हैं और उसका अनुसरण भी करते हैं मिट्टी के कई प्रकार के खिलौने मैं अपने विद्यालय में बनवा जाती हूं मैं उनसे घर से उनके खेत से विद्यालय आते समय लाने के लिए कहती है जो गीली मिट्टी लाते हैं उससे हम मिट्टी से जुड़ी बातें बताते हैं साथ ही बहुत से प्रकार के खिलौने भी हम उसके साथ बनाते हैं जिससे कि वह विभिन्न प्रकार की कलाकृति हो और उसकी हाथ की मांसपेशियों साथ ही साथ उसके मस्तिष्क का विकास भी होता है और वह बहुत शीघ्रता के साथ बातों को सीख पाता है वास्तव में खिलौना आधारित शिक्षण शिक्षकों से बच्चों से और अभिभावकों से जुड़ा होता है और बच्चों से बहुत अच्छे तरीके से करते हैं साथ ही इससे हमारे विद्यालय का वातावरण बहुत ही आनंद दाई होता है और सीखने सिखाने का दौर बहुत अच्छे से चलता है धन्यवाद 🙏
मैं वैदेही त्रिपाठी (प्राथमिक शिक्षक)
शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती महाराजपुरा-टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश)